अध्याय 60
गहरी खामोशी और गहरे सोच में हम दोनो ही गुम थे और रश्मि के कमरे में बैठे हुए थे,
"मैं जानता हु रश्मि की काजल क्या कर रही है "
मैंने बहुत सोच कर कहा था ,रश्मि ने सर उठाकर मुझे देखा ,उसका उदास चहरा अचानक से कोई नूर छोड़ गया था,
"लेकिन मुझे ये नही पता की वो चाहती क्या है ,मैं भी इंसान हु ,मेरी भी कुछ भावनाएं है,जैसे मैं उसके लिए मर ही गया हु ,कई दिनों से हमारे बीच कोई बातचीत ही नही रही है ,लेकिन मैं इतना तो जरूर जानता हु वो मुझे धोखा दे रही है ."
रश्मि का चहरा खिल गया,मैं झूट बोल रहा की काजल और मेरे बीच में कोई भी बातचीत नही हो रही है लेकिन मैं रश्मि पर पूरी तरह से विस्वास भी तो नही कर सकता था ...
"तुम मुझे बताओ की मुझे क्या करना चाहिए,मैं तंग आ चुका हु मैं एक आराम की जिंदगी बसर करना चाहता हु ,मुझे इन झमेलो से निकलना है ."
रश्मि ने मेरे आंखों में देखा उसमें एक चमक दिखाई दी..
"तुम क्या चाहती हो और अगर तुम्हे काजल को रोकना है तो क्यो "
मैंने रश्मि के ऊपर एक प्रश्न दागा .
"पहले तो मुझे खान साहब के प्रोपर्टी में अपने हिस्से की चिंता थी लेकिन अब ...अब तो मुझे बस अजीम की चिंता हो रही है ,अगर उसे बाहर नही निकाला तो वो मर जाएगा "
वो जोरो से रोने लगी थी
मैं उसके पास जाकर उसके कंधे पर अपना हाथ रखा
"जिस आदमी ने तुम्हे इतना सताया तुम उसके लिए क्यो परेशान हो रही हो "
वो सर उठाकर मुझे देखने लगी .
"क्योकि मैं उसे प्यार करती हु ,वो मेरा पति था ...देव एक लड़की के दिल की बात तुम नही समझ पाओगे,कई मजबूरियां होती है लेकिन कुछ भी हो मैंने उससे ही तो प्यार किया था ."
मैं इसी सोच में पड़ गया की हो सकता है की काजल की भी कुछ मजबूरियां हो लेकिन वो मुझसे भी प्यार करती हो .
"मेरे दिमाग में एक प्लान है क्या तुम मुझपर भरोसा कर सकती हो "
मैंने झट से कहा
वो मानो खुस हो गई
"मुझे तुम्हारे ऊपर पूरा भरोसा है देव तुम कहो तो सही.."
मुझे अब अपना मैनेजर वाला दिमाग लगाना था ..
"तुम्हे क्या लगता है की अजीम इतना कमजोर क्यो हो रहा है "
वो आश्चर्य से मुझे देखने लगी
"क्या वो ड्रग्स लेता है ???"
"बहुत ज्यादा लेता था लेकिन अभी उसे ड्रग्स ."
वो कहते कहते रुक गई
"वाओ देव कमाल है ,हा समझ गई ठाकुर और काजल मिलकर उसे ड्रग्स दे रहे है ...ओह माय गॉड इसलिए वो काजल का ऐसा दीवाना बना घूम रहा है "
रश्मि की आंखों की चमक और भी बढ़ गई ,मेरे दिमाग में कई खुरापात एक साथ चलने लगी थी ..
"अब हमे क्या करना चाहिए "
रश्मि ने बड़े ही जल्दबाजी में मुझसे पूछा..
"पहले तो पता करो क्या तूम अपने कांटेक्टस के बारे में मुझे बता सकती हो .."
वो थोड़ी देर सोचती रही ,इतने अचानक मुझपर वो इतना विस्वास कैसे कर सकती थी ..
