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बन्नो की चूत किसे मारने को मिलेगी इसको लेकर नौजवानों में बड़ा क्रेज था। आज मोहल्ले में शादी थी, मुहल्ले की धड़कन बन्नो बन ठन के शादी में जा ही रही थी कि मैं गली में उसका दीदार करने को बैठा था अपनी बाईक लगा कर। मैने कमेंट दिआ आज ये बिजली कहां गिरेगी, वो बोली अभी आते समय तेरे को बताउंगी। दस बजे सारी लड़कियां अपने अपने घर लौटने लगीं तो मैं बन्नो के पीछे लग गया, गली में अंधेरा था और इसलिये उसे वहीं मोड़ पर सुनसान पाकर दबोच लिया। वह बोली अबे कमीने कोई देख लेगा अंदर चल मेरे दालान में आज तेरे को रेवड़ी चखाती हूं। हम उसके दालान में चले गये। सुनसान जगह, कमरा खाली, बन्नों की कमसिन जवानी। मैं तो मारे खुशी के पागल हो रहा था, पर उसके मन में जाने क्या पागल पना चढा, बोली अब नीचे बैठ, मैं बैठ गया। अपना पेटीकोट साड़ी समेत मेरे मुह पर उठा कर रख दिया। साला अंदर फुद्दी थी, बिना चड्ढी के। बोली ले इसे चूस, मैं हक्का बक्का। मैंने कहा अचानक तेरे को क्या हुआ, लेकिन आज शो को वो डाइरेक्ट कर रही थी। मौका था और दस्तूर भी हसीना भी थी और बूर भी। मैने अपना मुह अंदर लगाया, पेटीकोट उठा कर अपनी चिकनीजांघो के बीच उसने मेरा चेहरा दबा लिया था, मैं उसकी झांटदार चूत को चुसकने लगा, वह उचक उचक के आह आहह कर रही थी। मैं अभी समझ नहीं पाया था कि उसे हुआ क्या है, एक दम से शर्मीली लड़की अचानक से एक इतनी कामुक परिपक्व महिला जैसी हरकत क्यों कर रही थी।

तभी वो बताने लगी, परसों रोज मेरे बुड्ढे जीजा आए थे, रात को सोये में मेरे को ऐसा करने लगे, चोद तो सकते नहीं थे, सो मेरी चूत चाट गये। तब से मुझे बहुत खुजली हो रही थी चटवाने के लिये। सोचा तू बहुत दिनों से दीवाना बना घूम रहा है तो तुझे ही मौका दे दें। उफ़्फ़ वो घायल शेरनी हो गयी थी, मैने अपनी जीभ उसकी चूत में अंदर घुसेड़ दी और हाथों से गांड को सहलाते हुए उसे मुखमैथुन का मजा देने लगा। वह झड़ गयी। उसका सारा कामरस मेरे मुह में आ गया। मैने पी लिया उसे। फिर अपना लंड उसके मुह में देने लगा तो वो ले ही नहीं रही थी, बोली नहीं ये सब गंदा है, मैने पकड़ के घुसेड़ दिया साली अपनी गंदी फुद्दी तो मेरे मुह पे रख दी और अब लंड नहीं चूस रही है। वो चुसकने लगी, उसकी मोटी आंखों में खुशी के आंसू थे, मैने उसका मुह चोद कर रख दिया और फिर उसके उपर चढ कर उसकी चूत में लंड घुसाने लगा। वह काफी टाईट बुर थी। मैने अपना ढेर सारा थूक मल कर लौड़े को अंदर ठेला तो वो फड़फड़ाने लगी, मैने उसे पकड़ लिया और उसकी गर्दन दबोच कर एक धक्के में ही उसकी सील तोड़ डाली। अब वो आराम से लंड ले सकती थी। थोड़ी देर में वह खुद ही अपने नितंब उछाल कर मुझे चोद रही थी। आज वह पूरे शबाब में बन ठन के आयी थी दुल्हन के जोड़े में और आज मैने उसकी प्यास बुझा कर उसकी चूत को शांत कर दिया था।
 
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