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चुदाई के इस हवस भरे सफर में अब तक आपने पढ़ा, मै और रूपा चुदाई कर चुके थे, इस कहानी का पिछला भाग चुदाई यात्रा-७ के आगे-

हम फिर से बेड पर आ गए। अब मेरे मन में भक्ती के विचार आने लगे, तो मैं रूपा पर कोई रहम नही दिखाना चाहता था। मैं रूपा को पूरी बेरहमी के साथ चोदना चाहता था, अब मैंने मन में ठान लिया था कि रूपा को अब रंडी की तरह चोद दूंगा। मैंने बेड पर आते ही उसे जोर से धक्का दिया और वो बेड पर गिर गई। मै उसे वैसे ही घसीट के बीच में ले आया और उसकी कमर के नीचे तकिया ठीक से सेट किया। अब उसकी गांड खुलकर मेरे सामने आ गई। मैंने पास के टेबल से एक क्रीम उठाई और अपने लण्ड पर लगा दी और थोड़ी एक उंगली पे लेकर उसकी गांड में अंदर से लगा दी।

फिर मैंने अपने लंड को उसकी गांड के छेद पे टिका दिया और उसकी कमर को कस के पकड लिया। मैंने पहला झटका ही इतनी जोर से मारा कि, मेरा आधा लण्ड सीधे उसकी गांड में चला गया। और वो दर्द से छटपटाने लगी, अपने हाथ पैर पटकने लगी। लेकिन मेरी पकड मैंने ढीली नही की, जिसके चलते वो चिल्लाने से ज्यादा और कुछ नही कर सकती थी। अब पूरे घर में कोई नही था, तो मुझे उसकी चीखों से कोई फर्क नही पडता था।

मैंने बिना रुके दूसरा धक्का भी दे मारा, तो मेरा पूरा लंड अब उसकी गांड के अंदर था। और उसकी चीखें तेज होती जा रही थी। जैसे ही मेरा पूरा लौडा अंदर घुस गया अचानक से उसकी चीखे एकदम कम हो गई और वो बेबस सी होकर पीछे मुडकर मेरी तरफ देखने लगी। उसकी आँखों में आंसू थे, और चेहरे से दर्द का पता साफ़ चल रहा था।

तभी मैंने उसके चुतड़ों पर जोर का चांटा मार दिया, जिससे उसने अपनी गांड कस ली। मैं अब उसकी गांड पे चांटे लगाते हुए उसकी गांड में अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था। थोडी ही देर में उसे भी मजा आने लगा, तो वो भी अपनी कमर हिलाते हुए मेरा साथ देने लगी। मैं भी अब अपने आधे से ज्यादा लंड को बाहर निकालता और एक ही झटके में पूरा लौडा अंदर घुसे देता।

उसकी गांड बहुत की कसी हुई थी, इसलिए अब मेरे लंड में थोडी जलन होने लगी थी। तो मैंने अब उसकी गांड में अपना पूरा लंड घुसेड दिया और उसके ऊपर झुककर उसके बूब्स से खेलने लगे। और मैंने उसके बाल एक तरफ हटाकर अपने होंठ उसके गर्दन पर रख दिए और चूमने लगा। तभी वो बोली, "राम अब पीछे बहुत जलन हो रही है, अब बस करो, फिर कभी क्र लेना।"

मैंने कहा, "तेरी गांड मारने में मजा तो बहुत आया, लेकिन थोडी ज्यादा ही कसी हुई होने से मेरे लंड में भी जलन हो रही है। तो अब तेरी चुत चुदेगी।"

इतना कहते ही मैंने उसके एक चूची को जोर से मसलकर दूसरी को बेरहमी से खिंच दिया, जिससे उसकी दोनों चुचियां लाल पड चुकी थी। और उसके मुंह से एक और चीख निकल गई।

मेरा वहशीपन देखकर वो बोली, "जान मुझसे बदला ले रहे हो क्या, जो इतनी बेरहमी दिखा रहे हो?"

