अध्याय 51
ये क्या हो रहा है ,इतना तिरिस्कार ,इतनी जिल्लत ,इतनी नाकामी..

इतना बेसहारा तो मैंने अपने को कभी महसूस ही नही किया था,ये मेरे अंदर की निर्लज्जता थी या नपुंसकता ..

मैं क्यो कुछ नही कर पा रहा था ,मैं अपने को असहाय महसूस कर रहा था ,मैं अंदर से टूटा हुआ महसूस कर रहा था ,

मैं डरा हुआ था,कुछ घबराया हुआ,..

मुझे किसी ने कुछ भी तो नही किया था,किसी ने कुछ भी नही किया था लेकिन ये क्यो हो रहा था,

क्यो मेरे दिमाग में काजल और ठाकुर की छबि बार बार आ रही थी,क्यो मैं इतना बेचैन था की वो दोनो आखिर कर क्या रहे होंगे ,मैं अपने को रोक ही नही पा रहा था,मैं फिर से उसी दर्द को बार बार महसूस कर रहा था,मैं सोच कर ही सिहर उठता था की मेरी ही मौजूदगी में कोई मेरी पत्नी के साथ ...

मुझे रोना आ रहा था ,.........

आखिर क्यो मैं इसे चुपचाप देखता रहा मैं वँहा से भाग क्यो नही गया ,

आखिर मुझे हुआ क्या था की मेरा लिंग ये सब देखकर अकड़ रहा था,आखिर मैं ऐसा कैसे हो गया था ,

जिसकी रक्षा की शपथ ली थी उसे दूसरे के साथ देखकर ??????

लेकिन उसे क्या सच में रक्षा की जरूरत थी ,मेरे खयाल से नही ,वो खुद ही इसे अपनायी थी ,काजल अगर यंहा थी तो वो अपने लिए डिसीजन के कारण थी ,ये उसका खुद का ही तो फैसला था...

मैं गार्डन में बैठा हुआ रो रहा था की मेरे मोबाइल की घंटी बजी.

मैं चौक कर देखा तो वो काजल थी ,और भी ज्यादा चौक गया ...

एक पूरा रिंग होने पर भी मैं उसे नही उठा पाया ,थोड़ी ही देर में अगला रिंग भी बजने लगा

"हैल्लो "मैं थका हुआ सा बोल पाया

"तुम यंहा क्या कर रहे हो "वो बौखलाई हुई आवाज में बोली

मैं हड़बड़ा गया था मैं चारो ओर देखने लगा ,मैं उस खिड़की के तरफ देखा जिस कमरे में वो दोनो गए थे ,कांच की खिड़की में लगे हुए पर्दे से झांकती हुई काजल मुझे दिखी ,मेरे पास कहने को कोई शब्द नही था ,लेकिन शायद वो मेरी कंडीसन देख कर समझ चुकी थी आखिर मैंने क्या देख लिया है ...वो अभी भी साड़ी और ब्लाउज पहने हुई थी लेकिन अब भी उसका दुप्पटा उसके कंधे में नही था.

"तुम तुम पागल हो क्या,यहां कैसे आ गए और ये क्या कर रहे हो कोई देख लेगा तो .."

वो घबराई हुई थी

"और ऐसा हाल क्यो बना लिया है "

कहते कहते ही उसका गला भर गया ,उसकी आंखों से पानी तो नही झर रहा था लेकिन उसकी आवाज से जरूर पता चल रहा था की मेरी हालत देखकर उसे दुख ज़रूर हुआ होगा..

"अब कुछ बोलो भी "

"ठाकुर कहा है "

मेरे सवाल पर वो थोड़ी देर तक चुप ही थी,

"वो अभी बाथरूम में है उसके निकलने से पहले तुम यंहा से चले जाओ प्लीज् "

मैं उसे यू ही देखता रहा जैसे कोई खोया हुआ खजाना मेरे सामने हो..

"तुमने ही तो कहा था ना की देखो और इन्जॉय करो तो इन्जॉय करने आ गया था "

मेरे बातो में वो व्यंग था जिसे काजल अच्छे से समझती थी

"प्लीज् देव मैं जानती हु की तुम ये सब सह नही पाओगे ,देखो तुम्हारी हालत क्या हो गई है,"

उसके आवाज के दर्द को मैं महसूस कर पा रहा था ,मैं एक गहरी सांस लिया

"मुझे कुछ नही होगा तुम वो करो जो तुम यंहा करने आई हो "

पीछे से ठाकुर की आवाज आयी और काजल ने फोन काट दिया ,लेकिन पलटने से पहले ही उसने आंखों ही आंखों से मुझे समझया की मैं वँहा से चला जाऊ.

वो पलटी साथ ही उसने पर्दा भी खिंच लिया ,मेरे हेडफोन अब भी मेरे कानो में थे मैं उनकी बाते भी सुन सकता था..

"डार्लिंग अब और मत तड़फओ आओ इधर "

इस बार काजल ने कुछ नही कहा था लेकिन धम्म की आवाज से इतना तो मुझे समझ आ गया की वो बिस्तर में बैठ या लेट चुकी थी ,

"ओह मेरी जान क्या हुस्न पाया है तुमने मन करता है की कच्चा चबा जाऊ "

ठाकुर की ललचाई सी आवाज आयी ,लेकिन फिर भी काजल ने कुछ भी नही कहा

"क्या हुआ तुम्हे अभी तो अच्छी थी ???"

"कुछ अजीब सा लग रहा है ,"

"तबियत तो ठीक है "

"ह्म्म्म ,नही रुको...आज नही कभी और करते है "

"मैं सह नही पाऊंगा "

"जब जिंदगी भर के लिए कोई चीज मिल रही हो तो थोड़ा इंतजार कर ही लेना चाहिए "

पहली बार काजल की हँसी मुझे सुनाई दी लेकिन वो हँसी भी बड़ी फीकी सी लग रही थी

"आखिर हुआ क्या है ,??"

"कुछ नही जान बस आज नही ,मैं तुमसे वादा करती हु की ये पेंटी और ब्रा तुम्हारे ही हाथो से पहनूँगी लेकिन आज नही ,"

पता नही लेकिन ठाकुर जरूर झल्लाया होगा

"ठीक है जाओ "

'थैक्स मेरी जान "काजल ने शायद उसके गालो को चुम्मन दिया था या उसके होठो को ??

लेकिन थोड़े ही देर में मेरे पास उसका काल आ गया

"मुझे घर में मिलो अभी "

मैं चुपचाप ही वँहा से निकलकर घर की ओर चल पड़ा ...

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अध्याय 52
सोफे में बैठा हुआ मैं अपनी ही सोच में पड़ा हुआ था ,की दरवाजा खुला और काजल अंदर आयी वो बहुत ही गुस्से में लग रही थी ,

मेरे हाथो में स्कोच का एक पेग था,

"तुम्हे जरूरत क्या थी देव वँहा जाने की "

मैं खामोश रहा और एक सिप लगाई

"बोलो अब चुप क्यों हो ,जब सह नही सकते तो दूर ही क्यो नही रहते,वँहा बैठे रो रहे थे और यंहा बैठे हुए दारू पी रहे हो ..अब बोलो भी "

ऐसा लगा जैसे वो अब तब रोने ही वाली हो, मैं खड़ा हुआ और उसे अपने सीने से लगा लिया ..

"मैं वँहा तुम्हे देखकर उत्तेजित हो गया था काजल मुझे माफ कर दो तम्हारे और ठाकुर के फोरप्ले का मैं आनन्द उठाने लगा था,मैं इसी ग्लानि से भर गया."

उसने मुझे खुद से दूर किया और मेरी आंखे में झांका वो अब मुस्कुरा रही थी

"तुम सच में उत्तेजित हो गए थे"

"हा"मैंने मासूमियत में सर हिलाया

वो जोरो से मेरे गले से लग गई

"वाओ यानी तुम जब तक नही झड़े तब तक तुम्हे सब कुछ अच्छा लगा "

मैं फिर से सर हिलाया

वो बहुत ही खुस हो गई

"यानी तुम तैयार हो बस इतना करना की अब की बार झड़ना नही "

मैं आश्चर्य से उसकी ओर देखने लगा

"मैं आज ही ठाकुर को फिर से बुलाती हु ,तुम तो जानते हो होंगे की उसने मुझे एक गिफ्ट दिया था "

मैं बिल्कुल ही शॉक हो गया

"तुम पागल हो गई हो नही नही मैं ये नही कर सकता "

उसने प्यार से मेरे गालो को किस किया

"मेरी जान तुम तो ये पहले भी कर चुके हो "

हम दोनो ही थोड़ी देर तक चुप थे और एक दूसरे की आंखों में देखते रहे

"मैं जानती हु ये कितना डरावना हो सकता है लेकिन मुझे उम्मीद है की तुम इसे इन्जॉय करोगे ,सोचो आज तो तुम्हे पता नही था की मैं क्या करने वाली हु .लेकिन अगर ये तुम्हारी इजाजत से हो तो बात ही कुछ और होगी.."

काजल की बातो से मेरे दिल से खून निकल गया था

मैं कैसे अपनी बीवी को किसी दूसरे का बिस्तर गर्म करने की इजाजत दे सकता था

"ये मैं कैसे कर सकता हु "मैं भड़क गया

"तुम ही ये कर सकते हो देव "

"आखिर कैसे "

मैं चिंतित था

"बस तुम कह दो की हमारे बीच का प्यार इससे कम नही होगा मैं दुनिया के साथ सो सकती हु अगर तुम कहो "

मैं बौखला गया था

"तुम तो वैसे भी सो रही हो और उसके मजे भी ले रही हो ,क्या मैंने ये नही देखा था की तुम कैसे सिहर रही थी क्या तुम्हारे मजे से लिए गए हुए सारे सिसकियां मैने नही सुनी है ,मैं जानता हु की तुम मजे ले रही थी और मैं ये भी समझने लगा हु की तुम अपने मजे के लिए मुझे cuckold की ओर धकेल रही हो ."

मैं गुस्से में तमतमा गया था

"मतलब है की तुम्हे ये नही लगता की मैं तुमसे प्यार करती हु "

वो भी भड़क गई थी

"नही नही लगता की तुम मुझसे प्यार करती हो ,तुम तो अपने बदले और जिस्म की आग में जल रही हो और इसमें तुमने ना सिर्फ मुझे घसीटा है बल्कि मेरी बहनों को भी घसीट लिया ,क्या मुझे ये नही पता की निशा की इस हालत की जिम्मेदार भी तुम ही हो "

मेरे मुख से निकले कड़वे शब्द उसके सीने को छलनी करने लगे थे

"तूम अपनी बहनों के बारे में सोच रहे हो देव ,तुम जो की खुद ही अपनी बहन के साथ सोता है ."

मैंने एक जोर का तमाचा उसके गाल में लगा दिया और एक गहरा सन्नाटा कमरे में छा गया था

मेरी आंखों से आंसू की बूंदे निकल गई ये पहली बार था जब मैंने काजल को मारा था ,उसका गोरा चहरा लाल हो चुका था

वो मुझे भरे हुए नयनो से देख रही थी .

"क्या ये सच नही देव की तुम मोहनी और शाबनम के साथ भी सो चुके हो"

मैं सन्न रह गया ,

"और ये भी क्या सच नही की अगर तुम्हे मौका मिले तो तुम दूसरी लड़कियों के साथ भी सो सकते हो ."

हा जो काजल ने कहा था वो सच में बिल्कुल ही सच था

"देव जब तुम इसमें मजा ले सकते हो तो मैं क्यो नही बस इतनी सी बात तुम मुझे बता दो "

मैं फिर से चुप हो गया

"तुम पैसे और पावर के लिए ये सब कर रही हो "

मैं धीरे ही सही लेकिन बोल पाया

"हा हा हा "वो जोरो से हँसी

"अगर मजे के साथ साथ ये भी मिलता है तो क्या गलत है "

तार्किक रूप से उसकी बात भी सही थी

"लेकिन तुम मेरी पत्नी हो और मैंने जो भी किया वो तुम्हारे बाद किया जब मुझे पता चला की तुम ऐसा करती हो ,शुरुवात तुमने की थी,और तुमने मुझसे झूठ बोला "

"कौन सा झूट देव "

"यही की ...यही की ."

मैं बुरी तरह से कांप गया मुझे कोई झूट याद ही नही आया था

"लेकिन ये धोखा तो था ,तुमने झूट नही कहा लेकिन तुमने मुझे कुछ बतलाया भी तो नही था ..."

वो मुझे देख कर हँस रही थी मानो मुझे चिढ़ा रही हो

"देव मेरी जान तुम सच में भोले हो "

मैं सच में पगला गया था

"मैंने तुम्हे धोखे में रखा था लेकिन अब तो मैं तुम्हे सब बता रही हु ...अगर वफ़ा है तो इतना करना की मेरा साथ दो "

"किस बात का साथ चुदवाने का "

वो फिर से खिलखिला उठी

"हा चुदवाने का ,दूसरे से चुदवाने का तुम्हारी परमिशन के साथ "

उसकी आवाज में एक गुस्सा साफ झलक रहा था

उसने अपना बेग उठा लिया और वो बाहर जाने लगी

"मैं वही जा रही हु अपना गिफ्ट ठाकुर से पहनने ...तुम्हे अगर देखना है तो आ जाना ,और हा एक चीज और मुझे बहुत मजा आने वाला है ठाकुर का लंड बहुत ही बड़ा है तुमसे भी बड़ा."

वो गुस्से में जाते जाते दरवाजे को जोर से बंद कर गई और मैं बस यही सोचता रहा की अब क्या करू .....

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अध्याय 53
कभी जिंदगी इतनी शिद्दत से लेती है की हमे समझ ही नही आता की हमारी ली जा रही है .

यही मेरे साथ भी हों रहा था जिंदगी मेरी शिद्दत से ले रही थी और मैं बस इसी सोच में पड़ा हुआ था की मैं क्या करू ..

मैं मोबाइल उठाकर हरिया को काल किया ..

"जी सर बोलिये "

"हरिया वो जो रांड तेरे फॉर्महाउस में बार बार आती है वो मेरी बीवी है ,"

मैं नशे में था और मैं बोल गया

वो चुप था बहुत देर तक बस चुप था

"हैल्लो "

"हा सर "

"तूने सुना ना मैंने क्या कहा "

"सुन लिया सर और वो अभी यंहा आयी हुई आई किसी का इंतजार कर रही है "

मैं जोरो से हँस पड़ा मुझमें इतनी ताकत भी नही बची थी की मैं गाड़ी चला सकू मैं बुरी बोतल ही पी गया था ,

"वो साला ठाकुर आने वाला होगा ,"

:इंस्पेक्टर ठाकुर ??"

"हा वही "

"जी सर अपने सही कहा उन्होंने ही फिर से मुझे फोन कर कहा था की वो आने वाले है और शराब की व्यवस्था उनके कमरे में कर दी जाए "

"तो तुमने कर दी क्या "

मैं टुन्न था

"हा सर कर दी एक बोलत शेम्पियन की और और बोतल स्कोच की रखवा दी है मेडम अभी हाल में ही उनका वेट कर रही है "

"मेडम यानी रंडी ..है ना "

मैं फिर से जोरो से हँस पड़ा लेकिन आगे से कोई भी रिप्लाय नही आया

"क्या हुआ तू चुप क्यो है "

"सर क्यो दर्द झेल रहे हो तलाक दो और काम खत्म करो अगर आप ये सब जानते हो तो आप उनके साथ है ही क्यो ??"

उसका प्रश्न मेरे दिल में घुस गया था

"क्योकि मैं उससे प्यार करता हु "

"ये कैसा प्यार है ??"

वो भी बड़ा बेचैन हो गया था

"छोड़ यार ...तू बहुत अच्छा आदमी है तुझे मैं उस फार्महाउस को गिफ्ट में दूंगा ये मेरा वादा है तुझसे ."

मैं इतना ही बोल कर फोन रख दिया,मैं सामने देखा तो दंग ही रह गया

सामने मेरी बहन पूर्वी खड़ी हुई मेरी बात को सुन रही थी ,मैं इतने नशे में था की मुझे सब कुछ धंधला दिख रहा था

वो स्तब्ध खड़ी हुई थी ,उसे देखकर मुझे बहुत ही प्यार आया

"मेरी जान आ जा आ मेरे पास बैठ "

वो मेरे पास आकर बैठ गई

"कब आयी तू "

मैंने उसे अपने सीने से लगा लिया

"अभी जब आप बात कर रहे थे "

वो रो रही थी मुझे अभी पता चला था

"क्या हुआ तुझे रो क्यो रही है "

"आप इतना क्यो पी लिए हो भइया और भाभी को क्या हुआ ,वो कहा गई है और क्या ऐसा हो गया की आप उनके बारे में ऐसा बोल रहे हो "

शायद वो सब कुछ सुन चुकी थी

मैं पूरे नशे में ही था और मैं उससे झूठ भी नही बोल पाया

"वो अपने यार से चुदवाने गई है "

पूर्वी का क्या रिएक्शन था मुझे नही पता क्योकि मुझे सच में कुछ भी सही नही दिख रहा था

लेकिन उसने अपना हाथ मेरे गालो पर रख दिया

"आई लव यु भइया "

मैंने उसे देखा वो थोड़ी धुंधली सी मुझे दिखाई दी ,असल में 2-3 सूरत मेरे सामने घूम रही थी मैंने उसे पकड़ा और उसके होठो में अपने होठो को मिला दिया थोड़ी देर किस करने के बाद

"आई लव यु मेरी जान "

उसके रोने की आवाज मुझे सुनाई दे रही थी

"भइया अपने बहुत ही पी ली है प्लीज चलिए सो जाइये "

"नही मैं बिल्कुल भी नही पिया हु ,अभी तो मुझे अपनी बीबी को चुदवाते हुए देखना है ,मैं फार्महाउस जाऊंगा और वँहा जब मेरी बीवी की चुद ठाकुर मार रहा होगा तो मैं उसे देखकर अपना हिलाऊंगा ...हा हा हा मैं एक वो क्या कहती है काजल cuckold हा मैं तो एक cuckold हु मेरा जन्म भी तो इसी के लिए ही हुआ है मेरी बहन की मैं अपनी पत्नी को जिसे मैं शादी कर लाया था 7 वचन कर के लाया था ,उसे मैं दूसरे के बिस्तर में देखने के लिए ही तो जन्मा हु."

मैं फुट फुट कर रोने लगा पूर्वी ने मुझे अपने सीने से लगा लिया था .

वो भी रो रही थी और मैं भी .

एक लड़की और उसकी एक जिद ने हम दोनो को रोने में मजबूर कर दिया था ..

मैं जानता था की ये मेरी बहन है वो बहन जिसे मैं दुनिया में सबसे ज्यादा प्यार करता हु ,वो मेरी बच्ची थी मेरी छोटी बहन थी लेकिन मैं उससे इस तरह की बाते कर रहा था

अब मुझे पता चला था की मैं दुनिया का सबसे किश्मत वाला आदमी हु लोगो के पास गर्लफ्रेंड्स होती है बीबी होती है ,मेरे पास मेरी बहने है जिनसे मैं दुनिया की सब बाते कर सकता हु ..

मुझे आज पूर्वी के सीने से लगकर लगा की मेरी दुनिया कितनी हसीन है मेरे पास प्यार करने वालो के कमी नही है ,

काजल ने अगर वो फैसला किया जिसके कारण मैं दारू के नशे में डूब गया तो वो भी मेरे ही कारण किया था वो तो बेचारी सब छोड़कर मेरे पास आ रही थी मैंने ही उसे उकसाया उससे तमीज से पेश नही आया था ,

गलत सही का फैसला करने वाला है कौन ???

मैं भी तो गलत था या सही था ,वो भी तो गलत थी या सही थी .

और ये मेरी बहने है मेरी जान है ,जो मेरी हर गलतियों को सहकर भी मुझसे प्यार करती है ..

मैंने पूर्वी के माथे को चूमा ..

और उठ कर खड़ा हुआ ..

"मुझे फॉर्महाउस जाना है "

पूर्वी जरूर चौकी होगी

"भइया आप पागल हो गए हो क्या देखो अपनी हालत ऐसे में गाड़ी कैसे चलाओगे.."

"तू चलाएगी मुझे वँहा ले जा मैं काजल दो देखना चाहता हु .."

पूर्वी जोरो से चीखी

"भइया आप पागल हो गए हो क्या ,नही आप मेरे पास रहोगे "

वो रोने लगी थी जिसकी आवाज मुझ तक पहुच रही थी

"भइया प्लीज् "

"प्लीज् मेरी जान समझ मेरी बात को मैं दुखी नही हु ,मुझे समझ में आ गया है की प्यार क्या होता है ,प्यार जिस्म को नही देखता वो देखता तो बस मन को और सच मान तेरी भाभी दूसरे के साथ भी बिस्तर में उतनी ही गर्म है जितनी मेरे साथ होती है ."

