उन तीनो के नंगे पन को देखकर लाला ने भी रामलाल के उपर से धोती का परदा उतार फेंका..
अब आलम ये था की लाला अपने लंड को लहराता हुआ उनके सामने बैठा था और वो तीनों आँखे फाड़े उस मोटे खूँटे जैसे लंड की चमक रही स्किन को देख रही थी....
आज लाला ने जो स्पेशल ट्रीटमेंट दिया था रामलाल को उसकी वजह से वो दूर से किसी हीरे की तरह चमक रहा था और वो तीनों उस हीरे को जल्द से जल्द निगल लेना चाहती थी...
पर लाला ने उन्हे अपने पास आने से रोक दिया और बोला : "यहाँ वही आएगा जो मुझे अच्छे से खुश करेगा...पहले अपने हुस्न के कुछ जलवे तो दिखाओ...''
उन तीनो को ये भी समझ नहीं आया की ये सब करके लाला उन्हे उलझा कर रखना चाहता है,
क्योंकि लाला जानता था की उन तीनों के मुँह में जाते ही उसने एक ही झटके में झड़ जाना है...
और वो ये काम इतनी जल्दी नहीं करना चाहता था...
वो उनके हुस्न का अच्छे से मज़ा लेकर ये काम करना चाहता था..
लाला की बात सुनते ही तीनों अपनी-2 छातियाँ निकालकर लाला को ललचाने लगी...
अपने निप्पल उमेठ कर उसकी लालिमा से लाला को रिझाने लगी...
निशि ने अपनी उभरी हुई चूत में उंगली डालकर अंदर का गीलापन लाला को दिखाया...
और फिर उस उंगली को चूसकर अपनी हालत का इज़हार किया जैसे कह रही हो की लाला तेरे लंड को भी ऐसे ही चूसूंगी..
पिंकी ने अपनी गोरी छातियों को उपर की तरफ उभार कर एक साथ चिपका दिया और मुँह खोलकर ऐसे गोल कर लिया जैसे लंड को बीच में फंसाकर लंड चूस रही हो..
लाला को उसका ये संदेश भी सॉफ-2 मिल रहा था की वो उसके साथ ठीक ऐसा ही करने वाली है.
नाज़िया के पास तो उसकी गांड ही थी जिसका लाला शुरू से ही दीवाना था,
इसलिए वो उछलकर बेड पर चढ़ गयी और अपनी गांड के उभार पीछे करके लाला को दिखाने लगी...
अपनी एक उंगली को मुँह में डालकर गीला किया और उसे सीसियाते हुए उसने अपनी गांड के अंदर डाल दिया जैसे कह रही हो की लाला आज तू इस निगोडी गांड को ही मारना...
नाज़िया की देखा देखी वो दोनो भी बेड पर चड़कर अपनी गांड लाला की तरफ करके अपनी उंगली से पीछे के छेड़ को कुरेदने लगी...
यानी तीनो ही अपनी गांड मरवाने के लिए तैयार थी...
लाला की हालत तो ऐसी हो रही थी जैसे अभी उसके लंड का पानी निकल जाएगा और वो निकलता भी तो इतनी ज़ोर से निकलता की दूर बैठी तीनो हुस्न की परियाँ भीग जाती...
पर लाला ने अपने आप को झड़ने से रोका हुआ था..
अपने जिस्म की नुमाइश के बाद तीनों के चेहरे पर रिज़ल्ट जानने की उत्सुकतता थी..
लाला ने इशारा करके पिंकी को अपनी तरफ बुलाया ताकि वो जो दिखा रही थी, उसे साबित कर सके..
बाकी दोनो के चेहरे मायूस हो गये..
पर लाला ने उन्हे होसला दिया
वो बोला : "अर्रे...तुम अपने काम में लगे रहो....अगली बार जिसका प्रदर्शन अच्छा हुआ, उसे बुलाऊंगा ...पिंकी तुम क्यों रुक गयी...तुम तो यहाँ आओ मेरी रानी...'
पिंकी उछलती हुई लाला के सामने आकर बैठ गयी,
अपने मुम्मो में उसने लाला के लंड को फँसाया और उसे टिट फक्क करते हुए लाला के लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी..
