चुदाई करके मजा आ गया

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Antarvasna, desi kahani: मैं अपनी कजन की शादी में गया हुआ था मैं अपनी मम्मी के साथ में खड़े होकर बात कर रहा था कि तभी हमारी एक रिश्तेदार आकर बोलने लगी रोशन बेटा तुम कैसे हो?" मैंने उन्हें कहा आंटी मैं तो अच्छा हूं। मैं अब उनसे बात कर रहा था तो उन्होंने मुझसे पूछा कि बेटा तुम्हारी नौकरी कैसी चल रही है तो मैंने उन्हें कहा आंटी नौकरी भी अच्छी ही चल रही है। थोड़ी देर तक मैं उनसे बात करता रहा उस रात हम लोग घर 12:00 बजे के आसपास पहुंचे। जब हम लोग घर पहुंचे तो मुझे काफी नींद आ रही थी और मैंने मां से कहा कि मां मैं सोने के लिए जा रहा हूं मां कहने लगी कि हां बेटा तुम सो जाओ कल तुम्हें ऑफिस भी जल्दी जाना है। मैं और मां एक दूसरे के बहुत ही करीब है हालांकि पापा के साथ में मेरी इतनी ज्यादा नहीं बनती परन्तु उसके बावजूद भी पापा मुझे बहुत ही अच्छे से समझते हैं उन्होंने कभी भी किसी चीज को लेकर मुझे कोई कमी महसूस नहीं होने दी।

मेरी पढ़ाई पूरी हो जाने के बाद मुझे जॉब भी मिल गई और मैं अब एक अच्छी कंपनी में जॉब कर रहा हूं, मैं अपनी नौकरी से बहुत ही खुश हूं और मेरी जिंदगी में भी सब कुछ अच्छे से चल रहा है। अगले दिन जब मैं सुबह उठा तो उस वक्त पापा अखबार पढ़ रहे थे और मां रसोई में थी मैंने मां से कहा कि मां तुम मेरे लिए कुछ बना दो तो मां ने कहा कि बेटा तुम पहले चाय पी लो। मां ने मुझे थोड़ी देर में चाय दी और चाय पीने के बाद मैं कुछ देर अखबार पढ़ता रहा। मैंने जब घड़ी में समय देखा तो उस वक्त 8:00 बज रहे थे मैंने मां से कहा कि मां मुझे ऑफिस जल्दी जाना है तुम मेरे लिए नाश्ता बना देना मां ने कहा ठीक है बेटा मैं तुम्हारे लिए अभी नाश्ता तैयार कर देती हूं। मां रसोई में चली गई और मेरे लिए नाश्ता तैयार करने लगी तब तक मैं भी नहा चुका था उसके बाद मैंने अपना नाश्ता किया और फिर मैं अपने ऑफिस के लिए निकल पड़ा।
मैं जब अपने ऑफिस के लिए निकला तो मेरा दोस्त का मुझे फोन आया और वह मुझे कहने लगा कि रोशन तुम कितनी देर में ऑफिस आ रहे हो।

मैंने उसे कहा कि मैं बस थोड़ी देर बाद ही ऑफिस पहुंच रहा हूं वह कहने लगा कि ठीक है तुम जल्दी से ऑफिस आ जाओ। कुछ देर बाद ही मैं ऑफिस पहुंच गया जब मैं ऑफिस पहुंचा तो उस दिन ऑफिस में काफी ज्यादा काम था और ऑफिस का काम खत्म करने के बाद मैं ऑफिस से 7:00 बजे के करीब निकला। मुझे घर पहुंचने में एक घंटा लग गया था मां ने मुझे कहा कि बेटा आज तुम देर से लौट रहे हो तो मैंने मां से कहा ऑफिस में बहुत ज्यादा काम था इस वजह से मुझे ऑफिस से घर आने में देरी हो गई, मां ने कहा कि कोई बात नहीं बेटा। उसके बाद मैं अपने रूम में चला गया था और रूम में मैं कपड़े चेंज करने के बाद हॉल में आकर बैठा ही था कि मुझे सरिता का फोन आ गया। वह मुझसे बात कर रही थी सरिता मेरे कॉलेज की दोस्त है और उससे बात कर के मुझे अच्छा लग रहा था हम दोनों एक दूसरे से बातें कर रहे थे।

