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Chudaai Karke Pachta Raha Hoon

सभी पाठकों को मेरा नमस्कार। मेरा नाम पंकज मिश्रा (उम्र २४) है। इस कहानी को लिखने के क़रीब १० महीने पहले, मैं गाँव से मुंबई में नौकरी की तलाश में आया था। मुझे मेरे दोस्त की सिफारिश से गुप्ता परिवार के यहाँ नौकर का काम मिला था।

उनका बंगला बहुत बड़ा है, इसलिए मैं बंगले में एक छोटे-से घर में ही रहता हूँ। असल में मेरी लाटरी लग गई थी, जब से मुझे गुप्ता परिवार में नौकर का काम मिला है। महीने के अंत में पगार तो मिलता ही है और नाश्ता-पानी के साथ-साथ कामुक मनोरंजन भी हो जाता है।

मालिक अक्सर काम के सिलसिले में घर से बाहर रहते हैं। इस बात का फ़ायदा मेरी मालकिन उठाती हैं। अपनी सहेलियों को बुलाकर, वह बंगले के स्विमिंग पूल में पार्टी करती हैं।

अलग-अलग शारीरिक रूप और आकार वाली महिला बिकिनी पहने एक दूसरे के साथ मस्ती करती हैं। मैं अपने छोटे-से घर में बैठकर औरतों के चूतड़ और चूचियों को देखकर अपना लौड़ा हिलाता रहता हूँ। सबसे कमाल तो मुझे मेरी मालकिन ही लगती हैं।

उसकी मटकती चर्बीदार गाँड़ देखकर ही मेरा लौड़ा गीला हो जाता है। मैं सोचता हूँ कि मेरा बेवकूफ़ मालिक ऐसी कड़क माल से दूर रहकर बाहर कैसे जा सकता है। उन दोनों का कोई बच्चा नहीं है, इसलिए दोनों अपने तरीके से जीवन का आनंद लेते हैं।

एक बार हुआ यूँ कि घर में मालिक न होने की वज़ह से, मालकिन ने घर में किटी-पार्टी आयोजित किया था। मुझे उस दिन काफ़ी काम करना पड़ा था, क्यूँकि कई सारी अमीर और बिगड़ैल महिला पार्टी में आई थी।

घर के एक बड़े से कमरे में सभी लोग शराब पीकर मज़े कर रहे थे। मालकिन ने भी शराब के नशे में आकर अपनी गाँड़ हिला-हिलाकर ठुमके लगाए। रात के क़रीब ११: ३० बजे किटी-पार्टी ख़तम हुई और सारी महिलाएँ नशे में हिलते-डुलते चली गई।

मैं कमरे में साफ़-सफ़ाई करने पहुँचा, तब मालकिन को सोफ़े के पास लेटा हुआ पाया। मैंने जाकर उसे सोफ़े पर बिठाया और उनको होश में लाने लगा।

उसने होश में आकर मुझे खींच लिया और अपने पास सोफ़े पर बिठा लिया। मुझसे चिपककर मालकिन मेरे लौड़े पर अपना हाथ सहलाने लगी। मुझे वह घटना किसी सपने से कम नहीं लग रहा था।

मालकिन शराब के नशे में ज़रूर थी, मगर उसे इतना तो मालुम था कि उसके साथ उसका नौकर बैठा है। मैं तो वैसे भी मालकिन के बदन का दीवाना था तो मैं भला वैसे मौक़े को हाथ से जाने थोड़ी देता। मैंने मालकिन को अपने बाहों में भरकर जकड़ लिया। उसकी मोटी चूचियों को अपनी छाती से दबाकर मैं उसके होंठों को चूसने लगा।

मालकिन को मैंने उसकी उभरी हुई गाँड़ से पकड़कर उठा लिया और सोफ़े पर लेटा दिया। उसकी महँगी साड़ी उठाकर मैं उसकी मोटी जाँघों को चाटने लगा। वह भी मूड में आकर सिसकियाँ लेने लगी थी।