लाला ने सीसियाते हुए उसके सिर को पकड़ा और बुरी तरह से उसके मुँह में लंड पेलकर उसका मुख चोदन करने लगा...
लाला के लंड जैसी ही कड़क चुचिया थी पिंकी की....
लाला तो उसके स्पर्श मात्र से ही झड़ने को हो गया...
उसने तुरंत अपना लंड उसके मुँह से खींचकर बाहर निकाला और बदले में उसे अपनी गोटियां चूसने को दे डाली...
पिंकी पर तो आज ऐसी खुमारी चढ़ी हुई थी की वो कुछ भी चूसने और चबाने को तैयार थी....
लाला के टट्टों को उसने बर्फ के गोले की तरह चूसना शुरू कर दिया, जैसे उसमें से मिठास निकल कर सीधी उसके मुँह में जा रही हो.
वो तो उसे तब तक चूसने वाली थी जब तक वो बर्फ पिघलकर लंड के रास्ते होती हुई उसके चेहरे पर ना आ गिरे,
पर लाला ने उसे एक बार फिर से रोक दिया..
लाला ने नाज़िया की तरफ इशारा करके कहा की अब तुम आओ..
पिंकी उठकर लाला के पीछे चली गयी और अपनी बाहें उनके गले में डालकर अपनी चुचियों से उनकी पीठ की मसाज करने लगी..
नाज़िया लाला के पास आई और आते ही अपनी गांड निकाल कर लाला के सामने खड़ी हो गयी...
लाला के खुरदुरे हाथ उसकी कसी हुई गांड पर आए और उसने उन्हे ऐसे दबाया जैसे प्लास्टिक का कोई खिलोना हो, जिसे दबाने से चू चू की आवाज़ें आती है...
चू की तो नही पर लाला के हाथ लगने से उसमें उहह आह की आवाज़ें ज़रूर आने लगी...
और फिर लाला ने वो किया जिसकी शायद नाज़िया को भी उम्मीद नही थी...
लाला ने मलाईदार गांड में अपना मुँह घुसा दिया और अपनी जीभ से उसकी नदी की तरह उफान रही चूत को कुरेदने लगे और अंदर से रिस रिसकर निकल रही मलाई को चाटने लगा...
लाला ने ये इसलिए भी किया ताकि थोड़ी देर तक उसके लंड को आराम मिल जाए...
पर वो तो तब मिलता ना जब उसकी किस्मत में आराम लिखा होता...
क्योंकि अपनी बारी की परवाह किए बिना ही निशि उठकर लाला के करीब आ चुकी थी और उसने बिना किसी चेतावनी के लाला के लंड को मुँह में लिया और उसे वैसे ही चूसना शुरू कर दिया जैसे कुछ देर पहले उसकी सहेली पिंकी चूस रही थी...
पीछे से पिंकी भी अपने नर्म मुम्मो से लाला के जिस्म की आग को भड़काने का काम कर रही थी...
अब आलम ये था की लाला तीनों तरफ से घिर चुका था, इसलिए लाला ने खुद को उनके हवाले कर देना ही सही समझा...
उसने अपने बदन को ढीला छोड़ दिया जो इस बात का संकेत था की उसने उनके सामने हार मान ली है.
पिंकी और निशि के तो चेहरे चमक उठे जब लाला ने ऐसा किया...
उन दोनो ने मिलकर लाला को खड़ा किया और सबसे पहले उसके सारे कपड़े निकाल फेंके...
अब लाला उन तीनो परियों के बीच किसी तगड़े राक्षस की तरहा खड़ा था जो उनका शिकार करने के लिए पूरा तैयार था...
लाला को ये तो पता था की एक को तो वो अच्छे से पेल डालेगा,
दूसरी को भी वो संतुष्ट कर ही देगा...
पर तीसरी के लिए उसे डाउट था...
इसलिए अभी तक वो घबरा रहा था.
पर अब जो होना था वो होकर रहेगा,
इसलिए वो आँखे बंद किए उनके हमले की प्रतीक्षा करने लगा...
वो तीनो उसके शरीर के चारों तरफ लिपट कर अपने मुम्मो से बॉडी मसाज देने लगी....
अपने गुलाबी होंठों से गीली-2 पप्पियाँ देने लगी...
और फिर एक-2 करके वो तीनो लाला के लंड के सामने बैठ गयी और उसे चूसने लगी...
