होली के त्योहार पर मिली भाभी की गांड

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होली में रंग दी चोली मार ली गांड

आज होली थी और मैंने रंग लगाने के बहाने बगल में रहने वाली बबिता भाभी की गांड रंग ने के लिए स्पेशल पिचकारी खरीदी थी। जैसे ही मैं उनके दरवाजे पर रंग लगाने गया तो उन्होंने मेरे उपर पूरी बालटी उड़ेल दी। मुझे रंग से सराबोर कर दी और फिर मेरे गालों को रगड़ने लगी। अब मैंने उनको रोकने के लिए पकड़ लिया और वो मेरे से चिपक गयीं। मैंने भी पिचकारी से रंग उनके चूंचों में डाला और फिर साड़ी ढीली करके सीधा उसमें पिचकारी का मुह लगाके गांड में रंग सप्लाई करने लगा। पूरा रंग उनके अंदरुनी अंगों को भिगोता हुआ जाने लगा। वो सनसना गयीं चूत और गांड़ में ठंडे रंग के जाने से और मुझसे उत्तेजना में और चिपक के रगड़ा रगड़ी करने लगी। देवर जी आप बहुत शैतान हो गये हो।

मैने उनके गालों में अपने गाल रगड़ते हुए कहा भाभी आपके दूधू भी रंग दूं क्या? गाल रगड़ने से मेरा लंड खड़ा हो रहा था और जब मैने भाभी के ब्लाउज के अंदर हाथ डाला तो सीधा निप्पलों पर उंगलियां टकराईं मैने उन्हें पकड़ कर खींच दिया। भाभी उईईईई! मां करके कहने लगीं अबे उखाड़ोगे क्या मेरे चूंचे मैने कहा नहीं भाभी ऐसी कोई बात नहीं है और भाभी ने खुद ही मेरी सहूलियत के लिए अपना उपरी बटन खोल दिया। उन्होंने ब्रा नहीं पहनी थी इसलिए मेरे हाथों में सीधा चूंचे का नोक आ गया। मैने रंग निकाला लाल वाला और दायें चूंचे पर पेंट करने लगा। पूरा चूंचा लाल से रंगा और निप्पल पीले रंग से। अब मैने बांए चूंचे को रंगने के लिए हरा रंग निकाला और उसे पूरा रंग के निप्पल को लाल से रंग दिया। अब भाभी के दोनों चूंचे किसी रंगीन बल्ब की तरह दिख रहे थे और मैने अपना काम कर दिया था।

रंगने के दौरान चूंचे मेरे हाथ में थे और मैने उन्हें जी भर के मसला। अब भाभी की गांड रंगने की दरकार हो रही थी। मैने भाभी को पीछे की तरफ घुमा के उनका पेटीकोट उपर उठा दिया और गांड़ का एक गोला मेरे हाथों में था। मैने पिचकारी से गांड पर रंग लगाया और रगड़ने लगा। भाभी को मस्ती चढ रही थी। वो थिरकने लगी थी। ऐसा लग रहा था कि उनको करेंट लग रहा था गांड़पर मेरे स्पर्श से। वो खुश हो रही थी कि मैने पिचकारी उनके गांड के छेद में घुसा दी और सप्लाई करने लगा। वो सिसकारी मारके गांड में से पिचकारी निकाल दी और कहने लगी अपनी पिचकारी में दम नहीं है क्या? मैने कहा है ना भाभी और मैने उनके गांड को रंग से रंग दिया। अब भाभी ने मेरा लंड पकड़ लिया और उसमें लाल रंग लगाने लगीं।

