रास्ते में टाइट माल मेरे इंतजार में थी

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Antarvasna, hindi sex story: सुबह के 6:00 बजे मैं उठा, मेरी आंख जैसी ही खुली तो मैंने अपने कमरे की खिड़की को खोला और बाहर देखा तो बाहर बड़ा ही अच्छा नजारा था क्योंकि मौसम उस दिन बहुत सुहाना था मुझे तो ऐसा लग रहा था कि शायद बारिश भी होने वाली है। मैं अपने ऑफिस जाने की तैयारी करने लगा मैं अपने ऑफिस के लिए तैयार होकर निकला तो उस वक्त बारिश बहुत तेज होने लगी और जब बारिश होने लगी तो मेरी पत्नी का मुझे फोन आया और कहने लगी कि गौतम क्या आप आते वक्त बच्चों को भी स्कूल से ले आएंगे। मैंने अपनी पत्नी को कहा लेकिन मैं तो शाम के वक्त आऊंगा मेरी पत्नी मुझे कहने लगी कि बच्चे भी आज शाम को ही स्कूल से आएंगे क्योंकि उनके स्कूल में प्रोग्राम की तैयारी चल रही है इसलिए वह लोग भी स्कूल से शाम के वक्त ही लौटेंगे तो आप उन्हें स्कूल से ले आइएगा। मैंने अपनी पत्नी को कहा ठीक है मैं बच्चों को स्कूल से आते वक्त ले आऊंगा और मैं जब शाम के वक्त अपने ऑफिस से घर लौटा तो मैंने बच्चों को स्कूल से रिसीव कर लिया और मैं घर आ गया।

जैसे ही मैं घर पहुंचा तो मेरी पत्नी कहने लगी कि आज बारिश बहुत तेज हो रही है मैंने अपनी पत्नी से कहा हां बारिश तो आज बहुत तेज हो रही है और सुबह से ही आज बारिश रुकी ही नहीं है उससे सड़कों पर कई जगह जाम भी लगने लगा है। मैं घर पर ही था तो मेरी पत्नी मुझे कहने लगी कि गौतम मैं आपके लिए कुछ बना देती हूं मैंने अपनी पत्नी को कहा कि तुम मेरे लिए कुछ गरमा-गरम बना दो तो मेरी पत्नी ने कहा कि मैं आपके लिए अभी सैंडविच बना देती हूं। मुझे सैंडविच बड़े पसंद है तो मेरी पत्नी ने मेरे लिए सैंडविच बनाया मैं बच्चों और अपनी पत्नी के साथ ही था उनसे मैं बात कर रहा था कि तभी मेरे फोन पर मेरे मामा जी के लड़के आशीष का फोन आया। जब आशीष का फोन मुझे आया तो वह मुझे कहने लगा कि मैं बेंगलुरु आया हुआ हूं। मैंने आशीष को कहा तुम बेंगलुरु कब आए तो वह मुझे कहने लगा कि मैं आज ही तो बेंगलुरु पहुंचा हूं सोचा कि तुमसे भी मिल लेता हूं। मैंने आशीष को कहा तुम इस वक्त कहां रुके हो तो वह मुझे कहने लगा कि मैं तुम्हें अपना एड्रेस भेज देता हूं मैंने आशीष को कहा ठीक है तुम मुझे अपना एड्रेस भेज दो मैं तुम्हें लेने के लिए अभी आ रहा हूं।

