लंड पर साली का फुट्जाब : देसी पैर मैथुन [भाग-1]

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लंड को नयी माल की तलाश : खूबसूरत बीबी ढीली पड़ी।

हेलो दोस्तों कैसे हैं आप, उम्मीद है आप और आपके लंड स्वस्थ होंगे। आज मैं आपके लिए लेके आया हूं मेरी और मेरी साली की कहानी। जी हां, मेरा नाम है आजाद और मैं रहने वाला हूं यूपी सुल्तानपुर का। मेरी ससुराल है बगल में ही लखनउ शहर में और आप तो जानते ही हैं कि लखनउ नवाबों का शहर है। वहां की नफासत और रवायत के किस्से बहुत मसहूर हैं।

तो बता दूं कि मेरी बीबी आयशा एक निहायत ही शरीफ, पतिव्रता और खूबसूरत बीबी है। उसकी साईज छत्तीस, तीस और छ्त्तीस की है और रंग है मखमली मक्खन जैसा। उसकी हर अदा इतनी भोली भाली है कि आज शादी के पांच साल बाद भी वह अठरह की लौंडिया दिखती है। इस प्रकार से मैने उसको चोद चोद के उसकी चूत और गांड के कस बल ढीले कर दिये हैं और मुझे अब उसको चोदने में बिल्कुल ही मजा नहीं आता लेकिन क्या करें, मजबूरी का नाम सत्याग्रह।

लंड को चाहिए थी एक ऐसी नयी चूत जिसमें गांड का आफर फ्री हो, ऐसी दमदार चूंचियां जो एक पर एक फ्री हों और ऐसा बदन जिसमें जहां चाहो रस ही रस हो और अगर वैसी कोई हसीना मेरी नजर में थी तो वो थी अपनी ही साली - रीमा।

जी हां रीमा, आयशा से पांच साल छोटी, बमुश्किल अठरहवां साल, और एक दम खिलती कली। मैं जानता था कि मेरी सीधी साधी ससुराल वाले उसकी शादी जल्दि ही कर देंगे और मैं अपना लंड लिए मलता रह जाउंगा। इसलिए मुझे कुछ तो करना था उसके लिए।

मैंने ससुराल जाने का प्लान बनाया, वो भी अकेले। आयशा को बोला कि लखनउ में कुछ आफिशियल काम है, आज जाउंगा और अगर देर हो गयी तो ससुराल चला जाउंगा। सीधी सादी, मेरी बीबी इस राज को क्या जाने। मैं सीधा ससुराल ही गया। रीमा को ग्रेजुएशन में एडमिशन लेना था तो उसके साथ हम बाइक से कालेज गये, एडमिशन का सारा कोरम पूरा कराके मैं उसको बाइक पर बिठा कर कालेज से एक रेस्टरां ले गया। सच तो ये है कि जब वो बाइक पर बैठी थी, तो मैं जानबूझ कर पुराना मंजनूओं वाला नुस्खा लगा रहा था। जान बूझ कर ब्रेक मार मार कर उसकी नुकीली चूंचियों की धार को अपने पीठ पर महसूस करना एक अलग बात थी।

हम दोनों खाना खजाना रेस्टूरेंट पहुंचे। रीमा को कहा कि आओ लंच कर लेते हैं, बहुत देर हो गयी, घर पर खाना ठंडा हो चला होगा और साली साहिबा के साथ लंच का मौका तो मिले।

वो बोली " बिल्कुल जीजू और चल दी आगे आगे। पीछे खड़ा मैं उसकी मटकती पतली गांड को देख रहा था। अहा, कितनी रसीली होगी यह गांड्।

हम दोनों रेस्टरां में एक केबिन में बैठ गये। हल्का अंधेरा और हल्के म्यूजिक वाला यह रेस्टरां सिर्फ कपल्स के लिए बना था, और जान बूझ कर मैं उसे लाया था यहां पर। यहां बैठने पर माहोल रोमांटिक हो जाता है। केबिन तीन तरफ से घिरा है और सिर्फ एक तरफ से वेटर के आने के लिए दरवाजा है, जहा से वो आर्डर वगैरह लेता है, उसमें भी एक पर्दा लगा होता है। चोदने की ठीक ठाक व्यवस्था कहूंगा मैं इसे अगर आपके लंड में दम है और आप पब्लिक प्लेस पर चोद सकते हैं तो।

