sexstories

Administrator
Staff member
जैसा आप सबने पिछले भाग चुदाई यात्रा - १ में पढा, हम सब रूपा के घर मे मस्त होकर मजे कर रहे थे। और मै अपने प्यार से चुदाई के सपने देख रहा था। सब अपने अपने मजे में थे और मस्त होकर जवानी के मजे ले रहे थे। लेकिन अब सबको ही भूख भी लगने लगी थी। और सबका मन अब कुछ खाने का हो रहा था। उसकी एक दोस्त निशा जाकर सोफे पर लेट गई और अब उसने उठने से सीधा मना कर दिया।

तो मैंने रूपा से कहा, "यार कुछ खाने को भी ले आओ, जिससे हम थोडा ज्यादा देर नाच सके। अभी और नाचा नही जायेगा।"

तो रूपा बोली, "हाँ, मैं भी तब से सोच रही थी। दो मिनट रुको अभी खाने का इंतजाम कर देती हूँ।"

तो मैंने सबको डाइनिंग टेबल पर बैठने को बोला और भक्ती के साथ रूपा की हेल्प करने के लिए किचन में चल दिया। खाने के लिए बहुत कुछ इंतजाम पहले से करके रखा था। बस वो सब खाना उठाकर बाहर लाना था, तो हम तीनों ने मिलकर सब खाना लगा दिया। सबने जल्द ही खाना खत्म किया और अब सब आराम करने लग गए। तभी रूपा ने भक्ती का नाम लेकर मेरी टांग खींचना शुरू कर दी। तो सारे के सारे उसका साथ देने लगे।

तो सब ने हमसे पूछा, "तुम दोनों मिले कैसे? प्यार का इजहार किसने किया?"

तो मैंने उनको सब स्टोरी बोल दी और उसके बाद विकी, रूपा का दोस्त, उसने बोला, "मतलब तुमने अभी तक कुछ नही किया, क्या यार किस भी नही।"

तभी निशा बोली, "अभी ये दोनों किस करने वाले है, हमारे सामने।"

उसका इतना कहना था कि, सब हमे चीयर करने लगे। मुझे लगा भक्ती मना करेगी, लेकिन वो मेरी तरफ आगे बढी तो मैं भी आगे बढ गया। फिर हम दोनों एक-दूसरे के पास आ गए और मैंने उसके बालों को पीछे से पकडकर धीरे से उसका मुंह थोडा ऊपर उठाकर हल्के से उसके होठों पे अपने होंठ रख दिए। आह..ये भक्ती और मेरा पहला कीस था। और ये कीस करने में हम दोनों ही लगे हुए है, ना तो मैं रुकने का नाम ले रहा हूँ और ना ही वो। सबसे पहले तो हमारे होंठ मिले उसके बाद हमारी जीभ एक-दूसरे से कबड्डी खेलने लग गई। फिर मैं उसका निचला होंठ चूस रहा था, बहुत ही रसीले होंठ थे, मेरा तो छोड़ने का मन ही नही कर रहा था।

कीस करते करते मेरे हाथ उसके शरीर पर घूम रहे थे। हमे इस दौरान ये भी ध्यान नही रहा की सारे दोस्त हमे देख रहे है, और हम बस कीस किये जा रहे है। फिर आखिरकार रूपा ने मेरी पीठ से मुझे धक्का लगाकर भक्ती के ऊपर गिरा दिया तब जाकर हम अलग हुए।

हमारे अलग होते ही सब ने शोर मचाना शुरू कर दिया। फिर उनमें से कोई एक बोला, "शायद हमे इन दोनों को एक कमरे में बंद कर देना चाहिए।"

तो शालू बोली, "इनके प्यार में हम बिच नही आएंगे, दो प्रेमियों का मिलन करवा दो।"

