Desi Sex Kahani हरामी साहूकार

उन तीनो के नंगे पन को देखकर लाला ने भी रामलाल के उपर से धोती का परदा उतार फेंका..

अब आलम ये था की लाला अपने लंड को लहराता हुआ उनके सामने बैठा था और वो तीनों आँखे फाड़े उस मोटे खूँटे जैसे लंड की चमक रही स्किन को देख रही थी....
आज लाला ने जो स्पेशल ट्रीटमेंट दिया था रामलाल को उसकी वजह से वो दूर से किसी हीरे की तरह चमक रहा था और वो तीनों उस हीरे को जल्द से जल्द निगल लेना चाहती थी...

पर लाला ने उन्हे अपने पास आने से रोक दिया और बोला : "यहाँ वही आएगा जो मुझे अच्छे से खुश करेगा...पहले अपने हुस्न के कुछ जलवे तो दिखाओ...''

उन तीनो को ये भी समझ नहीं आया की ये सब करके लाला उन्हे उलझा कर रखना चाहता है,
क्योंकि लाला जानता था की उन तीनों के मुँह में जाते ही उसने एक ही झटके में झड़ जाना है...
और वो ये काम इतनी जल्दी नहीं करना चाहता था...
वो उनके हुस्न का अच्छे से मज़ा लेकर ये काम करना चाहता था..

लाला की बात सुनते ही तीनों अपनी-2 छातियाँ निकालकर लाला को ललचाने लगी...
अपने निप्पल उमेठ कर उसकी लालिमा से लाला को रिझाने लगी...

निशि ने अपनी उभरी हुई चूत में उंगली डालकर अंदर का गीलापन लाला को दिखाया...
और फिर उस उंगली को चूसकर अपनी हालत का इज़हार किया जैसे कह रही हो की लाला तेरे लंड को भी ऐसे ही चूसूंगी..

पिंकी ने अपनी गोरी छातियों को उपर की तरफ उभार कर एक साथ चिपका दिया और मुँह खोलकर ऐसे गोल कर लिया जैसे लंड को बीच में फंसाकर लंड चूस रही हो..
लाला को उसका ये संदेश भी सॉफ-2 मिल रहा था की वो उसके साथ ठीक ऐसा ही करने वाली है.

नाज़िया के पास तो उसकी गांड ही थी जिसका लाला शुरू से ही दीवाना था,
इसलिए वो उछलकर बेड पर चढ़ गयी और अपनी गांड के उभार पीछे करके लाला को दिखाने लगी...
अपनी एक उंगली को मुँह में डालकर गीला किया और उसे सीसियाते हुए उसने अपनी गांड के अंदर डाल दिया जैसे कह रही हो की लाला आज तू इस निगोडी गांड को ही मारना...

नाज़िया की देखा देखी वो दोनो भी बेड पर चड़कर अपनी गांड लाला की तरफ करके अपनी उंगली से पीछे के छेड़ को कुरेदने लगी...
यानी तीनो ही अपनी गांड मरवाने के लिए तैयार थी...

लाला की हालत तो ऐसी हो रही थी जैसे अभी उसके लंड का पानी निकल जाएगा और वो निकलता भी तो इतनी ज़ोर से निकलता की दूर बैठी तीनो हुस्न की परियाँ भीग जाती...

पर लाला ने अपने आप को झड़ने से रोका हुआ था..

अपने जिस्म की नुमाइश के बाद तीनों के चेहरे पर रिज़ल्ट जानने की उत्सुकतता थी..

लाला ने इशारा करके पिंकी को अपनी तरफ बुलाया ताकि वो जो दिखा रही थी, उसे साबित कर सके..

बाकी दोनो के चेहरे मायूस हो गये..
पर लाला ने उन्हे होसला दिया

वो बोला : "अर्रे...तुम अपने काम में लगे रहो....अगली बार जिसका प्रदर्शन अच्छा हुआ, उसे बुलाऊंगा ...पिंकी तुम क्यों रुक गयी...तुम तो यहाँ आओ मेरी रानी...'

पिंकी उछलती हुई लाला के सामने आकर बैठ गयी,
अपने मुम्मो में उसने लाला के लंड को फँसाया और उसे टिट फक्क करते हुए लाला के लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी..

लाला ने सीसियाते हुए उसके सिर को पकड़ा और बुरी तरह से उसके मुँह में लंड पेलकर उसका मुख चोदन करने लगा...

लाला के लंड जैसी ही कड़क चुचिया थी पिंकी की....
लाला तो उसके स्पर्श मात्र से ही झड़ने को हो गया...
उसने तुरंत अपना लंड उसके मुँह से खींचकर बाहर निकाला और बदले में उसे अपनी गोटियां चूसने को दे डाली...

पिंकी पर तो आज ऐसी खुमारी चढ़ी हुई थी की वो कुछ भी चूसने और चबाने को तैयार थी....
लाला के टट्टों को उसने बर्फ के गोले की तरह चूसना शुरू कर दिया, जैसे उसमें से मिठास निकल कर सीधी उसके मुँह में जा रही हो.

वो तो उसे तब तक चूसने वाली थी जब तक वो बर्फ पिघलकर लंड के रास्ते होती हुई उसके चेहरे पर ना आ गिरे,

पर लाला ने उसे एक बार फिर से रोक दिया..

लाला ने नाज़िया की तरफ इशारा करके कहा की अब तुम आओ..

पिंकी उठकर लाला के पीछे चली गयी और अपनी बाहें उनके गले में डालकर अपनी चुचियों से उनकी पीठ की मसाज करने लगी..

नाज़िया लाला के पास आई और आते ही अपनी गांड निकाल कर लाला के सामने खड़ी हो गयी...

लाला के खुरदुरे हाथ उसकी कसी हुई गांड पर आए और उसने उन्हे ऐसे दबाया जैसे प्लास्टिक का कोई खिलोना हो, जिसे दबाने से चू चू की आवाज़ें आती है...
चू की तो नही पर लाला के हाथ लगने से उसमें उहह आह की आवाज़ें ज़रूर आने लगी...

और फिर लाला ने वो किया जिसकी शायद नाज़िया को भी उम्मीद नही थी...
लाला ने मलाईदार गांड में अपना मुँह घुसा दिया और अपनी जीभ से उसकी नदी की तरह उफान रही चूत को कुरेदने लगे और अंदर से रिस रिसकर निकल रही मलाई को चाटने लगा...

लाला ने ये इसलिए भी किया ताकि थोड़ी देर तक उसके लंड को आराम मिल जाए...
पर वो तो तब मिलता ना जब उसकी किस्मत में आराम लिखा होता...
क्योंकि अपनी बारी की परवाह किए बिना ही निशि उठकर लाला के करीब आ चुकी थी और उसने बिना किसी चेतावनी के लाला के लंड को मुँह में लिया और उसे वैसे ही चूसना शुरू कर दिया जैसे कुछ देर पहले उसकी सहेली पिंकी चूस रही थी...

पीछे से पिंकी भी अपने नर्म मुम्मो से लाला के जिस्म की आग को भड़काने का काम कर रही थी...
अब आलम ये था की लाला तीनों तरफ से घिर चुका था, इसलिए लाला ने खुद को उनके हवाले कर देना ही सही समझा...

उसने अपने बदन को ढीला छोड़ दिया जो इस बात का संकेत था की उसने उनके सामने हार मान ली है.

पिंकी और निशि के तो चेहरे चमक उठे जब लाला ने ऐसा किया...
उन दोनो ने मिलकर लाला को खड़ा किया और सबसे पहले उसके सारे कपड़े निकाल फेंके...
अब लाला उन तीनो परियों के बीच किसी तगड़े राक्षस की तरहा खड़ा था जो उनका शिकार करने के लिए पूरा तैयार था...
लाला को ये तो पता था की एक को तो वो अच्छे से पेल डालेगा,
दूसरी को भी वो संतुष्ट कर ही देगा...
पर तीसरी के लिए उसे डाउट था...
इसलिए अभी तक वो घबरा रहा था.

पर अब जो होना था वो होकर रहेगा,
इसलिए वो आँखे बंद किए उनके हमले की प्रतीक्षा करने लगा...