कभी एक चूसती तो कभी दूसरी...
कभी बॉल्स चूसती तो कभी लंड.
ऐसा करते-2 वो तीनो लाला को घसीट कर बेड तक ले गयी...
और फिर उसे चित्त लिटा कर एक दूसरे को देखकर मुस्कुराने लगी...
जैसे तय करने की कोशिश कर रही हो की पहले कौन चूदेगा.
फिर आँखो ही आँखो का इशारा समझकर सबसे पहले निशि लाला पर चढ़ गयी....
उसने अपनी चूत को सीधा लेजाकर लाला के खड़े लंड पर रखा और उसकी आँखो में देखते-2 अपना दबाव बनाकर नीचे फिसलती चली गयी..
''आआआआआआआआआअहह उम्म्म्मममममममममममम. .... लालाआआआआआआलाआ....... सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स..... ये लॅंड है ना जो तेरा.......कसम से.....इसी में पूरी दुनिया का नशा छिपा है....''
इस नशे के सामने वो शायद अपने भाई के लंड का नशा भी भूल चुकी थी..
जिसके मज़े वो पिछले 3-4 दिनों से ले रही थी...
सच ही कहते है, लंड और चूत जो सामने होती है वही अच्छी लगती है..
और इस वक़्त निशि को सामने का लंड यानी रामलाल ही अच्छा लग रहा था...
वैसे लगता भी क्यो नही, वो था ही इतना दमदार..
इसी बीच पिंकी उछल कर लाला के चेहरे पर बैठ गयी, और उसकी दाढ़ी मूँछ वाले चेहरे पर अपनी नंगी चूत को रगड़कर वहां का मज़ा लेने लगी....
थोड़ा आगे बढ़कर उसने अपनी प्यारी सहेली निशि के चेहरे को पकड़ा और उसके फफकते हुए होंठो को मुँह में लेकर एक जोरदार स्मूच में डूब गयी...
नाज़िया भला दूर बैठी कैसे रह सकती थी, वो भी लाला के करीब आई और निशि और लाला के मिलन वाली जगह पर मुँह लगा कर अंदर बाहर हो रहे लंड पर अपनी जीभ रगड़ने लगी...
लाला को एक ही बार में तीनों के स्पर्श का एहसास हो रहा था...
उसने हाथ उपर करके दोनो तरफ लटक रहे मुम्मो को एक-2 करके दबाना शुरू कर दिया, उसे ऐसा लग रहा था जैसे वो अपने आम के बगीचे में लेटा है और उपर कच्ची अंबिया लटक रही है जिन्हे नॉचकर वो उनके गूदे का मज़ा ले रहा है..
इसी बीच निशि को नाज़िया पर तरस आ गया, वो लाला के लंड से उतर के नीचे आ गयी और नाज़िया को उपर चड़ने को कहा...
वो खुशी-2 लाला के लंड पर सवार हुई और एक बार फिर से लाला का घोड़ा एक लंबी रेस दौड़ने लगा....
इस बार लाला ने करीब 5 मिनट तक बिना रुके अपने घोड़े को उसकी चूत में दौड़ाया और फिर वो मौका भी आया जब लाला के लंड से ढेर सारा देसी घी निकलकर नाज़िया की नन्ही चूत में जाने लगा...
और लगभग उसी वक़्त पिंकी की चूत ने भी अपने अंदर का पानी लाला के चेहरे पर छोड़ दिया...
लाला का पूरा चेहरा और दाड़ी मूँछे उसके रंगहीन चिपचिपे पानी में भीग गयी...
और लाला जब झड़ा तो उस पानी को पीता हुआ, एक गाड़ी डकार मारकर ज़ोर से चिल्लाता हुआ उसकी चूत में झड़ने लगा...
और जैसे ही लाला ने अपना लंड उसकी चूत से बाहर खींचा, दोनो का मिला जुला रस निकलकर उसके पेट पर आ गिरा, जिसे वो तीनों प्यासी बिल्लियाँ मिलकर चाट गयी...
और फिर एक-2 करके उन्होने लाला के लंड का बचा हुआ पानी भी निकालकर पिया.
और फिर तीनों वही लाला के साथ पलंग पर लेटकर अगले हमले के बारे में सोचने लगी..
