पर अभी तो नंदू से पहले पिंकी के दिल में लाला के नाम की धुन बज रही थी....
क्योंकि निशि की चुदाई की कहानियां सुनकर उसकी चूत का बुरा हाल हो रहा था...
अब उसकी चूत का भी सिर्फ़ चुसाई या रगड़ाई से काम नही चलने वाला था,
उसे भी अपने अंदर एक मोटा लंड चाहिए था....
एक मर्द का लंबा लंड,
लाला का लंड.
इसलिए दोनो अपने अगले कदम, यानी पिंकी की लाला से चुदाई करवाने की प्लानिंग करने लगी..
*************
अब आगे
*************
लाला अपने गोडाउन की ज़मीन पर नाज़िया को लिटा कर उसकी कसी हुई चूत में अपना लंड पेल रहा था..
लाला : "आअहह भेंन चोद .....ले साली...... तेरे जैसी हरामनों के लिए ही तो लाला का लंड बना है..... इसे अपनी चूत में ले पूरा....अहह....''
वो भी गंदी सी ज़मीन पर नंगी लेटी,
लाला के लंड को अंदर लेते हुए ,
किसी नागिन की तरहा मचल रही थी.
लाला का लंड उपर से नीचे आकर उसकी चूत में ऐसे घुस रहा था जैसे कोई ड्रिलिंग मशीन से उसकी चूत की खुदाई का काम कर रहा हो...
पर लाला के लंड के हर झटके से उसका पूरा बदन झंनझना रहा था...
''उम्म्म्मममम लालाजी.......अहह....और ज़ोर से चोदो मुझे.....हाां..... मुझे पसंद है आपका ये मोटा लंड ....उम्म्म्मममममम...... साला ....कैसे अंदर तक घुसकर मज़ा देता है......उफफफफफफफफफफफफफ्फ़........ इस लंड का कोई मुकाबला नही है लाला....अहह...चोदो मुझे....चोदो अपनी रंडी नाज़िया को.......''
बेचारी आई तो दूध लेने थी लाला की दुकान पर सुबह -2 और वो भी स्कूल की ड्रेस पहने,
लेकिन लाला ने जब उसे दूर से मटक कर आते देखा तो उनके रामलाल ने चिल्ला कर कहा की लाला मुझे अभी के अभी इसकी चूत चाहिए....
अब लाला अपने चहेते रामलाल का दिल कैसे तोड़ सकता था
हालाँकि नाज़िया की माँ शबाना ने उसे सख़्त हिदायत देकर भेजा था की जल्दी वापिस आईओ,
ऐसा ना हो की वो ठरकी लाला सुबह -2 ही तेरी बजा डाले,
पर अपनी माँ की हिदायतो को नरअंदाज करके जब लाला के एक इशारे पर वो अंदर पहुँची तो लाला ने उसे किसी नन्हे खरगोश की तरह दबोचते हुए उसकी स्कूल ड्रेस उतार फेंकी और उसे नंगा नीचे लिटा कर अपना लंड उसकी रसीली चूत में पेल दिया...
आज से पहले स्कूल जाने से पहले वो गर्म दूध पीकर जाती थी,
अब उसने सोच लिया था की रोज सुबह लाला का ये गर्म लंड भी लेकर जाया करेगी...
पर जाएगी तो तभी ना जब लाला उसे जाने देगा आज....
लाला ने सोच लिया था की आज पूरे दिन वो उसे अपने इसी गोडाउन में नंगा लिटा कर रखेगा,
और जब चाहेगा अंदर आकर उसके हुस्न के मज़े ले लिया करेगा...
ये लाला की एक फेंटसी थी काफ़ी दिनों से, जिसे वो नाज़िया के ज़रिए पूरा कर लेना चाहता था...
लाला ने उसे घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी चूत में अपना रामलाल पेलकर उस हिनहिनाती नाज़िया की चूत मारने लगा...
और जल्द ही लाला ने सुबह का पहला वीर्य त्याग करते हुए अपना पानी उसकी चूत में उतारना शुरू कर दिया....
''आआआआआआआआआआआहह..... मेरी ज़ाआाआआआआअन्न.... तेरी इस कसी हुई चूत का ही कमाल है ये वरना लाला का लंड आधे घंटे से पहले झड़ने वाला नही था....''
