Desi Sex Kahani हरामी साहूकार

पर अभी तो नंदू से पहले पिंकी के दिल में लाला के नाम की धुन बज रही थी....

क्योंकि निशि की चुदाई की कहानियां सुनकर उसकी चूत का बुरा हाल हो रहा था...
अब उसकी चूत का भी सिर्फ़ चुसाई या रगड़ाई से काम नही चलने वाला था,
उसे भी अपने अंदर एक मोटा लंड चाहिए था....
एक मर्द का लंबा लंड,
लाला का लंड.

इसलिए दोनो अपने अगले कदम, यानी पिंकी की लाला से चुदाई करवाने की प्लानिंग करने लगी..

*************
अब आगे
*************

लाला अपने गोडाउन की ज़मीन पर नाज़िया को लिटा कर उसकी कसी हुई चूत में अपना लंड पेल रहा था..

लाला : "आअहह भेंन चोद .....ले साली...... तेरे जैसी हरामनों के लिए ही तो लाला का लंड बना है..... इसे अपनी चूत में ले पूरा....अहह....''

वो भी गंदी सी ज़मीन पर नंगी लेटी,
लाला के लंड को अंदर लेते हुए ,
किसी नागिन की तरहा मचल रही थी.

लाला का लंड उपर से नीचे आकर उसकी चूत में ऐसे घुस रहा था जैसे कोई ड्रिलिंग मशीन से उसकी चूत की खुदाई का काम कर रहा हो...
पर लाला के लंड के हर झटके से उसका पूरा बदन झंनझना रहा था...

''उम्म्म्मममम लालाजी.......अहह....और ज़ोर से चोदो मुझे.....हाां..... मुझे पसंद है आपका ये मोटा लंड ....उम्म्म्मममममम...... साला ....कैसे अंदर तक घुसकर मज़ा देता है......उफफफफफफफफफफफफफ्फ़........ इस लंड का कोई मुकाबला नही है लाला....अहह...चोदो मुझे....चोदो अपनी रंडी नाज़िया को.......''

बेचारी आई तो दूध लेने थी लाला की दुकान पर सुबह -2 और वो भी स्कूल की ड्रेस पहने,
लेकिन लाला ने जब उसे दूर से मटक कर आते देखा तो उनके रामलाल ने चिल्ला कर कहा की लाला मुझे अभी के अभी इसकी चूत चाहिए....

अब लाला अपने चहेते रामलाल का दिल कैसे तोड़ सकता था

हालाँकि नाज़िया की माँ शबाना ने उसे सख़्त हिदायत देकर भेजा था की जल्दी वापिस आईओ,
ऐसा ना हो की वो ठरकी लाला सुबह -2 ही तेरी बजा डाले,
पर अपनी माँ की हिदायतो को नरअंदाज करके जब लाला के एक इशारे पर वो अंदर पहुँची तो लाला ने उसे किसी नन्हे खरगोश की तरह दबोचते हुए उसकी स्कूल ड्रेस उतार फेंकी और उसे नंगा नीचे लिटा कर अपना लंड उसकी रसीली चूत में पेल दिया...

आज से पहले स्कूल जाने से पहले वो गर्म दूध पीकर जाती थी,
अब उसने सोच लिया था की रोज सुबह लाला का ये गर्म लंड भी लेकर जाया करेगी...

पर जाएगी तो तभी ना जब लाला उसे जाने देगा आज....
लाला ने सोच लिया था की आज पूरे दिन वो उसे अपने इसी गोडाउन में नंगा लिटा कर रखेगा,
और जब चाहेगा अंदर आकर उसके हुस्न के मज़े ले लिया करेगा...
ये लाला की एक फेंटसी थी काफ़ी दिनों से, जिसे वो नाज़िया के ज़रिए पूरा कर लेना चाहता था...

लाला ने उसे घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी चूत में अपना रामलाल पेलकर उस हिनहिनाती नाज़िया की चूत मारने लगा...

और जल्द ही लाला ने सुबह का पहला वीर्य त्याग करते हुए अपना पानी उसकी चूत में उतारना शुरू कर दिया....

''आआआआआआआआआआआहह..... मेरी ज़ाआाआआआआअन्न.... तेरी इस कसी हुई चूत का ही कमाल है ये वरना लाला का लंड आधे घंटे से पहले झड़ने वाला नही था....''

नाज़िया ने पलटकर लाला के लंड को मुँह में ले लिया और बचा खुचा रस पीकर अपना नाश्ता पूरा किया

और मुस्कुराते हुए बोली : "आधे घंटे और 25 मिनट में ज़्यादा फ़र्क नही होता लाला....पिछले 25 मिनट से मेरी इस नन्ही सी चूत का बाजा बजाने में लगे हो तुम.... आपकी वजह से आज मेरा स्कूल भी मिस हो गया....''

उसने बड़ी ही मासूमियत से घड़ी की तरफ देखते हुए कहा..

लाला : "अर्रे, स्कूल ही मिस हुआ है ना, एक दिन की छुट्टी लाला के नाम की नही ले सकती क्या...आज वैसे भी मैं तुझे यहाँ से जाने देने वाला नही हूँ ...आज सुबह से लेकर शाम तक तुझे भरपूर प्यार करूँगा मैं ....''

लाला के इस रोमांटिक अंदाज को देखकर वो नंगी पड़ी हुई मुस्कुरा उठी....

इस बात से अंजान की लाला जब सुबह से शाम तक प्यार करेगा तो वो बेचारी शाम तक चलने की हालत में नही रहेगी...

लाला ने उसे वहीँ रुके रहने को कहा और खुद कपड़े पहन कर वापिस दुकान पर आ गया और शटर खोलकर बैठ गया..

नाज़िया को देर तक वापिस आया ना देखकर शबाना भी समझ गयी की उसकी दुलारी लाला के चुंगल में फँस चुकी है, ये साला लाला पता नही क्या ख़ाता है,
जब देखो चुदाई करने के लिए तैयार रहता है...
पर करता भी तो मजेदार तरीके से है,
लाला की चुदाई को याद करते ही शबाना की चूत रसीली हो गयी और उसके निप्पल कड़क हो उठे...

उसके दिमाग़ में एक पिक्चर सी चलने लगी जिसमें लाला उसकी फूल सी बेटी को नंगा करके उसे बहुत बुरी तरह से चोद रहा है...

ये ख़याल आते ही उसने अपने सारे काम धाम छोड़े और अपने कपड़े ठीक करके वो लाला की दुकान की तरफ चल दी...

बेचारी ये नही जानती थी की वो वहां जा तो रही है
पर अपनी बेटी को बचाने नही बल्कि खुद की भी मरवाने..

वहीँ दूसरी तरफ स्कूल पहुँचकर निशि और पिंकी लाला की ही बातें कर रहे थे...
पिंकी के दिमाग़ में तो बस अब चुदाई का भूत चढ़ चुका था,
उसका बस चलता तो वो आज ही अपनी चूत का उद्घाटन लाला से करवा लेती...
और यही सब बाते वो निशि को बता रही थी..

पर निशि तो अपनी ही दुनिया में खोई हुई थी....
रात की खुमारी उसकी आँखो से अभी तक नही उतरी थी...
जैसा की उसने और पिंकी ने डिसाईड किया था, वो पिंकी को चारा बना कर नंदू को ललचाएगी,
एक बार उसे धमकी देने के बाद नंदू तो उसके पीछे किसी पालतू कुत्ते की तरह घूम रहा था..

पिंकी के घर से आने के बाद वो इशारो -2 में नंदू को रात को अपने कमरे में आने को कह रही थी...
बेचारा नंदू तो बुरी तरह से फँस चुका था, अपनी माँ से भला वो कब तक इस बात को छुपा कर रख पाएगा,
सोता भी वो आँगन में ही था, अपनी माँ की खटिया के साथ खटिया लगाकर ,
ऐसे में अगर उसकी माँ की नींद रात को खुल जाए तो उसकी तो शामत ही आ जानी थी...

पर गोरी की नींद आज तो खुलने वाली नही थी,
कारण था लाला ने जिस अंदाज से आज उसकी चूत मारी थी,
उसकी बरसों पुरानी प्यास को बुझाया था,
उसके हर अंग को कस-कसकर दबाया था,
उसके मुम्मो को अपने नुकीले दांतो से चूसा था,
उसके बाद तो उसका हर अंग दर्द कर रहा था..
अब तो उसे बस अपना बिस्तर चाहिए था ताकि वो जमकर सो सके...

और हुआ भी ऐसा ही,
जैसे ही खाना खाकर वो सोई, उसके खर्राटे पूरे घर में गूंजने लगे...
अब इतना अंदाज़ा तो नंदू को भी था की वो जब ऐसे खर्राटे मारती है तो कुंभकरण की तरह सोती है...
यानी उसे उठाना काफ़ी मुश्किल होता है...

पर जैसे ही वो उपर जाने के लिए उठा, उसने देखा की निशि खुद ही नीचे आ रही है...
शायद उसकी चूत काफ़ी देर से कुलबुला रही थी..

वो नंदू के करीब आई और अपनी माँ की तरफ देखकर बोली : "लगता है आज माँ गहरी नींद में सोई है, शायद कुछ ज़्यादा ही थक गयी है, अब तो इनके सामने कोई जितना भी चीखे चिल्लाए, ये उठने वाली नही है...''

इतना कहकर उसके चेहरे पर एक शरारत भरी मुस्कान आ गयी...

और उसकी मुस्कुराहट का मतलब समझते ही नंदू गिड़गिडा उठा : "नही...नही...निशि ...यहाँ नही....माँ के सामने नही....वो जाग गयी तो अनर्थ हो जाएगा...अपने ही बच्चो को वो इस तरह से ये सब करते देखेगी तो ...तो...प्लीज़ निशि ...उपर ही चलते है न....मैं तुम्हारे हाथ जोड़ता हूँ ..उपर चलो, आज मैं पूरी रात तुम्हे प्यार करूँगा....''

निशि गुस्से में चिल्लाई : "प्यार नही करवाना मुझे....चुदाई करवानी है...और वो भी तुम्हारे इस मोटे लंड से....''

इतना कहते हुए उसने बड़ी बेशर्मी से अपने बड़े भाई का लंड पकड़ कर ज़ोर से दबोच लिया...
बेचारा चारपाई पर पड़ा हुआ जोर से कराह उठा..
 
निशि ने उसकी आँखो मे देखते हुए कहा : "देखा, मैने अभी इतने ज़ोर से चिल्ला कर बात की और तुमने भी ज़ोर से चीख मारी, फिर भी माँ सो रही है...इसका मतलब वो आज की रात उठने वाली नही है...''

नंदू : "पर...पर यहाँ करके तुम्हे क्या हासिल होगा निशि , माना की माँ आज गहरी नींद सोई है, पर फिर भी ये रिस्क क्यो लेना, उपर ही चलते है ना...ये देख, तुझे देखकर मेरा लंड कैसे कड़क हो रहा है....उपर चल, तुझे मस्त मज़ा दूँगा...''

उसने अपने खड़े लंड का लालच दिया उसे..

वो बोली : "यही रहकर चुदवाउंगी मैं तो आज, इसमें भी एक अलग रोमांच होगा...और इसी रोमांच को महसूस करके आपका ये लंड खड़ा हो रहा है भैय्या , माँ का डर होता तो ये चूहा बनकर पड़ा होता ...''

बात तो वो सही कह रही थी....
निशि ने जो बात कही थी उसमें सही मायनों में एक रोमांच था...
अपनी जिस माँ को वो बरसो से चोदना चाहता था, उसी के सामने अपनी बहन को चोदने में जो किक मिलेगी, उसे सोचते ही उसके लंड ने एक जोरदार झटका मारा...

निशि : "येससस्स.....यही कड़कपन तो चाहिए मुझे....रूको, ये ऐसे नही आएगा...इसके लिए मेरे पास इंतज़ाम है...''

इतना कहते हुए उसने अपनी लंबी फ्रॉक उतार कर ज़मीन पर फेंक दी,
नीचे उसने एक धागा तक नही पहना हुआ था...
आदमजात नंगी होकर खड़ी थी वो इस वक़्त अपनी सोई हुई माँ के सामने और जाग रहे भाई के समक्ष...

अपनी बहन की इस बेबाकी से भरी बेशर्मी को देखकर एक पल के लिए तो नंदू भी सकते में आ गया....
क्या हो अगर इसी वक़्त माँ की आँख खुल जाए तो...
अपनी जवान बेटी को इस नंगेपन में देखकर और वो भी अपने जवान भाई के सामने, भला क्या सोचेगी वो...

पर जो होना नही था, उसे सोचने का अभी फ़ायदा नही था...
वो तो बस एक डर था...
एक रोमांच की ऐसे में पकड़े गये तो क्या होगा...

और उसी रोमांच के चलते नंदू का लंड उसकी धोती से बाहर निकल कर चमकने लगा था...
निशि के लिए उसके कड़क लंड को देखना भर ही बहुत था,
वो झट से नीचे झुकी और नंदू की धोती को खींचकर हवा में उछाल दिया...
उपर तो सिर्फ़ एक बनियान ही थी इसलिए वो लगभग नंगी हालत में पड़ा था चारपाई पर अपनी बहन और सोई हुई माँ के सामने...

वो चारपाई पर बैठी और उसके कड़क लंड को मुँह में लेकर ज़ोर-2 से चूसने लगी...
चूसते हुए वो जान बूझकर मुँह से अजीब-2 सी आवाज़ें भी निकाल रही थी, ताकि वो नंदू को और भी ज़्यादा उत्तेजित करने में सहायक हो...

