मैंने नाश्ता किया और अभी क्लाइंट के पास पहुँचा भी नहीं था कि फ़ोन बज गया, दिव्या का था- बड़े जालिम हो तुम राज…
‘क्यों जी, मैंने क्या किया?’
‘मैंने क्या किया… जानते हो आग लगी पड़ी है बदन में… और तुम हो कि प्यासी छोड़ कर ही चले गए?’
‘मेरी रानी.. मन तो मेरा भी नहीं था… पर क्या करूं… क्लाइंट से मिलना भी जरूरी था और फिर घर पर आरती के रहते कुछ कर भी तो नहीं सकते थे।’
‘जानते हो, मैंने आज सिर्फ तुम्हारे लिए ही कॉलेज से छुट्टी मारी थी… और भाभी को भी अपनी सहेली के घर जाने के लिए मना लिया था पर तुम रुके ही नहीं… बड़े गंदे हो तुम…’
‘अरे अगर ऐसा है तो बस तुम तैयारी करो मैं यूँ आया और यूँ आया!’
‘जल्दी आना राज… बदन जल रहा है मेरा..’
कह कर दिव्या ने फ़ोन काट दिया और मैं भी क्लाइंट के पास पहुँच गया।
दो घंटे का काम पंद्रह मिनट में निपटा कर जल्दी से वापिस पहुँच गया।
दिव्या गेट पर ही खड़ी थी, जैसे ही मैं घर के अन्दर घुसा दिव्या आकर मुझसे लिपट गई।
मैंने आरती का पूछा तो उसने बताया कि अपनी सहेली के घर गई है और दो तीन बजे तक आएगी।
मैंने दिव्या को अपनी बाहों में लिया और अपने होंठ तपती तड़पती दिव्या के होंठो पर रख दिए, दिव्या मुझ से लिपटती चली गई। कुछ देर ऐसे ही खड़े खड़े चुम्बन करने के बाद मैंने दिव्या को गोद में उठाया और आरती के बेडरूम में ले गया।
कमरे में घुसते ही मैंने दिव्या को बेड पर लेटाया और उसकी मस्त चूचियों को कपड़े के ऊपर से ही मसलने लगा, दिव्या के हाथ मेरी शर्ट के बटन खोलने में व्यस्त थे।
मैं भी अब दिव्या के नंगे बदन को देखने के लिए बेचैन था, मैंने भी बिना देर किये दिव्या के बदन से कपड़े अलग करने शुरू कर दिए। पहले दिव्या का टॉप उतारा और उसकी गोरी गोरी दूध की टंकियों पर अपने होंठ रख दिए।
दिव्या ने ब्रा नहीं पहनी हुई थी, नंगी चूचियों पर गुलाबी निप्पल बहुत जंच रहे थे।
जब मैंने दिव्या के निप्पल को अपने होंठ में लेकर चुसना और काटना शुरू किये तो दिव्या मचल उठी और सीत्कार करने लगी- आह्ह्ह्ह… उम्म्म…राज्ज… ओह्ह्ह… चूस लो…. राज… आह्ह…
दिव्या ने नीचे इलास्टिक वाला लोअर पहना हुआ था, दिव्या की चूचियों को चूसते चूसते ही मैंने उसके लोअर को भी उसके बदन से अलग कर दिया।
कुंवारी चूत
दिव्या ने पैंटी भी नहीं पहनी हुई थी, बिना बालों वाली साफ़ चिकनी चूत पर हाथ लगते ही दिव्या की चूत से टपकते रस से मेरी उंगलियाँ गीली हो गई।
मैंने अपने होंठ नीचे चूचियों से हटाये और सीधा दिव्या की टपकती चूत पर रख दिए।
यह हिन्दी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
मेरी जीभ अब दिव्या की कुँवारी चूत के रस का स्वाद ले रही थी। दिव्या भी मेरी जीभ से स्पर्श से अब सातवें आसमान पर थी, उसका बदन बार बार अकड़ रहा था और चूत से निरंतर रस निकल रहा था।
बेशक दिव्या का कद छोटा था पर उसका बदन एकदम सांचे में ढला हुआ था। जब मैं दिव्या की चूत का स्वाद ले रहा था तो दिव्या भी हाथ बढ़ा कर मेरे लंड का जायजा लेने लगी थी।
मैं भी अब कण्ट्रोल नहीं कर पा रहा था, मैंने बिना देर किये अपने सारे कपड़े उतारे और नंगा होकर बेड पर दिव्या के पास लेट गया। जल्दी ही हम 69 की अवस्था में थे, मैं दिव्या की चूत का स्वाद ले रहा था तो दिव्या ने भी मेरे लंड को अपने होंठो में लेकर चूसना और चाटना शुरू कर दिया था।
‘क्यों जी, मैंने क्या किया?’
