मेरा नाम आकाश कुमार है, मैं बदायूँ का रहने वाला हूँ।
मैं अन्तर्वासना का एक नियमित पाठक हूँ, मैंने इस साईट की लगभग सारी कहानियाँ पढ़ी हुई हैं।
इस वक्त मेरी उम्र 27 साल की है। मैं एक टेलिकॉम कंपनी में नौकरी करता हूँ।
आपको मैं अपनी ऐसी ही एक सच्ची कहानी बताना चाहता हूँ।
बात उस समय की है, जब मैं स्कूल में पढ़ता था। मेरे घर के पास एक लड़की रहती थी, उसका नाम सुमन (बदला हुआ नाम) था।
उसके घर में 5 लोग थे.. उसके मम्मी पापा, भाई और उसकी छोटी बहन… वो तीनों में सबसे बड़ी थी।
उस समय मेरे और उसके बीच ऐसा कुछ नहीं था.. लेकिन मेरे कुछ दोस्त उसको लेकर मुझे चिढ़ाते रहते थे।
मैं भी बिना कुछ ध्यान दिए उसके घर पर आता-जाता रहता था।
बस एक बार मेरे दिल में उसके लिए कुछ लगा और मैंने उसे एक प्रेम पत्र लिख डाला और उसको दे भी दिया।
उसने पहले पत्र लेने से मना कर दिया लेकिन बाद में उसने ले लिया।
मैंने उससे पत्र में पूछा था कि क्या वो मुझसे प्यार करती है या नहीं।
एक-दो दिन में उसने जबाब दिया कि मैं तुम्हारे लिए अपने मन में ऐसी कोई बात नहीं सोचती हूँ।
उसके इस जबाव से मेरा दिल टूट गया, मैं उदास रहने लगा।
अब मैं किसी से कोई बात नहीं करता था और उसके मैंने घर जाना भी छोड़ दिया था।
फिर एक दिन उसने मुझे बुलाया और मुझसे पूछा- तुमने मेरे घर आना-जाना क्यों छोड़ दिया?
मैंने कहा- कुछ नहीं.. बस ऐसे ही।
तो उसने पूछा- पहले तो तुम इतनी बार आते थे.. अब क्यों नहीं?
मैंने कहा- तुम्हारे दिल में मेरे लिए जब प्यार ही नहीं है.. तो आकर क्या करूँगा?
तो उसने कहा- ऐसा नहीं है.. मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ.. लेकिन डरती हूँ कि किसी को पता चल गया तो मेरी बदनामी होगी।
उस दिन से मैं बहुत खुश रहने लगा.. कुछ दिन बीते फिर मैं उससे अकेले में मिलना चाहता था.. लेकिन मिल नहीं पा रहा था।
एक दिन होली से कुछ दिन पहले उसकी मम्मी और छोटी बहन अपने मामा के घर होली मनाने के लिए चले गए।
उसके घर में उसका छोटा भाई और पापा ही रह गए थे।
पापा तो ऑफिस चल जाते थे.. और घर पर वो और उसका भाई रह जाता था।
एक दिन जब उसका भाई खेलने के लिए घर से बाहर गया हुआ था.. तो मैं उसके घर गया।
उस समय वो रसोई में काम कर रही थी।
मैंने उसे पीछे से जाकर पकड़ लिया।
वो एकदम से डर गई.. और चिल्लाने ही जा रही थी कि मैंने उसका मुँह बंद कर दिया।
वो मुझे पाकर चुप हो गई और मैं अपने होंठों को उसके होंठों पर रख कर उसके रसीले होंठों को चूमने और चूसने लगा।
वो भी मेरा साथ देने लगी।
ऐसे ही चूमा-चाटी करते-करते कुछ मिनट हो गए थे, उसने बोला- यहाँ कोई आ जाएगा इसलिए तुम मेरे कमरे में मेरा इंतज़ार करो.. मैं अभी काम खत्म करके आती हूँ।
अब मैं उसके कमरे में इंतज़ार कर रहा था।
कुछ देर में वो भी आ गई।
मैं उसके बिस्तर पर लेटा हुआ था.. वो मेरे पास ही लेट गई।
मैं उसके मम्मों को दबाने लगा.. तो उसने मेरा हाथ हटा दिया।
मैंने फिर कुछ इधर-उधर की बातें की और फिर से उसके चूचों को दबाने के कोशिश की.. तो उसने नाकाम सी कोशिश की और मेरे हाथों से अपने मम्मों को दबवाने का मजा लेने लगी।
