Antarvasna, hindi sex story: मैं अपने जॉब के सिलसिले में आयरलैंड चला गया मेरी कंपनी ने मुझे आयरलैंड भेज दिया था और वहीं पर मैं अब रहने वाला था। मुझे करीब एक साल हो चुका था और एक साल में बहुत कुछ चीजें पीछे छूट गई थी शायद वह समय वापस ला पाना बहुत ही मुश्किल था लेकिन मुझे अपनी जॉब तो करनी ही थी। घर में पिताजी छोटे भाई राजन के भरोसे थे और मैं विदेश में अपनी नौकरी कर रहा था मैं हर रोज इसी चिंता में रहता की मां और बाबूजी कैसे होंगे मैं उन्हें फोन कर दिया करता था। वह लोग बहुत ही खुश थे और राजन भी उनकी देखभाल अच्छे से कर रहा था राजन भी अपना कॉलेज ही कर रहा था और मैंने राजन से कहा तुम्हारा कॉलेज तो ठीक चल रहा है ना।
राजन मुझे कहता हां भैया मेरा कॉलेज ठीक चल रहा है मैंने राजेंद्र से कहा कॉलेज पूरा करने के बाद तुमने अपने भविष्य के बारे में क्या कुछ सोचा है वह मुझसे कहने लगा हां भैया मैंने आगे एमबीए करने के बारे में सोचा है। मैंने राजन से कहा चलो ठीक है तुम्हें यदि मेरी कोई भी मदद की आवश्यकता हो तो तुम मुझे बता देना राजन कहने लगा जी भैया मैं आपको जरूर बता दूंगा। मैंने अपना फोन रख दिया था आयरलैंड में कुछ दोस्त मेरे इतने करीब आ गए थे कि उन लोगों से मैं अपनी हर बात शेयर किया करता हूं। मेरे दोस्त मुझे कहने लगे कि तुम अब शादी कर लो लेकिन मैंने शादी के बारे में कुछ सोचा नहीं था मैं चाहता था कि जिस दिन पिताजी शादी के लिए कहे उसी समय मैं शादी करूं। अब वह घड़ी आ गई थी जब मैं घर वापस जाने वाला था। मैंने कुछ समय के लिए छुट्टी ले ली थी और मैं अपने घर जाने की उत्सुकता में बहुत खुश था इतने समय बाद मैं अपने घर जा रहा था इसलिए मैंने राजन और अपने मम्मी पापा के लिए ढेरों सामान खरीद लिया था। मैं जब घर पहुंचा तो मेरे मम्मी पापा मुझसे मिलकर बहुत खुश हुए और राजन भी बहुत खुश था वह कहने लगा भैया इतने समय बाद आपको देख रहा हूं तो बहुत अच्छा लग रहा है। मैंने राजन से कहा हां तुम बिल्कुल ठीक कह रहे हो मैं भी तो तुम लोगों से इतने समय बाद मिल रहा हूं और विदेश में आखिरकार वह अपनापन कहां मिल पाता है।
मेरी मां तो मुझे देखकर इतनी खुश थी कि वह मुझे कहने लगी बेटा तुम अब यहीं रहो। मैंने अपनी मां से कहा मां लेकिन इतनी अच्छी नौकरी मैं छोड़ भी तो नहीं सकता आपको तो पता ही होगा कि आयरलैंड जाने के लिए हमारे ऑफिस से लोग कितनी सिफारिश लगाते हैं लेकिन उसके बावजूद भी वह लोग जा नहीं पाते वह तो मेरी किस्मत अच्छी थी कि मैं आयरलैंड चला गया और अब मैं अच्छे से काम भी कर रहा हूं मुझे वहां प्रमोशन भी मिल चुका है। मां कहने लगी क्या तुम्हारा वहां प्रमोशन हो गया है मैंने मां से कहा हां मां मेरा प्रमोशन हो चुका है। तभी पिताजी कह उठे अब तुम्हारा प्रमोशन हो गया है तो तुम्हारे लिए क्या हम कोई लड़की ढूंढ ले। मैंने भी