सेक्स की भूख गज़ब होती है

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Kamukta, antarvasna मैं और माधुरी साथ में ही काम करते हैं मैं जिस हॉस्पिटल में काम करता हूं उसी हॉस्पिटल में माधुरी भी काम करती है माधुरी और मैं बहुत अच्छे दोस्त हैं माधुरी का घर भी मेरे पड़ोस में ही है। हम दोनों सुबह साथ में हीं जाया करते हैं और शाम के वक्त साथ में ही घर आते हैं लेकिन कभी मेरी नाइट शिफ्ट में ड्यूटी होती है तो उस वक्त मैं माधुरी से नहीं मिल पाता था मैं और माधुरी जब पहली बार मिले थे तो हम दोनों बिल्कुल भी बात नहीं किया करते थे लेकिन धीरे-धीरे हम दोनों के बीच बातें होने लगी और अब मुझे माधुरी के साथ बात करना अच्छा लगता है। मैं जब भी माधुरी से बात करता तो मुझे ऐसा लगता कि जैसे वह मुझे बहुत ही अच्छे तरीके से समझती है। हम दोनों के बीच दोस्ती थी हमारे साथ जितने भी लोग काम करते थे वह सब लोग कहते थे कि तुम दोनों के बीच जरूर कुछ चल रहा है लेकिन मैंने कभी भी माधुरी के बारे में ऐसा नहीं सोचा और ना ही मैंने कभी अपने दिल या दिमाग में माधुरी के लिए ऐसा ख्याल पैदा किया हम दोनों बस एक अच्छे दोस्त है जो कि एक दूसरे को बहुत अच्छे से समझते थे।

माधुरी मुझे बहुत ही अच्छे से समझती थी इसलिए शायद वह मेरे सबसे ज्यादा करीब थी जब भी मुझे कुछ जरूरत होती तो माधुरी हमेशा मेरा साथ देती। कुछ ही दिनों बाद माधुरी का बर्थडे आने वाला था माधुरी ने मुझे कहा मैं ज्यादा लोगों को तो घर पर नहीं बुला रही हूं लेकिन तुम्हें घर पर जरुर आना है और मेरे कुछ फैमिली मेंबर ही होंगे। माधुरी मेरे बहुत ज्यादा नजदीक है इसलिए वह कभी भी मुझसे कोई चीज नहीं छुपाया करती थी हम दोनों कभी एक दूसरे से कुछ भी बात नही छुपाते थे इसी वजह से हम दोनों शायद एक दूसरे के ज्यादा नजदीक थे और मुसीबत के समय में माधुरी मेरे बहुत काम आती है। एक बार मेरी बहन की शादी के समय माधुरी ने मुझे पैसे दिए थे वह हमेशा ही मेरी मदद के लिए आगे रहती है। मैं माधुरी के बर्थडे में उसके घर पर गया उस दिन पहली बार ही मैं उसके घर पर गया था उससे पहले मैं कभी भी माधुरी के घर नहीं गया था जब माधुरी ने मुझे अपने मम्मी पापा से मिलाया तो उनसे मिलकर मुझे बहुत अच्छा लगा वह लोग बहुत ही सीधे-साधे हैं।

