कविता मेरे लंड को चूसने लगी

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Antarvasna, desi kahani: कुछ दिनों से घर में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा था क्योंकि मेरी जॉब छूट जाने के बाद घर में काफी सारी परेशानियां आ गई थी। मेरे ऊपर ही घर की सारी जिम्मेदारी थी और मेरी जॉब छूट जाने के बाद मैं बहुत ज्यादा परेशान रहने लगा। मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि आखिर ऐसी स्थिति में मुझे क्या करना चाहिए लेकिन मैंने जब यह बात अपने मामा जी से कही तो उन्होंने मुझे अपने पास दिल्ली आने के लिए कहा। मैंने मामा जी को कहा कि मैं दिल्ली आकर क्या करूंगा मामा जी ने कहा कि तुम मेरी दुकान का काम संभाल लो। मामा जी की इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान है और वह चाहते थे कि मैं उनकी दुकान का काम सम्भाल लूँ। मुझे भी कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आखिर ऐसी स्थिति में मुझे क्या करना चाहिए फिर मुझे भी दिल्ली जाना ही ठीक लगा। जब मैंने अपनी पत्नी से इस बारे में बात की तो उसने मुझे कहा कि राजेश आपको जैसा ठीक लगता है आप वैसा कीजिए। मैं अब दिल्ली जाने के बारे में सोचने लगा था मैंने मामा जी से कहा कि मैं कुछ दिनों के लिए दिल्ली आ रहा हूं और मैं कुछ दिनों के बाद दिल्ली चला गया।

जब मैं दिल्ली गया तो वहां पर मैं मामा जी की दुकान का काम संभालने लगा। कुछ समय तक तो मैं मामा जी के साथ ही उनके घर पर रहा लेकिन फिर मुझे ठीक नहीं लग रहा था इसलिए मैंने अलग रहने के बारे में फैसला कर लिया था। मैंने मामा जी से कहा कि मुझे कहीं अलग रहना है तो मामा जी ने पहले मुझे मना किया लेकिन फिर वह मेरी बात मान गए। मैं इस बात से भी खुश था कि सब कुछ ठीक होने लगा है मैंने कुछ ही महीनों में अपने घर पैसे भिजवाने शुरू कर दिए थे। मामा जी को मुझ पर पूरा भरोसा था और सब कुछ अच्छे से चल रहा था मामा जी के दोनों लड़के जो कि विदेश में रहते हैं और वह लोग बहुत कम ही घर आया करते हैं मामा जी और मामी घर पर ही रहते हैं। मुझे दिल्ली में काफी टाइम हो गया था मैंने एक दिन मामा जी से कहा कि मैं सोच रहा हूं कि कुछ दिनों के लिए मैं जयपुर हो आता हूँ। मामा जी ने कहा कि बेटा अगर तुम्हें लग रहा है कि तुम्हे कुछ दिनों के लिए घर जाना चाहिए तो तुम चले जाओ। मैं कुछ दिनों के लिए अब जयपुर आ गया था जब मैं जयपुर आया तो मेरी मां की भी तबीयत खराब थी और मुझे उन्हें हॉस्पिटल लेकर जाना पड़ा। मेरी पत्नी कविता भी इस बात से बड़ी खुश थी कि मैं मामा जी के साथ रहकर अच्छा कमा रहा था और सब कुछ ठीक से चल रहा था।

मेरी भी खुशी का ठिकाना नहीं था क्योंकि अब मेरी जिंदगी में सब कुछ अच्छे से चलने लगा था। थोड़े समय बाद मैं वापस दिल्ली लौट गया और जब मैं दिल्ली लौटा तो मैं दोबारा से काम पर लग गया। मामा जी भी मेरे काम से बड़े खुश थे उन्होंने मुझसे कहा कि राजेश बेटा मैं सोच रहा हूं कि मैं अब दूसरी दुकान भी खोल लू जिसे कि तुम ही संभालो। मामा जी को मुझ पर पूरा भरोसा था इसलिए वह अपनी दूसरी दुकान खोलना चाहते थे थोड़े ही समय बाद मामा जी ने दूसरी दुकान भी खोल ली और मैं वहां का सारा काम सम्भालने लगा।