वो तीनो उसके शरीर के चारों तरफ लिपट कर अपने मुम्मो से बॉडी मसाज देने लगी....
अपने गुलाबी होंठों से गीली-2 पप्पियाँ देने लगी...
और फिर एक-2 करके वो तीनो लाला के लंड के सामने बैठ गयी और उसे चूसने लगी...
कभी एक चूसती तो कभी दूसरी...
कभी बॉल्स चूसती तो कभी लंड.

ऐसा करते-2 वो तीनो लाला को घसीट कर बेड तक ले गयी...
और फिर उसे चित्त लिटा कर एक दूसरे को देखकर मुस्कुराने लगी...
जैसे तय करने की कोशिश कर रही हो की पहले कौन चूदेगा.

फिर आँखो ही आँखो का इशारा समझकर सबसे पहले निशि लाला पर चढ़ गयी....
उसने अपनी चूत को सीधा लेजाकर लाला के खड़े लंड पर रखा और उसकी आँखो में देखते-2 अपना दबाव बनाकर नीचे फिसलती चली गयी..

''आआआआआआआआआअहह उम्म्म्मममममममममममम. .... लालाआआआआआआलाआ....... सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स..... ये लॅंड है ना जो तेरा.......कसम से.....इसी में पूरी दुनिया का नशा छिपा है....''

इस नशे के सामने वो शायद अपने भाई के लंड का नशा भी भूल चुकी थी..
जिसके मज़े वो पिछले 3-4 दिनों से ले रही थी...
सच ही कहते है, लंड और चूत जो सामने होती है वही अच्छी लगती है..

और इस वक़्त निशि को सामने का लंड यानी रामलाल ही अच्छा लग रहा था...
वैसे लगता भी क्यो नही, वो था ही इतना दमदार..

इसी बीच पिंकी उछल कर लाला के चेहरे पर बैठ गयी, और उसकी दाढ़ी मूँछ वाले चेहरे पर अपनी नंगी चूत को रगड़कर वहां का मज़ा लेने लगी....
थोड़ा आगे बढ़कर उसने अपनी प्यारी सहेली निशि के चेहरे को पकड़ा और उसके फफकते हुए होंठो को मुँह में लेकर एक जोरदार स्मूच में डूब गयी...

नाज़िया भला दूर बैठी कैसे रह सकती थी, वो भी लाला के करीब आई और निशि और लाला के मिलन वाली जगह पर मुँह लगा कर अंदर बाहर हो रहे लंड पर अपनी जीभ रगड़ने लगी...

लाला को एक ही बार में तीनों के स्पर्श का एहसास हो रहा था...
उसने हाथ उपर करके दोनो तरफ लटक रहे मुम्मो को एक-2 करके दबाना शुरू कर दिया, उसे ऐसा लग रहा था जैसे वो अपने आम के बगीचे में लेटा है और उपर कच्ची अंबिया लटक रही है जिन्हे नॉचकर वो उनके गूदे का मज़ा ले रहा है..

इसी बीच निशि को नाज़िया पर तरस आ गया, वो लाला के लंड से उतर के नीचे आ गयी और नाज़िया को उपर चड़ने को कहा...
वो खुशी-2 लाला के लंड पर सवार हुई और एक बार फिर से लाला का घोड़ा एक लंबी रेस दौड़ने लगा....
इस बार लाला ने करीब 5 मिनट तक बिना रुके अपने घोड़े को उसकी चूत में दौड़ाया और फिर वो मौका भी आया जब लाला के लंड से ढेर सारा देसी घी निकलकर नाज़िया की नन्ही चूत में जाने लगा...

और लगभग उसी वक़्त पिंकी की चूत ने भी अपने अंदर का पानी लाला के चेहरे पर छोड़ दिया...
लाला का पूरा चेहरा और दाड़ी मूँछे उसके रंगहीन चिपचिपे पानी में भीग गयी...

और लाला जब झड़ा तो उस पानी को पीता हुआ, एक गाड़ी डकार मारकर ज़ोर से चिल्लाता हुआ उसकी चूत में झड़ने लगा...

और जैसे ही लाला ने अपना लंड उसकी चूत से बाहर खींचा, दोनो का मिला जुला रस निकलकर उसके पेट पर आ गिरा, जिसे वो तीनों प्यासी बिल्लियाँ मिलकर चाट गयी...
और फिर एक-2 करके उन्होने लाला के लंड का बचा हुआ पानी भी निकालकर पिया.

और फिर तीनों वही लाला के साथ पलंग पर लेटकर अगले हमले के बारे में सोचने लगी..

और लाला सोच रहा था की अब क्या होगा उसके साथ....
 
लाला की हालत इस वक़्त ऐसी थी की आँखे बंद करे तो गहरी नींद आ जाए....
जबरदस्त चुदाई के बाद उसे सोना सबसे ज़्यादा पसंद था..
पर वो भी जानता था की ये चुदाई की शोकीन लड़कियाँ उसे सोने नही देंगी...
जवान लौंडियों के बीच एक ठरकी बुड्ढा बुरी तरह से फँस चुका था
जो इस वक़्त अपने हाथ पैर पसारे अपने बिस्तर पर पड़ा था

और उसके सामने उन हसिनाओं के नंगे हुस्न बिखरे पड़े थे...

कही किसी का हाथ था तो कही किसी का पैर,
सीने पर उसके नंगे मुम्मे थे तो जाँघो पर किसी की चूत ...
उसका खुद का हाथ किसी के नर्म कुल्हो को सहला रहा था
और अपने लंड पर अभी तक वो किसी की गर्म साँसे महसूस कर रहा था...
पर ये सब देखने के लिए उसने आँखे नही खोली की कौन कहाँ पर है...
बस आँखे मूंदे वो इस पल का भरपूर मज़ा ले रहा था...

अचानक उसके लंड के करीब जो गर्म साँसे उसे महसूस हो रही थी वो कुछ और करीब आ गयी, उसे पता चल गया की उसके रामलाल पर फिर से हमला होने वाला है...पर इस वक़्त कौन क्या कर रहा है, ये लाला को पता नही था और इस बात का एहसास करके उसके अंदर एक अलग ही रोमांच आ रहा था...जिसे महसूस करके उसके लंड ने भी एक अंगड़ाई ली और उसके चेहरे पर भी एक मुस्कान आ गयी..

उसे मुस्कुराते देख निशि की खनखनाती हुई आवाज़ लाला के कानो में पड़ी, जो उसके सीने पर अपने मुम्मे सटाकर लेटी हुई थी

''ओ लाला.....ऐसे आँखे बंद करके क्यो मुस्कुरा रहे हो....आँखे खोलो और देखो, तुम्हारे साथ अब हम क्या करने वाले है....''

लाला तब तक अपने अगले कदम के बारे में सोच चुका था...
वो मुस्कुराते हुए बोला : "आँखे तो अब मेरी बंद ही रहेंगी...और ऐसे में कौन कहाँ पर है, क्या कर रहा है, वो बिना देखे मैंने अब तुम्हे मज़े दूँगा...''

यानी लाला ने उनकी चुदाई के खेल में अपने आप को उत्तेजित रखने का फ़ॉर्मूला खोज निकाला था...
बिन देखे चुदाई करने का
जिसमें लाला को अभी से उत्तेजना महसूस होने लगी थी जबकि उसे झड़े हुए अभी सिर्फ़ 5 मिनट ही हुए थे..
ऐसे ही आँखे बंद करके वो लेटा रहा तो ये लड़कियां शायद अगले 15 मिनट में उसे एक जबरदस्त चुदाई के लिए पूरी तरहा से तैयार कर देंगी...
यही सोचकर उसने पिंकी की स्कूल की चुन्नी को उठाकर आँखो पर बाँध लिया ताकि वो चाहकर भी आँखे खोल ना पाए और इस नये एहसास का मज़ा काफ़ी देर तक ले सके..

