Antarvasna, kamukta मैं राजस्थान के एक छोटे से गांव से अपनी शुरुआत करता हूं मैं राजस्थान के एक छोटे से गांव का रहने वाला हूं लेकिन हमारे गांव में कोई भी रोजगार नहीं है इसलिए मैं रोजगार के सिलसिले में जयपुर चला गया मैं जब जयपुर गया तो वहां पर कुछ समय मैंने एक दुकान में काम किया लेकिन मुझे लगा कि शायद मैं इस दुकान में ज्यादा समय तक काम नहीं कर सकता इसलिए मैंने कुछ समय बाद ही उस दुकान से काम छोड़ दिया, पर मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था की मुझे क्या करना चाहिए। मुझे जयपुर में करीब दो साल हो चुके थे मैं ज्यादा पढ़ा लिखा भी नहीं था इसलिए मुझे कोई काम मिल ही नहीं रहा था तब तक उस वक्त मेरी मुलाकात एक व्यक्ति से हो गयी उन्होंने मुझे कहा तुम मेरे साथ मुंबई चलो मुझे नहीं पता कि उनका क्या स्वार्थ था वह मुझे मुंबई ले गए और उन्होंने मुझे कुछ दिन अपने पास रुकवाया उन्होंने मेरे खाने और रहने की सारी व्यवस्था कर दी थी, मेरे पास सिर्फ काम को लेकर टेंशन थी तो उन्होंने मुझे अपने काम पर लगा दिया उनका प्रॉपर्टी का काम था और उनका काम बड़ा ही अच्छा चलता था।
उन्होंने मुझे कहा तुम जब यह काम सीख जाओगे तो तुम भी अच्छा कमाने लगोगे लेकिन तुम्हें इसके लिए बहुत मेहनत करनी पड़ेगी, मैं बहुत ज्यादा मेहनत करने लगा और धीरे-धीरे मैं भी प्रॉपर्टी का काम सीख चुका था मैं ज्यादा पढ़ा लिखा तो नहीं था पर फिर भी मैं अच्छे से काम करता रहा। जो व्यक्ति मुझे अपने साथ लाए थे वह भी मुझसे बहुत खुश थे वह कहते की मैंने तुम्हें उसी वक्त पहचान लिया था जब मैंने तुम्हें देखा था तुम्हारे अंदर काम करने की काबिलियत थी और तुमने यह साबित भी कर दिया कि तुम बड़े ही अच्छे से काम कर सकते हो। मैं बहुत खुश था क्योंकि मेरे पास सब कुछ था मैंने अपना एक घर भी ले लिया था और इतने कम समय में मुंबई में घर ले पाना शायद बहुत मुश्किल था कई लोग तो सपने ही देखते रह जाते हैं कि मुंबई में अपना घर लेंगे लेकिन ले ही नहीं पाते है।
मेरा मुंबई में घर था तो मैंने अपने भाइयों को भी मुंबई बुला लिया मेरा छोटा भाई भी कुछ काम करता नहीं था और मेरे बड़े वाले भैया का भी काम कुछ ठीक नहीं चल रहा था इसलिए मैंने दोनों को अपने पास बुला लिया और उन दोनों के लिए भी मैंने एक दुकान खोल कर दे दी वह दुकान अच्छी चलने लगी थी और उन दोनों का भी खर्चा वहां से निकल जाया करता क्योंकि मेरे बड़े भैया की शादी हो चुकी थी इसलिए उसके ऊपर काफी जिम्मेदारी थी, वह दोनों दुकान से अपना खर्चा निकाल लिया करते और मैं पूरी तरीके से प्रॉपर्टी का काम किया करता। मैं जिनके साथ काम किया करता था एक दिन उनके साथ मेरी अनबन हो गई और मैंने उन्हें कहा कि मैं अब आपके साथ आगे काम नहीं कर सकता उसी दिन उन्होंने मुझे काम से निकाल दिया और कहा कि तुमने मेरे साथ धोखा किया लेकिन मैंने उनके साथ कोई भी धोखा नहीं किया था उन्होंने ही उस दिन मुझे एक डील कैंसिल होने पर बहुत ज्यादा डाटा जिससे कि मुझे भी लगा कि