कहानी के पिछले तीन भागों में आपने देखा कैसे पीसीएस मतलब पतोह चोदने वाला ससुर बाबा रंगू ने अपनी बहु सरिता को चोदने की सेटिंग कर ली। अब आप देखेंगे उन दोनो की चुदाई का भयंकर सीन्। सरिता ने तुरत उसका लंड ऐंठ कर बाबा रंगू को नीचे गिरा दिया। बुड्ढा अपनी बहू के इस कदम से भौंचक्का रह गया, लेकिन ये काम सरिता ने उसके अंदर गुस्सा जगाने के लिये किया था जिससे कि वह बदले की भावना से जबरदस्त पेल सके। बुड्ढे ने अपनी धोती खोल फ़ेंकी। उसका अंड्कोष किसी पपीते की तरह आधा किलो का था। सरिता को पटक कर उसने अपना अंड्कोष उसके मुह में दे डाला कहा ले चूस बहुत कलाकार है तू बे माधरचोद साली लाया था बहू निकली रंडी। अब तो मेरा काम सेट कर देगी तू। सरिता ने उस अन्डकोष को शरीफ़ा की तरह अपनी जीभ से कुरेदना जारी रखा। बुड्ढा अपने मोटे लंबे लंड से चूत उसके बड़े चूंचों की पिटाई कर रहा था और अपनी उंगलियां उसकी झांटों पर फ़िरा रहा था। जब पूरे अंडकोष पर उसने अपनी जीभ फ़िरा ली तो बुड्ढे ने अपनी गांड का छेद अपनी बहू के मुह पर रख दिया। ले कर रिम जाब- बुड्ढा वाकई चोदूमल था, उसे रिम जाब मतलब कि गांड को चटवाने की कला भी आती थी और वो इसका रस खूब लेता रहा था। वाकइ में जब भी वो सोना गांछी जाता रंडियां उसे नया नया तरीका सिखातीं और अब तो वह परमानेंट रंडी ले आया था अपने घर में। सरिता ने उसकी गांड को चाट कर उसमें एक उंगली करनी शुरु कर दी। बुढ्ढा पगल्ला गया, उसने तपाक बहु की झांटे पकड़ी और चर्र चर्र से एक मुट्टी उखांड लीं। हाये सरिता ने बदले में पूरी उंग्ली उसके गांड में घुसेड़ कर कहा माधरचोद पेलेगा नहीं सिरफ़ खेलेगा ही क्या बे? कहानी मजेदार होती जा रही थी
कहानी में आगे है कि, अब उसकी मरदानगी जग चुकी थी, भयंकर रुप लिये बरसो के चूत के प्यासे मोटे लंबे लंड को उसने अपने प्यारी बहू की मुलायम चिकनी चूत मे डाल देने का फ़ैसला कर लिया था। उसने उसकी टांगे खोल दीं। और चूत का दरवाज्जा खोला अपने उंगलियों से, सरिता मारे उत्तेजना के गालियां बक रही थी। वो खेली खायी माल थी। बुड्ढे ने अपने लंड के सुपारे को चूत के मुहाने पर छोटे से छेद के बाहरी दीवाल वाली लाल लाल पंखुड़ी पर घिसने लगा। सरिता की सिसकारियां गहरी होती चली जा रहीं थीं। ससुर रंगू ने उसकी बाहरी की मेजोरा लीबिया मतलब कि चूत की बाहरी दीवाल को ऐसे खीच रखा था जैसे टीचर किसी छोटे बच्चे का कान खींच के पनिशमेंट दे रहा हो। माहोल एकदम गरम हो चुका था। दोनो तरफ़ की दीवालो को रगड़ने के बाद बुड्ढे ने अपना लंड का मुह सरिता के थूक से दोबारा गीला करने के लिये सरिता के मुह में हाथ डाल ढेर सारा थूक् बटोरा और फ़िर अपने लंड के मुहाने पर लगा और अपना थूक उसकी चूत में चारो तरफ़ घंस कर अपना लंड धंसाना शुरु कर दिया। सरिता की आंखें नाचने लगीं थी उसकी कहानी ससुर के लंड से लिखी जा रही थी। और वाकइ ससुर रंगू का बुढ्ढा लंड जवानों के लंड से भी बेहतरीन था।