यादव जी की ससुराल में चूत गाथा

sexstories

Administrator
Staff member
सास की चूत का वर्णन यादव जी ने कुछ यूं किया

दोस्तों ये चूत गाथा नाम की सेक्सी हिंदी कहानी आपको सुनाने जा रहा हूं आज मैं अपने इंटरमीडियेट कालेज के अनुभव से। दोस्तों यारों के बीच में बैठ कर जो भी प्यारे पल बिताए उनमें अक्सर हम एक दूसरे को सेक्सी हिंदी कहानी जिसे अधिकतर लड़के अपनी भाषा में नानवेज कहा करते हैं, सुनाया करते थे। तो ये कहानी यादव जी और उनकी मजेदार सेक्सी फैमिली की थी। हुआ क्या कि मिस्टर यादव जो कि कृषि विद्या विशारद थे और अपनी लंड की प्रचंडता के चलते पूरे गांव में जाने जाते थे, उन्होंने आज अपने ससुराल जाने की सोची।

बीबी उनकी बदतमीजी और गुंडा गर्दी से पहले ही अपने मायके जाके बैठी थी काहे कि उनको चूत मारने का कोई सलीका नहीं था। और उनको तरीका भी पता नहीं था चूत के चोदवैया अनाड़ी हों तो छीचालेदेर तो होती ही है साथ में बेकार की बहस और टेंशन भि हो जाती है कभी कभी। तो यारों यादव जी की बीबी उनके लंड की प्रचड़ता और बकचोदी के चलते भाग के मायके चली गयी थी। यह भी एक गंभीर समस्या है। अब साला चूत चोदे सालों होने वाले थे, फागुन का सीजन आ रहा था और यादव जी को चूत मारने को नहीं मिली थी। ऐसे में उन्होंने अपने बाप से राय मशवरा किया और फैसला हुआ कि यादव जी मतलब की दूल्हे राजा अपनी ससुराल जाकर अपनी दुल्हन को वापस मना के ले आएंगे। अब यादव जी अपने घर से निकले रास्ते में उन्हें एक पाल जी मिले। वे यादव जी के बड़े पक्के दोस्त थे, उन्होंने पूछा कि यार ससुराल जा रहा हूं बहुत दिनों के बाद बीबी को वापस लाने के लिए और कोई तरीका बताओ जिससे कि उसे ईम्प्रेस किया जा सके।

तो उन्हों ने बड़ी ही गंभीर सलाह दी कि यार अपना आचरण में गुरुत्व बना के रखना। यादव जी ने सोचा कि गुरुत्व मतलब भारी पन लाने का तो एक ही तरीका है कि मस्त दो चार किलो मिट्टी बांध लो। अब क्या हुआ यादव जी ने मस्त पांच किलो मिट्टी अपने अंगोछे में बांधी और हांफते हुए ससुराल को चले। जब वो ससुराल पहुंचे तो सीधा ससुर के घर में प्रवेश किया। दरवाजा चिपका हुआ था तो हल्के से खोलते हुए सीधा ससुर के घर के आंगन में प्रवेश किया। अब वहां का सीन देखिए सासु मां तो नहा रहीं थीं। उन्होंने नंगे रहते हुए दामाद को देखा तो सबसे जरुरी अंग चूत छुपाने के लिए अपने परात ( पीतल का बड़ा प्लेट) से अपनी चूत छुपा ली, लज्जावश। अब सासु मां को इस तरह अपनी चूत पीतल के सोने जैसे पीले बर्तन से ढंकते हुए देख कर यादव जी ने कह दिया - सासु मां ने बुरचमचम कहां से लगा लिया? अब सासु मां मारे लज्जा के पानी पानी हो गयीं और अपने बदतमीज दामाद से और भी नाराज हो गयीं।

चूत चम चम बोले तो बुरचम चम कब लगाया सासु अम्मा और इसके बाद!