पर नंदू को इन सबकी ज़रूरत नही थी,
वो तो पहले से ही इतना उत्तेजित हो चुका था की निशि ने जब उसके लंड को मुँह में भरा तो वो झड़ते-2 बचा....
पर फिर भी प्रिकम की एक पिचकारी उसने निशि के मुँह में मार ही दी, जिसे वो बड़े सैक्सी तरीके से मुँह में भरकर निगल गयी...

और उसके बाद तो वो रुकी ही नही....
अपनी जीभ और होंठो से उसने चूस-चूस्कर उसके लंड को लाल कर दिया...

नंदू भी बड़ी मुश्किल से अपने लंड को झड़ने से बचा रहा था....
एक्साइटमेंट ही इतनी हो रही थी उसे की अगर वो ये रोक ना लगाता तो कब का झड़ चुका होता...
एक अलग ही तरह का एहसास हो रहा था उसे...

उसने चैन की साँस ली जब उसके पत्थर हो चुके लंड को सहलाते हुए निशि बोली : "अब अंदर डाल दो भाई....अब सहन नही हो रहा....''

वो भी तो यही चाहता था....
इसलिए तुरंत हां में सिर हिला कर उसे उपर आने को कहा..

वो खटिया पर पूरी खड़ी हो गयी और उसकी कमर के दोनो तरफ पैर करके धीरे-2 अपनी चूत नीचे लाने लगी,
नंदू को ऐसा लग रहा था जैसे आकाश से कोई अप्सरा उतरकर उसके लंड पर बैठ रही है...
और जैसे ही उसकी रस भरी मुनिया ने नंदू के लंड को छुआ, दोनो के मुँह से एक आनंदमयी सिसकारी निकल गयी....

''ऑश ओह ऑश अहह........ क्या मज़ा है भाई...... उम्म्म्ममममम....... सच में ....... चुदाई से बढ़कर कोई मज़ा नही है दुनिया में ..''

साली कुतिया ने 1-2 चुदाई के बाद ही दुनिया का सबसे बड़ा ज्ञान प्राप्त कर लिया था...

नंदू ने उसके मोटे मुम्मो को पकड़ा और उन्हे दबाते हुए नीचे से अपने लंड से उसकी चूत में धक्के मारने लगा..

और वो भी नज़ाकत भरे तरीके से अपनी कमर को मटकाते हुए उसके लंड पर कूदियाँ मारने लगी....

''ओह भाई...... अहह ...... ओह मर गयी....... अहह ऐसे ही....... ज़ोर से...... अंदर तक....... उम्म्म्ममम ....अहह .........ज़ोर से चोदो ...अपनी लाडली बहन को.....मारो मेरी चूत .....जम कर.....भैय्या ........''

और अंत में जोर से किल्कारियाँ मारती हुई वो नंदू के मोटे लंड पर झड़ने लगी....

नंदू भी काफ़ी देर से जिस तूफान को अपने लंड में रोके बैठा था,
वो उसके झड़ने के साथ ही बाहर निकल आया....
और निशि की नन्ही सी चूत की गुफा को सफेद पानी से भर दिया...

निशि अपने भाई की चौड़ी छाती पर गिरकर गहरी साँसे लेने लगी...

और अपने होंठो को उसके होंठो पर रखकर अपने प्यार का इज़हार करने लगी...

कुछ देर बाद वो उठी और अपने कपड़े उठाकर नंगी ही भागती हुई उपर चली गयी,
साथ ही नंदू को इशारा करके अपने पीछे आने को भी कहा,
यानी उसका मन अभी भी भरा नही था...

पूरे रास्ते उसकी चूत से भाई के नाम का प्यार छलककर सीडियों पर गिरता रहा,
जो एक अमिट छाप छोड़कर भाई बहन के रिश्ते को एक नये रंग में लिख चुका था..

नंदू ने माँ की तरफ देखा, वो पहले की तरह अभी तक सो रही थी...

उसने अपने कपड़े उठाए और वो भी निशि के पीछे-2 उपर चल दिया..
वहां पहुँचकर उसने देखा की वो बाथरूम में नंगी खड़ी होकर नहा रही है...
वो भी साथ में नहाने लगा,
बाथरूम की मस्तियों और अंग रगड़ाई ने उन्हे एक बार फिर से चुदाई करने पर मजबूर कर दिया....
बाहर आकर कुछ देर लेटे तो फिर से दोनो का मन मचल गया...
इस तरह से रात भर सोई नही थी वो चुदक्कड़....
और इसलिए उसकी आँखे बोझल सी हो रही थी स्कूल में रहकर...

स्कूल में पिंकी और निशि का ज़्यादा मन तो लग नही रहा था,
इसलिए स्कूल के बाद उन्होने अपनी योजना अनुसार लाला की दुकान पर जाने का फ़ैसला किया...

अब वो दोनो भला क्या जानती थी की आज लाला के पास नाज़िया भी है और उसकी माँ भी
जो अपनी बेटी की फ़िक्र में वहां पहुँच रही थी...

कुल मिलाकर अजीब स्थिति उत्पन होने वाली थी आज लाला की दुकान पर...
 
स्कूल में पिंकी और निशि का ज़्यादा मन तो लग नही रहा था,
इसलिए स्कूल के बाद उन्होने अपनी योजना अनुसार लाला की दुकान पर जाने का फ़ैसला किया...

अब वो दोनो भला क्या जानती थी की आज लाला के पास नाज़िया भी है और उसकी माँ भी
जो अपनी बेटी की फ़िक्र में वहां पहुँच रही थी...

कुल मिलाकर अजीब स्थिति उत्पन होने वाली थी आज लाला की दुकान पर...

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अब आगे
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शबाना लगभग भागती हुई सी लाला की दुकान पर पहुँची,
लाला ने दूर से उस भरंवा शरीर की मालकिन को अपने मुम्मे हिलाकर, भागकर अपनी दुकान की तरफ आते देखा तो वो कमीना मन ही मन मुस्कुरा उठा , और बोला : "लो आ गयी बकरी की माँ , अपने मेमने को बचाने....''

दुकान पर पहुँचते ही उसने लाला पर अपना सवाल दागा : "लाला....वो...वो...नाज़िया आई थी क्या....''

लाला अपनी कुटिल मुस्कान के साथ अपने लंड को रगड़ता हुआ बोला : "आई तो थी...और लाला को नाश्ता करवाकर चली भी गयी...''

शबाना ने मन में सोचा यानी उसका अंदाज़ा सही निकला, लाला ने उसकी फूल सी बच्ची को सुबह -2 ही चोद डाला.

शबाना समझ गयी की लाला उसके साथ पंगे ले रहा है....
वो गिड़गिडाई : "लाला....देख...वो वो बच्ची है....उसपर ज़्यादा ज़ुल्म ना कर....स्कूल भी जाना है उसको....बता ना....कहाँ है वो...''

लाला को सही मे उसके साथ पंगे लेने में मज़ा आ रहा था....
इसलिए वो बोला : "स्कूल का टाइम तो अब वैसे भी निकल चुका है...अब एक दिन के लिए उसे जिंदगी का लुत्फ़ उठाने दे, तुझे क्या परेशानी है इसमें ...''

शबाना अब तक ये तो समझ ही चुकी थी की वो अंदर लाला के गोडाउन में ही है... वही गोडाउन जहाँ उसने अनगिनत बार अपनी चूत मरवाई थी लाला से

पर लाला का इतना ख़ौफ़ तो था ही उसके अंदर की वो उसकी इजाज़त के बिना अंदर नही जा सकती थी...

वो फिर से बोली : "देख लाला....उसे अब जाने दे...तुझे जो करना है , मेरे साथ कर ले...पर उसे जाने दे अब...''

वो भी जानती थी की उसकी फूल जैसी बच्ची लाला के लंड को 2-3 बार नही ले पाएगी....
इसलिए एक बेचारी माँ ने अपने आप को उसके सुपुर्द करने का निर्णय ले लिया था...
पर उस निर्णय के पीछे उसकी खुद की गीली चूत का भी बहुत बड़ा हाथ था,
जो लाला से चुदने के लिए सुबह से ही मचल उठी थी,
ये सोचकर की उसके होते हुए लाला भला उसकी बेटी के पीछे ही क्यो पड़ा रहे...
सिर्फ़ माँ का प्यार ही सब कुछ नही होता,
ईर्ष्या नाम की भी कोई चीज़ होती है इस दुनिया में.

लाला तो पहले से ही जानता था की शबाना जैसी चुदक़्कड़ को अपनी बेटी को बचाने से ज़्यादा खुद की मरवाने में रूचि है...
और आज वो इस बात को जांच परख कर उसे भी बता देना चाहता था ताकि वो अपनी इस तरह की चालाकियाँ अपने जज्बातों की आड़ लेकर ना दिखाए..

वो बोला : "एक शर्त पर मैं उसे जाने दे सकता हूँ ....अगर तू वो सब करे जो मैं कहूँगा...''

वो तो पहले से ही एकदम से तैयार थी...
इसलिए लाला की बात सुनते ही झट्ट से बोली : "हाँ लाला....तू जो कहेगा, मैं वही करूँगी....''

लाला ने उसके मांसल शरीर को उपर से नीचे तक निहारा और बोला : "मुझे तेरे ये मोटे मुम्मे देखने है....अभी ....यहीं ....इसी वक़्त''

लाला की बात सुनते ही उसके चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगी...
ये लाला किस तरह का खेल खेल रहा है उसके साथ...
वो उसकी दूध की टँकिया देखना चाहता है और वो भी इस तरह से खुल्ले आम....
हालाँकि उस वक़्त दुकान पर कोई ग्राहक भी नही था, पर गली में आने जाने वाले लोग तो थे ही...
उसने अगर ऐसा कुछ भी किया तो दुकान पर उसके हुस्न को देखने वालो की भीड़ लग जानी थी...

शबाना : "लाला....ये...ये क्या कह रहा है तू.....तुझे जो देखना है, अंदर चल कर देख ले ना....उपर से क्या, नीचे से भी...पूरी नंगी हो जाउंगी तेरे लिए तो मैं ....''

लाला गुर्राया : "जो बोला है वो कर...वरना सीधा घर चली जा ...शाम तक तेरी बेटी भी घर पहुँच जाएगी....''

शबाना लाला के इस रूप को देखकर समझ गयी की उससे बहस करना बेकार है....
या तो वो उसकी बात मान ले या वापिस घर चली जाए...

उसने डरते-2 इधर उधर देखा और फिर अपने सूट को धीरे -2 उपर करने लगी...
पहले उसका नंगा पेट दिखा और फिर उसके मोटे मुम्मे जो खरबूजे की तरह गुलाबी थे , बाहर आने को आतुर हो रहे थे...

लाला की धोती में भी लैंटर लग गया और उसका रामलाल कड़क होकर खंबा बनकर खड़ा हो गया.

चाहे जो भी कह लो, इस उम्र में भी इसके हुस्न को देखकर लाला हमेशा उसका दीवाना बन ही जाता था..

लाला : "वाह .....तेरे कड़क निप्पलों को देखकर लग रहा है की तेरी चूत में भी आज भयंकर आग लगी है....अब एक काम कर, सीधा भागती हुई अंदर जा और अंदर पहुँचने से पहले अपने कपड़े उतार कर नंगी हो जा, मैं बस एक मिनट में आया....''

लाला सच ही तो कह रहा था....
एक तो पहले ही उसकी चूत की आग उसे वहां तक ले आई थी,
उपर से लाला की ये हरकतें उसे और भी ज़्यादा उत्तेजित कर रही थी....
शुरू से ही वो अपने आप को एक नंबर की रंडी समझती थी, और सच में उसे लाला की ये बातें मानकर वो गंदे काम करने में कुछ ज़्यादा ही मज़े आ रहे थे...
ऐसा करते हुए उसे इस बात की भी चिंता नही थी की गली के जमादार ने भी उसके हुस्न के दीदार कर लिए है...
वो भी लाला के हरामीपन से वाकिफ़ था, इसलिए अपने लंड को मसलते हुए वो लाला की किस्मत की दाद देता हुआ अपनी आँखे सेंकता रहा...

लाला ने जब उसे अंदर जाने को कहा तो एक पल के लिए वो ये भी भूल गयी की वो वहां करने क्या आई थी,
अपनी बेटी के बारे में बिल्कुल भूल चुकी थी वो इस वक़्त और लाला की बात मानकर अपने कपड़े उतारकर रास्ते में फेंकती हुई सी वो अंदर आ गयी, वहां पहुँचते-2 उसने अपना आख़िरी कपड़ा यानी कच्छी भी उतार फेंकी...

हमेशा की तरह अंदर घुपप अंधेरा था,
बाहर की रोशनी से अंदर आई शबाना को तो अंदर का कुछ दिखाई ही नही दिया पर अंदर ज़मीन पर नंगी लेटी नाज़िया ने अपनी अम्मी को नंगा होकर अंदर आते हुए ज़रूर देख लिया..