लेकिन फिर उसने थोड़े हिम्मत भरे स्वर में कहा
"हा बिल्कुल "
"तो जेल में अपना आदमी कौन है "
"फिलहाल तो कोई भी नही "
"तो बिठाओ या खरीदो किसी को "
वो मुझे देखने लगी
"हो सके तो ऐसा सिपाही जो बिल्कुल ही आम हो ,थोड़े पैसे में ही जिसे खरीदा जा सके "
उसने अपना सर हा में हिलाया
"और खान के पास हमारा कोई आदमी "
"हा है तुम जानते हो उसे मोहनी "
मोहनी का नाम सुनकर मैं जोरो से हँस पड़ा
"वो किसी काम की नही है ,वो बस एक ही काम के लिए ठीक है "
मैं फिर से हँस पड़ा और रश्मि ने मुझे थोड़ी नाराजगी से देखा
"एक आदमी बैठना पड़ेगा ,मेरी नजर में है एक लड़का "
वो शांत ही रही
"तुम्हे जो भी करना है करो तुम्हे जितना पैसा चाहिए मैं तुम्हे दूंगी लेकिन ...लेकिन अजीम को उस काजल से बचाओ मेरे पास बहुत है और मुझे अब उनकी दौलत नही चाहिए,अजीम और खान साहब को तो अपने कर्मो की सजा तो भुगतनी ही पड़ेगी लेकिन मैं अपने पत्नी धर्म का तो पालन कर ही सकती हु ,एक बार उन्हें इस दलदल से निकाल दु बस ,फिर कभी उसने नही मिलूंगी "
रश्मि के चहरे में सच में दर्द टपक रहा था ..
पता नही क्यो मेरी सहानुभूति उसकी ओर बढ़ रही थी ,जैसा मैंने अभी तक उसके बारे में सोचा था वो उससे बिल्कुल ही अलग निकली थी ,वो एक बड़े बाप की बिगड़ी हुई औलाद तो थी लेकिन वक्त ने उसे बहुत कुछ सिखाया था,उसके दिल में आज भी अजीम के लिए गुस्सा था लेकिन फिर भी वो उसे अपना पति ही मानती थी ,मैं तो उसे चालबाज समझता था लेकिन वो बस उतना ही उड़ सकती थी जितना पैसे के दम में एक इंसान उड़ता है,काजल ने उसे असहाय बना दिया था क्योकि काजल के सामने उसके पैसो की बिल्कुल भी नही चल पा रही थी .
"एक अंतिम बात ..काजल के पास ऐसा कोई है जो उसकी खबर तुम तक पहुचाये "
"हा है ना ...शबनम .."
उसकी बात सुनकर मेरे होठो की मुस्कान गहरी हो गई ,तो शबनम भी मेरी ही तरह दोनो तरफ से खेल रही थी ,
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अध्याय 61
कमरे के बड़े से बिस्तर में मैं शबनम के पहलू में लेटा हुआ था ,रश्मि ने आज मुझे शबनम से नए तरीके से मिलवाया था,
हम दोनो को ही ये पता था की हम किसका साथ दे रहे है,मैं उसे उसी कमरे में ले आया जंहा हम अधिकतर ही मिला करते थे,मैं अभी उसके गोद में सोया था और वो मेरे बालो पर अपनी उंगलियां फेर रही थी ,
उसकी गोद में मुझे एक अलग सा सुकून और शांति का अहसास होता है ,ऐसा लगता है जैसे वो ही मेरी सबसे अच्छी दोस्त है मेरा सहारा है.
"आखिर तुमने भी रश्मि के साथ हाथ मिला लिया "
वो मुस्कुराती हुई बोली
"क्या करू कुछ तो करना ही होगा ,काजल क्या करती है मुझे तो आजतक समझ ही नही आया "
"क्या करती है या क्यो करती है क्या जानने के लिए रश्मि के साथ आये हो"
"दोनो ही चीजे आखिर वो ऐसी क्यो हो गई है."