पिताजी से कहा हां पिताजी आप देख लीजिए यदि आपको ऐसा लगता है की मुझे शादी कर लेनी चाहिए तो आप मेरे लिए लड़की देख लीजिए। पिताजी इस बात से बहुत खुश थे आखिरकार मैं शादी के लिए मान ही गया था और वह मुझे कहने लगे तुम्हारे लिए ना जाने कितने रिश्ते आए थे लेकिन मैंने सब को मना कर दिया था और सब से मैं यही कहता कि तुम अभी शादी के लिए तैयार नहीं हो लेकिन तुम्हारी इस बात से मैं बहुत खुश हूं। पिताजी ने मेरे लिए लड़की देख ली थी मैंने जब सुनिधि को पहली बार देखा तो वह मुझे बहुत अच्छी लगी मुझे जैसी संस्कारी और सुंदर लड़की चाहिए थी सुनिधि बिलकुल वैसी थी। मैं कुछ समय के लिए ही घर पर था तो पिताजी चाहते थे कि जल्दी से मेरी सगाई हो जाए और उन्होंने सुनिधि के पिता जी से कहकर हम दोनों की सगाई करवा दी। अब हम दोनों की शादी का समय नजदीक आ चुका था लेकिन किसी को क्या मालूम था कि इतनी बड़ी अनहोनी होने वाली है। मेरी सगाई तो हो चुकी थी लेकिन उसके कुछ ही दिनों बाद मेरी मां की तबीयत बहुत खराब रहने लगी और अचानक से ही उनकी तबीयत बिगड़ गई।
हम लोग उन्हें अस्पताल लेकर गए तो डॉक्टर ने जब हमें पूरी खबर सुनाई तो हम लोग जैसे सदमें से बाहर ही नहीं आ पाए डॉक्टर ने कहा कि तुम्हारी मां को कैंसर हो चुका है और अब शायद वह बच ना पाए। पिताजी ने तो जैसे अपने हाथ पैर ही छोड़ दिए थे और उन्हें इस बात का इतना सदमा लगा की वह अच्छे से खा भी नहीं रहे थे। हम लोग अपनी मां को तो घर ले आये लेकिन दिन-रात यही चिंता सताती रहती थी की अब वह कैसे ठीक होंगे लेकिन वह ठीक तो हो ही नहीं सकती थी और कुछ ही समय बाद उनकी मृत्यु हो गई। मेरी शादी सुनिधि से भी नहीं हो पाई और मेरी छुट्टियां भी अब खत्म होने वाली थी मुझे अपने काम पर लौटना था लेकिन पिताजी की जिम्मेदारी मैंने राजन को सौंप दी। वह कहने लगा भैया आप अपने काम पर ध्यान दीजिए मैं पिताजी की देखभाल कर लूंगा। मैं आयरलैंड वापस चला गया मेरे सामने मेरी मां का चेहरा हमेशा घूमता रहता था और मैं सोचता की काश मेरी मां अभी जिंदा होती तो मेरी शादी होते हुए भी देखती लेकिन होनी को आखिर कौन टाल सकता है। यह भला हमारे बस में कहां था सब कुछ अचानक से ही हुआ मैं राजन को हर रोज फोन किया करता और पिताजी की खबर लेता। एक दिन मुझे राजन ने बताया कि चाचा चाची घर पर आए हुए थे और चाची तो अपने मगरमच्छ के आंसू बहा रही थी मैं तो कुछ समझ ही नहीं पाया की भला चाचा और चाची कैसे पिताजी से मिलने के लिए आ गए क्योंकि वह लोग बिना स्वार्थ के कभी भी कहीं नहीं जाते।
