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Chachi Ke Saath Meri Pahli Chudaai

नमस्ते दोस्तो। यह कहानी है मेरी मधुबाला चाची की जो पिछले साल की गर्मियों की छुट्टियों में कुछ दिनों के लिए मेरे घर रहने आई थी। वह अपने साथ अपने दो लड़कों को भी लेकर आई थी।

मैं उस समय अपनी १२वी की परीक्षा दे चुका था और उसके परिणाम का इंतज़ार कर रहा था। दिन भर मैं मधुबाला चाची के लड़कों के साथ मस्ती करता था। मगर मेरी एक समस्या भी थी।

मेरी समस्या यह थी कि घर में इतने सारे लोग होने की वज़ह से मैं पोर्न वीडियोस देखकर हस्तमैथुन नहीं कर पाता था। पहले तो घर में दिनभर सिर्फ़ माँ और मैं होते थे। मगर मधुबाला चाची और उसके २ लड़कों के आने से मैं हस्तमैथुन नहीं कर पाता था।

मैंने अपना मोबाइल फ़ोन बाथरूम में लेकर जाने का सोचा, लेकिन मधुबाला चाची के लड़कों में से एक न एक तो मोबाइल फ़ोन में हर वक़्त वीडियो गेम खेलता रहता था। एक दिन जब मैं नहाने गया था, तब बाथरूम में मैंने मधुबाला चाची की ब्रा और पैंटी तंगी हुई पाई। मेरी माँ तो कभी भी अपनी ब्रा और पैंटी बाथरूम में छोड़ती नहीं थी।

वैसे भी काफ़ी दिनों से हस्तमैथुन न करने की वज़ह से मेरा लौड़ा को कामुक विचारों से ही खड़ा हो जाता था। मेरे दिल की धड़कन तेज़ हो गई थी, जब मैंने मधुबाला चाची की पैंटी को अपने हाथ में पकड़ा था।

उसकी पैंटी को सूंघने पर उसमें से दिलचस्प चरपरा-सा और उग्र खुशबू आ रही थी। चाची की पैंटी को मैंने पहनकर अपना लौड़ा हिलाने लगा। कुछ देर बाद, अपने लौड़े का पानी उसमें निकालकर मैं नहा-धोकर निकल आया।

उस दिन माँ मधुबाला चाची के लड़कों को कपड़े दिलाने के लिए उनके साथ शॉपिंग-मॉल गई थी। मैं अपने कमरे में बैठे नंगी लड़कियों की तस्वीरें देख रहा था और तब मेरा फिर से मन हुआ अपना लौड़ा चाची की पैंटी पहनकर हिलाने का।

कपड़े तो दोपहर में ही धुलते थे, इसलिए मेरे पास एक और मौका था मस्ती करने का। मैं अपने कमरे से निकलकर देखने लगा कि चाची क्या कर रही थी। उस वक़्त, चाची टेलीविज़न पर कार्यक्रम देख रही थी।

मैं दबे पाँव चलकर बाथरूम में आया और देखा कि उसकी ब्रा और पैंटी वहीं पर तंगी थी। मैं उसकी पैंटी लेकर अपनी शॉर्ट्स की जेब में भर ही रहा था कि उतने में वह बाथरूम में आकर खड़ी हो गई।

[मधुबाला चाची:] तू मेरी पैंटी लेकर क्या करने वाला है बेटा?

मेरी सारी हवस गाँड़ से निकल गई थी। मैं कुछ बोलता उससे पहले चाची के मुझे अपने बाहों में भर लिया।

[मधुबाला चाची:] कर जो तुझे करना है। तेरी उम्र है ही मस्ती करने की। वैसे भी मेरा पति आजकल मेरी चूत को सूँघता तक नहीं। ग़ैर मर्द से चुदाई करने से अच्छा है कि तू ही अपना लौड़ा मेरी चूत में भर दे।

मैं उसकी कमर को कसके पकड़कर उसके होंठों की चुम्मियाँ लेने लगा। चुम्मियाँ लेते वक़्त, मैंने मधुबाला चाची की चौड़ी और चर्बीदार गाँड़ को पकड़कर उसे दबाना शुरू किया।