मैं उठ कर कर की चाबी निकाल कर बाहर जाने लगा ,

"भइया आप क्या बोल रहे हो वो आपको पता नही है आप सच में पिये हुए हो "

"मैं क्या बोल रहा हु मुझे पता है और मैं किससे बोल रहा हु ये भी मुझे पता है ...,तू मेरी जान है दुनिया में अगर मैं सबसे ज्यादा प्यार किसी से करता हु तो वो तू ही है ."

मैंने पूर्वी के गालो में एक किस किया

"और मैं चाहता हु की तू कर ड्राइव करते हुए वँहा ले जा जंहा काजल ठाकुर के साथ है ,तुझे अजीब जरूर लगेगा की तेरा भइया पागल हो गया है लेकिन सच में जान मैं पागल नही हूं मैं तो बस दीवाना हो गया हु तेरा ,निशा का, काजल का,शाबनम का और थोड़ा थोड़ा रश्मि और मोहनी का भी ...वो जो भी करे लेकिन मुझे तो वो सब ही अच्छा लगता है ."

दारू मेरे दिल की बात को जुबान पर ला रही थी लेकिन पहली बार मैंने अपनी बहन के होठो में एक मुस्कुराहट देखी थी वो थोड़ी सी हँसी

"आप आज सच में पागल हो गए हो ,बस चुपचाप बैठना चलो मैं आपके साथ हु देखते है आज आप क्या तूफानी करते हो "

वो मेरे गले से लगकर मुझसे चाबी लेकर मेरे सामने चलने लगी और मैं उसके पीछे लग गया ...

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अध्याय 54
पूर्वी के साथ बैठा हुआ मैं अपने में मगन होकर फॉर्महाउस की तरफ चल दिए थे ,गाड़ी अपनी रफ्तार से चल रही थी..

"पूर्वी वो तेरे भाभी की पेंटी खोलकर नई पेंटी पहनाने वाला है ...मुझे क्या करना चाहिए ."

मेरे सवाल से नही पूर्वी मेरे बात करने के तरीके से चौकी होगी,इतना खुलकर मैंने उससे कभी बात नही की थी

"मार दो उसे जो भाभी पर हाथ डाले"

पूर्वी ने दृढ़ता से कहा

"अच्छा मैं भी तो यही चाहता हु लेकिन..लेकिन तेरी भाभी अपने मर्जी से वँहा गई है उसका क्या करू "

वो भी सोच में पड़ गई थी

"दोनो को ही मार डालो .."

उसने एक सपाट सा उत्तर दिया..मेरी बहन ..

मैं उसे किस करने के लिए उसके पास गया और उसके गालो में किस कर लिया

"भइया सीधे बैठो ना क्या कर रहे हो "

वो भी हड़बड़ाई

"लेकिन मुझे भी मजा आ रहा था जब वो तेरी भाभी के साथ ये कर रहा था तब क्या करू "

वो सोच में पड़ गई बहुत देर तक वो कुछ भी नही बोल सकी

"बोल ना क्या करू "

मैं अभी भी नशे में था और हिल रहा था

"जो आपकी मर्जी वो करो मुझे मत पूछो "

वो गुस्से में बोली और मैं हँस पड़ा

क्या जिंदगी हो गई है जिन्हें मुझे सम्हालना था वो मुझे सम्हाल रहे थे

फॉर्महाउस आते ही मैं एक लोहे का रॉड अपने कार से निकाल कर रख लिया और बाहर मुझे हरिया मिल गया ..

"ठाकुर आया क्या "

"सर आप बहुत नशे में है प्लीज् अंदर मत जाओ कुछ गलत हो गया तो "

"बे तू चिंता क्यो कर रहा है मैं सब सम्हाल लूंगा कुछ नही होगा ,ठाकुर आया की नही "

"अभी आया है "

"तो हट सामने से "मैं लड़खड़ाता हुआ गार्डन में पहुचा मेरे साथ ही साथ पूर्वी भी चल रही थी मैं रॉड को जमीन में घसीट रहा था जैसे मैं कोई साउथ का हीरो हु...लेकिन मैं क्या करने वाला था ये तो मुझे भी नही पता था ..

मेरी बहन ने कह रखा था की दोनो को मार दो लेकिन मैं अभी भी सीरियस नही था क्योकि मुझे खुद भी होशं नही था की मैंने क्या सुना था और मैं क्या करने जा रहा था .

मैं वँहा पहुचा जंहा मैंने जगह बना रखी थी अंदर देखने के लिए

,पूर्वी मेरे बाजू में खड़ी थी ..असल में मैं खड़ा भी नही हो पा रहा था मैं अब भी लड़खड़ा रहा था

मैं अंदर झांका और खिलखिला उठा

"देख तेरी भाभी क्या कर रही है "

पूर्वी अंदर झांकने लगी

अंदर काजल बिस्तर में लेटी हुई थी और ठाकुर उसके साड़ी से खेल रहा था

"भइया मार दो इन दोनो को "

पूर्वी कांप रही थी ,मैं उसे देखकर उसे फिर से उसके गालो में किस किया

"रुक ना अभी तो शो शुरू हुआ है देखने तो दे की आगे क्या क्या होता है "

पूर्वी शांत हो गई मैं फिर से देखने लगा

वो काजल के कपड़े खोल रहा था मुझे याद आया की मेरे पास हेडफोन है मैंने उसे अंदर लगे है डिवाइस से कनेक्ट किया और एक पूर्वी के कानो में भी डाल दिया ..

डर क्या होता है जैसे मुझे पता ही नही हो मैं बिल्कुल ही निडर हो गया था ये शायद मेरे द्वारा पी गई स्कोच की बोतल का कमाल था .

"आह जल्दी करो ना "

काजल मचल रही थी

"ये साला तेरी साड़ी खुल क्यो नही रही है "

ठाकुर बहुत ही जल्द बाजी में था आज ही उसने थोड़ी देरी की थी और काजल का पूरा मूड ही बदल गया था अब वो देरी नही करना चाहता था

जैसे तैसे वो साड़ी को खोल ही गया

काजल अभी मेरे सामने आधी नंगी लेटी हुई थी उसके बदन में साड़ी नही थी वो ब्लाउज और पेटीकोट में अंदर लेटी हुई थी और ठाकुर पूरा नंगा खड़ा हुआ था उसका बड़ा सा लिंग जो सच में बहुत बड़ा लग रहा था वो पूरे लंबाई में खड़ा हुआ था ..

अचानक ही वो उसके पेटीकोट से खेलने लगा और उसके नाड़े को निकालने की जद्दोजहत करने लगा..

काजल ने अपना सर घुमाया और हमारी ओर देखा जैसे हमे देख रही हो ,मैंने यही सोच कर ये खिड़की चूस की थी क्योकि इसमें जो कांच लगा था उससे दिन में अंदर आराम से देखा जा सकता था लेकिन अंदर से बाहर नही देखा जा सकता था क्योकि अंदर प्रकाश ज्यादा और बाहर प्रकाश कम होता था ,लेकिन काजल हमारी ओर ऐसे देख रही थी जैसे उसे पता था की मैं उसे इस खिड़की से देख रहा हु,वो मुस्कुराई .

ठाकुर अभी भी काजल के पेटीकोट के नाड़े में बिजी था लेकिन काजल ने अपना मोबाइल अपने हाथो में ले लिया और कुछ टाइप करने लगी जो मेरे पास मेसेज बनकर आया

"देखने का मजा ही कुछ और है अब देखो और इन्जॉय करो "

ये मेसेज पूर्वी ने मुझे पड़कर सुनाया था क्योकि मुझे साफ दिख ही नही रहा था

काजल हमारी ओर देखकर फिर से मुस्कुराई

"भइया ये हो क्या रहा है ??भाभी को पता है की आप उन्हें देख रहे है ."

वो बेचारी मेरी छोटी सी गुड़िया बुरी तरह से कन्फ्यूज़ थी

"हा वो मुझसे गुस्सा है और यंहा चली आयी "

"आप पागल हो या वो पागल है ये हो क्या रहा है .."

"तू देख ना और फिर बताना क्या करू तू जो बोलेगी वही मैं करूँगा दोनो को मार दूंगा या खुद मर जाऊंगा"

मैं उसे सामने कर दिया और खुद उसके पूछे सट ले नजारा देखने लगा

अंदर कामाग्नि में जलाते हुए दो बदन आपस में गुथे जा रहे थे,ठाकुर उसका नाडा खोलने में कामयाब हो गया था और अब देर ना करते हुए काजल के ऊपर खुद गया था ,जैसे मैं भी उस सीन का ही एक हिस्सा बन गया था मैं आंखे गड़ाए हुए उसे देख रहा है जैसे की मैं कोई मूवी देख रहा हु ,मेरे सामने मेरी बहन थी मेरी छोटी बहन जो अब तक शायद कन्फ्यूज़ ही थी की ये हो क्या रहा है ,वो शायद अपने को ही कोश रही होगी की वो क्यो उस समय वँहा गई .

मैं पीछे से उससे चिपका हुआ था और मेरा हाथ खिड़की से लगा हुआ था ,मेरे दोनो हाथो के बीच पूर्वी समाई हुई थी ,उसने एक बार मुझे बुरा सा मुह बनाकर देखा ,मैं मुस्कुराते हुए उसके गालो में किस कर गया ,वो फिर मुह बनाते हुए आगे देखने लगी ,उसे मुझपर बहुत गुस्सा आ रहा होगा लेकिन वो मेरे प्यार के कारण ही मुझसे कुछ कह नही पा रही थी .

अंदर का नजारा गर्म हो रहा था .

ठाकुर काजल के ऊपर चढ़े हुए पूरे ताकत से उसके गालो को खा रहा था ,उसके मोटे होठो ने काजल के नरम गालो को पूरी तरह से भिगो ही दिया था,उसके गाल लाल पड़ गए थे वो थोड़ा रुककर फिर से काजल के होठो तक आया,

"हम्म्म्म "

काजल ने एक पल की देरी किये बिना ही उसके होठो को अपने होठो में भर लिया और उसे चूसने लगी ,काजल के लाल नरम रसीले होठो का स्वाद ठाकुर पूरे तन्मयता से ले रहा था ,दोनो के थूक से मिली आवाज हमारे कानो में पड़ रही थी ,

काजल का उज्ज्वल शरीर ठाकुर के काले शरीर में धंसा जा रहा था ,

जैसे ही दोनो का चुम्मन टूटा दोनो ने एक दूसरे की आंखों में देखा दोनो ही मुस्कुरा रहे थे ..

"तो अब गिफ्ट खोलने की इजाजत है "

ठाकुर का लहजा बड़ा ही शांत था

"आपकी ही हु ."

काजल ने मादकता से कहा ,जैसे मेरे दिल में जलन भर गया वही मेरे लिंग में खून ..

काजल की बात सुनकर ही ऐसा लगा जैसे की मेरा लिंग किसी लोहे की रॉड सा हो गया हो और वो तनाव बर्दास्त नही हो रहा था ,मैं नशे में था फिर भी वो शब्द मेरे कानो में गूंज रहा था ..

मैंने अपने कमर को थोड़ा आगे धक्का दिया मुझे नरम नरम गद्देदार चीज मिली जिससे मेरे लिंग को शांति मिली ,

"आउच भइया ये क्या कर रहे हो "

पूर्वी ने पीछे मुड़ते हुए मुझसे कहा ,लेकिन उसकी आंखे वैसी नही रह गई थी ,उसकी सांसे थोड़ी फूली हुई थी ,वो मुझे गुस्से से नही नाराजगी से देख रही थी ..

"सॉरी बहन "मैं इतना ही बोल पाया क्योकिं मेरी सांसे भी फूली हुई थी

मैं नशे में जरूर था लेकिन इतना नही की अपनी प्यारी बहन को ना पहचान सकू

मैंने अपना लिंग थोड़ा पीछे खिंचा ,मुझसे सहन तो नही हो रहा था क्योकि सामने नरम गद्दा था जिसमे मैं आसानी से अपना लिंग रगड़ सकता था लेकिन वो गद्दा मेरी खुद की बहन का था ,और उस बहन का जिससे मैं बेहद प्यार करता था ..

मैं खुद को सम्हालकर अंदर देखने लगा ,ठाकुर उस गिफ्ट से ब्रा बाहर निकाल कर हिला रहा था वो उसे चूम रहा था जैसे फुटबॉल का वर्डकप हो.

उसके आंखों में खुसी नाच रही थी हो भी क्यो ना मन मांगी मुराद जो साले को मिल रही थी ,

वो काजल के पास आया और हाथ पीछे लेजाकर उसकी ब्रा को खोलने लगा ,देखते ही देखते काजल के बड़े और भारी स्तन नंगे होकर झूम गए ,वो कुछ देर तक एक टक उसे ही देखता रहा जैसे कोई आकर्षण उसे आकर्षित कर रहा हो वो उनकी ओर खिंचा जा रहा था ..

उसने अपने होठो से निप्पल को भर लिया और जोरो से चूसने लगा ,

"आह ठाकुर जी "

काजल की मादक आवाज निकली और वो सिसकियां लेने लगी लेकिन थोड़ी ही देर में उसने हमारी खिड़की की ओर देखा उसके होठो में एक कमीनी सी मुस्कान थी ,हम दोनो की ही आंखे मिली जैसे उसे पता था की मेरी आंखे कहा पर है ,

उसकी आंखे मुझे घूर रही थी और हाथ ठाकुर के सर पर था ,उसका मुह मजे में खुला हुआ था जिससे हल्की हल्की सिसकियां निकल रही थी ,

ये दृश्य मेरे लिए सहन से बाहर हो रहा था मैं उत्तेजना के ऐसे शिखर में था की मुझे लगा जैसे मैं अब झर जाऊंगा लेकिन मैंने अभी तक अपने लिंग को हाथ भी नही लगाया था और ना ही किसी और चीज से रगड़ा था शायद इसी लिए मैं अभी तक बना हुआ था ..

लेकिन आगे मेरी बहन थी मैं दारू के नशे में उसके साथ कुछ गलत तो नही कर सकता था लेकिन अब मुझे एक और भी नशा चढ़ चुका था ,हवस का नशा .

मैं डरते हुए अपने कमर को आगे किया मेरे लिंग ने उसके गड्ढे पर एक रगड़ खाई और

"आह "मुझे इतना सुकून मिला ,इस बार पूर्वी ने कोई विरोध नही किया लेकिन मैं बस एक ही रगड़ के बाद ही रुक गया था ,

इधर ठाकुर काजल के निप्पल्स को किसी बच्चे जैसे चूसे जा रहा था लग रहा था जैसे कोई बच्चा बहुत भूखा हो और उसे मा के वक्षो से दूध मिल गया हो ,काजल भी उसके बालो को सहला कर उसे अपने वक्षो का रस पिला रही थी ,लेकिन उसकी नजर अब भी मेरी तरफ ही थी ,

ठाकुर कभी कभी उसके निप्पल्स को काट भी लेता था तब काजल की आंखे बंद हो जाती थी और वो एक सिसकी लेकर ज्यादा मुस्कुरा का मुझे देखती थी ,

उसकी हर मुस्कान से मैं पागल हो जाता था और कमर को यदा कदा हिला ही देता था ,पूर्वी कोई शोर तो नही कर रही थी लेकिन एक बार उसने भी अपने गड्ढे को मेरे लिंग में रगड़ दिया था ,

वो भी जवान थी और नई नई जवानी तो और भी खतरनाक होती है उसे सम्हालना और भी मुश्किल होता है ,पूर्वी की भी हालत कुछ ऐसी थी ,वो खिड़की से नजर ही नही हटा पा रही थी.

इधर

"आउच बदमाश हो आप "

ठाकुर ने काजल के निप्पल को जोरो से काट लिया था जिससे काजल का पूरा ध्यान उधर ही चला गया

"हा हा हा "ठाकुर अपनी बत्तीसी दिखा कर हँसने लगा

और धीरे धीरे चूमता हूं नीचे को बढ़ता गया ,शायद वो भूल ही गया था की उसे क्या पहनाना है ..

नीचे आकर वो काजल के पेट में रुका और अपनी जीभ से उसकी नाभि को भिगोने लगा ..

काजल फिर से मचलने लगी थी लेकिन गुदगुदी में

"नही नही ना गुदगुदी हो रही है "दोनो ही हंसे जा रहे थे .

ठाकुर फिर नीचे आया और काजल की पेंटी के आस पास के जांघो को चूमने लगा ,वो फिर से मदहोश हो गया था और थूक से उसकी जनघो को भिगो रहा था ,

"आह आह आह "

काजल की आंखे बंद होने लगी थी वो बस सिसकियां ले रही थी और उसका सर पकड़े हुए अपनी पेंटी के बीचों बीच फसी हुई योनि में उसका सर सरकने की कोशिस कर रही थी लेकिन ठाकुर अभी भी उसके जांघो में बिजी था ..

वो सरकता हूं उसके योनि के करीब आया जो की रस की धार से पूरी तरह से भीग चुका था,

उसने हल्के से पेंटी के सिरे को सरकाया ,और गोर से देखने लगा ,

वो साला काला सा,शैतान सा इंसान मेरी नाजुक कली के कोमल गुलाबी योनि को निहार रहा था ,काजल उसके रिएक्शन पर हल्के हल्के मुस्कुराने लगी और फिर से मेरी ओर देखी ..

उसके चहरे में किसी विजेता सी मुस्कान खिल गई थी ,वो मुझे ऐसे देख रही थी जैसे कहना चाह रही थी की देखो मुझे चाहने वाले कितने है ,

मैं मचल सा गया और इस बार मेरे लिंग ने कोई भी झटका नही मारा ,

अंदर ठाकुर ने अपनी जीभ काजल की योनि में लगा दी और उसका रस पूरी तनमयता से पीने लगा,काजल की योनि रस से इतनी भर चुकी थी की वो उसे चुहक रहा था और इसकी आवाज हमारे कानो तक भी पड़ रही थी,

इस बार मैं थोडा पीछे हुआ था लकिन पूर्वी ने अपने कमर को थोड़ा पीछे कर मेरे लिंग पर ठिका ही दिया ,वो भी लय से अपनी कमर हिला रही थी ,मेरा अकड़ा हुआ लिंग उसके गड्ढे में समा कर और भी विकराल रूप ले रहा था मैं भी मजे के गर्त में जा रहा था .

वँहा काजल अपनी कमर उचका कर अपनी योनि को ठाकुर से चुस्वा रही थी और यंहा मेरी प्यारी बहन अपनी कमर हिलाकर मेरे लिंग को अपने चूतड़ों में रगड़ने की कोशिस कर रही थी ..

सभी जगह बस हवस का साया फैला हुआ था और रिस्तो की मर्यादा तार तार हो रही थी ...

ऐसे मर्यादा की फिक्र भी किसे थी ,मैं नशे में था और बाकी तीनो भी हवस के नशे में डूबे हुए थे ,मेरा हाथ आगे जाकर पूर्वी के कमर को पकड़ लिया,और वो मुझे सट गई,

अब मेरे हाथ पूर्वी के बदन पर बेफिक्र से चलने लगे,हमारी निगाहे खिड़की के अंदर थी जैसे वँहा काजल नही मैं और पूर्वी ही थे ,हम उस दृश्य में पूरे मगन हो चुके थे ,

उधर काजल के शरीर के आखरी कपड़े को भी निकाला जा चुका था और वो गहरी गहरी सांसे ले रही थी ,मैं देख रहा था की ठाकुर का अकड़ा हुआ लिंग फुंकार मार रहा था ,वो काजल की गीली योनि को बड़े ही लालची नजर से देख रहा था ,वो भूल ही चुका था की उसे पेंटी पहननी थी लेकिन अब वो बात ही नही कर रहे थे ,वो काजल के ऊपर आ गया था दोनो ही नंगे जिस्म एक दूसरे में मिल गए थे दोनो पसीने से नहाए हुए थे और एक दूसरे में गुथे जा रहे थे,एक दुख सी गोरी और दूसरा कोयले सा काला असल में ये दृश्य बेहद ही कामुक लग रहा था,,

ठाकुर अपने हाथो के सहारे थोड़ा ऊपर हुआ अभी अभी उसने काजल के होठो से रह को निचोड़ा था वो अपना हाथ नीचे ले गया ,

मेरी दिल की धड़कने ही रुक सी गई थी मुझे पता था की वो क्या करने वाला है,वही शायद पूर्वी की भी सांसे रुक चुकी थी ,4 जन हम वँहा थे लेकिन इस एक पल के लिए कोई भी सांसे नही ले रहा था ,सभी की सांसे अटकी हुई थी ,वो आखिरी दूरी जो उनके बीच में थी वो भी खत्म होने को थी,ठाकुर अपने लिंग को काजल की योनि में चला रहा था और एक भारी हुंकार के साथ उसने धीरे से उसे काजल के योनि में समा दिया ,

"आआहहहहहह "एक गहरी सिसकी काजल के मुह से निकली पूरा लिंग उसके अंदर था और मैंने अपने हाथो से जोरो से पूर्वी के योनि को दबा दिया

" आआहहहहहह भइया "दोनो लडकिया पागल सी हो चुकी थी और दोनो ही पुरुष दीवाने ..

