दोस्तो, मैं आप को अपनी सहेली मीरा की कहानी सुनाने जा रही हूँ। इसमें उसने मुझे जो बताया उसे सुन कर मैं दंग रह गई कि क्या कोई पति अपनी पत्नी के साथ ऐसा भी कर सकता है।
उसने मुझे बताया कि उसका पति दूसरे आदमी के साथ उससे सेक्स करवाता है। पूछने पर उसने मुझे बताया कि उसका पति सेक्स नहीं कर पाता है।
जब मैंने पूछा कि ऐसा कब से चल रहा है.. तो उसने बताया कि 4 साल हो गए। मेरे जोर देने पर उसने मुझे पहली रात से बताना शुरू किया।
आप उसी की जुबानी सुनिएगा..
दोस्तो.. सन् 1997 में मेरी शादी हुई थी। वो मेरी सुहागरात थी, जब मेरे पति कमरे में आए, वो जैसे ही दरवाजे की कुण्डी बन्द करके पलटे.. मैंने उठ कर उनके पैर छूना चाहे.. पर उन्होंने मेरी बाँह पकड़ कर बिस्तर पर बैठा दिया।
आज मैं पहली बार किसी मर्द के साथ बैठी थी, मैं शर्म के मारे लाल हुई जा रही थी जबकि उन्होंने अपनी उंगली से मेरी ठोड़ी को ऊपर उठाया। मैंने शर्म से अपना चेहरा नीचे कर लिया।
वो बोले- अभी तो चेहरा देखने पर यह हाल है.. जब मैं और सब देखूँगा तब क्या होगा?
यह सुनते ही मैं लाज से लाल हो गई।
मेरी इस हालत पर उन्होंने मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया, मैंने भी अपना चेहरा उनके सीने में छुपा लिया।
उन्होंने मुझे बिस्तर पर लिटा कर मेरी साड़ी अलग कर दी, मैंने शर्मा कर अपनी आँखें बन्द कर लीं। फिर वो मेरे पेटीकोट को खोलने लगे।
पेटीकोट की गाँठ थोड़ी टाईट थी, जब वो उनसे नहीं खुली तो उन्होंने मेरी तरफ देखा, मैंने गाँठ खोल दी और उन्होंने पेटीकोट सरका कर उतार दिया।
अब मेरी ‘इज्जत’ उनके सामने बिना कपड़ों के खुली पड़ी थी.. वो भी लगातार उसे देखे जा रहे थे। मैंने लाज के मारे साड़ी खींच कर अपने ऊपर कर ली।
यह हिन्दी सेक्स कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
अब उन्होंने अपने सारे कपड़े उतार दिए, मैंने देखा कि उनका लंड बिल्कुल तना हुआ था।
फिर उन्होंने मेरे ब्लाउज और ब्रा को खोल कर अलग कर दिया। उसके बाद अपनी पैंट की जेब से क्रीम की टयूब निकाली और मेरी बुर पर पूरी खाली कर दी, फिर अपने हाथों से मलने के बाद उन्होंने मेरी टांगों के बीच बैठ कर अपना लंड मेरी बुर के मुँह पर रख दिया।
मुझे ऐसा लग रहा था कि कोई गर्म अंगारा मेरी बुर के मुहाने पर आ लगा है।
तभी उन्होंने जोर से मेरी बुर को अपने लंड से चाँपा.. मैं चिहुँक कर ऊपर की तरफ सरकने लगी, पर वे भी मेरे कन्धों को पकड़ कर जोर से मेरी बुर में अपना लंड पेलने लगे।
जैसे ही उनका लंड मेरी बुर में घुसा.. मैं जोर से चिल्ला पड़ी ‘ऊई माँ.. अरे माई रे.. माई जानवा गइल रे माई..’