उन्होंने मुझे गलत तरीके से डांटा मैं बहुत ज्यादा गुस्सा हो गया और मैंने भी उन्हें पलट कर जवाब दे दिया और मैंने उनके यहां से काम छोड़ दिया था। मैं कुछ दिनों तक तो आपने भाइयों के साथ दुकान पर ही रहता लेकिन मुझे तो सिर्फ प्रॉपर्टी का ही काम आता था इसलिए मैंने दोबारा से काम शुरू कर दिया और अपना ही एक छोटा सा ऑफिस ले लिया मैं छोटे-मोटे डील किया करता जिससे कि मुझे थोड़ा बहुत कमीशन मिल जाता और मेरा खर्चा निकल जाता लेकिन मैं चाहता था कि अब मैं बड़ी डील करूं और उसके लिए मैं अब बड़े डील करने लगा मैं बड़े अच्छे से काम करता। एक दिन मेरे पास एक फैमिली आई और वह कहने लगे कि हमें एक फ्लैट चाहिए मैंने कहा आप मुझे अपना बजट बता दीजिए मैं उसके हिसाब से आपको फ्लैट दिला देता हूं, उन्होंने मुझे अपना बजट बता दिया और उसके बाद मैंने उनके लिए एक फ्लैट देखा जो फ्लैट मैंने उन्हें दिखाया वह उन्हें बहुत पसंद आया लेकिन उनका बजट नहीं बन पा रहा था इसके लिए मैंने बिल्डर से बात की और बिल्डर से उसके दाम कम करवाएं उसके दाम मैंने उनके लिए कम करवाये तो वह खुश हो गए और उन्होंने फ्लैट ले लिया उसके बाद तो जैसे मानो मेरे पास कस्टमर की लाइन ही लग गई।
मेरे पास अब दिन में एक से दो कस्टमर तो आते ही थे और मैं उन्हें उनके हिसाब से प्रॉपर्टी दिखा दिया करता क्योंकि सब लोगों को घर खरीदने में मुसीबत होती थी और मैं उनके हिसाब से ही उनके लिए फ्लैट दिखाया करता जिससे कि उनके बजट में भी वह फ्लैट आ जाता है और वह उसे ले लेते। एक दिन मेरे भैया मुझे कहने लगे संतोष मुझे कुछ पैसे चाहिए थे मैंने उनसे कहा लेकिन आपको पैसे क्यों चाहिए तो वह कहने लगे तुम्हारी भाभी की तबीयत ठीक नहीं है और मुझे गांव जाना पड़ेगा मैंने उन्हें कहा तो आपने मुझे पहले यह सब क्यों नहीं बताया, भैया मुझे कहने लगे कई दिन से तुम परेशान चल रहे थे तो मुझे लगा तुम से यह से बात करना अच्छा नहीं था इसलिए मैंने तुमसे बात नहीं की, उस दिन शायद मेरी डील हुई नहीं थी इसलिए मैं टेंशन में था, मैंने भैया से कहा आपको कितने पैसे चाहिए उन्होंने मुझे कहा तुम मुझे 50000 दे दो, मैंने उन्हें कहा आप मेरे साथ बैंक चलिए।
हम दोनों बैंक में चले गए और मैंने उन्हें पैसे दे दिए वह अगले दिन ही गांव निकल गए मेरा छोटा भाई दुकान का काम अच्छे से संभाल रहा था और उसके बाद उन्होंने मुझे गांव पहुंचते ही फोन कर दिया मैंने उनसे पूछा भाभी की तबीयत कैसी है तो वह कहने लगे अब तो ठीक है मैंने उसे अस्पताल में भर्ती करवा दिया है मैंने उन्हें कहा आप आराम से यहां आइएगा जब तक भाभी की तबीयत ठीक नहीं हो जाती तब तक आप वही रहना वह कहने लगे हां मैं उसके बाद ही अब मुंबई आऊंगा, करीब एक महीने बाद वह मुंबई लौट आए मैंने उनसे पूछा भाभी की तबीयत ठीक है? वह कहने लगे हां उनकी तबीयत ठीक है। मैं अपने गांव भी नही जा पाया था लेकिन मैंने भी सोचा अपने गांव हो आता हूं वैसे भी काफी समय हो चुका है मैं अपने माता-पिता से भी मिला नहीं था, वह लोग गाँव में ही