ठाकुर ने पहला झटका दिया और काजल के ऊपर आकर उसके होठो को चूसने लगा दोनो पागलो की तरह एक दूसरे को किस कर रहे थे ,वही मैने भी पूर्वी का चहरा पकड़ लिया और उसकी योनि को अपने हाथो के मसलता हुआ उसके होठो को अपने होठो में मिला कर चूसने लगा .

"ओह आह आह आह "दूसरी बार काजल को ठाकुर ने जोर जोर से कुछ धक्के दिए

मैं पूर्वी के पूछे जोरो से अपने लिंग को रगड़ रहा था और उसके होठो को खा रहा था ,मेरा हाथ उसके सलवार के नाड़े पर पहुच चुका था मैं उसे खोल दिया सलवार अब उसके पैरो के नीचे आ गिरा था मेरा हाथ फिर के उसके योनि पर गया ,इस बार उसकी पेंटी के उपर से ही मैं उसके योनि को मसल रहा था वो पूरी तरह से गीली हो चुकी थी ,

उधर काजल की सिसकियां और ठाकुर के हुंकार बढ़ते ही जा रहे थे ,दोनो ही अपने पूरे वेग में थे और मगन थे ,ठाकुर का सर काजल के कंधे पर ठिका हुआ था वो अपने कमर को जोरो से हिला रहा था ,काजल थोड़ी शांत हुई ,लेकिन उसके मुह से आह ऊह की आवाज लगातार आ रही थी वो अपने सर को मेरी ओर करके मुस्कुराने लगी ..

मैं उसकी मुस्कुराहट देखकर और भी जल गया और पूर्वी के पेंटी को मानो फाड़ता हूं उतारने लगा ,

"रुको भइया '

मैंने एक नही सुनी और अपने लिंग को निकाल कर उसकी योनि में दे मारा "

वो जोरो से चीखी लेकिन मैंने अपने हाथो से उसका मुह बंद कर दिया था..

खुन की एक धार उसके जांघो से निकल कर नीचे जमीन में गिरने लगी मैं बेदर्दी के साथ 3-4 धक्के ही मारे थे ,की वो जोरो से रोने लगी थी लेकिन उसका रोना भी मेरे हाथो में दब जा रहा था उसके आंखों से निकलते हुए आंसू को देखकर जैसे मैं तुरंत ही होश में आया ,

मैं अंदर निगाह डाली ,अंदर ठाकुर काजल पर कूदे जा रहा था और काजल उसके बालो को सहला रही थी ,फच फच की आवाजो से पूरा कमरा गूंज रहा था ,

लेकिन मैं पूर्वी की हालत देखकर बुरी तरह से चौक गया ,मेरे ढीले पड़ते ही वो जमीन में रोते हुए बैठ गई मैं उसकी हालत देख कर समझ चुका था की मैंने ये क्या कर दिया था ,मैंने जल्दी से खुद को सम्हाला .

अब मेरी आंखों में भी आंसू छलक गए

अंदर एक एक जोर की चीख सुनाई दी ये आनद के अतिरेक की चीख थी ,ठाकुर दहाड़ रहा था और उसका लिंग हवा में लहरा रहा था उसके लिंग से नीकला हुआ गढ़ा वीर्य अभी काजल के योनि के हिस्से से लेकर पेट तथा उसके स्तनों तक फैल चुका था ,थोड़ा सा वीर्य काजल के चहरे में भी चमक रहा था ,...

मैं जल्दी से पूर्वी के कपड़े को ठीक किया और वँहा से नीकल गया,सब कुछ तो ठीक था लेकिन मेरी एक गलती ने मुझे मेरी बहन के नजरो में ही गिरा दिया ,और उसके ही नही मुझे अपनी ही नजरो में गिरा दिया था ....

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अध्याय 55
सन्नाटा किसे कहते है ...???????

अतीत की गलतियों को सुधारा नही जा सकता ,ग्लानि में किसी माफी की जगह भी नही होती ,

और दर्द चुभन की कोई सीमा नही होती ,

कार में सन्नाटा फैला हुआ था और मैं ग्लानि से भरा हुआ था ,गाड़ी चलाते हुए बाजू में बैठी पूर्वी को सुबकते हुए देखता हुआ भी मैं कुछ नही कह पा रहा था क्योकि अतीत को बदला नही जा सकता जो हो गया वो हो गया ..

मैं चुप था लेकिन शांत नही था ,

मन में अजीब सवाल उठ रहे थे जिसका उत्तर मेरे पास नही था ,मेरी आंखों में आंसू तो नही थे लेकिन सीने में इतनी हिम्मत भी नही थी की मैं पूर्वी से सर उठा कर बात कर सकू ..

"मैं आपके साथ आयी ही क्यो ."

पूर्वी ने रोते हुए कहा ,वो फूल सी बच्ची सिकुड़े हुए बैठी थी ..

मैं उसे देखने की हिम्मत ही नही जुटा पा रहा था.

गाड़ी घर तक आ चुकी थी लेकिन अब भी मैं चुप ही था पूर्वी भी चुप ही थी .

वो सीधे बिना कुछ बोले ही अपने कमरे में चली गई ,

"अरे भइया पूर्वी को क्या हो गया और आप लोग कहा गए थे "

निशा की बातो का मैं क्या जबाव देता ,मैं नजर गड़ाए ही रखा मेरा नशा ना जाने कहा काफूर हो चुका था ,

मैं बिना कोई जवाब दिए ही सीधे अपने कमरे में चला गया ,मैं आंखे बंद किये हुए बीते बातो को याद कर रहा था ,मेरे सामने बार बार पूर्वी का चहरा झूम जाता था ,मैं अपना सर झटकता लेकिन फिर से वो चहरा दिमाग में भर जाता था.

उसकी साफ मासूम आंखे मुझे दिखाई दे रही थी,जो आंसुओ से भरी हुई थी ,वो उसका सिसकना और उसका वो दर्द मैं महसूस कर पा रहा था .

ना जाने कितना समय बीत चुका था की निशा कमरे में आयी उसकी आंखे लाल थी ,उसे देखते ही मेरा सर झुक गया .

चटाक ..

एक झन्नाटेदार थप्पड़ मेरे गालो में पड़ा वो रूह तक ही सिहर गया था ,

मेरा चहरा लाल था और माथे में पसीने की बूंदे तैरने लगी ,मैंने निशा को इतने गुस्से में कभी नही देखा था.

"मुझे शर्म आ रही है आपको भाई कहते हुए "निशा की आवाज लड़खड़ा रही थी

मैं कुछ भी कहने की हालत में नही था ,और कहता भी तो क्या कहता ??

मैं अब भी वही बैठा रहा जब निशा ने जोर से दरवाजा बंद किया और कमरे से निकल गई ..

मेरे आंखों में पानी आने शुरू हो चुके थे ,

ना जाने कब तक मैं ऐसे ही बैठा रहा मुझे दरवाजा खुलने का आवाज आया ,वो काजल थी जो हाल में निशा से कुछ बात कर रही थी ,थोड़ी देर में ही काजल अंदर आयी ,

मैं अब भी अपने बिस्तर में सिमटा हुआ बैठा था,मैंने काजल को देखा वो मुझे गुस्से से घूर रही थी ..

मैं ज्यादा देर तक उससे आंखे ही नही मिला पाया ,

वो बिना कुछ बोले ही बाथरूम में चली गई और आते ही दूसरी तरफ मुह कर सो गई .

मैं किसी गुनहगार की तरह बस बैठा हुआ अपने की विचारों में खोया हुआ था ना जाने कितना समय बीत चुका था और ना जाने कब मुझे नींद आ गई थी .....

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अध्याय 56
मैं बुझे हुए मन से और बिना कुछ खाये पिये ही अपने ऑफिस में बैठा हुआ था ,गहरे सोच में डूबा हुआ था,ऐसे भी मैं कई दिनों के बाद यंहा आया था और मेरा काम भी आजकल कुछ खास होता नही था,शाबनम ने पूरी जिम्मेदारी ही ले ली थी ,वैसे भी उसे मुझसे दुगुना पेमेंट मिलता था साथ ही साथ अगल से और भी पैसे कमा रही थी ,मैं तो बस नाम का ही मैनेजर रह गया था,

घर परिवार ,प्यार और प्रोफेसन सब में मैं पिछड़ रहा था ,गहरे सोच में डूबे हुए मुझे सब कुछ छोड़कर भागने का मन करने लगा ..

"तुम ऐसा करोगे मैंने सोचा भी नही था "मैं चौका सामने शाबनम थी उसका चहरा उतरा हुआ दिख रहा था ..

मुझे काजल के ऊपर बहुत ही गुस्सा आया जो भी हुआ वो हमारे बीच की बात थी बाहर उसे फैलाने का क्या मतलब था ..मैं बस शाबनम को देखता ही रहा ..

"अरे इतने दिनों के बाद आये हो और फिर बस यू ही कमरे में घुस गए ."

मैंने राहत की सांस ली ,वो मेरे पास आकर बैठ गई क्या हुआ लगता है कुछ परेशान हो ..

"हाँ बस काजल के बारे में "

"अरे यार तुम उसकी फिक्र मत करो वो जो भी कर रही होगी वो कुछ सोच समझ कर ही कर रही होगी ,तुम बस चील मारो और चलो मेरे साथ एक कुछ दिखाना है ...रश्मि से मिले क्या तूम "

"नही तो "

"परफेक्ट चलो फिर जल्दी उससे पहले की वो तुम्हे देख ले "

मैं मन में सोच रहा था की अब इसे क्या हो गया है ..

वो मुझे उसी पुराने कमरे में ले गई जंहा हम अक्सर मिलते थे..

"ये सब क्या है "

उसने अपनी साड़ी का पल्लू गिरा कर मेरे सामने अपने स्तनों को तान दिया था .

"क्यो आज पीने का मन नही कर रहा है क्या "

"यार तुम भी मैं इतने टेंसन में हु और तुम ये सब "

मैं उठकर जाने को हुआ उसने मुझे खिंचकर अपने सीने से लगा लिया ..

"देव यार प्लीज् कई दिन हो गए है..मेरी भी तो थोड़ी फिक्र करो "

उसकी तड़फ देखकर मैं आज पहली बार मुस्कुराया

"तुम भी ना "

मैंने उसे जोरो से जकड़ लिया ,वो थोड़ी कसमसाई .

"क्या हुआ अब क्यो कसमसा रही हो "

उसके चहरे में मुस्कान फैल गई

"यार तूम काजल की टेंशन मत लो मैं हु ना तुम्हारा टेंसन निकालने के लिए "

वो खिलखिलाई ,मैं भी मुस्कुरा दिया लेकिन ये मुस्कान फीकी थी

"क्या हुआ मेरी जान ,आज सच में तुम प्रॉब्लम में हो ,,कोई तो बात होगी वरना तुम्हे ऐसे तो मैंने कभी नही देखा था "

उसका चहरा भी थोड़ा संजीदा हो गया था ,क्या मुझे उसे बतलाना चाहिए ??

मेरे दिमाग में ये बात घूम रही थी ,मैं क्या करू ये मुझे समझ नही आ रहा था लेकिन मुझे किसी की जरूरत जरूर थी जिससे मैं कुछ एडवाइस ले सकू ..

"मुझसे एक गलती हो गई है शाबनम जो नही होनी चाहिए थी "

मैंने उसके कमर से अपना कसाव कम किया और उससे अलग होकर बिस्तर में बैठ गया ..

वो मेरे पास आकर बैठ गई थी

"आखिर हुआ क्या है कुछ तो बोलो "

मैं उसे बतलाते गया उसका चहरा गंभीर होने लगा था ,अंत में वो बौखलाई नजर आयी

"ये तुमने क्या कर दिया देव जंहा तक मैं पूर्वी को जानती हु वो तुमसे बेहद प्यार करती है और तुमने ."

मैं सर झुका कर बैठा रहा

"जानते हो तुमने इससे भी ज्यादा गलती क्या की है ?"

मैं उसे देखता रहा

'तुम्हे उससे बात करनी चाहिए थी ,तुम्हे माफी मांगना चाहिए था लेकिन तुम तो कायरों की तरह हालत से दूर भाग रहे हो ,ऐसा मत करो देव गलती हो जाया करती है ,मैं भी मानती हु की इस गलती को माफ नही किया जा सकता लेकिन फिर भी तुम्हे कोशिस तो करनी ही चाहिए "

उसके चहरे में एक सांत्वना के भाव आये ,कल से मैं मेरे लिए किसी के मन में ये भाव की तलाश में था मैं टूट गया ,मैंने शाबनम को अपने गले से लगा लिया और जोरो से रोने लगा

"मुझसे बड़ी गलती हो गई है शबनम ये क्या हो गया "

वो मेरे बालो पर अपने हाथ फेरने लगी और मुझे सांत्वना देने लगी,मैंने अपने जीवन में शबनम से अच्छी दोस्त नही देखी थी वो मेरे हर बात को समझती थी और मुझे सही सलाह देती थी मैं उसका कृतज्ञ हुए जा रहा था,जबकि सभी ने मेरा साथ छोड़ दिया था वो अब भी मेरे साथ थी .

बहुत देर तक मैं ऐसे ही रहा ,जब मैं उठा तो जैसे मैं कोई संकल्प कर चुका था..

********

मैं वँहा से सीधे घर को निकल गया ,घर में आज निशा और पूर्वी दोनो ही थे ,किसी ने मुझसे के भी शब्द नही कहा ,

"पूर्वी तुमसे कुछ बात करनी है "

निशा जैसे आग बबूला हो गई लेकिन वो कुछ भी नही बोली और वँहा से चली गई वो अपने कमरे में चली गई थी ..

पूर्वी जो की अभी तक चुप ही बैठी थी कुछ और सिकुड़ गई और उसकी आंखों ने फिर से पानी छोड़ना शुरू कर दिया था ..

मैं उसके पास गया,वो सोफे में बैठी थी मैं उसके पाव के पास जमीन में जा बैठा.

"मेरी बहन जो हुआ वो नही होना चाहिए था ,मैं इसे बदल तो नही सकता ,और जानता हु की ये माफ करने लायक नही है लेकिन फिर भी मुझे माफ कर दे ,मैं तुझे ऐसे नही देख सकता मुझे मेरी पुरानी पूर्वी चाहिए "

मैं इतना बोला ही था की पूर्वी ने झुककर मुझे पकड़ लिया और जोरो से रोने लगी ,जिसे सुनकर निशा भी बाहर आ गई ,हम दोनो ही एक दूसरे को पकड़ कर रो रहे थे .

"भइया मैंने रात भर सोचा लेकिन मुझे आपकी गलती से ज्यादा अपनी गलती ही दिखाई दी ,मैं भी ऐसे रियेक्ट कर रही थी की आप नही रुक पाए ,मुझे तो आपको पहले ही रोक लेना था लेकिन मैं भी मजे लेने लगी थी,मुझे नही पता था की आप इतने आगे बढ़ जाएंगे लेकिन मैंने भी तो आपको उकसाया था ,मुझे वँहा से हट जाना था आपको उसे देखने से रोकना था.

लेकिन मैं ही मजे लेने लगी ,आप तो नशे में थे लेकिन मैं तो होशं में थी ,जब मैं ही बहक सकती हु तो आपको क्यो दोष दु ...मुझे माफ कर दो भइया की मेरे कारण आपको इतनी तकलीफ सहनी पड़ी ,आपको इतने ग्लानि से गुजरना पड़ा सॉरी भइया सॉरी "

मैंने उसे और भी जोरो से जकड़ लिया मैं रो सोच भी नही सकता था की वो ऐसा सोच रही होगी ,मैं तो अपनी गलती को माफी मांगने आया था और वो मुझे ही माफी मांग रही थी ...सच में वो कितनी भोली थी और मैं कितना बड़ा पापी ...

निशा आश्चर्य से हमे देख रही थी ,और हमारी बात सुन रही थी ..

उसके चहरे का गुस्सा अभी भी कम नही हो रहा था ,लेकिन कुछ देर बाद ही हमारे पास आ गई

"एक बार हो गया इसका मतलब ये नही की आपलोग ये रोज करोगे ,भइया पर मेरा अधिकार है समझी "

निशा ने जो कहा उससे पूर्वी तो हँस पड़ी लेकिन मैं शॉक में ही रह गया ,आखिर निशा के दिमाग में ये क्या चल रहा था ,उसे अभी भी अधिकार की पड़ी थी ...वो इतना ही बोलकर हल्के से मुस्कुराते हुए किचन में चली गई ,लेकिन मुझसे उसने कोई भी बात नही की .......

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अध्याय 57
मैं थका हुआ अपने कमरे में ही लेटा हुआ था ,बहुत ही शुकुन इस बात का था की मेरी बहने मेरे साथ ही थी..

मैं अभी अभी होटल से आया था ,तभी कमरे का दरवाजा खुला और निशा ने पूर्वी को अपने साथ अंदर लाया ,मैं उन्हें ध्यान से देख रहा था,निशा पूर्वी का हाथ पकड़े हुए अंदर ला रही थी,वो मुझे देखकर मुस्कुरा रही थी,आखिर इन लड़कियो का इरादा क्या था ..??

वो दोनो पहले की तरह ही मेरे आजू बाजू आकर लेट गई और मुझे अपने बांहो में घेर लिया ...इतना सुखद अहसास होता है जब आपको प्यार करने वाले आपके पास हो.

मैं भी अपने दोनो हाथो से उनके बालो को सहला रहा था,निशा ने पहला कदम उठाया और मेरे शर्ट को निकाल फेका,मुझे इससे गुदगुदी का अहसास हुआ और मैं खिलखिला उठा,

वो दोनो ही अपने झीनी नाइटी में थे,मैं ऊपर से कपड़ो से विहीन था और मेरे शरीर पर उसके गुद्देदार वक्षो की चुभन को महसूस कर रहा था,

मैं उनके प्यार से भरा जा रहा था,निशा एक्टिव थी लेकिन पूर्वी थोड़ी शर्मा रही थी ,वही पूर्वी जो कभी मुझसे नही शर्माती थी वो आज शर्मा रही थी उसे देखकर मुझे उसके ऊपर बहुत प्यार आ रहा था लेकिन मैं कोई भी जल्दबाजी नही करना चाहता था क्योकि मुझे निशा का भी तो डर था ना जाने वो क्या मीनिंग निकाल लेगी ,

इधर निशा की सांसे तेज होने लगी थी मुझे पता था की उसे क्या चाहिए लेकिन मैं भी पूर्वी के होने के अहसास से भरा हुआ थोड़ा सकुचा रहा था जिसे निशा ने भांप लिया था.

वो प्यार से मेरे गालो को अपने होठो में भरे हुए उन्हें चूसने लगी ,

"अब भी क्यो दीवार हमारे बीच आ रही है क्या भइया,अब तो पूर्वी भी हमारे खेल में शामिल हो सकती है "

निशा ने हम दोनो को ही ऐसे झेड़ा था की हम दोनो ही शर्मा गए और पूर्वी वँहा से भागने को हुई लेकिन निशा ने उसका हाथ पकड़ कर उसे रोक लिया

"तू ही तो कह रही थी ना की भाभी को देखकर कुछ कुछ हो रहा था तो रुक जा ना आज अच्छे से उसे कर लेते है "

पूर्वी और भी बुरी तरह से शर्मा गई ,उसका गोरा चहरा लाल हो चुका था,उसके फुले हुए गालो से जैसे खून गिर रहा हो,उसके होठ फड़कने लगे थे ,नजर नीची थी लेकिन होठो पर एक मुस्कान थी .

आज मैंने पहली बार अपनी बहन को ऐसे देखा था जैसे वो अपने प्रेमी के पास खड़ी हो .

मैं भी तो उसका प्रेमी ही था लेकिन रिश्ते अलग थे,मैं उसके प्रेम था लेकिन प्रेम का एक्सप्रेशन ही अलग था.

जो आज बदलने वाला था ,या यू कहे की कुछ दिनों से बदल रहा था.