नाज़िया ने पलटकर लाला के लंड को मुँह में ले लिया और बचा खुचा रस पीकर अपना नाश्ता पूरा किया
और मुस्कुराते हुए बोली : "आधे घंटे और 25 मिनट में ज़्यादा फ़र्क नही होता लाला....पिछले 25 मिनट से मेरी इस नन्ही सी चूत का बाजा बजाने में लगे हो तुम.... आपकी वजह से आज मेरा स्कूल भी मिस हो गया....''
उसने बड़ी ही मासूमियत से घड़ी की तरफ देखते हुए कहा..
लाला : "अर्रे, स्कूल ही मिस हुआ है ना, एक दिन की छुट्टी लाला के नाम की नही ले सकती क्या...आज वैसे भी मैं तुझे यहाँ से जाने देने वाला नही हूँ ...आज सुबह से लेकर शाम तक तुझे भरपूर प्यार करूँगा मैं ....''
लाला के इस रोमांटिक अंदाज को देखकर वो नंगी पड़ी हुई मुस्कुरा उठी....
इस बात से अंजान की लाला जब सुबह से शाम तक प्यार करेगा तो वो बेचारी शाम तक चलने की हालत में नही रहेगी...
लाला ने उसे वहीँ रुके रहने को कहा और खुद कपड़े पहन कर वापिस दुकान पर आ गया और शटर खोलकर बैठ गया..
नाज़िया को देर तक वापिस आया ना देखकर शबाना भी समझ गयी की उसकी दुलारी लाला के चुंगल में फँस चुकी है, ये साला लाला पता नही क्या ख़ाता है,
जब देखो चुदाई करने के लिए तैयार रहता है...
पर करता भी तो मजेदार तरीके से है,
लाला की चुदाई को याद करते ही शबाना की चूत रसीली हो गयी और उसके निप्पल कड़क हो उठे...
उसके दिमाग़ में एक पिक्चर सी चलने लगी जिसमें लाला उसकी फूल सी बेटी को नंगा करके उसे बहुत बुरी तरह से चोद रहा है...
ये ख़याल आते ही उसने अपने सारे काम धाम छोड़े और अपने कपड़े ठीक करके वो लाला की दुकान की तरफ चल दी...
बेचारी ये नही जानती थी की वो वहां जा तो रही है
पर अपनी बेटी को बचाने नही बल्कि खुद की भी मरवाने..
वहीँ दूसरी तरफ स्कूल पहुँचकर निशि और पिंकी लाला की ही बातें कर रहे थे...
पिंकी के दिमाग़ में तो बस अब चुदाई का भूत चढ़ चुका था,
उसका बस चलता तो वो आज ही अपनी चूत का उद्घाटन लाला से करवा लेती...
और यही सब बाते वो निशि को बता रही थी..
पर निशि तो अपनी ही दुनिया में खोई हुई थी....
रात की खुमारी उसकी आँखो से अभी तक नही उतरी थी...
जैसा की उसने और पिंकी ने डिसाईड किया था, वो पिंकी को चारा बना कर नंदू को ललचाएगी,
एक बार उसे धमकी देने के बाद नंदू तो उसके पीछे किसी पालतू कुत्ते की तरह घूम रहा था..
पिंकी के घर से आने के बाद वो इशारो -2 में नंदू को रात को अपने कमरे में आने को कह रही थी...
बेचारा नंदू तो बुरी तरह से फँस चुका था, अपनी माँ से भला वो कब तक इस बात को छुपा कर रख पाएगा,
सोता भी वो आँगन में ही था, अपनी माँ की खटिया के साथ खटिया लगाकर ,
ऐसे में अगर उसकी माँ की नींद रात को खुल जाए तो उसकी तो शामत ही आ जानी थी...
पर गोरी की नींद आज तो खुलने वाली नही थी,
कारण था लाला ने जिस अंदाज से आज उसकी चूत मारी थी,
उसकी बरसों पुरानी प्यास को बुझाया था,
उसके हर अंग को कस-कसकर दबाया था,
उसके मुम्मो को अपने नुकीले दांतो से चूसा था,
उसके बाद तो उसका हर अंग दर्द कर रहा था..