रहते हैं और भाभी ही उनकी देखभाल करती है। मैं गांव चला गया कुछ समय के लिए मैं भी गांव में ही रहा और मुझे अपने माता पिता के साथ रहना अच्छा लगा क्योंकि मुझे किसी भी चीज की कोई परेशानी नहीं थी मेरे पास अब पैसा भी था जिससे कि मैं घर में आराम से रह सकता था, मैंने गांव में एक बड़ा घर भी बनवा दिया था मेरी मां मुझे हमेशा कहती बेटा तुमने अपने जीवन में बहुत मेहनत की है अब तुम्हें शादी कर लेनी चाहिए मैंने अपनी मां से कहा अभी मैं शादी नहीं कर सकता मुझे कुछ और समय चाहिए तो मेरी मां ने मुझे उसके बाद कुछ भी नहीं कहा। मेरी भाभी की तबीयत भी ठीक हो चुकी थी और वही मेरे माता-पिता का ध्यान रखा करती, उन्होंने मेरे माता पिता के ध्यान बढ़िया तरीके से रखा है और उन्होंने कभी भी उन्हें कोई परेशानी नहीं होने दी इसलिए मैं अपनी भाभी की बहुत इज्जत करता हूं। मैं उस दिन घर पर ही था भाभी मुझे कहने लगी भाई साहब क्या आप दुकान से सामान ले आएंगे, मैंने उन्हें कहा ठीक है मैं सामान ले आता हूं और मैं वहां से पैदल पैदल ही दुकान में चला गया हमारे घर से कुछ दूरी पर ही दुकान थी मैंने वहां से सामान ले लिया। जब मैंने दुकान से सामान लिया तो वहां पर मैंने एक भाभी को देखा मैंने उसे कभी देखा नहीं था लेकिन उसकी हवस भरी नजरे मुझे देख रही थी वह मेरी तरह बड़े ध्यान से देख रही थी।
उन्होंने मुझसे खुद ही बात कर ली वह कहने लगी आप कहां रहते हैं तो मैंने उन्हें सब कुछ बता दिया, वह मुझे कहने लगी चलिए आप मेरे घर पर मै आपको चाय पिला देते हूं। मैंने उन्हें कहा मैं चाय नहीं पीता तो वह कहने लगी आओ मैं आपको दूध पिला देती हूं। वह मुझे अपने घर ले कर चली गई जब वह मुझे अपने घर लेकर गई तो उन्होंने मुझे कहा आ जाओ मैं आपको दूध पिला देती हूं। उन्होंने अपने स्तनों को बाहर निकाला और मुझे कहने लगी लो दूध पी लो, मैंने उनके स्तनों को चूसना शुरू किया मैंने कभी उम्मीद नहीं की थी इतनी आसानी से मुझे कोई चूत मिल जाएगी। मैने उनके स्तनों को बहुत देर तक चूसा जब मैंने उनके दोनों स्तनों से दूध निकाल कर रख दिया तो वह मुझे कहने लगी आपने तो बड़ा ही अच्छा दूध निकाल कर रख दिया। मैंने उन्हें कहा आप मेरे लंड को चूसो उन्होंने मेरे लंड को इतनी देर तक चूसा उन्होंने मेरे लंड से वीर्य बाहर निकाल दिया। जब उन्हें पूरे तरीके से जोश चढने लगा तो वह मुझे कहने लगी अब तो मुझसे ज्यादा सब्र नहीं हो पा रहा है। मैंने उनकी चूत पर अपने लंड को लगा दिया और उनके दोनों पैरों को चौड़ा करते हुए धक्का देने लगा।
मै तेजी से धक्के दे रहा था उन्हें बहुत मजा आ रहा था, मैं जिस प्रकार से उन्हे चोदता उनके मुंह से चीख निकल जाती। उनकी मादक आवाज इतनी तेज होती की मुझे बहुत आनंद आता मैंने जब उन्हे घोड़ी बनाकर चोदना शुरू किया तो वह मुझे कहने लगी आपके लंड मे तो कमाल के गर्मी है। मैंने उन्हें कहा मुझे इन सब चीजों के लिए समय ही नहीं मिल पाता इसलिए मेरे लंड मे जान है। वह मुझे कहने लगी आप मुझसे मिलने आ जाया कीजिए मैंने