उन तीनो ने भी लाला को ऐसा करने से नही रोका...
क्योंकि उन्हे तो चुदाई से मतलब था...
लाला को अपनी तरफ से खुद ही अगली चुदाई के लिए तैयार होता देखकर वो तो खुश हो उठी..
क्योंकि उन्हे लग रहा था की लाला के रामलाल को उठाने में उन्हे काफ़ी मेहनत करनी पड़ेगी..
पर अब ऐसा नही था ...

पिंकी ने अपनी गांड की थिरकन से लाला के गर्म हाथ को इशारा किया और लाला भी उस इशारे को समझकर अपनी 3 उंगलियां लेकर उसकी गांड के छेद को कुरेदने लगा..

पिंकी समझ गयी की आज लाला उसकी गांड का उद्घाटन करने के मूड में है...

चाहती तो वो भी यही थी क्योंकि चुदाई के बाद अब वो अपने किसी भी छेद को बिना चुदे नहीं रखना चाहती थी...

नाज़िआ ने अपनी गर्म साँसे और करीब लाकर लाला के लंड को अपने मुँह में जकड़ लिया और उसे बुरी तरह से चूसने लगी..

लाला ने एक जोरदार हुंकार भरते हुए उसके सिर को पकड़कर अपनी जाँघो के बीच दबा दिया...
लाला भले ही बूड़ा था पर उसके हाथो में ताक़त कमाल की थी...
नाज़िया को ऐसा लगा जैसे कोई गन्ने की मशीन में उसका सिर डाल रहा है...
फ़र्क सिर्फ़ इतना था की यहाँ गन्ना उसके मुँह में जा रहा था और उस गन्ने का रस उसके पेट में.

पिंकी भी कुतिया की तरह अपनी गांड उचका कर बेड पर ओंधी लेट गयी...
हवा में 1 फुट की उँचाई पर उसकी गांड लहरा रही थी बस...
जिसमें लाला की उंगलिया किसी कुशल कारीगर की तरह उसके पिछले छेद को रंवा कर रहा था अपनी मोटी उंगलियो से...
वो उसकी चूत से निकल रहा तेल अपनी उंगली पर इकट्ठा करता और उसे लेजाकर गांड पर मल देता ताकि उसके लंड को अंदर जाने में ज़्यादा तकलीफ़ ना हो...

निशि भी उछलकर लाला की छाती पर उल्टी होकर बैठ गयी, उसका चेहरा लाला के लंड की तरफ था और रसीली गांड उसके चेहरे के बहुत करीब...
वो झुकी और उसने भी अपनी चोंच बीच में घुसा कर नाज़िया के साथ मिलकर लाला का लंड चूसना शुरू कर दिया...

और फिर अपनी गांड को थोड़ा सा उचकाकर उसने बड़े ही शालीन तरीके से अपनी चूत को लाला के चेहरे पर रख दिया..
ऐसा लगा उसे जैसे नारियल के उपर अपनी चूत रख दी हो उसने...लाला का दाढ़ी मूँछ से भरा चेहरा उसकी गुलाबी चूत से रगड़ खाकर ऐसा ही एहसास दे रहा था..
 
दोनो ने मिलकर लाला के लंड को सिर्फ़ 5 मिनट में ही पहले से भी ज़्यादा ख़तरनाक और कड़क बना दिया...
अब तो वो लोहे की दीवार को भी भेद डाले, ऐसा कड़कपन आ चूका था उसमें.

और इस कड़क लंड से तो सबसे पहले सिर्फ़ एक ही काम हो सकता था और वो था पिंकी की गांड मरवाई...

निशि और नाज़िया ने मुस्कुराते हुए एक दूसरे को देखा और फिर इशारा करके वो दोनो उठ खड़ी हुई....
निशि ने अपनी प्यारी सहेली को उठाकर घोड़ी बना दिया...
पिंकी भी समझ गयी की उसकी गांड के हलाल होने का वक़्त आ चुका है...
लाला को उठाकर उन दोनो ने पिंकी की गांड के पीछे खड़ा कर दिया, मज़े की बात ये थी की ऐसा करते हुए उनमें से कोई भी कुछ बोल नही रहा था...
लाला को शायद अभी तक अंदाज़ा नही था की उसके स्टील जैसे लंड से क्या काम करवाने जा रही है वो घस्ती.

निशि ने लाला के लंड को एक बार फिर से मुँह में लिया और उसे चूसना शुरू कर दिया...
नाज़िया ने भी अपनी जीभ से पिंकी की गांड के छेड़ को भिगोकर उसे चुदाई के लिए तैयार करना शुरू कर दिया...
फिर कुछ देर बाद निशि ने लाला के लंड को पकड़कर पिंकी के गर्म छेद पर लगा दिया...

छेद का मुँह इतना छोटा था की लाला का लंड आगे खिसक ही नही रहा था...
तब जाकर लाला को ये एहसास हुआ की उससे गांड मरवाई जा रही है..
आँखे तो उसकी बंद थी पर गांड पर हाथ फेरकर उसने ये अंदाज़ा लगाने की कोशिश की की ये रसीली गांड है किसकी...
बरसों से इन तितलियों को अपनी दुकान के आगे से गांड मटकाकर आते-जाते देख चुका था वो,
ये नर्म रसीली गांड उसी के सामने भरी थी इसलिए वो ग़लत हो ही नही सकता था...
उसने मुस्कुराते हुए मन ही मन कहा 'ओह्ह्ह ..पिंकी की गांड है ये तो...अब मज़ा आएगा...इसकी गांड की सील तोड़ने में ...'

और फिर उसने मुस्कुराते हुए अपने लंड को उसके गुलाबी छेड़ पर फिक्स किया और फिर एक जोरदार झटका मारकर उसे पिंकी के रबड़ के छल्ले जैसे छेद में फँसा दिया..

पिंकी की आत्मा तक तड़प उठी इतने करारे प्रहार से...और वो जोरदार तरीके से चीखने लगी

''आआआआआआआआआआआआहह मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गयी......................साआआआाअल्ल्ले लाला.............. भेंन छोद्द्द्द्द्द्दद्ड.......निकाल अपना लंड .......साले .....मुझे नही मरवानी अपनी गांड ....''

बेचारी शायद अपने इस निर्णय पर पछता रही थी की उसने लाला से गांड मरवाने की बात सोची ही क्यो....
पर अब तो कुछ नही हो सकता था....
लाला ने बड़ी ही बेरहमी से नीचे झुकते हुए एक हाथ से उसके बाल पकड़े और दूसरे से उसके कूल्हे को दबाकर अपना बचा खुचा लंड अंदर धकेलना शुरू कर दिया...

लाला का रामलाल 1-1 इंच करता हुआ अंदर जा रहा था और पिंकी की सिसकारी भी लगातार एक ही सुर में निकलती हुई पूरे घर की शांति भंग कर रही थी...
शायद बाहर भी जा रही थी वो आवाज़...
और कोई भी सुन लेता तो सॉफ पता चल जाता की ये चूत नही बल्कि गांड मारने की ही चीखे है.

लाला अपने लंड को उसकी गांड के अंदर पूरा धकेलकर ही शांत हुआ...
ऐसा लग रहा था उसे जैसे किसी माँस से बनी दीवार में उसका लंड फँस गया है...
और इस एहसास को महसूस करके उसे मज़ा भी बहुत आ रहा था...

पिंकी की गांड के अंदर लंड ऐसे फफक रहा था जैसे कोई जिंदा चूहा अंदर घुस कर बैठ गया हो...
हर एक पल वो फूलकर और मोटा होता जा रहा था...

लाला ने धीरे-2 अपने लंड को बाहर खींचा और फिर से उसी धीमी स्पीड में अंदर किया....
ऐसा उसने करीब 10-15 बार किया तो पिंकी खुद ही अपनी गांड को आगे पीछे करने लगी....
उसकी सिसक अब सिसकारियों में बदल चुकी थी....
जो झनझनाहट उसे अपनी चूत मरवाकर भी नही हुई थी आजतक वो उसे अब अपने पिछले छेद को मरवाने से मिल रही थी....
अब उसे पता चल रहा था की क्यों लड़कियों को गांड मरवाने में ज़्यादा मज़ा मिलता है....
रगड़ाई तो उसे पिछले छेद में मिल रही थी पर उसकी कसक उसे अगले छेद में महसूस हो रही थी..

