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नमस्कार मित्रों मै सलोनी आज आपके सामने अपनी कहानी का अगला भाग लेकर फिर से हाजिर हूं। इस कहानी में पढिए, किस तरह मेरी चुदाई की भूख ने मुझे एप्ने दूधवाले भैया से चुदने पर मजबूर कर दिया। जानिए कैसे मैने उसे अपने जाल में फंसाया।

अब तक आपने मेरी पिछली कहानी चुदाई लीला में पढा कि, मेरी चुदाई आधी अधूरी छोडकर मेरे पती को जाना पडा। लेकिन इधर मेरी चुत की प्यास तो अब तक बुझी नही थी।

मैं पूरी तरह चुदास से भरी हुई थी। तो मैने किचन में जाकर अपनी चुत के लिए एक बैंगन या खीरा ढूंढने लगी। आखिर में मुझे एक गाजर मिल गया।

फिलहाल के लिए मैने उस गाजर से ही अपनी चुत का पानी निकाला लेकिन असली लंड का मजा कुछ अलग ही होता है। और अब मेरी चुत असली लंड मांग रही थी।

अब मेरा हाल कुछ ऐसा था कि, मुझे कोई भी मर्द मिल जाए तो मै उससे अपनी चुत चुदवा लुंगी। मै बाथरूम में जाकर शावर खोलकर ठंडे पानी के नीचे खडी हो गई, लेकिन इससे तो चुत की प्यास और भी बढने लगी थी।

फिर मै बाहर आकर वैसी ही नग्न होकर अपने बिस्तर पर लेट गई। मैने एक बार अपने पती को कॉल भी किया लेकिन शायद वो अपने काम मे व्यस्त थे, तो उन्होंने फोन नही उठाया।

कुछ देर वैसे ही लेटने के बाद, मुझे नींद आ गई। मेरी नींद डोरबेल बजने की वजह से खुल गई। अब तक मै नंगी ही थी, तो बस एक नाइटी पहनकर दरवाजे पर कौन है, देखने के लिए चली गई।

दरवाजा खोलकर देखा, तो दूधवाला दूध लेकर आया था। उससे मैने दूध ले लिया, और अंदर आकर दूध अपने बर्तन में डालने लगी। तभी मेरे मन मे एक खयाल आया कि, यह भी तो अच्छा ही है दिखने में। यह भी मेरी प्यास बुझा सकता है।

तो मैंने इसे टेस्ट करने की ठानकर अपने आप को ठीक किया और उसका बर्तन लौटाने के लिए बाहर गई। बर्तन देते समय मैने उसे अंदर आकर बैठने के लिए कहा, तो वो भी तुरंत मान गया।

वो अंदर आकर बैठ गया, तो मैंने उसे पानी लाकर दिया। पानी देते समय मै उसके सामने जान-बूझकर थोडा ज्यादा झुक गई, जिससे उसे मेरे दूध के दर्शन हो जाए।

जैसा मैने सोचा हुआ भी ठीक वैसे ही, जैसे ही मै झुकी, उसकी नजर मेरे चूचियों पर पडी। शायद उसे भी अब तक समझ आ चुका था कि, मै चुदासी हो गई हूं, और अब मुझे लंड की जरूरत है।

उसने भी अब मेरे मन की बात जान ली थी, लेकिन उसे भी समझ नही आ रहा होगा कि पहल कैसे की जाए।

शुरुआत तो मुझे ही करनी थी, वरना यह मौका मेरे हाथ से छूट जाता और मेरी चुत प्यासी की प्यासी ही रह जाती।
तो मैने ही उससे कहा, "ऐसे क्या देख रहे हो मुझे? पहले कभी किसी लडकी को ठीक से देखा नही क्या?"

तो वो बोला, "देखा तो बहुतों को है, मेमसाब लेकिन आपकी जैसी सुंदर कोई नही है।"

इस बात पर तो मै पूरी शरमा गई। मैने उसको और थोडा खोलने के लिए कहा, "अच्छा ऐसा क्या है मुझमे जो आपको औरों में नही दिखता?"

तो फिर उसने थोडा सोचकर बोला, "आपकी पतली कमर पर मेरा दिल आ गया है मेमसाब। आपका बदन भगवान ने बहुत फुरसत में बनाया होगा, हर एक अंग सही तरीके से तराशा हुआ है।"

इतना बोलने के बाद वो मेरी चूचियों को घूरने लगा। उसे मेरी चुचियां और दिखे इसलिए मैं भी थोडा और नीचे को झुक गई।

मेरे नीचे झुकते ही वो उठकर मेरे पास आया और सीधे उसने अपना एक हाथ मेरी चूचियों पर रख दिया। मुझे कुछ समझ आता इससे पहले ही उसने मुझे उठाते हुए अपनी बाहों में भी भर लिया।

मुझे अपनी बाहों में भर्ती ही उसने मुझे जोर जोर से चूमना शुरू कर दिया। मैने बस दिखावे के लिए उसे एक दो बार रोकने की कोशिश की, लेकिन उसने मुझ पर अपनी पकड बहुत ही मजबूती से बनाई रखी थी।

फिर मैंने भी उसे रोकने की कोशिश छोडकर उसका साथ देना ही ठीक समझा। वैसे भी मै खुद ही उससे चुदवाना चाहती थी। उसने ऊपर एक सफेद कुर्ता और नीचे धोती पहन रखी थी।

मेरी चुत में वैसे भी आग लगी हुई थी, तो मैने अपना हाथ सीधे उसकी धोती के ऊपर से उसके लंड पर रख दिया। मेरे ऐसा करते ही वो मेरी तरफ देखते हुए बोला, "क्या हुआ मेमसाब, साहब ठीक से चोदते नही है क्या?"