मैंने अपना लंड उसकी गांड से निकाल लिया और उसको पलटने को कहा, वो पलटते हुए मेरी तरफ देखे जा रही थी लेकिन, मैंने उसकी बात का जवाब देना उचित नही समझा। शायद उसे जवाब चाहिए था। जैसे ही वो पलटी, मैंने सबसे पहले अपनी एक उंगली सीधे उसकी चुत में घुसा दी और उसे निकालते ही लंड उसकी चुत पे रगडा और एक ही झटके में उसे भी उसकी चुत में घुसेड दिया। अब तक वो समझ चुकी थी कि, उसे ऐसी ही बेरहमी से भरी चुदाई सहन करनी पडेगी।

तो उसने भी शांत रहना ही ठीक समझा। और मैंने उसकी कमर को पकडकर गपागप धक्के देना शुरू किया। अब मैंने अपना एक हाथ उसके बूब्स पे ले जाकर उसके निप्पल को अपनी उंगलियों के बीच पकडकर मसलते हुए जोर से खिंच दिया। अब मैं झडने के करीब था तो मैंने अपने धक्के तेज कर दिए और उसके ऊपर झुककर उसके बूब्स पे, होठों पे, गर्दन पे काटने लगा। और वो अपने मुंह से जोर जोर से सित्कारे निकाल रही थी। तभी मैंने अपना सारा माल उसकी चुत में उडेल दिया, और उसके होठों को काटते हुए झड गया। उसकी चुत में माल गिराकर मैंने अपना लंड चुत के बाहर निकालना चाहा, तो उसने अपने पैरों को मेरी कमर से लपेटकर मुझे अपनी बाहों में कस लिया जिससे मैं लंड निकाल न सका।

फिर उसने मुझसे कहा, "यार राम अगर तुम्हे ऐसा लग रहा है कि, मैंने धोखे से अपनी चुदाई करवाई तो एक ही बार में सारा गुस्सा निकाल दो, मैं तुम्हे कुछ नही बोलूंगी। लेकिन मुझसे ऐसा बेरुखा बर्ताव मत करो। इससे मेरा दम घुटने लगता है।"

मैंने दूसरी तरफ देखे जा रहा था, और जब मैं कुछ नही बोला तो वो फिर से बोली, "राम शायद तुम्हे असलियत पता नही है, लेकिन तुम अपना गुस्सा निकाल दो। उसके बाद आराम से बैठकर मैं तुम्हे सारी बात समझा दूंगी। अगर उसके बाद भी तुम्हे लगता है कि, मैं गलत हूँ तो तुम्हे जो सही लगे वो करो।"

उसके ऐसा कहने से मैं थोड़ा सोच में पड गया और मैंने बोल दिया कि, "मैं गुस्सा नही हूं तुमसे, लेकिन अगर भक्ती को पता चलेगा तो वो मेरे बारे में क्या सोचेगी? मैं उससे सच में प्यार करता हूँ। और मैंने उसे धोखा दे दिया, तो बस थोडा गिल्टी सा महसूस कर रहा हूँ।"

तो रूपा बोली, "ओके, लेकिन फिर मेरे साथ इतनी बेरुखी से क्यू पेश आ रहे हो? अच्छा ठीक है आज रात सारा गुस्सा और नाराजगी जो भी है अपनी भडास निकाल लो मुझ पर।"

मैंने कहा, "वैसा कुछ नही है, तुम सो जाओ वैसे भी रात बहुत हो चुकी है।"

और मैं उसके ऊपर से हटकर बाथरूम जाकर खुद को साफ़ करके आ गया। उसको भी टॉवल थमाते हुए फ्रेश होने को बोलकर मैं सोने लगा और वो बाथरूम की तरफ चल दी। थकान के कारण मुझे लेटते ही नींद आ गई।