और लाला सोच रहा था की अब क्या होगा उसके साथ....
अब आलम ये था की लाला अपने लंड को लहराता हुआ उनके सामने बैठा था और वो तीनों आँखे फाड़े उस मोटे खूँटे जैसे लंड की चमक रही स्किन को देख रही थी....
आज लाला ने जो स्पेशल ट्रीटमेंट दिया था रामलाल को उसकी वजह से वो दूर से किसी हीरे की तरह चमक रहा था और वो तीनों उस हीरे को जल्द से जल्द निगल लेना चाहती थी...
पर लाला ने उन्हे अपने पास आने से रोक दिया और बोला : "यहाँ वही आएगा जो मुझे अच्छे से खुश करेगा...पहले अपने हुस्न के कुछ जलवे तो दिखाओ...''
उन तीनो को ये भी समझ नहीं आया की ये सब करके लाला उन्हे उलझा कर रखना चाहता है,
क्योंकि लाला जानता था की उन तीनों के मुँह में जाते ही उसने एक ही झटके में झड़ जाना है...
और वो ये काम इतनी जल्दी नहीं करना चाहता था...
वो उनके हुस्न का अच्छे से मज़ा लेकर ये काम करना चाहता था..
लाला की बात सुनते ही तीनों अपनी-2 छातियाँ निकालकर लाला को ललचाने लगी...
अपने निप्पल उमेठ कर उसकी लालिमा से लाला को रिझाने लगी...
निशि ने अपनी उभरी हुई चूत में उंगली डालकर अंदर का गीलापन लाला को दिखाया...
और फिर उस उंगली को चूसकर अपनी हालत का इज़हार किया जैसे कह रही हो की लाला तेरे लंड को भी ऐसे ही चूसूंगी..
पिंकी ने अपनी गोरी छातियों को उपर की तरफ उभार कर एक साथ चिपका दिया और मुँह खोलकर ऐसे गोल कर लिया जैसे लंड को बीच में फंसाकर लंड चूस रही हो..
लाला को उसका ये संदेश भी सॉफ-2 मिल रहा था की वो उसके साथ ठीक ऐसा ही करने वाली है.
नाज़िया के पास तो उसकी गांड ही थी जिसका लाला शुरू से ही दीवाना था,
इसलिए वो उछलकर बेड पर चढ़ गयी और अपनी गांड के उभार पीछे करके लाला को दिखाने लगी...
अपनी एक उंगली को मुँह में डालकर गीला किया और उसे सीसियाते हुए उसने अपनी गांड के अंदर डाल दिया जैसे कह रही हो की लाला आज तू इस निगोडी गांड को ही मारना...
नाज़िया की देखा देखी वो दोनो भी बेड पर चड़कर अपनी गांड लाला की तरफ करके अपनी उंगली से पीछे के छेड़ को कुरेदने लगी...
यानी तीनो ही अपनी गांड मरवाने के लिए तैयार थी...
लाला की हालत तो ऐसी हो रही थी जैसे अभी उसके लंड का पानी निकल जाएगा और वो निकलता भी तो इतनी ज़ोर से निकलता की दूर बैठी तीनो हुस्न की परियाँ भीग जाती...
पर लाला ने अपने आप को झड़ने से रोका हुआ था..
अपने जिस्म की नुमाइश के बाद तीनों के चेहरे पर रिज़ल्ट जानने की उत्सुकतता थी..
लाला ने इशारा करके पिंकी को अपनी तरफ बुलाया ताकि वो जो दिखा रही थी, उसे साबित कर सके..
बाकी दोनो के चेहरे मायूस हो गये..
पर लाला ने उन्हे होसला दिया
वो बोला : "अर्रे...तुम अपने काम में लगे रहो....अगली बार जिसका प्रदर्शन अच्छा हुआ, उसे बुलाऊंगा ...पिंकी तुम क्यों रुक गयी...तुम तो यहाँ आओ मेरी रानी...'
पिंकी उछलती हुई लाला के सामने आकर बैठ गयी,
अपने मुम्मो में उसने लाला के लंड को फँसाया और उसे टिट फक्क करते हुए लाला के लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी..
लाला ने सीसियाते हुए उसके सिर को पकड़ा और बुरी तरह से उसके मुँह में लंड पेलकर उसका मुख चोदन करने लगा...