शबनम थोड़ी देर तक खामोश ही रही
"उसने तुम्हे नही बतलाया ??"
"बतलाया था अपनी कहानी उसने भी बतलाई थी लेकिन ."
"लेकिन क्या ??"
"यकीन नही होता .."
"क्यो ??"
"क्योकि मैंने किसी से एक दूसरी ही कहानी सुन रखी है "
शबनम का हाथ अचानक ही रुक गया
"कौन सी कहानी "
"श्रुति की कहानी "
उसके चहरे में हल्की सी मुस्कान उभर कर आ गई
"तो तुम केशरगढ़ में बहुत खोज बिन करके आ गए ...किसने सुनाई कहानी डॉ. चुतिया ने या मलीना मेडम ने "
मैं चौका ..
"तुम इन्हें कैसे जानती हो "
"क्योकि वो कहानी सच है और काजल मुझसे कुछ भी नही छुपाती "
मैं अब उठ बैठा था.
"तो काजल ने मुझे झूट कहा था "
मैं उसे घूरने लगा
"नही काजल ने भी सच ही कहा "
मैं बड़े ही असमंजस में पड़ गया था
"मतलब एक ही कहानी सच हो सकती है दोनो कैसे "
वो मुस्कुराई
"इसके लिए तुम्हे अतीत में झकना होगा देव ...काजल ने मुझे मना किया था की उसके अतीत के बारे में कुछ भी तुम्हे नही बताऊँ लेकिन मुझे लगता है की अब वो समय आ चुका है जब तुम्हे ये जानने का हक है,वरना तुम उससे सिर्फ नफरत ही करते रहोगे ."
शबनम के आंखों से एक आंसू गिर गया ..
मैंने उसका हाथ थाम लिया था ..
उसने कहना शुरू कीया
"बात तब की है जब केशरागड के करीब शहर में होटल आदित्य की मालकिन काजल हुआ करती थी ,काजल की एक और सहेली थी जिसका नाम था नेहा ,काजल के पति का नाम विकास था जो की एक आईएएस ऑफिसर थे ,विकास की एक और बीवी थी जिनसे तुम मिले थे ,मलीना ,उनसे उन्हें एक लड़की थी जिसका नाम रखा गया श्रुति ...
"
मैं ध्यान से उसकी बातो को सुन रहा था.
"काजल की दोस्त नेहा का पति रॉकी था जो की आदित्य इंटरनेशनल का मैनेजर हुआ करता था ,उन दोनो की एक बेटी थी जो की श्रुति की हम उम्र ही थी ,नेहा और काजल का प्यार बहनों की तरह था शायद उससे भी ज्यादा इसलिए नेहा ने अपनी बेटी का नाम भी उसके नाम पर काजल ही रखा ...वही हमारी काजल है देव .."
उसकी आंखों से आंसू झलक आये थे ,
मैंने उसके गालो पर हाथ फेरा ..
"तो नेहा काजल की मां थी ,तो डॉ ने मुझे मलीना के सामने श्रुति का पति क्यो कहा ???"
मैंने सवाल किया ..
"क्योकि भगवान को कुछ और ही मंजूर था ,काजल और श्रुति ना सिर्फ हम उम्र थे बल्कि उनमे बहुत ज्यादा प्यार भी था,जैसे नेहा और काजल में हुआ करता था ,तभी विकास का ट्रांसफर दिल्ली हो गया ,उसे केंद्र सरकार में काम करने के लिए बुला लिया गया ,काजल भी होटल के काम से तंग आकर उसे बेचने की सोच ली आधा शेयर अपनी बहन की तरह प्यारी दोस्त नेहा के नाम कर दिया और आधा खरीदा खान ने .
फिर काजल विकास के साथ दिल्ली चली गई ,
वक्त ने करवट बदली खान का दिल नेहा पर आया हुआ था ,लेकिन वो कुछ कर नही पा रहा था जबतक की उसे इन सबकी असलियत पता नही चल गई .