पूर्वी ना गई ना ही फिर से लेटी ,लेकिन निशा ने उसका हाथ पकड़े हुए ही मेरे कानो में कुछ कहा

"आज इसे भी जन्नत दिखा दो भइया,आप आगे नही बढ़ोगे तो ये कभी आगे नही बढ़ेगी "वो बोल कर मुस्कुराई ,जो लड़की कभी मुझे बांटना नही चाहती थी आज वो मुझे बांट रही थी '

मेरी प्रश्न से भरी हुई निगाहों को उसने पहचान लिया था ,

"मैं आपको नही बांट रही हूं ,असल में मुझे ये समझ आ गया है की प्यार को बंटा ही नही जा सकता "

उसने मुस्कुराते हुए मुझे देखा

अब मुझे ही शुरुवात करना था दीवार तो पहले ही गिर चुकी थी और मर्यादाओं से हम कब के बाहर आ चुके थे ..

मैंने पूर्वी का हाथ थमा और उसे अपने ओर जोरो से खिंच लिया ,वो मेरे सीने से आ लगी .

उसका कोमल लेकिन भारी सीना मेरे चौड़ी बालो से भरी हुई छाती में आ धसे थे ,उसके होठ मेरे होठो के पास ही थे ,दोनो ही होठ फड़फड़ा रहे थे,मेरा हाथ उसके कमर को कस रहा था ,वो शर्मा रही थी जैसे नई नई दुल्हन सुहागरात को शर्माती हो ,सच में आज मैंने अहसास किया था की पूर्वी का जिस्म और रूप ऐसा था जिसे कोई भी मर्द पाना चाहे,मासूम से चहरे और मासूम से मन में प्यार और समर्पण की कलियां खिलने लगी थी ,और वो बेसुध सी हो रही थी ,मैं इस अहसास को समझ सकता था लेकिन जैसा समर्पण पूर्वी का मेरे लिए था वो तो भाग्यवानों को ही नसीब होता है और मैं उन्ही भाग्य के धनी लोगो में था ..

वो शरमाई हुई कमसिन सी कली थी उसकी सुर्ख होठो में आखिर मैंने अपने होठो को रख ही दिया ,वो जैसे तड़फ ही गई ,वो कसमसाई और अपने होठो को खोलकर मुझे पूरा आमंत्रित करने लगी ,जैसे जैसे मैं उसके होठो को चूसे जा रहा था उसकी और मेरी जीभ दोनो ही गुथमगुत्थि किये जा रहे थे ,वो दोनो ही मिलकर एक नया अहसास हमारे मन में भरे जा रहे थे जो की हवस तो बिल्कुल भी नही था,

पूर्वी के आंखों से आंसू की कुछ बूंदे निकल गई ये उस समर्पण की बूंदे थी जो एक लड़की अपने प्यार के लिए करती है ,

निशा हमे देखकर बस आंसू ही बहा रही थी,और मुस्कुरा रही थी,

ये सुखद था और साथ ही मन को सुकून देने वाला भी था,निशा ने अपने हाथो को आगे बड़ा कर अपने नाइटी को पूरा खोल दिया ,कोई आश्चर्य नही था की वो अंदर से पूर्ण नग्न ही थी ,उसका शरीर कमरे के माध्यम प्रकाश में जगमगाने लगा था,लेकिन हम दोनो का ही ध्यान उसकी ओर नही था ,वो मेरे और पूर्वी के शरीर से बाकी वस्त्रों को निकालने में व्यस्त हो गई थी,जबकि पूर्वी और मैं बस एक दूजे के होठो के जरिये एक दूजे के दिल में उतर रहे थे..

कुछ ही देर में एक बिस्तर में तीन नग्न शरीर लेटे हुए थे ,मैं सीधे लेटा हुआ था जबकि पूर्वी और निशा मेरे ऊपर थी ,दो जवान कलियों के बीच होने का अहसास क्या होता है जो आपसे इतना प्यार करती है ..??जैसे जन्नत में आ गए हो..

मेरा लिंग अब भी मुरझाया हुआ ही था ,मैं अब भी पूर्वी के होठो से मद का पान कर रहा था वही कभी कभी उसके आंखों से बहते हुए आंसुओ को भी अपने होठो से पी रहा था ,वो भी मेरे आंखों में गालो पर अपने होठो को यदाकदा रख दिया करती थी ,

लेकिन निशा ने मुझे ऐसे रहने नही दिया वो मेरे लिंग को अपने होठो से सहलाने लगी ..

"आह...."

मेरे मुह से अनायास ही निकल गया ..

उसका मुह मेरे लिंग को भर रहा था और उसके लार से मेरा लिंग और भी चिकना हो रहा था ,उसने ऊपर की त्वचा को नीचे किया और अपने थूक से उसे गीला करके अपने मुह से मुझे सुख की दरिया में डुबो दिया ..

मैं मगन था और मेरी बहने भी अपने अपने जगह में मगन थी ..

पूर्वी अपने जिस्म को मुझसे और भी जोरो से सटा रही थी और सिसकिया ले रही थी ,मैं उसकी उत्तेजना को समझ नही पा रहा था लेकिन मुझे आभास हुआ की निशा पूर्वी के योनि को भी अपने हाथो से मसल रही है ,पूर्वी भी उत्तेजित होकर मेरे होठो को काटने और खाने पर उतारू हो गई थी ,

अब मैंने भी निशा जो की इतनी मेहनत कर रही थी उसे भी थोड़ा सुख पहुचने की सोची ,मैंने अपना हाथ आगे बढ़कर उसके कूल्हों को सहलाया ,उसके कसे हुए भारी और मखमली चूतड़ों को सहलाते हुए मैं उसकी पीछे से ही अपने हाथ को उसके योनि पर लाया ,वो तप रही थी लेकिन फिर भी गीली थी ,उसमे हल्के बाल उग आये थे ,मैं उन बालो पर अपने हाथ फेर रहा था और उसकी गीली योनि को भी ऊपर से ही सहला रहा था ,वो भी उत्तेजित थी ..

अब हम तीनो ही उत्तेजना की अवस्था में आ चुके थे ,तीनो की आंखे बंद थी और एक दूजे के शरीर से सुख ले रहे थे,निशा का मुह मेरे लिंग की मालिस कर रहा था वही निशा का हाथ पूर्वी के योनि की जबकि मेरा हाथ निशा की योनि की मालिस कर रहा था,तीनो ही एक दूसरे पर गुथे जा रहे थे.

मैंने थोड़ी आंखे खोली तो मुझे कमरे के गेट पर कोई खड़ा हुआ दिखा ,मैंने ध्यान दिया वो काजल थी ,

मेरी और काजल की आंखे मिली वो अविश्वास से हमे देख रही थी,हमारी नजर मिलते ही मेरे होठो पर एक मुस्कान आ गई ,

कल मैं उसे देख रहा था और वो ममुस्कुरा रही थी और आज वो मुझे देख रही थी और मैं मुस्कुरा रहा था,मैं कुटिल मुस्कान से उसे देख रहा था,उसका चहरा ये सब देखकर लाल हो चुका था ,उसकी आंखे बड़ी हो गई थी ..

माना वो कैसे भी हो लेकिन फिर भी थी तो मेरी पत्नी,और मैं भले ही बाहर कुछ भी करता हु लेकिन आज ये सब उसके आंखों के सामने ही हो रहा था ,जिसे देखकर वो जल रही थी ,मैं इस अनुभव को कल महसूस कर चुका था ,उसकी मुठ्ठी कसे जा रही थी और मुझे ये देखकर बहुत ही मजा आ रहा था,मेरी निगाहे मानो उसे ये कह रही हो की देख, देख मुझे भी प्यार करने वालो की कमी नही है ,और जो लोग तेरे जिस्म से खेलते है वो बस हवस के लिए खेलते है लेकिन मेरे पास सच में प्यार करने वाले है.

काजल के आंखों में आंसू छलकने वाले थे ,वो इसे देखकर उत्तेजित भी थी लेकिन आंखों में आंसू भी आ रहे थे,जलन से उसका सीना भी जल रहा होगा ,ये मेरे साथ भी हो चुका था और मैं इस स्तिथि को समझ सकता था,वो मेरी आंखों में देखकर जाने को पलटी ,लेकिन मैंने तभी पूर्वी के कूल्हे में एक जोरदार चपात लगा दी ..

"आउच "पूर्वी दर्द और मजे से बोल पड़ी और पूर्वी की आवाज सुनते ही काजल तुरंत ही पलट गई और हमे देखने लगी मेरी मुस्कान और भी गहरा गई थी ,वो गुस्से भरे नयनो से मुझे देखकर चली गई लेकिन मैं जानता था की वो गुस्सा नकली था,उसकी आंखे बता रही थी की वो और भी देखना चाहती थी ,वो उत्तेजित थी और इसलिए वो वँहा से निकलना चाहती थी ..

मैं ये भी जानता था की वो बाहर नही जा पाएगी वो घर में ही रहेगी जब तक हमारा काम खत्म नही हो जाता लेकिन वो बहनों के नजर में भी नही आना चाहेगी.

आखिर मेरा लिंग भी पूरी तरह से गीला हो चुका था और साथ ही मेरी बहनों की योनि भी ,

मैं उनको अपने से अलग किया और निशा को हटा कर पूर्वी को अपने नीचे लिटा लिया ,निशा मेरे ऊपर आ गई और मेरे पीठ को चाटने और काटने लगी ,

मैंने पूर्वी के निगाहों में देखा ,वो शर्मा कर ही सही लेकिन उत्तेजक निगाहों से मुझे देख रही थी और जैसे कह रही थी की अब आगे बढ़ो.

मैं आगे बढ़ा और अपने लिंग को उसकी योनि में सहलाने लगा,वो मुझे पूरी तरह से जकड़ कर मुझसे खुद को सटाने लगी ,

उसकी गीली योनि में मेरा लिंग फिसलने लगा था ,लेकिन अब भी वो बहुत टाइट था,धीरे धीरे ही सही लेकिन मेरे लिंग का ऊपरी भाग उसके योनि में धंस गया ,वो मछली जैसे छटपटाई लेकिन मेरे होठो को अपने होठो से मिलाते हुए थोड़ी शांत हो गई ,मैं हल्के हल्के धक्के से अपना लिंग उसके अंदर पूरी तरह से प्रवेश करवा दिया.

नई नई जवानी में खिली हुई योनि ने लिंग को मजबूती से जकड़ रखा था, ऐसा अहसास मुझे पहली बार हुआ था, हल्के बाल भी लिंग से रगड़ खा जाते थे, मेरा लिंग पूर्वी के योनि रस से पूर्णतः भीग चुका था,और थोड़ी आसानी से उसके अंदर जा रहा था, उसके आंहो से पूरा कमरा गूंजने लगा था ,उसकी योनि हर रगड़ के पहले ढीली हो जाती और जब लिंग पूरी तरह से अंदर जाता तो तो कस जाती थी ,इतना सुखद अहसास मुझे सच में कभी नही हुआ था,वो मुझे मेरी बहन से मिल रहा था,मेरी प्यारी सी छोटी बहन से ,लेकिन सुख तो सुख होता है जंहा से भी मिले.

वही निशा मेरे ऊपर झा गई थी वो अपने जिस्म को मेरे बदन पर रगड़ रही थी और अपने होठो और हाथो से मेरे हर अंगों को नहला रही थी,

उत्तेजना तेज हुई और मैं मैंने जोर जोर से धक्के देना शुरू दिया,

"आह आह आह "

पूर्वी की सिसकारियां पूरे कमरे में गूंजने लगी थी ,उसकी आंखे बंद थी और ओ उस मजे की गहराई में खोई हुई थी ,उसका कमर ऊपर उचक रहा था और मेरा कमर उसके कमर में धंसे जा रहा था,उसका सारा शरीर अकड़ गया और वो जोरो के झड़ी,उसने मेरे कंधे पर अपने दांत गड़ा दिए थे.

अब वो शांत किसी लाश सी गिर गई थी ,शरीर में कोई हलचल नही हो रही थी ,मेरा लिंग इतना पानी पाकर तृप्त महसूस हो रहा था और वो ज्यादा अकड़े जा रहा था,मैं भी अपने चरम के निकट था,लेकिन मैंने अपने लिंग को निकाला नही और अपनी बहन के गर्भ में झड़ने लगा,वो मेरा गर्म लावा अपने अंदर महसूस करके और भी ज्यादा तृप्त होने लगी और मेरे होठो को अपने होठो से चूसने लगी थी ..

मैं थककर जब पूर्वी से हटा तो निशा मेरे ऊपर चढ़ गई अभी तो मुझमें वो हिम्मत नही थी की मैं फिर से कुछ कर पाऊ लेकिन निशा कहा मानने वाली थी ,उसनें मेरे लिंग को अपने होठो में भर लिया,पूर्वी मुझसे सटी हुई मुझे बांहो में भरकर सो रही थी वही निशा मेरे लिंग को अपने होठो में भरे हुए चूस रही थी ,मैं जब दरवाजे की ओर देखा तो मेरे होठो की मुस्कान फैल गई ,सामने काजल खड़े हुए अपने साड़ी के ऊपर से ही अपने योनि को मसल रही थी ,मुझे मुस्कुराता हुआ देख वो गुस्से से भर गई वो झूठा गुस्सा था और मुझे मारने का इशारा किया ,मैं हल्के से हँस पड़ा,वो अधीर थी जैसे अब तब रो ही डाले लेकिन ये रोना दुख का नही बल्कि उत्तेजना का था,जब उत्तेजना ज्यादा बढ़ जाए तो भी व्यक्ति का रोना निकल जाता है.....

अब मेरा लिंग तैयार था निशा को भरने के लिए ,मैंने सोए हुए ही उसे अपने} ऊपर कर लिया ,निशा ने भी अपने योनि में मेरे लिंग को सटाया और मेरे ऊपर कूदने लगी,मैं फिर से आनद के गहराई में जा रहा था,ये तब तक चलता रहा जब तक की मैंने उसे भर ही नही दिया ,तब तक काजल को भी समझ आ गया था की अब उसका यंहा रुकना ठीक नही है ..

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अध्याय 58
बहनों के साथ मचे हंगामे के बाद मेरी आंखे कब लगी मुझे पता ही नही चला.

जब आंखे खुली तो कमरे में कुछ हलचल हो रही थी सामने देखा तो काजल थी ,

हमारी आंखे मिली उसने मुझे थोड़े गुस्से में देखा लेकिन वो गुस्सा नकली था,,,

असल में उसके होठो में एक मुस्कान थी ,

जो मुझसे छिप नही सकी,

"तो तुमने पूर्वी को भी बिगड़ ही दिया "उसने शरारती मुसकान से कहा,वो मेरे पास ही खड़ी थी और अभी अपनी नाइटी पहनने वाली थी ,मैंने उसके हाथ को पकड़ उसे बिस्तर में गिरा दिया और उसके ऊपर आ गया.

"सब तुम्हारे कारण हुआ है "

मैं सच में थोड़ा गंभीर था,

"मुझे माफ कर दो देव मैं नही जानती थी की ऐसा कुछ हो जाएगा ,लेकिन फिर भी मुझे पूर्वी के लिए खुसी भी है और दुख भी ..."

काजल भी थोड़ी गंभीर हो गई थी

मैंने प्रश्नवाचक निगाहों से उसे देखा.

"खुसी इसलिए की अब उसकी उम्र हो गई है और तुमने उसे बहकने से तो बचा लिया ,जैसा हमारे घर का माहौल था पता नही वो खुद को कितने दिनों तक सम्हाल पाती,मुझे पता लगा की उसके क्लास की ही लडकिया तुम्हारे होटल में उस धंधे में घुस गई है .."

मुझे उस दिन की याद आयी जब मैंने अपने ही होटल में पूर्वी के क्लास की लड़की को देखा था..

"लेकिन दुख इसलिए भी है की तुमने जो आग उसे लगा दी ,जैसे शेर को खून का स्वाद दिला दिया है ,मैं नही चाहूंगी की पूर्वी अब ऐसा कुछ कर बैठे की ..तुम्हे अब उसका सहारा बनना होगा ,तुम्हारा ध्यान अगर उससे हटा तो समझो वो बाहर ट्राय करना शुरू कर देगी और दुनिया में उस जैसी खूबसूरत कम उम्र की लड़कियों के कद्रदान बहुत है."

काजल की बात मुझे समझ में आ रही थी,मैं भी पूर्वी की हालत काजल और निशा की तरह होते नही देखना चाहता था.

हम दोनो ही थोड़ी देर तक चुप रहे ..

"लेकिन एक बात मुझे साफ बताओ की ठाकुर के साथ मुझे देखकर तुमने मजा आया की नही "

उसके होठो में एक कमीनी सी मुस्कान फैल रही थी ,

मैंने उसे जोरो से अपनी बांहो में भर लिया और जोरो से दबाया ..

"तू साली बहुत ही कमीनी है "

"तुमसे ज्यादा नही ,वो तो गैर मर्द था लेकिन तुम तो अपनी ही बहनों के साथ शुरू हो गए हो ,मेरी ही दोस्त के साथ भी सोते हो,साले रिस्तो को तो तुमने खत्म ही कर दिया है ,और तुम्हे नही पता क्या की मुझे भी जलन होती है ,और तुमसे ज्यादा जलन होती है ,तुम किसी और लड़की के साथ रिलेशन में रहते तो शायद मैं ठीक भी रहती लेकिन मेरी ही सहेली ,और अपनी ही बहनों के साथ "

वो मुझे घूर रही थी

"मैं तो सीधा साधा सा इंसान था तेरे ही कारण मैं ऐसा हो गया हु "

हम दोनो ही मुस्कुरा उठे.

"चलो हमारे बीच कम से कम अब इस बात की ग्लानि नही होगी की हम में से एक ही बेवफा है ,असल में तो हम दोनो ही बेवफा हो चुके है "

काजल खिलखिलाई और उसके सफेट मोती से दांत मेरे सामने आ गए ..

"सच कहु काजल ठाकुर के साथ तुम्हे देखकर मुझे लगा जैसे मैं उसे मार ही डालू.."

मेरा शरीर उस दृश्य को यादकर गर्म हो गया था

"फिक्र मत करो ये मौका भी मैं तुम्हे दूंगी,चाहे हो ठाकुर हो या खान ."

काजल किसी ख्वाब में खो रही थी और उसकी आंखों से एक आंसू निकल गए शायद पुराना दर्द था जो बह रहा था..

"लेकिन तुझे भी उसके साथ बहुत मजा आया क्यो??और तुझे वो गिफ्ट भी तो मिल गया "

मैंने बात को बदल दिया ,वो मुस्कुराई लेकिन इस बार उसकी मुस्कुराहट में वो ख़िलापन नही था ,कुछ ठंडा था..

"ह्म्म्म गिफ्ट तो मिल गया है ...और मजा भी आया ,लेकिन ठाकुर के कारण नही बल्कि तुम्हारे कारण "

वो मेरे आंखों में घूर रही थी

"तुम देख रहे हो ये ही सोचकर मैं एक बार झड़ गई थी "

"कमीनी कही की "

उसकी बातो को सुनकर मेरा लिंग ही खड़ा हो गया था और मैंने देर नही करते हुए उसे काजल की योनि में डाल दिया,मैं नंगा ही था और काजल भी सिर्फ नाइटी में थी जो की पूरी तरह से पहनी नही गई थी,

उसकी योनि पहले से ही पनियाई हुई थी और मेरे लिंग को आराम से वो अपने अंदर कर गई.

ऐसे तो ये अहसास बहुत ही सुहाना था लेकिन फिर भी आज मैं कुछ सोच में गहराई से डूबा हुआ विचार कर रहा था.

सबसे बड़ा सवाल तो ये था की क्या सच में काजल चाहती है की मैं उसे उस हाल में देखु,या वो बस वक्त की मजबूरी है???

और एक सवाल मेरे मन को खाये जा रहा था ,क्या काजल मुझसे प्यार करती है ,या वो बस ये रिश्ता निभाये जा रही है???

सवाल तो कई थे और जवाब कोई भी नही था,बस कुछ धारणाएं थी,बस कुछ पुरानी याद और बात जिसके सहारे में कुछ समझ या सोच सकू......

सेक्स तो खत्म हो गया और हम दोनो ही एक दूसरे की तरफ पीठ करके सोए थे,लेकिन मेरी और काजल की दोनो की ही आंखे खुली हुई थी,दोनो ही कई सवलो से घिरे हुए थे..

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अध्याय 59
"आखिर वो रंडी तुमको देती क्या है ,जो तुम इतने पैसे को ठुकरा रहे हो ,तम्हे लड़की चाहिए मैं वो भी तुम्हें दिला सकती हु "

रश्मि बौखलाई हुई ठाकुर से बोली ..

"जबान सम्हाल कर बात कीजिये मेडम ,आप मेरे कैरेक्टर पर ऐसे कीचड़ नही उछाल सकती "

ठाकुर की बात सुनकर रश्मि का गुस्सा और भी बढ़ गया था ,उसे समझ नही आ रहा था की आखिर ऐसा क्या हो रहा है जो ठाकुर और खान जैसे अय्यास लोग यू काजल की तरफ हो गए है वो भी पूरे दीवानों की तरह .