लाला के लंड जैसी ही कड़क चुचिया थी पिंकी की....
लाला तो उसके स्पर्श मात्र से ही झड़ने को हो गया...
उसने तुरंत अपना लंड उसके मुँह से खींचकर बाहर निकाला और बदले में उसे अपनी गोटियां चूसने को दे डाली...
पिंकी पर तो आज ऐसी खुमारी चढ़ी हुई थी की वो कुछ भी चूसने और चबाने को तैयार थी....
लाला के टट्टों को उसने बर्फ के गोले की तरह चूसना शुरू कर दिया, जैसे उसमें से मिठास निकल कर सीधी उसके मुँह में जा रही हो.
वो तो उसे तब तक चूसने वाली थी जब तक वो बर्फ पिघलकर लंड के रास्ते होती हुई उसके चेहरे पर ना आ गिरे,
पर लाला ने उसे एक बार फिर से रोक दिया..
लाला ने नाज़िया की तरफ इशारा करके कहा की अब तुम आओ..
पिंकी उठकर लाला के पीछे चली गयी और अपनी बाहें उनके गले में डालकर अपनी चुचियों से उनकी पीठ की मसाज करने लगी..
नाज़िया लाला के पास आई और आते ही अपनी गांड निकाल कर लाला के सामने खड़ी हो गयी...
लाला के खुरदुरे हाथ उसकी कसी हुई गांड पर आए और उसने उन्हे ऐसे दबाया जैसे प्लास्टिक का कोई खिलोना हो, जिसे दबाने से चू चू की आवाज़ें आती है...
चू की तो नही पर लाला के हाथ लगने से उसमें उहह आह की आवाज़ें ज़रूर आने लगी...
और फिर लाला ने वो किया जिसकी शायद नाज़िया को भी उम्मीद नही थी...
लाला ने मलाईदार गांड में अपना मुँह घुसा दिया और अपनी जीभ से उसकी नदी की तरह उफान रही चूत को कुरेदने लगे और अंदर से रिस रिसकर निकल रही मलाई को चाटने लगा...
लाला ने ये इसलिए भी किया ताकि थोड़ी देर तक उसके लंड को आराम मिल जाए...
पर वो तो तब मिलता ना जब उसकी किस्मत में आराम लिखा होता...
क्योंकि अपनी बारी की परवाह किए बिना ही निशि उठकर लाला के करीब आ चुकी थी और उसने बिना किसी चेतावनी के लाला के लंड को मुँह में लिया और उसे वैसे ही चूसना शुरू कर दिया जैसे कुछ देर पहले उसकी सहेली पिंकी चूस रही थी...
पीछे से पिंकी भी अपने नर्म मुम्मो से लाला के जिस्म की आग को भड़काने का काम कर रही थी...
अब आलम ये था की लाला तीनों तरफ से घिर चुका था, इसलिए लाला ने खुद को उनके हवाले कर देना ही सही समझा...
उसने अपने बदन को ढीला छोड़ दिया जो इस बात का संकेत था की उसने उनके सामने हार मान ली है.
पिंकी और निशि के तो चेहरे चमक उठे जब लाला ने ऐसा किया...
उन दोनो ने मिलकर लाला को खड़ा किया और सबसे पहले उसके सारे कपड़े निकाल फेंके...
अब लाला उन तीनो परियों के बीच किसी तगड़े राक्षस की तरहा खड़ा था जो उनका शिकार करने के लिए पूरा तैयार था...
लाला को ये तो पता था की एक को तो वो अच्छे से पेल डालेगा,
दूसरी को भी वो संतुष्ट कर ही देगा...
पर तीसरी के लिए उसे डाउट था...
इसलिए अभी तक वो घबरा रहा था.
पर अब जो होना था वो होकर रहेगा,
इसलिए वो आँखे बंद किए उनके हमले की प्रतीक्षा करने लगा...
वो तीनो उसके शरीर के चारों तरफ लिपट कर अपने मुम्मो से बॉडी मसाज देने लगी....
अपने गुलाबी होंठों से गीली-2 पप्पियाँ देने लगी...
और फिर एक-2 करके वो तीनो लाला के लंड के सामने बैठ गयी और उसे चूसने लगी...
कभी एक चूसती तो कभी दूसरी...
