सुहानी की चूत की चिकनाई

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Desi kahani, antarvasna: जब मेरे कॉलेज की पढ़ाई पूरी हो गई तो मैं घर पर ही था पापा ने मुझसे कहा कि रोहन बेटा तुम अपने लिए कोई नौकरी क्यों नहीं ढूंढ रहे। मैंने पापा से कहा कि हां पापा मैं अपने लिए जॉब ढूंढ लूंगा। मुझे करीब 6 महीने हो चुके थे मैं घर पर ही था और मुझे घर पर बिलकुल अच्छा नहीं लगता था मैं घर पर अकेले ही रहता था और घर पर मैं काफी बोर भी हो जाया करता था। मेरे काफी दोस्तों की जॉब भी लग चुकी थी और मैं चाहता था कि मेरी भी जॉब जल्द से लग जाए। मेरी नौकरी लग नहीं पाई थी मैं इस बात से परेशान होने लगा मैं बहुत ही ज्यादा परेशान हो चुका था लेकिन जल्द ही मेरी जॉब एक कंपनी में लग गई और मैं वहां पर जॉब करने लगा।

मेरी फैमिली भी इस बात से खुश थी और मैं भी काफी खुश था कि मेरी नौकरी लग चुकी है मैं अब ज्यादा बिजी रहने लगा था इसलिए मुझे बिल्कुल भी समय नहीं मिल पाता था। एक दिन हम लोगों को किसी फंक्शन में जाना था उस दिन मेरा पूरा परिवार मेरे साथ था मेरी छोटी बहन राधिका भी उस दिन मेरे साथ ही थी। हम लोग उस फंक्शन में गए तो राधिका की सहेली सुहानी भी हमे उस फंक्शन में मिली। मैं पहली बार ही सुहानी से मिला था लेकिन राधिका ने जब मेरा परिचय सुहानी से करवाया तो मुझे सुहानी से मिलकर अच्छा लगा।

हालांकि सुहानी से मेरी ज्यादा बात तो नहीं हो पाई थी लेकिन मुझे सुहानी काफी पसंद आई थी। मैं राधिका से सुहानी के बारे में जानना चाहता था कुछ दिन तो मैं सुहानी के बारे में राधिका से पूछा करता था और राधिका मुझे उसके बारे में सब कुछ बताती। एक सुहानी हमारे घर पर आई हुई थी उस दिन मुझे अपने ऑफिस जाना था लेकिन मैंने अपने ऑफिस से छुट्टी लेली और मैं चाहता था कि सुहानी के साथ मैं बातें कर सकूं। उस दिन मैंने अपने ऑफिस से छुट्टी ले ली और मेरी भी बात उस दिन सुहानी से काफी देर तक हुई और मुझे सुहानी काफी पसंद आने लगी।

मैं सुहानी को कहीं ना कहीं दिल से चाहने लगा था लेकिन मैं उसे अपने दिल की बात कहने में हिचकिचा रहा था और मैं सुहानी को कुछ भी नहीं कह पाया था। जब कुछ दिनों बाद सुहानी मुझे मिली तो उसने मुझे बताया कि उसकी नौकरी लग चुकी है और वह सारा दिन बिजी ही रहती थी इसलिए मेरी उससे मुलाकात भी नहीं हो पाती थी। मेरे पास सुहानी का नंबर नहीं था मैं चाहता था कि सुहानी का नंबर मैं ले लूँ।

एक दिन मैं ऑफिस से घर लौट रहा था तो सुहानी भी हमारे घर पर ही आ रही थी वह राधिका से मिलने के लिए आ रही थी। सुहानी जब राधिका से मिलने के लिए आ रही थी तो मैंने भी उस दिन सुहानी से उसका नंबर ले लिया। मेरे पास अब सुहानी का नंबर आ चुका था और मैं चाहता था कि मैं उससे बातें करता रहूं। उसके बाद तो मैं सुहानी से फोन पर बातें किया करता था। पहले तो हम लोगों की फोन पर इतनी बात नहीं होती थी लेकिन अब हम लोगों की फोन पर काफी बातें होने लगी थी और मुझे भी बहुत ही अच्छा लगने लगा था जब मैं सुहानी से फोन पर बात किया करता। हम लोगो की फोन पर काफी ज्यादा बातें होने लगी थी।