उन्हें कहा क्यों नहीं मैं उन्हें यह कहकर बड़ी तेजी से धक्के मारता तो मुझे उनको चोदने में बड़ा आनंद आता। जिस प्रकार से मै उनको चोद रहा था मुझे बहुत मजा आ रहा था जब मैंने अपने वीर्य को उनकी योनि में गिरा दिया तो वह मुझे कहने लगी। आप फिर दूध पीना आ जाइएगा, मैंने उन्हें कहा क्यों नहीं मैं जब तक घर पर हूं तब तक आपसे मिलने आता रहूंगा। मेरा जब भी मन होता तो मैं उन भाभी के पास चला जाता और उनका दूध पी लेता, मुझे उन्हें चोदने में बड़ा मजा आता और उन्हें भी मुझसे अपनी चूत मरवाकर बड़ा मजा आता था।
उन्होंने मुझे कहा तुम जब यह काम सीख जाओगे तो तुम भी अच्छा कमाने लगोगे लेकिन तुम्हें इसके लिए बहुत मेहनत करनी पड़ेगी, मैं बहुत ज्यादा मेहनत करने लगा और धीरे-धीरे मैं भी प्रॉपर्टी का काम सीख चुका था मैं ज्यादा पढ़ा लिखा तो नहीं था पर फिर भी मैं अच्छे से काम करता रहा। जो व्यक्ति मुझे अपने साथ लाए थे वह भी मुझसे बहुत खुश थे वह कहते की मैंने तुम्हें उसी वक्त पहचान लिया था जब मैंने तुम्हें देखा था तुम्हारे अंदर काम करने की काबिलियत थी और तुमने यह साबित भी कर दिया कि तुम बड़े ही अच्छे से काम कर सकते हो। मैं बहुत खुश था क्योंकि मेरे पास सब कुछ था मैंने अपना एक घर भी ले लिया था और इतने कम समय में मुंबई में घर ले पाना शायद बहुत मुश्किल था कई लोग तो सपने ही देखते रह जाते हैं कि मुंबई में अपना घर लेंगे लेकिन ले ही नहीं पाते है।
मेरा मुंबई में घर था तो मैंने अपने भाइयों को भी मुंबई बुला लिया मेरा छोटा भाई भी कुछ काम करता नहीं था और मेरे बड़े वाले भैया का भी काम कुछ ठीक नहीं चल रहा था इसलिए मैंने दोनों को अपने पास बुला लिया और उन दोनों के लिए भी मैंने एक दुकान खोल कर दे दी वह दुकान अच्छी चलने लगी थी और उन दोनों का भी खर्चा वहां से निकल जाया करता क्योंकि मेरे बड़े भैया की शादी हो चुकी थी इसलिए उसके ऊपर काफी जिम्मेदारी थी, वह दोनों दुकान से अपना खर्चा निकाल लिया करते और मैं पूरी तरीके से प्रॉपर्टी का काम किया करता। मैं जिनके साथ काम किया करता था एक दिन उनके साथ मेरी अनबन हो गई और मैंने उन्हें कहा कि मैं अब आपके साथ आगे काम नहीं कर सकता उसी दिन उन्होंने मुझे काम से निकाल दिया और कहा कि तुमने मेरे साथ धोखा किया लेकिन मैंने उनके साथ कोई भी धोखा नहीं किया था उन्होंने ही उस दिन मुझे एक डील कैंसिल होने पर बहुत ज्यादा डाटा जिससे कि मुझे भी लगा कि उन्होंने मुझे गलत तरीके से डांटा मैं बहुत ज्यादा गुस्सा हो गया और मैंने भी उन्हें पलट कर जवाब दे दिया और मैंने उनके यहां से काम छोड़ दिया था। मैं कुछ दिनों तक तो आपने भाइयों के साथ दुकान पर ही रहता लेकिन मुझे तो सिर्फ प्रॉपर्टी का ही काम आता था इसलिए मैंने दोबारा से काम शुरू कर दिया और अपना ही एक छोटा सा ऑफिस ले लिया मैं छोटे-मोटे डील किया करता जिससे कि मुझे थोड़ा बहुत कमीशन मिल जाता और मेरा खर्चा निकल जाता लेकिन मैं चाहता था कि अब मैं बड़ी डील करूं और उसके लिए मैं अब बड़े डील करने