हॉट भाभी को चूतिया बनाया

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Hot Bhabhi Ko Chutiya Banaya

हेलो दोस्तो।

मेरा नाम अनुराग है और मैं पटना का रहने वाला हूँ। मेरी इस कहानी को पढ़ते समय आप लोग अपना लौड़ा हिलाकर मज़े कर रहे होंगे। परँतु कहानी के अंत में आप अपना पेट पकड़कर हँस रहे होंगे। चलिए कहानी पढ़िए और मौज़ कीजिए।

मैंने अपने दोस्त अखिलेश तिवारी से कुछ महीने पहले ७५, ००० रुपए उधार लिए थे। अपने वादे के अनुसार, मैंने ठीक २ महीनों के बाद अखिलेश को उसके पैसे लौटाने के लिए फ़ोन किया। उसका फ़ोन लग नहीं रहा था इसलिए शाम को मैं उसके घर चला गया।

उसके घर पहुँचने पर उसकी पत्नी श्रीमती प्रियांशी तिवारी ने मेरा स्वागत किया। प्रियांशी और मैं कॉलेज में एक दूसरे से प्यार करते थे, लेकिन मेरे दोस्त अखिलेश की धन-दौलत ने प्रियांशी को मुझसे छीन लिया था।

ख़ैर, प्रियांशी भाभी (सही पकड़े हैं, भाभी!) ने मुझे अंदर बुलाकर मेरे और अपने लिए चाय बनाई। चाय पीते-पीते हम दोनों ने इधर-उधर की बातें करते हुए पुराने दिनों को याद करने लगे।

मैंने जब पैसों की बात करने के लिए मुँह खोला तब प्रियांशी भाभी को फ़ोन आ गया। फ़ोन पर वह अपनी सहेली को बता रही थी कि अखिलेश शहर से बाहर गया हुआ है और वह उसे हार ख़रीदने की इजाज़त नहीं देगा।

प्रियांशी भाभी की बात सुनकर मेरे दिमाग में एक विचार आया था। जब भाभी की बात ख़तम हो गई तब मैंने उससे पूछा कि मसला क्या है करके।

[प्रियांशी भाभी:] मेरी सहेली और मैंने एक हार देखा है जो हमें ख़रीदना है, लेकिन इस समय मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं कि मैं अपनी सहेली के साथ मिलकर उस हार को खरीद सकूँ।

[मैं:] बस इतनी-सी बात, अरे मैं हूँ न प्रियांशी भाभी। मैं आपको पैसे दे दूँगा। बताओ, क्या ७५, ००० रुपए काफ़ी होंगे?

[प्रियांशी भाभी:] उतने पैसों में तो मैं वह हार अपने लिए ही ख़रीद सकती हूँ। मगर मैं तुम्हें पैसे लौटाऊँगी कैसे? अखिलेश मुझे इतने पैसे नहीं देगा।

[मैं:] तुम मुझे पैसे देना भी मत। तुम सिर्फ़ इतना करो कि तुम वह हार मेरे प्यार की निशानी समझकर रख लेना। उस वक़्त तो मैं तुम्हें कुछ दे नहीं सका, इसलिए अब दे रहा हूँ।

प्रियांशी नाम की मछली मेरे जाल में फँस गई थी। प्रियांशी भाभी मेरे पास आकर बैठ गई और मेरी जाँघ पर अपना हाथ रखकर सहलाने लगी। मैंने उस मौके का फ़ायदा उठाया और प्रियांशी भाभी के पास चिपककर बैठ गया।

हमारे होंठों का संगम हुआ और देखते ही देखते, मैं और प्रियांशी भाभी चुँबन लेने लगे। मैंने प्रियांशी भाभी को उठाकर उसे बेड़रूम में लेकर गया। बेड़रूम के अंदर पहुँचकर मैंने प्रियांशी भाभी को नीचे उतार दिया और अपनी बाहों में भर लिया।