अचानक मुझे मेरी छाती पे कुछ महसूस हुआ तो मेरी आँख खुली, मैंने देखा तो रूपा अपना हाथ मेरी छाती पे चला रही थी। जैसे ही उसने देखा कि मेरी नींद खुल गई है, वो उठी और मेरे लबों को अपने लबों से मिला लिया। वो नहाकर आई थी, उसके बाल अभी भी गीले थे। मैंने समय देखा तो सुबह के चार बजने को थे। मैंने भी फिर उसे अपने ऊपर लिया और उसके होठों का रसपान करने लगा। वो मेरे ऊपर आते ही अपनी चुत को मेरे लंड पर रगड़ने लगी थी। मेरा लंड सोये हुए शेर की तरह एकदम मासूम बना हुआ था, लेकिन उसके इस तरह से चुत रगडने से अब मेरे लिंग में तनाव आना शुरू हुआ।

मैंने रूपा से कहा, "तुम सोई नही अब तक?"

तो उसने कहा, "मैं तो बस अभी अभी नहा के आई हूँ, तुम ही बहुत जल्दी सो गए।"

तो मैंने कहा, "आज की रात में मैं अपना सारा गुस्सा तुझपे उतार दूंगा। तेरी वजह से मेरी नियत बिगड गई।"

तो रूपा बोली, "अच्छा जनाब, जो करना है कर लो। लेकिन आज के बाद कभी मुझसे बेरुखी मत रखना।"

मैंने उसे उसके कंधो को पकड़कर मेरे ऊपर से नीचे बेड पर गिरा दिया। और एकदम से उसके ऊपर आकर उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए। किस के बाद मैंने उसे कहा, "रूपा तैयार हो जा अब दर्द सहने के लिए।"

इतना कहकर मैंने उसके ऊपर वाले होंठ पर काट दिया जिससे वह दर्द से बिलबिला उठी। अब मैंने थोडा नीचे आकर उसके गर्दन पे काटना शुरू किया, और मैं अपने हाथों से उसके बूब्स को मसलते हुए खिंच रहा था। इस सबकी वजह से उसकी कभी चीख निकल जाती तो कभी बस आह करके रुक जाती। गर्दन के बाद मैंने उसकी चूचियों पर पूरी तरह से हमला बोल दिया, पहले तो मैंने दोनों चूचियों को अपनी दोनों हथेलियों में लेकर बुरी तरह से मसल दिया। हालांकि उसकी चुचियां मेरी हथेली से बाहर निकल रही थी, फिर भी मैंने उन पर कोई रहम ना दिखाते हुए पूरी बेरहमी से उन पर चढ़ गया।

अब मैं उसकी एक चूची पर काट देता तो दूसरी का निप्पल पकडके जोर से खिंच देता। थोडी देर मे ही उसकी चुचियां फिर से लाल हो गई। अब मै उसके पेट पे बैठ कर उसकी चूचियों को पास कर लिया और उसकी दोनों चूचियों के बीच अपना लंड घुसेड दिया। अब मैं उसकी चूचियों को चोद रहा था। थोडी देर उसकी चूचियों को चोदने के बाद मैं थोडा और ऊपर खिसककर उसकी चूचियों पे आकर बैठ गया। अब मेरा लंड उसके मुंह से टकरा रहा था, वो समझ गई की मैं क्या चाहता हूँ।

तो उसने अपना मुंह खोलकर मेरे लौडे का स्वागत किया, अब मैं भी पूरी मस्ती से उससे अपना लंड चुसवा रहा था और वो भी कभी अपनी जीभ से लंड को चाट लेती तो कभी मेरे टट्टों पर से अपनी जीभ घुमा देती, जिससे मुझे एक अलग ही अहसास की अनुभूति मिलती।

अब मुझसे रोक पाना मुश्किल लगने लगा तो मैंने उसका मुंह पकडा और वहीं मैं घुटनो के बल खडा होकर उसके मुंह में धक्के लगाने लगा। उसके मुंह से बस गुँ..गुँ..गुँ..ऐसी ही आवाज निकल पा रही थी। उसके मुंह को चोदते हुए मैं झड गया। इस बार भी मैंने उसे अपना सारा माल पिलाया और उसके बाद ही उसके मुंह को छोडा।

आपको यह कहानी कैसी लगी, कमेंट्स सेक्शन मे जरूर बताइए। धन्यवाद।
 
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