मैंने उससे पूछा कि तुम कहां हो तो उसने मुझे बताया कि वह हैदराबाद में ही है मैंने उसे कहा लेकिन तुम हैदराबाद कब आई तो उसने मुझे बताया कि उसे हैदराबाद आये हुए कुछ दिन हो गए हैं। सरिता पुणे में रहती है और वह काफी समय बाद हैदराबाद आई है मैंने सरिता से कहा कि मैं तुमसे कल मुलाकात करता हूं क्योंकि कल मेरे ऑफिस की भी छुट्टी है। सरिता ने मुझे कहा कि ठीक है तुम मुझे कल मिलना और हम दोनों ने अगले दिन मिलने का फैसला किया। मैंने सरिता से काफी देर तक बात की फिर मैंने फोन रख दिया था और मैं अगले दिन सरिता को मिलने के लिए चला गया। जब मैं अगले दिन सरिता को मिलने के लिए गया तो उसके साथ उसकी बहन कविता भी आई हुई थी कविता से इससे पहले भी मेरी मुलाकात हो चुकी थी लेकिन कविता से मेरी इतनी बातचीत नहीं थी।

उस दिन सरिता ने जब मेरा परिचय कविता से करवाया तो उसके बाद हम लोगों की भी बातचीत होने लगी थी। सरिता के साथ मुझे उस दिन काफी अच्छा लगा और हम लोगों ने साथ में काफी अच्छा टाइम स्पेंट किया। हम लोगों ने साथ में करीब दो घंटे बिताए उसके बाद मैंने सरिता को कहा कि अब मैं चलता हूं और मैं वहां से घर लौट आया। मैं जब घर लौटा तो मैंने सरिता को फोन किया और थोड़ी देर मेरी उससे बात हुई सरिता से मेरी फोन पर बातें होती रहती थी। एक दिन सरिता ने मुझे फोन करते हुए कहा कि उसकी छोटी बहन कविता को नौकरी की तलाश है क्या तुम उसकी कुछ मदद कर सकते हो तो मैंने उसे कहा कि हां क्यों नहीं मैं उसकी जरूर मदद करूंगा। मैंने उसके लिए अपने ऑफिस में बात की तो वह मेरे ऑफिस में ही जॉब करने लगी थी।

कविता के साथ मुझे बात करना अच्छा लगता और उसे भी मुझसे बात करना अच्छा लगता। एक दिन मैं और कविता साथ में बैठे हुए थे उस दिन लंच टाइम था और हम दोनों आपस में बातें कर रहे थे मुझे कविता से बातें कर के अच्छा लगा रहा था तो कविता 8 मुझे कहा कि क्या कल आप फ्री है तो मैंने कविता से कहा कि हां मैं कल फ्री हूं। हम दोनों ने अगले दिन साथ में टाइम स्पेंड करने का फैसला किया और अगले दिन मैंने कविता के साथ में अच्छा टाइम स्पेंड किया। कविता के साथ मेरी नजदीकियां बढ़ती जा रही थी और कहीं ना कहीं कविता के दिल में भी मेरे लिए प्यार उभरने लगा था। मुझे इस बात की बहुत ही खुशी थी कि कविता भी मुझसे प्यार करने लगी है और हम दोनों के बीच प्रेम प्रसंग चलने लगा था। पहले मैंने ही कविता को अपने दिल की बात कही थी। एक दिन मै कविता को अपने घर पर बुलाता हूं और वह जब घर आती हैं तो हम दोनों साथ में बैठे हो थे। हम दोनो एक दूसरे से बातें कर रहे थे हम दोनों को एक दूसरे से बातें करना अच्छा लग रहा था और कहीं ना कहीं कविता और मैं एक दूसरे के लिए तडपने लगे थे।

