बेगम की भरी हुई जवानी : बुढापे का सेक्स

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भरी हुई गदराई जवानी

भरी हुई जवानी और बुढ्ढा लंड। सफेद मूसली खाकर जब सिद्दीकी साहब अपने पचास साला लंड को अपनी अठारह साल की नयी नवेली दुल्हन की भरी हुई जवानी का लुत्फ उठाने जा रहे थे, तो आज कुछ नया ही उत्साह उनके अंदर था। काश कि आज वो उसको चोद चोद कर बंदर बना देते, वो जवानी के दिन याद आ रहे थे और उनको अपनी जवानी में दो दो हसीनाओं को एक साथ चोदने का बहुत शौक था। पर वो भरी हुई जवानी और अब बुढापा दोनों में पर्याप्त अंतर है। पर फिर भी दिल तो बच्चा ही है ना। इसलिए सिद्दीकी साहब ने तीसरी शादी की थी। सादाब एक चांद का टुकड़ा थी, एक हुस्ने की ताबीर थी, वो एक मुकम्मल सुंदरी थी पर सिद्दीक्की साहब की बीबी बनने के बाद देखते हैं उसकी तकदीर किस करवट बदलती है।

सिद्दीकी ने अपने साले अरमान को आवाज दी । " अरमान कहां हो, जरा अपनी बहन को कह दो तैयार हो जाए, हम आने वाले हैं।" अरमान एक लड़का था यही बीस साल का, उसका चचेरा भाई, कजिन, सच तो ये है कि वो खुद ही सादाब के साथ शादी करने के सपने बुन चुका था पर यह सपना सच न हो पाया था। आज वो अपनी चचेरी बहन की ससुराल उसकी विदाई में भी आया था, कुछ सामान वगैरह लेकर और मिलने जुलने के वास्ते

अरमान ने खूसट सिद्दीकी को हिकारत भरी नजरों से देखा और फिर अपनी बहन, भूतपूर्व प्रेमिका जिसकी जवानी देख कर आज भी अरमान की चड्ढी में आग लग जाती है। उसने आराम से अपनी बहन को कह दिया " देख बुड्ढा दवा खा के आ रहा है, आराम से करना, नहीं तो दिक्कत में पड़ जाओगी।" सादाब मुस्कराई और बोली " है तो बुड्ढा ही, चाहे दवाएं कितनी खाले।' देख लूंगी मादरजात को

दोनों भाईबहन खुले हुए थे, अरमान बाहर निकल गया। बालों में खुश्बू और कपड़ों में इत्र लगाकर सिद्दीकी साहब जैसे ही अंदर आए, उनके होश फाख्ता हो गये। बेगम ने सारे कपड़े खोल रखे थे और एक खास अंदाज में पोज दे रही थी।

भरी हुई भारी भरकम शादाब की गांड और चूत कोई खिलौने थोड़े ही थे जो यूं ही मिल जाते सिद्दीकी को।

जन्नत की हूर को नंगा पोज देते देख सिद्दीकी शाहब बोले " हाये तौबा, ऐसी बेशरम बीबी को पाकर मेरी किस्मत फूट गयी, हाय मैं क्या करुं शर्म कर नामुराद" शादाब बोली, शरम तो आपको आनी चाहिए आपने अपने बेटी से भी कम उमर के लड़की से शादी करी। अब बुझाओ मेरी आग।

सिद्दीकी साहब ने नीचे देखा, पाजामा के अंदर लंड किसी बांस की तरह खड़ा था और उसने उसको किसी तंबू की तरह तान रखा था। लंड की हालत देख शादाब को हंसी आगयी और वह उनके सामने घुटनों के बल बैठ कर उनकी नाड़ा खोलने लगी

सिद्दीकी को लग रहा था कि सेक्स की गाड़ी खुद शादाब ही ड्राइव कर रही है। वह आराम से खड़े रहे, लेकिन उनकी पतलून गीली होने वाली थी। इतनी उत्तेजना, इतनी दवाएं और फिर इतनी गरम बीबी, उन्होंने अब एक नजर उसके मस्त चूंचे पर मारी। वो एकदम भरी हुई चूंचियां और मदमस्त पतली कमर देख कर के बौरा गये। उन्होंने निप्पल पर मुह मारना चाहा। पर उनकी डाढी पकड़ कर शादाब ने कहा " ऐसे नहीं मियां जान, हम बताएंगे आपक्को कि आप हमें कैसे खुश कर सकते हैं।