मैंने मधुबाला चाची की लेग्गिंग के अंदर अपने हाथों को घुसा दिया और उसके चूतड़ों को दबाने लगा। उसके मुँह से सिसकियाँ लेते समय निकलती गरम साँसों को सूँघकर मैं उसे और ज़ोर से पकड़कर अपनी तरफ़ दबाने लगा था।

गर्मी की वजह से उसकी चौड़ी और चर्बीदार गाँड़ पसीने से चिकनी हो चुकी थी। मैंने अपनी उँगली को मधुबाला चाची की चौड़ी और चर्बीदार गाँड़ की छेद में घुसाकर अंदर-बाहर करने लगा। उसने अपनी कुर्ती उतार दी और मुझे फ़िरसे कसकर पकड़ लिया।

मैंने अपना एक हाथ मधुबाला चाची की लेग्गिंग से निकालकर उसकी चूची दबाने लगा। उसने अपना टाइट ब्रा निकालकर अपने चूचियों को आज़ाद कर दिया। उसकी मोटी लटकती चूचियों को देखकर मेरा लौड़ा उठ गया।

मधुबाला चाची ने मेरी पैंट के अंदर हाथ ड़ालकर मेरे लौड़े को पकड़ लिया। उसे सहलाते, हिलाते हुए एकदम कड़क कर दिया। मेरी गोटियों को सहलाते हुए उसकी मालिश की। अपने दोनों हाथों से मैं उसकी चूचियाँ दबाकर मधुबाला चाची को गरम कर रहा था।

मैंने उसकी निप्पल को बारी-बारी करके चूसना शुरू किया। उत्साह में आकर उसने मेरी गोटियाँ दबा दी। दर्द के मारे मेरी चीख़ निकल गयी थी।

मैं बाथरूम के बाथरूम के फ़र्श पर पर पर बैठ गया और मधुबाला चाची मेरी पैंट उतारकर मेरे सामने बैठ गई। मेरी गोटियों को अपने मुँह में भरकर उन्हें ज़ुबान से चाटने लगी।

इस तरह बैठकर मैं उसकी चौड़ी और चर्बीदार गाँड़ तक पहुँच नहीं पा रहा था। मेरा उसकी मोटी चौड़ी और चर्बीदार गाँड़ से मन नहीं भरा था इसलिए उसकी गोरी चौड़ी और चर्बीदार गाँड़ को अपने मुँह के ऊपर टिकाकर, मैंने मधुबाला चाची को मेरे ऊपर चढ़ाकर बिठा दिया।

मैं उसकी चूतड़ों को फैलाकर उसकी चौड़ी और चर्बीदार गाँड़ की छेद में अपनी ज़ुबान घुसाकर उसे अंदर-बाहर करने लगा। मधुबाला चाची मेरे लौड़े को अच्छी तरह से चूस रही थी। उसकी चूत को मैं अपनी उँगली से फैलाकर रगड़ रहा था।

मधुबाला चाची जोश में आकर चीख़ने लगी और साथ में अपनी चौड़ी और चर्बीदार गाँड़ को मेरे मुँह पर पटकने लगी। थोड़ी देर बाद, मधुबाला चाची की चूत से पानी छूटने लगा था। मैंने उसे ज़मीन पर लेटा दिया और उसके पैरों को अपने कंधो पर रख दिया।

अपने लौड़े की नोक को मधुबाला चाची के चूत की दरार पर रखकर रगड़ने लगा। फिर धीरे से अपने लौड़े को उसकी गरम चूत में घुसा दिया। धीरे-धीरे धक्के मारकर मैं मधुबाला चाची के ऊपर चढ़ गया।

उसके मोटी चूचियों को पकड़कर मैं उन्हें दबाने लगा। मधुबाला चाची मेरी चौड़ी और चर्बीदार गाँड़ को पकड़कर उसे दबा रही थी। धीरे से चुदाई करते समय हम दोनों सिसकियाँ लेने लगे थे।