अब तो उसे बस अपना बिस्तर चाहिए था ताकि वो जमकर सो सके...
और हुआ भी ऐसा ही,
जैसे ही खाना खाकर वो सोई, उसके खर्राटे पूरे घर में गूंजने लगे...
अब इतना अंदाज़ा तो नंदू को भी था की वो जब ऐसे खर्राटे मारती है तो कुंभकरण की तरह सोती है...
यानी उसे उठाना काफ़ी मुश्किल होता है...
पर जैसे ही वो उपर जाने के लिए उठा, उसने देखा की निशि खुद ही नीचे आ रही है...
शायद उसकी चूत काफ़ी देर से कुलबुला रही थी..
वो नंदू के करीब आई और अपनी माँ की तरफ देखकर बोली : "लगता है आज माँ गहरी नींद में सोई है, शायद कुछ ज़्यादा ही थक गयी है, अब तो इनके सामने कोई जितना भी चीखे चिल्लाए, ये उठने वाली नही है...''
इतना कहकर उसके चेहरे पर एक शरारत भरी मुस्कान आ गयी...
और उसकी मुस्कुराहट का मतलब समझते ही नंदू गिड़गिडा उठा : "नही...नही...निशि ...यहाँ नही....माँ के सामने नही....वो जाग गयी तो अनर्थ हो जाएगा...अपने ही बच्चो को वो इस तरह से ये सब करते देखेगी तो ...तो...प्लीज़ निशि ...उपर ही चलते है न....मैं तुम्हारे हाथ जोड़ता हूँ ..उपर चलो, आज मैं पूरी रात तुम्हे प्यार करूँगा....''
निशि गुस्से में चिल्लाई : "प्यार नही करवाना मुझे....चुदाई करवानी है...और वो भी तुम्हारे इस मोटे लंड से....''
इतना कहते हुए उसने बड़ी बेशर्मी से अपने बड़े भाई का लंड पकड़ कर ज़ोर से दबोच लिया...
बेचारा चारपाई पर पड़ा हुआ जोर से कराह उठा..
क्योंकि निशि की चुदाई की कहानियां सुनकर उसकी चूत का बुरा हाल हो रहा था...
अब उसकी चूत का भी सिर्फ़ चुसाई या रगड़ाई से काम नही चलने वाला था,
उसे भी अपने अंदर एक मोटा लंड चाहिए था....
एक मर्द का लंबा लंड,
लाला का लंड.
इसलिए दोनो अपने अगले कदम, यानी पिंकी की लाला से चुदाई करवाने की प्लानिंग करने लगी..
*************
अब आगे
*************
लाला अपने गोडाउन की ज़मीन पर नाज़िया को लिटा कर उसकी कसी हुई चूत में अपना लंड पेल रहा था..
लाला : "आअहह भेंन चोद .....ले साली...... तेरे जैसी हरामनों के लिए ही तो लाला का लंड बना है..... इसे अपनी चूत में ले पूरा....अहह....''
वो भी गंदी सी ज़मीन पर नंगी लेटी,
लाला के लंड को अंदर लेते हुए ,
किसी नागिन की तरहा मचल रही थी.
लाला का लंड उपर से नीचे आकर उसकी चूत में ऐसे घुस रहा था जैसे कोई ड्रिलिंग मशीन से उसकी चूत की खुदाई का काम कर रहा हो...
पर लाला के लंड के हर झटके से उसका पूरा बदन झंनझना रहा था...
''उम्म्म्मममम लालाजी.......अहह....और ज़ोर से चोदो मुझे.....हाां..... मुझे पसंद है आपका ये मोटा लंड ....उम्म्म्मममममम...... साला ....कैसे अंदर तक घुसकर मज़ा देता है......उफफफफफफफफफफफफफ्फ़........ इस लंड का कोई मुकाबला नही है लाला....अहह...चोदो मुझे....चोदो अपनी रंडी नाज़िया को.......''