नेहा का पति रॉकी पहले काजल का बॉयफ्रेंड हुआ करता था और तब भी उसे काजल से मोहोब्बत थी लेकिन जब काजल और विकास के बीच सब सही हो गया उसने नेहा से शादी कर ली ,वही नेहा हमेशा ही विकास से प्यार किए करती थी पहले उनका शारीरिक संबंध भी रह चुका था ,उसने रॉकी को बतलाया नही था की असल में काजल(नई वाली ) भी विकास के बीज से ही जन्मी थी ,ये बात नेहा ने ना सिर्फ रॉकी से बल्कि काजल और विकास से भी छुपाई थी ,लेकिन खान को जब उन सब के पुराने रिलेशन के बारे में पता चला तो उसने रॉकी के कान भरने शुरू किये ,और रॉकी को ब्लड टेस्ट से ये पता चल गया की जिसे वो अपनी बेटी मानता था असल में वो विकास की बेटी थी ,खान ने उसे चुप रहने के लिया कहा और पहले उसे नेहा से होटल के आधे शेयर हासिल करने की स्किम बनाई ..
रॉकी बदले की आग में जल रहा था ,उसे हमेशा लगता था की काजल नेहा और विकास ने मिलकर उसे चुतिया ही बनाया है,वो पहलवानों की तरह ताकतवर था लेकिन खुद का दिमाग चलाने में उतना महिर नही था जितना की खान ,खान को भी दौलत और नेहा का जिस्म चाहिए था,उसने इंस्पेक्टर ठाकुर को अपने साथ मिला लिया,उसे ये भी पता था की इन सबके बीच विकास जो की एक आईएएस है उससे जितना मुश्किल होगा ,इसलिए उसने उसे भी अपने रास्ते से हटाने की सोच ली ,इन सबमे सिर्फ मलीना ही उनके लिए कोई खतरा पैदा नही कर सकती थी इसलिए उसपर हाथ लगाना उन्होंने ठीक नही समझा .
वो काली रात थी जब काजल(नई) के गले में चाकू रखकर रॉकी और खान ने नेहा से शेयर रॉकी के नाम पर करवा लिए ,उसके बाद बेटी के सामने ही ठाकुर रॉकी और खान ने नेहा का बलात्कार किया ,इन सबके बाद उसको जिंदा छोड़ना मुश्किल था ,उन्होंने दोनो मा बेटी को बांधकर घर समेत जला दिया ...."
मैं सुन्न रह गया था ,...और शबनम की आंखों से आंसू अनवरत गिरे जा रहा था .
"रॉकी ने विकास से बदला लेने के लिए विकास की दूसरी बेटी श्रुति को भी किडनैप कर लिया ,और वँहा से भाग गया ,ये सभी बाते जब बाहर आयी तो इंस्पेक्टर ठाकुर ने खान को साफ साफ इन सबसे अलग कर दिया और पूरा दोषी रॉकी को बना दिया जो की आज तक फरार है,इन घटना सुनकर विकास और काजल दिल्ली से वापस आये लेकिन रास्ते में उनके गाड़ी का एक्सीडेंट करवा दिया गया ,आगजनी में काजल(नई) निकल गईं थी ,जिसका पता सिर्फ डॉ चुतिया को था,लेकिन उन्होंने उसे पुलिस के सामने ना ले जाने का फैसला किया ,एक्सीडेंट में विकास और काजल गंभीर हो चुके थे ,काजल जब अति गंभीर अवस्था में थी तो उसने अपने जान से प्यारी सहेली के बेटी काजल से मुलाकात की ,जिसे डॉ सबकी नजर से बचा कर उसके पास ले आया था ,उसने काजल के कानो में बस एक बात कही थी ..'अपने मा के कातिलों को तड़फ़ा तदफ़ा कर मारना,उन्हें आसान मौत नही आनी चाहिए ,तोड़ देना उनका दम, गुरुर,जिस्म सब कुछ छीन लेना उनसे जो उन्हें प्यारे हो ,ऐसी स्तिथि में ला देना की वो मौत चाहे लेकिन मर नही पाए , '....काजल ने वो बात सीने में बसा लीया...और आज वो अपने बदले के बहुत करीब है ."