और अंदर से मिल रहे इस मज़े को वो ज़्यादा देर तक छुपा नही पाई और उसके मुँह से शब्द फुट पड़े...

''आआआआहह लालाआआआआआ... कसम से.......जितना दर्द देता है उससे ज़्यादा मज़ा भी देता है ये तेरा लंड .....उम्म्म्मममममममम..........क्या मज़ा मिल रहा है.......अब तो रोज डालियो अपना लोढ़ा इस निगोडी गांड में .....अहह..........ऐसे ही मारता रह मेरी गांड लाला......''

लाला ने भी कोई कसर नही छोड़ी इस नये छेद को भेदने में ....
उसने उसके दोनो चूतड़ों को कस कर पकड़ा और अपना लंड पूरा अंदर बाहर करते हुए उसकी गांद के छेद को रामलाल नामक डंडे से बुरी तरहा पीटने लगा....
पूरे कमरे में ठप्प ठप्प की आवाज़ें आ रही थी बस...

और पिंकी का एक हाथ खुद ब खुद अपनी झंनझनाती चूत पर भी पहुँच गया...,
पीछे से मिल रहे घर्षण से उसकी चूत में चिंगारिया जल उठी थी जिसे उंगलियो से दबाकर बुझाना बहुत ज़रूरी था....
 
इसी बीच नाज़िया और निशि एक दूसरे के उपर नंगी लेटकर पिंकी की गांड उद्घाटन का ऐतिहासिक प्रोग्राम देख रही थी...
बीच-2 में दोनो एक दूसरे को स्मूच करके अपनी उत्तेजना के तूफान को हवा भी दे रही थी क्योंकि उसके बाद उन दोनो का ही नंबर था...

पिंकी अपनी चूत को इतनी ज़ोर से रगड़ रही थी जैसे जादुई चिराग को घिसकर अंदर का जिन्न निकालना चाहती हो...औ
र वो जिन्न निकला भी.....
उसकी चूत का रस बनकर...

और जब वो रस निकला तो उसकी आनंदमयी सिसकारी ने पूरे माहौल में एक नशा सा बिखेर दिया...

''ओह लाला.........अहह......आज जैसा मज़ा तो मुझे कभी नही मिलाआआआआअ.... उम्म्म्ममममममममममममम ........ सस्स्स्स्स्स्स्स्सस्स......मैं तो गयी रे......''

सच में जादू था....मरवाई गांड थी, पर रस निकला उसकी चूत से....
सच में मर्द का लंड जादुई होता है...कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना.

खैर, वो तो झड़ गयी पर लाला का लंड अभी तक वैसा ही था...
पिंकी के नीचे गिरते ही बाकी बचे दोनो सैनिक यानी नाज़िया और निशि मैदान में कूद पड़े...
उन्होने ताज़ा-2 गांड मारकर निकले रामलाल की ऐसी आवभगत की जैसे वो कोई जंग जीतकर आया हो...
दोनो उस मलाईदार लंड को मुँह में लेकर उसे और रसीला बनाने के काम में जुट गये...

और जब वो तैयार हुआ तो वो दोनो भी एक साथ घोड़ी बनकर उसके सामने बिछ सी गयी...
और इस बार उन्होने भी लाला के लंड के निशाने पर अपनी गांड को ही आगे किया ..
पिंकी की गांड का उद्घाटन होते देखकर उनके अंदर भी गांड मरवाई की कसक आ गयी थी ...
दोनो का छेद पहले ही खुल चुका था लाला के द्वारा इसलिए अब पहले जैसा दर्द तो उन्हे होना नही था

पर फिर भी वो छेद होता ही इतना छोटा है की हर बार अंदर जाने में दर्द का होना स्वाभाविक ही है..

निशि ने हाथ पीछे करके लाला के लंड को अपनी गांड के छेद पर लगाया और खुद थोड़ा पीछे होती हुई उसे अंदर लेने लगी...
लाला भी समझ गया की आज उसके रामलाल की परीक्षा की घड़ी आ गयी है, अब हर किसी को गांड मरवानी है...

लाला भी तैश में आ गया और उसने निशि की गांड के छेद में अपना लंड पेल दिया....

वो भी किसी बकरी की तरहा मिमिया उठी...

''आआआआआयययययययययीीईईईईईईईईईई.....मररर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर गयी रे.............''

और फिर जब वो अंदर गया और उसने गांड के गूदे को छुआ तो वो मचल उठी....
4-5 घिस्से लगाने के बाद लाला ने उसे बाहर निकाल लिया और रसीली गांद की मालकिन यानी नाज़िया की तरफ मुड़ गया....
सिर्फ़ उन्हे छूकर ही वो ये अंदाज़ा लगा रहा था की वो किसकी गांड मार रहा है...

नाज़िया की गांड तो उसकी फेवरेट थी,
जो उतनी ही पीछे की तरफ निकली हुई थी जितनी उसकी छाती आगे की तरफ...

उसने उसे पकड़ा और बड़ी ही बेदर्दी से उसके छेद में अपना लंड पेल दिया...

''ओह लालाआआआआअ..... उम्म्म्ममममममममम....मज़ाआअ आ गय्ाआआआआआअ.... इस पूरे गाँव के सारे मर्द तेरे सामने फैल है लाला.....आज ये तूने साबित कर दिया........एक साथ 3 गांद को पेला है लाला तूने आज .......उम्म्म्ममममममम ये हर किसी के बस की बात नही है....''

अपनी और अपने लंड की तारीफ भला किसे अच्छी नहीं लगती....
लाला और रामलाल भी ये तारीफ सुनकर फूले नही समाए....
और बदले में लाला ने जी भरकर धक्के मारे उसके पिछवाड़े में ...
और तब तक मारता रहा जब तक उसने हाथ जोड़कर खुद ही माफी नही मान ली..

''आआआआहहोह.....ओफफफफफफफफफफफफफफ्फ़.... बस कर लाला.....अहह बस कर...... अब तो चूत का रस भी टपक गया है लाला........अब कितना पेलेगा मुझे.....अहह...मर जाउंगी मैं लाला..............अहह...''

लाला ने उसपर रहम खाते हुए अपना लंड बाहर निकाला और फिर से एक बार निशि के छेद में डाल दिया....

और इस बार वो तब तक उसे पेलता रहा जब तक उसके खुद का लंड झड़ने के कगार पर नही पहुँच गया...

निशि की भी हालत पतली हो चुकी थी...

''आआआआआआआआआआअहह लाला........साले ....क्या खाकर आया है तू आआआआअजजज.....सूजा कर रख दिया मेरा पिछवाड़ा.....आआआआआआहह पर......पर....मज़ा बहुत आया आज लाला.............मज़ा बहुत आया....''

ये शब्द बोलते-2 वो बेहोशी की हालत मे पहुँच चुकी थी...

लाला ने आख़िरी वक़्त में अपना लंड बाहर निकाला और उन तीनो ने अपना चेहरा आगे करते हुए अपने मुँह खोल दिए...

लाला ने भी अपनी आँखो पर बंधी चुन्नी निकाल फेंकी और उन तीनों हसिनाओ के सैक्सी चेहरों को देखते हुए अपना लंड रगड़ने लगा...

और जल्द ही उसके लंड से निकलकर रंग बिरंगी पिचकारियाँ उन तीनो के चेहरों पर पड़ने लगी....
तीनो के पसीने से भीगे चेहरे पर बर्फ की परत बिछ गयी....
आज लाला ने लगातार दूसरी बार झड़कर जैसे अपने अंदर की सारी सफेदी उनके चेहरों पर पोत दी थी...
 
आज जैसी चुदाई उसने अपनी पूरी लाइफ में नही की थी....
पर अपनी चुदाई की ताक़त पर आज लाला को बहुत फक्र हो रहा था....

उन तीनो के चेहरों पर भी संतुष्टि के भाव थे....
जैसा उन्होने सोचा था आज सब वैसा ही हुआ था...

बाद में सब मिलकर लाला के बाथरूम में नहाये...
लाला के लंड को भी उन्होने अच्छे से सॉफ किया और कपड़े पहन कर वो अपने-2 घर की तरफ चल दिए..

