मौसम का मजा ले लिया जाए मोहनी मैडम

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Antarvasna, hindi sex story: मैं अपने दफ्तर से घर लौटा तो मैंने अपनी पत्नी से पूछा आज बच्चे दिखाई नहीं दे रहे मेरी पत्नी मधु कहने लगी वह लोग आज मम्मी के साथ बाहर घूमने के लिए गए हैं। मैंने मधु को कहा मधु तुम्हे ऐसे ही मम्मी को बाहर नहीं भेजना चाहिए और उनके साथ बच्चे भी हैं उन्हें वैसे भी कम नजर आता है और तुम्हें तो मालूम ही है ना कि मां बहुत बूढ़ी हो चुकी हैं। मधु मुझे कहने लगी मुझे माजी ने हीं कहा तो मैंने उन्हें जाने के लिए कह दिया इसमें भला मैंने क्या गलत किया तुम तो मुझ पर बेवजह गुस्सा हो रहे हो। मैंने मधु से कहा देखो इसमें गुस्सा होने वाली कोई बात नहीं है परंतु तुम्हें तो मालूम ही है ना कि मां को अच्छे से दिखाई नहीं देता और कुछ ही दिन पहले तुमने अखबार में पढ़ा था ना कि एक बच्चा बाइक के नीचे आ गया था और वह काफी चोटिल हो गया था।

मधु कहने लगी हां बाबा मैंने पढ़ा था लेकिन अब मैं क्या करूं माजी के पास फोन तो है नहीं जो मैं उन्हें फोन कर के बुला दूं तो मैं ही उन्हें देख आती हूं। मधु चिल्लाते हुए मुझे कहने लगी मैं जा रही हूं मैंने मधु से कहा रुको मैं भी तुम्हारे साथ चलता हूं तभी मधु मेरे लिए चाय बना कर ले आई और कहने लगी तुम जल्दी से चाय पियो और बच्चों को देखने के लिए चलो। मैंने कहा ठीक है बस अभी चाय पी लेता हूं लेकिन उस वक्त कमबख्त चाय भी ठंडी नहीं हो रही थी और मैं चाय को फूंक मार मार कर ठंडी करने की कोशिश करता लेकिन चाय फिर भी ठंडी नहीं हो रही थी। जब मैंने चाय खत्म कर ली तो उसके बाद हम लोग मेरी बूढ़ी मां को देखने के लिए चले गए हम लोग पार्क की तरफ गए तो वहां पर मुझे मां नहीं दिखाई दी और ना ही कहीं बच्चे दिखाई दे रहे थे। मैंने मधु से कहा हमें अब कहां जाना चाहिए, हम लोग इधर-उधर देखते रहे लेकिन वह लोग कहीं नहीं मिले आखिर थक हार कर हम लोग घर वापस लौट आए। मैंने मधु से कहा मुझे तो बहुत चिंता हो रही है मधु मुझे कहने लगी चिंता मत करो वह लोग आते ही होंगे। मेरे दिमाग में ना जाने कौन-कौन से ख्याल पैदा होने लगे थे तभी दरवाजे की डोर बेल बजी और मधु दौड़ते हुए दरवाजे की तरफ गई जैसे ही मधु ने दरवाजा खोला तो मेरे दोनों बच्चे और मेरी बूढ़ी मां वापस आ चुके थे मुझे बहुत खुशी हुई।