‘मैंने क्या किया… जानते हो आग लगी पड़ी है बदन में… और तुम हो कि प्यासी छोड़ कर ही चले गए?’
‘मेरी रानी.. मन तो मेरा भी नहीं था… पर क्या करूं… क्लाइंट से मिलना भी जरूरी था और फिर घर पर आरती के रहते कुछ कर भी तो नहीं सकते थे।’
‘जानते हो, मैंने आज सिर्फ तुम्हारे लिए ही कॉलेज से छुट्टी मारी थी… और भाभी को भी अपनी सहेली के घर जाने के लिए मना लिया था पर तुम रुके ही नहीं… बड़े गंदे हो तुम…’
‘अरे अगर ऐसा है तो बस तुम तैयारी करो मैं यूँ आया और यूँ आया!’
‘जल्दी आना राज… बदन जल रहा है मेरा..’
कह कर दिव्या ने फ़ोन काट दिया और मैं भी क्लाइंट के पास पहुँच गया।
दो घंटे का काम पंद्रह मिनट में निपटा कर जल्दी से वापिस पहुँच गया।
दिव्या गेट पर ही खड़ी थी, जैसे ही मैं घर के अन्दर घुसा दिव्या आकर मुझसे लिपट गई।
मैंने आरती का पूछा तो उसने बताया कि अपनी सहेली के घर गई है और दो तीन बजे तक आएगी।
मैंने दिव्या को अपनी बाहों में लिया और अपने होंठ तपती तड़पती दिव्या के होंठो पर रख दिए, दिव्या मुझ से लिपटती चली गई। कुछ देर ऐसे ही खड़े खड़े चुम्बन करने के बाद मैंने दिव्या को गोद में उठाया और आरती के बेडरूम में ले गया।
कमरे में घुसते ही मैंने दिव्या को बेड पर लेटाया और उसकी मस्त चूचियों को कपड़े के ऊपर से ही मसलने लगा, दिव्या के हाथ मेरी शर्ट के बटन खोलने में व्यस्त थे।
मैं भी अब दिव्या के नंगे बदन को देखने के लिए बेचैन था, मैंने भी बिना देर किये दिव्या के बदन से कपड़े अलग करने शुरू कर दिए। पहले दिव्या का टॉप उतारा और उसकी गोरी गोरी दूध की टंकियों पर अपने होंठ रख दिए।
दिव्या ने ब्रा नहीं पहनी हुई थी, नंगी चूचियों पर गुलाबी निप्पल बहुत जंच रहे थे।
जब मैंने दिव्या के निप्पल को अपने होंठ में लेकर चुसना और काटना शुरू किये तो दिव्या मचल उठी और सीत्कार करने लगी- आह्ह्ह्ह… उम्म्म…राज्ज… ओह्ह्ह… चूस लो…. राज… आह्ह…
दिव्या ने नीचे इलास्टिक वाला लोअर पहना हुआ था, दिव्या की चूचियों को चूसते चूसते ही मैंने उसके लोअर को भी उसके बदन से अलग कर दिया।
कुंवारी चूत
दिव्या ने पैंटी भी नहीं पहनी हुई थी, बिना बालों वाली साफ़ चिकनी चूत पर हाथ लगते ही दिव्या की चूत से टपकते रस से मेरी उंगलियाँ गीली हो गई।
मैंने अपने होंठ नीचे चूचियों से हटाये और सीधा दिव्या की टपकती चूत पर रख दिए।
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मेरी जीभ अब दिव्या की कुँवारी चूत के रस का स्वाद ले रही थी। दिव्या भी मेरी जीभ से स्पर्श से अब सातवें आसमान पर थी, उसका बदन बार बार अकड़ रहा था और चूत से निरंतर रस निकल रहा था।
बेशक दिव्या का कद छोटा था पर उसका बदन एकदम सांचे में ढला हुआ था। जब मैं दिव्या की चूत का स्वाद ले रहा था तो दिव्या भी हाथ बढ़ा कर मेरे लंड का जायजा लेने लगी थी।
मैं भी अब कण्ट्रोल नहीं कर पा रहा था, मैंने बिना देर किये अपने सारे कपड़े उतारे और नंगा होकर बेड पर दिव्या के पास लेट गया। जल्दी ही हम 69 की अवस्था में थे, मैं दिव्या की चूत का स्वाद ले रहा था तो दिव्या ने भी मेरे लंड को अपने होंठो में लेकर चूसना और चाटना शुरू कर दिया था।