कहानी एक टशनबाज लंड और फ़रकट चूत की[भाग-2]

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कहानी के पहले भाग में मैने बताया कि अपने सेमेस्टर ब्रेक में बिहार के भभुआ शहर में अपनी पड़ोसन को पटा कर फ़्लैट में ला चुका था आगे मैने उसे नंगा कर दिया था और चुदाई का खेल शुरु हो चुका था। देखिए कैसे चोदा मैने उसे सिर्फ़ चुदाई स्पेशल काम अब। बंद छेद मारे उत्तेजना के खुल बंद रहा था। मैने अपनी छोटी उंगली उसमें घुसानी शुरु कर अदी और वो मारे कामान्धता के मुझमे लिपटती जा रही थी। मेरा लंड खड़ा हो कर उसके पेट पर रगड़ मार रहा था और ऐसा लग रहा था कि उसमें छेद कर देगा। खुद ही उसने अपने हाथो से मेरा लंड पकड़ कर अपनी फ़ुद्दी के बालों और भग के उपर रगड़ना जारी रखा। मेरे लौंडे का टोपा बहुत सख्त हो रहा था। मैने उसकी दायी टांग उठा के अपनी दायीं कांखों में दबा लिया और उसकी चूत के दरवाजे पर अपना लौड़ा रखा। मजे की उम्मीद में उसने अपनी आंखें मूंद लीं थीं। अब बारी थी कामुक धक्को की और मैने पहला ही धक्का जोरदार मार दिया और फ़च फ़च करता हुआ लंड अंदर था। उसने अपनी बाहें मेरे गले में लपेट लीं और बोली जानू आई लव यू।

मैने कहा आई लव यू टू जान और उसकी दोनो टांगे अपने बाहो में उठा कर अपना लंड उसकी चूत में घुसा रह्ने दिया। उसने अपनी क्रास लेग्स मेरे कमर में डाल दीं और खुद ही उचक उचक के अंदर बाहर करने लगी। मेरा एक हाथ खाली था और मैने उसकी दो उंगलियां उसकी गांड में अन्दर बाहर करनी शुरु कर दीं। कामुक धक्के, सीत्कारें कराहने की आवाजें कमरे में गून्जने लगीं। थोड़ी देर बाद मैने उसे बेड पर तिरक्षा लिटा कर अपने लौड़े को पोजिशन कर के उसकी गांड में ढेर सारा थूक छोड़ा और अपना सुपाड़ा उसे चटाने के बाद उसकी गांड में ठेल दिया। निस्संदेह उसकी गांड अनछुई और अन चोदी थी, एक दम कोरी गांड में लौड़े का सख्त टोपा यूं घुसता चला गया जैसे कि कोई गुलाब की पंखुड़ियां हों। गरम नरम गुदाज गांड का अंदरुनी हिस्सा काफ़ी मुलायम था और मेरे लंड को सेंकने जैसा एहसास दिला रहा था। मैने गांड की गहराई का सफ़र जारी रखा और फ़िर अंदर की तरफ़ जाती हुई गांड में अपना लंड मैने पूरा अंडकोष की जड़ तक ठोक दिया था।

जैसे ही मेरे अंड्कोष उसके गांड की पेंदी तक पहुचे, उसकी चिल्लाहट बेहद तेज हो गयी वो कह रहि थी, प्लीज निकालो ना बहुत दरद हो रहा है जानूं!! मैने उसे गहरा चुम्मा देते हुए कहा रुको बेबी अभी तुम्हे भी मजा आने वाला है जरा सा इंतजार करो और उसके मम्मे दबाने लगा, सांवले निप्पल कमाल के कड़े थे और किसी गांड में घुसने को तैयार थे। अब मैने धक्के धीरे धीरे तेज किये और उसे गहरे चुम्मे देता रहा जिससे उसकी चिल्लाने की आवाज बाहर ना जाये। उसकी गांड की नली खुल चुकी थी और अब उसका शरीर ढीला पड़ रहा था। मैने अपना गरम वीर्य उसकी गांड मे छोड़ दिया। लौंडे के बाहर खीचते ही सफ़ेद सफ़ेद दही उसकी गांड से बाहर निकलने लगी। मैने गांड से वीर्य उठाकर उसके मुह में डाल दिया, उसने चटखारे लेकर उसे चूस लिया। कहानी हमारी चलती रही
 
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