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Antarvasna, sex stories in hindi: मुझे रोहन कहने लगे राधिका मैं अपने ऑफिस के लिए निकल रहा हूं तुम मेरे लिए नाश्ता लगा दो मैंने रोहन से कहा मैं तुम्हारे लिए अभी नाश्ता लगा देती हूं। मैंने रोहन के लिए नाश्ता बना दिया और उनका टिफिन भी मैंने पैक कर दिया था वह अपने ऑफिस अब निकल चुके थे। वह जब अपने ऑफिस गए तो मैं घर पर अकेली थी मेरी सासू मां और ससुर जी कुछ दिनों के लिए गांव गए हुए थे और वह कुछ समय में लौटने वाले थे मैंने सोचा कि क्यों ना मैं टीवी ऑन कर लूँ और मैंने टीवी चालू कर दिया। मैं टीवी देखने लगी तभी मेरी सहेली का मुझे फोन आया वह फोन पर मुझे कहने लगी राधिका तुम आजकल कहां हो ना तुम्हारा कोई पता है और ना ही तुम मुझे फोन करती हो। मैंने अपनी सहेली से कहा मैं तो यही पुणे में हूं तो वह मुझे कहने लगी जब तुम यहीं हो तो तुम मुझे फोन क्यों नहीं करती मुझे तो लगा था कि तुम शायद नागपुर चली गई होगी।

मैंने काजल से कहा लेकिन मैं नागपुर काफी समय से नहीं गई हूं काजल और मेरा मायका नागपुर में ही है हम दोनों स्कूल और कॉलेज साथ में ही पढ़ते थे और हमारी शादी पुणे में हुई लेकिन मेरी मुलाकात काजल से काफी समय से नहीं हो पाई थी और ना ही मैं उससे मिल पाई थी। मैंने सोचा कि क्यों ना काजल से मिल लिया जाए मैंने काजल से कहा काजल मैं तुम्हें आज शाम को मिलती हूं हम दोनों ने मिलने का फैसला किया और मैं काजल के घर पर चली गई। काफी समय बाद मैं काजल के घर पर गई थी तो काजल कहने लगी चलो तुमने यह तो बहुत अच्छा किया कि तुम मुझसे मिलने के लिए आ गई। मैंने काजल से कहा मैं सोच तो काफी समय से रही थी लेकिन तुम्हें मालूम है कि घर से बिल्कुल फुर्सत ही नहीं मिल पाती। मैंने काजल से कहा तुम आजकल क्या कर रही हो काजल कहने लगी बस कुछ नहीं ऐसे ही मैं कुछ काम शुरू करने के बारे में सोच रही थी। मैंने काजल से कहा लेकिन तुम क्या काम शुरू करने के बारे में सोच रही थी काजल मुझे कहने लगी कि मैं एक बुटीक खोलना चाह रही हूं मैं चाहती हूं कि उसमें मैं काफी वैरायटी के कपड़े भी रखूं।

मैंने काजल से कहा लेकिन उसके लिए तो पैसे भी चाहिए होंगे काजल कहने लगी कि मैंने अपने पति से इस बारे में बात कर ली है वह तैयार हो चुके हैं और वह मेरी मदद करने के लिए मान चुके हैं। मैंने काजल से कहा तो फिर तुम्हें काम शुरू कर देना चाहिए काजल कहने लगी हां मैं भी यही सोच रही थी कि मुझे काम शुरू कर लेना चाहिए। काजल से उस दिन मैं काफी देर तक बात करती रही मैंने काजल से कहा की चल मुझे अब चलना चाहिए समय भी काफी हो चुका है तो काजल कहने लगी ठीक है राधिका लेकिन मैं तुम्हें कुछ दिन बाद फिर फोन करके परेशान करूंगी। मैंने काजल से कहा हां क्यों नहीं तुम मुझे फोन कर के दोबारा परेशान कर लेना और हम दोनों इस बात पर हंसने लगे। मैं अपने घर पहुंच कर रात के खाने की तैयारी करने लगी थी मैं रसोई में चली गई और खाना बनाने लगी तभी मुझे रोहन का फोन आया और वह कहने लगे राधिका मुझे आने में थोड़ा समय लग जाएगा। मैंने रोहन से कहा लेकिन कितना समय लग जाएगा रोहन कहने लगे कि ज्यादा नहीं बस एक घंटा लेट हो जाऊंगा मैंने रोहन से कहा ठीक है मैं तुम्हारा इंतजार कर लूंगी। रोहन को आने में 9:00 बज चुके थे और तब तक मैं खाना बना चुकी थी क्योंकि रोहन और मैं ही घर पर अकेले थे हम दोनों ने जल्दी खाना खा लिया और हम लोगों ने सोने की तैयारी कर ली लेकिन मुझे नींद ही नहीं आ रही थी। मेरे दिमाग में सिर्फ यही चल रहा था कि काजल ने अब अपना काम शुरू कर लिया है तो क्या मुझे भी अपना कोई काम शुरू कर लेना चाहिए। मैंने जब रोहन को उठाया तो रोहन कहने लगे क्या हुआ राधिका तुमने मुझे उठा दिया मैंने रोहन से कहा रोहन मुझे तुमसे कुछ बात करनी थी रोहन कहने लगे हां कहो ना क्या बात करनी है। मैंने रोहन से कहा रोहन मैं तुमसे यह कहना चाहती हूं कि क्या मैं अपना कोई काम शुरू कर सकती हूं रोहन ने मुझे कहा लेकिन आज अचानक से तुमने मुझसे यह क्यों पूछा जरूर कोई ना कोई बात हुई होगी।