बेचारी आई तो दूध लेने थी लाला की दुकान पर सुबह -2 और वो भी स्कूल की ड्रेस पहने,
लेकिन लाला ने जब उसे दूर से मटक कर आते देखा तो उनके रामलाल ने चिल्ला कर कहा की लाला मुझे अभी के अभी इसकी चूत चाहिए....
अब लाला अपने चहेते रामलाल का दिल कैसे तोड़ सकता था
हालाँकि नाज़िया की माँ शबाना ने उसे सख़्त हिदायत देकर भेजा था की जल्दी वापिस आईओ,
ऐसा ना हो की वो ठरकी लाला सुबह -2 ही तेरी बजा डाले,
पर अपनी माँ की हिदायतो को नरअंदाज करके जब लाला के एक इशारे पर वो अंदर पहुँची तो लाला ने उसे किसी नन्हे खरगोश की तरह दबोचते हुए उसकी स्कूल ड्रेस उतार फेंकी और उसे नंगा नीचे लिटा कर अपना लंड उसकी रसीली चूत में पेल दिया...
आज से पहले स्कूल जाने से पहले वो गर्म दूध पीकर जाती थी,
अब उसने सोच लिया था की रोज सुबह लाला का ये गर्म लंड भी लेकर जाया करेगी...
पर जाएगी तो तभी ना जब लाला उसे जाने देगा आज....
लाला ने सोच लिया था की आज पूरे दिन वो उसे अपने इसी गोडाउन में नंगा लिटा कर रखेगा,
और जब चाहेगा अंदर आकर उसके हुस्न के मज़े ले लिया करेगा...
ये लाला की एक फेंटसी थी काफ़ी दिनों से, जिसे वो नाज़िया के ज़रिए पूरा कर लेना चाहता था...
लाला ने उसे घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी चूत में अपना रामलाल पेलकर उस हिनहिनाती नाज़िया की चूत मारने लगा...
और जल्द ही लाला ने सुबह का पहला वीर्य त्याग करते हुए अपना पानी उसकी चूत में उतारना शुरू कर दिया....
''आआआआआआआआआआआहह..... मेरी ज़ाआाआआआआअन्न.... तेरी इस कसी हुई चूत का ही कमाल है ये वरना लाला का लंड आधे घंटे से पहले झड़ने वाला नही था....''
नाज़िया ने पलटकर लाला के लंड को मुँह में ले लिया और बचा खुचा रस पीकर अपना नाश्ता पूरा किया
और मुस्कुराते हुए बोली : "आधे घंटे और 25 मिनट में ज़्यादा फ़र्क नही होता लाला....पिछले 25 मिनट से मेरी इस नन्ही सी चूत का बाजा बजाने में लगे हो तुम.... आपकी वजह से आज मेरा स्कूल भी मिस हो गया....''
उसने बड़ी ही मासूमियत से घड़ी की तरफ देखते हुए कहा..
लाला : "अर्रे, स्कूल ही मिस हुआ है ना, एक दिन की छुट्टी लाला के नाम की नही ले सकती क्या...आज वैसे भी मैं तुझे यहाँ से जाने देने वाला नही हूँ ...आज सुबह से लेकर शाम तक तुझे भरपूर प्यार करूँगा मैं ....''
लाला के इस रोमांटिक अंदाज को देखकर वो नंगी पड़ी हुई मुस्कुरा उठी....
इस बात से अंजान की लाला जब सुबह से शाम तक प्यार करेगा तो वो बेचारी शाम तक चलने की हालत में नही रहेगी...
लाला ने उसे वहीँ रुके रहने को कहा और खुद कपड़े पहन कर वापिस दुकान पर आ गया और शटर खोलकर बैठ गया..
नाज़िया को देर तक वापिस आया ना देखकर शबाना भी समझ गयी की उसकी दुलारी लाला के चुंगल में फँस चुकी है, ये साला लाला पता नही क्या ख़ाता है,
जब देखो चुदाई करने के लिए तैयार रहता है...
पर करता भी तो मजेदार तरीके से है,
लाला की चुदाई को याद करते ही शबाना की चूत रसीली हो गयी और उसके निप्पल कड़क हो उठे...
उसके दिमाग़ में एक पिक्चर सी चलने लगी जिसमें लाला उसकी फूल सी बेटी को नंगा करके उसे बहुत बुरी तरह से चोद रहा है...