अगले दिन नंदू का जन्मदिन था...
ये निशि के लिए काफ़ी ख़ास दिन था...
वो अपने भाई को हर खुशी दे देना चाहती थी...

और ऐसा ही कुछ उसकी माँ ने भी सोच रखा था..

और पिंकी ने भी.

अगले दिन सुबह के समय नंदू के खेतो से एक बड़े से पेड़ के नीचे से जोरों की आवाज़ें आ रही थी...

वहां का माहौल ही इतना गर्म था की कपड़े पहने रखना उन माँ बेटे के लिए काफ़ी मुश्किल था..

हवस उन दोनों के ऊपर इतनी चढ़ चुकी थी की अब वो खुल कर चुदाई करने से भी नहीं चूक रहे थे, वैसे वो जहाँ चुदाई कर रहे थे वहां पीछे की तरफ पूरा जंगल था, जहाँ से किसी के भी आने की कोई उम्मीद नहीं थी, और सामने की तरफ से कोई आता हुआ दूर से ही दिख जाता, वैसे भी गोरी एक मोटे से पेड़ के तने को पकड़ कर उसकी आड़ में खड़ी थी, जो आसानी से दिखाई नहीं दे रही थी दूर से भी.

नंदू ने अपनी माँ को घोड़ी बना रखा था और अपना देसी लंड उसकी रसीली चूत में दना दन पेल रहा था..

''ओह माँमाआआआआआ...........कितनी रसीली है रे तेरी चूऊत......अहह.....एक ही बार में लंड बिना थूक लगाए अंदर चला जाता है....''

उसने अपनी माँ के भरे हुए कूल्हे ट्रेक्टर के स्तेयरिंग की तरह पकड़ रखे थे और फुल स्पीड से अपने हल नुमा लंड से वो अपनी माँ के खेत को जोत रहा था...

नंदू की माँ गोरी भी पेड़ पर अपने हाथ टिकाए पीछे से मिल रहे लंड को अंदर लेकर सिसकारियां मार रही थी...

हर झटके से उसके मुम्मे उछलकर उसके गले से आ टकराते और उसके पूरे बदन में एक सरसराहट सी दौड़ जाती...

अब तो उन्हे खेतो की फ़िक्र भी नही रह गयी थी...
आज से पहले वो सुबह आकर सबसे पहले क्यारियों में पानी देते थे ...
खाद डालते थे ...
पूरे खेत का मुआयना करते थे ...
पर इस निगोडी चुदाई के चक्कर में वो सब भूल ही चुके थे जैसे...
अब तो सुबह आते ही दोनो अपने टुबवेल्ल वाले कमरे में जाकर नंगे हो जाते और जी भरकर एक दूसरे की चुदाई करते...और आज तो बहार खुल्ले में ही शुरू हो गए थे , आगे पता नहीं और क्या -२ होने वाला था उनके बीच...

''ओह बेटाआआआ.... उम्म्म्ममममममममममम....शाबाश.....ऐसे ही चोद मुझेsssss....अहहsssssss ....कसम से......अपने बाप से भी ज़्यादा कड़क है तू तो......उम्म्म्मममममममम....''

बोलते हुए उसके मुँह से लार निकल कर नीचे गिर रही थी..
जो उसके गर्म बदन पर गिरकर उसे और सुलगा रही थी...

और जल्द ही नंदू की स्पीड तेज होने लगी....
गोरी समझ गयी की उसके खेतों में खाद पड़ने वाली है....
और वो पड़ भी गयी....
सफेद दूध वाली खाद...
पोष्टिक...
जिसे महसूस करके उसकी चूत ने भी ढेर सारा देसी घी निकाल दिया और दोनो का मिला जुला रस उस खेत की मिटटी को और उपजाऊ बनाने में लग गया...

नंदू हाफ्ते हुए अपनी माँ की पीठ पर गिर सा गया....
गोरी ने पलटकर उसे अपने गुदाज मुम्मो से लगा लिया और उसके चेहरे को चूमती हुई बोली : "जन्मदिन मुबारक हो बेटा.....ऐसे ही हमेशा अपनी माँ को खुश रखना....''

जवाब मे नंदू ने मुस्कुराते हुए अपनी माँ के रसीले होंठो को चूम लिया...
आज वो 20 साल का हो चुका था और पिछले सभी सालो के मुक़ाबले उसे अपना ये जन्मदिन हमेशा के लिए याद रहने वाला था...
अभी तो सिर्फ़ शुरूवात थी.
 
नंदू को भी पता था की आज उसके साथ पूरा दिन कुछ ना कुछ स्पेशल होता रहेगा...
सुबह स्कूल जाने से पहले निशि ने भी उसे आकर एक रसीली सी किस्स दी थी और ये भी बोली थी की आज अपने स्पेशल गिफ्ट का इन्तजार करना.....

और अब खेतो में आते ही उसकी माँ ने इतनी गर्मजोशी के साथ अपनी चूत में उसका लंड लिया था मानो बरसो की प्यासी हो....
वैसे भी नंदू को अपनी माँ की यही बात तो पसंद थी...
हर बार उनका जोश पहले जैसा ही रहता था...
अब रहे भी क्यो नही,
इतने सालो बाद जो लंड का स्वाद मिला है उसकी चूत को,
उसका मज़ा तो ऐसे ही मिलता है ना..

उसके बाद दोनो अंदर गए और उस पानी की होदी में घुसकर अच्छे से नहाए और फिर बाद में खेतो के काम में जुट गये...

गोरी आज अपने बेटे के जन्मदिन पर उसे पूरी तरह से खुश कर देना चाहती थी...
जिसके लिए वो किसी भी हद तक जाने को तैयार थी...
आज की शाम वो नंदू के जीवन की एक यादगार शाम बना देना चाहती थी...
इसलिए खेतों का काम निपटा कर वो दोनो जल्दी ही घर की तरफ निकल गये.

5 बजने को आ रहे थे और निशि अभी तक स्कूल से घर नही आई थी, गोरी समझ गयी की वो पिंकी के घर ही होगी पर उसे क्या पता था की उसकी लाडली बेटी पिंकी के साथ क्या प्लानिंग कर रही है..

खैर, वो रात की तैयारी में जुट गयी...
सबसे पहले तो उसने अपने बेटे का मनपसंद खाना बनाया और साथ में खीर भी जो उसे सबसे ज़्यादा पसंद थी...

और सारे काम निपटा कर वो नंदू के कमरे में गयी जहाँ वो खेतो से आने के बाद लंबी तान कर सो रहा था..

उसे उपर से नीचे तक निहारते हुए उसके बदन में एक बार फिर से चींटियां रेंगने लगी...

वो भी सोचने लगी की ये हो क्या गया है मुझे....
इतने सालो तक चुदाई से दूर रहने के बाद अब दिन में 2-3 बार करवाने का मन क्यो करने लगा है उसका भला...
जैसे की अब...
अभी सुबह ही तो उसने जी भरकर नंदू के लंड से चुदाई करवाई थी और अब उसे ऐसे सोता देखकर उसका लंड फिर से लेने की ललक जाग रही थी उसके मन में ..

नंदू ने इस वक़्त एक बनियान और धोती ही पहन रखी थी...
उसकी सुडोल बाजुए और मोटी जांघे उसे ललचा रही थी...
वो उसके करीब जाकर बैठ गयी और अपने हाथ से उसके कसरती बदन को सहलाने लगी.

गोरी का हाथ उसकी छाती से होता हुआ धीरे-2 नीचे आने लगा...
और उसकी नाभि पर आकर ठहर गया....
नीचे जाने में पता नही उसे कुछ संकोच सा हो रहा था पर कुछ सोचकर उसने हाथ नीचे करना शुरू कर दिया...
और जब हाथ जाकर उसके खजाने पर लगा तो उसे एहसास हुआ की वो पहले से ही खड़ा है....
उसने चौंकते हुए उसके चेहरे को देखा तो उसे मुस्कुराता हुआ पाया...
यानी वो आँखे मूंदकर अपनी माँ के सहलाने का मज़ा ले रहा था..