रोहन भी उठ चुके थे और मैंने रोहन से कहा रोहन आज मैं काजल से मिली थी तो वह कहने लगे अच्छा तो तुम आज काजल से मिली थी। मैंने उनसे कहा हां मैं आज काजल से मिली थी रोहन पूछने लगे काजल कैसी है मैंने रोहन से कहा काजल तो अच्छी है लेकिन मुझे तुमसे यही पूछना था कि क्या मैं कोई काम शुरू कर लूं। रोहन कहने लगे देखो राधिका यदि तुम्हें लगता है कि तुम्हें कोई काम शुरू करना चाहिए तो तुम कर लो लेकिन उसमें मैं तुम्हारी क्या मदद कर सकता हूं। मैंने रोहन से कहा रोहन मुझे कुछ पैसों की जरूरत पड़ेगी रोहन कहने लगे ठीक है तुम मुझसे पैसे ले लेना। मैं चाहती थी कि मैं भी काजल की तरह कुछ करूं और कुछ ही दिनों बाद काजल ने मुझे फोन किया और कहा कि तुम मेरे बुटीक के उद्घाटन में आ जाओ। काजल ने अपना बुटीक खोल लिया था और मैं जब उसके बुटीक में गई तो वहां पर उसने काफी सारे कपड़े और कुछ लोग काम पर भी रख लिए थे। मैंने काजल से कहा कि काजल मुझे भी तुम्हारी तरह बुटीक खोलना है और मुझे तुम्हारी मदद की जरूरत होगी काजल बोलने लगी क्यों नहीं तुम्हे जब भी मेरी जरूरत हो तो तुम मुझे बता देना। जब मैंने यह बात काजल से कही तो कहने लगी तुमने बहुत अच्छा सोचा जो तुम कुछ करने के बारे में सोच रही हो।

