अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा प्यार भरा नमस्कार। मैं अन्तर्वासना का पिछले 3 सालों से बहुत बड़ा प्रशंसक रहा हूँ। यहाँ पर मैंने काफी सारी कहानियां पढ़ी हैं जिनमें से ज्यादातर मुझे भाई-बहन की चुदाई की कहानियां ज्यादा पसंद आईं।
बदकिस्मती से मेरी अपनी कोई सगी बहन नहीं है.. जिसे मैं चोद सकूँ।
अन्तर्वासना पर ढेर सारी कहानियां पढ़ते-पढ़ते मेरा भी मन हुआ की मैं भी अपनी चुदाई की दास्तान आप सबके सामने रखूँ.. जो मैंने आज तक किसी को भी नहीं बताई। आपका और वक़्त जाया न करते हुए मैं सीधे कहानी पर आता हूँ।
मेरा नाम प्रेम (बदला हुआ) है। मेरी लम्बाई 5′ 11″ है.. स्लिम लेकिन गठीले बदन का मालिक हूँ, मैं महाराष्ट्र से हूँ.. फिलहाल मैं अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन करने के लिए पुणे में रहता हूँ। इस वक़्त मेरी उम्र 24 साल की है..
लेकिन जब मैंने पहली बार चुदाई की थी, तब मेरी उम्र 21 साल की थी। मेरे लंड का साइज़ भी औसत से कुछ बड़ा है।
मुझे लड़कियों को सीधा चोदने से पहले उनके साथ कामक्रीड़ा करना बहुत पसंद है। कामक्रीड़ा करने से लड़कियां बहुत ज्यादा उत्तेजित हो जाती हैं.. जिससे चुदाई का आनन्द कई गुना बढ़ जाता है।
मुझे ज्यादातर 18 से 30 साल की उम्र की लड़कियां ज्यादा आकर्षित करती हैं।
बात उन दिनों की है.. जब मेरे बड़े भाई की शादी की तैयारियां चल रही थीं।
मेरे पापा एक हाई स्कूल टीचर हैं। तब उनकी स्कूल की एक छात्रा भी हमारे घर रहने आई थी। चूँकि वो मेरे पापा को अपने पापा मानती थी। इसी तरह वो मेरी बहन बन गई।
उसका नाम विभा था।
पहली बार पापा ने जब घर में बताया कि वो आने वाली है तब मैंने ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई क्योंकि मैंने उसे पहले कभी नहीं देखा था।
लेकिन सच कहता हूँ दोस्तों जब मैंने उसे पहली बार देखा.. क्या क़यामत लग रही थी वो हरे रंग की टॉप और नीली जीन्स में..
उसे देखकर तो मैं पागल ही हो गया, सर से लेकर पैरों तक बला की खूबसूरत थी वो… सांवला रंग.. बड़ी-बड़ी आँखें.. भोली सी मुस्कान.. बाल तो जैसे बलखाती लहराती काली नागिन की तरह.. जो उसके गोल-गोल चूतड़ों के बीच वाली गहरी खाई को छू रहे थे।
पतली कमर.. मांसल भरी जांघें और उसकी गांड का तो क्या कहना.. मैं तो उसे देखता ही रह गया।
उसकी फिगर 32-28-34 थी, जो उसने मुझे बाद में बताई थी।
तब उसने मेरी तन्द्रा भंग की और पूछा- क्या देख रहे हो भैया?
मैं बिना कुछ कहे वहाँ से चला गया।
उस वक़्त से मैं बस उसको चोदने के तरीके ढूंढने लगा। अपना काम निकालने के लिए मैंने उससे बातें करना शुरू कर दी।
तब मुझे पता चला कि उसका कोई प्रेमी नहीं है। मैं और खुश हो गया कि चलो माल कोरा है।
थोड़े ही समय में वो मुझसे काफी खुल गई और हम हँसी-मजाक भी करने लगे। बातों-बातों में मैं उसे छू भी लेता.. पर वो इसका कोई विरोध नहीं जताती थी। मैं आश्वस्त हो गया कि अगर मैं कुछ करूँ तो यह बुरा नहीं मानेगी।
वो शादी से कुल 5 या 6 दिन पहले हमारे यहाँ आई थी.. तो मेरे पास उसकी चूत हासिल करने का काफी समय था लेकिन कोई रास्ता मुझे नजर नहीं आ रहा था।
मैं धीरे-धीरे मायूस होने लगा।
लेकिन शायद उस दिन किस्मत मुझ पर काफी मेहरबान थी। हुआ यूँ कि हमेशा की तरह सवेरे-सवेरे मैं उससे बात करने के लिए उसके कमरे में गया.. तो वो तभी नहा कर बाहर आई थी।
बदकिस्मती से मेरी अपनी कोई सगी बहन नहीं है.. जिसे मैं चोद सकूँ।
अन्तर्वासना पर ढेर सारी कहानियां पढ़ते-पढ़ते मेरा भी मन हुआ की मैं भी अपनी चुदाई की दास्तान आप सबके सामने रखूँ.. जो मैंने आज तक किसी को भी नहीं बताई। आपका और वक़्त जाया न करते हुए मैं सीधे कहानी पर आता हूँ।
मेरा नाम प्रेम (बदला हुआ) है। मेरी लम्बाई 5′ 11″ है.. स्लिम लेकिन गठीले बदन का मालिक हूँ, मैं महाराष्ट्र से हूँ.. फिलहाल मैं अपनी पोस्ट ग्रेजुएशन करने के लिए पुणे में रहता हूँ। इस वक़्त मेरी उम्र 24 साल की है..