कभी बॉल्स चूसती तो कभी लंड.
ऐसा करते-2 वो तीनो लाला को घसीट कर बेड तक ले गयी...
और फिर उसे चित्त लिटा कर एक दूसरे को देखकर मुस्कुराने लगी...
जैसे तय करने की कोशिश कर रही हो की पहले कौन चूदेगा.
फिर आँखो ही आँखो का इशारा समझकर सबसे पहले निशि लाला पर चढ़ गयी....
उसने अपनी चूत को सीधा लेजाकर लाला के खड़े लंड पर रखा और उसकी आँखो में देखते-2 अपना दबाव बनाकर नीचे फिसलती चली गयी..
''आआआआआआआआआअहह उम्म्म्मममममममममममम. .... लालाआआआआआआलाआ....... सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स..... ये लॅंड है ना जो तेरा.......कसम से.....इसी में पूरी दुनिया का नशा छिपा है....''
इस नशे के सामने वो शायद अपने भाई के लंड का नशा भी भूल चुकी थी..
जिसके मज़े वो पिछले 3-4 दिनों से ले रही थी...
सच ही कहते है, लंड और चूत जो सामने होती है वही अच्छी लगती है..
और इस वक़्त निशि को सामने का लंड यानी रामलाल ही अच्छा लग रहा था...
वैसे लगता भी क्यो नही, वो था ही इतना दमदार..
इसी बीच पिंकी उछल कर लाला के चेहरे पर बैठ गयी, और उसकी दाढ़ी मूँछ वाले चेहरे पर अपनी नंगी चूत को रगड़कर वहां का मज़ा लेने लगी....
थोड़ा आगे बढ़कर उसने अपनी प्यारी सहेली निशि के चेहरे को पकड़ा और उसके फफकते हुए होंठो को मुँह में लेकर एक जोरदार स्मूच में डूब गयी...
नाज़िया भला दूर बैठी कैसे रह सकती थी, वो भी लाला के करीब आई और निशि और लाला के मिलन वाली जगह पर मुँह लगा कर अंदर बाहर हो रहे लंड पर अपनी जीभ रगड़ने लगी...
लाला को एक ही बार में तीनों के स्पर्श का एहसास हो रहा था...
उसने हाथ उपर करके दोनो तरफ लटक रहे मुम्मो को एक-2 करके दबाना शुरू कर दिया, उसे ऐसा लग रहा था जैसे वो अपने आम के बगीचे में लेटा है और उपर कच्ची अंबिया लटक रही है जिन्हे नॉचकर वो उनके गूदे का मज़ा ले रहा है..
इसी बीच निशि को नाज़िया पर तरस आ गया, वो लाला के लंड से उतर के नीचे आ गयी और नाज़िया को उपर चड़ने को कहा...
वो खुशी-2 लाला के लंड पर सवार हुई और एक बार फिर से लाला का घोड़ा एक लंबी रेस दौड़ने लगा....
इस बार लाला ने करीब 5 मिनट तक बिना रुके अपने घोड़े को उसकी चूत में दौड़ाया और फिर वो मौका भी आया जब लाला के लंड से ढेर सारा देसी घी निकलकर नाज़िया की नन्ही चूत में जाने लगा...
और लगभग उसी वक़्त पिंकी की चूत ने भी अपने अंदर का पानी लाला के चेहरे पर छोड़ दिया...
लाला का पूरा चेहरा और दाड़ी मूँछे उसके रंगहीन चिपचिपे पानी में भीग गयी...
और लाला जब झड़ा तो उस पानी को पीता हुआ, एक गाड़ी डकार मारकर ज़ोर से चिल्लाता हुआ उसकी चूत में झड़ने लगा...
और जैसे ही लाला ने अपना लंड उसकी चूत से बाहर खींचा, दोनो का मिला जुला रस निकलकर उसके पेट पर आ गिरा, जिसे वो तीनों प्यासी बिल्लियाँ मिलकर चाट गयी...
और फिर एक-2 करके उन्होने लाला के लंड का बचा हुआ पानी भी निकालकर पिया.
और फिर तीनों वही लाला के साथ पलंग पर लेटकर अगले हमले के बारे में सोचने लगी..
और लाला सोच रहा था की अब क्या होगा उसके साथ....