मैं सन्न रह गया था लेकिन काजल ने मुझे थोड़ी अलग कहानी सुनाई थी ,शायद वो मुझे कुछ चीजे नही बतलाना चाहती थी ..
"डॉ चुतिया ने काजल की परवरिश की जिम्मेदारी अपने ही एक आदमी को दे दी जिनकी पत्नी का इंतकाल हो चुका था और एक बेटा भी था,जिसे आज तुम काजल के पिता और भाई के रूप में जानते हो,उसे मलीना से मा का प्यार मिला मलीना उसमे ही अपनी खोई हुई बेटी श्रुति को देखती है और उसे ही श्रुति कहा करती है ,जब काजल थोड़ी बड़ी हो गई तो सब उसे श्रुति ही कहा करते थे ,सबको यही लगता था की मलीना ने उसे गोद लिया हुआ है ,क्योकि काजल कभी पहले केशरागड में नही रही थी बल्कि उसकी परवरिश शहर में होटल आदित्य में हुई थी इसलिए केशरगढ़ के लोग उसे कम ही पहचानते थे,इसका फायदा उसे हुआ ,वो हमेशा ही डॉ और मलीना के संरक्षण में रही ,लेकिन वो अपनी उस आग को बुझा नही पाई ना ही उसने कभी काजल मेडम की बात को ही भुलाया ,उसकी बदकिस्मती की उसे कालेज के दौरान तुमसे प्यार हो गया और तुम्हारी बदकिस्मती की तुम्हे वो सब पता चल गया जो तुम्हे नही पता चलना था,काजल तुम्हे नही छोड़ सकती,
लेकिन वो इस मकसद को भी नही छोड़ सकती जिसके कारण ही वो जी रही है ...इसलिए वो ये कोशिस करती है की तुम उसके साथ आ जाओ चाहे,"
वो इतना बोल कर थोड़ी मुस्करा पड़ी मैं समझ रहा था की वो क्यो मुस्कुरा रही थी ,वो भी जानती थी की आजकल काजल मुझे क्या बनाने की कोशिस कर रही है ,लेकिन मैं अब उसकी मजबूरी को समझ सकता था .
"उसका ये सब करना जायज है शबनम लेकिन ...रॉकी का क्या हुआ क्या वो मिला ??"
शबनम ने एक गहरी सांस ली
"वो वँहा से भागने के बाद एक अमीर विधवा को फंसा कर उससे शादी कर ली,जिसकी एक बेटी भी थी ,आजकल रॉकी को लोग कपूर साहब के नाम से जानते है "
मैं बुरी तरह से बौखला गया था ,
"कपूर साहब "मेरी मुठ्ठी बंद होने लगी मैं गुस्से में जल रहा था .,उसने मुझे शांत कराया..
"वक्त आने पर सही वार करना है हमे देव अभी से गुस्सा होने से कुछ नही होगा "
मैं शांत हुआ
"लेकिन शबनम आखिर श्रुति का क्या हुआ ,क्या वो मिली "
शबनम हँस पड़ी
"हा डॉ ने उसे खोज निकाला इसके लिए उनको रॉकी से फिर से दोस्ती भी करनी पड़ी ,लेकिन आजतक उन्होंने उसे सबसे छुपा कर रखा है...रॉकी ने विकास से बदला लेने के लिए उसे एक कोठे में बेच दिया ,लेकिन उसकी किस्मत अच्छी थी वो बहुत ही खूबसूरत थी तो एक पुराने नवाब ने उसे खरीद कर अपने घर में रख लिया ,वो उनकी सेविका बनकर रहने लगी ,वंही उसे नया नाम दिया गया और साथ ही नया काम भी और साथ ही उसकी शादी एक लड़के से भी करा दी गई "
मैं उसे आश्चर्य से देखा
"तुम इतना कैसे जानती हो"
वो मुस्कुराई ,इस बार उसके होठो की मुस्कान और भी गहरी थी
"क्योकि मैं ही श्रुति हु देव .."
