पड़ोसन दीक्षा के साथ मजे

sexstories

Administrator
Staff member
Antarvasna, hindi sex stories: मैंने घड़ी में देखा तो उस वक्त सुबह के 9:00 बज रहे थे मैं घर पर अकेला बोर हो रहा था तो सोचा कि क्यों ना आज कहीं घूमने के लिए जाऊं और मैं उस दिन अकेला ही घूमने के लिए निकल पड़ा। हालांकि यह थोड़ा अजीब जरूर था लेकिन उस दिन मैं जब अकेले शॉपिंग के लिए निकला तो मैंने सोचा भी नहीं था कि मैं उस दिन दीक्षा से मिल पाऊंगा। दीक्षा से मेरी मुलाकात मॉल में ही हुई और दीक्षा और मैं जब एक दूसरे से मिले तो हम दोनों को काफी अच्छा लगा। दीक्षा मेरे साथ स्कूल में पढ़ा करती थी और उससे मेरी काफी अच्छी बातचीत है और दीक्षा से मिलकर मुझे काफी खुशी भी हुई। दीक्षा ने मुझे बताया कि उसकी शादी हो चुकी है और वह अपने पति के साथ ही रहती है। मैंने दीक्षा से कहा चलो यह तो बहुत अच्छी बात है कि तुम से मेरी मुलाकात हो गई लंबे समय के बाद ही सही लेकिन तुम से मेरी मुलाकात तो हुई। मैं बहुत खुश था दीक्षा भी काफी खुश थी जिस तरीके से हम लोग एक दूसरे को मिले थे।

मैंने दीक्षा का नंबर लिया और उससे कहा कि मैं तुमसे कभी और मिलूंगा तो दीक्षा ने कहा कि ठीक है जब तुम्हें समय हो तो तुम मुझे फोन करना। दीक्षा वहां से जा चुकी थी और मैं वापस घर लौट चुका था। मैं जब लौटा तो उस दिन मां ने मुझे कहा कि बेटा तुम मुझे अपनी मौसी के घर छोड़ दो। मेरी मौसी जो कि हमारे पड़ोस में ही रहती है और मैंने मां को मौसी के घर छोड़ दिया। मां की तबीयत ठीक नहीं थी तो मुझे मां को मौसी के घर छोड़ना पड़ा। मैं वहां से घर वापस लौट आ गया था। मैं जब वापस लौटा तो पापा ने मुझसे पूछा कि क्या तुम अपनी मम्मी के साथ मौसी के घर गए थे तो मैंने पापा से कहा कि हां पापा मैं मम्मी के साथ ही मौसी के घर गया हुआ था।

पापा और मैं बैठकर बातें कर रहे थे तभी थोड़ी देर बाद मम्मी भी घर वापस आ गई। उसके बाद घर में काम करने वाली नौकरानी ने भी खाना बना दिया था जिसके बाद हम लोगों ने डिनर किया और मैं अपने रूम में चला गया। जब मैं अपने रूम में गया तो मुझे नींद नहीं आ रही थी तो मैं छत में चला गया और जब मैं छत में गया तो थोड़ी देर वहां टहलने के बाद मैं वापस लौट आया। जब मैं वापस लौटा तो मैं सोने की तैयारी में था और थोड़ी देर में ही मुझे नींद आ गई। अगले दिन मैं जब अपने ऑफिस के लिए निकला तो उस दिन मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं थी लेकिन फिर भी मैं ऑफिस चला गया। जब मैं वहां से वापस लौट रहा था तो मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा था इसलिए मैं डॉक्टर के पास चला गया। जब मैं डॉक्टर के पास गया तो डॉक्टर ने मुझे कहा कि मैं आपको कुछ दवाइयां दे देता हूं।

