कहानी के पिछले दो भागों में आपने पढा एक पीसीएस मतलब कि पतोह(पी) चोदू(सी) एस(ससुर) ने कैसे अपने नामर्द भतीजे की शादी एक कामुक और सुन्दर लड़की से कर दी और सुहागरात में अपने भतीजे बम्पू का नाकाम फ़्लाप शो देख कर खुश हुआ कि अब तो मेरे लंड को चौका मारने का मौका मिलना तय ही है। सुबह उसने अपने भतीजे बम्पू को किसी काम से छ; सात दिनों के लिये बाहर भेज दिया। अब घर में अकेले बहू सरिता और खूसट ठरकी बुढउ रंगू बाबा ही बचे थे। खाना परोसते समय बहू का दुपट्टा सरक गया, उसके ब्लाउज का मुह बड़ा चोड़ा था तो उजले चूंचे बाबा रंगू के नजरों में चमक गये। शायद ये सरिता की सोची समझी चाल थी। शाम को शौच के लिये उसे बाहर जाना था, खुले में। बहु को डर लगा तो रंगू बाबा के पास आयी और पूछा- पिताजी मुझे बाहर जाना है दो नम्बर के लिये लेकिन पहली बार इस गांव में निकलते हुए डर लग रहा है। बुढउ का दिल बाग बाग हो गया और उसने कहा चिन्ता ना कर बहु घर के बाउंड्री में ही ओपेन टायलेट के लिए गडढा बना रखा है चली जा। मैं छत पे ही रहूंगा कोई डरने की बात नहीं है।
सरिता चली गयी और बुड्ढा छत पर से उसे टट्टी करते देखता रहा अचानक दोनो की नजरें मिल गयीं। सरिता ने अपनी चूत पर टार्च जला कर बुड्ढे को अपनी झांट वाली बम्बाट बुर दिखा ही तो दी। वहीं छत पर खड़े खड़े बुड्ढे की धोती में आग लग गयी, लंड खड़ा होने लगा और बुड्ढे रंगू ने अपना सुपाड़ा हाथ में लेकर रगड़ना शुरु कर दिया। अब वह चूत का मैदान मारने की तैयारी कर चुका था। जैसे ही सरिता अंदर आयी, दरवाजे पर ही उसने उसे दबोच लिया, वो बोली अरे पापा जी रुकिये, गांड तो धो लेने दीजिए अभी टट्टी लगी है उसमें, इतने बेसबर मत होईये। रंगू तुरत हैंड्पंप के पास जाकर पानी चलाने लगा और सरिता ने लोटे से पानी लेकर अपनी गांड उस बुड्ढे के सामने ही छप्पाक छ्प्पाक धो डाली। कहानी बुड्ढे के अनुसार ही चल रही थी। बुढे को अपनी बहू की बड़ी गांड का छोटा छेद बड़ा प्यारा और नाजनीन लगा, वह समझ गया कि यही है मेरे लंड का अंतिम डेस्टिनेशन्।
सरिता के खड़े होते ही रंगू ससुर ने उन्हें दबोच लिया और उसकी साड़ी वही आंगन में ही खोलने लगा। घर में कोई नहीं था, चांदनी रात में पतोहू का चिरहरण, और दूधिया जवानी, दोनो का मेल गजब का था। सारे कपड़े खोल बुढ्ढे ने सरिता के बड़े चूंचे पर मुह सबसे पहले मारा, जैसे ही उसने मुह मारा सरिता गाली देने लगी, पीले अपनी मां के चूंचे बहनचोद बुड्ढे कर दी शादी तूने मेरी नामरद मर्द से। रंगू ने कहा तो कोई बात नहीं बेटी, ये ले बदले में मेरा लंड् किसी भी जवान से ज्यादा सख्त और बुलंद है। अपना लंड पकड़ा कर वो खड़ा रहा और सरिता नीचे बैठ गयी। लंड के सुपाड़े से चमड़े की टोपी हटा उसने लंड को सूंघा तो उसे उस बदबू से समझ मे आ गया कि ये पुराना चावल काफ़ी मजेदार है। अपने मुह में ढेर सारा थूक लेकर उसने लंड के उपर थूक दिया। बुड्ढा बेताब हो रहा था मुह में पेलने को लेकिन सरिता को अपनी हायजीन का पूरा खयाल था। उसने लंड को थूक से धोने के लिये उस थूक से लंड की मसाज चालू कर दी। बुढउ रंगू गाली बक रहा था, हाय माधर्चोद मार डालेगी क्या साली जल्दी से मुह में डाल इतना रगड़ती क्यो है, तेरी मा का लोड़ा!! उफ़्फ़ चूस ना चूस ना।