उसके पापा बैंक में जॉब करते हैं माधुरी और उसकी बहन जुड़वा है मुझे यह बात नहीं पता थी उन दोनों की शक्ल बिल्कुल एक जैसी ही थी। मैंने जब उन दोनों को देखा तो मैं पहचान ही नहीं पाया की उनमे से माधुरी कौन है मैंने जब उसके पापा से पूछा कि इनमें से माधुरी कौन है तो वह कहने लगे कि वह माधुरी है। उन्होंने माधुरी को अपने पास बुलाया मैंने माधुरी से कहा यार मैं तो तुम्हे और तुम्हारी बहन में बिल्कुल नहीं अंतर नहीं कर पा रहा हूं मुझे तो ऐसा लग रहा है कि जैसे तुम दोनों की शक्ल बिल्कुल एक जैसी है। जब मैंने माधुरी से यह बात कही तो वह कहने लगी हम लोगों को बहुत कम लोग ही पहचान पाते हैं मैंने माधुरी से पूछा तुम्हारी बहन क्या करती है वह कहने लगी कुछ नहीं करती घर पर ही रहती है और घर में मम्मी के साथ घर का काम संभालती है। हालांकि माधुरी हमारे घर से कुछ दूरी पर ही रहती थी लेकिन मुझे उसके घर के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं था क्योंकि जिस तरफ उसका घर था उस तरफ मेरा कभी आना जाना ही नहीं होता था। मैंने माधुरी को गिफ्ट दिया और उसके बाद मैं वहां से चला आया मैं ज्यादा देर तक माधुरी के घर पर नहीं रुका। अगले दिन माधुरी मुझे हॉस्पिटल में मिली तो वह कहने लगी कल तुम ज्यादा देर तक हमारे घर पर नहीं रुके मैंने उसे कहा तुम्हारे मेहमान आए हुए थे तो मैंने सोचा मैं घर चले जाता हूं। मेरा ज्यादा देर तक रुकना ठीक नहीं था क्योंकि सब लोग पूछते कि यह लड़का कौन है इसलिए मैंने सोचा कि मैं घर चले जाता हूं माधुरी कहने लगी ऐसी कोई बात नहीं है। उसी शाम हम लोग घर लौट रहे थे तो रास्ते में मेरी बाइक का टायर पंचर हो गया। मैंने माधुरी से कहा यार मेरी बाइक का टायर पंचर हो गया है यहीं आसपास में कहीं पंचर लगवा देते हैं लेकिन वहां कोई पंचर वाला नहीं था इसलिए मुझे अपनी बाइक को धक्का देते हुए करीब एक किलोमीटर आगे तक आना पड़ा तब जाकर मुझे एक पंचर वाला मिला। मैंने उससे अपनी बाइक के टायर में पंचर लगाया और फिर हम लोग घर आ गए उस दिन मुझे बहुत ज्यादा गहरी नींद आई और मैं सो गया।

अगले दिन मैंने देखा कि ऑफिस जाने में सिर्फ आधा घंटा ही बचा हैं तभी माधुरी का फोन आया वह कहने लगी मैं कब से तुम्हें फोन कर रही हूं तुम फोन ही नहीं उठा रहे हो। मैंने उसे कहा दरअसल मेरी आंख लग गई थी और मैं बस कुछ देर पहले ही उठ रहा हूं तो मैंने सोचा मैं तुम्हें फोन करुं लेकिन तब तक तुम्हारा फोन मुझे आ गया। माधुरी कहने लगी जल्दी से तुम तैयार हो जाओ मैं तो तैयार बैठी हूं मैंने माधुरी से कहा बस मैं 10 मिनट में तैयार हो जाता हूं। मैं जल्दी से तैयार हुआ और माधुरी के घर चला गया मैंने उसे वहां से रिसीव किया और उसके बाद मैं और माधुरी अस्पताल चले आए। एक दिन हमारे ऑफिस के स्टाफ में से एक लड़के ने मुझे कहा यार तुम दोनों के बीच में जरूर कोई चक्कर चल रहा है। मैंने उसे कहा ऐसा कुछ नहीं है ना जाने ऑफिस में कितने लोग हमें इस बारे में कहते हैं लेकिन मैंने कभी भी माधुरी के बारे में ऐसा नहीं सोचा। वह मुझे कहने लगा लेकिन तुम तो माधुरी के सबसे ज्यादा नजदीक हो और तुम क्या एक दूसरे से प्यार नहीं करते? मैंने उसे कहा नहीं ऐसा नहीं है। वह लड़का कुछ समय पहले ही हॉस्पिटल में आया था और उसे कुछ ही समय जॉब करते हुए हुआ था। माधुरी को जब मैंने यह बात बताई तो वह कहने लगी मैंने तुम्हारे बारे में कभी ऐसा नहीं सोचा मैंने माधुरी से कहा मैंने भी कभी तुम्हारे बारे में ऐसा नहीं सोचा लेकिन मुझे क्या पता था हमारे बीच में प्यार हो जाएगा।