मुझे हल्का बुखार था और मैं अब घर आ गया था। मैंने रात को दवाई ली तो उसके बाद मैं थोड़ा आराम महसूस कर रहा था। मुझे एक दिन ध्यान आया कि मुझे दीक्षा को फोन करना चाहिए और मैंने उसे फोन किया तो उसने मुझे कहा कि तूमने मुझे काफी समय से फोन भी नहीं किया। मैंने दीक्षा से कहा कि मैं तुमसे मिलना चाहता हूं दीक्षा ने कहा की ठीक है हम लोग मुलाकात करते हैं। हम लोगों ने मुलाकात करने का फैसला कर लिया था। मैं दीक्षा को मिला तो मुझे उस दिन दीक्षा से मिलकर अच्छा लगा दीक्षा और मेरी कुछ पुरानी यादें ताजा हो गई। हम दोनों एक दूसरे को मिले तो हमें काफी अच्छा लगा। हम दोनों एक दूसरे को अक्सर मिलने लगे थे जब भी हम दोनों एक दूसरे से मुलाकात करते तो हमें काफी अच्छा लगता। एक दिन मैं और दीक्षा साथ में थे जब दीक्षा और मैं साथ में थे तो मैंने दीक्षा से कहा कि क्यों ना हम दोनों आज अपने पुराने दोस्तों को मिले।

हम दोनों ने फैसला किया कि आज हम लोग अपने पुराने दोस्तों को मिलेंगे और मैंने उस दिन अपने कुछ पुराने दोस्तों को फोन किया और हम लोगों ने मिलने का फैसला किया। जब हम लोग मिले तो हम लोगों को काफी अच्छा लगा। दीक्षा का शादीशुदा जीवन काफी अच्छे से चल रहा है और उस से मेरी मुलाकात तो होती ही रहती है। हम दोनों एक दूसरे को मिलते तो हम दोनों को बहुत ही अच्छा लगता है। मुझे अपने ऑफिस के सिलसिले में कुछ दिनों के लिए कानपुर जाना था और मैं कुछ दिनों के लिए कानपुर चला गया। जब मैं कानपुर गया तो वहां से मैं जब वापस लौट रहा था तो उस दिन फ्लाइट में मेरे बगल में एक लड़की बैठी हुई थी। हालांकि हम दोनों की ज्यादा बात तो नहीं हुई लेकिन मुझे उसका नाम पता चल चुका था उसका नाम दीक्षा है।

दीक्षा से मिलकर मुझे अच्छा लगा और काफी समय हो जाने के बाद मैं उसके बारे में भूल भी चुका था लेकिन एक दिन हम लोगों की मुलाकात हुई। जब दीक्षा से मैं मिला तो मुझे अच्छा लगा अब दीक्षा से मेरा मिलना होता ही रहता था और हम दोनों एक दूसरे को मिलते तो हम दोनों को बड़ा अच्छा लगता। शायद यह भी एक इत्तेफाक ही था कि हम लोग पहली बार फ्लाइट में मिले और उसके बाद हम दोनों एक दूसरे के इतने करीब आ गए हम दोनों ने कभी सोचा भी नहीं था। अब हम दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगे थे और मैं दीक्षा के साथ रिलेशन में था। जब यह बात मैंने दीक्षा को बताई तो दीक्षा ने मुझे कहा कि मैं दीक्षा से मिलना चाहती हूं। दीक्षा ने दीक्षा से मिलने की बात कही तो मैंने दीक्षा को कहा कि ठीक है मैं तुम्हें दीक्षा से मिलवाता हूँ। मैंने जब दीक्षा को दीक्षा से पहली बार मिलवाया तो मुझे पता चला कि दीक्षा दीक्षा को पहले से ही जानती थी।