प्रियांशी भाभी की मोटी चूचियों को अपनी छाती से दबाकर मैं उसके होठों को चूसने लगा।

प्रियांशी भाभी को मैंने उसकी मोटी चर्बीदार गाँड़ से पकड़कर उठा लिया और पलँग पर लेटा दिया। उसकी रेशमी साड़ी ऊपर उठाकर मैं उसकी गोरी जाँघों को चूमने लगा। प्रियांशी भाभी मूड में आकर सिसकियाँ लेने लगी थी।

मैंने प्रियांशी भाभी की लाल पैंटी उतार फेंकी। मैं प्रियांशी भाभी की साफ़ भूरी चूत को चाटने लगा। वह ज़ोर से सिसकियाँ लेकर मुझे उकसाह रही थी।

मैंने प्रियांशी भाभी के पैर उठाकर उसकी चूत को अच्छी तरह से चाटना शुरू किया। उसकी चूत की पँखुड़ियों को फैलाकर मैं अपनी ज़ुबान को चूत के अंदर-बाहर करने लगा था। प्रियांशी भाभी उत्साहित होकर चीख़ने लगी थी।

फिर मैंने प्रियांशी भाभी का रेशमी ब्लाउज खोल दिया और उसकी लटकती चूचियों को ब्रा में से निकालकर दबाने लगा। प्रियांशी भाभी के निप्पल को बारी-बारी करके चूसकर मैं उसे उत्तेजित करने लगा। उसकी रेशमी साड़ी निकालकर मैंने उसे पूरा नंगा कर दिया।

मैंने अपना लौड़ा चूत के अंदर घुसा दिया। प्रियांशी भाभी के पैरों को मैंने अपने कंधों पर रख दिया। अपने लौड़े को धीरे से धक्का मारकर चूत के अंदर घुसाने के बाद मैंने ठुकाई की रफ्तार को बढ़ा दिया था। प्रियांशी भाभी चिल्ला-चिल्लाकर मज़े ले रही थी।

मैं भी उत्साहित होकर उसकी चूचियों को दबाने लगा। थोड़ी देर बाद, मैं प्रियांशी भाभी के ऊपर लेटकर उसके होंठों को चूसकर उसकी चुदाई करने लगा था।

प्रियांशी भाभी के मुँह से निकलती गरम साँसे मुझे उकसाह रही थी। मैंने उसके गले को पकड़कर सहारा लिया और अपने लौड़े को जोर-ज़ोर से उसकी चूत पर पटकने लगा।

कुछ समय बाद, मैंने प्रियांशी भाभी को मेरे ऊपर उल्टा लेटा दिया और उसकी गाँड़ की छेद को चाटने लगा। प्रियांशी भाभी आगे झुककर मेरे तनकर खड़े लौड़े को अच्छी तरह से चूस रही थी। उसने अपनी गाँड़ को मेरे मुँह पर उछालना शुरू कर दिया था।

मैंने प्रियांशी भाभी की गाँड़ की छेद में अपनी ज़ुबान अंदर तक घुसाकर उसे चाटने लगा। साथ ही साथ, मैं अपनी उँगलियों से उसकी चूत को भी रगड़ रहा था। प्रियांशी भाभी अपने पैरों के बल उछलकर अपनी गाँड़ मेरे मुँह पर पटक रही थी।

मेरे लौड़े को हिलाते हुए प्रियांशी भाभी ने अपनी गाँड़ को मेरे चेहरे पर घिसना शुरू कर दिया था। मैंने उसकी गाँड़ को पकड़ा और उसमें थूक मारकर उसे चूसने लगा। प्रियांशी भाभी उत्तेजना के कारण अपनी गाँड़ हिलाने लगी थी।

कुछ समय बाद, मैंने प्रियांशी भाभी को कुतिया बनाकर पलँग पर लेटा दिया। मैंने अपने लौड़े की नोक को प्रियांशी भाभी की गाँड़ की छेद पर रखा और गाँड़ की दरार पर रगड़ने लगा।