मैंने उसके पैर उठाकर उसकी गुलाबी चूत को अच्छी तरह चाटना शुरू किया। उसकी गुलाबी चूत की पँखुड़ियों को फ़ैलाकर मैं अपनी ज़ुबान को गुलाबी चूत के अंदर-बाहर करने लगा था। उसकी हल्की-हल्की चीख़ें निकलने लगी थी।

फिर मैंने मालकिन का रेशमी ब्लाउज़ खोल दिया और उसकी लटकती चूचियों को पकड़कर दबाने लगा। उसके काले निप्पल को बारी-बारी करके चूसकर उसे मैंने उत्तेजित कर दिया। मालकिन की साड़ी और लाल रंग की पैंटी निकालकर मैंने उसे पूरा नंगा कर दिया।

पहले मैंने सोचा कि अपना लौड़ा मालकिन के मुँह में डाल देता हुँ। लेकिन उसकी मुलायम और गरम गुलाबी चूत देखकर मेरा लौड़ा तनकर खड़ा हो गया था और मुझसे रहा भी नहीं जा रहा था।

मालकिन के पैरों को मैंने अपने कंधों पर रख दिया। अपने लौड़े को धीरे से धक्का मारकर गुलाबी चूत के अंदर घुसाने के बाद, मैंने ठुकाई की रफ्तार धीरे से शुरू की और कुछ देर बाद बढ़ा दिया। मालकिन चिल्ला-चिल्लाकर मज़े ले रही थी।

मैं भी उत्साहित होकर उसकी चूचियों को दबाने लगा। थोड़ी देर बाद, मैं मालकिन के ऊपर लेटकर उसके होंठों को चूसकर उसकी चुदाई करने लगा था। वह मेरा नाम लेकर चिल्ला रही थी।

मालकिन के मुँह से गरम साँसे निकलने लगी थी जो मुझे उकसा रही थी। मैंने उसके गले को पकड़कर सहारा लिया और अपने लौड़े को जोर-ज़ोर से उसकी गुलाबी चूत पर पटकने लगा।

कुछ समय बाद, मैंने मालकिन को मेरे ऊपर उल्टा लेटा दिया और उसकी गाँड़ की दरार को चाटने लगा। वह मेरे तनकर खड़े लौड़े को अच्छी तरह से चूस रही थी। उसने अपनी गाँड़ को मेरे मुँह पर रगड़ना शुरू कर दिया था।

मैंने मालकिन की गाँड़ की छेद में अपनी ज़ुबान अंदर तक घुसाकर उसे चाटने लगा। साथ ही साथ, मैं अपनी उँगलियों से उसकी गुलाबी चूत को भी रगड़ रहा था। मालकिन अपने पैरों के बल उछलकर अपनी गाँड़ मेरे मुँह पर पटक रही थी।

मेरे लौड़े को हिलाते हुए मालकिन ने अपनी गाँड़ को मेरे चहरे पर घिसना शुरू कर दिया था। मैंने उसकी गाँड़ को पकड़ा और उसमें थूक मारकर उसे चूसने लगा। मालकिन उत्तेजना के कारण अपनी गाँड़ झुलाने लगी थी।

कुछ समय बाद, मैंने मालकिन को घोड़ी बनाकर सोफ़े पर लेटा दिया। मैंने अपने लौड़े की नोक को मालकिन की गुलाबी चूत पर रखा और गुलाबी चूत की दरार पर रगड़ने लगा। अपनी दो उँगलियों को मैंने उसकी गाँड़ की छेद में घुसाकर अंदर-बाहर करने लगा।

मैंने उसकी गुलाबी चूत पर अपना लौड़ा घिसकर अंदर घुसा दिया और मालकिन की कमर पकड़कर ज़ोर-ज़ोर से उसकी चुदाई करने लगा। मालकिन चिल्लाकर मस्त हो रही थी।