गोरी : "बड़ा बदमाश हो गया है रे तू तो....जाग रहा था तो सोने का नाटक क्यों करता रहा...''

नंदू ने अपनी माँ की कमर में हाथ डालकर उन्हे अपनी छाती पर गिरा लिया और बोला : "अगर ऐसा ना करता तो मुझे पता कैसे चलता की मेरी माँ मुझे सोते हुए देखकर भी मेरा लंड लेने के लिए तड़प रही है....''

गोरी ने भी आँखे तरेरते हुए कहा : "तू भी तो पिछले १-२ सालो से रात को उठ- यही सब करता रहता था, मैंने तो कभी कुछ नहीं कहा तुझे ''

नंदू भी ये सुनकर हैरान रह गया, उसे आखिरी के कुछ दिनों में तो लगा था की उसकी माँ जाग रही है पर वो पिछले १-२ साल से हर बार जाग रही थी ये उसे पता नहीं था , पर जो भी था उन १-२ सालो की मेहनत का ही फल था जो अब उसकी माँ इस तरह उसकी बाँहों में लेटी हुई थी

उसने मुस्कुराते हुए अपनी माँ के रसीले होंठ अपने मुँह में लिए और उन्हे जोरों से चूसना शुरू कर दिया...
जैसे कह रहा हो की चुप भी हो जाओ माँ, कितना बोलती हो तुम.

गोरी भी सब कुछ भूलकर नंदू का साथ देने लगी की तभी पीछे से की आवाज़ ने उन दोनो को चोंका दिया

''ओ हो ....मेरे भाई का जन्मदिन तो बड़े शानदार तरीके से मनाया जा रहा है....हा...हा ''

दोनो ने चौंकते हुए निशि को देखा जो ना जाने कब से उनके पीछे आकर खड़ी हो गयी थी....

हालाँकि उन्हे ज़्यादा घबराने की ज़रूरत तो नही थी क्योंकि उनके बीच का परदा तो कब का गिर चुका था पर फिर भी ऐसे एकदम से पकड़े जाने के बाद वो निशि से नज़रे नही मिला पा रहे थे...

निशि ने ही चहकते हुए उन दोनो को उस स्थिति से उबारा ,
वो बोली : "अर्रे....माँ ...इतना क्यों परेशान हो रहे हो...आज भाई का बर्थडे है...आज के दिन तो इन्हे सब कुछ एलोव है...मैं भी होती तो यही करती जो इस वक़्त आप कर रही हो...''

इतना कहते हुए वो घूमकर बेड के दूसरी तरफ से आई और नंदू की बगल में बैठ गयी, जैसे सामने उसकी माँ बैठी हुई थी...
और वो कुछ सोच पाते इससे पहले ही निशि ने नीचे झुककर अपने नर्म और मुलायम होंठ अपने भाई के होंठो पर रख दिए और उन्हे बुरी तरह से चूसने लगी...
 
कुछ देर पहले अपनी माँ के और अब अपनी बहन के होंठ चूसते हुए अब नंदू को सही में लग रहा था की आज के दिन का राजा वही है...
जिन नशीले जिस्मो को देखते हुए वो जवान हुआ था वो अब दोनो तरफ से उसपर गिरे जा रहे थे.

नंदू भी मुस्कुराते हुए अपनी कमसिन बहन को चूसने लगा...
उन दोनो की माँ भी हंसते हुए उनका साथ देने लगी...
एक हाथ से अपनी बेटी का तो दूसरे से अपने बेटे का सिर सहलाने लगी...
और उसके मन में ख़याल आया की काश इस दुनिया में भाई बहन की शादी का भी रिवाज चल पड़े..
ऐसा हुआ तो उसे अपने बेटे के लिए बाहर किसी का मुँह ना देखना पड़ता और ना ही उसे अपने बेटे को किसी और का होते हुए देखना पड़ता...
घर की बात घर में ही रह जाती...
पर वो भी जानती थी की ये हो नही सकता...
इसलिए उसने इस ख़याल को ही दिमाग़ से निकाल दिया..
और अपना हाथ नीचे लाते हुए अपने बेटे की धोती में डालकर उसके छोटे सिपाही को सहलाने लगी.

निशि ने अपनी लंबी स्मूच तोड़ते हुए कहा : "अर्रे भाई, इतने गरम माहौल में आप ये कपड़े पहन कर कैसे सो रहे हो....मुझसे तो नही पहने जा रहे अपने ये कपड़े..''

इतना कहते हुए उसने अपनी स्कूल की ड्रेस को नीचे से पकड़ कर घुमाया और गले से निकाल दिया.

अंदर तो उसने कुछ पहना ही नही था हमेशा की तरहा...
एक ही पल में उसकी नंगी छातियां अपना शबाब बिखेरते हुए नंदू के सामने थी..

और तब नंदू को पता चला की वो ऐसा क्यो करना चाह रही थी...
उसने अपने बूब्स के उपर वाले हिस्से पर ग्लिट्टर वाले पेन से हैप्पी बर्थडे लिखा हुआ था...
ख़ास नंदू के लिए...
शायद पिंकी की मदद से उसने ये कलाकारी की थी...
जो नंदू को काफ़ी पसंद आई..

निशि के गोरे-2 स्तन अपना गुलाबीपन बिखेरते हुए नंदू और उसकी माँ के सामने झंडे की तरह लहरा रहे थे.

गोरी भी अपनी बेटी की इस बेबाकी पर हैरान थी...
उसने निशि की छातियों को देखा जो ठीक वैसी ही थी जैसी उसकी थी जब वो इस उम्र में थी....
यानी अभी से वो बता सकती थी की बड़ी होकर उसकी छातियां कैसी रसीली बनने वाली है...उसकी तरह.

निशि ने इशारा करके अपनी माँ से भी वैसा ही करने को कहा...
यानी कपडे उतारने को...गोरी ने घर आने के बाद सिर्फ एक गाउन से अपने नंगे बदन को धक् रखा था.

पहले तो वो झिझकी पर जब निशि ने कहा की आज भाई का बर्थडे है और आज के दिन इन्हे खुश करने के लिए हमे कुछ भी करना पड़ेगा तो वो मान गयी...
वो भी तो यही सोचकर आई थी आज की अपने बेटे के जन्मदिन को यादगार बना देगी..

वो अपनी जगह से उठी और उसने अपना गाउन निकाल कर एक कोने में उछाल दिया.

अब वो भी अपने यौवन की कला का प्रदर्शन अपने बच्चो के सामने बेशर्मी से कर रही थी...

निशि ने नंदू को देखा और आँखो ही आँखो का इशारा करके दोनो उसके करीब आ गये..
और एक साथ दोनो भाई बहन ने अपने-2 मुँह अपनी माँ के मोटे स्तानो पर लगा दिए और उन्हे चूसने लगे जैसे उसका दूध पे रहे हो...

गोरी भी उन दोनो की शरारत पर मुस्कुरा उठी और उन दोनो के मुँह मे अपने मुम्मे ठूसते हुए उन्हे अपना दूध पिलाने लगी...

कुछ देर बाद निशि ने अपना मुँह बाहर निकाला और बोली : "भाई...आज तो तुम्हारा दिन है..और आज के दिन के लिए मैं तुम्हारे लिए एक ख़ास तोहफा लाई हूँ ''

ख़ास तोहफा सुनते ही नंदू की आँखो में चमक आ गयी..सुबह से उसके दिमाग में यही चल रहा था की आखिर वो ख़ास तोहफा क्या होगा , अब वक़्त आ चूका था वो जानने का. नंदू भी जानता था की जिस अंदाज से वो बोल रही है वो कुछ ख़ास ही होने वाला है...

वो नंदू का हाथ पकड़ कर बाहर खींचती हुई ले गयी और बाहर आकर नंदू ने देखा की उसकी चारपाई पर कोई लेटा हुआ है...जिसे निशि ने एक चादर से ढका हुआ है...
देखने से सॉफ पता चल रहा था की अंदर कोई इंसान है..
इसलिए नंदू घबरा भी रहा था की ऐसे मौके पर निशि ये किसे ले आई है,
क्योंकि इस वक़्त उसकी बहन और माँ नंगे खड़े थे वहां और वो भी खड़ा लंड लिए वहीं पर था.