मैं बस उसके चहरे को देखता रहा उसकी आंखों में मेरे लिए बस प्यार था उसकी हर बात में सच्चाई थी ,अब मुझे समझ आ रहा था की आखिर शबनम और काजल की दोस्ती इतनी गहरी क्यो है ,वो दोनो ही बहने है और उससे भी ज्यादा है ......
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अध्याय 62
शबनम की आँखो में आंसू था और होठो में मुस्कुराहट,ये वो पल होता है जब कोई खुसी में नही आनन्द में हो ,दिल खुशी होठो में चमक रही थी और आंखो से मोती बनकर टपक रही थी,नयनो के अंदर बस प्यार ही प्यार दिखाई दे रहा था,उसका हाथ मेरे सर को सहला रहा था और मैं उसकी गोद में अपना सर टिकाए हुए किसी स्वर्ग की सैर में था,
"शबनम क्या तुम भी मुझसे प्यार करती हो .."
मैं उसके गोद में कुछ और ही धंस गया था
शायद उसके होठो की मुसकान और भी चौड़ी हो गई हो,
"कोई शक है क्या ???"
"लेकिन मैं तो तुम्हारी बहन का पति हु "
"तो ."
"तो क्या तुम्हे पता नही क्या की मैं क्या कहना चाहता हु .."
"शायद ये हमारे खून में ही है देव...मेरी और काजल की माए भी तो एक ही लड़के के प्यार में थी जो की उनका पति नही था."
वो खुलकर हँस पड़ी ,मैंने अपना चहरा ऊपर कर उसकी ओर देखा आज वो कुछ और ही छटा बिखेर रही थी ,चहरा दमक रहा था,उज्जवल काया में कोई दाग ही नही था,आज मैंने उसके त्वचा के उस रंग को गौर किया वो सच में मलीना के गुणों से भरी हुई थी लेकिन थोड़ी यूरोपियन थोड़ी भारतीय,वक्त ने उसके भारतीय गुणों को ज्यादा उजागर किया था,वो शर्माती हंसती हो लाल हो जाया करती थी ,मानो खून उतर आया हो,गोल गोल गालो और भरे हुए जिस्म के कारण वो बहुत मस्तानी लगा करती थी लेकिन आज उसकी मासूमियत भी उसके चहरे से टपक रही थी,उसके कमीज से छलकते हुए उसके दो उजोर अपने पूरे सबाब में मुझे उसका चहरा देखने से रोकते थे,और उसके जांघो में भरा हुआ मुलायम मांस आज मेरा तकिया था ..
उसके हँसने पर एक पंक्ति में जमे हुए उसके चमकदार दांत और किसी ताजा सेब से लाल चमकदार मसूड़े मेरे दिल की गहराइयों में बस गए थे.
मेरी नजर बस उसपर जम ही गई ,वो इससे शर्मा सी गई थी ,
उसके गुलाबी लेकिन भरे हुए होठ ऐसे फड़कने लगे थे जैसे जैसे किसी जाम से मदिरा छलक रही हो ..
मुझसे और सब्र नही हो पाया मैं उठा और उसके होठो के सबाब को अपने होठो में भर ही लिया ,वो दोहरी हुई लेटती गई और आखिर में उसका जिस्म मेरे बांहो में था ,वो चंचल सी शोख हसीना आज किसी समर्पण की देवी सी मेरे बांहो में कैद थी .
मेरा शरीर उसके शरीर के ऊपर था और हमारे होठो एक दूजे के होठो पर शिद्दत से छाए हुए थे,कोई बेताबी कोई बेचैनी कोई भी जल्दबाजी दिल में नही थी ,एक सुकून था उसके इन मय के प्यालों में जिसे मैं शिद्दत से पीना चाहता था ,पूरी तरह से पूरी तृप्ति होने तक ,,...
