चुदाई की वो जबरदस्त तड़प

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Desi kahani, antarvasna: मैं ऑफिस से घर लौटा तो मेरी मां ने मुझे कहा कि बेटा तुम संजना को फोन कर दो वह अभी तक घर नहीं लौटी है। मैंने मां से कहा मां क्या अभी तक संजना घर नहीं लौटी है तो मां मुझे कहने लगी कि नहीं बेटा अभी तक वह घर नहीं आई है और मुझे उसकी बहुत चिंता सता रही है। मैंने मां से कहा मां बस अभी मैं संजना को फोन कर देता हूं और मैंने तुरंत ही संजना को फोन कर दिया, मैंने जब संजना को फोन किया तो उसने मेरा फोन नहीं उठाया। संजना मेरी छोटी बहन है और उसने जब फोन नही उठाया तो उसकी चिंता मुझे सताने लगी थी। मैंने संजना को दोबारा से फोन किया लेकिन उसने मेरा फोन नहीं उठाया परन्तु थोड़ी ही देर बाद वह घर आ गई थी। जब वह घर आई तो मां उस पर बहुत ही गुस्सा हुई और उसे कहने लगी कि संजना क्या तुम इतनी लापरवाह हो गयी हो तुम मुझे बता नहीं सकती थी कि तुम्हें घर आने में देर हो जाएगी।

मां ने उसे बहुत डांटा, मैंने मां से कहा कि मां अब बस भी करो, तब जाकर मां का गुस्सा शांत हुआ मां संजना से बहुत ही नाराज थी। मैंने संजना से कहा की तुम एक फोन कर के बता तो सकती थी कि तुम्हे आने में देर हो जाएगी तो उसने मुझे बताया कि उसका फोन उसकी सहेली के घर पर ही छूट गया था इस वजह से वह फोन नहीं कर पाई। मैंने संजना को कहा कि लेकिन तुम्हें यह बात मां को बता देनी चाहिए थी संजना मुझे कहने लगी कि भैया आगे से कभी ऐसा कुछ नहीं होगा। संजना अभी कॉलेज की पढ़ाई कर रही है और पापा के देहांत के बाद मां ने ही हम दोनों की देखभाल की हम दोनों की परवरिश में मां ने कभी भी कोई कमी नहीं रहने दी और मां ने हम दोनों को कभी किसी चीज की कोई कमी महसूस नहीं होने दी। हालांकि मां को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ा लेकिन फिर भी मां ने हमे कोई कमी नही होने दी और वह बहुत खुश रहती हैं। एक दिन मैंने मां से कहा कि मां मैं कुछ दिनों के लिए अपने ऑफिस के काम के सिलसिले में बाहर जा रहा हूं तुम और संजना अपना ध्यान रखना। मां कहने लगी ठीक है बेटा लेकिन तुम वहां से वापस कब लौटोगे तो मैंने मां से कहा कि मां मैं वहां से करीब 10 दिन बाद लौट आऊंगा।