निशि ने उसे आगे बढ़कर उस चादर को हटाने के लिए कहा..
और नंदू ने उसका कहना मानकर धीरे-2 चादर खींचनी शुरू कर दी...

जैसे-2 चादर खिसकती जा रही थी वैसे-2 अंदर से एक खूबसूरत नंगा जिस्म बाहर आ रहा था...
जिसे देखकर नंदू का मुरझा रहा लंड फिर से अकड़ने लगा...
अकड़ता भी क्यो नही,
आज उसकी बहन ने उसकी लाइफ का सबसे अच्छा गिफ्ट जो दिया था उसे...
वो थी रेशम की चादर में लिपटी नंगी पिंकी.

और पिंकी भी आज पहली बार बिना अपने नंगेपन की शर्म के नंदू की आँखो में आँखे डालकर मुस्करा रही थी..

गोरी भी पिंकी को वहाँ देखकर हैरान थी....
वो खुद इस वक़्त नंगी खड़ी थी पर अब अपने आप को छुपाने का कोई फायदा नही था..
पिंकी उसे नंगा देख चुकी थी....
निशि भी उपर से नंगी ही थी और पिंकी तो खुद ही पूरी नंगी थी.

पिंकी धीरे-2 चलती हुई नंदू के करीब आई और उसके सामने आकर खड़ी हो गयी...
नंदू को ऐसा लगा जैसे दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की उसके सामने आकर खड़ी हो गयी है...
पूरी नंगी.
उसका चिकना बदन, मोठे -२ मुम्मे और उनपर लगे ब्राउन कलर के निप्पल बड़े दिलकश लग रहे थे,
और बिना बालों वाली चूत तो सबसे घातक लग रही थी उसे.

निशि : "देख क्या रहे हो भाई.....आगे बडो और अपने इस जन्मदिन के तोहफे को उठा कर अंदर ले चलो....''

नंदू को दूसरी बार कहने की ज़रूरत नही पड़ी....
उसने अपनी मजबूत बाहों में अपने सपनो की रानी पिंकी के नंगे जिस्म को उठाया और उसे लेकर अंदर वाले कमरे में आ गया और उसे उसी बेड पर लिटा दिया जहा कुछ देर पहले वो लेटा हुआ था..

निशि तब तक अपने पूरे कपड़े उतार कर नंगी हो चुकी थी....
 
अब सिर्फ़ कपड़ो में वहाँ नंदू ही बचा था....
इसलिए वो दोनो माँ बेटियों ने मिलकर नंदू के भी सारे कपड़े निकाल फेंके...

नंदू का लंड तो यही सोच-सोचकर पागल हुए जा रहा था की आज उसे पिंकी की चूत मिलने वाली है...
बचपन से ही वो उसके सपनो की रानी रही थी...
जब भी वो निशि से मिलने घर आती थी तो उसके मनमोहक चेहरे को देखकर वो रात को मूठ ज़रूर मारा करता था...
उसी के सामने वो जवान हुई थी और आज वही जवानी उसके 20वे जन्मदिन पर उसके सामने नंगी पड़ी थी उसके बेड पर...
उसके जन्मदिन के तोहफे के रूप में ...

नंदू के नंगा होते ही निशि ने पिंकी को उठाया और उसे नंदू के लंड के सामने बिठा दिया...
बाकी का काम तो पिंकी अच्छे से जानती थी...
लाला के लंड को गन्ने की तरह चूस-चूस्कर उसे इतनी समझ तो आ ही चुकी थी की इन गन्नो का रस कैसे निकाला जाता है.

पिंकी को भी नंदू शुरू से ही पसंद था...
इसलिए जब निशि ने उसे ये सब करने को कहा तो उसने भी मना नही किया...
लाला का लंड लेने के बाद उसमे इतनी दिलेरी तो आ ही चुकी थी की अब वो किसी का भी लंड लेने के लिए तैयार थी और जब अपने क्रश की बात आए तो कौन भला मना करेगा...

और अब वो उसी क्रश के गन्ने को क्रश करने में लगी हुई थी...
अपने मुँह से...

और नंदू भी उसके मुँह में अपने लंड को धीरे-२ करके अंदर दाल रहा था..

''आअह्हह्ह्ह्ह .............. ऐसे ही ...... . पिंकीsssssssss .......मेरी जाआआआंन ''

पिंकी को भी अच्छा लगा जब नंदू ने उसे अपनी जान कहा.

यानी वो भी उसे पसंद करता था....
करता भी क्यो नही...
वो थी ही इतनी खूबसूरत.

और कुछ देर तक उसे चूसने के बाद जब वो पहले जैसा कड़क हो गया तो नंदू ने उसे बेड पर पटक दिया....

वो समझ गयी की मिलन की बेला आ चुकी है...

निशि और उसकी माँ भी उन दोनो के अगल बगल आकर खड़े हो गये...
इस ऐतिहासिक चुदाई के गवाह बनने के लिए..

नंदू ने पिंकी की चूत को सबसे पहले एक गीला सा चुम्मा दिया....चुम्मा क्या दिया उसे मुंह में लेकर चूस ही डाला
ताकि वो जान सके की जितना पानी उसके लंड से निकल रहा है उतना ही उसकी चूत में से भी बह रहा है या नही...

और उसका अंदाज़ा सही निकला....
वो वैसी ही थी जैसी उसने सोची थी.

एकदम गीली और रस से सराबोर

नंदू उसके उपर आया और अपना लंड उसकी चूत पर सेट करके उसके उपर झुकता चला गया...

हालाँकि उसे लग रहा था की वो दर्द से चीख पड़ेगी जब वो उसका मोटा लॅंड अंदर लेगी तो...
पर ऐसा कुछ नही हुआ...
वो भला क्या जानता था की उसके इस काम को लाला ने अपना लंड डालकर कितना आसान कर दिया है..

पर फिर भी एक नये लंड के अंदर जाने से होने वाली सुससुराहट को महसूस करके वो गुनगुना ज़रूर उठी...

''आआआआआआआआआआआआहह....सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.....नंदुऊऊुुुुउउ....... उम्म्म्ममममममममममममम...... मजाआाआआ आआआआआआ गय्ाआआआआआआअ''
 
एक लड़की जब पहली ही चुदाई में जब ये बोले की मज़ा आ गया तो मर्द को समझ लेना चाहिए की वो अच्छे से खेली खाई है...

खैर, नंदू को इस बात से क्या लेना था....
वो तो उसके हुस्न का इतना दीवाना था की उसे इसी बात की खुशी थी की वो पिंकी को चोद रहा है..

बस फिर तो उसने उसकी जाँघो को दोनो हाथो से दबाया और उसे जोरों से पेलने लगा...

आज जैसी उत्तेजना का संचार उसमे कभी नही हुआ था...

पर वो अपनी इस उत्तेजना को संभाल कर रख नही पा रहा था...
मौका ही ऐसा था...
इतनी गर्म जिस्म की मालकिन पिंकी उसके सामने नंगी पड़ी चुदवा जो रही थी...

इसलिए ना चाहते हुए भी उसके लंड ने समय से पहले उसका साथ छोड़ दिया और उसके लंड का गर्म पानी निकलकर पिंकी की नन्ही सी चूत में जाने लगा..

वो तो पहले से ही झड़ने के करीब पहुँच चुकी थी, नंदू के गर्म माल ने उसकी चूत की भट्टी को और भी दहका दिया और वो भी उसके साथ झड़ गयी...

दोनो एक दूसरे के अंदर अपना-2 माल निकाल कर लिपटे हुए जोरों से साँसे लेने लगे..

कुछ देर बाद जब वो अलग हुए तो निशि सीधा उनके मिलन स्थल यानी लंड और चूत के करीब लपकी और वहां से निकल रहे रस को किसी कुतिया की तरह चाटने लगी...

गोरी तो आज अपने बच्चों की कलाकारी देखकर हैरान थी...