इस पर मैने कहा, "साहब तो बहुत मस्त चोदते है, लेकिन उनका जो काम है, उस वजह से हमेशा नही चोद पाते। इसलिए मै अभी तेरे साथ हूं।"

उसने फिर बिना बात किए ही मेरी नाइटी के ऊपर से मेरे चुचियां सहलाना शुरू कर दिया। कुछ ही देर तक सहलाने के बाद उसने मेरी नाइटी को ऊपर उठा दिया, और मेरे निप्पल को अपनी उंगलियों में पकडकर खींचने लगा।

इससे मेरे मुंह से दर्द की सीत्कारे निकलने लगी थी, जिसे सुनकर वह बहुत ही खुश हुए जा रहा था।

थोडी देर ऐसे ही करने के बाद, उसने मेरी नाइटी को उतार दिया और मुझे पूरी तरह से नंगी कर दिया। मुझे पूर्ण रूप से नग्न अवस्था मे देखकर वो और भी उत्तेजित हो चुका था। उसने अब अपने कपडे भी उतारना शुरू कर दिया, और कुछ ही पल में वो भी मेरे सामने नग्न अवस्था मे खडा हो गया।

उसका लंड मेरे पती के लंड से थोडा अधिक मोटा था। लंबाई में दोनों समान ही लग रहे थे।

मैने उसके पास जाकर उसके लंड को अपने हाथ मे लेकर सहलाना शुरू कर दिया, वो भी कहाँ पीछे रहने वाला था। उसने भी मेरे चूचियों को मुंह मे भरकर चूसना चालू कर दिया। वो इस तरह से चूस रहा था जैसे पहली बार उसने चुचियां देखी हो।

मेरे निप्पल पर अपनी जीभ भी फिरा रहा था वो। उसकी जीभ मेरे निप्पल पर घूमने से मुझे और भी मजा आ रहा था।

मैने अब नीचे अपने घुटनों पर बैठकर उसके लंड को अपने मुंह के सामने किया, और धीरे से उसे चुम लिया। फिर मैने हल्के से एक बार उसके पूरे लंड पर अपनी जीभ फिराई। और आखिर में आकर उसके टोपे पर जीभ घुमाने लगी।

तो उसने मेरे मुंह को पकडकर अपना लंड जोर से मेरे मुंह मे घुसा दिया, उसका लंड उसने अचानक से मेरे मुंह मे घुसाने से वो सीधा मेरे गले तक गया। जिस वजह से मुझे खांसी आ गई। लेकिन उसका लंड मुँह मे होने की वजह से मै बस गुँ गुँ की आवाज करती ही रह गई।

कुछ देर तक वो अपने लंड से इसी तरह मेरे मुंह को चोदता रहा। फिर उसने मुझे उठाया और मुझे बिस्तर पर लिटाकर खुद मेरे दोनों पैरों के बीच मे आ गया।

आते ही उसने पहले तो अपने हाथ से मेरी प्यारी सी चुत को सहलाया, फिर अपनी एक उंगली मेरी चुत के बालों में घुमाई। उसके बाद धीरे धीरे मेरे चुत के होठों को सहलाते हुए उसने एक उंगली को मेरी चुत के अंदर कर दिया।

उसकी एक उंगली बडे ही आराम से मेरी चुत में चली गई। तो उसने अब एकसाथ दो उंगलियां मेरी चुत में घुसा दी। अब की बार मुझे थोडा दर्द हुआ, लेकिन कुछ ही देर में मेरी चुत ने जगह बना ली और अब मजा भी आने लगा।

उसने अब अपनी उंगलियां मेरी चुत से बाहर निकाले बिना ही मेरी चुत पर एक गहरा चुम्बन दे दिया। और चुत के आसपास चूमने लगा।

फिर उसने अपनी उंगलियां बाहर निकाल ली, और अब जीभ से मेरी चुत को चोदने लगा था। वो मेरी प्यारी सी चुत को ऐसे चूस रहा था, जैसे पूरा खा ही जायेगा। कुछ देर वो ऐसे ही चुसता-चाटता रहा, तो मेरी चुत ने अपना रस छोड दिया। जिसे वो सफाचट कर गया।

कुछ देर तक वो मेरे बगल में आकर लेट गया और मेरे उरोजों के साथ खेलने लगा। फिर वो मेरे ऊपर आ गया और अब उसने अपने लंड को हाथ मे पकडकर मेरी चुत पर रखा। उसने मुझ पर बिना रहम खाए, एक जोर का झटका मार दिया। मेरे मुंह से तो एक जोर से चीख निकल गई। दर्द के मारे मैने अपने नाखून भी उसकी पीठ में गडा दिए।

लेकिन उसने बिना रुके और धक्के मारना चालू ही रखा। कुछ देर के बाद मै भी इस चुदाई के मजे लेने लगी। और अपनी कमर उचकाकर अपनी चुत चुदवाने लगी। आखिर में उसने मेरी चुत में ही अपना वीर्य छोड दिया। और निढाल होकर मेरे बगल में लेट गया।

इस तरह से मैने मेरी अधूरी चुदाई दूधवाले से अपनी चुत चुदवाकर पूरी कर ली।

आपको मेरी कहानी कैसी लगी हमे कमेंट में बताइए। धन्यवाद।
 
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