जब मेरा हाथ कविता कि जांघ पर पड़ा तो वह मेरे होठों को चूमने लगी और मैं कविता के होठों को चूमता तो वह मुझे गर्म करने की कोशिश कर रहा था उसकी उत्तेजना बहुत ज्यादा बढ़ चुकी थी और मेरे अंदर की गर्मी भी इस कदर बढ़ चुकी थी मैं बिल्कुल भी रह नहीं पाया। मेरे अंदर की गर्मी काफी ज्यादा बढ़ने लगी और कविता मुझे कहने लगी मेरे अंदर की गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ चुकी है मैं बिल्कुल भी अपने आपको रोक नहीं पाऊंगा। अब मैं समझ चुका था कविता अपने आपको रोक नहीं पाएंगी इस वजह से मैंने अपने लंड को बाहर निकाला तो कविता ने उसे देखा और कहने लगी तुम्हारा लंड बहुत ही ज्यादा मोटा है। कविता से मैंने पूछा क्या इससे पहले तुमने कभी किसी के लंड को नहीं देखा था। वह मुझे कहने लगी नहीं इससे पहले मैंने कभी भी किसी के लंड को नहीं देखा था। कविता और मुझे बहुत ही अच्छा लग रहा था जब वह मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर सकिंग करने लगी थी वह मेरी गर्मी को बढ़ाने लगी थी।

हम दोनों की गर्मी इस कदर बढ़ने लगी थी हम दोनों बिल्कुल भी रह नहीं पा रहे थे ना तो मैं अपने आपको रोक पा रहा था और ना ही कविता अपनी गर्मी को रोक पा रही थी। मैंने कविता के कपड़े उतारने की बात कही तो उसने अपने कपड़े उतार कर मेरे सामने अपने बदन को सौंप दिया था। मेरे सामने वह नंगी थी। जब मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया तो मुझे बहुत ही अच्छा लगने लगा था और उसे भी बड़ा मजा आ रहा था जिस तरीके से वह मेरा साथ दे रही थी। अब हम दोनों पूरी तरीके से गर्म होते जा रहे थे मैंने उसकी योनि से पानी बाहर निकल कर रख दिया था।

जब मैंने अपने मोटे लंड को कविता की चूत पर लगाकर रगडना शुरू किया तो उसे बहुत ही ज्यादा मजा आने लगा और मुझे भी काफी आनंद आने लगा था। हम दोनों एक दूसरे के साथ जमकर सेक्स का मजा ले रहे थे मैंने कविता के दोनों पैरों को चौड़ा कर लिया था जिससे कि उसकी चूत में मेरा लंड आसानी से जा सके। मैं उसे बड़ी ही तेजी से धक्के मारे जा रहा था। कविता मुझे कहने लगी मुझे बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा है। अब हम दोनों एक दूसरे के साथ सेक्स के मजे ले रहे थे मैंने उसकी चूत में ही अपने माल को गिरा दिया था। जब मैंने अपने लंड को बाहर निकाला तो मैंने देखा उसकी चूत से मेरा माल और चूत से खून भी बाहर निकल रहा था। यह देखकर मैं खुश हो गया। कविता की सील पैक चूत का मजा लेकर मुझे मजा आ गया था। हम दोनों को मजा तो आ चुका था लेकिन हम दोनों ही चाहते थे हम दोनों दोबारा से सेक्स का मजा ले। मैंने कविता की चूत पर अपने लंड को सटा दिया।

मेरा लंड कविता की योनि पर लगते ही मुझे अच्छा लगने लगा था। मैं उसे तेज गति से धक्के मारने लगा था उसे भी बड़ा मजा आने लगा था। मैं उसे जमकर चोद रहा था मेरा लंड उसकी चूत की दीवार से टकराने लगा था। मैंने उसकी चूतड़ों को अपनी तरफ करते हुए जब उसे चोदना शुरू किया तो उसकी चूत से एक अलग ही आवाज पैदा हो रही थी और मुझे उसे चोदने में मजा आ रहा था वह मुझसे कहने लगी मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लग रहा है हम दोनों एक दूसरे का साथ अच्छे से दे रहे थे। जब मेरा माल मेरे अंडकोषो मे आ चुका था तो मैंने अपने माल को उसकी चूत में गिरा कर अपनी इच्छा को पूरा कर लिया था। मेरा माल कविता की चूत मे जा चुका था। उसके बाद वह मेरे होठों को किस करने लगी हम दोनों एक दूसरे के साथ अभी तक नंगे लेटे हुए थे। मुझे बडा अच्छा लगा जिस तरीके से मैंने और कविता ने उस दिन साथ में शारीरिक सुख का मजा लिया था और हम दोनों ने एक दूसरे को पूरी तरीके से संतुष्ट कर दिया था। कविता बहुत ही ज्यादा खुश थी और मैं भी बहुत ज्यादा खुश था मैंने पहली बार कविता की चूत मारी थी।
 
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