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girl-ki-aschudaiअब तक चुदाई यात्रा - ८ में आपने पढा, कैसे मैने भक्ती और रूपा दोनों के साथ सेक्स सम्बन्ध बना लिए थे। अब आगे -

रूपा के मुंह मे अपना वीर्य छोडने के बाद मैं उसके ऊपर से उतरके उसके बगल में आ गया और फिर से उसके बूब्स को मुंह में भरके चूसने लगा। तभी मैंने अपना एक हाथ उसकी चुत पे ले जाकर एक उंगली उसकी चुत में घुसा दी, और उसे मैं अपनी उंगली से ही चोदने लगा। फिर मैंने एकसाथ अपनी दो उंगलियां उसकी चुत में डाल दी, और उसके बाद तीन। जैसे ही मैं एकसाथ तीन उंगलियां उसकी चुत में घुसाने लगा उसे दर्द होने लगा था। लेकिन फिर भी मैंने बिना रुके तीन उंगलियां घुसा दी।

उसके बाद मैंने उसे उल्टा लिटाया और गांड के छेद को अपनी ऊँगली से चोदने लगा। उसकी गांड के छेद में एक उंगली ही मुश्किल से जा रही थी। तो मैंने अपनी ऊँगली निकाली और उसके चुतड़ों पर जोर से चपेट लगाने शुरू किये। थोडी देर बाद, मैंने उसे फिर से सीधा लिटाकर उसके बूब्स पर चांटे लगाने शुरू किये। अब मैंने उसकी चुत में एकसाथ दो उंगलियां घुसा दी और जोर जोर से उन्हें अंदर बाहर करने लगा। तभी उसका बदन अकडने लगा, तो मैंने अपनी उंगलियों की रफ्तार बढा दी और उसके चूचों पर जोर जोर से चांटे बरसाने शुरू किये।

और उसने मेरे हाथ को अपने पैरों से जकड़ते हुए अपना कामरस बहा दिया। अब उसमें और ताकत नही बची थी, वो बस लेटी हुई थी। लेकिन मैं थोडी देर के बाद तुरंत ही उसके बूब्स को दबाने लगा, उसके नाभि के पास जीभ से चाटते हुए, चूमते हुए, काट देता। तो रूपा मुझे रोककर बोली, "यार राम बस भी करो, अब मुझमे और ताकत नही बची। तुमने मेरे पुरे शरीर को इतनी बेरहमी से मसला है कि अब सारे पुरजे ढीले हो गए है।"

मैंने उसकी तरफ देखा तो उसकी आंखें नम थी और चेहरा उदास लग रहा था, तो मैंने भी अब ज्यादा कुछ करना ठीक नही समझा। और जाकर मैं भी उसके बगल में लेट गया। मेरे लेटने के बाद वो उठी और पीछे सहारा लेकर बैठ गई।

वो मुझसे बोली, "राम शायद अब मैं जो तुम्हे बताने जा रही हूँ, उससे तुम्हे बुरा लगे लेकिन वही सच है। तुम अब कुछ मत बोलो और मुझे बिच में मत रोकना।"

इतना बोलकर वह पूरी कहानी बताने लगी,उसने बताया कि भक्ती और रूपा ने पहले ही निर्णय ले लिया था कि जो भी भक्ती का बॉयफ्रेंड बनेगा उससे दोनों मजे लेंगी। तभी भक्ती और रूपा ने मिलकर यह प्लान बनाया था, ताकि सब उनके सोचे अनुसार हो जाए। भक्ती के पापा बिलकुल ठीक थे, किसी का कोई एक्सीडेंट नही हुआ था, ये भी उनके प्लान का ही एक हिस्सा था ताकि इस घर में मैं और रूपा ही रहे और दोनों को कुछ समय मिले, जिसमे रूपा को अपना जलवा दिखाकर मुझे अपने जाल में फसाना था। लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नही सोचा था कि, किसी को धोखा देना है या कुछ और।