मैं भी अब अपने घर लौट चुकी थी और मैं बहुत खुश थी। कुछ समय तक तो मैंने राधिका के पास ही उसके बुटीक में काम किया और उसके बुटीक मैं जब मैं जाती थी तो वहां पर अक्सर एक व्यक्ति आ जाते थे उनका नाम पारस है। पारस जब भी वहां पर आते थे तो वह अपनी पत्नी के साथ आते थे उनकी पत्नी बहुत ही ज्यादा सुंदर और रूप की सुंदरी थी लेकिन फिर भी वह मुझे देखकर पता नहीं क्यों मुस्कुरा दिया करते थे। उनके चेहरे की मुस्कान बयां करती थी कि वह कुछ तो चाहते थे एक दिन उन्होने मेरा नंबर भी ले लिया। मेरा नंबर लेने के बाद उन्होंने मुझे फोन करना शुरू किया और हर रोज मुझे फोन किया करते थे। पहले तो मुझे उनसे बात करना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था लेकिन धीरे धीरे में उनसे बात करने लगी और मुझे उनसे बात करना अच्छा लगने लगा कुछ ही समय बाद जब मुझे इस बारे में पता चला कि उनके रिश्ते तो ना जाने कितने महिलाओ के साथ चल रहे हैं। मैं इस बात से थोड़ा घबरा गई लेकिन उन्होंने मुझे अपनी बातों में पूरी तरीके से फसा लिया था मैं उनकी बातों में आ चुकी थी इसीलिए तो मैं उनके साथ सेक्स संबंध बनाने के लिए राजी हो गई थी। मैंने उनके साथ सेक्स करने का मन बना लिया था पारस और मैं एक दिन उनके फ्लैट में चले गए उनके फ्लैट में कोई भी नहीं रहता था। मैंने पारस से पूछा आपके फ्लैट में कोई भी नहीं रहता है वह मुझे कहने लगे नहीं यहां पर कोई भी नहीं रहता है लेकिन वह तो मुझे चोदने के लिए लालायित थी और मुझे कहने लगे कि राधिका जी आप जल्दी से अपने कपड़े खोलो। मैं आपके लिए तड़प रहा हूं मैंने उनसे कहा 2 मिनट मुझे लंड को चूसने दीजिए लेकिन वह मेरी चूत मारने के लिए बेताब था। उन्होंने मुझे कहा मुझे आपकी चूत मारनी है मैंने भी उन्हें कहा कि जरा मुझे आप अपने लंड को तो दिखाइए। उन्होंने भी अपने मोटे लंड को बाहर निकाल लिया और मैंने उसे अपने हाथ में लेकर हिलाना शुरु किया।

मुझे बहुत अच्छा एहसास हो रहा था मैं लंड को अपने हाथ से हिलाने लगी काफी देर तक मैंने उनके लंड को अपने हाथ से हिलाया तो उनका लंड पूरी तरीके से तन कर खड़ा हो चुका था। मैंने जैसे ही उस पर अपनी जीभ का स्पर्श किया तो मुझे उनके लंड को अपने मुंह में लेने का मन हुआ और मैंने अपने मुंह के अंदर उनके लंड को ले लिया। मैंने जैसे ही पारस के लंड को अपने मुंह के अंदर समाया तो वह मुझे कहने लगे मुझे बड़ा अच्छा लग रहा है आप ऐसे ही मेरे लंड को मुंह के अंदर लेते रहिए। मैंने काफी देर तक उनके लंड का रसपान किया जिससे कि मेरे अंदर अब उत्तेजना जाग चुकी थी और मैं अपनी योनि में लंड लेने के लिए बेताब थी। जैसे ही मेरी योनि के अंदर पारस ने अपने मोटे लंड को प्रवेश करवाया तो मेरे मुंह से चीख निकाली मैं काफी तेजी से चिल्लाने लगी। मेरी योनि के अंदर पारस का मोटा लंड जा चुका था मेरी योनि में दर्द होने लगा था लेकिन वह अपने मोटे लंड को मेरी चूत के अंदर बाहर कर रहे थे।

जिससे कि मुझे बड़ा मजा आ रहा था मैंने अपने दोनों पैरों को खोल लिया था हम दोनों सेक्स का पूरा मजा ले रहे थे लेकिन जब मेरी योनि से पानी बाहर निकलने लगा तो हम दोनों ही उत्तेजित होने लगे। पारस कहने लगे मुझे बड़ा आनंद आ रहा है यह कहते ही उन्होंने मेरी योनि के अंदर अपने लंड को घुसाया मुझे उन्होंने घोड़ी बना दिया था। मेरे मुंह से बड़ी तेज चीख निकलने लगी और उसके साथ मेरी योनि के अंदर पारस का मोटा लंड जा चुका था। पारस का मोटा लंड जब मेरी चूत मे जा रहा था तो मैंने पारस से कहा थोड़ा आराम से करो। मैं पारस के लंड को अपनी योनि में ले रही थी और अपनी चूतडो कौ आगे पीछे कर रही थी। पारस भी तेज गति से धक्का देने लगे और मेरे मुंह से बहुत तेज आवाज निकलने लगी थी। मैं बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर पाई और कुछ ही क्षणों में पारस ने अपने वीर्य को मेरी योनि में गिरा दिया। कुछ दिनों बाद पारस में मुझे दोबारा से चोदा। अब मैंने अपना बुटीक भी शुरू कर लिया है मैं बहुत खुश हूं कि मेरी मदद रोहन ने की रोहन की वजह से ही मैं अपना बुटीक खोल पाई उन्होंने अपने पति होने का फर्ज भी तो निभाया है।
 
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