वो उतनी हैरान नही हुई जितना एक बेटी को अपनी माँ को नंगा देखकर होना चाहिए था,
उसे तो पहले से ही पता था की उसकी माँ उसे ढूँढते हुए वहां ज़रूर आएगी और लाला से उसके संबंध भी नाज़िया से छुपे हुए नही थे, इसलिए भी वो अपनी माँ को गोडाउन में देखकर हैरान नही हुई....
पर लाला ने उसे नंगा होकर अंदर आने को मजबूर कर दिया इस बात पर उसे थोड़ी बहुत हैरानी ज़रूर हुई...
क्योंकि लाला को अच्छे से पता था की नाज़िया अंदर ही है तो ऐसे में अम्मी को अंदर भेजने का क्या मतलब है...

कुछ ही देर में लाला भी अंदर आ गया....
तब तक शबाना को भी शायद ये एहसास हो चुका था की वो वहां किसलिए आई थी...
पर अब तो काफ़ी देर हो चुकी थी, अपनी उत्तेजना के मारे वो नंगी ही अंदर आ चुकी थी और जब उसकी आँखे अंधेरे में देखने को अभ्यस्त हुई तो सामने अपनी नंगी बेटी को लेटे देखकर उसे शर्म का एहसास हुआ...
और इसी बीच लाला भी अंदर आ गया और उसने भी अपनी धोती निकाल फेंकी...

कभी वो अपनी बेटी को देखती तो कभी लाला के अकड़ रहे लंड को....
बेचारी असमंजस में थी की बेटी को घर जाने को कहे या लाला के लंड को अंदर ले...

लाला तो पूरी प्लानिंग कर चुका था की अब माँ बेटी के साथ क्या करना है...
इसलिए अपने लंड को सहलाता हुआ वो बोला : "देख क्या रही है शबाना....चल इधर आ....चूस इसे...''
 
शबाना ने अपनी बेटी की तरफ देखा तो लाला बोला : "उसकी फ़िक्र ना कर...वो अपने हिस्से का नाश्ता कर चुकी है....अब तेरी बारी है....आजा ...''

लाला अपनी उम्र के बावजूद एक के बाद दूसरी चुदाई का रिस्क ले रहा था और वो भी ऐसी मलाईदार चूत देखकर....

भले ही वो शबाना की चूत कई बार मार चुका था,
और उसकी चूत एक बार फिर से, उसी की बेटी के सामने, मारने का मज़ा वो खोना नही चाहता था...

शबाना को लाला की आँखो का ख़ौफ़ था, इसलिए वो चुपचाप उसके सामने आकर बैठ गयी और उसके लंड को सहलाने लगी....
धीरे-2 उसने लाला के लंड को चूसना शुरू कर दिया....
और फिर कुछ देर बाद अपनी गीली जीभ से उसे सहलाया भी....
और अंत में धीरे-2 करके लाला के लंड के सुपाड़े को मुँह में लेकर उसे चूसना शुरू कर दिया....
और फिर पूरा निगल कर आइस्क्रीम की तरह चूस गयी..

लाला ने कराहते हुए नाज़िया से कहा : "अह्ह्ह्हह्हह, तू वहां लेटी क्या कर रही है री....यहाँ आकर कुछ सीख अपनी माँ से....कैसे खुश करते है एक मर्द को....''

नाज़िया भी लाला की बात मानकर उसके सामने आकर बैठ गयी...
और बड़े ही चाव से अपनी माँ को लाला के लंड को चूसते हुए देखने लगी....
उसे तो अब ये एहसास हो रहा था की उसने स्कूल मिस किया ही नही है,
स्कूल में तो मेडम हिन्दी या इंग्लीश ही सिखाती , पर यहाँ जो सीखने को मिल रहा है वो पूरी जिंदगी काम आने वाला था...

वो अपनी माँ के जादुई होंठो का कमाल देखकर सच में कुछ नया सीख चुकी थी,
जो वो अगली बार लाला पर ट्राइ करने वाली थी..

कुछ ही देर में लाला का लंड पहले जैसा बड़ा हो गया...

सच मे शबाना की चुसाई में जादू था...

लाला ने अपने गीले लॅंड को पकड़ कर नाज़िया की तरफ लहराया और बोला : "चल...तू भी दिखा, क्या सीखा तूने अपनी माँ से....''

एक पल के लिए तो शबाना की झाँटे सुलग गयी....
उसी के सामने लाला किस बेशर्मी से उसकी बेटी से लंड चूसने को कह रहा है...

पर इस बात से बेटी को कोई फ़र्क नही पड़ रहा था, वो तो चहकति चिड़िया की तरह उछल कर लाला के सामने जा कर बैठ गयी और उसके लार से भीगे लंड को मुँह में लेकर उनके सुपाडे को चूसने लगी...

वो ठीक वैसे ही चूसने का प्रयास कर रही थी जैसा उसकी माँ ने चूसा था कुछ देर पहले....

धीरे -2 और दांतो का हल्का प्रयोग करते हुए...उस मोठे लंड को अंदर निगलने लगी

लाला ने भी सिसकारी मारते हुए उसकी तारीफ में 4 शब्द कह ही डाले...

''ओह भेंन चोद ..., मज़ा आ गया ...''

लंड तो लाला का पहले से ही कड़क था,
इसलिए चूत में घुसने में उसे अब कोई दिक्कत नही होने वाली थी...

शबाना अपनी चूत मसलती हुई लाला के लंड को अंदर लेने की तैयारी कर रही थी
पर हुआ उसके बिल्कुल विपरीत ही...

लाला ने हल्की फुल्की नाज़िया को उठा कर बोरी पर पटका और उसकी जांघे फेला कर अपना रामलाल उसकी चूत के अंदर पेल दिया..

''आआआआआआआआआआआआआहह उम्म्म्मममममममममममममम..... लालाजी........ सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स .... मजाआाआआ आआआआआआआआआ गय्ाआआआआआ''

आता भी क्यो नही भला....

उसे तो उम्मीद भी नही थी की उसकी माँ के होते हुए लाला का लंड एक बार फिर से उसकी चूत में जाएगा...
और वैसे भी जवान चूत को तो जितनी बार लंड मिल जाए, उसके लिए उतना कम है...

वहीँ दूसरी तरफ शबाना जो पहले से किलस रही थी, उसका चेहरा देखने लायक था....
वो भी सोच रही थी की लाला उसे चोदने के लिए अंदर लाया है या उसे अपनी बेटी की चुदाई दिखाने के लिए...
उसे लाला पर इतना गुस्सा आ रहा था की मन तो उसका कर रहा था की उसके लंड को मुँह में लेकर ज़ोर से काट डाले...
और अपनी बेटी की नंगी गांड पर भी जी भरकर डंडे बरसाए
क्योंकि उसके हिस्से की चुदाई पर उसने सरेआम डाका जो डाल दिया था...

और दूसरी तरफ नाज़िआ किसी रंडी की तरह अपनी टाँगे फैला कर लाला के लंड का मजा ले रही थी

पर लाला जानता था की उसे क्या करना है..
कुछ देर तक नाज़िया की चूत में लंड पेलने के बाद उसने लंड निकाल लिया और शबाना को देखकर बोला : "चल आजा अब तू....तेरी चूत में भी देखु कितनी गर्मी है आज...''

लाला की ये बात सुनकर शबाना का चेहरा खिल उठा...
वरना बेचारी की चूत से पानी टपकना तो उसी वक़्त बंद हो चुका था जब लाला ने उसके बदले नाज़िया की चूत में लंड डाला था...

उसके मुँह से निकला लंड उसकी बेटी की चूत में गया था और अब उसकी बेटी की चूत से निकला लंड उसके अंदर जाएगा..

पर लाला ने यहाँ भी ट्विस्ट दे दिया....

नाज़िया को उसने उस बोरी से उठने नही दिया,
उपर से उसकी माँ को घोड़ी बना कर उसी के उपर लिटा दिया...
अब दोनो माँ बेटियां एक दूसरे से नंगी चिपकी पड़ी थी और लाला ने पीछे से शबाना की टांगे फेला कर अपना लंड उसकी चूत में पीछे से डाल दिया...

बेचारी घोड़ी की तरह हिनहीना उठी जब लाला का घोड़े जैसा लंड उसकी बुर में गया...

''आआआआआआआआआआआअहह उम्म्म्मममममममममममममम..... लालाजी........ हर बार जब भी ये अंदर जाता है, एक अलग ही एहसास होता है.....अहह....... पेलो ज़ोर से लालाजी..... फाड़ दो मेरी बुर को आअज....... अहह''

लाला ने उस घोड़ी बनी शबाना की चोटियां पकड़ कर जोरों से उसे चोदना शुरू कर दिया....
लाला के हर झटके से उसका भरा हुआ शरीर नाज़िया के नंगे जिस्म से रगड़ खाकर उसे और भी ज़्यादा उत्तेजित कर रहा था....
नाज़िया से जब सहन नही हुआ तो उसने अपनी माँ के झूल रहे मुम्मो को पकड़ कर चूसना शुरू कर दिया...
एक बार फिर से बचपन का एहसास हुआ उसे जब वो इसी तरह अपनी माँ का दूध पिया करती थी...
पर अब दूध तो नही बल्कि उन निप्पलों में से एक अलग ही तरह की मिठास निकल रही थी,
जिसे पीकर उसे सच में बड़ा मज़ा आ रहा था...
नीचे से उसकी चूत वाले हिस्से पर माँ की चूत का दबाव भी पड़ रहा था, जिसके अंदर लाला का लंड घुसकर कोहराम मचा रहा था....नाज़िआ भी खिसककर अपनी अम्मी की चूत तक पहुँच चुकी थी, और अपने रसीले होंठों से वो उनकी उस लंड खाती चूत को चूसने लगी

अपनी चूत पर अम्मी की चूत का दबाव और उसके अंदर लाला के लंड की चुभन पाकर वो भी जोरों से चिपक कर अपनी माँ के साथ-2 चीखें मारने लगी..

''आअहहह अम्म्म्मी........ मज़ा आ गया...... उफफफफफफफफफफफफफ्फ़........ क्या मीठास है तुम्हारे मुम्मो में अम्मी.....मज़ा आ गया.....अहह...... चोदो लाला....मेरी अम्मी को जोरों से चोदो ..... बुझा दो इनकी चूत की सारी प्यास लाला...... ज़ोर से पेलो इनको......''

और लाला भी चने खाए घोड़े की तरह , फुफ्काररता हुआ उनके उपर चड़कर दोनो माँ बेटियों को मज़ा देता हुआ दौड़ता चला जा रहा था...

और अंत में दोनो की चीखों और माहौल की गर्मी ने उसके लंड को 2 घंटे में दूसरी बार झड़ने पर मजबूर कर दिया....

वो ज़ोर-2 से चीखे मारता हुआ अपने लंड का पानी शबाना की बुर में उड़ेलता हुआ झड़ने लगा

''आआआआआआआआआआअहह मादरचोदनियों ........ साली कुतियों ....... ले..... ले मेरे लंड का पानी.....बुझा ले अपनी प्यास......अहह.....''

और पूरा पानी अंदर उड़ेलने के बाद उसने शबाना की गांड को पकड़ कर ज़ोर से दबा दिया ताकि बाहर निकलते हुए लंड की आख़िरी बूँद भी अंदर ही रह जाए....

और फिर अपनी चारपाई पर गिरकर जोरों से हाफने लगा...

शबाना तो वही ज़मीन पर ही गिर पड़ी,
उसकी टाँगो में तो जान ही नही रह गयी थी झड़ने के बाद
और लाला से चुदाई करवाने के बाद...

नाज़िया झट्ट से खिसककर अपनी अम्मी की टाँगो के बीच पहुँच गयी और गली की कुतिया की तरह चूत के पानी को पीकर अपनी प्यास बुझाने लगी...

लाला अपने हरामीपन पर मुस्कुराए जा रहा था...

पर उसे नही पता था की उसकी हँसी थोड़ी ही देर में एक बड़ी परेशानी में बदलने वाली है,
क्योंकि पिंकी और निशि अपने स्कूल से निकल चुकी थी...
लाला की दुकान की तरफ.
 
और पूरा पानी अंदर उड़ेलने के बाद उसने शबाना की गांड को पकड़ कर ज़ोर से दबा दिया ताकि बाहर निकलते हुए लंड की आख़िरी बूँद भी अंदर ही रह जाए....और फिर अपनी चारपाई पर गिरकर जोरों से हाफने लगा...शबाना तो वही ज़मीन पर ही गिर पड़ी, उसकी टाँगो में तो जान ही नही रह गयी थी झड़ने के बाद और लाला से चुदाई करवाने के बाद...

नाज़िया झट्ट से खिसककर अपनी अम्मी की टाँगो के बीच पहुँच गयी और गली की कुतिया की तरह चूत के पानी को पीकर अपनी प्यास बुझाने लगी...लाला अपने हरामीपन पर मुस्कुराए जा रहा था...पर उसे नही पता था की उसकी हँसी थोड़ी ही देर में एक बड़ी परेशानी में बदलने वाली है, क्योंकि पिंकी और निशि अपने स्कूल से निकल चुकी थी...लाला की दुकान की तरफ.

***********
अब आगे
***********

''लाला....ओ लाला........कहाँ हो ??''

पिंकी की मधुर आवाज़ सुनकर लाला के तन बदन में सुफूर्ती सी आ गयी...

लाला के शटर को हॉफ डाउन देखकर वो दोनो पहले ही समझ चुकी थी की लाला अंदर गोडाउन में ज़रूर किसी ना किसी की चुदाई कर रहा होगा...
पर अंदर जाने का रिस्क वो लेना नही चाहती थी,
हो सकता है की कोई जान पहचान वाली हो अंदर..
या उन दोनो में से किसी की माँ अंदर चुद रही हो...