नई दुकान का काम दूसरी दुकान से भी अच्छा चलने लगा था जिससे कि मैं भी बहुत ज्यादा खुश था और मामा जी भी बहुत खुश है। सब कुछ अच्छे से चल रहा था मेरी पत्नी कविता भी काफी खुश थी मैं चाहता था कि कविता और मां अब मेरे पास ही रहने के लिए दिल्ली में आ जाएं। मेरी शादी को अभी सिर्फ 3 साल ही हुए हैं और मैं चाहता था कि मेरा पूरा परिवार साथ में ही रहे इसलिए मैंने दिल्ली में ही एक घर ले लिया था। मैंने मां और कविता को अपने पास ही बुला लिया था और वह लोग दिल्ली में ही आ गए थे मैं इस बात से भी बड़ा खुश था कि मेरा पूरा परिवार मेरे साथ में है।

पापा के देहांत के बाद मेरे ऊपर ही घर की सारी जिम्मेदारी आ गई थी हालांकि मेरी बहन की शादी पापा ने करवा दी थी और उसके बाद पापा का देहांत हो गया था। पापा के देहांत के बाद मैं घर की सारी जिम्मेदारी को संभाल रहा हूं मैं चाहता हूं कि घर की जिम्मेदारी को मै अच्छे से संभालूं और मेरे परिवार में किसी भी प्रकार की किसी भी चीज की कोई कमी ना रह जाए। मैं अपनी पत्नी को भी हमेशा खुश देखना चाहता हूं और मेरी मां भी बहुत ज्यादा खुश है जब से वह दिल्ली में मेरे साथ रहने के लिए आई हैं। वह कभी कबार मामा जी के घर भी चले जाया करती हैं क्योंकि उनकी तबीयत भी ज्यादा ठीक नहीं रहती है इसलिए वह मामा जी के घर पर चली जाया करती है। जब भी मां मामा जी के घर पर जाती हैं तो मुझे भी इस बात की बड़ी खुशी होती है कि मामा जी और मामी मां का बहुत ही अच्छे से ध्यान रखते हैं। मेरी जिंदगी में सब कुछ बहुत ही अच्छे से चलने लगा था और मैं इस बात से काफी खुश था कि मेरी पूरी फैमिली अब दिल्ली में आ चुकी हैं और अब हम सब लोग साथ में रहते हैं। एक दिन मैं सुबह के वक्त अपने काम पर जा रहा था तो मुझे मेरी पत्नी कविता ने कहा कि आप शाम को कब तक लौट आएंगे तो मैंने उसे कहा कि मैं कुछ बता तो नहीं सकता लेकिन कोशिश करूंगा कि जल्दी से जल्दी आ जाऊं।

वह कहने लगी कि ठीक है आप मुझे बता दीजिएगा मैंने उसे कहा कि हां मैं कोशिश करूंगा कि मैं जल्दी ही घर लौट आऊं। उसके बाद मैं अपने काम पर चला गया हालांकि शाम को मुझे घर लौटने में देरी हो गई थी। उस दिन जब मै घर लौटा तो मैंने देखा मेरी पत्नी कविता मेरा इंतजार कर रही थी। मैंने उसे कहा मुझे आज घर लौटने में देर हो गई। वह कहने लगी कोई बात नहीं मैंने उसे कहा मेरे लिए तुम खाना लगा दो मुझे बहुत भूख लग रही है। वह कहने लगी बस अभी आपके लिए खाना लगा देती हूं उसने मेरे लिए खाना लगाया। खाना खाने के बाद मैं और वह कुछ देर तक साथ में बैठे रहे। मैंने कविता से कहा क्या मां सो गई है? कविता कहने लगी हां मां सो गई है। मैं और कविता साथ बैठे हुए थे हम दोनों एक दूसरे से बातें कर रहे थे तभी मेरी नजर कविता के स्तनों पर पडी। उसके ब्लाउज से उसके स्तन बाहर की तरफ झांकने लगे थे मैं उन्हें देख कर रहा था। मेरी गर्मी बढ़ती ही जा रही थी मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित हो गया था मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था जिस तरीके से मेरी गर्मी बढ़ रही थी। उसने मेरे अंदर की आग पूरी तरीके से बढा दी थी। मैं कविता के साथ शारीरिक सुख का मजा लेना चाहता था मैंने कविता को अपनी बाहों में ले लिया उसे मैंने गर्म करना शुरू किया।