और शादाब ने अचानक से लंड पकड़ कर दबा दिया। आह निकल पड़ी सिद्दीकी जी के मुह से। उन्होंने अपना मुह उसके चूंचे से सटा दिया। अब शादाब ने उनका पाजामा खोलना शुरु कर दिया।

जैसे ही शादाब ने पाजामा खोला, सिद्दीकी का मोटा लंड तना दिखाई दे गया। बोली " ओ राजा क्या ये तेरी भरी हुई नूनी कमाल भी करती है कि खड़ा होकर धमाल ही करती है। इसके अंदर कुछ भरी हुई जान भी बाकी है कि नहीं।

ऐसा कह कर उसने सुपाड़े पर हल्के चपत लगाने शुरु कर दिये। सिद्दीकी का रोमांस का रोमांच सच हो रहा था। वो एकदम मस्त थे और उन्होंने अपने को अपनी नयी नवेली दुल्हन के हवाले कर दिया।

अब शादाब ने उसका लंड पकड़ कर अपने मुह में डाल लिया और दांतों से सुपाड़े को हल्का हल्का द्बाने लगी, ऐसे जैसे कि अभी काट के खा जाएगी। आह्ह!! मस्त मस्त सुपाड़ा और उसने उसको दबा कर और कड़ा कर दिया।

हाथों से उसको दबोच कर के मस्ती से उपर नीचे करते हुए सिद्दीकी को देसी हस्त्मैथुन का मजा देने लगी। भरी हुई चूंचियां अब बार बार हिल रही थीं और उपर नीचे होते हुए उसकी धड़कनों को तेज कर रहीं थीं। इस बार सिद्दीकी ने हिम्मत दिखाई और पलट कर उसकी बिना बालों वाली चूत में लंड डाल दिया। इससे पहले की दवा का असर खतम हो जाए और वो पानी पानी हो जाएं, उसने उसको चोद देने की सोच रखी थी।

लेकिन ये क्या। भरी हुई गांड वाली शादाब ने कलटा मारा और सिद्दीकी को नीचे गिरा दिया। अपनी बिना बालों वाली चूत सिद्दीकी के मुह पर रख दी और अपनी कमर हिलाने लगी।

हिलती कमर और गांड के नीचे दबी सिद्दीकी की दाढी और होट दोनो ही चूत के रस से भीग रहे थे। भरी हुई जवानी वाली लड़की के चूत मारने के इस खतरनाक रिश्क को सिद्दीकी जी शायद ही समझ पाए थे। उन्होंने आराम से अपने हाथ में उसके दोनों चूंचे पकड़ लिये थे और रस को चूस रहे थे। चूसते चूसते उन्होंने पूरा पानी पानी कर दिया। पानी से भरी हुई चूत से निकलता कामरस एक पिचकारी की शक्ल में उनके मुह में चला गया। उस मादकता से भरी हुई चूत द्रव्य को पीकर सिद्दीकी जी धन्य हो गये। अब बारी थी चुदाई करने की पर बेगम मौका कहां दे रही थी।

जैसे ही बेगम को नीचे लिटा कर उन्होंने चोदने की तैयारी करनी शुरु की, शादाब बोली "इतनी जल्दी भी क्या है साहिब जरा अपना लंड मेरे मुह में दीजिए ना, और मौलवी जी मरता क्या ना करता, सोच कर उन्होंने अपना सुपाड़ा उसके मुह में दे दिया। सपड़ सपड़ कर के चूसते हुए बेगम शादाब ने आखिर में उनके लंड को झड़ाने का इंतजाम कर ही लिया था। धक धक करते हुए लंड की नशों में जब भरी हुई पिचकारी आने लगी तो सिद्दीकी ने खींचना चाहा, पर बेगम शादाब ने उस भरी हुई लंड की पिचकारी अपने मुह में अंदर ही ले ली। लंड का सारा दम निकल गया। अब कैसे चोदें। इसी लिए कहते हैं कि भरी हुई जवानी में हीं जवान लड़की से शादी करनी चाहिए, न कि बुढापे में।
 
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