लाला ने जल्दी से अपने कपड़े पहने और उन दोनो को हिदायत देता हुआ बाहर निकल गया की 'खबरदार , अगर तुम दोनो में से किसी ने भी कपड़े पहने तो...मैं बस अभी आया...'

शायद लाला या यूँ कहलो की रामलाल का दिल अभी भरा नही था.

शटर उठाते ही लाला के चेहरे पर वही हरामीपन से भरी मुस्कान आ गयी

''अर्रे...पिंकी....निशि ...तुम दोनो...आज स्कूल से आते ही लाला की याद आ गयी...''

इसका जवाब निशि ने दिया...
क्योंकि लाला से मिलने की असली तड़प तो वही अपने शब्दो में बयान कर सकती थी..

''याद तो तुम्हारी आएगी ही लाला....जब से तुमने वो मज़े दिए है, उन पलों को महसूस करके, उन्हे याद करके और पिंकी के साथ उन पलों को बाँटने के बाद तो मुझे चैन ही नही है...मन तो कर रहा था की आज स्कूल ही ना जाऊं और सुबह से रात तक तुम्हारे गोडाउन में ही पड़ी रहूं ....''

लाला उसकी चापलूसी से भरी बाते सुनकर हंस दिया...
वहीं दूसरी तरफ पिंकी ने बुरा सा मुँह बनाते हुए उसे घूर कर देखा, और मन में बोली 'साली , मेरे बारे में बात करने आई थी या अपनी चूत की आग बुझवाने...'

उसकी आँखो का इशारा समझ कर निशि ने जल्दी से बात बदली और बोली : "लाला, आप तो जानते हो की हम सहेलियों ने हमेशा एक साथ ही सब मज़े लिए है.., जब से आपने मुझे जवानी के वो मज़े दिए है, तब से पिंकी भी....''

उसने बात अधूरी छोड़ दी,
यानी वो कहना चाह रही थी की जब से लाला ने निशि की चुदाई की है तब से पिंकी की चूत भी गर्म हुई पड़ी है, उसे भी अब लाला के रामलाल का स्वाद लेना है..

लाला ने शरमाती, इठलाती पिंकी को देखा, जिसका गोरा रंग लाल सुर्ख हुआ पड़ा था,
जैसे पूरे शरीर का खून उसके चेहरे पर उतर आया हो....
उसके सैक्सी चेहरे को देखकर लाला का मन तो किया की अभी के अभी अंदर लेजाकर उसकी इच्छा पूरी कर दे,
पर बेचारा अपनी उम्र के हाथों मजबूर था....
इस उम्र मे उसने एक साथ 2 को चोद लिया, यही उसके लिए बहुत था,
आज की चुदाई का कोटा उसने पूरा कर लिया था.

लाला : "वैसे सच कहूं, मुझे आज तक पूरे गाँव में पिंकी से ज़्यादा रसीली लड़की दिखी ही नही, उपर -2 से तो बहुत हो चुका, अब मेरा भी मन अंदर तक जाने को है इसके...''

लाला की बात का इशारा समझकर पिंकी की चूत में एक जोरदार कसक उठी...
और वो तड़पति हुई आवाज़ में बोली : "तो देर किस बात की है लाला....चल ना अंदर....अब मुझसे भी रहा नही जाता....जो कहेगा, वैसा ही करूँगी, जितना भी दर्द हुआ, सब सह लूँगी पर आज मुझे चोद दे बस....''

बेचारी की हालत देखकर लाला को भी तरस आ रहा था...

वो बोला : "हाय मेरी जान, तेरी इस बात को सुनकर तो मुझसे भी रुका नही जा रहा...पर आज के लिए ये मुमकिन नही है....''

पिंकी समझ गयी की लाला पहले से ही किसी की चुदाई में लगा हुआ था अंदर...
इसलिए उसका शटर भी डाउन था और उसे देखने के बावजूद आज रामलाल भी धोती में दिखाई नही दे रहा था...
शायद सुस्ता रहा था अंदर.

मन तो बहुत कर रहा था उसका की एक बार अंदर चली ही जाए और देखे की इस बार उसकी चुदाई पर किसने डाका मारा है...
पर पता नही क्या सोचकर वो गयी नही.

वैसे भी लाला की बात सुनकर उसका चेहरा उतर चुका था...
चूत की चिकनाई अपने आप सूख कर गायब हो चुकी थी और उसके निप्पल भी वापिस अंदर चले गये थे...

लाला ने उसके उदास चेहरे को देखा और बोला : "अररी, उदास ना हो पिंकी, आज नही हो पाएगी चुदाई तो कल सही...और मेरा वादा है तुझसे, लाला अपनी पूरी जान लगा देगा तुझे चोदने में और तू भी कहेगी की चुदाई हो तो ऐसी...पूरी जिंदगी तू लाला की इस चुदाई को याद करती रहेगी...''

भले ही लाला ने आज उसे लंड से खुशी नही दी थी पर मन से भरपूर खुशी दे डाली थी उसने...
लाला की बात सुनकर उसका चेहरा फिर से खिल उठा..
 
वो बोली : "और लाला, मेरा भी वादा है, तूने आज तक पूरे गाँव में जितनी भी औरतों और लौंडियों की चुदाई की है, उनको एक तरफ रख दियो और मैं जो मज़े दूँगी, वो दूसरी तरफ रख लियो...देखना , मेरे दिए मज़े ही सबपर भारी पड़ने वाले है...ये मेरा वादा है तुझसे और तेरे इस रामलाल से...''

रामलाल भी अपना नाम सुनकर उठने की कोशिश करने लगा पर उठ ना पाया...
आज लाला ने माँ बेटी की चूत में उसे बेलन की तरह घुसा कर रगड़ डाला था...
थोड़ा टाइम लगने वाला था उसे भी अपनी अकड़ को दोबारा हासिल करने में..

लाला से कल मिलने का वादा करके दोनो परियां उछलती कूदती अपने घर की तरफ चल दी और लाला एक बार फिर से अपने गोडाउन की तरफ..

अंदर पहुँचने पर उसने देखा की उसके कहे अनुसार दोनो माँ बेटियाँ अभी तक नंगी ही पड़ी है....
उन्हे भी पता था की लाला की बात ना मानने का असर उनकी अगली चुदाई पर पड़ सकता है,
और लाला के लंड का लालच उनके अंदर तक बस चुका था, इसलिए वो उसकी बात को ना मानने की गलती नहीं कर सकती थी.

लाला के अंदर आते ही नाज़िया उठकर लाला के करीब आई उनकी धोती और कुर्ता निकाल कर उन्हे पकड़कर चारपाई पर लिटा दिया और खुद नंगी उनके उपर लेट गयी...

उसकी देखा देखी, शबाना भी उठकर आई और लाला की बगल में लेटकर अपने नंगे बदन को लाला से घिसने लगी..

वैसे तो दोनो को ही पता था की अब और चुदाई करना लाला के बस की बात नही है पर अपने हुस्न और योवन का मज़ा वो लाला को पूरे दिन देना चाहती थी ताकि अपने हिस्से की छाप वो उसपर अच्छे से छोड़ सके...

लाला को भी भला क्या दिक्कत होनी थी...
ऐसे रसीले बदन की मालकिन अगल बगल लेटकर जब मज़ा दे तो भला किसे शिकायत होने वाली थी..

यहाँ तो लाला का आज का दिन भी मस्ती मे गुजर चुका था
और अगले दिन की मिठाई का भी इंतज़ाम हो चुका था,
वहीं दूसरी तरफ नंदू के लंड को चैन नही था...

होता भी कैसे, दीवाना था वो अपनी माँ का...
भले ही अभी के लिए उसे अपनी बहन की कुँवारी चूत मिल चुकी थी पर उसकी असली प्यास तो तभी बुझने वाली थी जब उसे अपनी माँ की चूत चखने को मिले...

इसलिए निशि के स्कूल जाने के बाद से ही वो 'मिशन - माँ की चुदाई ' पर जुट गया...

निशि बीच में ना आती तो शायद अब तक वो अपनी माँ को चोद भी चुका होता,
क्योंकि उसे खेतो में बनी बावड़ि पर नंगा नहाते देखने के बाद और रात को सोते हुए अपनी माँ की तरफ से मिलने वाले संकेतो के बाद तो वो अपनी तरफ से भी और आगे बढ़ चुका होता अगर निशि बीच में ना आती...
और वो भी कच्ची जवानी के चक्कर में अपनी माँ के रसीले बदन को भूलकर उस तरफ बढ़ता चला गया...
पर अब वो अपनी इस ग़लती को सुधार लेना चाहता था और किसी भी कीमत पर अपनी माँ की चूत में अपने लंड का डंका बजा लेना चाहता था..

नंदू की माँ गोरी तो लाला के लंड को लेने के बाद अपने आस पास की दूसरी संभावनाओ को सोचकर अपनी चूत को मज़े देने के प्लान बना रही थी....
इतने सालो बाद उसकी चूत ने चुदाई का स्वाद चखा था, अब वो एक बार शुरू होने के बाद इस सिलसिले को ख़त्म नही करना चाहती थी...
और लाला के अलावा तो उसके जहन में सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने बेटे का ही ख्याल आ रहा था...
जानती तो वो थी ही की उसके भरे हुए शरीर को देखकर वो कैसे ललचाई हुई नज़रों से देखता है, उसका लंड कैसे हर समय खड़ा ही रहता है, पर अभी तक तो वो उसे उसकी जवानी में होने वाली हरकत समझकर ही नरंदाज करती आ रही थी...
पर अब वो सब नरंदाज करने लायक नही था, उन सबसे तो उसे मज़ा लेना था...
और कैसे लेना था ये उस जैसी चुदक्कड़ को किसी से पूछने की ज़रूरत नही थी..

इस तरह से देखा जाए तो पार्टियाँ दोनो तरफ की तैयार थी...
नंदू अपनी तरफ से और उसकी माँ अपनी तरफ से...
दोनो अपने -2 मन में योजना बनाने में लगे थे की कैसे किया जाए...

काश दोनो एक दूसरे के दिल की बात जान पाते तो ऐसी योजनाए बनाने में अपना दिमाग़ खर्च नहीं करना पड़ता ...
सीधा चुदाई ही शुरू हो जानी थी दोनो के बीच.

पर जो मज़ा इस तरह से धीरे-2 बढ़ने में है वो एकदम से भागने में नही...
और वही मज़ा अब दोनो को मिलने वाला था.

घर के सारे काम निपटा कर माँ और बेटा खेतों की तरफ चल दिए...

आज तो गोरी खुद ही , और वो भी जान बूझकर , साइकिल के आगे वाले डंडे पर जा बैठी थी...
लाला के लंड को अपनी चूत में लेने के बाद उसकी चूत एक प्यासी पिशाचिनी का रूप ले चुकी थी, जो अपने आस पास वाले हर लंड को निगल लेना चाहती थी...

अभी तो उसके मन में अपने बेटे नंदू का ही ख्याल था, पर उसने अपनी उम्मीदों का घेरा बढ़ाया तो उसकी चूत से जो रंग बिरंगी आवाज़ें निकली उसमें पड़ोस वाले रामप्रसाद, सामने के घर में रहने वाला नंदू का दोस्त विषंबर और उनके खेतों में कभी कभार काम में हाथ बंटाने के लिए देहाड़ी वाला मजदूर नदीम भी शामिल था...
और भी बहुत से लोग थे और इतने लोगो के लंड लेने की कल्पना मात्र से ही उसकी चूत के बाल गीले हो रहे थे...
 
खैर, उसकी तंद्रा तब टूटी जब उसे अपने कुल्हों पर नंदू के घुटनो के ठुड्डे पड़ते हुए महसूस हुए ,
गोरी का पूरा शरीर झनझना उठा उस स्पर्श से...
काश वो उसकी चूत को भी अपने लंड से इसी तरह से कूट डाले...
उसका इतना सोचना था की गोरी के मन में गंदी-2 बातों का सैलाब सा उमड़ पड़ा...

'उफ़फ्फ़....कैसा होगा मेरे बेटे का लंड ..इसके हष्ट पुष्ट शरीर के हिसाब से तो मोटा ही होना चाहिए...क्या लाला से भी बड़ा होगा...नही नही..लाला से बड़ा होता तो लाला की तरह उसके बेटे की भी चर्चा होती पूरे गाँव में ...हर लड़की और औरत उसके बेटे के लंड से भी चुदती .. पर कोई और क्यों चुदे उसके बेटे से...उसपर पहला हक़ तो उसका है ना...अपने बेटे के लंड को सिर्फ़ वही लेगी, किसी और को नही लेने देगी...'

और ये सब सोचते-2 उसने निश्चय कर लिया की आज कुछ भी हो जाए, वो उसके लंड को लेकर ही रहेगी...ले ना पाई तो कम से कम उसे देख ज़रूर लेगी...

और ऐसा सोचने के बाद उसके दिमाग़ में योजनाए बननी शुरू हो गयी...

पर वो नही जानती थी की मर्दों का ठरकी दिमाग़ इन मामलो में औरत से ज़्यादा चलता है,
जो इस वक़्त नंदू का चल रहा था, अपनी माँ को चोदने के बारे में सोचकर और उसके नर्म कुल्हो को महसूस करके..

जल्द ही अपनी-2 योजना बनाकर वो खेतो में पहुँच गये...