राजन ने मुझे बताया कि चाची तो चाहते हैं कि वही अब पिताजी की देखभाल करें और चाचा जी भी यही कह रहे थे लेकिन मैंने तो साफ तौर पर मना कर दिया। मैंने राजन से कहा तुमने बिलकुल ठीक किया चाचा और चाची बिल्कुल भी अपने कहने लायक नहीं है उन्होंने हमेशा ही पिताजी को धोखा दिया है। पहले भी चाचा जी ने ना जाने पिताजी से कितनी बार पैसे ले लिए होंगे लेकिन आज तक उन्होंने कभी वह पैसे नहीं लौटाए। वह हमेशा ही अपने स्वार्थ को आगे कर के घर पर आ जाते हैं मैं तो इस बात से बहुत ही ज्यादा परेशान था लेकिन राजेंद्र ने कहा कि भैया आप चिंता ना करें मैं सब कुछ संभाल लूंगा। मेरी बात सुनिधि से भी होती रहती थी मैं और सुनिधि हमेशा फोन पर बात किया करते थे। मुझे कुछ समय के लिए दोबारा छुट्टी मिल चुकी थी और मैं चाहता था कि मैं शादी कर लूं ताकि सुनिधि पिताजी की देखभाल कर सकें और इसी के चलते मैं कुछ समय के लिए घर आ गया। मैं जब घर पहुंचा तो राजन ने मुझे कहा कि भैया मेरा कॉलेज पूरा हो चुका है और मैं चाहता हूं कि मै अपने आगे की पढ़ाई किसी अच्छे कॉलेज से करूं। मैंने राजन से कहा ठीक है तुम देख लो तुम्हें जहां अच्छा लगता है तुम वहां से पढ़ाई कर लो इसी बीच मेरे और सुनिधि की शादी का दिन तय हो गया। सुनिधि के साथ मेरी शादी का दिन तय हो चुका था और हम दोनों की शादी हो गई। जब हम दोनों की शादी की पहली रात थी तो उस दिन मैं और सनिधि दोनों ही एक कमरे में एक ही बिस्तर पर थे लेकिन हम दोनों ही एक दूसरे से बात नहीं कर पा रहे थे। हम दोनों को ही एक-दूसरे से नजरें मिलाने में शरम महसूस हो रही थी परंतु मुझे ही अपने हाथ को आगे बढ़ाना पड़ा और अपने हाथ को आगे बढ़ाते हुए मैंने सुनिधि के हाथों को पकड़ लिया और उसे अपनी और खींचा तो वह मेरी बाहों में आ गई थी।
जब वह मेरी बाहों में आई तो मैंने सुनिधि के लाल होठों को अपने होंठो में लेते हुए चूसना शुरू किया तो उसे बड़ा अच्छा लगने लगा और मुझे भी बड़ा आनंद आता। काफी देर तक हम दोनों एक दूसरे के होठों को किस करते रहे। सुनिधि के बदन से मैंने उसके कपड़े उतारने शुरू किए तो वह मेरी तरफ देख रही थी लेकिन मुझे बड़ा ही अच्छा लग रहा था मैंने जब उसके स्तनों को अपने हाथों से दबाया तो वह उत्तेजित होने लगी थी। मैंने जैसे ही उसके स्तनों को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू किया तो उसे मजा आने लगा। वह मुझे कहने लगी मुझे बहुत अच्छा लग रहा है मैंने सुनिधि से कहा मुझे तुम्हारे स्तनों को अपने मुंह में लेने में बड़ा आनंद आ रहा है लेकिन उसके चेहरे पर अब भी वही शर्म थी। मैंने जब उसकी चूत पर अपनी जीभ को लगाया तो उसके मुंह से चीख निकली और उसने अपने दोनों हाथों से अपने मुंह को ढक लिया। मैं उसकी फीलिंग को समझ सकता था क्योंकि यह उसकी पहली ही रात थी और मैंने तो ना जाने कितनी लड़कियों के साथ इससे पहले संभोग कर लिया था परंतु सुनिधि कि यह पहली रात थी।