ये ख़याल आते ही उसने अपने सारे काम धाम छोड़े और अपने कपड़े ठीक करके वो लाला की दुकान की तरफ चल दी...
बेचारी ये नही जानती थी की वो वहां जा तो रही है
पर अपनी बेटी को बचाने नही बल्कि खुद की भी मरवाने..
वहीँ दूसरी तरफ स्कूल पहुँचकर निशि और पिंकी लाला की ही बातें कर रहे थे...
पिंकी के दिमाग़ में तो बस अब चुदाई का भूत चढ़ चुका था,
उसका बस चलता तो वो आज ही अपनी चूत का उद्घाटन लाला से करवा लेती...
और यही सब बाते वो निशि को बता रही थी..
पर निशि तो अपनी ही दुनिया में खोई हुई थी....
रात की खुमारी उसकी आँखो से अभी तक नही उतरी थी...
जैसा की उसने और पिंकी ने डिसाईड किया था, वो पिंकी को चारा बना कर नंदू को ललचाएगी,
एक बार उसे धमकी देने के बाद नंदू तो उसके पीछे किसी पालतू कुत्ते की तरह घूम रहा था..
पिंकी के घर से आने के बाद वो इशारो -2 में नंदू को रात को अपने कमरे में आने को कह रही थी...
बेचारा नंदू तो बुरी तरह से फँस चुका था, अपनी माँ से भला वो कब तक इस बात को छुपा कर रख पाएगा,
सोता भी वो आँगन में ही था, अपनी माँ की खटिया के साथ खटिया लगाकर ,
ऐसे में अगर उसकी माँ की नींद रात को खुल जाए तो उसकी तो शामत ही आ जानी थी...
पर गोरी की नींद आज तो खुलने वाली नही थी,
कारण था लाला ने जिस अंदाज से आज उसकी चूत मारी थी,
उसकी बरसों पुरानी प्यास को बुझाया था,
उसके हर अंग को कस-कसकर दबाया था,
उसके मुम्मो को अपने नुकीले दांतो से चूसा था,
उसके बाद तो उसका हर अंग दर्द कर रहा था..
अब तो उसे बस अपना बिस्तर चाहिए था ताकि वो जमकर सो सके...
और हुआ भी ऐसा ही,
जैसे ही खाना खाकर वो सोई, उसके खर्राटे पूरे घर में गूंजने लगे...
अब इतना अंदाज़ा तो नंदू को भी था की वो जब ऐसे खर्राटे मारती है तो कुंभकरण की तरह सोती है...
यानी उसे उठाना काफ़ी मुश्किल होता है...
पर जैसे ही वो उपर जाने के लिए उठा, उसने देखा की निशि खुद ही नीचे आ रही है...
शायद उसकी चूत काफ़ी देर से कुलबुला रही थी..
वो नंदू के करीब आई और अपनी माँ की तरफ देखकर बोली : "लगता है आज माँ गहरी नींद में सोई है, शायद कुछ ज़्यादा ही थक गयी है, अब तो इनके सामने कोई जितना भी चीखे चिल्लाए, ये उठने वाली नही है...''
इतना कहकर उसके चेहरे पर एक शरारत भरी मुस्कान आ गयी...
और उसकी मुस्कुराहट का मतलब समझते ही नंदू गिड़गिडा उठा : "नही...नही...निशि ...यहाँ नही....माँ के सामने नही....वो जाग गयी तो अनर्थ हो जाएगा...अपने ही बच्चो को वो इस तरह से ये सब करते देखेगी तो ...तो...प्लीज़ निशि ...उपर ही चलते है न....मैं तुम्हारे हाथ जोड़ता हूँ ..उपर चलो, आज मैं पूरी रात तुम्हे प्यार करूँगा....''
निशि गुस्से में चिल्लाई : "प्यार नही करवाना मुझे....चुदाई करवानी है...और वो भी तुम्हारे इस मोटे लंड से....''
इतना कहते हुए उसने बड़ी बेशर्मी से अपने बड़े भाई का लंड पकड़ कर ज़ोर से दबोच लिया...
बेचारा चारपाई पर पड़ा हुआ जोर से कराह उठा..