जब मां मेरे पास बैठी तो वह कहने लगी बेटा मैं आज बच्चों को अपने साथ पास के कॉन्प्लेक्स में ले गई थी और वहां पर बच्चों ने खूब जमकर मस्ती की। मैंने मां से कहा मां आप ऐसे ही इधर-उधर मत जाया करो आजकल माहौल भी ठीक नहीं है और तुम्हें पता है कि दुनिया कितनी बदल चुकी है चोर चक्के चोरी करने से बाज नहीं आते और आस पड़ोस में तो आजकल माहौल भी ठीक नहीं है। मेरे परिवार को लेकर मेरी हमेशा ही चिंता बनी रहती है और शायद यह चिंता लाजमी भी थी क्योंकि मेरा परिवार ही मेरे लिए सब कुछ है। मेरी बूढ़ी मां मुझे कहने लगी बेटा जब बचपन में तुम बिना बताए चले जाते थे ना तब मैं भी कितनी चिंतित होती थी और तुम्हारे बाबूजी मुझ पर ही गुस्सा होते थे और कहते थे कि तुम ऐसे ही राजेश को इधर-उधर मत जाने दिया करो और मैं भी तुम्हारी हमेशा चिंता किया करती थी। मैंने मां से कहा मां मुझे मालूम है तुमने मुझे कितने लाड प्यार से पाला है और तुम हमेशा ही मेरी चिंता किया करती थी। मां मुझे कहने लगी बेटा लेकिन बच्चों के साथ मुझे अच्छा लगता है और यहां आस पड़ोस में किसी से मैं बात भी तो नहीं करती हूं। मैंने मां से कहा हां मां मुझे मालूम है लेकिन आपको भी तो पता है आपको अपना ध्यान रखना चाहिए आपकी भी तो अब उम्र हो चुकी हैं। मां मुझे कहने लगी हां बाबा ठीक है मैं अपना ध्यान रख लूंगी और यह कहते हुए मां अपने कमरे में चली गई मैंने मधु से कहा तुम ऐसे ही बच्चों को मां के साथ मत जाने दिया करो। मधु मुझे कहने लगी ठीक है आज के बाद मैं इस बात का ध्यान रखूंगी और यदि माजी मुझसे कभी कहेंगे तो मैं उन्हें कह दूंगी कि मैं भी आपके साथ चलती हूं। बच्चे घर पर आए तो बच्चों को जैसे खेलने का मन हो रहा था और वह कहने लगे पापा आप हमारे साथ लूडो खेलो ना।

मैंने उन्हें कहा तुम अपनी मम्मी को ले जाओ वह तुम्हारे साथ लूडो खेल लेगी लेकिन बच्चे जिद कर रहे थे तो मैं भी उनकी जिद को कैसे मना कर सकता था और मैं उनके साथ लूडो खेलने के लिए मान गया। जब मैं उनके साथ लूडो खेलने के लिए मान गया तो वह दोनों ही खुश हो गए मैं और मधु बच्चों के साथ लूडो खेल रहे थे लूडो खेलते हुए काफी समय हो चुका था। हम दोनों बच्चों के साथ काफी देर तक लूडो खेलते रहे कुछ देर बाद मैंने मधु से कहा अब मैं अपना काम करता हूं। मैंने अपने लैपटॉप को खोला और उसमें मैं अपने ऑफिस का काम करने लगा तभी मधु मुझे कहने लगी मैं आपके लिए कुछ बना देती हूं। मैंने मधु से कहा नहीं अब खाने का तो समय हो ही गया है तुम खाना ही बना देना। मधु कहने लगी ठीक है मैं थोड़ी देर बाद खाना बना लूंगी और यह कहते हुए मधु कुछ देर बाद रसोई में चली गई। मां बच्चों के साथ बैठी हुई थी बच्चे मां को परेशान कर रहे थे मधु ने भी अपनी रसोई का काम पूरा कर लिया था और हम लोगों ने साथ में बैठकर खाना खाने के बाद कुछ देर तक बात की। मैंने मधु से कहा कि क्यों ना हम लोग बाहर टहल आते हैं तो मधु कहने लगी ठीक है और हम लोग बाहर टहलने के लिए चले गए। मधु और मेरे बीच में आस पड़ोस की बातें चल रही थी और हम लोग आपस में बात कर रहे थे तभी आगे से पांडे जी आते हुए दिखे। पांडे जी सरकारी विभाग में नौकरी करते हैं और वह पान खाने के बड़े शौकीन है वह पान खाते खाते मेरे पास आये और कहने लगे अरे भाई साहब आप इतने समय बाद दिखाई दे रहे हैं।