आशीष कहने लगा कि लेकिन बारिश काफी हो रही है मैंने आशीष को कहा कोई बात नहीं मैं तुम्हें लेने के लिए अभी थोड़ी देर बाद घर से निकलता हूं। मैं आशीष को लेने के लिए घर से थोड़ी देर बाद निकला और जब मैं होटल पहुंचा तो आशीष से मेरी करीब दो वर्ष बाद मुलाकात हो रही थी आशीष से मिलकर मुझे अच्छा लगा। आशीष मुझे कहने लगा गौतम तुम तो बिल्कुल भी नहीं बदले हो मैंने आशीष को कहा तुम भी कहां बदले हो तुम भी तो पहले जैसे ही हो आशीष खुश हो गया और कहने लगा कि मैं अपने ऑफिस के काम के सिलसिले में यहां आया हुआ हूं। जब मुझे आशीष ने यह बात कही तो मैंने आशीष को कहा तुमने मुझे पहले फोन क्यों नहीं किया और तुम घर पर नहीं आ सकते थे तो आशीष कहने लगा कि मेरे साथ और लोग भी हैं इसलिए मैं होटल में ही रुका हूं। मैंने आशीष को कहा तुम अभी मेरे साथ चलो और हम लोग घर चल रहे हैं आशीष पहले तो मना करता रहा लेकिन मैं आशीष को अपने साथ घर ले आया। जब मैं आशीष को अपने घर पर लाया तो वह मुझे कहने लगा कि मैंने तो तुम्हें पहले ही मना कर दिया था मैं तुम्हारे साथ नहीं आना चाहता हूं मैंने आशीष को कहा तुम इतने साल बाद मिल रहे हो और तुम होटल में रुके हुए हो क्या यह अच्छी बात है। आशीष कहने लगा कि तुम्हें तो कंपनी के बारे में पता ही है हमारी कंपनी ने पहले ही होटल बुक कर लिया था जिस वजह से मुझे होटल में रुकना पड़ा और मेरे साथ में मेरे और स्टाफ के लोग भी हैं। मैं और आशीष आपस में बात कर रहे थे तो मेरी पत्नी ने कहा कि मैंने खाना बना दिया है उसके बाद हम लोगों ने साथ में डिनर किया। डिनर करते हुए मैं आशीष से मामा जी के बारे में पूछने लगा तो आशीष के पापा भी अब रिटायर हो चुके हैं और वह घर पर ही रहते हैं। मैंने आशीष को कहा मामा जी से मिले हुए भी बहुत समय हो चुका है और मामा जी से मिलने का मेरा बहुत मन होता है तो आशीष कहने लगा कि तुम कभी दिल्ली आ जाओ तो तुम पापा से भी मिल लेना और वैसे भी तुम्हें काफी साल हो गए हैं जब से तुम दिल्ली नहीं आए हो।

मैंने आशीष को कहा हां मुझे काफी वर्ष हो चुके हैं जब से मैं दिल्ली नहीं गया, आशीष मुझे कहने लगा कि तुम मुझे होटल में ही छोड़ दो। मैंने आशीष को कहा आज तुम घर पर ही रुक जाते तो अच्छा रहता लेकिन आशीष कहने लगा कि नहीं मुझे जाना पड़ेगा। मैं आशीष को अपने साथ होटल में ले गया जब हम लोग होटल में गए तो आशीष ने मुझे अपने ऑफिस के और स्टाफ से भी मिलवाया आशीष के साथ तीन-चार लोग और आए हुए थे उनकी कुछ जरूरी मीटिंग थी इस वजह से वह लोग आए हुए थे। आशीष मुझे कहने लगा की गौतम क्या कुछ देर तक तुम यहीं रुक सकते हो तो मैंने उसको कहा क्यों नहीं जरूर। मैं थोड़ी देर आशीष के साथ बैठा रहा और उसके जीवन के बारे में पूछने लगा कि आशीष तुम्हारी जिंदगी में सब कुछ ठीक तो है ना क्योंकि आशीष का डिवोर्स कुछ समय पहले ही हुआ है। अपने डिवोर्स से वह बहुत परेशान हो गया था जिस वजह से काफी समय तक वह मानसिक तनाव में था और अब जाकर आशीष पूरी तरीके से ठीक हो पाया है।