खेतों में काम करने के लिए गोरी ने एक अलग ही साड़ी और ब्लाउस वहां रखा हुआ था , साड़ी थोड़ी पुरानी थी, ताकि काम करते हुए हर बार कपड़े गंदे ना हो...
इसलिए खेतों में जाते ही वो सबसे पहले वो ट्यूबवेल वाले कमरे में जाकर अपनी साड़ी बदलती थी और शाम को नहा धोकर वापिस फिर से अपनी सुबह पहन कर आई साड़ी में घर आ जाती थी.

और ये बात नंदू अच्छे से जानता था...
इसलिए जैसे ही गोरी उस कमरे में गयी, नंदू भी भागकर पीछे की तरफ आ गया, जहाँ सरकंडों की दीवार में उसने अंदर देखने वाला एक छेद बनाया हुआ था...
वो तो सिर्फ़ अपनी माँ का सुडोल बदन देखने की चाहत में आया था जो उसे पेटीकोत और ब्लाउज़ में दिखना था,
पर बेचारा ये नही जानता था की आज उसे सुबह - 2 ही अपनी माँ के नंगे जिस्म के दर्शन हो जाएँगे...

कमरे में जाते ही गोरी ने बड़ी ही बेबाकी से अपनी साड़ी उतारी और फिर ब्लाउज़ भी खोकर निकाल दिया...
फिर उसने अपनी ब्रा भी उतार फेंकी...
अब वो सिर्फ़ अपने पेटीकोट में खड़ी थी,
अपनी माँ के तने हुए मुम्मे देखकर नंदू का तो दिमाग़ ही चलना बंद सा हो गया...

पर वो हैरान हो रहा था की आख़िर वो करना क्या चाहती है...
क्योंकि ये नहाने का समय तो है नही,
अभी कुछ देर पहले ही तो वो नहा धोकर घर से आई है...

पर ज़ाल्द ही उसे अपने सवालो का जवाब मिल गया...
उसकी माँ ने अपने पूरे शरीर को अपने कोमल हाथो से सहलाया, अपने निप्पल्स को उमेठा और फिर मंद-2 मुस्कुराते हुए ब्रा को छोड़कर सीधा ब्लाउज़ पहन लिया...
और वो बाहर खड़ा होकर सॉफ देख पा रहा था की बिना ब्रा के उन मुम्मो को ब्लाउज़ में धकेलने में कितनी मुशक्कत करनी पर रही है उसकी माँ को...
पर वो उन कबूतरों को उस कबूतरखाने में बंद करके ही मानी...
और उसके बाद जब सामने के सारे हुक्स बंद किए तो बीच-2 में से नंदू को अपनी माँ के जिस्म का नंगा माँस सॉफ दिखाई दे रहा था...
और दोनो तरफ थे एकदम कड़क होकर खड़े हुए निप्पल्स....

फिर उसने अपनी काम वाली साड़ी उठाई और उसे पहनने लगी...
नंदू भी जल्दी से वहां से निकलकर खेतों के बीचो बीच पहुँच गया ताकि उसकी माँ को उसपर कोई शक ना हो...
कुछ ही देर में उसे उसकी माँ अपनी तरफ आती दिखाई दे गयी...
जान तो वो चुका ही था की इस वक़्त उसकी माँ ने बिना ब्रा के ब्लाउज़ पहना हुआ है, पर ना भी जानता तो उन्हे दूर से ऐसे चलकर आते देखकर खुद ही जान चुका होता की ब्लाउज़ के अंदर कुछ भी नही है...
क्योंकि इतने बड़े-2 मुम्मो को ढीला छोड़ने के बाद उनकी फेलावट देखते ही बनती थी, लचक वो रहे थे सो अलग.

नंदू समझ गया की जैसे उसके दिमाग़ में अपनी माँ को चोदने के लिए प्लानिंग चल रही है, वैसा ही शायद उसकी माँ के मन में भी है...
पर ये भी तो हो सकता है की गर्मी की वजह से उसकी माँ ने ब्रा निकाली हो...
इसलिए उसने सोच लिया की पहले वो अपनी माँ की हरकतों को नोट करेगा, और उसे ज़रा भी आभास हुआ की उनके मन में चुदासी भरी हुई है, वो तुरंत उन्हे चोद डालेगा आज उसी खेत में.

वहीं दूसरी तरफ, अपनी ब्रा निकालने के बाद गोरी के बदन की आग और भी ज़्यादा भड़क चुकी थी, और वो आग उन मोटे-2 निप्पलो की वजह से दिखाई भी दे रही थी,
अपने योवन को अच्छे से दिखाने के लिए गोरी ने अपनी साड़ी का पल्लू इस तरह से डाला की एक पूरा मुम्मा सामने की तरफ सॉफ दिखाई देने लग गया और उसपर चमक रहा निप्पल भी...

वो नंदू के करीब आई और बोली : "चल नंदू, आज खेतों के चारों तरफ बनी नाली को ठीक करना है..., वरना हर कोने में पानी जाने में मुश्किल आएगी....''

नंदू भी माँ की बात मानकर उनके पीछे-2 चल दिया...
जाते हुए वो उनकी पीछे की तरफ निकली हुई गांड देखकर अपने लंड को मसल रहा था...
गोरी भी जानती थी की वो क्या कर रहा होगा, और वो चाहती तो झटके से पलटकर उसे लंड मसलते हुए रंगे हाथो पकड़ लेती ।
पर आज के दिन वो अपने बेटे को शर्मिंदा नही करना चाहती थी...
अलबत्ता उसे मज़े देने के लिए उसने एकदम से चलते-2 अपनी चाल पर डिस्क ब्रेक लगा डाली और परिणाम स्वरूप पीछे से आ रहा नंदू सीधा खड़े लंड के साथ उसकी गांड से आ टकराया....

उफफफफफफफफफफफ्फ़...
ये कपड़े बीच में ना होते तो वहीं बेंड बज जाना था...
वो कड़क लंड सीधा अंदर घुस जाना था उस रसीली चूत के..

हड़बड़ाते हुए नंदू थोड़ा पीछे हुआ और बोला : "क...क्या हुआ माँ ....ऐसे रुक क्यों गयी अचानक ...''

गोरी ने नीचे की तरफ इशारा करते हुए कहा : "ये नाली तो यहाँ से भी टूटी हुई है, पहले इसे ही ठीक कर लेते है...''

इतना कहते हुए वो अपनी साड़ी को घुटनो तक मोड़कर नीचे बैठ गयी...
वहां मिट्टी की नाली टूटने से पानी एक जगह जमा हो गया था, कीचड़ सा हुआ पड़ा था वहां
पर गोरी को इन सबकी आदत थी,
वो काम करते हुए ये नही देखती थी की कीचड़ है या गोबर...
बस कूद पड़ती थी...
कपड़ो की माँ चाहे चुद जाए, वो काम करके ही मानती थी...

अभी भी यही हो रहा था....
बैठ तो वो गयी थी वहां,
पर मिट्टी वाला पानी इतना था की उसकी गांड उसमे डूब सी गयी...
नंदू भी अपनी धोती को चड़ा कर सामने आकर बैठ गया और हाथो में पकड़ी खुरपी से वो मिट्टी उठा कर नाली की मरम्मत करने लगा....
काम करते हुए उसकी नज़रें जब सामने अपनी माँ पर गयी तो उसके हाथ वहीं जम कर रह गये...
बिना ब्रा के मुम्मे उसकी आँखो से सिर्फ़ 2 फुट की दूरी पर झूल रहे थे, और उनपर पके हुए बेर दूर से ही चमक रहे थे....
उपर से माँ के कपड़े भी गीले से हो रहे थे, और इधर-उधर हाथ लगने से ब्लाउज़ भी तोड़ा बहुत गीला होने लगा था, एक बार गीला होते ही पतले कपड़े ने पारदर्शिता दिखाई और वो गोरी के जिस्म से चिपक सा गया, अंदर की गोलाइयाँ सॉफ आकार में देखी जा सकती थी अब...

गोरी भी मंद-2 मुस्कुराते हुए अपने जलवे बिखेरने में लगी हुई थी....
वो जान बूझकर उस पानी वाली जगह पर बैठी थी ताकि कपड़े भी गंदे हो और शरीर भी गीला हो..

नीचे से मिल रही ठंडक भी गोरी को कुछ और करने के लिए उकसा रही थी....
और रही सही कसर नंदू ने पूरी कर दी क्योंकि बैठने से उसके लंड का उभार भी सॉफ दिखाई दे रहा था गोरी को...

अब आलम ये था की नंदू की नज़रें अपनी माँ की छाती पर जमी हुई थी और गोरी की नज़रें अपने बेटे के लंड पर... दोनो ही बिना हाथ-पाँव हिलाए उस कीचड़ में बैठे थे और एकटक एक दूसरे के अंगो को निहारे जा रहे थे....

कुछ देर बाद जब दोनो को एहसास हुआ तो अपनी-2 नज़रें चुराते हुए दोनो उठ खड़े हुए और आगे की तरफ चल दिए...

अब तो नंदू समझ चुका था की लोहा गर्म है, हथोड़ा मार देना चाहिए, और उसे पक्का विश्वास था की अब वो अपनी तरफ से कुछ भी पहल करेगा तो उसकी माँ चुद कर ही रहेगी उसके लंड से...

इसलिए एक ताज़ा-2 योजना बनाकर वो एकदम से अपने लंड को पकड़ कर चिल्लाने सा लगा...

उसकी माँ भी हैरान परेशान सी होकर उसे देखने लगी पर तब तक नंदू लंड को पकड़ कर वहीँ खेतों में लोटनियां मारने लगा..

गोरी : "हाय राम ...सब ठीक है ना..... क्या हो गया एकदम से तुझे....''

नंदू : "माँआआअ.......आआहहह...लगता है कोई कीड़ा घुस गया है अंदर.....अहह......काट लिया माँआआआआआआ''

गोरी को लगा की शायद उस कीचड़ में बैठने से कोई कीड़ा उसकी धोती में अटक गया होगा....
तभी बेचारा ऐसे छटपटा रहा है....
और जगह भी तो ऐसी है....
पर वो बेचारी क्या करे...
पर माँ तो माँ ही होती है ना आख़िर...
वो आगे बड़ी और तड़पते हुए नंदू के सिर को अपनी गोद में रखकर उसे शांत करने लगी...
पर फिर भी वो ऐसे छटपटाता रहा जैसे उसकी जान ही निकल जाएगी...
 
उसने काँपते हाथो से अपना हाथ आगे बढ़ाया और उसके हाथ पर रखकर उसे सहलाया....और बोली : "देखने दे मुझे ज़रा....क्या हुआ है...''

नंदू दर्द से बिलबिलाता हुआ बोला : "नही .......माँआआआआआ....आप जाओ यहाँ से...मैं देख लूँगा....''

गोरी : "चुप कर .....तेरी माँ हूँ मैं ....हज़ारो बार तुझे नंगा देख चुकी हूँ ...बड़ा हो गया है तो क्या अब ऐसे शरमाएगा....और कोई ज़हरीला कीड़ा हुआ तो परेशानी बढ़ भी तो सकती है...चल हट...देखने दे मुझे...''

नंदू को थोड़ा बहुत नाटक तो करना ही था, सो वो कर चुका था...
इसलिए अपना हाथ हटा कर उसने अपने आप को माँ के हवाले कर दिया..

गोरी ने उसकी धोती का कपड़ा साइड में किया और अंदर पहने अंडरवीयर को थोड़ा नीचे खिसका दिया...
और अगले ही पल एक मोटा साँप अंदर से निकल कर उसकी आँखो के सामने लहराने लगा...
वो तो जोर से चिल्लाने ही वाली थी की तभी उसे एहसास हुआ की वो साँप नही उसके बेटे का लंड है...

पर उस मोटे लंड को देखकर, जो इस वक़्त मिट्टी से सना हुआ उसकी आँखो के सामने खड़ा था, उसकी आँखे फटने को हो रही थी...
सच में वो लंड लाला के मुक़ाबले का ही था....
या ये कह लो की उससे भी बढ़कर ही होगा,
उम्र का भी तो कोई तक़ाज़ा होता है....
20 साल के लोंडे का लंड और 55 साल के आदमी के लंड में कुछ तो फ़र्क होगा ही...

पर अपनी तंद्रा को तोड़ते हुए वो अपने हाथ को उसके लंड के इर्द गिर्द लगा का उसे टटोलने लगी की कोई कीड़ा तो नही चिपका हुआ उसके लंड पर, या हो सकता है कीचड वाली कोई जोंक हो..
और ऐसा करते हुए उसने अपने हाथ से उसके लंड को पूरा नाप डाला...

उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ क्या कड़कपन था उसमें.....
एकदम मोटे गन्ने जैसा कड़क था....
हाथ नीचे करके उसकी बॉल्स को पकड़ा तो उसमें भरा हुआ वीर्य उसे अपने हाथों पर पिघलता हुआ सा महसूस हुआ....
वो सब कुछ भूलकर उसके लंड को सहलाने लगी.....
उपर से नीचे तक.....

और नंदू भी उस गीली मिट्टी में लेटा हुआ अपनी माँ के मोटे मुम्मो को देखकर अपने लंड को झटके मार रहा था....
आज बरसों बाद उसके मन की इच्छा पूरी हुई थी...
आज उसका लंड माँ के हाथों में था...

अचानक उसकी माँ को एहसास हुआ की वो क्या करने बैठी थी और क्या कर रही है...