मैं आगे झुक गया और मालकिन की चूचियों को पकड़कर उन्हें दबाने लगा। जब उसकी चौड़ी गाँड़ मेरे लौड़े से टकराती थी, तब 'पच-पच' करके एक मधुर आवाज़ आने लगी थी।

मैं सोफ़े पर बैठ गया और मालकिन को मेरे लौड़े पर बिठा दिया। उसको उसकी जाँघों से पकड़कर मैंने उसे उठाया और अपने लौड़े पर उछालने लगा। कुछ देर बाद, पैरों के बल बैठकर उसकी खुद मेरे लौड़े पर उछलने लगी थी।

कुछ देर बाद, मैं सोफ़े पर लेट गया। मालकिन को मेरे ऊपर चढ़ाकर मैंने उसकी गीली गुलाबी चूत पर अपना लौड़ा घिसना शुरू किया। उसने उत्तेजित होकर मेरे लौड़े को पकड़ा और अपनी गुलाबी चूत के अंदर घुसा दिया।

मालकिन मेरे लौड़े पर अपनी गाँड़ उछाल-उछालकर चुदाई के मज़े ले रही थी। मैंने उसके हिलते हुए चूचियों को पकड़कर दबाया और उसको और उत्तेजित कर दिया।

उसके निप्पल को पकड़कर खींचने पर वह ज़ोर से चीख़ने लगी थी। मैं मालकिन की चीख़ों से उत्साहित होकर उसे अपने गले से लगा लिया और उसकी गाँड़ को पकड़कर चोदने लगा।

मैं तेज़ी से अपने लौड़े को उसकी गुलाबी चूत में घुसा रहा था। थोड़ी देर रुककर मैंने मालकिन की गाँड़ की छेद में अपनी उँगली घुसाकर अंदर-बाहर करने लगा। चिल्लाते वक़्त उसके मुँह की गर्म साँसे मुझें बावला कर रही थी।

अपनी उँगली को गाँड़ की छेद से निकालकर मैंने उसे मालकिन के मुँह में डाल दिया। उसने मेरी उँगली को अच्छे से चाटकर साफ़ किया। फिर मैं उसके मुँह में थूक मारकर सारा पानी पी गया।

मेरे लौड़े का पानी निकलने वाला था, इसलिए मैंने ज़ोर-ज़ोर से चुदाई करनी शुरू कर दी। कुछ समय बाद, मैंने अपने लौड़े के पानी को मालकिन की गुलाबी चूत में निकाल दिया।

ज़ोर-ज़ोर से मालकिन की चुदाई करते हुए मैंने अपना लौड़ा उसकी गुलाबी चूत से निकाल लिया। मैं जाकर मालकिन के चेहरे पर बैठ गया और अपना लौड़ा उसके मुँह में भर दिया। वह मेरे गीले लौड़े को अच्छे से चूस रही थी।

अपनी उँगलियों को मेरी गाँड़ की दरार में फ़साकर वह मुझे उकसाह रही थी। थोड़ी देर चूसने के बाद, मुझसे और रहा नहीं गया और मैंने अपने लौड़े का माल मालकिन के मुँह के अंदर निकाल दिया।

उसकी चूत को अपनी जुबान से चाटते वक़्त, मालकिन ने चिल्लाकर पेशाब की तेज़ धार छोड़ दी थी। मालकिन को उठाकर मैं उसे उसके कमरे में लेकर गया। उसे बिस्तर पर लेटाकर मैं भी उसे पकड़कर सो गया था।

अगले दिन सुबह उठकर मालकिन अपने हरक़त पर शर्मिंदा थी। उसने मुझे कुछ पैसे दिए और नौकरी से निकाल दिया। शायद मुझे मालकिन के साथ बिस्तर पर सोना नहीं चाहिए था।

उसके बाद मुझे मुंबई छोड़कर अपने गाँव वापस लौटना पड़ा, क्यूँकि मुझे दूसरी नौकरी मिली नहीं। लेकिन अब पछताने से क्या फ़ायदा.
 
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