"तुम कितने दूध के धुले हो ये मैं जानती हु ठाकुर साहब,और काजल के साथ खान के फॉर्म हाउस में क्या क्या रंगरलियां मनाई जा रही है वो भी जानती हु ,आखिर तुम मुझे मेरे ही पति से क्यो नही मिलने देना चाहते जबकि काजल तो कभी भी उससे मिलने पहुच जाती है "

सच में रश्मि का चहरा बौखला गया था साथ ही ऐसा लग रहा था जैसे वो रो डाले लेकिन वो इतनी कमजोर नही दिखना चाहती थी .

"असल में बात ऐसी है की अजीम आपसे खुद ही नही मिलना चाहता ,वो खान से भी नही मिलता ..उसने सख्त हिदायत दे रखी है की उसे बस काजल से ही मिलाया जाए "

रश्मि खुद को रोक नही पाई और उसके आंखों से आंसू के बून्द गिर ही गए .

मैं वही उसके साथ खड़ा हुआ उसे देखता ही रहा ,पहले जब हम यंहा आये तो ठाकुर ने मुझे घूर कर देखा क्योकि वो मुझे पहले काजल के साथ देख चुका था ,पता नही उसे मेरे बारे में पता था या नही लेकिन उसने मुझे या रश्मि को कुछ भी नही कहा था ,उसने रश्मि को अजीम से मिलवाने के लिए साफ साफ माना कर दिया,जबकि रश्मि उसे मुह मांगी कीमत देने को तैयार थी ,काजल उन्हें ऐसा क्या दे रही थी की वो ऐसे ऑफर को भी ठुकरा दे रहे थे ,सिर्फ सेक्स का असर तो नही था ,सेक्स तो उन्हें रश्मि भी दिलवा सकती थी और काजल से ज्यादा खूबसूरत लड़कियों का अंबार उनके सामने लगा सकती थी ,उसने ये आफर भी दे दिया था लेकिन काजल कोई ऐसा प्रलोभन उन्हें दे रही थी जिसके आगे सभी प्रलोभन कम पड़ रहे थे .

रश्मि की हालत देख कर मुझे भी उसपर दया आनी शुरू हो गई थी ,मुझे नही पता था की मेरी बीवी इतनी बड़ी खिलाड़ी निकलेगी की जिनसे सारा शहर डरता है वो उन्हें भी हरा रही थी और रोने पर मजबूर कर दिया था.

मैंने ठाकुर से थोड़े विनम्र स्वर में कहा ..

"सर प्लीज् मेडम को मिलने ना सही लेकिन देखने तो दिया जा सकता है ,"

रश्मि के भीगी हुई आंखों से मेरी ओर देखा ,

"आपलोग समझ क्यो नही रहे हो ,मैं भी मजबूर हु ,अजीम ने साफ साफ मना किया हुआ है "

मैंने रश्मि को बाहर बैठने को कहा,आखिर मैं मैनेजर था सौदे करना मुझे भी आता था..

मैं अकेले में ठाकुर से कुछ बात करना चाहता था ..

"देखिए सर ,मेडम को बस उन्हें देखने दीजिये ,अजीम को तो पता भी नही चलेगा की वो उसे देखकर चली गई है ,और इसके बदले आप को अच्छी खासी कीमत मिल सकती है ,और कुछ चाहिए तो आप मुझसे बेझिझक कहे "

मैंने बहुत ही विनम्र होकर उस आदमी से ये कहा जिसे मैंने अपनी बीवी के साथ गंध मचाते देखा था ,लेकिन क्या करे काम भी ऐसा था मेरा ,और रश्मि के लिए एक सहनुभूति मेरे दिल में आ गई थी .

ठाकुर थोड़ी देर तक कुछ सोचता रहा .

"तुम तो डॉक्टर और काजल के साथ यंहा आये थे ना .डबल गेम तो नही खेल रहे हो .."

मैंने अपने होठो पर उंगली रखते हुए उसे चुप रहने का इशारा किया ,और हल्की मुसकान के साथ उसकी ओर मुखतलिब हुआ ..

"बा खुदाय सर जी ,मैं तो सीधा साधा इंसान हु ,मुझे नही पता की ये सब क्या चल रहा है,लेकिन मुझे मेडम का दर्द नही देखा जाता ,बस इतना कर दीजिये ,...और मैं तो दोनो ही तरफ का हु लेकिन खेल मैं किसी भी तरफ से नही रहा "

वो थोड़ी देर तक मुझे घूरता रहा फिर उसके होठो में एक शरारती सी मुस्कान आ गई ..

"ठिक है लेकिन तेरी मेडम मुझे देगी क्या ??"

उसने अपने मुठ्ठी बांध कर सेक्स करने के इशारे से कहा ,मैं मजबूरन हंसा ,असल में मुझे तो उस समय ऐसा लगा जैसे साले का गाला ही घोट दु लेकिन क्या करू ,इसकी ट्रेनिग ली थी मैंने की कैसे गुस्सा आने पर भी मुस्कुराया जाता है ..

"वो बड़े घर की लड़की है सर उससे ऐसा पूछा तो आप भी जानते हो की क्या होगा ,लेकिन मैं आपको एक से एक लडकिय दिला सकता हु ,कालेज की ,या शादीशुदा आप जैसा बोले "

वो कमीनी मुस्कान अपने चहरे में लाया .

"ठीक है ,फिलहाल तो **** पैसे पहुचा देना ,लड़कियों का बाद में बताऊंगा ,अपना नंबर दे दो और अजीम को बस देखने ही दूंगा मिलवा नही सकता ,पता नही ये तुम्हारी मेडम क्या कर जाए ,और साथ ही तुम तो समझते ही होंगे की काजल को इसका पता नही चलना चाहिए ."

उसकी बात से मैंने एक गहरी सांस ली ,मुझे भी थोड़ा सुकून हुआ .

*****

अजीम की हालत देखकर रश्मि रो ही पड़ी थी ,वो 6 फुट 2 इंच का जवान और गबरू सा दिखने वाला मर्द अभी किसी कंकाल के ढांचे की तरह सुख गया था ,गाल चिपक गए थे और बहुत ही कमजोर दिख रहा था,उसकी दाढ़ी बढ़ गई थी और आंखे जैसे बाहर को निकल गई थी,चहरे पर कोई तेज नही था ,लग रहा था की वो बहुत ही ज्यादा नशा कर रहा है लेकिन खा कुछ भी नही रहा ,मुझे काजल की बात याद आयी की वो उसे तड़फ़ा तड़फा कर मारेगी,वो उसके पास ड्रग्स भिजवाती थी और उसे अपने काबू में ऐसे कर रखा था जिससे अजीम उसपर पूरी तरह से निर्भर हो गया था .

रश्मि उसके पास जाकर उससे बात करना चाहती थी लेकिन मैंने उसे रोक लिया ..

"नही रश्मि अगर उसे पता चला तो गड़बड़ हो जाएगी ,,,उसे सोने दो..हम बाहर जाकर कुछ सोचते है "

रश्मि और मैं बाहर आये ,मैं अभी गाड़ी चला रहा था जबकि रश्मि मेरे बाजू में बैठी हुई थी और अपना सर मेरे कंधे पर रखी कुछ गहरी सोच में डूबी हुई थी .

"कितना अंतर है तुम दोनो में ."

वो गहरी सांस लेकर बोलने लगी

"किसमे ??"

मैं उसकी बात को समझ नही पाया था ..

"तुझमे और तुम्हारी पत्नी में ."

मैं हड़बड़ाया ,मुझे पता था की रश्मि जानती है की काजल मेरी पत्नी है लेकिन अभी तक मेरे ही सामने उसने कुछ नही कहा था लेकिन पता नही आज क्या हुआ की वो मेरे सामने ही मेरी पत्नी का जिक्र कर रही थी .

उसने मुझे देखा मेरा चहरा हैरत से भरा हुआ था .

वो हल्के से मुस्कुराई और फिर से मेरे कंधे पर अपना सर रख दिया

"मुझे पता है देव की काजल तुम्हारी पत्नी है ,हमेशा से पता था अजीम को भी पता है ,लेकिन तुम दोनो ही अपने काम में इतने माहिर और हुनरमंद हो की हमने कभी तुम दोनो के रिलेशन को लेकर कोई बात नही की ,जबकि हम दोनो बिजनेस में एक दूसरे के कट्टर दुश्मन रहे है ,और आज मुझे लगता है की हम सही थे..."

वो थोड़ी देर तक रुक कर फिर से बोलने लगी..

"पता नही तुम्हे पता भी है या नही की काजल क्या कर रही है लेकिन सच पुछू देव तो मैं उससे परेशान हो गई हु ,अब मुझे लगता है की मैं हार गई हु ...क्या तुम्हे नही लगता की तुम भी हार गए हो ...तुम्हारी बीवी ना जाने क्या क्या कर रही है और तुम्हे पता भी नही ...इतना सीधापन भी किस काम का देव "

मैं अब भी चुप ही था .

"देव वो तुम्हे धोखा दे रही है ,धोखा खाना क्या होता है ये मुझसे पूछो ,तुम्हारे दिल में कभी ये बात नही आती ,या तुम उसे जानबूझकर ही जानना नही चाहते ."

उसने मुझे ऐसा प्रश्न किया था जिसका जवाब मुझे समझ नही आ रहा था ..

"मेरे लिए बस मेरी बीवी नही है रश्मि मुझे मेरी बहनों को भी देखना है ...पता नही की काजल क्या कर रही है लेकिन इतना जरूर है की अगर मैं इन सबमे पड़ा तो शायद मेरी बहनों पर इसका प्रभाव गलत पड़ सकता है.."

मैंने अपनी परेशानी उसे बता दी .

वो चुप ही थी ....

"मैं कर भी क्या सकता हु .??"

मेरी बात पर रश्मि थोड़ी सतर्क हुई .

"बहुत कुछ ...अगर तुम मेरा साथ दो तो ."

उसने मेरे हाथो पर अपना हाथ रख दिया था ....

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अध्याय 60
गहरी खामोशी और गहरे सोच में हम दोनो ही गुम थे और रश्मि के कमरे में बैठे हुए थे,

"मैं जानता हु रश्मि की काजल क्या कर रही है "

मैंने बहुत सोच कर कहा था ,रश्मि ने सर उठाकर मुझे देखा ,उसका उदास चहरा अचानक से कोई नूर छोड़ गया था,

"लेकिन मुझे ये नही पता की वो चाहती क्या है ,मैं भी इंसान हु ,मेरी भी कुछ भावनाएं है,जैसे मैं उसके लिए मर ही गया हु ,कई दिनों से हमारे बीच कोई बातचीत ही नही रही है ,लेकिन मैं इतना तो जरूर जानता हु वो मुझे धोखा दे रही है ."

रश्मि का चहरा खिल गया,मैं झूट बोल रहा की काजल और मेरे बीच में कोई भी बातचीत नही हो रही है लेकिन मैं रश्मि पर पूरी तरह से विस्वास भी तो नही कर सकता था ...

"तुम मुझे बताओ की मुझे क्या करना चाहिए,मैं तंग आ चुका हु मैं एक आराम की जिंदगी बसर करना चाहता हु ,मुझे इन झमेलो से निकलना है ."

रश्मि ने मेरे आंखों में देखा उसमें एक चमक दिखाई दी..

"तुम क्या चाहती हो और अगर तुम्हे काजल को रोकना है तो क्यो "

मैंने रश्मि के ऊपर एक प्रश्न दागा .

"पहले तो मुझे खान साहब के प्रोपर्टी में अपने हिस्से की चिंता थी लेकिन अब ...अब तो मुझे बस अजीम की चिंता हो रही है ,अगर उसे बाहर नही निकाला तो वो मर जाएगा "

वो जोरो से रोने लगी थी

मैं उसके पास जाकर उसके कंधे पर अपना हाथ रखा

"जिस आदमी ने तुम्हे इतना सताया तुम उसके लिए क्यो परेशान हो रही हो "

वो सर उठाकर मुझे देखने लगी .

"क्योकि मैं उसे प्यार करती हु ,वो मेरा पति था ...देव एक लड़की के दिल की बात तुम नही समझ पाओगे,कई मजबूरियां होती है लेकिन कुछ भी हो मैंने उससे ही तो प्यार किया था ."

मैं इसी सोच में पड़ गया की हो सकता है की काजल की भी कुछ मजबूरियां हो लेकिन वो मुझसे भी प्यार करती हो .

"मेरे दिमाग में एक प्लान है क्या तुम मुझपर भरोसा कर सकती हो "

मैंने झट से कहा

वो मानो खुस हो गई

"मुझे तुम्हारे ऊपर पूरा भरोसा है देव तुम कहो तो सही.."

मुझे अब अपना मैनेजर वाला दिमाग लगाना था ..

"तुम्हे क्या लगता है की अजीम इतना कमजोर क्यो हो रहा है "

वो आश्चर्य से मुझे देखने लगी

"क्या वो ड्रग्स लेता है ???"

"बहुत ज्यादा लेता था लेकिन अभी उसे ड्रग्स ."

वो कहते कहते रुक गई

"वाओ देव कमाल है ,हा समझ गई ठाकुर और काजल मिलकर उसे ड्रग्स दे रहे है ...ओह माय गॉड इसलिए वो काजल का ऐसा दीवाना बना घूम रहा है "

रश्मि की आंखों की चमक और भी बढ़ गई ,मेरे दिमाग में कई खुरापात एक साथ चलने लगी थी ..

"अब हमे क्या करना चाहिए "

रश्मि ने बड़े ही जल्दबाजी में मुझसे पूछा..

"पहले तो पता करो क्या तूम अपने कांटेक्टस के बारे में मुझे बता सकती हो .."

वो थोड़ी देर सोचती रही ,इतने अचानक मुझपर वो इतना विस्वास कैसे कर सकती थी ..

लेकिन फिर उसने थोड़े हिम्मत भरे स्वर में कहा

"हा बिल्कुल "

"तो जेल में अपना आदमी कौन है "

"फिलहाल तो कोई भी नही "

"तो बिठाओ या खरीदो किसी को "

वो मुझे देखने लगी

"हो सके तो ऐसा सिपाही जो बिल्कुल ही आम हो ,थोड़े पैसे में ही जिसे खरीदा जा सके "

उसने अपना सर हा में हिलाया

"और खान के पास हमारा कोई आदमी "

"हा है तुम जानते हो उसे मोहनी "

मोहनी का नाम सुनकर मैं जोरो से हँस पड़ा

"वो किसी काम की नही है ,वो बस एक ही काम के लिए ठीक है "

मैं फिर से हँस पड़ा और रश्मि ने मुझे थोड़ी नाराजगी से देखा

"एक आदमी बैठना पड़ेगा ,मेरी नजर में है एक लड़का "

वो शांत ही रही

"तुम्हे जो भी करना है करो तुम्हे जितना पैसा चाहिए मैं तुम्हे दूंगी लेकिन ...लेकिन अजीम को उस काजल से बचाओ मेरे पास बहुत है और मुझे अब उनकी दौलत नही चाहिए,अजीम और खान साहब को तो अपने कर्मो की सजा तो भुगतनी ही पड़ेगी लेकिन मैं अपने पत्नी धर्म का तो पालन कर ही सकती हु ,एक बार उन्हें इस दलदल से निकाल दु बस ,फिर कभी उसने नही मिलूंगी "

रश्मि के चहरे में सच में दर्द टपक रहा था ..

पता नही क्यो मेरी सहानुभूति उसकी ओर बढ़ रही थी ,जैसा मैंने अभी तक उसके बारे में सोचा था वो उससे बिल्कुल ही अलग निकली थी ,वो एक बड़े बाप की बिगड़ी हुई औलाद तो थी लेकिन वक्त ने उसे बहुत कुछ सिखाया था,उसके दिल में आज भी अजीम के लिए गुस्सा था लेकिन फिर भी वो उसे अपना पति ही मानती थी ,मैं तो उसे चालबाज समझता था लेकिन वो बस उतना ही उड़ सकती थी जितना पैसे के दम में एक इंसान उड़ता है,काजल ने उसे असहाय बना दिया था क्योकि काजल के सामने उसके पैसो की बिल्कुल भी नही चल पा रही थी .

"एक अंतिम बात ..काजल के पास ऐसा कोई है जो उसकी खबर तुम तक पहुचाये "

"हा है ना ...शबनम .."

उसकी बात सुनकर मेरे होठो की मुस्कान गहरी हो गई ,तो शबनम भी मेरी ही तरह दोनो तरफ से खेल रही थी ,

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अध्याय 61
कमरे के बड़े से बिस्तर में मैं शबनम के पहलू में लेटा हुआ था ,रश्मि ने आज मुझे शबनम से नए तरीके से मिलवाया था,

हम दोनो को ही ये पता था की हम किसका साथ दे रहे है,मैं उसे उसी कमरे में ले आया जंहा हम अधिकतर ही मिला करते थे,मैं अभी उसके गोद में सोया था और वो मेरे बालो पर अपनी उंगलियां फेर रही थी ,

उसकी गोद में मुझे एक अलग सा सुकून और शांति का अहसास होता है ,ऐसा लगता है जैसे वो ही मेरी सबसे अच्छी दोस्त है मेरा सहारा है.

"आखिर तुमने भी रश्मि के साथ हाथ मिला लिया "

वो मुस्कुराती हुई बोली

"क्या करू कुछ तो करना ही होगा ,काजल क्या करती है मुझे तो आजतक समझ ही नही आया "

"क्या करती है या क्यो करती है क्या जानने के लिए रश्मि के साथ आये हो"

"दोनो ही चीजे आखिर वो ऐसी क्यो हो गई है."

शबनम थोड़ी देर तक खामोश ही रही

"उसने तुम्हे नही बतलाया ??"

"बतलाया था अपनी कहानी उसने भी बतलाई थी लेकिन ."

"लेकिन क्या ??"

"यकीन नही होता .."

"क्यो ??"

"क्योकि मैंने किसी से एक दूसरी ही कहानी सुन रखी है "

शबनम का हाथ अचानक ही रुक गया

"कौन सी कहानी "

"श्रुति की कहानी "

उसके चहरे में हल्की सी मुस्कान उभर कर आ गई

"तो तुम केशरगढ़ में बहुत खोज बिन करके आ गए ...किसने सुनाई कहानी डॉ. चुतिया ने या मलीना मेडम ने "

मैं चौका ..

"तुम इन्हें कैसे जानती हो "

"क्योकि वो कहानी सच है और काजल मुझसे कुछ भी नही छुपाती "

मैं अब उठ बैठा था.

"तो काजल ने मुझे झूट कहा था "

मैं उसे घूरने लगा

"नही काजल ने भी सच ही कहा "

मैं बड़े ही असमंजस में पड़ गया था

"मतलब एक ही कहानी सच हो सकती है दोनो कैसे "

वो मुस्कुराई

"इसके लिए तुम्हे अतीत में झकना होगा देव ...काजल ने मुझे मना किया था की उसके अतीत के बारे में कुछ भी तुम्हे नही बताऊँ लेकिन मुझे लगता है की अब वो समय आ चुका है जब तुम्हे ये जानने का हक है,वरना तुम उससे सिर्फ नफरत ही करते रहोगे ."

शबनम के आंखों से एक आंसू गिर गया ..

मैंने उसका हाथ थाम लिया था ..

उसने कहना शुरू कीया

"बात तब की है जब केशरागड के करीब शहर में होटल आदित्य की मालकिन काजल हुआ करती थी ,काजल की एक और सहेली थी जिसका नाम था नेहा ,काजल के पति का नाम विकास था जो की एक आईएएस ऑफिसर थे ,विकास की एक और बीवी थी जिनसे तुम मिले थे ,मलीना ,उनसे उन्हें एक लड़की थी जिसका नाम रखा गया श्रुति ...

"

मैं ध्यान से उसकी बातो को सुन रहा था.

"काजल की दोस्त नेहा का पति रॉकी था जो की आदित्य इंटरनेशनल का मैनेजर हुआ करता था ,उन दोनो की एक बेटी थी जो की श्रुति की हम उम्र ही थी ,नेहा और काजल का प्यार बहनों की तरह था शायद उससे भी ज्यादा इसलिए नेहा ने अपनी बेटी का नाम भी उसके नाम पर काजल ही रखा ...वही हमारी काजल है देव .."

उसकी आंखों से आंसू झलक आये थे ,

मैंने उसके गालो पर हाथ फेरा ..

"तो नेहा काजल की मां थी ,तो डॉ ने मुझे मलीना के सामने श्रुति का पति क्यो कहा ???"

मैंने सवाल किया ..