लगा मैं बड़े अच्छे से काम करता। एक दिन मेरे पास एक फैमिली आई और वह कहने लगे कि हमें एक फ्लैट चाहिए मैंने कहा आप मुझे अपना बजट बता दीजिए मैं उसके हिसाब से आपको फ्लैट दिला देता हूं, उन्होंने मुझे अपना बजट बता दिया और उसके बाद मैंने उनके लिए एक फ्लैट देखा जो फ्लैट मैंने उन्हें दिखाया वह उन्हें बहुत पसंद आया लेकिन उनका बजट नहीं बन पा रहा था इसके लिए मैंने बिल्डर से बात की और बिल्डर से उसके दाम कम करवाएं उसके दाम मैंने उनके लिए कम करवाये तो वह खुश हो गए और उन्होंने फ्लैट ले लिया उसके बाद तो जैसे मानो मेरे पास कस्टमर की लाइन ही लग गई।
मेरे पास अब दिन में एक से दो कस्टमर तो आते ही थे और मैं उन्हें उनके हिसाब से प्रॉपर्टी दिखा दिया करता क्योंकि सब लोगों को घर खरीदने में मुसीबत होती थी और मैं उनके हिसाब से ही उनके लिए फ्लैट दिखाया करता जिससे कि उनके बजट में भी वह फ्लैट आ जाता है और वह उसे ले लेते। एक दिन मेरे भैया मुझे कहने लगे संतोष मुझे कुछ पैसे चाहिए थे मैंने उनसे कहा लेकिन आपको पैसे क्यों चाहिए तो वह कहने लगे तुम्हारी भाभी की तबीयत ठीक नहीं है और मुझे गांव जाना पड़ेगा मैंने उन्हें कहा तो आपने मुझे पहले यह सब क्यों नहीं बताया, भैया मुझे कहने लगे कई दिन से तुम परेशान चल रहे थे तो मुझे लगा तुम से यह से बात करना अच्छा नहीं था इसलिए मैंने तुमसे बात नहीं की, उस दिन शायद मेरी डील हुई नहीं थी इसलिए मैं टेंशन में था, मैंने भैया से कहा आपको कितने पैसे चाहिए उन्होंने मुझे कहा तुम मुझे 50000 दे दो, मैंने उन्हें कहा आप मेरे साथ बैंक चलिए।
हम दोनों बैंक में चले गए और मैंने उन्हें पैसे दे दिए वह अगले दिन ही गांव निकल गए मेरा छोटा भाई दुकान का काम अच्छे से संभाल रहा था और उसके बाद उन्होंने मुझे गांव पहुंचते ही फोन कर दिया मैंने उनसे पूछा भाभी की तबीयत कैसी है तो वह कहने लगे अब तो ठीक है मैंने उसे अस्पताल में भर्ती करवा दिया है मैंने उन्हें कहा आप आराम से यहां आइएगा जब तक भाभी की तबीयत ठीक नहीं हो जाती तब तक आप वही रहना वह कहने लगे हां मैं उसके बाद ही अब मुंबई आऊंगा, करीब एक महीने बाद वह मुंबई लौट आए मैंने उनसे पूछा भाभी की तबीयत ठीक है? वह कहने लगे हां उनकी तबीयत ठीक है। मैं अपने गांव भी नही जा पाया था लेकिन मैंने भी सोचा अपने गांव हो आता हूं वैसे भी काफी समय हो चुका है मैं अपने माता-पिता से भी मिला नहीं था, वह लोग गाँव में ही रहते हैं और भाभी ही उनकी देखभाल करती है। मैं गांव चला गया कुछ समय के लिए मैं भी गांव में ही रहा और मुझे अपने माता पिता के साथ रहना अच्छा लगा क्योंकि मुझे किसी भी चीज की कोई परेशानी नहीं थी मेरे पास अब पैसा भी था जिससे कि मैं घर में आराम से रह सकता था, मैंने गांव में एक बड़ा घर भी बनवा दिया था मेरी मां मुझे हमेशा कहती बेटा तुमने अपने जीवन में बहुत मेहनत की है अब तुम्हें शादी कर लेनी चाहिए मैंने अपनी मां से कहा अभी मैं शादी नहीं कर सकता मुझे कुछ और समय चाहिए तो मेरी मां ने मुझे उसके