जब उसकी चूत से पानी बाहर तेजी से निकलने लगा तो मैंने अपने लंड को सुनिधि की योनि के अंदर प्रवेश करवा दिया और जैसे ही मेरा लंड सुनिधि की योनि के अंदर घुसा तो वह चिल्ला उठी और मुझे कहने लगी मुझे बड़ा दर्द हो रहा है। उसकी योनि से खून निकलने लगा और उसकी सील भी टूट चुकी थी उसकी सील के टूटते ही उसकी वर्जिनिटी खत्म हो गई थी और वह मेरी बाहों में आ चुकी थी और आखिरकार मैंने भी उसके साथ संभोग का जमकर आनंद लिया। जब मैं उसे तेज गति से धक्का मारता तो वह अपने दोनों पैरों को चौड़ा करते हुए मुझे कहती मुझे बड़ा दर्द हो रहा है। जब मैं उसे तीव्र गति से धक्के मार रहा था तो उसके मुंह से तेज चीख निकल रही थी और उसी के साथ वह मुझसे लिपटने की कोशिश करती लेकिन मुझे तो उसे छोड़ने का मन हो ही नहीं रहा था। मुझे ऐसा लगता जैसे मैं उसे सिर्फ धक्के ही मारता रहूं और मै उसे काफी देर तक धक्के मारता रहा लेकिन जैसे ही मैंने अपने वीर्य को सुनिधि की योनि के अंदर प्रवेश करवाया तो वह मुझे कहने लगी तुमने तो मेरी हालत ही खराब कर दी। मैंने उसे कहा यह हम दोनों की पहली रात है।
राजन मुझे कहता हां भैया मेरा कॉलेज ठीक चल रहा है मैंने राजेंद्र से कहा कॉलेज पूरा करने के बाद तुमने अपने भविष्य के बारे में क्या कुछ सोचा है वह मुझसे कहने लगा हां भैया मैंने आगे एमबीए करने के बारे में सोचा है। मैंने राजन से कहा चलो ठीक है तुम्हें यदि मेरी कोई भी मदद की आवश्यकता हो तो तुम मुझे बता देना राजन कहने लगा जी भैया मैं आपको जरूर बता दूंगा। मैंने अपना फोन रख दिया था आयरलैंड में कुछ दोस्त मेरे इतने करीब आ गए थे कि उन लोगों से मैं अपनी हर बात शेयर किया करता हूं। मेरे दोस्त मुझे कहने लगे कि तुम अब शादी कर लो लेकिन मैंने शादी के बारे में कुछ सोचा नहीं था मैं चाहता था कि जिस दिन पिताजी शादी के लिए कहे उसी समय मैं शादी करूं। अब वह घड़ी आ गई थी जब मैं घर वापस जाने वाला था। मैंने कुछ समय के लिए छुट्टी ले ली थी और मैं अपने घर जाने की उत्सुकता में बहुत खुश था इतने समय बाद मैं अपने घर जा रहा था इसलिए मैंने राजन और अपने मम्मी पापा के लिए ढेरों सामान खरीद लिया था। मैं जब घर पहुंचा तो मेरे मम्मी पापा मुझसे मिलकर बहुत खुश हुए और राजन भी बहुत खुश था वह कहने लगा भैया इतने समय बाद आपको देख रहा हूं तो बहुत अच्छा लग रहा है। मैंने राजन से कहा हां तुम बिल्कुल ठीक कह रहे हो मैं भी तो तुम लोगों से इतने समय बाद मिल रहा हूं और विदेश में आखिरकार वह अपनापन कहां मिल पाता है।
मेरी मां तो मुझे देखकर इतनी खुश थी कि वह मुझे कहने लगी बेटा तुम अब यहीं रहो। मैंने अपनी मां से कहा मां लेकिन इतनी अच्छी नौकरी मैं छोड़ भी तो नहीं सकता आपको तो पता ही होगा कि आयरलैंड जाने के लिए हमारे ऑफिस से लोग कितनी सिफारिश लगाते हैं लेकिन उसके बावजूद भी वह लोग जा नहीं पाते वह तो मेरी किस्मत अच्छी थी कि मैं आयरलैंड चला गया और अब मैं अच्छे से काम भी कर रहा हूं मुझे वहां प्रमोशन भी मिल चुका है। मां कहने लगी क्या तुम्हारा वहां प्रमोशन हो गया है मैंने मां से