मुझे अपने ऑफिस के काम के सिलसिले में कुछ दिनों के लिए बाहर जाना था तो उस वक्त मेरी सुहानी से फोन पर बात नहीं हो पाई। सुहानी का फोन मुझे आया तो मैंने उसे कॉल बैक किया और उसे मैंने बताया कि मैं कुछ दिनों के लिए मुंबई आया हुआ हूं वहां से मैं दो-चार दिन में वापस लौटूंगा। सुहानी को मुझसे कुछ जरूरी काम था और वह मुझसे मिलना चाहती थी मैं जब मुंबई से वापस लौटा तो मैं सुहानी को मिला। उस दिन सुहानी और मैं साथ में हीं थे मैंने सुहानी को कहा कि सुहानी क्या तुम्हें कुछ काम था। सुहानी ने मुझे बताया कि वह जिस कंपनी में जॉब करती थी वहां से उसने जॉब छोड़ दी है और वह अब दूसरी जॉब के लिए ट्राई कर रही है। सुहानी कहने लगी कि क्या इसमे तुम मेरी कोई मदद कर सकते हो।

जब सुहानी ने मुझसे यह बात कही तो मैंने सुहानी को कहा कि हां मैं तुम्हारी मदद जरूर करूंगा और मैं सुहानी की मदद करना चाहता था। मैंने कुछ ही दिनों बाद सुहानी की जॉब अपने ही ऑफिस में लगवा दी क्योंकि मैं जिस कंपनी में जॉब करने लगा था वहां पर मुझे अब काफी समय भी हो चुका था और सुहानी की जॉब मेरी ही कंपनी में लग चुकी थी।

सुहानी भी बहुत ज्यादा खुश थी और मैं तो बहुत ही ज्यादा खुश था क्योंकि सुहानी के साथ मुझे कुछ समय बिताने का मौका मिल जाया करता था। जब भी मैं सुहानी के साथ में होता तो हम दोनों काफी अच्छा समय साथ में बिताया करते हम लोग ज्यादातर समय साथ में ही बिताने लगे थे।

अब मुझे भी लगने लगा था कि वह समय नजदीक आ चुका है जब मुझे सुहानी को अपने दिल की बात कह देनी चाहिए और मैंने सुहानी को अपने दिल की बात कहने का फैसला कर लिया। मैंने सुहानी को प्रपोज किया तो सुहानी भी मना ना कर सकी और वह बड़ी खुश थी क्योंकि सुहानी को यह बात पहले से ही मालूम थी कि मैं सुहानी को दिल ही दिल चाहता हूं और अब हम दोनों का रिलेशन चलने लगा था। हम दोनों एक दूसरे को डेट करने लगे थे और मुझे सुहानी के साथ बहुत ही अच्छा लगता है।

एक दिन हम दोनों साथ में डिनर पर गए हुए थे उस दिन हम दोनों ने साथ में काफी अच्छा टाइम स्पेंड किया और फिर मैंने सुहानी को घर छोड़ दिया था। अब हम दोनों के रिलेशन को भी काफी समय हो चुका था यह बात मेरी छोटी बहन राधिका को भी मालूम चल चुकी थी कि हम दोनों एक दूसरे को डेट कर रहे हैं क्योंकि सुहानी ने उसे इस बारे में बता दिया था। मै एक दिन सुहानी के घर पर जाता हूं।

सुहानी और मैं साथ में ही बैठे हुए थे। सुहानी के घर पर कोई भी नहीं था सुहानी और मैं साथ में बातें कर रहे थे। जब हम दोनों बातें कर रहे थे सुहानी ने मुझे कहा रोहन मैं तुम्हारे लिए चाय बना देती हूं। मैंने सुहानी को कहा नहीं रहने दो मैं चाय नहीं पीऊंगा तुम मेरे लिए कॉफी बना दो। सुहानी ने मेरे लिए कॉफी बना दी। वह मेरे लिए कॉफी बनाने लगी मैं भी किचन में चला गया।