वो रुका नहीं और चूत के पेंदे पर जाकर सीधा टक्कर मारी, सरिता चिल्लाई उफ़्फ़ मां प्लीज पापा रुकिये ना लेकिन नहीं। बाबा रंगू को चुदवास चढ चुका था और सालो बाद कोरा माल और उसकी चूत की कहानी लिखने का मौका मिला था। लंड नुकीला कर के उन्होंने उस चूत का सत्यानाश करना शुरु कर दिया था और फ़िर इन धक्कों से चूत की दीवालें तहस नहस हो रहीं थीं। सरिता अधवेहोश हो चली थी और रंगू ने उसे पलाट कर पेट के बल लिटा दिया। अब उसकी गांड फ़टने वाली थी, दो उंगलिओं से पकड़कर उसकी गांड खोल दी रंगू ने और अपनी जीभ अंदर डाल दी। ताजा ताजा धुली गांड खूश्बूदार थी। गीला कर के ढेर सारा थूक अंदर कर दिया। गांड तैयार थी। उसने अपना मोटा लंड एक ही बार में अंदर कर दिया और सरिता चिल्लाई बचाओ लेकिन कोई फ़ायदा नहीं। उसकी गांड खुल चुकी थी और लंड उसे छेदते हुए अंदर था। आधे घंटे तक यह गांड मारने के बाद रंगू बाबा ने अपना वीर्य उसके पिछवाड़े पर निकाल कर लंड को चूंचों में पोंछ दिया। रात में यह कार्यक्रम तीनचार बार उस खुली चांदनी में चला फ़िर। पीसीएस ससुर और बहू की यह कहानी अनवरत चुदाई के साथ चलती रही। अगर आपके पास भी कोई ऐसी कहानी हो तो कमेंट में जरुर बताएं और अपनी कहानी आपको कैसी लगी यह भी।
कहानी में आगे है कि, अब उसकी मरदानगी जग चुकी थी, भयंकर रुप लिये बरसो के चूत के प्यासे मोटे लंबे लंड को उसने अपने प्यारी बहू की मुलायम चिकनी चूत मे डाल देने का फ़ैसला कर लिया था। उसने उसकी टांगे खोल दीं। और चूत का दरवाज्जा खोला अपने उंगलियों से, सरिता मारे उत्तेजना के गालियां बक रही थी। वो खेली खायी माल थी। बुड्ढे ने अपने लंड के सुपारे को चूत के मुहाने पर छोटे से छेद के बाहरी दीवाल वाली लाल लाल पंखुड़ी पर घिसने लगा। सरिता की सिसकारियां गहरी होती चली जा रहीं थीं। ससुर रंगू ने उसकी बाहरी की मेजोरा लीबिया मतलब कि चूत की बाहरी दीवाल को ऐसे खीच रखा था जैसे टीचर किसी छोटे बच्चे का कान खींच के पनिशमेंट दे रहा हो। माहोल एकदम गरम हो चुका था। दोनो तरफ़ की दीवालो को रगड़ने के बाद बुड्ढे ने अपना लंड का मुह सरिता के थूक से दोबारा गीला करने के लिये सरिता के मुह में हाथ डाल ढेर सारा थूक् बटोरा और फ़िर अपने लंड के मुहाने पर लगा और अपना थूक उसकी चूत में चारो तरफ़ घंस कर अपना लंड धंसाना शुरु कर दिया। सरिता की आंखें नाचने लगीं थी उसकी कहानी ससुर के लंड से लिखी जा रही थी। और वाकइ ससुर रंगू का बुढ्ढा लंड जवानों के लंड से भी बेहतरीन था।वो रुका नहीं और चूत के पेंदे पर जाकर सीधा टक्कर मारी, सरिता चिल्लाई उफ़्फ़ मां प्लीज पापा रुकिये ना लेकिन नहीं। बाबा रंगू को चुदवास चढ चुका था और सालो बाद कोरा माल और उसकी चूत की कहानी लिखने का मौका मिला था। लंड नुकीला कर के उन्होंने उस चूत का सत्यानाश करना शुरु कर दिया था और फ़िर इन धक्कों से चूत की दीवालें तहस नहस हो रहीं थीं। सरिता अधवेहोश हो चली थी और रंगू ने उसे पलाट कर पेट के बल लिटा दिया। अब उसकी गांड फ़टने वाली थी, दो उंगलिओं से पकड़कर उसकी गांड खोल दी रंगू ने और अपनी जीभ अंदर डाल दी। ताजा ताजा धुली गांड खूश्बूदार थी। गीला कर के ढेर सारा थूक अंदर कर दिया। गांड तैयार थी। उसने अपना मोटा लंड एक ही बार में अंदर कर दिया और सरिता चिल्लाई बचाओ लेकिन कोई फ़ायदा नहीं। उसकी गांड खुल चुकी थी और लंड उसे छेदते हुए अंदर था। आधे घंटे तक यह गांड मारने के बाद रंगू बाबा ने अपना वीर्य उसके पिछवाड़े पर निकाल कर लंड को चूंचों में पोंछ दिया। रात में यह कार्यक्रम तीनचार बार उस खुली चांदनी में चला फ़िर। पीसीएस ससुर और बहू की यह कहानी अनवरत चुदाई के साथ चलती रही। अगर आपके पास भी कोई ऐसी कहानी हो तो कमेंट में जरुर बताएं और अपनी कहानी आपको कैसी लगी यह भी।