टेबल क्लाथ के नीचे लंड को साली ने सहलाया, वेटर को पता चला।

इस रेस्टरां में लंबे टेबल क्लाथ आपको टेबल के अंदर लंड के साथ कुछ भी छेड़खानी करने की इजाजत देते हैं। मैने रीमा को अपने सामने बैठाया और फिर मस्त बातें करने लगा। मैने देखा, उसकी आंखों में हिरनी जैसा भय दिख रहा था, पर वो आश्वस्त थी, वो भय और लाल डोरे दोनों ही थे। वो यहां होने का मतलब जान रही थी। मैने उसके हाथ को पकड़ के कहा - क्या तुम ठीक हो, तो वो बोली हां जीजू।

अब मैने दो सूप आर्डर किये और उसके हाथों को अपने हाथों में पकड़ कर सहलाने लगा। वो सामान्य थी और मेरा साथ दे रही थी। उसे अच्छा लग रहा था, पर अचानक वो बोली " जीजू अगर दीदी को पता चला तो, कि हम सब् यहां आए थे और मस्ती की?"

मैने कहा रानी कुछ पता नहीं चलने का, उसकी तो गांड और चूत मैने पहले ही ढीली कर दी है। सुन कर वो शर्मा गयी, और अपने पैरों से मेरे पैरों को टच करने लगी।

मुझे मजा आ रहा था, मैने अपना लंड खींच के बाहर निकाला और रीमा का सैंडल खोल कर उसका पैर उठा कर अपने लंड पर रख दिया। वो अपने पैरों से मेरे लंड को छेड़ने लगी। अब मुझे असाधारण मजा आ रहा था। उस्ने दोनों पैरों से मेरे लंड को छेड़ना शुरु कर दिया। वो एक देसी पैर मैथुन था। हस्त मैथुन तो सब ने सुना होगा, पर मेरी साली का यह एक नया प्रयोग था

उसने दोनों मुलायम तलवों के बीच लंड को फांस लिया था और अब जोरदार पकड़ के साथ आगे पीछे उपर नीचे कर रही थी। उफ्फ, ये मजा तो हद था, बेहद पसंद था मुझे। मैं मारे आनंद के मरा जा रहा था कि वेटर आया, सर आपका आर्डर रेडी है। मैंने कहा रख दो। टेबल के नीचे रीमा के पैर मेरे लंड पर जमे रहे, वो मेरे सामने बैठी थी इसलिए मुझे कोई दिक्कत न थी। वेटर भी जानता था कि यहां का माहोल गरमा रहा है तो वो जल्दी ही चला गया।

अब मैने उसके पैरों को अपने हाथों से पकड़ कर अपने लंड पर उनकी पकड़ और भी मजबूत बना दी। वो मेरा साथ दे रही थी, पैर उपर नीचे करते करते, उसने आधे घंटे तक मुझे इस नायाब पैर मैथुन का मजा दिया। इसे अंगरेज फुट जाब भी कहते हैं दोस्तों पर मेरा ये पहला अनुभव था। आखिर में उसने तेजी से पैरों को मेरे लंड पर रगड़ते हुए मुझे झड़ा दिया। मेरा वीर्य पिचकारी मारते हुए टेबल की छत, उसके पैर और टेबल क्लाथ को भिगोता चला गया।

मैने अब रीमा के चूंचे मसलने शुरु किये और अपने पैरों से उसके सलवार के पास चूत के उपर ले जाकर उसको कहा कि अपनी चूत मेरे पैर के सामने करे। उसने पैंटी सरकाई, और अपनी नंगी चूत टेबल के नीचे करके मेरे पैरों को उसके करीब ले गयी। अब मैं उसकी झांटदार चूत को अपने पैरों से सहला रहा था और अपने अंगूठे को उसकी चूत की फांकों में फिसला रहा था। वो आह्ह उह्ह उफ्फ कर रही थी और टेबल के उपर से उसके चूंचे दबा रहा था। पंद्रह मिनट तक उसे फुट जाब देने के बाद वो भी पिचकारी मारकर गीली हो गयी, और हम दोनों ने जल्दी से लंच फिनिश किया और घर की तरफ रवाना हुए। इस बार रीमा मेरे कमर में हाथ डालकर आराम से चूंचे से मेरी पीठ छेदते हुए चिपक के गर्लफ्रेंड की तरह बैठी थी। विस्त्तृत चुदाई और लंड के आशनाई को साली से बांटते देखने के लिए पढें इस कहानी का अगला भाग।
 
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