मां मुझे कहने लगी कि बेटा तुम मुझे फोन करते रहना मैंने मां से कहा ठीक है मां आप चिंता मत कीजिये। अगले दिन सुबह मेरी ट्रेन थी इसलिए मुझे जल्दी ही घर से निकलना था और रात के वक्त मैं अपना सामान पैक कर रहा था तभी संजना मेरे रूम में आई और उसने भी मेरी मदद की। संजना ने मुझे कहा कि भैया मैं आपकी मदद कर देती हूं और फिर संजना ने सामान पैक करने में मेरी मदद की। मैं सामान पैक कर चुका था उसके बाद हम लोगों ने साथ में डिनर किया डिनर करने के बाद मैं जल्दी सो गया था क्योंकि मुझे सुबह जल्दी रेलवे स्टेशन के लिए निकलना था। मैं सुबह के वक्त ऑटो से रेलवे स्टेशन गया मैं जब रेलवे स्टेशन पहुंचा तो कुछ देर मैंने ट्रेन का इंतजार किया और फिर कुछ देर बाद ट्रेन आ चुकी थी ट्रेन कुछ देर तक स्टेशन पर रुकने वाली थी। मैंने प्लेटफार्म से टिकट लिया और मैं टिकट लेकर कुछ देर तक प्लेटफार्म पर ही खड़ा रहा, ट्रेन ने जब हॉर्न दिया तो मैं ट्रेन में बैठ गया, मैं ट्रेन में बैठा तो थोड़ी देर में ही ट्रेन चलने वाली थी। ट्रेन धीरे धीरे चलने लगी और कुछ ही देर में ट्रेन ने अपनी गति पकड़ ली थी। मैं कुछ दिनों के लिए बेंगलुरु जा रहा रहा था मैं जब बेंगलुरु पहुंच गया तो मैंने पहुंच कर मां को फोन कर दिया था। बेंगलुरु में करीब एक हफ्ता रुकने के बाद मैं वहां से वापस लौट आया जब मैं वापस लौटा तो उस दिन संजना ने मुझे कहा कि भैया मुझे आपको कुछ बताना है। मैंने संजना से कहा कि हां संजना कहो ना तुम्हें क्या कहना है संजना ने मुझे बताया कि वह अपने ही क्लास में पढ़ने वाले लड़के से प्यार करने लगी है। मैं यह बात सुनकर थोड़ा गुस्सा तो जरूर हुआ लेकिन मैंने अपने गुस्से पर काबू करते हुए संजना से पूछा कि क्या तुम मुझे उस लड़के से मिला सकती हो तो संजना मुझे कहने लगी कि हां भैया क्यों नहीं। संजना ने मुझे जब उस लड़के से मिलवाया तो मुझे वह लड़का बिल्कुल भी पसंद नहीं आया और मैंने जब उस लड़के के बारे में पता किया तो वह संजना के लायक बिल्कुल भी नहीं था। मैंने भी फिर किसी तरीके से संजना को उससे दूर रखने की कोशिश की लेकिन संजना को तो समझ ही नहीं आ रहा था उसे ऐसा लग रहा था जैसे कि मैं उसका गलत चाहता हूं परंतु ऐसा कुछ भी नहीं था। मैंने संजना को कहा कि संजना तुम उससे दूर रहो लेकिन वह मेरी बात बिल्कुल भी ना मानी और वह मुझे ही अपना दुश्मन समझने लगी।

उसे ऐसा लगने लगा कि मैं उस पर ज्यादा ही पाबंदी लगा रहा हूं लेकिन किसी तरीके से मैंने संजना को समझाया और फिर संजना को भी उस लड़के की हकीकत पता चल चुकी थी यह देख कर संजना पूरी तरीके से टूट चुकी थी। मैंने उस वक्त उसका बहुत ही सपोर्ट किया मैं चाहता था कि संजना अपने जीवन में कुछ अच्छा करें इसलिए उसका कॉलेज खत्म हो जाने के बाद वह एक कंपनी में जॉब करने लगी। वहां पर वह जॉब करने लगी थी और संजना काफी खुश थी मुझे भी काफी अच्छा लग रहा था कि कम से कम संजना अब अपने पैरों पर खड़ी हो चुकी है और वह अब यह सब भूलकर आगे बढ़ चुकी है। संजना जिस ऑफिस में जॉब करती थी उसी ऑफिस में गरिमा जॉब करती थी। संजना ने मुझे जब गरिमा से मिलवाया तो मुझे गरिमा से मिलकर बहुत ही अच्छा लगा। हम लोगों की पहली बार मुलाकात गरिमा के बर्थडे में संजना ने करवाई थी। जब संजना ने मेरी मुलाकात गरिमा से करवाई तो हम दोनों एक दूसरे से पहले ही नजर में अपनी नजरों को दो चार कर बैठे। मेरा पास गरिमा का नंबर भी अब आ चुका था इसलिए हम दोनों फोन पर एक दूसरे से बातें करने लगे थे। हम दोनों की फोन पर बाते काफी ज्यादा होने लगी थी हम दोनों एक दूसरे के बिना बिल्कुल भी रह नहीं पाते थे यही वजह थी कि एक दिन गरिमा और मैंने साथ में टाइम स्पेंड करने के बारे में सोचा। उस दिन हम दोनों साथ में ही थे हम लोग एक पार्क में बैठे हुए थे वहां पर हम दोनो को एक घंटे से ऊपर हो चुका था। एक घंटे से ऊपर हो जाने के बाद मैंने गरिमा से कहा कि क्या हम लोगों को कहीं चलना चाहिए तो गरिमा ने कोई जवाब नहीं दिया शायद उसका मन मेरे साथ ही समय बिताने का था। मैंने गरिमा को कहा हम लोग मेरे दोस्त के घर पर चलते हैं।

