मैं श्रेया आहूजा हाजिर हूँ फिर से आपके सामने एक सच्ची सेक्स गाथा लेकर !
इस कहानी में सारे नाम काल्पनिक ज़रूर हैं लेकिन कहानी काल्पनिक कदापि नहीं है।
यह कहानी मेरे दोस्त शम्भू नाथ देवधर की है।
मैं और रमित अच्छे दोस्त थे, स्कूल और कॉलेज में हम दोनों एक साथ पढ़े, साथ कमरे में रहे !
हम अक्सर सेक्स की बातें करते रहते थे उन दिनों में, हमने तो साथ साथ मुठ भी मारी थी। हम दोनों दिन भर गन्दी मस्तराम की पुस्तक पढ़ते थे, ब्लू फ़िल्म देखते थे और फिर जाकर बारी बारी बाथरूम में मुठ मारते थे, कई बार तो टीवी के सामने भी हस्तमैथुन भी किया है, हम दोनों एक दूसरे का लंड भी देख रखा था, वैसे रमित का मुझसे भी लम्बा और कठोर लंड था।
फिर कुछ दिन बाद रमित का जॉब रिज़र्व बैंक मुम्बई में लग गई और मैं स्टेट बैंक चंडीगढ़ में लग गया।
फिर मेरी शादी हो गई, मेरी उम्र रही होगी तेईस साल और जाहन्वी की अठारह साल जब हमारी शादी हुई थी। मैं और मेरी बीवी जाह्न्वी और रमित तीनों एक ही गाँव से थे।
लेकिन रमित की शादी नहीं हो पाई क्यूँकि पहले उसके पापा बीमार रहे फिर उसकी मम्मी और देखते देखते दस साल बीत गए।
अब हम दोनों की उम्र ब्यालीस हो गई, इस उम्र में उससे कौन ही शादी करता?
चंडीगढ़ में मैंने अपना घर भी बना लिया है, अब मेरी बेटी उर्वशी भी बड़ी हो गई है, वो कॉलेज में है बिल्कुल मॉडर्न हो गई है लेकिन हम तीनों अभी भी पेंडू (गंवार) से ही हैं।
रमित काम के सिलसिले में आया हुआ था चंडीगढ़, सो होटल में नहीं रूककर वो हमारे साथ ही रुक गया।
रमित- वाह यार, तेरा घर तो बड़ा आलिशान है !
मैं- बस यार ! और तूने मुम्बई में फ्लैट जो ख़रीदा था, उसका क्या किया?
रमित- यार फ्लैट में मज़े कहाँ? घर का अपना ही सुकून है और भाभी चंडीगढ़ में रहकर बिल्कुल मॉडर्न हो गई हैं।
जाहन्वी- बस भी करो रमित भैया तारीफे मैं जानती हूँ मेरे हांथों का बना खाना आपको कितना पसंद है
रमित- अरे सच में वर्ना शादी में आपको देखने मैं और ये शम्भू ही तो गए थे, इसे आप पेंडू लगे थे ये तो नहीं बोलने वाला था
जाहन्वी- जैसे कि खुद बड़े मॉडर्न हैं, पेंडू तो ये हैं भैया !
मैं- अरे मैं कहाँ पेंडू हूँ, जीन्स पहन लेने से कोई मॉडर्न नहीं हो जाता।
रमित- क्यूँ नहीं हो जाता, भाभी तो पहले सिर्फ साड़ी पहनती थी और अब ये जीन्स पहन कर एकदम मॉडर्न हो गई हैं।
जाहन्वी- अरे वो तो बस उर्वशी ज़िद करती है वर्ना मैं कहाँ ये सब कपड़े !
रमित- अरे, बिटिया कहाँ है? दिखाई नहीं दे रही है।
जाहन्वी- अभी एग्जाम चल रहे है तो दोस्त के पास है।
रमित- हाँ उसे देखे हुए तो दस साल हो गए।
मैं- हाँ, जब कुछ साल पहले मैं मुम्बई आया था, तब वो अपनी नानी के पास थी।
रात हो चली थी जाहन्वी रूम जा चुकी थी, मैं भी सोने अपने रूम जा रहा था- अच्छा भाई रमित, चलता हूँ, तू भी सो जा रात काफी हो चली है।
रमित- अभी कहाँ भाई पहले मुठ मारूँगा, नींद फिर आयेगी।
मैं यह सुनकर एकदम से सकपका गया, ठहर गया- यार रमित, तू आज भी मुठ मार मार कर सोता है?