"क्योकि भगवान को कुछ और ही मंजूर था ,काजल और श्रुति ना सिर्फ हम उम्र थे बल्कि उनमे बहुत ज्यादा प्यार भी था,जैसे नेहा और काजल में हुआ करता था ,तभी विकास का ट्रांसफर दिल्ली हो गया ,उसे केंद्र सरकार में काम करने के लिए बुला लिया गया ,काजल भी होटल के काम से तंग आकर उसे बेचने की सोच ली आधा शेयर अपनी बहन की तरह प्यारी दोस्त नेहा के नाम कर दिया और आधा खरीदा खान ने .

फिर काजल विकास के साथ दिल्ली चली गई ,

वक्त ने करवट बदली खान का दिल नेहा पर आया हुआ था ,लेकिन वो कुछ कर नही पा रहा था जबतक की उसे इन सबकी असलियत पता नही चल गई .

नेहा का पति रॉकी पहले काजल का बॉयफ्रेंड हुआ करता था और तब भी उसे काजल से मोहोब्बत थी लेकिन जब काजल और विकास के बीच सब सही हो गया उसने नेहा से शादी कर ली ,वही नेहा हमेशा ही विकास से प्यार किए करती थी पहले उनका शारीरिक संबंध भी रह चुका था ,उसने रॉकी को बतलाया नही था की असल में काजल(नई वाली ) भी विकास के बीज से ही जन्मी थी ,ये बात नेहा ने ना सिर्फ रॉकी से बल्कि काजल और विकास से भी छुपाई थी ,लेकिन खान को जब उन सब के पुराने रिलेशन के बारे में पता चला तो उसने रॉकी के कान भरने शुरू किये ,और रॉकी को ब्लड टेस्ट से ये पता चल गया की जिसे वो अपनी बेटी मानता था असल में वो विकास की बेटी थी ,खान ने उसे चुप रहने के लिया कहा और पहले उसे नेहा से होटल के आधे शेयर हासिल करने की स्किम बनाई ..

रॉकी बदले की आग में जल रहा था ,उसे हमेशा लगता था की काजल नेहा और विकास ने मिलकर उसे चुतिया ही बनाया है,वो पहलवानों की तरह ताकतवर था लेकिन खुद का दिमाग चलाने में उतना महिर नही था जितना की खान ,खान को भी दौलत और नेहा का जिस्म चाहिए था,उसने इंस्पेक्टर ठाकुर को अपने साथ मिला लिया,उसे ये भी पता था की इन सबके बीच विकास जो की एक आईएएस है उससे जितना मुश्किल होगा ,इसलिए उसने उसे भी अपने रास्ते से हटाने की सोच ली ,इन सबमे सिर्फ मलीना ही उनके लिए कोई खतरा पैदा नही कर सकती थी इसलिए उसपर हाथ लगाना उन्होंने ठीक नही समझा .

वो काली रात थी जब काजल(नई) के गले में चाकू रखकर रॉकी और खान ने नेहा से शेयर रॉकी के नाम पर करवा लिए ,उसके बाद बेटी के सामने ही ठाकुर रॉकी और खान ने नेहा का बलात्कार किया ,इन सबके बाद उसको जिंदा छोड़ना मुश्किल था ,उन्होंने दोनो मा बेटी को बांधकर घर समेत जला दिया ...."

मैं सुन्न रह गया था ,...और शबनम की आंखों से आंसू अनवरत गिरे जा रहा था .

"रॉकी ने विकास से बदला लेने के लिए विकास की दूसरी बेटी श्रुति को भी किडनैप कर लिया ,और वँहा से भाग गया ,ये सभी बाते जब बाहर आयी तो इंस्पेक्टर ठाकुर ने खान को साफ साफ इन सबसे अलग कर दिया और पूरा दोषी रॉकी को बना दिया जो की आज तक फरार है,इन घटना सुनकर विकास और काजल दिल्ली से वापस आये लेकिन रास्ते में उनके गाड़ी का एक्सीडेंट करवा दिया गया ,आगजनी में काजल(नई) निकल गईं थी ,जिसका पता सिर्फ डॉ चुतिया को था,लेकिन उन्होंने उसे पुलिस के सामने ना ले जाने का फैसला किया ,एक्सीडेंट में विकास और काजल गंभीर हो चुके थे ,काजल जब अति गंभीर अवस्था में थी तो उसने अपने जान से प्यारी सहेली के बेटी काजल से मुलाकात की ,जिसे डॉ सबकी नजर से बचा कर उसके पास ले आया था ,उसने काजल के कानो में बस एक बात कही थी ..'अपने मा के कातिलों को तड़फ़ा तदफ़ा कर मारना,उन्हें आसान मौत नही आनी चाहिए ,तोड़ देना उनका दम, गुरुर,जिस्म सब कुछ छीन लेना उनसे जो उन्हें प्यारे हो ,ऐसी स्तिथि में ला देना की वो मौत चाहे लेकिन मर नही पाए , '....काजल ने वो बात सीने में बसा लीया...और आज वो अपने बदले के बहुत करीब है ."

मैं सन्न रह गया था लेकिन काजल ने मुझे थोड़ी अलग कहानी सुनाई थी ,शायद वो मुझे कुछ चीजे नही बतलाना चाहती थी ..

"डॉ चुतिया ने काजल की परवरिश की जिम्मेदारी अपने ही एक आदमी को दे दी जिनकी पत्नी का इंतकाल हो चुका था और एक बेटा भी था,जिसे आज तुम काजल के पिता और भाई के रूप में जानते हो,उसे मलीना से मा का प्यार मिला मलीना उसमे ही अपनी खोई हुई बेटी श्रुति को देखती है और उसे ही श्रुति कहा करती है ,जब काजल थोड़ी बड़ी हो गई तो सब उसे श्रुति ही कहा करते थे ,सबको यही लगता था की मलीना ने उसे गोद लिया हुआ है ,क्योकि काजल कभी पहले केशरागड में नही रही थी बल्कि उसकी परवरिश शहर में होटल आदित्य में हुई थी इसलिए केशरगढ़ के लोग उसे कम ही पहचानते थे,इसका फायदा उसे हुआ ,वो हमेशा ही डॉ और मलीना के संरक्षण में रही ,लेकिन वो अपनी उस आग को बुझा नही पाई ना ही उसने कभी काजल मेडम की बात को ही भुलाया ,उसकी बदकिस्मती की उसे कालेज के दौरान तुमसे प्यार हो गया और तुम्हारी बदकिस्मती की तुम्हे वो सब पता चल गया जो तुम्हे नही पता चलना था,काजल तुम्हे नही छोड़ सकती,

लेकिन वो इस मकसद को भी नही छोड़ सकती जिसके कारण ही वो जी रही है ...इसलिए वो ये कोशिस करती है की तुम उसके साथ आ जाओ चाहे,"

वो इतना बोल कर थोड़ी मुस्करा पड़ी मैं समझ रहा था की वो क्यो मुस्कुरा रही थी ,वो भी जानती थी की आजकल काजल मुझे क्या बनाने की कोशिस कर रही है ,लेकिन मैं अब उसकी मजबूरी को समझ सकता था .

"उसका ये सब करना जायज है शबनम लेकिन ...रॉकी का क्या हुआ क्या वो मिला ??"

शबनम ने एक गहरी सांस ली

"वो वँहा से भागने के बाद एक अमीर विधवा को फंसा कर उससे शादी कर ली,जिसकी एक बेटी भी थी ,आजकल रॉकी को लोग कपूर साहब के नाम से जानते है "

मैं बुरी तरह से बौखला गया था ,

"कपूर साहब "मेरी मुठ्ठी बंद होने लगी मैं गुस्से में जल रहा था .,उसने मुझे शांत कराया..

"वक्त आने पर सही वार करना है हमे देव अभी से गुस्सा होने से कुछ नही होगा "

मैं शांत हुआ

"लेकिन शबनम आखिर श्रुति का क्या हुआ ,क्या वो मिली "

शबनम हँस पड़ी

"हा डॉ ने उसे खोज निकाला इसके लिए उनको रॉकी से फिर से दोस्ती भी करनी पड़ी ,लेकिन आजतक उन्होंने उसे सबसे छुपा कर रखा है...रॉकी ने विकास से बदला लेने के लिए उसे एक कोठे में बेच दिया ,लेकिन उसकी किस्मत अच्छी थी वो बहुत ही खूबसूरत थी तो एक पुराने नवाब ने उसे खरीद कर अपने घर में रख लिया ,वो उनकी सेविका बनकर रहने लगी ,वंही उसे नया नाम दिया गया और साथ ही नया काम भी और साथ ही उसकी शादी एक लड़के से भी करा दी गई "

मैं उसे आश्चर्य से देखा

"तुम इतना कैसे जानती हो"

वो मुस्कुराई ,इस बार उसके होठो की मुस्कान और भी गहरी थी

"क्योकि मैं ही श्रुति हु देव .."

मैं बस उसके चहरे को देखता रहा उसकी आंखों में मेरे लिए बस प्यार था उसकी हर बात में सच्चाई थी ,अब मुझे समझ आ रहा था की आखिर शबनम और काजल की दोस्ती इतनी गहरी क्यो है ,वो दोनो ही बहने है और उससे भी ज्यादा है ......

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अध्याय 62
शबनम की आँखो में आंसू था और होठो में मुस्कुराहट,ये वो पल होता है जब कोई खुसी में नही आनन्द में हो ,दिल खुशी होठो में चमक रही थी और आंखो से मोती बनकर टपक रही थी,नयनो के अंदर बस प्यार ही प्यार दिखाई दे रहा था,उसका हाथ मेरे सर को सहला रहा था और मैं उसकी गोद में अपना सर टिकाए हुए किसी स्वर्ग की सैर में था,

"शबनम क्या तुम भी मुझसे प्यार करती हो .."

मैं उसके गोद में कुछ और ही धंस गया था

शायद उसके होठो की मुसकान और भी चौड़ी हो गई हो,

"कोई शक है क्या ???"

"लेकिन मैं तो तुम्हारी बहन का पति हु "

"तो ."

"तो क्या तुम्हे पता नही क्या की मैं क्या कहना चाहता हु .."

"शायद ये हमारे खून में ही है देव...मेरी और काजल की माए भी तो एक ही लड़के के प्यार में थी जो की उनका पति नही था."

वो खुलकर हँस पड़ी ,मैंने अपना चहरा ऊपर कर उसकी ओर देखा आज वो कुछ और ही छटा बिखेर रही थी ,चहरा दमक रहा था,उज्जवल काया में कोई दाग ही नही था,आज मैंने उसके त्वचा के उस रंग को गौर किया वो सच में मलीना के गुणों से भरी हुई थी लेकिन थोड़ी यूरोपियन थोड़ी भारतीय,वक्त ने उसके भारतीय गुणों को ज्यादा उजागर किया था,वो शर्माती हंसती हो लाल हो जाया करती थी ,मानो खून उतर आया हो,गोल गोल गालो और भरे हुए जिस्म के कारण वो बहुत मस्तानी लगा करती थी लेकिन आज उसकी मासूमियत भी उसके चहरे से टपक रही थी,उसके कमीज से छलकते हुए उसके दो उजोर अपने पूरे सबाब में मुझे उसका चहरा देखने से रोकते थे,और उसके जांघो में भरा हुआ मुलायम मांस आज मेरा तकिया था ..

उसके हँसने पर एक पंक्ति में जमे हुए उसके चमकदार दांत और किसी ताजा सेब से लाल चमकदार मसूड़े मेरे दिल की गहराइयों में बस गए थे.

मेरी नजर बस उसपर जम ही गई ,वो इससे शर्मा सी गई थी ,

उसके गुलाबी लेकिन भरे हुए होठ ऐसे फड़कने लगे थे जैसे जैसे किसी जाम से मदिरा छलक रही हो ..

मुझसे और सब्र नही हो पाया मैं उठा और उसके होठो के सबाब को अपने होठो में भर ही लिया ,वो दोहरी हुई लेटती गई और आखिर में उसका जिस्म मेरे बांहो में था ,वो चंचल सी शोख हसीना आज किसी समर्पण की देवी सी मेरे बांहो में कैद थी .

मेरा शरीर उसके शरीर के ऊपर था और हमारे होठो एक दूजे के होठो पर शिद्दत से छाए हुए थे,कोई बेताबी कोई बेचैनी कोई भी जल्दबाजी दिल में नही थी ,एक सुकून था उसके इन मय के प्यालों में जिसे मैं शिद्दत से पीना चाहता था ,पूरी तरह से पूरी तृप्ति होने तक ,,...

वो अपना हाथ मेरे बालो में फंसा कर मेरा साथ दे रही थी ,ऐसा लगा जैसे आज मैं किसी और ही शबनम के साथ था ,वो शबनम जो मुझे प्यार करती है ,

और ये प्यार जिस्मनी नही था ,ऐसा लगा जैसे उसके रूह से आती हुई कोई प्यार की लहरे मेरे मन के किसी कोने को भिगो रही थी ,

वो एक अजीब सा सुख दे रही थी ,हर अहसास में वो जिंदा सी लगी ,किसी भी तरह का दिखावा और मुर्दापन नही था,मैं तो बस डूब ही जाना चाहता था और मैं डूब ही गया,ना जाने कितने देर तक हम बस एक दूजे के ही होठो को पीते रहे ,

ना जाने कब हमारी आंखों ने पानी छोड़ दिया,ये भावनाओ का शैलाब सा आ गया था जिसे हम दोनो ही रोकना नही चाहते थे और रोके भी क्यो.

उसके जिस्म की गर्मी और नरमी ने मुझमें हवस की कोई आग नही जलाई थी ,मेरा हाथ उसके पुष्ट जांघो को सहला रहा था लेकिन अभी भी हम बस उसी अज्ञात दरिया में डूबे हुए थे जिसमे से बाहर निकल पाना मुश्किल हो रहा था,उसने मुझे कस रखा था और मैं उसके मखमली जिस्म में हाथ फेर रहा था,

पता नही क्यो ऐसा लगा की अब हमारे जिस्म के बीच कपड़ो की दूरियां भी नही होनी चाहिए,मैंने ही पहल की और उसने साथ दिया ,हम कब नंगे हुए हमे पता ही नही था,

दोनो का बदन तप रहा था,सांसे तेज थी और मेरे लिंग में भी कसावट थी लेकिन दुविधा ,और उतावलापन अब भी नही था ,ना ही मैंने उसके अंदर जाने के लिए कोई मेहनत की ना ही उसने मुझे अपने अंदर लेने के लिए कुछ किया ,

हमारा जिस्म बस एक दूसरे में रगड़ खा रहा था और थोड़ी भी दूरी बेहद ज्यादा लग रही थी ,यू ही उसके होठो गालो को चूमता जा रहा था,वो भी कभी मेरे ऊपर आ कर मेरे शरीर को चूमती थी ,उसके बाल फैल गए थे और वो साक्षात काम की देवी का रूप लग रही थी,मोहक इतनी की आंखे जो जम गई तो फिर नजर किनारे ही नही हो पा रही थी,फैले हुए काले लंबे बाल और गोरे जिस्म में हल्की हल्की पसीने की बूंदे,नंगा जिस्म चमक रहा था और पसीने से थोड़ा भीग कर नरमी का अहसास दे रहा था ,वो मेरे कमर में बैठी थी और उसके गद्देदार कूल्हे का नरम अहसास मैं अपने लिंग पर कर पा रहा था ,

फिर भी कोई उतावला पन नही था..

बस उसके रूप को मोहित होकर देखे जा रहा था,वो झुकी और फिर से हमारे होठ एक दूजे में मिल गए ,कहने को कोई बात नही रह गई थी था तो बस अहसास .

गीले योनि में कब मेरा लिंग फिसल गया इसकी भनक भी नही लगी ,थोड़ी रगड़ होने लगी और रगड़ से उठाने वाले सुखद अहसास ने हमे घेर लिया लेकिन फिर भी दिल में सुकून की एक गहरी छाया थी जो हट नही पाई,लिंग और योनि के संगम ने भी हमारे मन को विचलित नही किया था ,बस एक दूसरे का हो जाने के अहसास में हम डूबे हुए थे ,ना जाने कितनी देर ना जाने कितने घंटे.

बस यू ही रहे ..

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अध्याय 63
बार बार की कोशिशें लेकिन हार नही मानने का जस्बा ,पुरानी आदतों ने कितना जकड़ रखा है की उनके चक्कर से छूटना बहुत ही मुश्किल सा हो जाता है.

मेरे हाथो में रखी उस सिगरेट को देखता हुआ मैं सोच रहा था की कैसे कुछ आदतें हमारे जीवन को बर्बाद जो कर देती है और हम उसे क्यो नही छोड़ पाते बस इसलिए क्योकि हममें वो इक्छा शक्ति नही होती,दो दिनों से मैं सिगरेट को हाथ नही लगा रहा था और उसके कारण किसी काम में मन नही जा रहा था ,लेकिन मैं सिख रहा था की आखिर उस खलिपन को कैसे भरे जो की सिगरेट ना पीने की वजह से हो गया था ,

"क्या देख रहे हो भइया पीना है तो पी भी लो हाथ में पकड़े हुए हो आधे घंटे हो गए "

पूर्वी मेरी गोद में आकर बैठ गई ,

"बस सोच रहा हु की ये एक छोटी सी चीज मुझे कितना कमजोर महसूस कराती है ,जब भी मैं सोचता हु की इसे नही पीना है तो मैं मन करता है की एक पी ले क्या होगा ,सोचो मैं अपने को कितना मजबूर पाता हु जब मेरे मन में ये उठता है की मैं इसे नही छोड़ पाऊंगा,नही पूर्वी मैं इतना कमजोर नही हो सकता की एक सिगरेट मुझे खुद को पीने में मजबूर कर दे ,अब तो बिल्कुल भी नही "

मैंने सिगरेट को तोड़कर फेक दिया ,सच में मन में एक मजबूती सी महसूस हुई

जीवन में अगर सबसे बड़ी कामयाबी अगर कुछ है तो वो है खुद पर काबू पा लेना.

अपनी मर्जी का जीवन जीना या ये कहे की अपने सभी कामनाओं को छोड़कर वो जीवन जीना जो की आपके लिए सही हो ,क्योकि कामनाएं तो गलत और सही दोनो की ही हो सकती है ,

पूर्वी खुसी में मेरे गाले से लग गई थी ,

मैं उसके बालो को सहला रहा था,

शबनम से बात करके आने के बाद से मुझे पता नही क्यो लेकिन ये जीवन बहुत ही खूबसूरत सा लग रहा था और मैं बस इसे भरपूर जीना चाहता था और इसके लिए सबसे पहला कदम मैंने सिगरेट और शराब से दूरी बनाकर लिया .

आगर शरीर अच्छा होगा तो ही मन शांत होगा और जब मन शांत होगा तो ही मैं इस जीवन को गहराई से जी पाऊंगा उसे गहराई से समझ सकूंगा ,

मैं जीवन के सबसे अहम चीजों को समझ और जान पाऊंगा ,

यही बात मेरे मन में घूम रही थी ,मैं पूर्वी के कोमल बदन को फील करने लगा,देखने लगा की आखिर मैं इस शरीर को लेकर हवस से क्यो भर गया था ,मैं उस हवस के कारण को जानना चाहता था मैं आंखे बंद किए उस सोर्स को खोज रहा था जंहा से हवस की काम की उतपत्ति होती है ,एक धार सी शरीर में घूम रही थी जो की मेरे लिंग को कड़ा करने की कोशिस कर रही थी लेकिन मेरे जगे हुए होने के कारण वो उसे छू भी नही पा रही थी,वो मेरे लिंग के पास ही अटकी हुई थी ना ही कही और जा रही थी ना ही लिंग को अकड़ने दे रहा था,

मैं उस धार के साथ साथ ही रहा,वो मेरे पूरे शरीर में बट गया और मैं मेरा मन और शरीर उस कोमल शरीर को स्पर्श करने के बाद भी किसी भी तरह के भावना के आवेग से नही भरा,इसका मतलब ये नही की भावना से नही भरा असल में उसका आवेग नही था भावना तो थी,उसका अहसास भी था,उसकी गर्मी उसकी हल्की शुष्कता और उसका नरम त्वचा का अहसास भी हो रहा था,पसीने से भीगा होने के कारण आने वाली थोड़ी आद्रता का भी आभास था लेकिन आवेग नही था,मैं इस सत्य को समझ पा रहा था मैं इस तकनीक को समझ पा रहा था ,कैसे कोई संवेदना हमारे शरीर में उभरती है और हम बस उसके गुलाम बने हुए उसके पीछे भागने लगते है ,अगर हमे उसका मालिक होना है तो उस संवेदना को आने दो लेकिन बिना किसी प्रतिक्रिया के उसे जाने भी दो बस देखते रहो दृस्टा बने हुए ....

और जब वो संवेदना खत्म हो जाए तो मन भर जाना है बस एक अजीब से अहसास से एक शांति से ,,,,मन बिल्कुल शांत ,,शरीर शांत ..