भर सक बीबी ने इस बंदर को नहीं छोड़ दिया और मायके चली आई, अच्छा किया उसने। अब यादव जी ने रात बीताई और फिर सुबह अपनी सास अम्मा से बीबी की विदाई की बात करने लगे तो सास अम्मा ने दो टूक शब्दों में कह दिया कि ऐसे बदतमीज दामाद के साथ बिदाई नहीं करनी जो अपनी सास को कह दे कि सासु मां बुरचमचम लगा के बैठी हैं क्या? इस बात पर यादव जी को घोर निराशा हुई और उन्होंने वापस जाकर अपने बाप को ये बात सुनाई। यादव जी के पापा ने अपनी समधन को समजाया कि मेरा बेटा अभी नादान है और उसे धीरे धीरे बुद्ढी आएगी और फिर हम आकर अपनी पतोहू को ले जाएंगे।

अब ससुर जी अपनी बहु को लेने अपने समधन के यहां पहुंचे। समधन जी पहले से एक दम बन ठन के लिपस्टिक और चूड़ी दार साड़ी मारके तैयार थीं, जैसे ही विदाई का मुद्दा उभरा, मैडम ने खूब अपने दामाद के बदतमीजी के बारे में खरी खोटी सुनानी शुरु कर दी। सब सुनने के बाद छुब्ध ससुर जी मतलब यादव जी के पापा जी ने अपनी मधुर वाणी में बनारसी खरी खोटी सुनाते हुए बोला कि साला बहुत हरामी है मेरा बेटा, हाल हीं में जब मैं उसकी मासी की गांड मार रहा था तो उसने दिया नही दिखाया। साला सारा मजा खराब हो गया। ऐसा अपने समधि के मुह से सुनते ही दुल्हन और मां दोनों ही पगला गयीं कि कही ए लोग उसे धोखे से कुछ कर तो नहीं देंगे या वो खुद कर लेगी। इस बाद उसने अपने समधन को भेजने की बात करके अपने समधि को मना कर दिया।

और कहा कि जब तक समधन नहीं आएंगी, इन बदतमीजों के साथ भेजने के बारे में वो सोच ही नहीं सकतीं। ऐसे में ही समधि जी बेचारे अपना मुह बना के चलते बने। तभी अगले दिन सम्धन जी बन ठन के आईं। उनको देख कर के लड़की के मां बाप बड़े हि खुश हुए और कहने लगे कि देखिए ना आपके बेटे और पति को तो तमी ज ही नहीं है। आपका बेटा कहता है कि सासु अम्मा ने चूतचमचम कब लगाया और आपके पति अपने बेटे की मासी की गांड मारने की कहानी सुना के अभी अभी गए हैं। ये सब सुनके समधन जी बड़ी मुस्कराईं और कातिलाना अंदाज में बोलीं बेहनचोद ! दोनों ही हरामखोर हैं, सालों ने अपनी नस्ल की औकात दिखादी आखिर्।

एक दिन मैं भी अपने बागीचे में बैठ कर झांट नोच रही थी तो इन सालों ने मुझे राख नहीं लाके दीइ जिस्से कि मैं आसानी से झांटे नोच सकूं। इतना सुनते ही लड़की वालों ने अपना माथा पीट लिया और चूत चम चम वाले यादव जी के परिवार का लोहा मानते हुए आखिर में अपनी बेटी को विदा करने का फैसला किया। जब बहू से पूछा गया कि क्या करना है बेटा तो उसने एक ही वाक्य में जवाब दिया - इन सालों का सारा खानदान मेरी झांट मिलके भी नहीं उखाड़ पाएगा। जाने दो देख लेती हूं इस बार मेरी चूत की गहराई ससुर नाप पाता है कि मरद्। इस बार तो देवर को ही चांस देकर सभ्य चोदवैया बनाउंगी और अपनि चूत मराउंगी। यह हालसुनते ही दुल्हन की मां आश्य्वस्त हो गयी कि चलो अब मेरी बेटी सेफ है और वो इस कल्चर में ढल गयी है।
 
Back
Top