उसने अपना चेहरा उपर करके नंदू को देखा जो अब बिना किसी दर्द और परेशानी के ज़मीन पर लेटा हुआ उस स्पर्श के मज़े ले रहा था...

गोरी समझ गयी की उसके बेटे ने उसे उल्लू बनाया है...

पर जो भी था, इस बहाने उन दोनो के बीच की वो शर्म की दीवार तो गिर ही चुकी थी...

और ये एहसास मिलते ही वो मंद-2 मुस्कुराने लगी और उस कड़क लंड को अपनी छाती से लगा कर उसे उस नर्मी का एहसास दिलाते हुए बोली : "अच्छा जी....तो अपनी माँ के साथ मज़ाक किया जा रहा था....यहाँ तो कुछ भी नही है....''

नंदू भी होले से मुस्कुरा दिया...
वो अगर अब भी अपनी बात पर अड़ा रहता तो शायद माँ को आगे बड़ने में थोड़ा और वक़्त लग जाना था...
इसलिए उसने अपनी ग़लती मानते हुए वो बात कबूल ली और बोला : "मैने सोचा की एक बार फिर से बचपन वाली शरारत कर लेनी चाहिए....''

उसकी माँ ने शराबी आवाज़ में कहा : "पर अब तू बच्चा भी तो नही रहा....ये देखा है तूने....पूरे गाँव में शायद सबसे तगड़ा लंड होगा तेरा...''

नंदू ने भी मौके पर चौक्का मारते हुए कहा : "जो भी हूँ , जैसा भी हूँ माँ, बस आपके लिए हूँ ....''

उसका इतना कहना था की भावावेश में बहकर गोरी उसके उपर आकर लेट गयी और उसे बेतहाशा चूमने लगी...

''ओह मेरे लाल....मेरा बच्चा ....पुउउऊच.....उम्म्म्मम.....अपनी माँ का इतना ख़याल है तुझे.... पूचकक्चह....फिर इतने सालो तक मुझे अकेला क्यों रहने दिया....अहह....... कितने सालो की प्यास है मुझमें, पता भी है तुझे ........पहले बोलता तो ऐसे प्यासा तो ना रहना पड़ता मुझे.....पुचचह''

वो बोलती जा रही थी....
उसे बेतहाशा चूमती जा रही थी....
और उसके खड़े हुए लंड को अपनी साड़ी से ढकी चूत पर रगड़ती जा रही थी.....

उस खेत में , कीचड़ में , एक दंगल सा चल रहा था माँ बेटे के बीच.....

नंदू ने भी अपनी माँ के मोटे मुम्मो को पकड़ा और ज़ोर से दबा डाला....
मिट्टी वाले पानी के रूप में उन मुम्मो का रस नीचुड़कर नीचे गिरने लगा....
उपर चेहरा करके उसने भी अपनी माँ के रसीले होंठो का रस पीना शुरू कर दिया,
उन होंठो को निचोड़कर, उन्हे चूस्कर, वो भी अपने बचपन से लेकर अभी तक की सारी प्यास बुझा लेना चाहता था....
साथ ही साथ वो उन भरी हुई छातियों को भी जी भरकर दबा रहा था....

ये दंगल जिस जगह चल रहा था, वो उनके खेत का आख़िरी छोर था, उसके पीछे की तरफ सिर्फ़ घना जंगल था, और दूर -2 तक दूसरे खेतों में भी कोई आदमी काम नही कर रहा था, ज़्यादातर लोग दोपहर बाद ही खेतो में आते थे, इसलिए शायद उन दोनो माँ बेटियों की रासलीला देखने वाला कोई नही था...

नंदू ने उन मोटे मुम्मो को पकड़कर अपने हाथो में भरा और अगले ही पल आवेश में आकर अपनी माँ का ब्लाउज़ ही फाड़ फेंका...
मिट्टी में सने मोटे-2 मुम्मे उसकी आँखो के सामने झूल गये....
वो उन्हे चूस तो नही सकता था,
पर उन्हे अपने चेहरे और जिस्म पर रगड़कर उसने अपनी इच्छा ज़रूर पूरी कर ली.....
उन नर्म मुलायम मुम्मो की मसाज लेकर वो एक अलग ही दुनिया में पहुँच गया.....

उसने हाथ नीचे करके अपनी माँ की साड़ी उपर उठाई और उसे उपर तक खिसका कर उनकी मोटी गांड पर अपने हाथ जमा दिए...

गोरी गहरी साँसे लेते हुए बोली : "आआआआआअहह......नंदू.......यहां नही....अंदर चल....टूबवेल वाले कमरे में ......यहाँ नही....''

पर नंदू पर तो कामदेव सवार थे....
उसने अपनी माँ की कच्छी को पकड़कर एक जोरदार झटका दिया और वो भी तार-2 होकर उनके जिस्म से अलग हो गयी.....
लंड ठीक नीचे था इस वक़्त, नंदू की उत्तेजना का आवेग इतना तेज था की उससे अंदर तक जाने का इंतजार नही हो रहा था, और उसने अपने लंड को ठीक जगह पर जमाकर एक जोरदार झटका देते हुए अपना आठ इंच का लोढ़ा एक ही झटके में अपनी माँ की चूत में उतार दिया.....

''आआआआआआआआआआआआआहह...... मररर्र्र्र्र्र्र्र्ररर गयी रे.................. उम्म्म्ममममममममममममममम.....''

मिट्टी से सना लंड जब रसमलाई से भरी चूत में गया तो आनंद का ऐसा विस्फोट हुआ की उसकी चीख से आस पास के पेड़ो पर बैठे परिंदे भी उड़ गये....

जिस निर्दयता से नंदू ने अपना लंड गोरी की चूत में डाला था उसने गोरी की उत्तेजना को और भी ज़्यादा बड़ा दिया था....
हर औरत की यही इच्छा होती है की उसे प्यार करने वाला उसके जिस्म को ऐसे रोंदे की हर अंग चटक उठे और उस मस्ती में भरकर जब चुदाई होती है तो वो भी चरम सीमा पर पहुँचकर ही दम लेती है...

गोरी की चूत का भी यही हाल हो रहा था इस वक़्त....
दोनो कीचड़ में सने हुए , एक दूसरे के जिस्म को बुरी तरह से रगड़ रहे थे.....
गोरी ने नंदू के हाथों को पकड़ कर अपनी छाती पर रखा और ज़ोर से दबा दिया....
और ज़ोर-2 से चिल्लाते हुए अपनी चूत मरवाने लगी...

''आआआआअहह शाबाश मेरे शेर.....शाबाश.....चोद मुझे......ज़ोर से चोद अपनी माँ को.....अहह...इतना मोटा लंड है मेरे लाल का ....कसम से.....अब तो दिन रात लूँगी इसे.....''

बेचारा नंदू भी सोचने लगा की ये भी यही कह रही है और उसकी बहन निशि ने भी यही कहा है....
उन दोनो को कैसे शांत रख पाएगा वो एक ही बार में ...

पर वो तो बाद की बात थी,
अभी के लिए तो उसे अपनी माँ की चूत का बेंड बजाना था,
जिसकी धुन पर थिरकने का उसे बचपन से शॉंक था और आज वो अपना हर शॉंक पूरा कर लेना चाहता था...

उसने अपनी माँ के जिस्म का आखिरी कपडा यानी वो पुरानी साड़ी भी उतार फेंकी और अपने भी सारे कपडे निकाल कर नंगा हो गया , और फिर अलग-२ एंगल से वो उन्हें चोदने लगा, और उन मोटे मुम्मों को अपने हाथों में लेकर जबरदस्त तरीके से मसलने लगा

''ओह माँआआआआआआ.... सच में ....तेरी इन मोटी छातियों को देखकर कितने सालो से इन्हे दबाने का और चूसने का मन था....अब तो दिन रात चोदूँगा तुम्हे.....चूसूँगा ...और रगडूंगा .....''

अपने बेटे की इस प्यार भरी बात का इतना गहरा असर हुआ उसके जिस्म पर की वो बुरी तरह से थरथराते हुए झड़ने लगी....
ऐसा कंपन हुआ उसके शरीर से जैसे बूँद-2 करके चूत का रस नही बल्कि उसकी जान निकल रही है उसके बदन से...

और अंत में थक हारकर वो अपने बेटे की चौड़ी छाती पर गिरकर जोरों से हाफने लगी....

नंदू अभी झड़ा नही था इसलिए उसने अपने दोनो हाथ अपनी माँ की मोटी गांड पर रखे और अपना ट्रक दौड़ा दिया उसकी चूत के हाईवे पर.....

और जल्द ही उस हाइवे का आख़िरी सिरा आ गया जहाँ उसे अपने ट्रक की अनलोडिंग करनी ही पड़ी....

लंड में भरा सारा वीर्य उसने आख़िरी बूँद तक अपनी माँ के गर्भ में उतार दिया...
उसी गर्भ में जहाँ से वो खुद निकल कर आया था....

और उस लावे को अपने अंदर महसूस करके गोरी को भी एक नये जीवन का एहसास हुआ,
जिसे पाकर वो अपनी बाकी की बची हुई उम्र गुजारने वाली थी...

अपने बेटे से चुदवा कर एक अलग ही नूर आ गया था उसके चेहरे पर , जिस्म भी और ज्यादा खूबसूरत लग रहा था उस गीली मिटटी से सन कर
कुछ देर बाद वो दोनो उठे और अपने -2 कपड़े समेट कर टूयुबवेल वाले कमरे की तरफ चल दिए....
मिट्टी से सने दोनो की हालत देखने लायक थी, आधे अधूरे कपड़े और अर्धनग्न जिस्मो के साथ वो उस कमरे में दाखिल हुए जहाँ एक पानी की होदी में ताज़ा ठंडा पानी लबालब भरा हुआ था....

दोनो ने एक दूसरे की आँखो में देखा और मुस्कुराते हुए दोनो एक साथ पानी में उतर गये....

असली मज़ा तो यहाँ मिलने वाला था.
 
अपने बेटे से चुदवा कर एक अलग ही नूर आ गया था उसके चेहरे पर , जिस्म भी और ज्यादा खूबसूरत लग रहा था उस गीली मिटटी से सन कर

कुछ देर बाद वो दोनो उठे और अपने -2 कपड़े समेट कर टूयुबवेल वाले कमरे की तरफ चल दिए....
मिट्टी से सने दोनो की हालत देखने लायक थी, आधे अधूरे कपड़े और अर्धनग्न जिस्मो के साथ वो उस कमरे में दाखिल हुए जहाँ एक पानी की होदी में ताज़ा ठंडा पानी लबालब भरा हुआ था....दोनो ने एक दूसरे की आँखो में देखा और मुस्कुराते हुए दोनो एक साथ पानी में उतर गये....असली मज़ा तो यहाँ मिलने वाला था.

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अब आगे
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टबवेल वाले कमरे में पहुँचकर नंदू ने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया...
गोरी इस वक़्त पूरी नंगी थी, उसके बदन पर कीचड़ लगा हुआ था जिसने उसके यौवन को ढक रखा था पर अब उसे सॉफ करने का वक़्त आ चुका था...
नंदू ने पानी की एक डब्बा भरकर अपनी माँ के सिर पर डाला और सारी मिट्टी पानी के साथ बहकर नीचे आने लगी और गोरी का गोरा बदन धीरे-2 करके सामने आने लगा.

और कुछ ही देर में गोरी एक बार फिर से अपने नंगे बदन का जलवा बिखेरती हुई अपने बेटे के सामने खड़ी थी...
फ़र्क बस इतना था की इस बार नंदू छुपकर नही बल्कि अपनी माँ के सामने खड़े होकर उन्हे देख रहा था..

एक दम गोरा चिट्टा बदन था उनका...
उन्हे छूने से पहले उसने भी अपने उपर 2-4 डिब्बे डाले और अपना बदन सॉफ कर लिया...
गोरी भी अपने बेटे के काले लंड को देखकर मंत्रमुग्ध सी हो गयी...
चमकने के बाद तो वो और भी ज़्यादा लुभावना लग रहा था...
हालाँकि वो अभी सुस्ता रहा था पर उस अवस्था में भी वो देखने लायक था.

दोनो एक दूसरे के करीब आयर और पागलों की तरह एक दूसरे पर टूट पड़े...
जो चुम्मियाँ वो पहले कीचड़ की वजह से नही ले पाए थे, वो उन्होने ले डाली...
जो चूसना चुभलाना वो बाहर नही कर पाए थे वो अंदर करने लगे...

नंदू ने तो अपनी माँ के रसीले होंठो को चूसने के बाद सबसे पहले उनके मोटे कलश जैसे मुम्मो को पकड़ा और उन्हे अपने मुँह में लेकर निचोड़ डाला...

''आआआआआआआआआआआआहह........सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स..... मररर्र्र्र्र्र्ररर गयी रे........ उम्म्म्ममममममममममममम..... आज बरसों बाद तेरे इन शरारती दांतो का एहसास फिर से मिला है....अहह...बचपन में भी तू इन्हे ऐसे ही काट-काटकर चूसा करता था...''

अपने बचपन की शरारतों का बखान सुनकर नंदू और भी ज़्यादा उत्तेजित होकर अपनी माँ की छातियों को चूसने लगा...

ऐसा लग रहा था जैसे उस सूखे रेगिस्तान से वो दूध की नहर निकालकर ही रहेगा आज...