रमित- और क्या यार, सब तेरे जैसे किस्मत वाले नहीं होते हैं, तुझे नहीं पता मैंने कैसे रातें गुजारी हैं।
मैं- यार, फिर तूने शादी क्यूँ नहीं की?
रमित- तुझे तो पता है तेरे शादी के तुरंत बाद ही मेरी शादी होने वाली थी लेकिन अचानक डैडी को हार्ट अटैक आ गया फिर वो चल बसे
मैं- लेकिन बाद में तो?
रमित- बाद में कब दोस्त, फिर माँ की तबियत ख़राब रहने लगी उनका सेवा करते करते मैं खुद चालीस पार हो गया।
मैं- लेकिन तूने अपने बारे कभी नहीं सोचा?
रमित- सोचा, लेकिन क्या करता, एक तरफ बीमार माँ, दूसरा जॉब ! इसी तरह हर रात मैंने मुठ मार के गुजारी है।
मैंने डरते डरते पूछा- यार, तूने कभी सेक्स किया है?
रमित- नहीं दोस्त, मैं आज तक सेक्स से वंचित हूँ।
मैं- कभी कोई रंडी, कोई नौकरानी या फिर कोई बैंक की औरत किसी से नहीं किया कुछ?
रमित- नहीं यार, मौका ही नहीं मिला !
मैं- चल कोई बात नहीं, अब माँ कैसी है?
रमित- बिस्तर पर पड़ी है कई साल से !
मैं- और अब क्या सोचा है?
रमित- सोचना क्या है, अब इस उम्र में कौन करेगा, मेरी छोड़ तू सुना कैसी रही तेरी सेक्स लाइफ?
मैं शरमाते हुए- यार, बस ठीक !
रमित- किससे शरमाते हो, मैं तेरे बचपन का दोस्त हूँ खुलकर बोल !
मैं- वो तो है, बस यार शुरू शुरू में तो मैं चार बार सेक्स करता था लेकिन फिर धीरे धीरे कम हो गया।
रमित- आजकल?
मैं- सप्ताह में एक या दो बार !
रमित- और कितने देर तक करता है?
इस कहानी में सारे नाम काल्पनिक ज़रूर हैं लेकिन कहानी काल्पनिक कदापि नहीं है।
यह कहानी मेरे दोस्त शम्भू नाथ देवधर की है।
मैं और रमित अच्छे दोस्त थे, स्कूल और कॉलेज में हम दोनों एक साथ पढ़े, साथ कमरे में रहे !
हम अक्सर सेक्स की बातें करते रहते थे उन दिनों में, हमने तो साथ साथ मुठ भी मारी थी। हम दोनों दिन भर गन्दी मस्तराम की पुस्तक पढ़ते थे, ब्लू फ़िल्म देखते थे और फिर जाकर बारी बारी बाथरूम में मुठ मारते थे, कई बार तो टीवी के सामने भी हस्तमैथुन भी किया है, हम दोनों एक दूसरे का लंड भी देख रखा था, वैसे रमित का मुझसे भी लम्बा और कठोर लंड था।
फिर कुछ दिन बाद रमित का जॉब रिज़र्व बैंक मुम्बई में लग गई और मैं स्टेट बैंक चंडीगढ़ में लग गया।
फिर मेरी शादी हो गई, मेरी उम्र रही होगी तेईस साल और जाहन्वी की अठारह साल जब हमारी शादी हुई थी। मैं और मेरी बीवी जाह्न्वी और रमित तीनों एक ही गाँव से थे।
लेकिन रमित की शादी नहीं हो पाई क्यूँकि पहले उसके पापा बीमार रहे फिर उसकी मम्मी और देखते देखते दस साल बीत गए।
अब हम दोनों की उम्र ब्यालीस हो गई, इस उम्र में उससे कौन ही शादी करता?
चंडीगढ़ में मैंने अपना घर भी बना लिया है, अब मेरी बेटी उर्वशी भी बड़ी हो गई है, वो कॉलेज में है बिल्कुल मॉडर्न हो गई है लेकिन हम तीनों अभी भी पेंडू (गंवार) से ही हैं।
रमित काम के सिलसिले में आया हुआ था चंडीगढ़, सो होटल में नहीं रूककर वो हमारे साथ ही रुक गया।
रमित- वाह यार, तेरा घर तो बड़ा आलिशान है !