मैं नहीं चाहता था कि आशीष से मैं उसकी शादी के बारे में पूछूं लेकिन आशीष ने मुझे बताया कि उसके ऑफिस में एक लड़की काम करती है उससे वह बहुत जल्दी शादी करने वाला है। मैंने आशीष को कहा चलो यह तो बहुत खुशी की बात है कि तुम जल्दी शादी करने वाले हो मैंने आशीष को कहा देखो आशीष अपने जीवन में हमेशा आगे बढ़ना ही अच्छा होता है और तुम अपनी पुरानी यादों को भूलकर आगे की तरफ बढ़े हो इससे मुझे बहुत खुशी है कम से कम तुम अपनी पुरानी यादों को भूलकर आगे तो बड़े। आशीष कहने लगा गौतम तुम बिल्कुल ठीक कह रहे हो मैंने भी जब इस बारे में सोचा तो मैं अपने जीवन में आगे बढ़ गया और अब मैं अपनी लाइफ में खुश हूं। मैंने आशीष को कहा आशीष अब काफी समय हो चुका है और मुझे घर निकलना चाहिए तो आशीष कहने लगा कि ठीक है मैं तुमसे कल मुलाकात करूंगा। उसके बाद मैं वापस घर के लिए लौट आया मैं जब घर के लिए वापस लौटा तो रास्ते में मुझे एक लड़की दिखी उसने एक छोटी सी स्कर्ट पहनी हुई थी उसे देखकर मुझे अच्छा लगा और उसने भी मेरी गाड़ी को हाथ दी। मैंने भी तुरंत अपनी कार रोक ली और उसे अपनी कार में बैठा लिया जब वह कार में बैठी वह शराब के नशे में थी। मैंने उससे बात नहीं की लेकिन उसने ही जब मुझसे बात करनी शुरू की और अपना परिचय मुझे दिया मैंने उस से हाथ मिलाते हुए कहा मेरा नाम गौतम है उसने भी मुझे अपना नाम बता दिया था उसका नाम आकांक्षा है। आकांक्षा मेरी तरफ देख रही थी मैंने भी आकांक्षा की तरफ देखा हम दोनों काफी देर तक एक दूसरे से बात करते रहे मुझे क्या पता था आकांक्षा को मेरे साथ सेक्स करना है। जब आंकक्षा ने मेरे लंड को दबाना शुरू किया तो मैं पूरी तरीके से उत्तेजित होने लगा मैंने आकांक्षा की चूत को सहलाना शुरू किया मैंने उसकी स्कर्ट को थोड़ा सा ऊपर किया तो उसकी चूत पर मेरी उंगली लगने लगी।

आकांक्षा ने मेरे लंड को बाहर निकाला उसने अपने मुंह के अंदर लेकर उसे सकिंग करना शुरू किया जिस प्रकार से वह मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूस रही थी मैं बहुत ज्यादा खुश हो गया था। मैंने भी उसकी पैंटी को उतारते हुए उसकी चूत के अंदर अपने उंगली को घुसाया जैसे ही उसकी चूत के अंदर मेरी उंगली गई तो मैंने अपने लंड को उसकी चूत के अंदर डालना शुरू किया मेरा लंड उसकी चूत में नहीं जा रहा था। मैंने कार को एक पेड़ के किनारे रोककर आकांक्षा को कहा हम लोग नीचे उतर कर सेक्स करते हैं मैंने उसे घोड़ी बनाया तो उसकी चूत के अंदर मैंने जैसे ही अपने लंड को डालना शुरू किया तो वह चिल्लाने लगी। मेरा लंड आकांक्षा की चूत के अंदर चला गया था जिस प्रकार से आकांक्षा की चूत मार कर मजा आ रहा था उस से आकांक्षा को बहुत मजा आ रहा था। मैंने तो कभी कल्पना भी नहीं की थी मुझे रास्ते में ही ऐसा टाइट माल मिल जाएगा आकांक्षा की बड़ी चूतड़ों पर जब मैं प्रहार करता तो मुझे बहुत मजा आता मैं काफी देर तक उसकी चूतडो पर प्रहार करता रहा।

जब मेरा लंड आकांक्षा की चूत के अंदर बाहर होता तो उसे बड़ा मजा आता और वह अपनी चूतड़ों को मुझसे मिलाती। मुझे नहीं पता था मैं ज्यादा देर तक आकांक्षा की टाइट चूत का मजा नहीं ले पाऊंगा लेकिन उसके गोरे बदन और उसकी चूत का मजा मैंने जिस प्रकार से लिया उससे मुझे बहुत मजा आया मेरा वीर्य पतन बाहर की तरफ को होने वाला था। मैं अपने आपको बिल्कुल भी रोक नहीं पा रहा था आकांक्षा ने भी मेरे लंड को अपने मुंह में ले लिया और उसने मेरे लंड को बहुत देर तक चूसा जिस प्रकार आकांक्षा ने मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसा उससे मेरा लंड पूरी तरीके से तन कर खड़ा हो चुका था। मेरा वीर्य गिरने वाला था मैंने आकांक्षा को कहा मुझे लगता है मेरा वीर्य बाहर गिरने वाला है। आकांक्षा मुझे कहने लगी तुम अपने वीर्य को मेरे मुंह में गिरा दो मैंने अपने वीर्य को आकांक्षा के मुंह के अंदर गिराया उसने सब अंदर ही समा लिया। आकांक्षा को मैंने उसके घर छोड़ा और उसका नंबर भी ले ली रास्ते में जिस प्रकार से मुझे आंकाक्षा मिली मैंने कभी सोचा नहीं था।
 
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