कहा हां मां मेरा प्रमोशन हो चुका है। तभी पिताजी कह उठे अब तुम्हारा प्रमोशन हो गया है तो तुम्हारे लिए क्या हम कोई लड़की ढूंढ ले। मैंने भी पिताजी से कहा हां पिताजी आप देख लीजिए यदि आपको ऐसा लगता है की मुझे शादी कर लेनी चाहिए तो आप मेरे लिए लड़की देख लीजिए। पिताजी इस बात से बहुत खुश थे आखिरकार मैं शादी के लिए मान ही गया था और वह मुझे कहने लगे तुम्हारे लिए ना जाने कितने रिश्ते आए थे लेकिन मैंने सब को मना कर दिया था और सब से मैं यही कहता कि तुम अभी शादी के लिए तैयार नहीं हो लेकिन तुम्हारी इस बात से मैं बहुत खुश हूं। पिताजी ने मेरे लिए लड़की देख ली थी मैंने जब सुनिधि को पहली बार देखा तो वह मुझे बहुत अच्छी लगी मुझे जैसी संस्कारी और सुंदर लड़की चाहिए थी सुनिधि बिलकुल वैसी थी। मैं कुछ समय के लिए ही घर पर था तो पिताजी चाहते थे कि जल्दी से मेरी सगाई हो जाए और उन्होंने सुनिधि के पिता जी से कहकर हम दोनों की सगाई करवा दी। अब हम दोनों की शादी का समय नजदीक आ चुका था लेकिन किसी को क्या मालूम था कि इतनी बड़ी अनहोनी होने वाली है। मेरी सगाई तो हो चुकी थी लेकिन उसके कुछ ही दिनों बाद मेरी मां की तबीयत बहुत खराब रहने लगी और अचानक से ही उनकी तबीयत बिगड़ गई।
हम लोग उन्हें अस्पताल लेकर गए तो डॉक्टर ने जब हमें पूरी खबर सुनाई तो हम लोग जैसे सदमें से बाहर ही नहीं आ पाए डॉक्टर ने कहा कि तुम्हारी मां को कैंसर हो चुका है और अब शायद वह बच ना पाए। पिताजी ने तो जैसे अपने हाथ पैर ही छोड़ दिए थे और उन्हें इस बात का इतना सदमा लगा की वह अच्छे से खा भी नहीं रहे थे। हम लोग अपनी मां को तो घर ले आये लेकिन दिन-रात यही चिंता सताती रहती थी की अब वह कैसे ठीक होंगे लेकिन वह ठीक तो हो ही नहीं सकती थी और कुछ ही समय बाद उनकी मृत्यु हो गई। मेरी शादी सुनिधि से भी नहीं हो पाई और मेरी छुट्टियां भी अब खत्म होने वाली थी मुझे अपने काम पर लौटना था लेकिन पिताजी की जिम्मेदारी मैंने राजन को सौंप दी। वह कहने लगा भैया आप अपने काम पर ध्यान दीजिए मैं पिताजी की देखभाल कर लूंगा। मैं आयरलैंड वापस चला गया मेरे सामने मेरी मां का चेहरा हमेशा घूमता रहता था और मैं सोचता की काश मेरी मां अभी जिंदा होती तो मेरी शादी होते हुए भी देखती लेकिन होनी को आखिर कौन टाल सकता है। यह भला हमारे बस में कहां था सब कुछ अचानक से ही हुआ मैं राजन को हर रोज फोन किया करता और पिताजी की खबर लेता। एक दिन मुझे राजन ने बताया कि चाचा चाची घर पर आए हुए थे और चाची तो अपने मगरमच्छ के आंसू बहा रही थी मैं तो कुछ समझ ही नहीं पाया की भला चाचा और चाची कैसे पिताजी से मिलने के लिए आ गए क्योंकि वह लोग बिना स्वार्थ के कभी भी कहीं नहीं जाते।
