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Mujh Par Chut Ka Bhut Sawaar

सभी हवस के पुजारियों को मेरा नमस्कार। मेरा नाम शैलेश (उम्र २५) है। गाँव में मेरे दोस्त मुझे 'चमड़ी' के नाम से पुकारते हैं। यह नाम मेरा इसलिए पड़ा था क्यूँकि मैं सबकी माँ-बेटियों को छेड़ता रहता हूँ। मेरे दोस्त डर के मारे मुझे अपने घर कभी नहीं बुलाते।

मेरे गाँव में तो मुझे चूत मिलना मुश्किल था, इसलिए मैं अड़ोस-पड़ोस के गाँव में जाने लगा। आवारागर्दी करते समय पता चला कि पास के एक गाँव में सरपंच को ड्राइवर की ज़रूरत थी। मैं तो सिर्फ़ चार पैसे कमाने के लिए सरपंच का ड्राइवर बन गया था।

मगर जिस दिन से मैंने सरपंच की पत्नी को देखा था, उस दिन से मेरे काम करने के ढंग में नया-सा जोश आ गया था। मैं सरपंच की पत्नी को याद करके अपना लौड़ा हिलाने लगा था।

वैसी कड़क माल को सरपंच काम के सिलसिले में घर पर अकेला छोड़कर जाता था। सरपंच जब भी बाहर जाता था, उसकी पत्नी शकुंतला उसे रेलवे स्टेशन पर छोड़ने आती थी। ऐसे ही एक बार सरपंच को बाहर जाना पड़ा था। उस वक़्त मुझे एक विचार आया था।

मैंने सरपंच की पत्नी की जमकर चुदाई करने का सोचा था। शाम के समय सरपंच रेलवे स्टेशन जाने के लिए शकुंतला के साथ गाड़ी में बैठ गए। क़रीब ०७: ३० बजे हम रेलवे स्टेशन पहुँचे और फिर १५-२० मिनट बाद, उनकी ट्रैन रवाना हो गई।

रेलवे स्टेशन से घर लौटते वक़्त मैंने अपनी चाल चल दी। मैंने गाड़ी रोककर मिठाई का डब्बा निकाला और शकुंतला को माता रानी का प्रसाद बोलकर अर्पण किया। मैंने हलवाई को ज़्यादा पैसे देकर ख़ास भांग के लड्डू बनवाए थे।

शकुंतला एक पूरा लड्डू खा गई और मैंने लड्डू की ख़ासियत बताते हुए उसे एक और खिला दिया। कुछ देर बाद, शकुंतला पर भांग का नशा चढ़ने लगा था। वह मेरे साथ हसी-मज़ाक की बातें करने लगी थी।

मैंने गाड़ी को गाँव के एक सुनसान जग़ह पर ले जाकर रोक दिया और शकुंतला के साथ पीछे वाली सीट पर बैठ गया। मैं उसे विदेशी पोर्न वीडियो दिखाकर उत्तेजित करने लगा।

मैंने शकुंतला को अपने बाहों में भरकर जकड़ लिया। उसकी मोटी चूचियों को अपनी छाती से दबाकर मैं उसके होंठों को चूसने लगा।

शकुंतला को मैंने उसकी उभरी हुई गाँड़ से पकड़कर उठा लिया और गाड़ी की सीट पर लेटा दिया। उसकी रेशमी साड़ी उठाकर मैं उसकी मोटी जाँघों को चाटने लगा। वह भी मूड में आकर सिसकियाँ लेने लगी थी।

मैंने उसके पैर उठाकर उसकी चूत को अच्छी तरह चाटना शुरू किया था। उसकी चूत की पँखुड़ियों को फ़ैलाकर मैं अपनी ज़ुबान को चूत के अंदर-बाहर करने लगा था। उसकी हल्की-हल्की चीख़ें निकलने लगी थी।

फिर मैंने शकुंतला का काला रेशमी ब्लाउज़ खोल दिया और उसकी लटकती चूचियों को पकड़कर दबाने लगा। उसके काले निप्पल को बारी-बारी करके चूसकर उसे मैंने उत्तेजित कर दिया। शकुंतला की साड़ी और पेटीकोट निकालकर मैंने उसे पूरा नंगा कर दिया।

पहले मैंने सोचा कि अपना लौड़ा शकुंतला के मुँह में डाल देता हुँ। लेकिन उसकी मुलायम और गरम चूत देखकर मेरा लौड़ा तनकर खड़ा हो गया था और मुझसे रहा भी नहीं जा रहा था।

शकुंतला के पैरों को मैंने अपने कंधों पर रख दिया। अपने लौड़े को धीरे से धक्का मारकर चूत के अंदर घुसाने के बाद, मैंने ठुकाई की रफ्तार धीरे से शुरू की और कुछ देर बाद बढ़ा दिया। शकुंतला चिल्ला-चिल्लाकर मज़े ले रही थी।

मैं भी उत्साहित होकर उसकी चूचियों को दबाने लगा। थोड़ी देर बाद, मैं शकुंतला के ऊपर लेटकर उसके होठों को चूसकर उसकी चुदाई करने लगा था। वह अपने पति का नाम लेकर चिल्ला रही थी।

शकुंतला के मुँह से गरम साँसे निकलने लगी थी जो मुझे उकसा रही थी। मैंने उसके गले को पकड़कर सहारा लिया और अपने लौड़े को जोर-ज़ोर से उसकी चूत पर पटकने लगा।

