ओ नादान परिंदे घर आजा

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नमस्कार दोस्तों,

आज मैं आपको शर्मीली की कहनी सुनाता हूँ जिसकी चुत इतनी शर्मीली नहीं थी जिसका नाम इतना शर्मीला था | वो अक्सर ही कभी - कभार मेरे घर पर खेलती हुई आ जाया करती थी और वो क्यूंकि वो मुझे अच्छी ही तरह जानती थी तो अक्सर ही मेरे घर आ जाया करती और पानी पीने के बहाने मुझे खूब देर बात भी कर लिया करती | मैंने भी उसे उम्र में मुझसे छोटे होने के कारण कुछ ज्यादा भाव नहीं दिए पर उसकी हरकतों से मुझे उसके लिए बिलकुल सतर्क कर डाला | एक रोज जब वो मेरे घर को आई हुई थी तो उसने चुपके से फेशन चेन्नल लगा दिया और उसमें हट्टे - कट्टे लड़कों लोगों को चड्डी में देखते हुई मस्त में खिल - खिला रही थी | जब मेरी नज़र उसके उप्पर पड़ी तो मैं हैरान ही रह गया और उसके पास जाकर बस उसकी उसके उभरे हुए चुचों की तरफ उसकी असल की जवानी को पहचाने लगा |

मैंने भी कहा की क्या वो मुझे भी उन् लड़कों की तरह देखना चाहेगी जिसपर उसने शर्माते हुए अपनी गर्दन हिलाई और मैंने अपने सारे कपड़ों को उतारा दिया और अपनी चड्डी में उससे आलग - अलग मुद्रा दिखाने लगा | कुछ देर में अमीन उसका भी सहयोग माँगा और उसका फ्रोग उतार दिया और उसे अपने साथक चड्डी में कहद कर अलग - अलग मुद्राएं लेने लगा | मैंने कुछ ही देर में अपने मज़ा मस्ती के साथ उसकी चुत को खुजाना और उसके चुचों को सहलाना लगा और जब वो कोई प्रतिक्रिया नहीं देने लगी तो उसके हाथ के धीरे - धीर अपनी उँगलियाँ अपनी उँगलियों से सहलाने लगा जिससे वो बिलकुल गरमा चुकी थी | कुछ देर में मैंने चुमते हुए उसके होठों को चूस रहा था और उसकी चुचियों को हलके - हलके दबाते हुए मज़े ले रहा था |

उसकी सिस्कारियां भी निकल रही थी जोकि मुझे उसकी चुत के दर्शन करने के लिए और उत्तेजित करने लगी | मैंने बा उसकी चड्डी को सूंघते हुए उसकी चड्डी को उतार दिया और पहले उसकी नादान सी चुत को ही सूंघने लगा | मैं उसकी चुत पर थूक लगाकर पहले खूब देर अपने हाथों से मसला और फिर दोस्तों मैंने उसपर अपने लंड को मसलना चालू कर दिया और फिर कुछ देर बाद उसके बदन को भींचते हुए वहीँ अपने लंड को उसकी चुत के अंदर दे मारा जिससे उसकी सिस्कारियां बढती ही जा रही थी | मैंने उसकी टांगों को पकड़ते हुए अपनी उसे चोदने लगा जिससे अब तो हम दोनों को खूब मज़ा आ रहा था | मैंने भी उत्सुकता में चूर होते उस नादान परिंदी के सतह धीर - धीरे अपनी रफ़्तार को बढ़ाना शुरू कर दिया जिसपर उसकी चींखें निकलने लगी |

मैंने वहीँ लिटाये हुए उसकी एक टांग को अपने हाथों में थाम रखा और जमकर पीछे से अपने लंड की रफ़्तार को उसकी चुत में दौडाना शुरू कर दिया | वाह किया मजेदार मज़ा रहा उस नादान परिंदी की चुत में अपने लंड को यूँ तेज़ी से मसलने में | उसकी चींखें समय के साथ धीरे - धीरे खत्म सी होती चली गयी और वो भी किसी हांफती हुई रंडी की तरह मेरे लंड के मज़े लेने लगी | अब जब मैंने झड गया तो वो रोती हुई अपने घर को चली गयी और आज तलक मेरे घर पर किसी भही कारण से नहीं आई और मुझे आज भी उसका इन्तेज़ार है |
 
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