हम दोनों किचन में थे मैं सुहानी को देख रहा था मैंने सुहानी के हाथों को पकड़ लिया था जब मैंने उसके हाथ को पकड़ा तो वह मुझे कहने लगी तुम यह क्या कर रहे हो? उसने मेरी तरफ बडी ही प्यार भरी नजरों से देखा मेरा दिल उसे अपनी बाहों में लेने के लिए तैयार था। मैंने उसे अपनी बाहों में ले लिया जब मैंने उसे बाहों में लिया तो मैं उसके गुलाबी होठों को चूमने लगा। उसके गुलाबी होठों को चूमकर मुझे बड़ा ही अच्छा लग रहा था और वह बहुत ज्यादा गर्म होने लगी थी। हम दोनों बिल्कुल भी रह नहीं पा रहे थे ना तो मुझसे रहा गया ना ही सुहानी अपने आपको रोक पा रही थी। हम दोनों बहुत ही ज्यादा गरम हो चुके थे।

मैंने सुहानी को कहा मुझे बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा है सुहानी और मैं एक दूसरे की गर्मी को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे शायद यही वजह थी हम दोनों रह नहीं पाए और जब मैंने सुहानी के कपड़ों को खोला तो उसके स्तनों को देखकर मै और भी ज्यादा गर्म होता चला गया़ मेरी गर्मी बढ़ने लगी थी सुहानी भी गरम हो चुकी थी। मैंने उसके स्तनो पर अपने हाथ को रखा तो वह गरम हो रही थी। सुहानी बहुत ज्यादा गर्म होती चली गई उसकी गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ रही थी।

वह मुझे कहने लगी मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है मैने सुहानी की पैंटी को नीचे उतारा और उसकी चूत पर अपनी उंगली को रगडना शुरू किया। सुहानी मुझे कहने लगी कॉफी पियोगे या नहीं? मैं इस बात पर मुस्कुराने लगा मैने गैस को बंद कर दिया था। मै सुहानी को अपनी बाहों में लेकर रूम में आ चुका था वहां पर मैं सुहानी को बिस्तर पर लेटा चुका था। सुहानी का बदन मेरे सामने था मै उसकी चूत को चाटना चाहता था।

मैने उसके पैरों को खोल कर जब उसकी योनि पर अपनी जीभ के स्पर्श किया तो मुझे अच्छा लग रहा था और उसकी कोमल चूत को चाटकर मुझे बड़ा मजा आने लगा था जिस तरीके से मैं उसकी चूत का मजा ले रहा था उस से वह बहुत ही ज्यादा खुश हो गई थी मै भी बड़ा खुश था। हम दोनों साथ में सेक्स का मजा लेना चाहते थे मैंने जैसे ही उसकी योनि के अंदर अपने लंड को डाला तो वह बहुत जोर से चिल्ला कर बोली मेरी योनि में दर्द होने लगा है।

मैं उसे बहुत तेजी से चोदने लगा था। जब मैं उसे धक्के मार रहा था तो उसकी चीख बढ़ती जा रही थी। मेरा लंड उसकी चूत की दीवार से टकराने लगा था। मैंने उसके दोनों पैरों को अपने कंधों पर रख लिया था मुझे मजा आने लगा था और उसे भी बड़ा मजा आ रहा था जिस तरीके से वह मेरा साथ दे रही थी। हम दोनों पूरी तरीके से गर्म होते जा रहे थे अब हमारी गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ने लगी थी। मैंने उसे कहा मैं तुम्हारी चूत के अंदर अपने लंड को डालना चाहता हूं।

वह मेरा साथ अच्छे से दे रही थी क्योंकि सुहानी की चूत की चिकनाई बढ़ने लगी थी इसलिए मुझे मजा आने लगा था और सुहानी को भी बड़ा मजा आ रहा था जिस तरीके से वह मेरा साथ दे रही थी। हम दोनों ने एक दूसरे के साथ काफी देर तक सेक्स किया अब मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आने लगा था जब मैं और सुहानी एक दूसरे के साथ में सेक्स का मजा ले रहे थे। मेरा वीर्य बाहर आने वाला था जैसे ही मेरा वीर्य सुहानी की चूत में गिरा तो वह खुश हो गई और मैं भी बहुत ज्यादा खुश था जिस तरीके से हमने सेक्स किया था।
 
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