ना तो उसने निशि को आज से पहले ऐसी हरकतें करते हुए देखा था और ना ही नंदू को इतनी कुशलता के साथ चुदाई करते हुए..

उसके बच्चे कब इतने बड़े हो गये ये तो उसे भी पता नही चला..

और ये पिंकी भी तो...
जो उसी के सामने बड़ी हुई थी कितनी आसानी से उसने नंदू के लंड को अंदर ले लिया...
फिर अचानक उसे वो ख़याल आया जो कुछ देर पहले भी आया था..
नंदू की शादी का...
जो निशि से तो हो नही सकती थी...
पर पिंकी से तो हो सकती है ना...
ये सही रहेगा...
उसने मन में निश्चय कर लिया की वो जल्द ही नंदू से इस बारे में बात करेगी और वो अगर राज़ी हुआ तो पिंकी के माँ बाप से उसका रिश्ता माँग लेगी..
भले ही शादी बाद में हो पर वो बात जल्द से जल्द पक्की कर लेना चाहती थी.

पर अभी के लिए उसे अपने इन विचारों से बाहर आना पड़ा क्योंकि निशि ने अपनी माँ को खींचकर अपनी दावत में बुला लिया जहाँ चारों तरफ खीर ही खीर बिखरी पड़ी थी..

उसके बेटे के लंड से और उसकी होने वाली बहू की चूत से निकल रही खीर.

निशि ने नंदू के लंड को चूसना शुरू कर दिया तो गोरी ने पिंकी की चूत को...

कुछ ही देर में दोनो ने सारा माल सफाचट कर दिया..

और साथ ही साथ नंदू के लंड को फिर से एक नयी चुदाई के लिए भी तैयार कर दिया..

और इस बार उन माँ बेटी का नंबर था...
आख़िर बर्थडे गिफ्ट देने के बाद रीटर्न गिफ्ट तो उन्हे भी चाहिए था ना..

और इस वक़्त लंड से बड़ा रिटर्न गिफ्ट भला क्या हो सकता था..

और उसी बड़े से गिफ्ट को लेने के लिए वो दोनो घोड़ी बनकर नंदू के सामने ओंधी हो गयी.

नंदू ने भी अपने लंड को थूक लगा कर पहले अपनी माँ चूत में पेला क्योंकि वो जानता था की उनकी हालत इस वक़्त सबसे ज़्यादा खराब थी...

''आआआआआआआआआआआआअहह.....ओह....नंदू.......... मजाआाआआ आआआआआआ गय्आआआआआआआ...''

और फिर 8-10 घस्से लगाने के बाद उसने वो लपलपाता हुआ लंड निकाल कर अपनी बहन निशि की चूत में डाल दिया...

''ओह भाई...........................सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.......... उम्म्म्ममममममम...... क्या मजेदार एहसास है इसका.......ज़ोर से चोदो मुझे भाई .....ज़ोर से...''

अपनी बहन की बात को वो भला कैसे नकार सकता था...
आख़िर उसी की वजह से तो आज उसका जन्मदिन इतना मजेदार निकल रहा था...
उसने तो सपने में भी नही सोचा था की एक ही छत्त के नीचे वो माँ और बहन के साथ-2 पिंकी की चूत भी मार पाएगा...

पर उसे क्या पता था की जो खिचड़ी उसकी माँ के दिमाग़ मे पक रही है उसके बाद तो ये कारनामा हर रात हुआ करेगा..

उसने अपनी बहन के नशीले कूल्हे पकड़ कर उसे जोरों से पेलना शुरू कर दिया..
 
''ओो आह ह उम्म्म्मम अहह ऑशएसस्सस्स...भाई...... अहह ....ऐसे ही...... उम्म्म्मममम.... ज़ोर से ...चोदो ...अपनी लाडली बहन को.......अहह.....भाई.....मैं तो आई रे.....मैं तो आआईय.....''

इतना कहते हुए निशि की चूत ने ढेर सारा रज बाहर की तरफ उडेल दिया...

नंदू तो अभी कुछ देर पहले ही झड़ा था इसलिए उसका लंड अभी डोर तक जाने वाला था..

उसने अपना रसीले पानी से लिसड़ा लंड बाहर निकाला और एक बार फिर से अपनी प्यारी माँ की चूत में डालकर उन्हे चोदने लगा...

ये सब नज़ारा दूर नंगी होकर लेटी हुई पिंकी बड़े आराम से देख रही थी...
और मन में सोच रही थी की घर में अगर एक ऐसा चोदने वाला जवान मर्द हो तो कोई बाहर मुँह क्यो मारे भला..
वो सोच रही थी की काश जैसे निशि के पास एक भाई है वैसा उसके पास भी होता तो वो भी घर पर जी भरके मज़े लेती...
पर एक बात तो उसने सोच ही ली थी की अब अपने पहले प्यार यानी नंदू को वो छोड़ने वाली नही है

इसी बीच नंदू के लंड को अपनी चूत में लेकर मज़े लेती हुई गोरी की किलकरियां एक बार फिर से पूरे घर में गूंजने लगी....
वो एक खेली खाई औरत थी जिसे लंड को अंदर लेने का अच्छा ख़ासा अनुभव था...
वो जानती थी की ऐसे मौके पर कब अपनी चूत की मांसपेशिया दबानी है ताकि लॅंड को अंदर बाहर होने में और उसे लेने मे ज़्यादा मज़ा आए...
और वही इस वक़्त हो रहा था..

पर हर चूत मराई की एक रस्म होती है,
जो झड़ने के बाद ही पूरी होती है...
गोरी के साथ भी यही हुआ...
उसकी चूत भी जब झड़ी तो अंदर का ज्वालामुखी एक जबरदस्त झोंके के साथ बाहर निकला...
और नंदू के लोड़े को तर बतर करता हुआ उसकी जाँघो से बाहर बहने लगा..

पर नंदू का जेनरेटर अभी भी चालू था....
उसका तो ये हाल हो रहा था की अभी भी 8-10 चूतें और भी चोद मारे....
पर अब सामने से भी तो रिप्लाइ आना ज़रूरी था..

और वो आया भी....
तीनो एकसाथ खड़ी होकर उसके इर्द गिर्द आकर उसके लंड को चूसने लगी

अब एक साथ 3-3 नर्म होंठ जब लंड पर लग जाए तो उसका झड़ना तो बनता ही है...

नंदू के साथ भी यही हुआ....
इतने सारे होंठों की गर्मी उस से सहन नहीं हुई और उसके लंबे लंड से एक के बाद एक पिचकारियां निकल कर उसकी माँ , बहन और प्रेमिका के चेहरे पर गिरने लगी....
उसने ज़रा भी भेदभाव नही किया..
हर किसी को 3-3 पिचकारियां दी उनके चेहरे पर ताकि किसी को शिकायत का मौका ना मिले...

और फिर नंदू वहीं अपने बेड पर पस्त होकर गिर पड़ा...
निशि और पिंकी अपने चुलबुलेपन पर उतर आई और पूरी शाम उन दोनो ने किसी को भी कपड़े नही पहनने दिए और अलग-2 तरह की शरारत भरी गेम्स भी खेलती रही और चुदाई भी करवाती रही..

नंदू की तो लाइफ जैसे सेट हो गयी थी आज के बाद...

और यही हाल निशि और पिंकी का भी था....
लाला ने उनकी लाइफ में जो रंग भरे थे उन रंगो की सही पहचान अब नंदू उन्हे करवा रहा था..

गोरी भी अपने बेटे और लाला से मिल रहे मज़े को अब अच्छे से एंजाय करना चाहती थी..

और रही बात लाला की तो उसके हाथ की पाँचो उंगलिया घी में और रामलाल कड़ाई में था.

ऐसा घी जो उसके गाँव में हर जगह फैला हुआ था...

पिंकी और निशि के रूप में ...
गोरी और सीमा के रूप में ....
नाज़िया और शबाना के रूप में ...
और भी बीच-2 में कुछ नयी फसल उगती रहती थी जिसे काटने का काम वो और रामलाल करते ही रहते थे..
और ये काम तो उम्र भर चलने ही वाला था.

*****************
समाप्त
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