गरिमा भी बात मान गई क्योंकि उसे भी अच्छे से मालूम था कि शायद हम दोनों के बीच संबंध बनने वाला है। वह भी अपनी चूत की खुजली को मिटाने के लिए तड़प रही थी और यही वजह थी कि हम दोनों जब मेरे दोस्त के घर गए तो वहां पर मैंने जब गरिमा को अपनी बाहों में लिया तो वह बहुत ही ज्यादा खुश हो गई थी। वह मुझसे कहने लगी मुझे बहुत अच्छा लग रहा है अब तो मैं गरिमा के होठों को अच्छे से चूमने लगा था उसके नरम होठों को चूसकर मैने खून भी निकाल दिया था गरिमा पूरी तरीके से गरम हो गई और तड़पने भी लगी थी। वह बिल्कुल भी रह नहीं पा रही थी उसने मुझसे कहा मुझसे रहा नहीं जा रहा है हम दोनों ही एक दूसरे के बदन को महसूस करने के लिए उतावले थे। मैंने जैसी ही गरिमा के गरमा गरम स्तनों का रसपाना करना शुरू किया तो गरिमा तड़पने लगी। मैंने गरिमा के टॉप को उतारते हुए उसकी ब्रा को अपने हाथों से खोला। गरिमा को ब्रा को खोलते ही उसके स्तन मेरे हाथों में आ चुके थे मैं उन्हें दबाने लगा। गरिमा के स्तनो के साथ मुझे खेलने में मजा आ रहा था और उसे भी मजा आ रहा था। मैंने उसके स्तनों का रसपान बहुत देर तक किया जब वह पूरी तरीके से उत्तेजित हो गई तो मैंने उसकी जींस को उतारकर उसकी काली पैंटी को उतारा और मैंने जब गरिमा की पैंटी को उतार कर उसकी चूत पर अपनी उंगली से स्पर्श किया तो वह बहुत तडपने लगी।

मेरा भी मन ना उसकी योनि में अपने लंड को डालने का होने लगा था लेकिन गरिमा ने जब मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर सकिंग करना शुरू किया तो मुझे मजा आने लगा और गरिमा को भी बड़ा मजा आ रहा था। हम दोनों ही पूरी तरीके से तड़पने लगे थे अब हम दोनों ही बिल्कुल भी रह ना सके मैंने गरिमा से कहा मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा है। गरिमा भी पूरी तरीके से उत्तेजित हो चुकी थी मैंने जब गरिमा की चूत पर अपने लंड को लगाकर अंदर की तरफ धकेला तो गरिमा के मुंह से चीख निकली और उसकी योनि से खून निकलने लगा। उसकी चूत से खून बाहर की तरफ निकल रहा था।

गरिमा मुझे कहने लगी मैं अब रह नहीं पाऊंगी मैं भी समझ चुका था कि वह बिल्कुल नहीं पाएगी लेकिन मैंने उसे बड़ी ही तीव्रता से धक्के मारने शुरू कर दिए थे। गरिमा को भी मजा आने लगा था मैंने उसे घोड़ी बना कर धक्के देने शुरू कर दिए उसका पूरा बदन हिलने लगा था मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आने लगा। मैं गरिमा को लगातार तीव्र गति से धक्के मार रहा था गरिमा की चूत से निकलता हुआ पानी बहुत ज्यादा बढ़ चुका था। उसकी योनि से इतना खून निकल आया था कि मैंने गरिमा से कहा अब मैं तुम्हारी चूत के अंदर अपने माल को गिराना चाहता हूं। मैने गरिमा की चूत पर वीर्य की पिचकारी मारी। जिससे वह बड़ी खुश हुई है और कहने लगी आज मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। गरिमा का मन मेरे साथ सेक्स करने का था यही वजह थी कि उसने मेरे साथ जमकर सेक्स का मजा लिया।
 
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