उनका लंड मेरी बुर को चीरता-फाड़ता हुआ मेरे अन्दर घुसा चला आ रहा था। आज की रात मेरी बुर की सील टूट कर चूत में बदल रही थी और मैं औरत बन रही थी।
पर मुझे बहुत दर्द हो रहा था, मेरी बुर से खून निकल कर चादर पर फ़ैल गया था। मैं ‘प्लीज अब नहीं.. प्लीज नहीं..’ करती रही और वो मेरी बुर में अपना लंड घुसाते गए।
जब पूरा का पूरा लंड मेरी बुर में जड़ तक पेल चुके तब वे रुके, वो मेरी चूचियों को सहलाने लगे, वो उन्हें मुँह में लेकर चूसने लगे।
उसने मुझे बताया कि उसका पति दूसरे आदमी के साथ उससे सेक्स करवाता है। पूछने पर उसने मुझे बताया कि उसका पति सेक्स नहीं कर पाता है।
जब मैंने पूछा कि ऐसा कब से चल रहा है.. तो उसने बताया कि 4 साल हो गए। मेरे जोर देने पर उसने मुझे पहली रात से बताना शुरू किया।
आप उसी की जुबानी सुनिएगा..
दोस्तो.. सन् 1997 में मेरी शादी हुई थी। वो मेरी सुहागरात थी, जब मेरे पति कमरे में आए, वो जैसे ही दरवाजे की कुण्डी बन्द करके पलटे.. मैंने उठ कर उनके पैर छूना चाहे.. पर उन्होंने मेरी बाँह पकड़ कर बिस्तर पर बैठा दिया।
आज मैं पहली बार किसी मर्द के साथ बैठी थी, मैं शर्म के मारे लाल हुई जा रही थी जबकि उन्होंने अपनी उंगली से मेरी ठोड़ी को ऊपर उठाया। मैंने शर्म से अपना चेहरा नीचे कर लिया।
वो बोले- अभी तो चेहरा देखने पर यह हाल है.. जब मैं और सब देखूँगा तब क्या होगा?
यह सुनते ही मैं लाज से लाल हो गई।
मेरी इस हालत पर उन्होंने मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया, मैंने भी अपना चेहरा उनके सीने में छुपा लिया।
उन्होंने मुझे बिस्तर पर लिटा कर मेरी साड़ी अलग कर दी, मैंने शर्मा कर अपनी आँखें बन्द कर लीं। फिर वो मेरे पेटीकोट को खोलने लगे।
पेटीकोट की गाँठ थोड़ी टाईट थी, जब वो उनसे नहीं खुली तो उन्होंने मेरी तरफ देखा, मैंने गाँठ खोल दी और उन्होंने पेटीकोट सरका कर उतार दिया।
अब मेरी ‘इज्जत’ उनके सामने बिना कपड़ों के खुली पड़ी थी.. वो भी लगातार उसे देखे जा रहे थे। मैंने लाज के मारे साड़ी खींच कर अपने ऊपर कर ली।
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अब उन्होंने अपने सारे कपड़े उतार दिए, मैंने देखा कि उनका लंड बिल्कुल तना हुआ था।
फिर उन्होंने मेरे ब्लाउज और ब्रा को खोल कर अलग कर दिया। उसके बाद अपनी पैंट की जेब से क्रीम की टयूब निकाली और मेरी बुर पर पूरी खाली कर दी, फिर अपने हाथों से मलने के बाद उन्होंने मेरी टांगों के बीच बैठ कर अपना लंड मेरी बुर के मुँह पर रख दिया।
मुझे ऐसा लग रहा था कि कोई गर्म अंगारा मेरी बुर के मुहाने पर आ लगा है।
तभी उन्होंने जोर से मेरी बुर को अपने लंड से चाँपा.. मैं चिहुँक कर ऊपर की तरफ सरकने लगी, पर वे भी मेरे कन्धों को पकड़ कर जोर से मेरी बुर में अपना लंड पेलने लगे।
जैसे ही उनका लंड मेरी बुर में घुसा.. मैं जोर से चिल्ला पड़ी ‘ऊई माँ.. अरे माई रे.. माई जानवा गइल रे माई..’
उनका लंड मेरी बुर को चीरता-फाड़ता हुआ मेरे अन्दर घुसा चला आ रहा था। आज की रात मेरी बुर की सील टूट कर चूत में बदल रही थी और मैं औरत बन रही थी।
पर मुझे बहुत दर्द हो रहा था, मेरी बुर से खून निकल कर चादर पर फ़ैल गया था। मैं ‘प्लीज अब नहीं.. प्लीज नहीं..’ करती रही और वो मेरी बुर में अपना लंड घुसाते गए।
जब पूरा का पूरा लंड मेरी बुर में जड़ तक पेल चुके तब वे रुके, वो मेरी चूचियों को सहलाने लगे, वो उन्हें मुँह में लेकर चूसने लगे।