मैं कविता के बदन को पूरी तरीके से गर्म कर चुका था वह भी अब मेरे प्यार के लिए तड़प रही थी। मैंने उसके होंठों को चूमना शुरू किया वह पूरी तरीके से गरम हो गई थी। मेरे अंदर की आग बढ़ने लगी थी मुझसे बिल्कुल रहा नहीं जा रहा था। मैंने कविता को कहा मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा हूं कविता मुझे कहने लगी मुझसे भी रहा नहीं जा रहा है। हम दोनों इतने ज्यादा गरम हो चुके थे अब हम दोनों बिल्कुल भी अपने आपको रोक ना सके।

मैंने जब अपने लंड को बाहर निकाला तो कविता ने मेरे लंड को अपने मुंह में ले लिया और वह उसे चूसने लगी। कविता को मेरे लंड को चूसने में बड़ा मजा आ रहा था और वह अच्छे तरीके से मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर बाहर कर रही थी जिससे कि मेरे अंदर की गर्मी बढ़ती जा रही थी उसने मेरे लंड को तब तक चूसा जब तक मेरे लंड से मेरा पानी बाहर नहीं आ गया था। मैंने कविता को गर्म करना शुरू कर दिया था मैंने कविता के बदन से कपड़े उतार कर उसके स्तनों को अपने हाथों से दबाना शुरू किया जब मैं अपने हाथों से उसके स्तनों को दबा रहा था तो वह बहुत ही ज्यादा उत्तेजित होती जा रही थी।

वह मुझे कहने लगी मेरी उत्तेजना बढ़ती जा रही है उसकी गर्मी इस कदर बढ़ चुकी थी वह बिल्कुल भी रह नहीं पा रही थी और मुझे कहने लगी मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है। मैं समझ चुका था मै बहुत ज्यादा देर तक अपने आपको रोक नहीं पाऊंगा और यही हुआ मैंने उसकी चूत में अपने लंड को घुसा दिया। जैसे ही मेरा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ अंदर की तरफ गया तो वह मुझे कहने लगी मेरी योनि में दर्द होने लगा है। उसकी चूत में बहुत ज्यादा दर्द होने लगा था मुझे इतना अधिक मज़ा आने लगा था मैं बिल्कुल भी रह नहीं पा रहा था। मैंने उसे कहा मुझे तुम्हें चोदने में बड़ा मज़ा आ रहा है मैं उसे बहुत ही ज्यादा तेज गति से चोदे जा रहा था जिस तरीके से मैं उसकी चूत की गर्मी का बढाए जा रहा था मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था और ना ही वह अपने आपको रोक पा रही थी यही वजह थी मैंने कविता से कहा मेरा माल गिरने वाला है।

कविता भी इस बात पर खुश हो गई वह मुझे अपने पैरों के बीच में जकड़ने की कोशिश करने लगी थी जिस तरीके से वह मुझे अपने पैरों के बीच में जकड रही थी उस से मेरी गर्मी बढ़ रही थी और वह भी गर्म होती चली गई थी। उसकी गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ चुकी थी उसकी चूत से पानी बहुत ज्यादा मात्रा में बाहर की तरफ को निकलने लगा था इसलिए मेरा माल भी उसकी चूत में ही गिर गया। कविता और मैं एक दूसरे के साथ कुछ देर तक ऐसे ही लेटे रहे जब मैंने अपने लंड को बाहर निकाला तो वह बहुत ही ज्यादा खुश थी जिस तरीके से हमने एक दूसरे के साथ में सेक्स किया था हम दोनों को बड़ा मजा आया था।
 
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