और सभी हसने लगे। तभी विकी और राम उठकर मुझे और भक्ती को धकेलते हुए एक रूम में बंद कर दिया। अब मैं और भक्ती एक रूम में बंद थे और बाकी सब बाहर हॉल में थे। और उन्होंने दरवाजे को बाहर से लॉक कर दिया ताकि हम बाहर ना निकल सके।

हम दोनों के बदन में पहले से ही बाहर की कीस की वजह से आग लगी हुई थी। तो हम दोनों ने जरा भी देर ना करते हुए हम एक दूसरों के होठों को चूसने में लग गए। होठों को चूसते हुए मैंने बिच में उसका निचला होंठ जोर से काट दिया, जिससे उसकी आह निकल गई।

उसने मुझसे थोडा अलग होते हुए, बनावटी गुस्सा बनाते हुए मुझे हल्का मुक्का मार दिया और बोली, "अब तो एक रूम में बंद है हम दोनों। अब मैं कहाँ भागे जा रही हूँ, तुम्हारी ही तो हूँ। लेकिन बस आराम से करो जो करना है।"

मैंने कहा, "तुझे देखके मुझे सब्र ही नही होता।"

और फिर मैंने उसे अपनी तरफ खिंचकर उसके होठों पे अपने होंठ रख दिए। और सीधे उसके मुंह में मैंने अपनी जीभ घुसा दी और उसकी जीभ से अडखेलियां खेलने लगा। मेरे हाथ उसके पीठ से होते हुए उसके चूचों पे पहुंच गए। अब मैं उसकी गर्दन को चूमते हुए, उसके चूचों को मसल रहा था और वो मेरा सर अपने चूचों में दबाने लगी। मैं तो मानो जन्नत में था।

हम दोनों तो एक-दूसरे में खोते जा रहे थे। तभी मैंने उसे उठाकर आराम से बेड पे लिटा दिया। और खुद भी जाकर उसके बगल में बेड पर लेट गया, फिर उसे किस करने लगा। मैं उसको साइड से ही कीस किये जा रहा था और अब मैं अपना एक हाथ उसकी कमर पे लेकर गया और उसके टॉप के अंदर हाथ घुसाने की कोशिश करने लगा। उसका टॉप बहुत ही टाइट था, तो मुझे हाथ घुसाने में थोडी मुश्किल तो हुई, लेकिन आखिर में सफलता मिल ही गयी। वो भी मुझे किस करते हुए मेरी पीठ सहला रही थी।

मैं उसके पेट पर नाभि के इर्द गिर्द अपना हाथ घुमाने लग गया। अब मैंने किस रोकते हुए उसकी आँखों में देखा और वो मुझे अपनी आँखों से कहना चाह रही थी, आओ, खा जाओ मुझे। उसने तो मेरे अलग होते ही मेरी शर्ट पकडकर फिर से मुझे अपने पास खिंच लिया और मेरे होंठ अपने कब्जे में ले लिए। वो कुछ अलग अंदाज में थी। फिर मैंने अपना हाथ उसके टॉप में घुसा दिया और सीधा उसके चूचों को मसलने लगा। पहले मैंने उनको सहलाया, फिर आराम से मसलने लगा उसके बाद मैं अचानक से पूरी बेरहमी के साथ उसके चूचों को मसलने लगा। हालांकि मुझे बहुत दिक्कत हो रही थी, उसके टॉप की वजह से। तो मैंने अपना हाथ निकाल लिया टॉप से और अब में सीधा उसके ऊपर आ गया, अब थोडी ही देर में टॉप भी उतरने ही वाला था तो थोडी देर के लिए दिक्कत उठाई जा सकती थी, उसके बूब्स को छोडकर।

उसको सीधा लिटाकर मैं उसके ऊपर लेट गया, आह..क्या फीलिंग थी, मैं शब्दों में बयां नही कर सकता। और फिर से उसके होठों पे एक किस देकर मैंने एक बार उसकी आँखों में देखा, और उससे पूछा, "तुम भी यह चाहती हो ना?"