दोनो मुम्मों को अच्छी तरह से चूसने के बाद उसने अपने आप को लंड समेत अपनी माँ के हवाले कर दिया....
गोरी तो इसी पल की प्रतीक्षा में थी की कब नंदू उसे छोड़े और कब वो उसे पकड़े...
उसे क्या उसके लॅंड को पकड़े.

और जैसे ही नंदू पीछे हटा, वो उसकी चौड़ी छाती चूमती हुई नीचे बैठ गयी और उसके लंड को अपने हाथो से पकड़ कर ऐसे खुश हुई जैसे पहली बार वो नंदू के पैदा होने के बाद उसे पकड़कर खुश हुई थी...
उस वक़्त का नंदू तो उसके दोनो हाथो में नन्हा सा लग रहा था ..
पर आज नंदू का लंड भी उसके हाथ में इतना बड़ा लग रहा था.

कुछ देर तक तो वो उस सुंदर से लंड को निहारती रही और फिर धीरे से अपनी प्यासी जीभ उसपर रखकर उसने लंड से निकल रहे पानी को चाटना शुरू कर दिया...

नंदू की सिसकारियाँ उस कमरे में गूंजने लगी जब उसकी माँ ने लंड के छेद में अपनी जीभ फँसा कर वहां से हो रही लीकेज रोकने की नाकाम कोशिश की....
नंदू से अब रहा नही जा रहा था , उसने अपनी माँ के बालों को किसी रंडी की तरह पकड़ा और अपने लंड को उनके मुँह में ठूसकर जोरों से चोदने लगा...

गोरी ने भी अपनी झूल रही छातियों पर लगे नन्हे निप्पलों को उमेठकर उस लंड का स्वाद लेना शुरू कर दिया,
ऐसा मज़ा तो उसे लाला के अलावा आज तक किसी और ने नही दिया था...
अब तो उसने मान ही लिया की उसका बेटा भी लाला की टक्कर का ही है और ये बात कन्फर्म करने के लिए उसने नंदू के लंड के नीचे लटक रही बॉल्स को भी मुँह में लेकर चूसा, उनका स्वाद भी एकदम झक्कास था...

ऐसे लंड से रोजाना चुदने की कल्पना मात्र से ही उसकी चूत का पानी नीचे की ज़मीन को और गीला करने लगा...

अब तो उससे सब्र नही हो रहा था,
वो जल्द से जल्द उस लंड को एक बार फिर से अपनी चूत में भर लेना चाहती थी...
जैसे बरसों की प्यास वो आज ही बुझा लेना चाहती हो.

उसने तुरंत कोने में पड़ी खाट को बिछाया और उसपर चादर डाल कर लेट गयी....
नंदू को इशारा करके उसने अपनी खुली हुई टाँगो के बीच आने का निमंत्रण दिया जिसके लिए वो पहले से ही तैयार था...

उसने एक बार फिर से अपनी माँ की उस गीली और रसीली चूत पर अपने लंड का ढक्कन फँसाया और उसपर लेटता चला गया....
एक साथ 2 बार चर्र की आवाज़ें आई,
एक खटिया के चरमराने की और एक उसकी माँ के मिमियाने की...

मिमियती भी क्यो नही, इस बार लंड उपर से जो अंदर की तरफ गया था,
एक एक इंच करता हुआ,
चूत की दीवारों की रगड़ाई करता हुआ,
उसे रोंद्ता हुआ वो गुफा के उस कोने तक गया जहाँ आज तक सिर्फ़ लाला के लंड का ही झंडा लहराया था...

''ओह...........मजाआाआआअ आआआआआआआआ गय्ाआआआआआआअ रे नंदू....................उम्म्म्मममममममममममम....... क्या कड़क लंड है रे तेरा.......कसम से........ आज मुझे खुद पर फक्र हो रहा है.... ऐसे दमदार लंड का मालिक मेरा बेटा है.....अहह...और वो बेटा आज मुझे चोद भी रहा है.... उम्म्म्मममममममममममम..... शाबाश मेरे लाल......आज अपनी माँ को दिखा दे.....उसके दूध की ताक़त.....कितना दम है तेरे अंदर.......और ....बु ....बुझा दे...मेरे अंदर की सारी प्यास....जो बरसों से अधूरी सी है.....''

अपनी माँ के इन शब्दों को सुनकर नंदू पर तो जैसे कोई भूत सवार हो गया....
उसने दोनो टाँगो को फेलाकर जितना हो सकता था अपने लंड को अंदर तक धकेला और फिर बाहर खींचा....
और ऐसा उसने हर बार किया....
हर झटके से गोरी की चूत से एक सुरसुराहट निकलकर उसके पूरे शरीर में फैल जाती और उसे अपने ऑर्गॅज़म के और करीब ले जाती...

और जल्द ही एक बार फिर से उन दोनो के झड़ने का मौका करीब आ गया....
और इस बार जब वो दोनो झड़े तो उनके मुँह से अजीब भाषाओं में ऐसे शब्द निकलने शुरू हुए जिनका मतलब समझने के लिए विदेशो से विद्वानों को बुलवाना पड़ता....

''उम्म्म्मममममम.....सस्स्स्स्स्सस्स.......उघहस...........शााआआअ.......तततुउउ....नि.........
लाआाआ.....डीईईईईईईईईईई.......मु......झीईईईईईई....''

शब्द चाहे जो भी थे पर उनका अर्थ एक ही था की इस वक़्त दोनो को मज़ा बहुत आ रहा था...

नंदू ने गोरी की जाँघो को दबोच रखा था और उसे हुमच-2 कर चोद रहा था...
बेटे के लंड की हर टक्कर अपनी चूत पर पड़ने के बाद वो असीम आनंद से बिलबिला उठती और एक बार फिर से अपने एक नये ओर्गास्म की तरफ बढ़ चली वो...

औरतों का शरीर ऐसा बनाया है उपर वाले ने की उन्हे चाहे जीतने भी लंड खिला दो, हर बार उन्हे अलग ही तरह का मज़ा मिलता है....
और यही हो रहा था गोरी के साथ भी...
कुछ देर पहले ही चुदाई करवाकर आई थी वो लंड से और एक बार फिर से उसी लंड को अंदर लेकर ऐसे मचल रही थी जैसे आज की तारीख में पहली बार चुदाई हो रही थी उसकी..

जल्द ही उसकी चूत के दाने से रगड़ खाकर जाते लंड ने उसे झड़ने के और करीब ला दिया....
और वो फिर से एक बार अपने चिर परिचित अंदाज में, चिल्लाते हुए, मचलते हुए, झड़ने लगी..

''आआआआआआआआहह ......मज़ा आआआअ गय्ाआआआआआआअ रे........ उम्म्म्मममममममममममममम......... सच में ........लंड से मजेदार कोई चीज़ नही होती.....''

नंदू अपनी माँ के उपर झुका और उसे चूमते हुए बोला : ''और ख़ासकर तब, जब लंड अपने ही बेटे का हो.....''

गोरी भी मुस्कुराती हुई उसे चूमकर बोली : "सही कहा....''

और दोनो एक गहरी स्मूच में डूबते चले गये....

गोरी तो झड़ चुकी थी पर नंदू अभी बाकी था...
इसलिए अपनी माँ को चूमते हुए वो धीरे-2 अपनी कमर भी मटका रहा था ताकि उसके लंड का कड़कपन बना रहे...

कुछ देर बार उसने किस्स तोड़ी और अपना लंड निकाल कर माँ को घोड़ी बनने को कहा...

गोरी भी मंद-2 मुस्कुराती हुई अपने घुटनो पर ओंधी लेटकर अपनी गांड को हवा में निकाल कर लेट गयी और धीरे से बोली : 'साले मर्द...इन्हे घोड़ी बनाने का सबसे ज़्यादा शॉंक होता है...''

और हो भी क्यो नही....
इस पोज़िशन में लंड भी उनका सीधा अंदर जाता है और मसलने के लिए नर्म कूल्हे भी मिलते है...

बस, नंदू ने अपना पाइप अपनी माँ की चूत में फिट किया और एक बार फिर से एक अनंत और कभी ना ख़त्म होने वाली डगर पर चल दिया...

और करीब 10 मिनट बाद, जब उसके लंड की घिसाई से उसकी माँ की चूत की झाग तक निकल आई, तब आकर वो झड़ा

''आआआआआआआआआआआआहह ओह माआआआआआआआआ... मैं आआआआआआय्ाआआआआअ''

और वो बेचारी तो ये भी नही बोल पाई की आजा मेरे लाल.....
क्योंकि उसकी हालत ही ऐसी हो चुकी थी
अपनी जांघ पर पड़ रहे धक्को को महसूस करके
जैसे कोई मशीन ने उसे अंदर तक चोद कर रख दिया हो.

उसके बाद नंदू निढाल सा होकर अपनी माँ के उपर गिर पड़ा...

दोनो का पसीने से तर-बतर शरीर उन्हे पानी में जाने का न्योता दे रहा था, जिसे उन्होने ठुकराया नही...
और कुछ ही देर में दोनो माँ बेटा उस पानी से भरी होदी में एक दूसरे के साथ अठखेलियां करते हुए अपने जिस्म को तरोताजा करने में लग गये..

अब खेतो में आकर तो उनका ये रोज का नीयम बनने वाला था, परेशानी थी तो बस घर की और निशि की, जिससे बचकर उन्हे अपने इस नये रिश्ते को सही मायनों में एंजाय करना था..

उन्हे निशि की फ़िक्र हो रही थी और निशि को इस वक़्त अपनी परम सखी पिंकी की चुदाई की चिंता थी, जिसे लाला ने अगले दिन करने का वादा किया था....
और उसे लेकर वो इतनी ज़्यादा उत्साहित थी की अपने और नंदू के बारे में भूल ही चुकी थी, क्योंकि एक बार चुदने के बाद पिंकी भी उसके साथ उस खेल में आने वाली थी
और जितना वो पिंकी को जानती थी, उसे पक्का विश्वास था की पिंकी उससे आगे निकलकर कुछ ऐसा करेगी जिससे उसे कुछ और नया सीखने को मिलेगा...

इसलिए उसे और साथ ही पिंकी को अब कल का इंतजार था,
क्योंकि लाला को अब पिंकी की चुदाई करनी थी,
और वो कैसे करेगा,
ये भी देखने वाली बात थी.
 
अब खेतो में आकर तो उनका ये रोज का नीयम बनने वाला था, परेशानी थी तो बस घर की और निशि की, जिससे बचकर उन्हे अपने इस नये रिश्ते को सही मायनों में एंजाय करना था..

उन्हे निशि की फ़िक्र हो रही थी और निशि को इस वक़्त अपनी परम सखी पिंकी की चुदाई की चिंता थी, जिसे लाला ने अगले दिन करने का वादा किया था....और उसे लेकर वो इतनी ज़्यादा उत्साहित थी की अपने और नंदू के बारे में भूल ही चुकी थी, क्योंकि एक बार चुदने के बाद पिंकी भी उसके साथ उस खेल में आने वाली थी, और जितना वो पिंकी को जानती थी, उसे पक्का विश्वास था की पिंकी उससे आगे निकलकर कुछ ऐसा करेगी जिससे उसे कुछ और नया सीखने को मिलेगा...इसलिए उसे और साथ ही पिंकी को अब कल का इंतजार था, क्योंकि लाला को अब पिंकी की चुदाई करनी थी,
और वो कैसे करेगा, ये भी देखने वाली बात थी.

*************
अब आगे
*************

इधर निश्ी और पिंकी वो सब सोच-2 सोचकर पुलकित हुए जा रहे थे की लाला कैसे चुदाई करेगा पिंकी की, और उधर लाला का दिमाग़ भी इसी तरफ लगा हुआ था...

हालाँकि लाला ने पिंकी के नंगे शरीर को अच्छे से चूस्कर, उसकी छूट का रस भी पिया था,
शरीर तो उसका मस्त था ही, उसकी चूत के पानी में भी एक अलग ही तरह की खटास थी, जिसे दोबारा अपनी जीभ पर महसूस करने की कल्पना मात्र से ही लाला का लंड अकड़ कर दर्द करने लगा..

उसके मन में भी तरह-2 के प्लान बने जा रहे थे...
उसे पता तो था की उसका दोस्त रामलाल भी इस कुँवारी चूत को फाड़कर काफ़ी खुश होगा,
पर फिर भी उसकी शक्ति को दुगना करने के लिए उसने सोने से पहले अपने दोस्त की दी हुई उस जादुई पूडिया को भी दूध में डालकर पी लिया जिसके बाद कोई भी लंड पलंगतोड़ चुदाई करता है...
लाला का लंड तो पहले से ही सुपर था, उपर से इस आयुर्वेदिक दवाई ने तो पिंकी की चीखे निकलवा देनी थी..
लाला ने शायद ये पूडिया इसी ख़ास मौके के लिए रखी हुई थी.

इन सबके बीच लाला का दिमाग़ पिंकी को चोदने की जगह को लेकर भी चिंतित था...
क्योंकि वो इस हसीना का शिकार अपने उस अंधेरे और सीलन से भरे गोदाम में नही करना चाहता था...
उसके कमरे में रखा पलंग भी चरमराया हुआ सा था, जिसपर लिटाकर उसने अगर 4 धक्के भी तबीयत से मार दिए तो वो टूटकर गिर पड़ना था..

इसलिए वो किसी ऐसी जगह के बारे में सोचने लगा जहाँ वो पिंकी के शरीर को अच्छे से देखकर एंजाय भी कर पाए और माहौल भी ऐसा हो की एक के बाद दूसरी और तीसरी चुदाई के लिए भी वो खुद ही लाला से कहे...