बस मैं ही होता हु शांत दृष्टा बना हुआ ....

______________________________

अध्याय 64
मैं और शबनम दोनो ही इस ख्याल में थे की आखिर इस कागज में लिखा क्या है ..

ये कोई कोड था जिसे तोड़ने की कोशिस में मेरा एक घण्टा निकल चुका था ..

आखिर थककर मैंने इसे छोड़ने की सोची और अपना लेपटॉप निकाल कर कुछ बिल का काम करने लगा,

मुझे कुछ टाइप करना था ,अचानक मेरा ध्यान फिर से उस कोड पर गया,

मैंने देखा की हर नंबर के आगे u m l लिखा हुआ है ,

u से अगर अपर हो ,m से मिडिल और l से लोवर तो अगर ये kyebord में जमे हुए अक्षरो के बारे में हो तो ..

मैं तुरंत फिर से उस कागज को खोलकर अपने सामने ले आया और उसे मिलाने लगा

l5 u9 m3 m9 u8

l7 m1 m6

u3

530

l5 मतलब अगर शुरू से गिना जाए तो लोवर रो का 5वा अक्षर मतलब b

u9 मतलब अपर रो का 9वा अक्षर मतलब o

मैं सभी को फिर के जमाते गया और मेरे सामने नया वाक्य बन गया जिसे देखकर मेरी आंखे ही चमक गई ,

bodli mhl e 530

बोदली महल मैं इस जगह को जानता था,या ये कहो की मैं यंहा ही पला बढ़ा था ,मैंने तुरंत ही शबनम को इस बारे में बतलाया की मुझे तुरंत ही निकलना होगा,क्योकि ये मेरे गांव से कुछ दूर एक खण्डर पड़े हुए जगह का नाम है ,बोदली महल और e 530 का मतलब हो सकता था की एविनिग के 5 बजकर 30 मिनट में .

शायद इसीलिए काजल अभी निकली थी क्योकि वो 4 बजे तक वँहा पहुच जाएगी .

मेरी धरती में ही कोई उसे कुछ राज बतलाना चाहता था और मुझे इसका आभास अभी हो रहा था,जरूर ये निशा से ही जुड़ा हुआ कोई तार था जिसको जानने के लिए काजल बेताब हो रही थी ,और अब मैं और शबनम भी ....

मुझे तुरंत ही बोदली महल के लिए निकलना था और मैंने देरी करना जरूरी थी नही समझा,शबनम भी मेरे साथ जाने की जिद करने लगी लेकिन मैं उसे अपने साथ नही ले जाना चाहता था क्या पता की वँहा कौन सा नया खतरा मेरे सामने आ जाए .

मैं अब अपने घर के रास्ते में था ,वो घर जिससे मैंने अपना नाता पूरी तरह से ही तोड़ लिया था ना जाने कौन सी सच्चाई मेरे सामने आने वाली थी मैं बेताबी से गाड़ी चला रहा था ,मैं सालो बाद उस जगह में जा रहा था जंहा मैंने अपना बचपन गुजारा था ,मैं भविष्य की कल्पनाओं में डूबा हुआ बस बोदली महल की ओर गाड़ी को तेजी से भगा रहा था .....

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अध्याय 65
बोदली महल ,बस नाम का ही महल था ,वो किसी जमाने में रौनक हुआ करता था आजकल वँहा बस सन्नाटा पसरा रहता था ,आसपास के लोग तो वँहा जाने से भी डरा करते थे दिन के उजाले में भी लोग उधर फटकते नही थे,मैं यहां आता ही इसलिए था क्योकि मुझे यंहा शांति का आभास होता था,मैं कभी कभी अपनी बहन निशा को भी यंहा लाया करता था,यंहा एक कहानी प्रचलित थी की इसी महल में कभी राजा की बेटी को अपने एक नॉकर से प्यार हो गया था और इसलिए उस राजा ने उस नॉकर को दीवार में चुनवा दिया था,राजकुमारी ने ही यही अपनी जान दे दी,और तब से राजा साहब इस महल को छोड़कर चले गए.

कालांतर में लोगो में ये अफवाह गर्म हो गई की यंहा पर अब भी उन दोनो की आत्मा का राज है ,और इसलिए ये धीरे धीरे खण्डर में तब्दील हो गया ,

लेकिन मैं यंहा अपने पूरे बचपन आता रहा ,मेरा और निशा के लिए ये फेवरेट जगह में से एक थी क्योकि हमे यंहा कोई भी डिस्टर्ब नही करता था और ना ही कोई ढूंढने आता था,हम यंहा घंटो बैठे रहते और बाते करते रहते,मुझे लगता था की मैं ही इस पूरे महल का राजा हु,क्योकि महल भले ही खण्डर हो गया हो लेकिन यंहा के दीवारे अब भी वैभव की गाथा गया करते थे,इतनी नक्काशियां आज भी बड़ी ही मनोरम लगती थी ,

खैर बीती बातो को याद करने से क्या मिलेगा,लेकिन फिर मेरे दिमाग में अचानक से ये बात भी कौंध गई की आखिर बोदली महल ही क्यो???????????

कोई काजल को यंही क्यो बुलाना चाहता है जबकि ये जगह पहुचने में दुर्गम भी थी और साथ ही बहुत ही सुनसान भी ,वो भी शाम के 5 बजे जब की थोड़ी ही देर में सूरज भी ढल जाएगा .

मेरे जिस्म में एक सुरसुरी सी हुई ,आजतक मैं भी कभी वँहा पर देर शाम तक नही रुका था, वो निशा के बारे में जानकारी देना चाहता था,और जगह भी ऐसी ही चुनी थी जो की निशा की सबसे फेवरेट जगह में से एक थी ,मैं तो कालेज की पढ़ाई के लिए शहर आ गया था लेकिन तब भी निशा वँहा जाया करती थी ,फिर मैंने बैचलर कंप्लीट किया और फिर MBA करने लगा जंहा मेरी मुलाकात काजल से हुई ,अगर शबनम की बात सच थी तो काजल और निशा एक दूसरे को मेरे MBA में आने से पहले से ही जानते थे मलतब मेरे ग्रेजुएशन के समय से ,उस समय भी निशा बोदली महल जरूर आती रही होगी ,

मुझे याद है की जब मैं एक बार छुट्टियों में घर आया था तब निशा के साथ बोदली महल गया था और उसने मुझे ऐसे उसे घुमाया था की मुझे लगा की मैं यंहा पहली बार ही आया हु जबकि निशा यही रहती है ,तब उसने मुझे बताया था की उसे जब भी मेरी याद आती है वो वही आ जाया करती है और घंटो यही बिताया करती है .....

मेरे दिल में वँहा जल्दी से जल्दी पहुचने की बेताबी बढ़ती जा रही थी ,मैं जानता था की आज मुझे कुछ खास सच का पता चलने वाला है ....

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अध्याय 66
वही सन्नाटा पसरा हुआ था जो की हमेशा से ही मुझे बोदली महल में महसूस होता था,जो पहले इतना सुहाना सा लगता था वो आज बहुत ही मनहूस और डरावना लग रहा था,

दिन ढलने को हो रहा था और शाम के 5 बज चुके थे,मैं वँहा से करीब 2 किलोमीटर की दूरी में अपने परिचित जगह में अपनी गाड़ी पार्क करके पैदल ही महल की तरफ निकल पड़ा था,मैं बहुत ही सतर्क था...मुझे पता था की काजल जरूर उस पगडंडी से वँहा पहुची होगी जो की कभी यंहा आने का एक मात्रा मार्ग था,मेरे लिए कोई कठिनाई नही थी लेकिन काजल के लिए जरूर ये कठिनाई पैदा करने वाला रहा होगा..

कुछ ही दूर तक गाड़ी वँहा आ सकती थी काजल ने वही अपनी गाड़ी खड़ी कर इधर का रुख किया होगा,

मैं दीवारों के सहारे से बहुत ही आहिस्ता से अंदर गया,मुझे बाहर ही काजल खड़ी हुई दिखी,मैं चुप चाप ही उसे देख रहा था,उसके चहरे में भी बेचैनी और डर साफ साफ दिखाई पड़ रहे थे,वो बार बार अपनी घड़ी की ओर देखती थी ,तभी किसी मोटरसाइकिल की आवाज आनी शुरू हुई ,वो जैसे जैसे पास आ रही थी वैसे वैसे ही हमारे दिल की धड़कने बढ़ रही थी ....

कुछ ही देर में मुझे एक बुलेट में एक लंबा चौड़ा सा आदमी आता हुआ दिखा,उसके साथ ही पीछे की सीट में एक लड़की बैठी हुई थी ,दोनो को देखकर काजल के चहरे में थोड़ी शांति दिखाई दी .

लेकिन उस लड़के और लड़की को देखकर मेरा मुह सूखने लगा था ..

मैं दोनो को ही पहचानता था ,लड़की थी मेरी प्यारी बहन निशा और लड़का ..

लड़का था काजल के भाई वरुण का दोस्त सुशांत .

सुशांत के मैं अपनी शादी के दिन ही कोर्ट में मिला था(अपडेट 1) उसके बाद मैंने उसे कभी नही देखा था ,लेकिन मैं उसे पहचान गया .

दोनो के आते ही सुशांत आकर काजल के गले से लगा काजल ने भी हल्के से उसके पीठ को थपथपाया,लेकिन निशा और काजल के बीच कोई भी इंटरेक्शन अभी तक नही हुआ था ...निशा काजल को देखे बिना ही खण्डर के अंदर चली गई ..

"तुमने मुझे यंहा क्यो बुलाया ,इतने दूर हम बात तो वँहा भी कर सकते थे ना "

काजल ने सुशांत की ओर थोड़े गुस्से में देखा

"अरे दीदी,वो पता नही क्यो आपसे पहले से ही नाराज है और जब मैंने निशा से कहा की दीदी तुमसे बात करना चाहती है तो पहले तो वो भड़क गई फिर उसने कहा की ये लेटर उसे दे देना वो समझ जाएगी की कहा और कितने समय आना है ,मुझे भी कहा पता था की वो इतने दूर बुलाएगी ."

काजल ने एक गहरी सांस छोड़ी

"आप दोनो तो एक ही घर में रहते हो फिर भी बात नही कर पाते "

सुशांत ने स्वाभाविक सा सवाल किया

"नही पता ये अब क्यो मुझसे गुस्सा हुई बैठी है ,मेरी तो बात ही नही सुनती इसलिए तुझे कहने को कहा "

"अच्छा चलो ठिक है अब अंदर चलते है "

दोनो अंदर चले गए मैं भी पीछे के रास्ते से अंदर पहुचा,जैसा की मैंने पहले भी कहा था की यंहा मैं सालो से आता रहा हु इसलिए मैं इस जगह के चप्पे चप्पे से परिचित था .

मैं एक कोने में छुपकर सभी को देख पा रहा था ,निशा बड़े ही तल्लीनता से सभी नक्काशियों को देख रही थी जो की वक्त की धुंध से बोझिल हो गए थे ..

वो एक दीवार को फूक मारकर साफ करती है और वँहा पर पत्थर से उकेरा गया एक दिल का निशान साफ हो जाता है ,जिसमे निशा और देव लिखा था .

मैंने उसे पहले भी देखा था लेकिन उस समय मुझे नही पता था की मेरे बहन के दिल में मेरे लिए ऐसा प्यार पल रहा है..

निशा पलटी तो सामने काजल और सुशांत थे .

"तुम बाहर जाओ मुझे इनसे अकेले में बात करनी है "

सुशांत बिना कुछ कहे ही बाहर चला गया ..

"जानती को काजल मैंने तुम्हे यंहा क्यो बुलाया है "

निशा के मुह से काजल सुनकर मुझे अजीब लगा क्योकि मुझे इसकी आदत नही थी मैंने अभी तक निशा के मुह से काजल के लिए बस भाभी ही सुना था ..

"बताओ "काजल ने एक सपाट जवाब दिया

"क्योकि यंहा से मेरी बहुत ही यादे जुड़ी हुई है जो मैं आज तुमसे शेयर करना चाहती हु,माना की तुम मुझसे बात करना चाहती थी लेकिन पहले मेरी बात सुन लो तो बेहतर होगा "

निशा शांत थी और साथ ही काजल भी

"ह्म्म्म "काजल बस इतना ही बोल पाई

"इतना तो तुम्हे पता ही होगा की मैं और भइया यंहा अक्सर आया करते थे ,यही मेरे दिल में भाई के लिए ऐसा प्यार पनपा जो भाई बहन के प्यार से अलग ही कुछ था "

"हम्म्म्म"

"मुझे ये जगह बहुत ही पसंद थी ,क्योकि भइया को ये जगह बहुत पसंद थी ,और इसलिए भी क्योकि यही तो जगह थी जंहा मैं उनके साथ बिल्कुल ही अकेले होती थी,हमारे बीच कोई भी नही आता था,काश मैं उस समय ही भाई से अपने प्यार का इजहार कर लेती तो शायद हमे ये दिन नही देखना पड़ता...शायद मैं कभी बहकी ही ना होती ,शायद मैं उस रास्ते जाती ही नही जिसने भाई के नजरो में मुझे गिरा दिया ."

निशा ने एक गहरी सांस ली

"वो आज भी तुमसे बहुत प्यार करते है निशा "

निशा के चहरे में एक फीकी सी मुस्कान आ गई

"हा मेरी हर गलतियों के बावजूद वो मुझसे बहुत प्यार करते है ,जैसे तुमसे करते है ,जबकि वो जानते है की हम दोनो ही रंडिया है ."

निशा के मुख से निकली बात ने काजल को चुप करा दिया था...वो कुछ भी नही बोल पाई

"जब भइया कालेज की पढ़ाई के लिए शहर गए तब मैं बिल्कुल ही अकेली हो गई थी काजल,और यंहा मैं घंटो बैठी रहती थी ,उस समय पूर्वी बिल्कुल ही बच्ची थी की मैं उससे अपने दिल की बात शेयर कर सकू ,उसी समय मेरे स्कूल के कुछ लड़के जो की स्कूल से भाग कर यंहा आकर सिगरेट दारू या गंजा पिया करते थे ,उनसे मेरी दोस्ती हो गई ,वो यंहा आया करते थे लेकिन मैंने कभी किसी से नही कहा की वो यंहा आकर क्या करते है ,वो लोग मेरे अकेलेपन के साथी बने ,लेकिन मुझे इसकी एक बड़ी कीमत भी चुकानी पड़ गई ...अपने जिस्म की ..

जवानी के जोश में मैं उन लड़को के साथ इन्वाल्व हो गई लेकिन मुझे नही पता था की ये मेरी आदत बन जाएगी ,मैं नई नई जवान हुई थी और इस शराब गंजे के नशे में गिरफ्त होने लगी थी ,लड़के भी बेचारे आखिर कब तक एक जवान लड़की के साथ रह कर भी चुप रह पाते ,लेकिन फिर भी कोई भी मुझे हाथ लगाने से पहले सोचता जरूर था ,वक्त ने उनकी झिझक खत्म कर दी और मैंने भी अपनी जवानी के मजे उठाने की सोची ..

फिर भी मैं एक रांड नही बनी थी ,जबतक की मैं अजीम से नही मिली जो की उन लड़को में से एक को जानता था ,लड़के उसे अजीम भाईजान कहा करते थे ,वो एक डॉन की तरह था और सभी उससे डरते थे ,उसे भी नई जवानी चखने का शौक था और जब उसने मेरे दोस्तो के साथ मुझे देखा तो बस देखता ही रह गया,मुझे अब नया नशा लगा पॉवर का और मैं अजीम की गर्लफ्रैंड बन गई ,मुझमें इतनी समझ नही थी की मैं क्या कर रही हु ,असल में मुझे मजा आता था जब सभी लड़के जो की मेरे साथ बैठा करते थे अब मुझसे डरकर बात करते थे ,जब तक मैं नही कहती कोई मुझे छूने की हिम्मत भी नही करता था ,मेरे दिन अच्छे चल रहे थे जबतक की मेरी जिंदगी में तुम नही आयी ."

काजल उसके बातो को सुन रही थी ,जैसे उसे सब कुछ पहले से ही पता हो

"याद है तुम उस समय नई नई कालेज खत्म करके भइया के साथ MBA आयी थी और पूरे कालेज तुम अजीम के पास आने की कोशिस करती रही थी लेकिन डरते हुए ,मैं तुम्हे देखा करती थी की तुम उसके आसपास ही उसपर नजर रखे हुए हो लेकिन उससे मिलकर बात नही कर पाती हो "

"हा मुझे याद है मैंने तुम्हारे दोस्तो के गैंग में सुशांत को भी शामिल करवा दिया था ताकि वो अजीम के आसपास ही रहे ,लेकिन तुम्हे पता चल गया था की कुछ गड़बड़ है "

"हा मुझे पता चल गया था और साथ ही लेकिन 3 सालो तक तुम बस वैट ही करती रही किसी सही मौके का,तुम्हे तो ये भी नही पता था काजल की तुम्हे करना क्या है ...लेकिन जब तुम्हे पता चला की मैं देव की बहन हु वो देव जो तुम्हारे साथ पढ़ता है तब तुमने मेरे पास जाने के लिए मेरे भाई से ही दोस्ती कर ली ...वाह "

काजल की नजर नीची हो गई थी मानो वो इस बात से ग्लानि महसूस कर रही हो

"जब मुझे लगा की भइया भी तुम्हारे साथ खुस है और वो तुम्हे पसंद करने लगे है तो मुझे बहुत धक्का लगा ,लेकिन फिर मेरे दिल में भी आया की क्यो ना तुमसे एक डील की जाय ,और मैंने तुमसे बात की ,तुमने क्या कहा था काजल की देव से मुझे प्यार नही है ..ऐसा ही कुछ क्या था वो .."

निशा के चहरे में एक जहरीली सी मुस्कान खिल गई थी ,और काजल जैसे जल रही हो ,पसीने से भीगी हुई सर नीचे किये बस खड़ी रही थी

"मेरे दिमाग में उस समय बस खान से बदला लेने की बात ही थी निशा ,और जब तुमने कहा की तुम्हे तुम्हारे भइया चाहिए बदले में तुम मेरी मदद करोगी अजीम के गढ़ में घुसने में और मेरा बदला पूरा करने में तो इससे अच्छी डील मेरे लिए कुछ नही हो सकती ही ,उस समय मैं देव से प्यार नही करती थी लेकिन ."

"लेकिन क्या .."

निशा चिल्ला उठी

"मैंने तो सोचा था की ये करने से अजीम को एक नया खिलौना मिल जाएगा और वो मुझे भूल जाएगा,अजीम से पीछा भी छूट जाएगा और मेरे भइया भी मुझे मिल जाएंगे लेकिन तुमने क्या किया ..भइया तुम्हारे प्यार में गिरफ्तार होने लगे और तुमसे शादी भी करने की सोच ली और तुमने मुझे धोखा दे दिया .."

"नही निशा मैं सच में देव से प्यार करने लगी थी ,मैं उससे अलग नही रह सकती थी ,"

"अजीम की रंडी बनने के बाद भी भाई से तुम कैसे प्यार कर सकती थी काजल "

निशा की आवाज में बौखलाहट थी

"जैसे तुमने किया है ,तूम भी तो कई मर्दों के साथ सोई हो निशा लेकिन सच बताओ की क्या तुमने देव के अलावा किसी और से प्यार किया है "

दोनो ही चुप थे जैसे कुछ सोच रहे हो.

"तुम्हे अजीम की जिंदगी में मेरी जगह ले ली और साथ ही भइया से भी शादी कर लिया ,तुमने अजीम के जीवन से रश्मि को भी निकाल फेका जो की मैं भी नही कर पाई ,मैं मानती हु की तुम मुझसे कही ज्यादा खूबसूरत हो लेकिन तुम्हे ये सब मैंने ही तो सिखाया था ,मैंने ही तो बतलाया था की तुम्हे क्या करना चाहिए कैसे करना चाहिए ."

काजल चुप थी

"तुम्हे तो सब मिल गया काजल लेकिन मुझे क्या मिला ??"

निशा रो पड़ी थी

"नही निशा मेरी बात सुनो "काजल उसके पास जाने को हुई लेकिन निशा ने तुरंत ही अपने जेब से एक पिस्तौल निकाल ली

"रुक जाओ काजल बहुत हुआ अब और नही अब या तो तुम रहोगी या मैं "

काजल के साथ साथ मेरे भी प्राण मानो उड़ गए थे

"माना मैं थोड़ी बहक गई थी ,माना की मैंने गलतियां की है लेकिन मेरा भाई आज भी मुझे प्यार करता है ,मैंने तो उसके सामने अपनी प्यारी बहन पूर्वी को भी कुछ नही समझा तू क्या चीज है ,तुझे तो पहले ही मार देना था लेकिन ये जगह सबसे सही है ,यही से मेरा प्यार शुरू हुआ था "

निशा के चहरे में आने वाला बदलाव मुझे डरा गया था ,हम दोनो ही जम चुके थे ,उसके चहरे में वो पागलपन फिर से आने लगा था जिसे मैं पहले भी देख चुका था ,,

"अब और नही काजल "

"निशा रुको "

मैं और सुशांत दोनो ही एक साथ काजल को बचने के लिए भागे लेकिन

'धाय धाय ' दो गोलियां निशा की पिस्तौल से चल चुकी थी और सीधे जाकर सुशांत के कंधे में छेद कर गई .