वो दोनों ने बस इसे एक मजाक के तौर पर लिया था और दोनों का मानना था कि, सेक्स का मजा खुलकर लेंगे। इसीलिए उन्होंने यह सब किया, और उसके बाद रूपा ने मुझे एक और हैरान करने वाली बात बताई, जिस कमरे में भक्ती और मैंने अपने सुखद पलों का अनुभव किया था और अभी हम जिस कमरे में थे, वो सेम था। और इस कमरे में एक कैमरा लगा हुआ था, जिसमे पूरा कमरा साफ़ साफ़ दिखाई देता था।

रूपा आगे बताने लगी, जब मै भक्ती को छोडने गया था, तो उसने कैमरे की रेकॉर्डिंग देख ली थी और उसे मेरा सेक्स करने का अंदाज काफी पसंद आया था। वो मेरे साथ बिताने वाले पलों के बारे में सोचकर और भी रोमांचित हो रही थी। उसे लगा था कि, आज की रात उसे मैं बहुत अच्छे से प्यार करूँगा, लेकिन उसने ये कभी नही सोचा था कि उसका पासा इस तरह से भी जा सकता है। उनका प्लान और दो दिन का था, और कल सुबह भक्ती भी यहाँ आनेवाली थी। फिर हम तीनों मिलकर मजे करे, यही उनका प्लान था।

यह सब सुनते ही मैं तो लगभग हैरान हो गया। इतनी भोली दिखनेवाली भक्ती भी ऐसा कुछ सोच सकती है। फिर आगे बढते हुए रूपा और कहने लगी, यह सब भक्ती की मर्जी से ही हुआ है, तो तुम ऐसा मत सोचना की तुमने उसे धोखा दिया है। कोई और होता तो शायद बहुत जल्दी पिघल गया होता, लेकिन तुम भक्ती से प्यार करते हो इसलिए तुम इतनी देर तक टिके रहे। भक्ती सच में बहुत लकी है जो उसे तुम मिले। अब सब तुम्हारे ऊपर है, अब से तुम जैसा चाहोगे वैसा ही होगा। कल सुबह दस बजे भक्ती भी यहाँ आ जायेगी, तो बाकी सब तुम पर है।
इतना कहके उसने एक किस दिया और गुड़ नाईट बोलके सोने लगी।

मैंने भी उसे सॉरी बोला, मैंने भी बिना कुछ जाने तुम्हे अपना वहशीपन दिखाया। तुमसे बहुत बेरुखी से पेश आया, इसलिए मुझे माफ़ कर दो।

वो बस मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा दी, और सो गई; तो मैंने भी उसे परेशान ना करते हुए सोने दिया और खुद भी सोने लगा।

सुबह सूरज की रोशनी मेरे चेहरे पर पडने से मेरी नींद खुली, बगल में देखा तो रूपा थी नही। फिर मैं भी उठा और, उठकर रूपा को देखने लगा। हॉल में आते ही मुझे बाथरूम में पानी गिरने की आवाज आई, तो मुझे समझते देर नही लगी, कि रूपा नहा रही है। कल रात सेक्स के बाद उसने जो भी सच्चाई बताई, उस वजह से मेरे मन मे खेद था। तो मैंने सोचा, क्यों न मैं अभी रूपा को वो मजा दूं, जिसके लिए उन्होंने प्लान बनाया था। और यह सोचकर मैं बाथरूम के दरवाजे पे नॉक किया, तो उसने दरवाजा खोल दिया और मैं अंदर चला गया।

अंदर घुसते ही मैंने अपने भी कपडे उतार दिए और उसके साथ शावर के नीचे हो लिया। मेरे इतना करने के बावजूद उसके तरफ से कोई मेरे लिए कोई इशारा नही था।
शावर के नीचे होते ही मैने उसका हाथ पकडकर उसे अपनी तरफ घुमाया और उसके होठों पे एक प्यारा सा चुम्बन दे दिया। फिर उसे अपनी बाहों में लेकर उसके बदन को सहलाना शुरू कर दिया।