सरिता ने अधीरज पना नहीं दिखाया और आराम से लंड को थूक कर चाटती रही जब पूरा लंड साफ़ चकाचक हो गया, अपने मुह का रास्ता उस लंड को दिखा दिया। अब बुड्ढे ने लंड को चूत समझ लिया और उसमें अपना लंड किसी एक्स्प्रेस की तरह घुस्मघुसाई करने लगा। आह आह ले ले ये ले माधर्चोद तुम्हारा ससुर अभी जवान है, ये ले चूस तेरी मा का लोड़ा। सरिता एकदम अवाक थी अपने बुड्ढे ससुर की परफ़ार्मेंस से। उसने अपना गला फ़ड़वाने की बजाय रात की प्यासी चूत की चुदास बुझाना बेहतर समझा। कहानी में अब बुड्ढे का सपना सच हो गया था। पढें कहानी का अगला भाग कैसे ससुर और बहु की यह बेदर्द चुदाई का अंजाम क्या हुआ और कैसे रंगू पीसीएस ससुर ने हरामी पने की हद्द कर डाली। पढिये कहानी का अगला भाग 4 कैसे उसने अपनी ही बहू का कर दिया बुरा हाल चोद चोद कर्। कहानी पर कमेंट जरुर दें।
सरिता चली गयी और बुड्ढा छत पर से उसे टट्टी करते देखता रहा अचानक दोनो की नजरें मिल गयीं। सरिता ने अपनी चूत पर टार्च जला कर बुड्ढे को अपनी झांट वाली बम्बाट बुर दिखा ही तो दी। वहीं छत पर खड़े खड़े बुड्ढे की धोती में आग लग गयी, लंड खड़ा होने लगा और बुड्ढे रंगू ने अपना सुपाड़ा हाथ में लेकर रगड़ना शुरु कर दिया। अब वह चूत का मैदान मारने की तैयारी कर चुका था। जैसे ही सरिता अंदर आयी, दरवाजे पर ही उसने उसे दबोच लिया, वो बोली अरे पापा जी रुकिये, गांड तो धो लेने दीजिए अभी टट्टी लगी है उसमें, इतने बेसबर मत होईये। रंगू तुरत हैंड्पंप के पास जाकर पानी चलाने लगा और सरिता ने लोटे से पानी लेकर अपनी गांड उस बुड्ढे के सामने ही छप्पाक छ्प्पाक धो डाली। कहानी बुड्ढे के अनुसार ही चल रही थी। बुढे को अपनी बहू की बड़ी गांड का छोटा छेद बड़ा प्यारा और नाजनीन लगा, वह समझ गया कि यही है मेरे लंड का अंतिम डेस्टिनेशन्।
सरिता के खड़े होते ही रंगू ससुर ने उन्हें दबोच लिया और उसकी साड़ी वही आंगन में ही खोलने लगा। घर में कोई नहीं था, चांदनी रात में पतोहू का चिरहरण, और दूधिया जवानी, दोनो का मेल गजब का था। सारे कपड़े खोल बुढ्ढे ने सरिता के बड़े चूंचे पर मुह सबसे पहले मारा, जैसे ही उसने मुह मारा सरिता गाली देने लगी, पीले अपनी मां के चूंचे बहनचोद बुड्ढे कर दी शादी तूने मेरी नामरद मर्द से। रंगू ने कहा तो कोई बात नहीं बेटी, ये ले बदले में मेरा लंड् किसी भी जवान से ज्यादा सख्त और बुलंद है। अपना लंड पकड़ा कर वो खड़ा रहा और सरिता नीचे बैठ गयी। लंड के सुपाड़े से चमड़े की टोपी हटा उसने लंड को सूंघा तो उसे उस बदबू से समझ मे आ गया कि ये पुराना चावल काफ़ी मजेदार है। अपने मुह में ढेर सारा थूक लेकर उसने लंड के उपर थूक दिया। बुड्ढा बेताब हो रहा था मुह में पेलने को लेकिन सरिता को अपनी हायजीन का पूरा खयाल था। उसने लंड को थूक से धोने के लिये उस थूक से लंड की मसाज चालू कर दी। बुढउ रंगू गाली बक रहा था, हाय माधर्चोद मार डालेगी क्या साली जल्दी से मुह में डाल इतना रगड़ती क्यो है, तेरी मा का लोड़ा!! उफ़्फ़ चूस ना चूस ना।
सरिता ने अधीरज पना नहीं दिखाया और आराम से लंड को थूक कर चाटती रही जब पूरा लंड साफ़ चकाचक हो गया, अपने मुह का रास्ता उस लंड को दिखा दिया। अब बुड्ढे ने लंड को चूत समझ लिया और उसमें अपना लंड किसी एक्स्प्रेस की तरह घुस्मघुसाई करने लगा। आह आह ले ले ये ले माधर्चोद तुम्हारा ससुर अभी जवान है, ये ले चूस तेरी मा का लोड़ा। सरिता एकदम अवाक थी अपने बुड्ढे ससुर की परफ़ार्मेंस से। उसने अपना गला फ़ड़वाने की बजाय रात की प्यासी चूत की चुदास बुझाना बेहतर समझा। कहानी में अब बुड्ढे का सपना सच हो गया था। पढें कहानी का अगला भाग कैसे ससुर और बहु की यह बेदर्द चुदाई का अंजाम क्या हुआ और कैसे रंगू पीसीएस ससुर ने हरामी पने की हद्द कर डाली। पढिये कहानी का अगला भाग 4 कैसे उसने अपनी ही बहू का कर दिया बुरा हाल चोद चोद कर्। कहानी पर कमेंट जरुर दें।