तो आज मैं आजाद लेके आ गया हूं देसी आंटी की झन्नाटेदार चूत की कहानी का वाकया लेकर। तो वो आंटी हमारे सरकारी रेलवे फ़्लैट के बगल वाले क्वार्टर में रहती थीं और उनके हसबैंड थे टी-टी मतलब की टिकट चेकर। खुद तो जनाब बही खाता लेकर चले जाते थे रेलवे में टिकट चेक करने और इधर आंटी की बुर को चेक करने वाला कोई नहीं रहता था। अब आंटी करें तो क्या करें, कोई ना कोई तरीका तो निकालना ही था चूत की प्यास बुझाने का। मैं उनदिनों इंजिनीयरिंग तीसरे साल में था और ठंड के दिनों में बाहर लान में बैठ कर धूप खा रहा था कि सामने आंटी को सब्जी वाले से बात करते देख लिया। वो सब्जी लेकर आंटी के साथ अंदर घुसा और फ़िर एक घंटे तक वो अंदर ही रह गया। मैंने समझ लिया अंदर में आंटी की अकेली मदहोश जवानी की तरकारी छन रही है। साली की चूत तो वैसे ही ककड़ी खीरे जैसी रसदार होगी और गांड थी तरबूज जैसी तो सब्जी वाला आज उसके यहा से थोक में उसकी हुस्न की हरी सब्ज्जी खरिद रहा था। सोच के ही मेरे लंड का दनदनाता हुआ सुपाड़ा सख्त कसैले जैसा हो गया। अब मौका था बस घुस जाने का नहिं तो रेड हैँड पकड़ के चोदने में वो मजा आता है कि बस मैं खड़ा हो गया।
दरवाजा अंदर से चिपका हुआ था, मैने धीरे से धक्का दिया तो खुल गया। सीधा आंटी के बेड रुम में जाकर दरवाजे के पास खड़ा होकर मैंने अंदाजा लगाया। धीरे से झांका तो अंदर आंटी की गांड में बैंग़न घुसाये हुए वह उसे पलंग पर बिठा टांगों को खोले चोद रहा था। आंटी कह रही थी, साले हराम के पैसे लेते हो, तुमसे अच्छा तो वो धोबी ही चोदता था, और पैसे भी कम लेता था। मैंने बस समझ लिया कि यही इंट्री मारनी है। बस मैंने धक्का देते हुए दरवाजा खोला और चिल्लाया क्या बे साले हराम के रामू बहनचोद!! साले सब्जी बेचता है कि मुहल्ले की मां बहन चोदता है और पास पड़ी हाकी उठा ली। साले ने फ़क्क से चूत से लंड खीच लिया और अपना धोती ठीक करने लगा। आव देखा ना ताव दरवाजा खोल बाहर चला गया। आंटी अवाक थी और मैंने जाके उसकी गांड का बैगन बाहर निकाला। और बोला जाने बहार गरमा गरम गाँड वाली देसी आंटी रानी, आपको चुदवाने का इतना शौक है तो थोड़ा स्टेटस का ख्याल रखतीं।
वो कातर नजरों से मुझे देख रही थी मैंने कहा लो अब मुझे भी दो नहीं तो सबको बता दूंगा और सबसे पहले अंकल को। वो हाथ जोड़ने लगी और बोली बेटा तुम लेलो इससे अच्छा क्या हो सकता है लेकिन किसी से कहना मत!! मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसके मुह के सामने घुमा के फ़टकार दिया। वह खुश होगयी और अपनी चूत को खोल के बैठ गयी। चूत तो पहले से गीली थी उसकी, बस लंड डाल कर मैंने धकियाना शुरु किया और वह चिचियाने और कराहना जारी रख रही थी। थोड़ी देर में उसकी पहले से चुदी बुर से पिचकारी निकल गयी तो मैंने उसकी गांड का रुख किया। धक्के मार मार के उसकी गांड का प्लेटफ़ार्म चबूतरा बना डाला और फ़िर अपना वीर्य उसकी छेद में छोड़ दिया। माल बह के बाहर आने लगा। बस हो गयी गांड में मलाई। देसी आंटी की हुई चुदाई!!
दरवाजा अंदर से चिपका हुआ था, मैने धीरे से धक्का दिया तो खुल गया। सीधा आंटी के बेड रुम में जाकर दरवाजे के पास खड़ा होकर मैंने अंदाजा लगाया। धीरे से झांका तो अंदर आंटी की गांड में बैंग़न घुसाये हुए वह उसे पलंग पर बिठा टांगों को खोले चोद रहा था। आंटी कह रही थी, साले हराम के पैसे लेते हो, तुमसे अच्छा तो वो धोबी ही चोदता था, और पैसे भी कम लेता था। मैंने बस समझ लिया कि यही इंट्री मारनी है। बस मैंने धक्का देते हुए दरवाजा खोला और चिल्लाया क्या बे साले हराम के रामू बहनचोद!! साले सब्जी बेचता है कि मुहल्ले की मां बहन चोदता है और पास पड़ी हाकी उठा ली। साले ने फ़क्क से चूत से लंड खीच लिया और अपना धोती ठीक करने लगा। आव देखा ना ताव दरवाजा खोल बाहर चला गया। आंटी अवाक थी और मैंने जाके उसकी गांड का बैगन बाहर निकाला। और बोला जाने बहार गरमा गरम गाँड वाली देसी आंटी रानी, आपको चुदवाने का इतना शौक है तो थोड़ा स्टेटस का ख्याल रखतीं।
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