फिर मैंने उसकी चूत पर अपना लौड़ा घिसकर अंदर घुसा दिया और प्रियांशी भाभी की कमर पकड़कर ज़ोर-ज़ोर से उसकी चुदाई करने लगा। प्रियांशी भाभी चिल्लाकर मस्त हो रही थी।

मैं आगे झुक गया और प्रियांशी भाभी की चूचियों को पकड़कर उन्हें दबाने लगा। जब प्रियांशी भाभी की चौड़ी गाँड़ मेरे लौड़े से टकरा रही थी, तब 'पच-पच' करके एक मदहोश कर देने वाली आवाज़ आ रही थी।

मैं पलँग पर बैठ गया और प्रियांशी भाभी को मेरे लौड़े पर बिठा दिया। उसको जाँघों से पकड़कर उसे उठाया और अपने लौड़े पर उछालने लगा। कुछ देर बाद, पैरों के बल बैठकर प्रियांशी भाभी खुद मेरे लौड़े पर उछलने लगी थी।

कुछ देर बाद, मैं पलँग पर लेट गया। प्रियांशी भाभी को मेरे ऊपर चढ़ाकर मैंने उसकी गीली चूत पर अपना लौड़ा घिसना शुरू किया। प्रियांशी भाभी ने उत्तेजित होकर मेरे लौड़े को पकड़ा और अपनी चूत के अंदर घुसा दिया।

प्रियांशी भाभी मेरे लौड़े पर अपनी गाँड़ उछाल-उछालकर मुझसे चुदवा रही थी। मैंने उसके हिलते हुए चूचियों को पकड़कर दबाया और प्रियांशी भाभी को और गरम कर दिया।

प्रियांशी भाभी के निप्पल को खींचने पर वह ज़ोर से चीख़ने लगी थी। मैं प्रियांशी भाभी की चीख़ों से उत्साहित होकर उसे अपने गले से लगा लिया। फिर उसकी गाँड़ को पकड़कर चोदने लगा।

मैं तेज़ी से अपने लौड़े को प्रियांशी भाभी की चूत में घुसा रहा था। थोड़ी देर रुककर मैंने प्रियांशी भाभी की गाँड़ की छेद में अपनी उँगली घुसाकर अंदर-बाहर करने लगा। चिल्लाते वक़्त उसके मुँह की गर्म साँसे मुझें मदहोश कर रही थी।

अपनी उँगली को गाँड़ की छेद से निकालकर मैंने उसे प्रियांशी भाभी के मुँह में डाल दिया। प्रियांशी भाभी ने मेरी उँगली को अच्छे से चाटकर साफ़ किया। फिर मैं उसके मुँह में थूक मारकर सारा पानी पी गया।

मेरे लौड़े का पानी निकलने वाला था, इसलिए मैंने ज़ोर-ज़ोर से चुदाई करनी शुरू कर दी। कुछ समय बाद, मैंने अपने लौड़े के पानी को प्रियांशी भाभी की चूत में ही निकाल दिया।

हार पाने की लालच में मुझसे अपनी चुदाई करवाने के बाद, प्रियांशी भाभी मुझे प्यार से देख रही थी। मैंने ७५, ००० रुपए उसे देकर घर से निकल गया। घर से बाहर जाते वक़्त, मैंने अपने मोबाइल पर देखा कि अखिलेश का ३ बार मुझे कॉल आ चूका था।

मैंने उसे फ़ोन किया और पैसों के बारे में बता दिया। वह मुझे बोलने लगा कि अगर मैं पैसे देरी से लौटाता तो भी चलता। २ हफ़्ते बाद, अखिलेश ने मुझे और कुछ दोस्तों को अपने घर दावत पर बुलाया था।

उस समय, प्रियांशी भाभी जब भी मुझे देखती तब उसका चेहरा गुस्से से भर आता। भाभी का चेहरा देखकर मुझसे अपनी हँसी रोकी नहीं जा रही थी।
 
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