मैं- बस यार ! और तूने मुम्बई में फ्लैट जो ख़रीदा था, उसका क्या किया?
रमित- यार फ्लैट में मज़े कहाँ? घर का अपना ही सुकून है और भाभी चंडीगढ़ में रहकर बिल्कुल मॉडर्न हो गई हैं।
जाहन्वी- बस भी करो रमित भैया तारीफे मैं जानती हूँ मेरे हांथों का बना खाना आपको कितना पसंद है
रमित- अरे सच में वर्ना शादी में आपको देखने मैं और ये शम्भू ही तो गए थे, इसे आप पेंडू लगे थे ये तो नहीं बोलने वाला था
जाहन्वी- जैसे कि खुद बड़े मॉडर्न हैं, पेंडू तो ये हैं भैया !
मैं- अरे मैं कहाँ पेंडू हूँ, जीन्स पहन लेने से कोई मॉडर्न नहीं हो जाता।
रमित- क्यूँ नहीं हो जाता, भाभी तो पहले सिर्फ साड़ी पहनती थी और अब ये जीन्स पहन कर एकदम मॉडर्न हो गई हैं।
जाहन्वी- अरे वो तो बस उर्वशी ज़िद करती है वर्ना मैं कहाँ ये सब कपड़े !
रमित- अरे, बिटिया कहाँ है? दिखाई नहीं दे रही है।
जाहन्वी- अभी एग्जाम चल रहे है तो दोस्त के पास है।
रमित- हाँ उसे देखे हुए तो दस साल हो गए।
मैं- हाँ, जब कुछ साल पहले मैं मुम्बई आया था, तब वो अपनी नानी के पास थी।
रात हो चली थी जाहन्वी रूम जा चुकी थी, मैं भी सोने अपने रूम जा रहा था- अच्छा भाई रमित, चलता हूँ, तू भी सो जा रात काफी हो चली है।
रमित- अभी कहाँ भाई पहले मुठ मारूँगा, नींद फिर आयेगी।
मैं यह सुनकर एकदम से सकपका गया, ठहर गया- यार रमित, तू आज भी मुठ मार मार कर सोता है?
रमित- और क्या यार, सब तेरे जैसे किस्मत वाले नहीं होते हैं, तुझे नहीं पता मैंने कैसे रातें गुजारी हैं।
मैं- यार, फिर तूने शादी क्यूँ नहीं की?
रमित- तुझे तो पता है तेरे शादी के तुरंत बाद ही मेरी शादी होने वाली थी लेकिन अचानक डैडी को हार्ट अटैक आ गया फिर वो चल बसे
मैं- लेकिन बाद में तो?
रमित- बाद में कब दोस्त, फिर माँ की तबियत ख़राब रहने लगी उनका सेवा करते करते मैं खुद चालीस पार हो गया।
मैं- लेकिन तूने अपने बारे कभी नहीं सोचा?
रमित- सोचा, लेकिन क्या करता, एक तरफ बीमार माँ, दूसरा जॉब ! इसी तरह हर रात मैंने मुठ मार के गुजारी है।
मैंने डरते डरते पूछा- यार, तूने कभी सेक्स किया है?
रमित- नहीं दोस्त, मैं आज तक सेक्स से वंचित हूँ।
मैं- कभी कोई रंडी, कोई नौकरानी या फिर कोई बैंक की औरत किसी से नहीं किया कुछ?
रमित- नहीं यार, मौका ही नहीं मिला !
मैं- चल कोई बात नहीं, अब माँ कैसी है?
रमित- बिस्तर पर पड़ी है कई साल से !
मैं- और अब क्या सोचा है?
रमित- सोचना क्या है, अब इस उम्र में कौन करेगा, मेरी छोड़ तू सुना कैसी रही तेरी सेक्स लाइफ?
मैं शरमाते हुए- यार, बस ठीक !
रमित- किससे शरमाते हो, मैं तेरे बचपन का दोस्त हूँ खुलकर बोल !
मैं- वो तो है, बस यार शुरू शुरू में तो मैं चार बार सेक्स करता था लेकिन फिर धीरे धीरे कम हो गया।
रमित- आजकल?
मैं- सप्ताह में एक या दो बार !
रमित- और कितने देर तक करता है?