जम के चूत् भी मारी होली में भाभी की

उन्होंने मेरे लंड को लाल रंग से रंग दिया और मैने उनके ब्लाउज के बटन खोल दिये। दोनों चूंचो से खेलता हुआ मै उनको गरम करता रहा। भाभी को चुदाई का भूत चढ चुका था होली में चूत देने के लिए बेताब थीं अ उर मैं उनकी गांड मारने को बेताब था। वजह यह कि भैया तो चूत मार मार कर कब का ढीला कर चुके होंगे। अब मैने कमरा बंद कर लिया। चारों तरफ फर्श पर रंग ही रंग बिखरा पड़ा था और मैने भाभी का चिरहरण कर दिया। वो नंगी हो गयी। पेटीकोट में सिर्फ और मैने पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया। अब वो पूरी नंगी थी, चड्ढी वो पहनती नहीं थी। मैने उसकी रंगीन गांड को सूंघने के लिए अपना नाक उसके पास किया तो मुझे मजा आने लगा। खूश्बूदार गांड मस्त लग रही थी और मैने अपनी जीभ उसके गांड में घुसाने के लिए बाहर निकाली। भाभी ने मारे उत्तेजना के अपनी टांगों को बंद कर लिया और मेरी जीभ को अपने गांड के अंदर दबा लिया।

वो मस्ता गयी थी। मैने उसे पानी के तालाब बने फर्श पर लिटा दिया। वो पानी के भैंस की तरह से उसमें लेट गयी। मैं उसके गांड पर बैठ कर उसमें लंड ढंसाने के लिए तैनात था। उसकी हरी हरी गाड़ में मेरा लाल लाल होलियाया हुआ लंड अंदर घुसने को तैयार था। मैने मोटे लंड का सुपाड़ा अंदर धांसने लगा। वो एकदम से चिल्लाने लगी, देवर जी आअह्ह! आह! धीरे धिरे करो ना। पहले गांड़ ही मारने लगे, अच्छा मार लो, आपके भैया तो कभी मारते ही नहीं, लेकिन क्योंकि उ नकी पिचकारी में दम ही नहीं है इसलिए वो चोद नहीं पाते मेरी गांड को।

मैने गांड पर बैठे बैठे गांड मारना जारी रखा। दस मिनट तक पेलने के बाद मैने भाभी को बकरि की तरह खड़ा कर दिया। और चारो पैरों पर लिटा कर चोदने के लिए उसके बाल पकड़ कर पीछे से लंड चूत में डाल दिया और धक्के मारने लगा। पेलते हुए मैने उसके बालों को खींचे रखा जिससे कि उसकी चूत मेरे लंड के ज्यादा से ज्यादा करीब रहे। बस मजे में चुदवाते हुए मैने फिर उसके दोनों चूंचों को पकड़ कर मसलते हुए चोदना जारी रखा। भाभी आह्ह उह्ह उप्फ चोदते रहो मेरे देवर राजा होली का उपहार ले लो मेरी गांड मारके चूत का दरवाजा भी खोल के रख दो। मैने चोदना जारी रखा वो मस्ती में बड़बड़ाती रही। हैप्पी होली हैप्पी होली! मैने चोदते हुए हैप्पी होली का जवाब लंड से देना जारी रखा। जब लंड दनदना के खड़ा हो गया था और झड़ने वाला था मैने चूत से लँड को वापस खींच कर गाड़ में डाल दिया और उसके पीठ पर सहलाते हुए चोदना शुरु कर दिया।

वो मस्त होकर चुदवाती रही। गांड में कुतिया स्टाइल में चुदवाते हुए जो मजा आ रहा था उसे कि जब कि मैं अपने आठ इंच के लंड को पूरा जड़ तक पेल चुका था। जब भी मैं धक्के मारता, लंड के अंदर जाने के साथ ही मेरे अंडे उसके चूत पर जोरदार तमाचे चटा चट लगाते। धक धक और पिस्टन की तरह टाईट गांड़ में लँड के हमले और अंड्कोष के तमाचों से कमरे का माहौल रंगीन बन चुका था। पंद्रह मिनट फिर नए सिरे से नई स्टाइल में गांड़ मरवाकर भाभी का जीवन सफल हो गया था और मैने उसको चोद कर अपनी होली रंगीन कर ली। होली में स्पेशल गांड देखने के लिए क्लिक करें यहां
 
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