वो अपना हाथ मेरे बालो में फंसा कर मेरा साथ दे रही थी ,ऐसा लगा जैसे आज मैं किसी और ही शबनम के साथ था ,वो शबनम जो मुझे प्यार करती है ,
और ये प्यार जिस्मनी नही था ,ऐसा लगा जैसे उसके रूह से आती हुई कोई प्यार की लहरे मेरे मन के किसी कोने को भिगो रही थी ,
वो एक अजीब सा सुख दे रही थी ,हर अहसास में वो जिंदा सी लगी ,किसी भी तरह का दिखावा और मुर्दापन नही था,मैं तो बस डूब ही जाना चाहता था और मैं डूब ही गया,ना जाने कितने देर तक हम बस एक दूजे के ही होठो को पीते रहे ,
ना जाने कब हमारी आंखों ने पानी छोड़ दिया,ये भावनाओ का शैलाब सा आ गया था जिसे हम दोनो ही रोकना नही चाहते थे और रोके भी क्यो.
उसके जिस्म की गर्मी और नरमी ने मुझमें हवस की कोई आग नही जलाई थी ,मेरा हाथ उसके पुष्ट जांघो को सहला रहा था लेकिन अभी भी हम बस उसी अज्ञात दरिया में डूबे हुए थे जिसमे से बाहर निकल पाना मुश्किल हो रहा था,उसने मुझे कस रखा था और मैं उसके मखमली जिस्म में हाथ फेर रहा था,
पता नही क्यो ऐसा लगा की अब हमारे जिस्म के बीच कपड़ो की दूरियां भी नही होनी चाहिए,मैंने ही पहल की और उसने साथ दिया ,हम कब नंगे हुए हमे पता ही नही था,
दोनो का बदन तप रहा था,सांसे तेज थी और मेरे लिंग में भी कसावट थी लेकिन दुविधा ,और उतावलापन अब भी नही था ,ना ही मैंने उसके अंदर जाने के लिए कोई मेहनत की ना ही उसने मुझे अपने अंदर लेने के लिए कुछ किया ,
हमारा जिस्म बस एक दूसरे में रगड़ खा रहा था और थोड़ी भी दूरी बेहद ज्यादा लग रही थी ,यू ही उसके होठो गालो को चूमता जा रहा था,वो भी कभी मेरे ऊपर आ कर मेरे शरीर को चूमती थी ,उसके बाल फैल गए थे और वो साक्षात काम की देवी का रूप लग रही थी,मोहक इतनी की आंखे जो जम गई तो फिर नजर किनारे ही नही हो पा रही थी,फैले हुए काले लंबे बाल और गोरे जिस्म में हल्की हल्की पसीने की बूंदे,नंगा जिस्म चमक रहा था और पसीने से थोड़ा भीग कर नरमी का अहसास दे रहा था ,वो मेरे कमर में बैठी थी और उसके गद्देदार कूल्हे का नरम अहसास मैं अपने लिंग पर कर पा रहा था ,
फिर भी कोई उतावला पन नही था..
बस उसके रूप को मोहित होकर देखे जा रहा था,वो झुकी और फिर से हमारे होठ एक दूजे में मिल गए ,कहने को कोई बात नही रह गई थी था तो बस अहसास .
गीले योनि में कब मेरा लिंग फिसल गया इसकी भनक भी नही लगी ,थोड़ी रगड़ होने लगी और रगड़ से उठाने वाले सुखद अहसास ने हमे घेर लिया लेकिन फिर भी दिल में सुकून की एक गहरी छाया थी जो हट नही पाई,लिंग और योनि के संगम ने भी हमारे मन को विचलित नही किया था ,बस एक दूसरे का हो जाने के अहसास में हम डूबे हुए थे ,ना जाने कितनी देर ना जाने कितने घंटे.
बस यू ही रहे ..
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