उसके कान के पास मैंने उससे कहा, "कल जो भी हुआ उसे भूल जाओ, आज से नई शुरुआत करते है।"

वो मेरी तरफ देखकर बस मुस्कुरा दी। तो मैंने उसे अपनी बाहों में और कस लिया। अब मेरे दोनों हाथ उसके उरोजों का नाप ले रहे थे। उसके स्तनों को मैं मसल रहा था, लेकिन इस बार कल की तरह वहशीपन नही था। आज उसके स्तनों को मसलने में भी एक प्यार भरा हुआ था। फिर मैंने धीरे से उसके होठों को छोडकर उसकी गर्दन पर आ गया और अपना एक हाथ नीचे से पीछे ले जाकर उसके चुतड़ों पर रख दिया। अब मेरा एक हाथ उसके पीछे गांड को मेरी तरफ धकेलते हुए दबा रहा था और दूसरा उसके उरोज को सहलाते हुए मसल रहा था।

थोड़ी देर उससे चुम्माचाटी करने के बाद मैं अपने घुटनों पर बैठ गया और उसको थोडासा अपनी तरफ खिंच लिया। जिसकी वजह से उसकी कमर अब मेरे मुंह के सामने आ गई। तो मैंने पहले उसकी कमर से किस करना शुरू किया और धीरे धीरे नीचे उसकी चुत की तरफ बढने लगा। जैसे ही मैं उसके चुत के पास पहुंचा, उसका शरीर अकडने लगा और वो एक झटके के साथ झड गई, झड़ते हुए उसने मेरे सर को नीचे उसके चुत पर दबाने की कोशिश की, लेकिन कर नही पाई। तभी वो लगभग गिरने वाली थी, लेकिन दिवार का सहारा लेकर बच गई।

उसके थोड़ा नॉर्मल होने पर मैंने अपना एक हाथ ऊपर ले जाकर उसके चूचों को दबाने लगा। और फिर धीरे से अपने होंठो को उसकी चुत के उभरे हुए होठों से मिला लिया। जैसे ही मैंने उसकी चुत पे अपने होंठ रखे, वो सिहर गई। मैं उसकी चुत को चाट रहा था, तभी उसके फोन की रिंग बजने लगी। तो उसने बोला, "भक्ती आनेवाली होगी, वो आने से पहले मुझे कॉल करती है। तो अब और ज्यादा मत तड़पाओ, जल्दी से अपना मूसल मेरे अंदर डाल दो।"

तो मैंने भी अब देर ना करते हुए उठकर उससे पूछा, "तुम कौनसी पोजिशन में लण्ड अंदर लेना चाहोगी?"

तो उसने बोला, "मैं ऐसे ही खड़े खड़े चुदना चाहती हूं।"

तो मैंने अपने लण्ड को उसकी चुत के प्रवेशद्वार पर रखते हुए एक हल्का सा धक्का मारा, मेरे लण्ड का टोपा उसकी चुत में प्रवेश कर चुका था। उसने अब अपने हाथों को मेरे गले से लपेट लिया और अपनी टांगो को मेरी कमर के इर्द गिर्द डालकर लॉक कर दिया। मैं उसे उठाकर दीवार के पास ले गया। अब वो मेरे कंधे को चूम रही थी और उसके हाथ मेरी पीठ पर नक्शा बना रहे थे। तो इधर मैंने भी अपने धक्कों की गती थोड़ी बढा दी। उसने मुझे कसके पकड़ लिया और जोर से सित्कारे भरते हुए झडने लगी।

तभी अचानक उसके घर की डोरबेल बजी। तो मैं उसकी आँखों मे सवालिया निगाहों से देखने लगा। तो वो बोली, "तुम रुक क्यों गए? तुम अपना काम चालू रखो, बाहर भक्ती ही होगी।"

यह कहानी आपको कैसी लगी जरूर बताइए। धन्यवाद।
 
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