मैंने उन्हें कहा मैं तो अपने काम में बिजी रहता हूं और आपको तो मालूम ही है कि घर से ही फुर्सत नहीं मिल पाती। पांडे जी कहने लगे आप बिल्कुल सही कह रहे हैं और फिर वह मेरा हाल चाल पूछने लगे तभी उनकी पत्नी भी आगे से आ गई। शालू भाभी और पांडे जी की जोड़ी बड़ी लाजवाब है वह दोनों एक दूसरे से बड़े ही मजाकिया अंदाज में बात किया करते हैं और वह दोनों बात कर रहे थे तभी मैंने उनसे कहा पांडे जी अभी मैं चलता हूं। मैं और मेरी पत्नी वहां से घर लौट आए और जब हम लोग घर लौटे तो मधु कहने लगी चलो अब सो जाते हैं कल आपको ऑफिस भी तो जाना होगा। मैंने मधु से कहा ऑफिस तो जाना ही है बस थोड़ी देर बाद सो जाते हैं उसके कुछ देर बाद हम दोनों सो गए। अगले दिन में अपने ऑफिस के लिए तैयार हुआ और समय पर मैं अपने ऑफिस पहुंच गया। मैं जब ऑफिस में गया तो मैंने देखा मेरे ऑफिस में एक नई रिसेप्शनिस्ट थी। उसको देख कर मुझे बहुत ही अच्छा लगता मैं उसे देखें जाता जब भी मैं उसे देखता तो उसके चेहरे पर भी भीनी सी मुस्कान आ जाती थी उसका नाम मोहनी है। मोहनी अपने रूप के अनुसार ही मनमोहक अदा वाली थी वह किसी को भी अपने बस में करने का हुनर जानती थी और मैं तो उसका दीवाना ही हो चुका था। मैं मोहनी की तरफ जब भी देखता तो वह मुझे देख कर मुस्कुरा देती लेकिन मैं उसके बदन को अपना बनाना चाहता था उसके लिए मुझे लंबी मशक्कत करनी पड़ी पर आखिरकार उसके बदन को अपना बनाने में कामयाब हो गया।

जब मैं मोहनी की तारीफ करता तो वह मुझे कहती आप तो मेरी बड़ी तारीफ किया करते हैं मैं उसे कहता कि तुम हो ही इसके काबिल। उस दिन मौसम बड़ा सुहावना था ऑफिस में कुछ लोग गैर हाजिर थे परंतु मैं चाहता था कि आज मैं मोहनी के साथ सेक्स संबंध स्थापित करूंगा। मैंने उसे जब कहा कि मैं चाहता हूं कि आज हम दोनों कुछ रंगीन करें तो शायद उसका मन भी कुछ अलग करने का था इसलिए वह मेरी बातों को मान गई और मेरे साथ वह सेक्स संबंध बनाने के लिए तैयार थी। मैं उससे ऑफिस के टॉयलेट में ले गया तो वहां पर वह थोड़ा घबरा रही थी लेकिन मैंने उसे हिम्मत देते हुए कहा कि घबराओ मत। जब उसने मेरे लंबे लंड को देखा तो उसने अपने मुंह के अंदर लंड को ले लिया उसके होठों के स्पर्श से मेरा मोटा लंड और भी ज्यादा खड़ा हो चुका था। मैं इतना ज्यादा उत्तेजित हो गया कि मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था मोहनी भी बिल्कुल रह नहीं पा रही थी। वह मुझे कहने लगी अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है मैंने उसके स्तनों को अपने हाथों में ले लिया और उसे चूसने लगा।

मै उसके स्तनों का रसपान काफी देर तक करता रहा जब उसके स्तनों को मैं चूसता तो मेरे अंदर एक अलग ही जोश पैदा हो जाता काफी देर का मै उसके स्तनो का रसपान करता रहा। जब मैंने अपने लंड को उसकी योनि पर सटाया तो वह कहने लगी आप अंदर डाल दीजिए। उसी के साथ मैंने उसक4 योनि के अंदर अपने लंड को प्रवेश करवा दिया जैसे ही मेरा लंड उसकी योनि के अंदर प्रवेश हुआ तो उसके मुंह से चीख निकल पड़ी और उसी चीख के साथ मेरा लंड उसकी योनि की दीवार तक जा चुका था। मेरा लंड उसकी योनि में प्रवेश हो चुका था तो उसके मुंह से भी तेज चीख निकलने लगी थी मुझे भी बड़ा मजा आने लगा था मैंने उसकी बड़ी चूतड़ों को अपने हाथों में पकड़ कर उसे तेजी से धक्का देना शुरू किया। जब वह मुझसे अपनी बडी चूतड़ों को टकराती तो उसकी चूतड़ों से फच फच की आवाज निकलती और उसकी चूतड़ों का रंग भी अब लाल होने लगा था। मेरे लंड पूरी तरीके से छीलकर बेहाल हो गया था जैसे ही मेरे वीर्य की बूंदों को मैने मोहनी की चूत मे डाला तो मुझे बड़ा अच्छा लगा।
 
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