इस पर उसने बडी ही कामुक अदा के साथ मुझे अपने पास खिंचते हुए अपना जवाब दिया, "अगर मैं यह नही चाहती, तो क्या आज तुम यहाँ होते। अब सवाल जवाब बाद में, पहले अपना काम पूरा करो, मेरे अंदर की आग मुझे जलाये जा रही है।"

तो अब मैंने भी ज्यादा बात करने में वक्त जाया नही किया और सीधा उसके चूचों पे अपने मुंह को लगा दिया। मैं टॉप के ऊपर से ही उसका एक चूचा अपने मुंह में लेकर चूसने लगा, और दूसरे को हाथ से मसलने लगा। वो बेडशीट को अपने मुट्ठियों में भींचकर आहें भरने लगी थी। जैसे ही मैं उसके चूचों पे काट देता, उसके सित्कारों की आवाज और बढ जाती।

अब मैंने उसके पैरों को अलग करके उन के बीच में आ गया। और उसके टॉप को थोड़ा ऊपर करके मैं उसके पेट को चूम रहा था। पेट को चूमते वक्त मैं एक हाथ उसकी कमर को पकडे रखा था और दूसरे से कभी उसके चूचों को सहलाता तो कभी उसके मुंह में अपनी उंगलियां दे देता, जिसे वो बडे प्यार से चूस रही थी। मैं भी उसके पेट पर से टॉप को धीरे धीरे ऊपर की ओर उठाते हुए, उसे चुमें जा रहा था। जैसे जैसे मैं उसके टॉप को ऊपर की ओर खिसका रहा था, वैसे वैसे उसका संगमरमर जैसे चमकीला और रसीला बदन मेरे सामने आने लगा, जिससे मैं धीरे धीरे अपना आपा खोने लगा था। जैसे ही मैंने उसके टॉप को ऊपर खिसकाकर चूचों के ऊपर तक उठा दिया, मैं तो बस उसे देखता ही रहा।

उसने डिज़ाइनर वाली पैडेड ब्रा पहनी हुई थी, जिससे उसके क्लीवेज तक का पार्ट आराम से देखा जा सकता था और चूचों के घुंडियों से लेकर ही उसकी ब्रा उसके चूचों को ढकती थी। मुझे वैसे अपने चूचों की तरफ देखता हुआ देखकर वो बोल उठी, "अब से मेरे शरीर का हर एक हिस्सा तुम्हारा है, जिसके साथ जो करना है वो करो, मैं तुम्हे कभी नही रोकूंगी।"

मैंने बस उसकी तरफ देखा और ब्रा के ऊपर से ही उसके चुचुकों को अपने मुंह में भर लिया। अब हाल कुछ ऐसे था जैसे वो अपने खुद के हाथों से मेरे मुंह को अपने बूब्स में दबा रही थी। मानो कहना चाह रही हो, "सारा रस निचोड ले आज इनका।"

मैं भी पूरा मस्त होकर उसके बूब्स को चूसते हुए मसलकर बिच बीच में काट भी रहा था। अब उसका टॉप बस नाम मात्र के लिए रह गया था, जो की उसके गर्दन के पास बूब्स के ऊपर आकर रुका था। तो मैंने उसे निकालना ही ठीक समझा और जैसे ही मैं उसके टॉप की तरफ बढा उसने अपने हाथ स्वयं ही ऊपर की ओर करके सर को थोडा सा ऊपर की ओर उठा लिया जिससे मुझे टॉप उतारने में कोई तकलीफ ना हो। जैसे ही उसने सर उठाया मैंने देर न करते हुए झट से टॉप निकालकर उसे साइड में रख दिया।

अब चुदाई का खेल होना लाजमी था, दोनों में हवस भरी हुई थी। और उत्तेजना दोनों पर हावी हो चुकी थी। आपको यह कहानी कैसी लगी कमैंट्स में बताइए।
 
Back
Top