लेकिन जब मैंने पहली बार चुदाई की थी, तब मेरी उम्र 21 साल की थी। मेरे लंड का साइज़ भी औसत से कुछ बड़ा है।
मुझे लड़कियों को सीधा चोदने से पहले उनके साथ कामक्रीड़ा करना बहुत पसंद है। कामक्रीड़ा करने से लड़कियां बहुत ज्यादा उत्तेजित हो जाती हैं.. जिससे चुदाई का आनन्द कई गुना बढ़ जाता है।
मुझे ज्यादातर 18 से 30 साल की उम्र की लड़कियां ज्यादा आकर्षित करती हैं।
बात उन दिनों की है.. जब मेरे बड़े भाई की शादी की तैयारियां चल रही थीं।
मेरे पापा एक हाई स्कूल टीचर हैं। तब उनकी स्कूल की एक छात्रा भी हमारे घर रहने आई थी। चूँकि वो मेरे पापा को अपने पापा मानती थी। इसी तरह वो मेरी बहन बन गई।
उसका नाम विभा था।
पहली बार पापा ने जब घर में बताया कि वो आने वाली है तब मैंने ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई क्योंकि मैंने उसे पहले कभी नहीं देखा था।
लेकिन सच कहता हूँ दोस्तों जब मैंने उसे पहली बार देखा.. क्या क़यामत लग रही थी वो हरे रंग की टॉप और नीली जीन्स में..
उसे देखकर तो मैं पागल ही हो गया, सर से लेकर पैरों तक बला की खूबसूरत थी वो… सांवला रंग.. बड़ी-बड़ी आँखें.. भोली सी मुस्कान.. बाल तो जैसे बलखाती लहराती काली नागिन की तरह.. जो उसके गोल-गोल चूतड़ों के बीच वाली गहरी खाई को छू रहे थे।
पतली कमर.. मांसल भरी जांघें और उसकी गांड का तो क्या कहना.. मैं तो उसे देखता ही रह गया।
उसकी फिगर 32-28-34 थी, जो उसने मुझे बाद में बताई थी।
तब उसने मेरी तन्द्रा भंग की और पूछा- क्या देख रहे हो भैया?
मैं बिना कुछ कहे वहाँ से चला गया।
उस वक़्त से मैं बस उसको चोदने के तरीके ढूंढने लगा। अपना काम निकालने के लिए मैंने उससे बातें करना शुरू कर दी।
तब मुझे पता चला कि उसका कोई प्रेमी नहीं है। मैं और खुश हो गया कि चलो माल कोरा है।
थोड़े ही समय में वो मुझसे काफी खुल गई और हम हँसी-मजाक भी करने लगे। बातों-बातों में मैं उसे छू भी लेता.. पर वो इसका कोई विरोध नहीं जताती थी। मैं आश्वस्त हो गया कि अगर मैं कुछ करूँ तो यह बुरा नहीं मानेगी।
वो शादी से कुल 5 या 6 दिन पहले हमारे यहाँ आई थी.. तो मेरे पास उसकी चूत हासिल करने का काफी समय था लेकिन कोई रास्ता मुझे नजर नहीं आ रहा था।
मैं धीरे-धीरे मायूस होने लगा।
लेकिन शायद उस दिन किस्मत मुझ पर काफी मेहरबान थी। हुआ यूँ कि हमेशा की तरह सवेरे-सवेरे मैं उससे बात करने के लिए उसके कमरे में गया.. तो वो तभी नहा कर बाहर आई थी।