मैंने मधुबाला चाची के मंगलसूत्र को अपने हाथ में पकड़कर ज़ोर-ज़ोर से उसकी चूत में धक्के मारने लगा। मंगलसूत्र के साथ उसको चोदने में मुझे मज़ा आ रहा था।

मैंने मंगलसूत्र की माला को मधुबाला चाची के मुँह में डाल दिया और उसपर चढ़कर उसके मुँह को चाटने लगा। अपने हाथों से उसकी टाँगे पकड़कर मैंने ज़ोर-ज़ोर से चोदना जारी रखा था।

कुछ देर बाद, मधुबाला चाची ने मंगलसूत्र की माला को थूक दिया और मेरे मुँह को पकड़कर चाटने लगी। ज़ोर की चुदाई के मज़े लेते हुए हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे।

थोड़ी देर बाद, मैं बाथरूम के फ़र्श पर पर लेट गया और मधुबाला चाची को मेरे ऊपर चढ़ा लिया। उसने मेरे लौड़े को पकड़कर अपनी चूत के अंदर घुसा दिया और धीरे से उसपर बैठ गई। ३-४ बार धीरे से उठकर-बैठकर मेरे लौड़े को अपनी चूत के अंदर पूरा घुसा दिया।

फिर मधुबाला चाची मेरे लौड़े पर उछलने लगी थी। मैंने उसकी चूचियों को पकड़कर उन्हें दबाने लगा। मधुबाला चाची अपनी चौड़ी और चर्बीदार गाँड़ उठा-उठाकर मेरे लौड़े पर उछल रही थी। उसकी चीख़ों की आवाज़ सुनकर मुझसे और रहा नहीं जा रहा था।

मैंने उसे अपनी तरफ़ खींचकर गले से लगा लिया और उसकी चौड़ी और चर्बीदार गाँड़ को पकड़कर, ज़ोर-ज़ोर से अपना लौड़ा उसकी चूत के अंदर घुसाने लगा। मधुबाला चाची की चीखों को रोकने के लिए मैंने अपनी ज़ुबान उसके मुँह के अंदर घुसा दिया था।

उसकी चौड़ी और चर्बीदार गाँड़ की छेद में अपनी उँगली घुसाकर उसे अपने लौड़े पर पटकता रहा। कुछ देर तक ऐसे ही ज़ोर-ज़ोर से चुदाई करने के बाद मेरे लौड़े का माल निकलने वाला था। मैंने मधुबाला चाची को अपने ऊपर से हटाकर उसे घोड़ी बना दिया।

मधुबाला चाची की चूतड़ों को फैलाकर मैं उसकी चौड़ी और चर्बीदार गाँड़ की दरार को चाटने लगा। पसीने से भीगी हुई उसकी चौड़ी और चर्बीदार गाँड़ की महक तो मनमोहक थी।

मैंने अपनी दो उँगलियों को मधुबाला चाची की चौड़ी और चर्बीदार गाँड़ की छेद के अंदर घुसाकर अंदर-बाहर करने लगा। मैंने उसकी चौड़ी और चर्बीदार गाँड़ की छेद को खींचकर चौड़ा किया और उसके अंदर थूक मारी।

मुझे अपना लौड़ा उसकी चौड़ी और चर्बीदार गाँड़ में घुसाना था लेकिन मधुबाला चाची विरोध करने लगी। इसलिए मैंने अपने लौड़े को उसकी मोटी चूतड़ों के बिच घुसाकर हिलाने लगा।

जैसे ही मेरा लौड़े का पानी छूटने आया, मैंने मधुबाला चाची की चौड़ी और चर्बीदार गाँड़ की छेद के पास अपने लौड़े की नोक को रख दिया। मेरे लौड़े से निकला गरम चिपचिपा पानी जाकर मधुबाला चाची की चौड़ी और चर्बीदार गाँड़ की छेद के ऊपर गिरा।

हम दोनों एक दूसरे को पानी से साफ़ करके बाथरूम से बाहर निकले और एक दूसरे को कपड़े पहनाने लगे। उस दिन मैंने पहली बार चुदाई के मज़े लिए थे और उस दिन बाद, मधुबाला चाची और मेरी चुदाई कहानी शुरू हो गई थी।
 
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