जब हम दोनों के बीच प्यार हो गया तो अब मैं माधुरी के बिना एक पल भी नहीं रह सकता था जिस दिन भी वह काम पर नहीं आती तो मुझे बड़ा ही अजीब सा महसूस होता और मेरा मूड भी उस दिन ठीक नहीं रहता। मैंने माधुरी से कहा यार जिस दिन तुम मुझे दिखती नहीं हो उस दिन मुझे बड़ा ही अजीब सा महसूस होता है और मुझे ऐसा लगता है जैसे कि मेरे जीवन में कुछ कमी है। वह मुझे कहने लगी इतना प्यार करना भी अच्छा नहीं है तुम अपने काम पर ध्यान दो मैंने उसे कहा मैं तो अपने काम पर ही ध्यान दे रहा हूं लेकिन तुमसे मिले बिना भी मुझे बड़ा ही अजीब सा महसूस होता है। माधुरी मुझे कहने लगी मुझे भी ऐसा ही लगता है जिस दिन मेरी तुमसे बात नहीं होती या तुम से नहीं मिलती तो मुझे भी बहुत अजीब महसूस होता है। हमारे रिलेशन की खबर हमारे स्टाफ में सबको पता चल चुकी थी और सब लोग हमें अब चिढ़ाया करते थे सब कहते की तुम दोनों जल्दी शादी कर लो लेकिन हम दोनों का शादी कर पाना इतना आसान भी नहीं था क्योंकि मैं कुछ समय और चाहता था और माधुरी को भी कुछ समय और चाहिए था। माधुरी ने यह बात अपनी बहन को भी बता दी थी और कभी-कबार मेरी बात उसकी बहन से भी हो जाया करती थी हमारा रिलेशन भी बहुत अच्छे से चल रहा था और हम दोनों एक दूसरे को समय दिया करते थे। माधुरी से मेरी फोन पर तो बात होती ही रहती थी वह मुझे मिल भी जाती थी। जब भी हम दोनों मिलते तो एक दूसरे को हमें देखकर जवानी का जोश पैदा हो जाता मैं कभी कभार माधुरी को चोरी छुपे किस कर लिया करता था।

एक दिन हॉस्पिटल में ही मेरे अंदर इतना जोश बढ गया कि मैंने माधुरी से कहा हम लोग बाथरूम में चलते हैं मैं उसे हॉस्पिटल के ही बाथरूम में ले गया और वहां पर मैंने उसके होठों को चूमना शुरू किया। हम दोनो आपे से बाहर हो चुके थे मैं भी अपने कंट्रोल से पूरी तरीके से बाहर हो चुका था मैंने जैसे ही माधुरी की योनि को अपनी उंगली से सहलाना शुरू किया तो वह मचलने लगी मैं बड़ी तेजी से उसकी योनि के अंदर उंगली डाल रहा था उसकी योनि से गिला पदार्थ बाहर निकलने लगा लेकिन उसकी योनि से हल्का खून भी निकल रहा था। मैंने जैसे ही उसकी योनि के अंदर अपने लंड को घुसाया तो वह चिल्ला उठी और कहने लगी मुझसे बर्दाश्त नहीं होगा लेकिन मैं उसे तेजी से धक्के मारता रहा। मैं जब उसे धक्के देता तो उसे भी बहुत मजा आता वह मेरा साथ अच्छी तरीके से दे रही थी मुझे बहुत मजा आ रहा था।

मैंने भी माधुरी को बहुत देर तक चोदा उसकी टाइट चूत की गर्मी को मैं ज्यादा समय तक बर्दाश्त ना कर सका और मेरा वीर्य पतन हो गया हम दोनों ने जल्दी से अपने कपड़े पहने और अपनी ड्यूटी पर आ गए। माधुरी मुझे कहने लगी मुझे बहुत दर्द हो रहा है मैंने उसे कहा कोई बात नहीं माधुरी सब कुछ ठीक हो जाएगा लेकिन वह बहुत घबराई हुई थी। उसके अगले दिन मेरा मन उसे देख कर मचलने लगा और मैं उसे दोबारा से बाथरूम में लेकर गया वहां पर मैंने उसे घोड़ी बनाकर दोबारा चोदना शुरू किया उसकी योनि से अगले दिन भी खून निकलने लगा। मैं उसे बड़ी तेज गति से धक्के मार रहा था मैंने उस दिन उसके साथ 5 मिनट तक संभोग किया और 5 मिनट बाद जैसे ही मेरा वीर्य पतन हुआ तो वह कहने लगी तुमने तो मेरी चूत ही फाड़ दी। हम दोनों अपने कपड़े पहन कर बाहर चले आए जब भी मेरा मन होता तो मैं माधुरी को हॉस्पिटल में चोदा करता था एक दिन मैंने उसे अपने घर पर बुला कर भी चोदा था। हम दोनों के बीच में प्यार तो बढ़ता ही जा रहा था लेकिन मुझे कई बार लगता कि शायद माधुरी और मैं एक दूसरे से सेक्स कर के ही खुश रहते है।
 
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