दीक्षा के ही पड़ोस में दीक्षा रहा करती है और मेरे और दीक्षा का रिलेशन बहुत अच्छा चल रहा हैम हम दोनों का रिलेशन एक दूसरे के साथ बहुत ही अच्छे से चल रहा है और हम दोनों काफी खुश हैं। जिस तरीके से हम दोनों एक दूसरे के साथ होते हैं उससे मुझे और दीक्षा को बहुत ही अच्छा लगता। दीक्षा और मेरा रिलेशन तो चल ही रहा है और हम दोनों एक दूसरे के साथ काफी खुश हैं। हम दोनों जब भी एक दूसरे के साथ होते तो हमें बहुत ही अच्छा लगता है और मैं ज्यादा से ज्यादा समय दीक्षा के साथ बिताने की कोशिश किया करता हूं। उसे बहुत ही अच्छा लगता है जब भी वह मेरे साथ होती है। हम दोनों एक दूसरे से बहुत ज्यादा प्यार करने लगे हैं और जिस तरीके से हम दोनों एक दूसरे से प्यार करने लगे हैं उससे अब मुझे ऐसा लगता कि मेरा दीक्षा के बिना रह पाना मुश्किल है।

मैं एक पल भी दीक्षा के बिना रह नहीं पाता हूं और जब भी दीक्षा और मैं एक दूसरे के साथ होते हैं तो हम दोनों को बड़ा अच्छा लगता है और दीक्षा को भी बहुत ज्यादा अच्छा लगता है। एक दिन मैं और दीक्षा साथ में बैठे हुए थे उस दिन जब मैं और दीक्षा एक दूसरे से बातें कर रहे थे तो कहीं ना कहीं मेरे दिल में दीक्षा के साथ अकेले में समय बिताने का खयाल पैदा होने लगा था। मैंने सोचा क्यों ना मैं दीक्षा के साथ अकेले में समय बिताऊ। मैंने उस दिन जब दीक्षा से इस बारे में कहा तो दीक्षा ने भी मेरी बात को नहीं टाला और वह मेरे साथ अकेले में समय बिताने के लिए तैयार हो चुकी थी। दीक्षा उस दिन मेरे साथ रूकने वाली थी। हम दोनों इस बात के लिए बड़े ही खुश थे। जब दीक्षा और मैं उस दिन होटल में थे तो हम दोनों एक दूसरे के बगल में बैठे हुए एक दूसरे से बातें कर रहे थे लेकिन मैंने उसकी जांघ को सहला कर उसकी गर्मी को बढ़ाना शुरू किया तो वह खुश हो गई। वह मुझे कहने लगी मुझे अच्छा लग रहा है हम दोनों एक दूसरे की गर्मी को बढ़ाए जा रहे थे।

मैं पूरी तरीके से गर्म हो चुका था उसने मेरे लंड को अपने मुंह मे समा लिया था। जब उसने मुझे कहा तुम मेरी चूत के अंदर अपने लंड को घुसा दो। मैंने भी अब उसकी योनि को चाटकर उसकी गर्मी को बढ़ाना शुरू कर दिया था। मैंने जैसे ही उसकी योनि के अंदर अपने मोटे लंड को घुसाया तो वह बहुत ज्यादा गर्म होने लगी थी और मैं भी गर्म हो चुका था। मैंने उसे तेजी से धक्के मारने शुरू कर दिए थे और उसकी सिसकारियां तेजी से बढ़ती जा रही थी। उसकी सिसकारियां बढने लगी थी। मैंने अब उसके दोनों पैरों को अपने कंधों पर रखते हुए तेजी से धक्का देना शुरू किया तो वह मुझे कहने लगी मुझे और भी तेजी से धक्के दो। मैं उसे बड़ी ही तेजी से धक्के दिए जा रहा था और मेरे धक्कों मे और भी ज्यादा तेजी आती जा रही थी। जब मेरा वीर्य मेरे अंडकोषो से बाहर की तरफ को गिरा तो मैं खुश हो गया था।अब दीक्षा भी काफी ज्यादा खुश थी हम दोनों एक दूसरे के साथ अच्छे से सेक्स का मजा ले पाए थे। हम दोनों ने एक दूसरे की गर्मी को पूरी तरीके से शांत कर दिया था और उसके बाद भी हम दोनों अक्सर एक दूसरे के साथ सेक्स संबंध बनाया करते। जब भी हम दोनों एक दूसरे के साथ सेक्स संबंध बनाते तो हम दोनों को बहुत अच्छा लगता और दीक्षा मेरे लंड को लेने के लिए हमेशा तैयार रहती है।
 
Back
Top