और करीब 1 घंटे तक सोचते रहने के बाद लाला को अपने आम का बगीचा ही इस कार्यकर्म के लिए सही लगा....
एक तो वो गाँव से बाहर की तरफ था, वहां गाँव के किसी भी व्यक्ति के आने का प्रश्न ही नही था,
उपर से घने पेड़ो की छाव तले , दिन के समय इतना सुहाना मौसम रहता है की सिर्फ़ पत्तो के लहराने और पंछियो के चहचहाने की आवाज़ें ही आती है....
बाग में ही लाला का एक छोटा सा कमरा भी था,जहाँ अक्सर वो आम की फसल के दिनों में सो जाय करता था...
और उसके साथ ही एक बड़ा सा गद्दा खोदकर पानी भरकर एक तालाब भी बना रखा था लाला ने, जहाँ वो अक्सर नहा भी लिया करता था....
एक तरह से देखा जाए तो पिंकी की चुदाई के लिए वो सबसे उपयुक्त स्थान था.

ये सब योजना बनाते-2 कब उसकी आँख लग गयी, उसे भी पता नही चला..

उधर निशि भी रात को जब घर पहुंची तो वो पिंकी की चुदाई के बारे में सोचकर इतनी उत्साहित थी की वो सीधा अपने कमरे में जाकर सो गयी...
आज की रात उसे अपने भाई नंदू की भी ज़रूरत महसूस नही हुई, शायद अगले दिन लाला और पिंकी की चुदाई के बाद वो अपना भी कुछ भला देख रही थी ...
वैसे भी अच्छा ही हुआ क्योंकि नंदू भी आज खेतो में अपनी माँ को पेलने के बाद घोड़े बेचकर सो रहा था...

अगला दिन सबके लिए बहुत ख़ास था...
लाला को नयी चूत मिलने वाली थी,
रामलाल भी ताज़ा खून चखने वाला था...
निशि भी अपनी दोस्त के लिए काफ़ी खुश थी की अब वो भी उसी की केटेगरी में आकर चुदाई करवाया करेगी....
और सबसे ज़्यादा पिंकी खुश थी...
क्योंकि आज वो कली से फूल बनने वाली थी, आज तक उसने सिर्फ़ इस कहावत के बारे में सुना ही था, पर आज जब खुद पर वो बीतने वाली थी तो उसे एहसास हो रहा था की ये पल कितना ख़ास है..

पिंकी सुबह जल्दी उठकर अपने आपको संवारने के काम में लग गयी....
सबसे पहले तो बाथरूम में जाकर उसने सारे अनचाहे बाल निकाले,
फिर साबुन से रगड़ -2 कर खूब नहाई...

चूत के अंदर उंगली डालकर अंदर से उसे भी खंगाला ताकि लाला को कोई शिकायत का मौका ना मिले..

और जब नहा धोकर वो नंगी ही बाहर निकली तो उसकी माँ उसे देखकर चिल्लाई

''अररी बेशरम, अब तू जवान हो गयी है, कुछ तो शरम किया कर, ऐसे नंग धड़ंग ही बाहर निकल आई है..''

पिंकी : "अर्रे माँ , ये जवानी होती ही दिखाने के लिए है, इसे छुपाकर रखूँगी तो मेरा उद्धार कैसे होगा...''

अपनी बेटी की बाते सुनकर वो मुस्कुरा दी...
वैसे भी जब से लाला ने उसे पिंकी के सामने चोदा था, तब से सीमा को अपनी बेटी की ऐसी बातों पर गुस्सा नहीं आता था, बल्कि सैक्स से जुड़ी ऐसी हर बात रोमांचित कर जाती थी...

जानती तो वो थी की अभी अक पिंकी कुँवारी है, पर उसके रंग ढंग देखकर उसे पक्का यकीन था की अब वो कुँवारापन ज़्यादा दिनों तक सुरक्षित रहेगा नही...

वैसे भी उसकी उम्र तक तो वो खुद 2 लोगो से चुदवा चुकी थी, पता नही पिंकी अभी तक कैसे कुँवारी घूम रही है...

खैर, वो उसकी बातो में ज़्यादा दखल नही देना चाहती थी इसलिए उसे तैयार होता छोड़कर वो अपने काम में लग गयी..

पिंकी ने अपनी मनपसंद ब्रा पेंटी का सेट पहना जिसमें वो बहुत सैक्सी लगती थी, पर बेचारी ये नही जानती थी की लाला के सामने पहुँचकर उसके कैसे सीथड़े उड़ने वाले है...
उपर से उसने एक लंबी सी फ्रॉक पहन ली और बाल बनाकर वो निशि के घर की तरफ चल दी...
निशि पहले से ही उसका इंतजार कर रही थी, उसका भाई और माँ तो सुबह ही खेतो की तरफ जा चुके थे, इसलिए दोनो जल्दी से लाला की दुकान पर पहुँच गये...

पर वहां जाकर देखा की लाला की दुकान तो बंद है...
पिंकी का तो दिल ही बैठ गया ये देखकर, उसे अपनी चुदाई के कार्यकर्म पर पानी फिरता हुआ महसूस हुआ...
पर तभी लाला अपने घर से बाहर निकलता हुआ दिखाई दिया,
उसे शायद उनके आने का एहसास हो चुका था, लाला उनके करीब आया और धीरे से बोला :"तुम दोनो गाँव से बाहर जाने वाले रास्ते में मिलो मुझे, मैं भी कुछ देर में वहीँ पहुँचता हूँ ...''

ये सुनकर पिंकी को राहत की साँस आई, यानी उसका चुदाई का कार्यकर्म तो पक्का ही था, शायद जगह चेंज होने जा रही थी...

लाला अपनी बुलेट पर बैठकर वहां से निकल गया और उसके पीछे-2 वो दोनो भी रिक्शा पकड़कर गाँव के बाहर पहुँच गयी, जहाँ लाला पहले से ही उनका इंतजार कर रहा था...

दोनो लगभग चहकति हुई सी लाला के पास पहुँची,
लाला ने उन्हे बाइक पर बैठने के लिए कहा तो पिंकी उछलकर पहले बैठ गयी, और लाला को पीछे से दबोचकर अपनी चुचियां उसकी छाती में गाड़ दी...
लाला को उत्तेजना का संचार उसके शरीर से अपने अंदर होता हुआ महसूस हो रहा था...
निशि के बैठने के बाद लाला ने अपनी बुलेट तेज़ी से दौड़ा दी...
रास्ते में लाला ने पिंकी का हाथ पकड़ कर अपने रामलाल पर रख दिया जिसे वो पूरे रास्ते सहलाती हुई आई...
आख़िर वही तो था आज की फिल्म का मुख्य हीरो, जो उसकी हेरोइन यानी चूत से अंदर घुसकर रोमांस लड़ाने वाला था.

5 मिनट बाद वो लाला के बगीचे में पहुँच गये, जहाँ लाला ने पहले से ही उन दोनो के आने का इंतज़ाम करवा रखा था...
लाला तो इतना उत्साहित था की उसने सुबह ही एक चक्कर लगाकर वहां चुदाई की तैयारी कर ली थी...

एक घने से पेड़ के नीचे लाला ने एक गद्दे पर बड़ी सी चादर बिछा रखी थी,
चारो तरफ घनी झाड़िया थी, ठंडक का माहौल था,
4 तकिये भी रखे थे वहां और एक कोने में तेल की शीशी भी...
जिसे देखकर पिंकी की चूत में कुलबुली होने लगी...
उसे पता था की ये तेल उसी के लिए लाया है लाला,
क्योंकि उसकी मदद के बिना तो वो निगोडा रामलाल उसकी चूत में जाने से रहा...

लाला सीधा जाकर उस गद्दे पर बैठ गया और अपनी टांगे सामने की तरफ फेला दी,
जिनके बीच उसका लंड किसी बंबू की तरह खड़ा होकर फुफ्कार रहा था..

निशि भी एक कोने में जाकर बैठ गयी, क्योंकि अगले 1-2 घंटे तो उसे लाला और पिंकी की फिल्म एक दर्शक बनकर ही देखनी थी..

लाला ने पिंकी को इशारा करके अपने करीब आने को कहा, वो जब सामने आकर रुकी तो लाला ने उसे कपड़े उतारने का इशारा किया...
पहले तो वो घबराई पर फिर उसने सोचा की ये तो होना ही है, इसलिए लाज शर्म छोड़कर वो लाला की बातो पर एक दासी की तरह अमल करने लगी..
उसे भी पता था की लाला की बात मानकर उसे अच्छा मेवा मिलेगा...

उसने बड़े ही सैक्सी तरीके से अपनी कमर मटकाते हुए अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए,
फ्रॉक को पकड़कर उपर की तरफ खींचा और लाला की तरफ अपनी गांड करके धीरे-2 उसे उतारने लगी...
लाला भी ऐसा मस्ती से भरा नज़ारा देखकर अपने रामलाल को धोती से बाहर निकाल कर बुरी तरह से पीटने लगा...
रामलाल तो पहले से ही उतावला हुआ पड़ा था, चूत को बेपर्दा होते देखकर वो और भी ज़्यादा ख़ूँख़ार हो गया और अपने मुँह से प्रीकम की बूंदे बाहर फेंकने लगा..
लाला ने तुरंत अपने सारे कपड़े निकाल कर फेंक दिए ताकि उसके नंगे शरीर को देखकर वो पूरा मज़ा ले भी सके और दे भी सके..

फ्रॉक निकालकर पिंकी ने उसे लाला की तरफ उछाल दिया,
अब वो उसके सामने अपनी फ़ेवरेट ब्रा पेंटी में खड़ी थी.
लाला तो उसके कसे हुए मुम्मो को ब्रा में देखकर ऐसा बावला हो गया की उसने पिंकी को खींचकर अपनी गोद में बिठा लिया और जैसा की विधि के विधान में लिखा जा चुका था, लाला ने एक हाथ से उसकी ब्रा और दूसरी से उसकी कच्छी को खींचकर फाड़ते हुए उसके शरीर से अलग कर दिया...
और उसे अपने उपर लिटा कर बुरी तरह से उसके नंगे शरीर से लिपट गया...

लाला ने उसके गुलाबी होंठो को अपने दाढ़ी और मूँछो से भरे मुँह में लेकर ज़ोर -2 से चूसना शुरू कर दिया...
लाला को ऐसा लग रहा था जैसे वो उसके होंठ नही बल्कि रूह-अफजा वाला शरबत पी रहा है...
शायद वो रोज़ फ्लेवर वाली लिपस्टिक लगा कर आई थी, इसलिए...

उसके होंठो को चूसने के बाद उसने अपने हाथ उसके नन्हे और कठोर मुम्मो पर भी रखे और उन्हे भी जी भरकर दबाया...

कुछ देर तक उसके नर्म मुलायम मुम्मो से खेलने के बाद लाला ने उसे नीचे की तरफ धकेलना शुरू कर दिया...
और तब तक धकेला जब तक वो उसके फुफ्कार रहे लंड तक नही पहुँच गयी...

वहां पहुँचकर पिंकी को वही चिर-परिचित नशीली सी सुगंध आई जो लाला के लंड का इत्र था...
उसने एक गहरी साँस भरी और अपने होंठ खोलकर उस रामलाल नामक अजगर को धीरे-2 निगलना शुरू कर दिया...
और उसने अपनी कुशलता का परिचय देते हुए वो पूरा 9 इंची लंड अपने मुँह में भर लिया...

उसका गला तक चॉक हो गया था ऐसा करते हुए पर लाला को जो मज़ा मिल रहा था वो महसूस करके उसे बहुत खुशी मिल रही थी..

इसलिए वो लाला के लंड को मुँह में लेकर उसे अपनी जीभ से सहलाती भी रही जिससे लाला को एक अलग ही मज़ा मिल रहा था...

ये सब देखकर निशि का भी बुरा हाल था...
उसके सामने लाला और पिंकी नंगे होकर वो कामुक लीला कर रहे थे, ऐसे में वो भला शांत कैसे रह सकती थी...
और इस वक़्त उसे अपने भाई नंदू की बहुत याद आ रही थी...
मन तो कर रहा था की भागकर खेतो में जाए और नंदू को लंड से पकड़कर यहाँ घसीट कर लाए और उसके लंड को भी वो ऐसे ही चूसे जैसे पिंकी लाला के लंड को चूस रही थी...

अब तो पिंकी घोड़ी बनकर लाला के सामने बैठी थी और उसके लंड को उपर से नीचे तक और नीचे से उपर तक ऐसे चूस रही थी जैसे आज वो आम के बगीचो में लाला के लंड के पानी का छिड़काव करके मानेगी..

और वो तो कर भी देती अगर आखरी पल पर लाला ने उसे खींचकर अपने लंड से अलग ना किया होता...
और लाला ने जब खींचकर उसे अलग किया तो वो उसे खा जाने वाली नज़रों से देखने लगी जैसे उसका पसंदीदा खिलोना छीनकर लाला ने कोई गुनाह कर दिया हो...

पर लाला जानता था की उसके गुस्से को फिर से प्यार में कैसे बदलना है...
इसलिए उसने पिंकी को नर्म गद्दे पर लिटा कर उसकी टांगे फेला डाली...

पिंकी भी समझ गयी की अब वो 'कली से फूल' बनने वाला समय आ चुका है.
 
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