जो की काजल को बचने के लिए कूदा था ,निशा और भी कुछ करती उससे पहले उसने मुझे देख लिया था जो की एक टूटे हुए दीवार से कूदकर वँहा आ गया था ,निशा का मुह बस खुला का खुला रह गया और वो पिस्तौल को वही छोड़ते हुए भागने लगी,

"निशा रुको ...निशा रुको तो सही "

वो भागते हुए झड़ियो में ना जाने कहा गुम हो गई मैं उसके पीछे भागता रहा लेकिन मैं उसे ढूंढ ही नही पाया .

मैं जब वापस आया तो सुशांत की हालत बहुत ही खराब लग रही थी मैं जल्दी से उसे उसकी ही गाड़ी में बैठकर काजल की गाड़ी की तरफ भागा,काजल ने मुझसे एक भी शब्द नही कहा ना ही मैंने उसे कुछ कहा .

हम दोनो ही चुप थे शांत थे ...काजल ने सुशांत को गाड़ी में बिठाया और पास के ही हॉस्पिटल की तरफ निकल गई .

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अध्याय 67
हॉस्पिटल में मैं और काजल दोनो ही शांत बैठे हुए थे ,ना ही मेरे पास कुछ कहने को था ना ही काजल के पास ,सुशांत ठीक था और उसे वही के एम्बुलेंस में बैठा कर शहर भेज दिया गया था ,मेरे और काजल के बीच कोई भी बातचीत नही हुई थी जबकि निशा के ऊपर केस नही किया गया,लेकिन पुलिस से उसे ढूंढने की बात जरूर कह दी गई थी,काजल ने इसके लिए कुछ बड़े अधिकारियों से बात की थी,और मामला वही दब गया था,साथ ही सुशांत ने भी इस मामले में निशा के पक्ष में ही बयान दिया था,

लेकिन काजल और मेरे बीच की बातचीत पूरी तरह से बंद हो चूकी थी ,निशा की तलास जारी थी लेकिन उसका कही कोई आता पता नही चल पा रहा था,काजल भी अब घर नही आती थी ,और मैं भी अब उसे घर आने को नही कहता ,...

सब कुछ अचानक से ही बहुत शांत हो चला था ,ना जाने निशा कहा थी,पोलिस के अलावा मैं भी उसे ढूंढने की भरपूर कोशिस में जुटा हुआ था ,लेकिन दो महीने खत्म हो चुके थे और मैं और पुलिस दोनो ही शांत हो चुके थे .

इन सब में पूर्वी अकेली हो गई थी ,मैं अपने काम में चला जाता और काजल तो घर में थी ही नही ,शाम जब आता तो काम से और जीवन में आये हुए इन झमेलों से परेशान हो चुका होता,पूर्वी बेचारी करती भी क्या,लेकिन फिर भी हम दोनो ही एक दूसरे का सहारा थे..

पूर्वी ने एक दो बार काजल से मिलकर उसे समझने की भी कोशिस की और उसे घर लाने की कोशिस की लेकिन वो अपने को मेरा गुनहगार मानती थी और मेरे सामने नही आना चाहती थी मैं भी उसे वापस लाना नही चाहता था जबकि निशा के साथ ये हादसा हो गया था ,सच कहु तो सबसे दूर होकर ही मैं खुस था और इस जॉब को छोड़कर पूर्वी के साथ दूसरे शहर जाने का प्लान बना लिया था ,मैं चैन का जीवन बिताना चाहता था उससे भी ज्यादा अपनी बहन को एक सुरक्षित जिंदगी देना चाहता था,मैंने शबनम और रश्मि के लाख मना करने के बाद भी अपने जॉब से रिजाइन कर दिया और वँहा से 80 किलो मीटर दूर दूसरे शहर में एक छोटे से होटल में मैनेजर की नॉकरी जॉइन कर ली ,साथ ही अपने घर में ताला लगा कर मैं चुपचाप ही इन सबसे दूर दूसरे शहर में चला गया ........

मैंने अपना नंबर भी बदल दिया था ,साथ ही किसी से ये भी नही कहा था की मैं कहा जा रहा हु ...

पूर्वी और मैं बस एक दूसरे के लिए ही रह गए थे ,जीवन में हमारा एक दूसरे के सिवा और कोई नही बचा था,कभी कभी वो रोती तो मैं उसे सहारा दे देता कभी मैं रोता तो वो मुझे सहारा दे देती ,लेकिन फिर भी हम अच्छे थे ,15 दिन और बीत गए ,और सब कुछ बहुत हद तक ठीक होने लगा था लेकिन ..

उस दिन के अखबार में मुझे चौका दिया जब सुबह की न्यूज थी ,...

'मशहूर कपूर होटल के मालिक मिस्टर कपूर की हत्या ,हत्या का शक उसकी बेटी रश्मि पर ,रश्मि अभी फरार है और पुलिस को उसकी तलास है ,हत्या की वजह ये बताई जा रही है की रश्मि को शक था की मिस्टर कपूर ने ही उनकी माँ की हत्या जायदाद के लालच में आकर की है .

बता दे की रश्मि कपूर साहब की सौतेली बेटी थी ,इसके साथ ही उन्हें लेकर और भी खुलासे हो रहे है,कहा जा रहा है की कपूर साहब का असली नाम रॉकी है जो कभी होटल आदित्य में मैंनेजर हुआ करता था और सालो से अपनी पत्नी नेहा के मर्डर के आरोप में फरार था ,उसने कपूर होटल के मालिक को फंसा कर उनकी बेटी से शादी की थी जिनकी पहले से एक बेटी रश्मि भी थी ..'

खबर पढ़ते ही मैं चौक कर उठा ,पूर्वी मेरे चहरे का भाव समझ चुकी थी,

"पूर्वी तुम्हारा फोन जो की हमने बंद करके रख दिया था जरा देना तो "

पूर्वी के चहरे में थोड़े आश्चर्य के बाद थोड़ी मुस्कान भी आ गई

"क्या हम फिर से वापस जा रहे है "

"पता नही लेकिन मुझे कुछ फोन करने है "

पूर्वी खुसी खुशी अपना फोन लेने चली गई ...

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आध्याय 68

"हैल्लो मैं बोल रहा हु "

"कहा हो तुम इतने दिनों के बाद याद आयी पता है की सब कितना परेशान थे "

"क्या हो रहा है वँहा ये क्या पढ़ने को मिल रहा है "

"सब निधि का किया कराया है "

निधि का नाम सुनकर ही मैं बेचैन हो गया ,तो वो रश्मि से मिली थी ..

"या किया निधि ने "

मेरी बात पर शबनम थोड़ी देर तक चुप ही रही

"पता नही शायद उसे सच्चाई बता दी ,बस इतना ही काफी था बाकी का काम तो खुद रश्मि ने अपने हाथो से कर दिया "

शबनम की बात सुनकर मैं चौक गया मुझे भी तक यकीन नही हो रहा था की रश्मि ने ही कपूर को मारा है ..

"क्या सच में रश्मि ने ही ."

"हा रश्मि ने ही,अपनी माँ की मौत का बदला उसे अपने हाथो से लेना था लेकिन फिक्र मत करो ,कोर्ट में कुछ भी साबित नही हो पायेगा,वो आसानी से छूट जाएगी "

हा हमारी अदालतों में गवाहों और सबूतों को तोडना मरोड़ना कोई बड़ा काम तो नही था ,रश्मि भी बच ही जाएगी ऐसे भी उसने कौन से मासूम इंसान की हत्या की थी,जिसकी हत्या की गई वो भी एक गुनहगार ही था ,

"लेकिन उसे इतनी आसान मौत मिली शायद काजल को ये पसंद नही आया होगा"

शबनम ने मेरे मुह से काजल का नाम सुनकर थोड़ी हँसी बिखेर दी

"काजल का नशा अब भी तुम्हारे सर चढ़ा हुआ है देव "

"हम्म अब ये नशा है या आदत मुझे नही पता लेकिन हा रोज ही काजल और निशा की याद आया करती है "

थोड़ी देर तक कोई भी कुछ नही कह पाया

"कहा हो तुम "

"सोच रहा हु की वापस आ जाऊ ,निशा सही सलामत है ये सुनकर थोड़ी तसल्ली हुई लेकिन उससे मिलना चाहता हु "

"वो अभी रश्मि के साथ ही गायब है,दोनो का ही कोई अता पता नही चल रहा ."

"ह्म्म्म और काजल कैसी है "

ना चाहते हुए भी मेरे मुह से काजल का नाम निकल ही गया था

"ओह ये प्यार ,इतना ठोकर खाकर भी फिर से सर उसके पैरो में रखना चाहते हो ताकि फिर से तुम्हे ठोकर मार दे "

थोड़ा व्यंग थोड़ा अपनापन और थोड़ी खुसी सभी कुछ तो था शबनम की बात में

"यही समझ लो ,जब सर ओखली में दे ही दिया है तो फिर अंजाम से क्या डरना ,"

मैं थोड़े हल्के मूड में बोला

"ह्म्म्म बात तो सही है ,लेकिन काजल मेडम तो आजकल पूरी तरह से बस अपने काम में ही लगी हुई है ,ना जाने कौन सी रात अजीम ठाकुर और खान की आखिरी रात साबित होगी ,खासकर कपूर के मरने के बाद तो वो और भी देर नही करना चाहती ,क्योकि राज खुलने लगे है और पुलिस कपूर उर्फ रॉकी की हिस्ट्री खोजने में लगी हुई है ,काजल भी अपना काम जल्दी से खत्म कर तुम्हारे तरह ही चैन की जिंदगी बिताना चाहती है "

"चैन की जिंदगी ..??????

अपनो के बिना कही कोई जिंदगी चैन की होती है शबनम ?/

मेरी बहन मेरे पास नही है ,मेरा प्यार मेरे पास नही है तो ये जिंदगी चैन की कैसे हो गई,मैं अपने दोस्तो से अपने शहर से अलग होकर रह रहा हु ,मैं ये बोलना तो नही चाहता था लकिन हा जबसे आया हु लगता है की पल पल भारी है ,पता नही वो दोनो किस तकलीफ से गुजर रहे होंगे और मैं सब छोड़कर भाग आया हु ."

"ये लड़ाई तुम्हारी थी ही नही देव तुम आखिर कर भी क्या सकते हो ,इस हालात को बनाने वालो को ही इसे भुगतना होगा ,तुम या मैं चाहकर भी कुछ नही कर सकते "

कुछ देर तक हम दोनो में से किसी ने कुछ नही कहा .

"हा शबनम लेकिन मैं अब यंहा नही रहना चाहता "

"तो आ जाओ ,होटल में रहो ,मैं भी तो अकेली हो गई हु ,मुझे और इस होटल को तुम्हारी जरूरत है ."

कहते है ना की नशेड़ी को नशे का बहाना चाहिए.

मुझे भी काजल और निशा के नाम का नशा लगा हुआ था और मुझे बहाना मिल गया था ...

**************

होटल का माहौल बिल्कुल ही बदला हुआ था यंहा कस्टमर कम और पोलिश वाले ज्यादा दिखाई दे रहे थे,मेरे आने के बाद मेरा भी बयान लिया गया ,और मेरे ही कहने पर होटल की निगरानी पर बस कुछ सादे कपड़े में पोलिश वाले नियुक्त किये गए ,ताकि होतल में आने वाले कस्टमर को कोई परेशानी ना हो और पोलिस की तहकीकात में भी कोई बाधा ना पड़े .

शबनम बहुत ही खुश थी और पूर्वी भी लेकिन मेरे मन में कई संशय उमड़ रहे थे .

*****************

मुझे आये एक ही दिन हुआ था और मैं अभी अपने होटल में ही था की मुझे कुछ पोलिश वालो के साथ इंस्पेक्टर ठाकुर भी आता हुआ दिखाई दिया ,मुझे देखकर उसके चहरे की चमक बढ़ गई ,वो मेरे पास आया .

"ओह देव तुम आखिर आ ही गए "

मैंने हल्के से सर हिलाया

"ऐसे काजल कह ही रही थी की तुम ज्यादा दिनों तक यंहा से देर नही रह पाओगे "

उसकी बात से मेरा खून ही जल गया ,उसके होठो में एक चिढ़ाने वाली मुस्कान थी

"चौक क्यो गए मुझे पता चल गया है की तुम काजल के पति देव हो ..वाह देखो ना पति देव जी देव जी ..हा हा हा "

वो इतनी गंदी हँसी हंसा की लगा की उसका जबड़ा ही निकाल लू ,मेरी मुठ्ठियां भिच गई थी ,जिसे देखकर वो फिर से एक कमीनी मुस्कान में मुस्काया

"देव बाबू जब पत्नी ही बेवफाई कर दे तो मुठ्ठी भिच कर क्या करोगे .."

वो मेरे कानो के पास आय और फुसफुसाया

"ऐसे सच बताऊँ मखमल है तुम्हारी बीवी ,साली को जितना भी रगड़ो कम ही लगता है "

उसकी बाते जैसे मेरे कानो में पिघले हुए लोहे की तरह उतर रही थी

"मादरचोद "

मैं पलटा और उसके कॉलर को पकड़ कर खड़ा हो गया ,लेकिन तुरंत ही कुछ पोलिश वाले मेरे हरकत को देख वहां आकर हमे घेर कर खड़े हो गए

ठाकुर फिर से कमीनेपन से मुकुराय

"अपना गुस्सा सम्हाल कर रखो देव और मेरे रिश्ते में आने की सोचना ही मत वरना जो दो पैरो पर सही सलामत खड़े हो वो भी नही रह पाओगे "

वो मेरा हाथ अपने कॉलर से झटक कर हटा दिया और वँहा से चले गया ,मैं ठगा सा बस उसे देख रहा था ,गुस्से की आग ने मुझे जला रखा था पर इतनी हिम्मत भी नही रह गई थी की मैं उसका मुह तोड़ दु .....

______________________________
 
अध्याय 68
"हैल्लो साहब कहा हो आप दिखाई ही नही देते "

हरिया की आवाज में एक अजीब सी बात थी जो मैंने कभी नही देखी थी पता नही क्यो मुझे उसे काल करने का मन हुआ था .

"बस शहर में नही था "

"उस दिन तो आप इतने नशे में थे की आप अनब सनब बोले जा रहे थे ,क्या सच में काजल मेडम आपकी बीवी है "

काजल मेडम ,साला जो अभी तक काजल को बस रंडी कहा करता था आज वो काजल मेडम कह रहा था ..

"क्यो पूछ रहे हो "

"अपने ही नशे में बतलाया था ऐसे एक बात बता दु की वो आजकल ठाकुर के साथ यही रहती है ,इसी फॉर्महाउस में "

मैं कुछ भी नही बोला

"कोई हुक्म हो तो बताइए सरकार "

वो फिर से बोल पड़ा

"कुछ नही "

"तो कभी आइए अगर आप कहे तो इंतजाम करदु कुछ अंदर की चीज देखने या सुनने का "

"नही जरूरत नही है "

मैं थोड़ा चिढ़ गया था

"हजूर ये अजीब सा नशा है एक बार लग गया तो फिर जाता नही है ,आ जाइये आप मैं बंदोबस्त कर दूंगा "

इतना बोल कर उसने फोन रख दिया मैं अपने ही सोच में पड़ा हुआ था ,क्या सच में ये नशा ही अपनी बीवी को किसी और के साथ देखने का नशा ....

**********************

शाम रात की शक्ल ले रही थी और मैं गार्डन में हेडफोन लगाए हुए इंतजार कर रहा था,मेरी निगाहे उसी बेडरूम में टिकी हुई थी जंहा उस दिन थी ,काजल अभी अभी अपने काम से आकर कपड़े चेंजे करने बाथरूम में घुसी थी और ठाकुर हाल में शराब की चुस्कियां भर रहा था ,थोड़ी देर में वो भी लड़खड़ाता हुआ अंदर आया ,दोनो किसी पति पत्नी की तरह यंहा रहे थे ,मैं रोना चाहता था लेकिन अपने को अपनी ही नजर में गिरने नही देना चाहता था ,वो अलग बात थी की मैं पहले से ही अपनी नामर्दी के कारण अपनी नजर में गिर चुका था ,

काजल जैसे ही बाहर आयी ठाकुर ने उसे जकड़ लिया और उसके गले को चूमने लगा ,वो हँस रही थी ,और अपने को छुड़ाने की हल्की कोशिस कर रही थी जिसका कोई भी मतलब नही होता ..

उसके बदन में सिर्फ वो टॉवेल थी जो की अब पता नही कब उसके बदन से सरक जाए ,उसका दूध सा गोरा जिस्म उस दूधिया प्रकाश में चमक रहा था ,और शायद ठाकुर को काजल के बदन से वो खुशबू भी आ रही होगी जो की काजल के बदन से नहाने के बाद आया करती है ,उसके बाल फैले हुए थे और टॉवेल के छोरो से उसकी जांघ झांकने लगी थी ,ठाकुर का हाथ उसके जांघो को सहलाता हुआ उसके जांघो के बीच चला गया था और काजल किसी वैश्या की तरह हँस पड़ी थी ,उसके योनि के बाल साफ नजर आ रहे थे जो की छोटे छोटे तराशे गए थे और अभी ठाकुर की उंगलियों में नाच रहे थे ,

कुछ पानी की बूंदे भी योनि के उन बालो में चमक रही थी ,मैं देख रहा की कैसे ठाकुर ने मेरी बीवी के योनि में अपनी एक उंगली घुसा दी और काजल फिर से उचकी उसके मुह से मजे से लिपटी हुई सिसकारी निकली थी .

ठाकुर ,जो की काजल की मा की हत्या का दोषी था ,कैसे काजल उसके साथ भी ऐसे मजे ले सकती थी ,हा अब ये कहते हुए मुझे जरा भी संकोच नही की वो एक रंडी है ,उसने ऐसे ही मजे अजीम और खान के साथ भी लिया होगा..

मेरे लिए इतना ही देखना दिल को तोड़ने के लिए काफी था मैं पलटा और बाहर आने लगा मैंने देखा की हरिया अपना मोबाइल निकाल कर किसी के काल कर रहा है उसकी निगाहे मेरी ओर ही थी ,

वो मुझे देखकर मुस्कुराया था ,

मैं जल्दी से बाहर आने वाला था लेकिन कुछ गार्ड आकर मुझे पकड़ लिए ,

मैं हरिया को आश्चर्य से दिखने लगा उसके होठो की मुस्कान और भी फैल गई थी ..

"आज तो आपको जाने नही दे सकता साहब "

"क्या हुआ हरिया "

"थोड़ी देर में पता चल जाएगा "

तभी बंगले से ठाकुर बाहर आया उसे देखकर मानो मेरा ख़ून ही सुख गया था

उसके चहरे में वही कमीने वाली चमक थी

"तो अपनी बीवी को चुदवाते हुए देखने आया है ,भाग क्यो रहा है पूरा देख ले और हिला ले जैसे उस दिन हिलाया था ,सॉरी आज तेरे लिए तेरी बहन नही है जिसे तू चोद सके "

ठाकुर बोलकर जोरो से हंसा और मैं कांप गया था.

मैंने हरिया की ओर देखा

"साहब बोलो तो अपनी बीवी को भेज दु ,तुम्हारी बहन की जगह उसे चोद लेना "

वँहा खड़े गार्ड के साथ साथ ठाकुर भी हँसने लगा ..

मेरे सामने पूरा मजरा साफ था बस ये पता नही था की इन सबका पता काजल को है की नही .

"तेरी बीवी बहुत कामल की चीज है देव सोचती है की मुझे और खान को तुड़वा देगी ,इतने दिनों की दोस्ती को तुड़वा देगी ,लेकिन उसका प्लान सच में बहुत अच्छा है ,खान की दोस्ती में मुझे ऐसे भी कुछ नही मिला था ,इसलिए मैं उसके साथ हु ,लेकिन उस बेचारी को ये नही पता की मैं उसपर कितनी नजर रखे हुए हु ...और उसकी मखमल चुद को चोदने का नशा भी ऐसा है की छूटता नही ."

वो जोरो से हँसा मैं गुस्से से भर कर उसे मारने को हुआ ही था की मेरे सर पर एक जोर की चोट लगी और मैं बेहोश होता गया .......

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