बाद कुछ भी नहीं कहा। मेरी भाभी की तबीयत भी ठीक हो चुकी थी और वही मेरे माता-पिता का ध्यान रखा करती, उन्होंने मेरे माता पिता के ध्यान बढ़िया तरीके से रखा है और उन्होंने कभी भी उन्हें कोई परेशानी नहीं होने दी इसलिए मैं अपनी भाभी की बहुत इज्जत करता हूं। मैं उस दिन घर पर ही था भाभी मुझे कहने लगी भाई साहब क्या आप दुकान से सामान ले आएंगे, मैंने उन्हें कहा ठीक है मैं सामान ले आता हूं और मैं वहां से पैदल पैदल ही दुकान में चला गया हमारे घर से कुछ दूरी पर ही दुकान थी मैंने वहां से सामान ले लिया। जब मैंने दुकान से सामान लिया तो वहां पर मैंने एक भाभी को देखा मैंने उसे कभी देखा नहीं था लेकिन उसकी हवस भरी नजरे मुझे देख रही थी वह मेरी तरह बड़े ध्यान से देख रही थी।
उन्होंने मुझसे खुद ही बात कर ली वह कहने लगी आप कहां रहते हैं तो मैंने उन्हें सब कुछ बता दिया, वह मुझे कहने लगी चलिए आप मेरे घर पर मै आपको चाय पिला देते हूं। मैंने उन्हें कहा मैं चाय नहीं पीता तो वह कहने लगी आओ मैं आपको दूध पिला देती हूं। वह मुझे अपने घर ले कर चली गई जब वह मुझे अपने घर लेकर गई तो उन्होंने मुझे कहा आ जाओ मैं आपको दूध पिला देती हूं। उन्होंने अपने स्तनों को बाहर निकाला और मुझे कहने लगी लो दूध पी लो, मैंने उनके स्तनों को चूसना शुरू किया मैंने कभी उम्मीद नहीं की थी इतनी आसानी से मुझे कोई चूत मिल जाएगी। मैने उनके स्तनों को बहुत देर तक चूसा जब मैंने उनके दोनों स्तनों से दूध निकाल कर रख दिया तो वह मुझे कहने लगी आपने तो बड़ा ही अच्छा दूध निकाल कर रख दिया। मैंने उन्हें कहा आप मेरे लंड को चूसो उन्होंने मेरे लंड को इतनी देर तक चूसा उन्होंने मेरे लंड से वीर्य बाहर निकाल दिया। जब उन्हें पूरे तरीके से जोश चढने लगा तो वह मुझे कहने लगी अब तो मुझसे ज्यादा सब्र नहीं हो पा रहा है। मैंने उनकी चूत पर अपने लंड को लगा दिया और उनके दोनों पैरों को चौड़ा करते हुए धक्का देने लगा।
मै तेजी से धक्के दे रहा था उन्हें बहुत मजा आ रहा था, मैं जिस प्रकार से उन्हे चोदता उनके मुंह से चीख निकल जाती। उनकी मादक आवाज इतनी तेज होती की मुझे बहुत आनंद आता मैंने जब उन्हे घोड़ी बनाकर चोदना शुरू किया तो वह मुझे कहने लगी आपके लंड मे तो कमाल के गर्मी है। मैंने उन्हें कहा मुझे इन सब चीजों के लिए समय ही नहीं मिल पाता इसलिए मेरे लंड मे जान है। वह मुझे कहने लगी आप मुझसे मिलने आ जाया कीजिए मैंने उन्हें कहा क्यों नहीं मैं उन्हें यह कहकर बड़ी तेजी से धक्के मारता तो मुझे उनको चोदने में बड़ा आनंद आता। जिस प्रकार से मै उनको चोद रहा था मुझे बहुत मजा आ रहा था जब मैंने अपने वीर्य को उनकी योनि में गिरा दिया तो वह मुझे कहने लगी। आप फिर दूध पीना आ जाइएगा, मैंने उन्हें कहा क्यों नहीं मैं जब तक घर पर हूं तब तक आपसे मिलने आता रहूंगा। मेरा जब भी मन होता तो मैं उन भाभी के पास चला जाता और उनका दूध पी लेता, मुझे उन्हें चोदने में बड़ा मजा आता और उन्हें भी मुझसे अपनी चूत मरवाकर बड़ा मजा आता था।