कुछ समय बाद, मैंने शकुंतला को मेरे ऊपर उल्टा लेटा दिया और उसकी गाँड़ की दरार को चाटने लगा। वह मेरे तनकर खड़े लौड़े को अच्छी तरह से चूस रही थी। उसने अपनी गाँड़ को मेरे मुँह पर रगड़ना शुरू कर दिया था।

मैंने शकुंतला की गाँड़ की छेद में अपनी ज़ुबान अंदर तक घुसाकर उसे चाटने लगा। साथ ही साथ, मैं अपनी उँगलियों से उसकी चूत को भी रगड़ रहा था। शकुंतला अपने पैरों के बल उछलकर अपनी गाँड़ मेरे मुँह पर पटक रही थी।

मेरे लौड़े को हिलाते हुए शकुंतला ने अपनी गाँड़ को मेरे चहरे पर घिसना शुरू कर दिया था। मैंने उसकी गाँड़ को पकड़ा और उसमें थूक मारकर उसे चूसने लगा। शकुंतला उत्तेजना के कारण अपनी गाँड़ झुलाने लगी थी।

कुछ समय बाद, मैंने शकुंतला को घोड़ी बनाकर गाड़ी की सीट पर लेटा दिया। मैंने अपने लौड़े की नोक को शकुंतला की चूत पर रखा और चूत की दरार पर रगड़ने लगा। अपनी दो उँगलियों को मैंने उसकी गाँड़ की छेद में घुसाकर अंदर-बाहर करने लगा।

मैंने उसकी चूत पर अपना लौड़ा घिसकर अंदर घुसा दिया और शकुंतला की कमर पकड़कर ज़ोर-ज़ोर से उसकी चुदाई करने लगा। शकुंतला चिल्लाकर मस्त हो रही थी।

मैं आगे झुक गया और शकुंतला की चूचियों को पकड़कर उन्हें दबाने लगा। जब उसकी चौड़ी गाँड़ मेरे लौड़े से टकराती थी, तब 'पच-पच' करके एक मधुर आवाज़ उत्पन्न हो रही थी।

मैं गाड़ी की सीट पर बैठ गया और शकुंतला को मेरे लौड़े पर बिठा दिया। उसको उसकी जाँघों से पकड़कर मैंने उसे उठाया और अपने लौड़े पर उछालने लगा। कुछ देर बाद, पैरों के बल बैठकर उसकी खुद मेरे लौड़े पर उछलने लगी थी।

कुछ देर बाद, मैं गाड़ी की सीट पर लेट गया। शकुंतला को मेरे ऊपर चढ़ाकर मैंने उसकी गीली चूत पर अपना लौड़ा घिसना शुरू किया। उसने उत्तेजित होकर मेरे लौड़े को पकड़ा और अपनी चूत के अंदर घुसा दिया।

शकुंतला मेरे लौड़े पर अपनी गाँड़ उछाल-उछालकर चुदाई के मज़े ले रही थी। मैंने उसके हिलते हुए चूचियों को पकड़कर दबाया और उसको और उत्तेजित कर दिया।

उसके निप्पल को पकड़कर खींचने पर वह ज़ोर से चीख़ने लगी थी। मैं शकुंतला की चीख़ों से उत्साहित होकर उसे अपने गले से लगा लिया और उसकी गाँड़ को पकड़कर चोदने लगा।

मैं तेज़ी से अपने लौड़े को उसकी चूत में घुसा रहा था। थोड़ी देर रुककर मैंने शकुंतला की गाँड़ की छेद में अपनी उँगली घुसाकर अंदर-बाहर करने लगा। चिल्लाते वक़्त उसके मुँह की गर्म साँसे मुझें बावला कर रही थी।

अपनी उँगली को गाँड़ की छेद से निकालकर मैंने उसे शकुंतला के मुँह में डाल दिया। उसने मेरी उँगली को अच्छे से चाटकर साफ़ किया। फिर मैं उसके मुँह में थूक मारकर सारा पानी पी गया।

मेरे लौड़े का पानी निकलने वाला था, इसलिए मैंने ज़ोर-ज़ोर से चुदाई करनी शुरू कर दी। कुछ समय बाद, मैंने अपने लौड़े के पानी को शकुंतला की चूत में निकाल दिया। शकुंतला चुदाई के बाद थकान के मारे सो गई थी।

मैंने उसकी चूत को साफ़ किया और उसे उसके कपड़े पहनाकर गाड़ी की सीट पर लेटा दिया। गाड़ी चालू करके मैं सरपंच के घर पहुँचकर यहाँ-वहाँ देखने लगा। रात हो गई थी, मगर रास्ता साफ़ है कि नहीं वह देखना ज़रूरी था। मैंने पहले घर का दरवाज़ा खोला और फिर शकुंतला को उठाकर घर के अंदर लेकर आया।

उसे उसके बिस्तर पर लेटाकर मैं लौटने की सोच रहा था, लेकिन मुझे उसे एक और चोदने का मन हो गया था। मैंने सिर्फ़ उसकी साड़ी और पेटीकोट उठाकर अपने लौड़े को उसकी चूत में घुसाकर धक्के मारने लगा। शकुंतला की आँखें खुलते देख मेरी गाँड़ फ़ट गई और मैंने अपना लौड़ा से निकालकर वहाँ से भाग गया।

उस दिन के बाद, मैं दुबारा सरपंच के यहाँ गया नहीं और अब मैं दूसरे गाँव में नौकरी कर रहा हूँ। यहाँ पर भी मेरी नज़र एक लड़की पर पड़ी है। देखते है क्या होता है।
 
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