मैं अन्तर्वासना का एक नियमित पाठक हूँ, मैंने इस साईट की लगभग सारी कहानियाँ पढ़ी हुई हैं।
इस वक्त मेरी उम्र 27 साल की है। मैं एक टेलिकॉम कंपनी में नौकरी करता हूँ।
आपको मैं अपनी ऐसी ही एक सच्ची कहानी बताना चाहता हूँ।
बात उस समय की है, जब मैं स्कूल में पढ़ता था। मेरे घर के पास एक लड़की रहती थी, उसका नाम सुमन (बदला हुआ नाम) था।
उसके घर में 5 लोग थे.. उसके मम्मी पापा, भाई और उसकी छोटी बहन… वो तीनों में सबसे बड़ी थी।
उस समय मेरे और उसके बीच ऐसा कुछ नहीं था.. लेकिन मेरे कुछ दोस्त उसको लेकर मुझे चिढ़ाते रहते थे।
मैं भी बिना कुछ ध्यान दिए उसके घर पर आता-जाता रहता था।
बस एक बार मेरे दिल में उसके लिए कुछ लगा और मैंने उसे एक प्रेम पत्र लिख डाला और उसको दे भी दिया।
उसने पहले पत्र लेने से मना कर दिया लेकिन बाद में उसने ले लिया।
मैंने उससे पत्र में पूछा था कि क्या वो मुझसे प्यार करती है या नहीं।
एक-दो दिन में उसने जबाब दिया कि मैं तुम्हारे लिए अपने मन में ऐसी कोई बात नहीं सोचती हूँ।
उसके इस जबाव से मेरा दिल टूट गया, मैं उदास रहने लगा।
अब मैं किसी से कोई बात नहीं करता था और उसके मैंने घर जाना भी छोड़ दिया था।
फिर एक दिन उसने मुझे बुलाया और मुझसे पूछा- तुमने मेरे घर आना-जाना क्यों छोड़ दिया?
मैंने कहा- कुछ नहीं.. बस ऐसे ही।
तो उसने पूछा- पहले तो तुम इतनी बार आते थे.. अब क्यों नहीं?
मैंने कहा- तुम्हारे दिल में मेरे लिए जब प्यार ही नहीं है.. तो आकर क्या करूँगा?
तो उसने कहा- ऐसा नहीं है.. मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ.. लेकिन डरती हूँ कि किसी को पता चल गया तो मेरी बदनामी होगी।
उस दिन से मैं बहुत खुश रहने लगा.. कुछ दिन बीते फिर मैं उससे अकेले में मिलना चाहता था.. लेकिन मिल नहीं पा रहा था।
एक दिन होली से कुछ दिन पहले उसकी मम्मी और छोटी बहन अपने मामा के घर होली मनाने के लिए चले गए।
उसके घर में उसका छोटा भाई और पापा ही रह गए थे।
पापा तो ऑफिस चल जाते थे.. और घर पर वो और उसका भाई रह जाता था।
एक दिन जब उसका भाई खेलने के लिए घर से बाहर गया हुआ था.. तो मैं उसके घर गया।
उस समय वो रसोई में काम कर रही थी।
मैंने उसे पीछे से जाकर पकड़ लिया।
वो एकदम से डर गई.. और चिल्लाने ही जा रही थी कि मैंने उसका मुँह बंद कर दिया।
वो मुझे पाकर चुप हो गई और मैं अपने होंठों को उसके होंठों पर रख कर उसके रसीले होंठों को चूमने और चूसने लगा।
वो भी मेरा साथ देने लगी।
ऐसे ही चूमा-चाटी करते-करते कुछ मिनट हो गए थे, उसने बोला- यहाँ कोई आ जाएगा इसलिए तुम मेरे कमरे में मेरा इंतज़ार करो.. मैं अभी काम खत्म करके आती हूँ।
अब मैं उसके कमरे में इंतज़ार कर रहा था।
कुछ देर में वो भी आ गई।
मैं उसके बिस्तर पर लेटा हुआ था.. वो मेरे पास ही लेट गई।
मैं उसके मम्मों को दबाने लगा.. तो उसने मेरा हाथ हटा दिया।
मैंने फिर कुछ इधर-उधर की बातें की और फिर से उसके चूचों को दबाने के कोशिश की.. तो उसने नाकाम सी कोशिश की और मेरे हाथों से अपने मम्मों को दबवाने का मजा लेने लगी।