राजन ने मुझे बताया कि चाची तो चाहते हैं कि वही अब पिताजी की देखभाल करें और चाचा जी भी यही कह रहे थे लेकिन मैंने तो साफ तौर पर मना कर दिया। मैंने राजन से कहा तुमने बिलकुल ठीक किया चाचा और चाची बिल्कुल भी अपने कहने लायक नहीं है उन्होंने हमेशा ही पिताजी को धोखा दिया है। पहले भी चाचा जी ने ना जाने पिताजी से कितनी बार पैसे ले लिए होंगे लेकिन आज तक उन्होंने कभी वह पैसे नहीं लौटाए। वह हमेशा ही अपने स्वार्थ को आगे कर के घर पर आ जाते हैं मैं तो इस बात से बहुत ही ज्यादा परेशान था लेकिन राजेंद्र ने कहा कि भैया आप चिंता ना करें मैं सब कुछ संभाल लूंगा। मेरी बात सुनिधि से भी होती रहती थी मैं और सुनिधि हमेशा फोन पर बात किया करते थे। मुझे कुछ समय के लिए दोबारा छुट्टी मिल चुकी थी और मैं चाहता था कि मैं शादी कर लूं ताकि सुनिधि पिताजी की देखभाल कर सकें और इसी के चलते मैं कुछ समय के लिए घर आ गया। मैं जब घर पहुंचा तो राजन ने मुझे कहा कि भैया मेरा कॉलेज पूरा हो चुका है और मैं चाहता हूं कि मै अपने आगे की पढ़ाई किसी अच्छे कॉलेज से करूं। मैंने राजन से कहा ठीक है तुम देख लो तुम्हें जहां अच्छा लगता है तुम वहां से पढ़ाई कर लो इसी बीच मेरे और सुनिधि की शादी का दिन तय हो गया। सुनिधि के साथ मेरी शादी का दिन तय हो चुका था और हम दोनों की शादी हो गई। जब हम दोनों की शादी की पहली रात थी तो उस दिन मैं और सनिधि दोनों ही एक कमरे में एक ही बिस्तर पर थे लेकिन हम दोनों ही एक दूसरे से बात नहीं कर पा रहे थे। हम दोनों को ही एक-दूसरे से नजरें मिलाने में शरम महसूस हो रही थी परंतु मुझे ही अपने हाथ को आगे बढ़ाना पड़ा और अपने हाथ को आगे बढ़ाते हुए मैंने सुनिधि के हाथों को पकड़ लिया और उसे अपनी और खींचा तो वह मेरी बाहों में आ गई थी।
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जब उसकी चूत से पानी बाहर तेजी से निकलने लगा तो मैंने अपने लंड को सुनिधि की योनि के अंदर प्रवेश करवा दिया और जैसे ही मेरा लंड सुनिधि की योनि के अंदर घुसा तो वह चिल्ला उठी और मुझे कहने लगी मुझे बड़ा दर्द हो रहा है। उसकी योनि से खून निकलने लगा और उसकी सील भी टूट चुकी थी उसकी सील के टूटते ही उसकी वर्जिनिटी खत्म हो गई थी और वह मेरी बाहों में आ चुकी थी और आखिरकार मैंने भी उसके साथ संभोग का जमकर आनंद लिया। जब मैं उसे तेज गति से धक्का मारता तो वह अपने दोनों पैरों को चौड़ा करते हुए मुझे कहती मुझे बड़ा दर्द हो रहा है। जब मैं उसे तीव्र गति से धक्के मार रहा था तो उसके मुंह से तेज चीख निकल रही थी और उसी के साथ वह मुझसे लिपटने की कोशिश करती लेकिन मुझे तो उसे छोड़ने का मन हो ही नहीं रहा था। मुझे ऐसा लगता जैसे मैं उसे सिर्फ धक्के ही मारता रहूं और मै उसे काफी देर तक धक्के मारता रहा लेकिन जैसे ही मैंने अपने वीर्य को सुनिधि की योनि के अंदर प्रवेश करवाया तो वह मुझे कहने लगी तुमने तो मेरी हालत ही खराब कर दी। मैंने उसे कहा यह हम दोनों की पहली रात है।