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नमस्कार मित्रों मै जगदीश आज आपके सामने अपने जीवन का एक किस्सा लेकर आया हूं। यह कहानी आज से तीन साल पुरानी है, जब मै १८ साल का हुआ। इस कहानी में पढिए, कैसे मेरे दोस्तों ने मेरे जन्मदिन पर मुझे तोहफे में चुदाई का एक मौका दिया। उसी दिन अपने जीवन की पहली चुदाई करके मै लडके से मर्द बन गया।

उस दिन मुझे मेरे सारे दोस्तों ने मिलकर यह तोहफा दिया था, मेरे जन्मदिन के अवसर पर।
तो मै आप सबका अधिक समय ना लेते हुए सीधे कहानी पर आता हूं। सीधे मेरे जन्मदिन से शुरू करते है, रात बारा बजे मेरे सारे दोस्तों ने मुझे फोन करके विश किया। मेरे कमरे पर आकर सबने मिलकर एक केक भी काटा। फिर सुबह कॉलेज जाने पर जो भी दिखता, विश किए जा रहा था। आज मुझे बहुत स्पेशल फील हो रहा था। फिर मेरा बेस्ट फ्रेंड मेरे पास आया, और मुझसे बोला, "आज तेरे लिए हम सबने मिलकर तेरी जिंदगी का सबसे बडा तोहफा देने वाले है। तू यह तोहफा अपनी पूरी जिंदगी में कभी नही भूल पाएगा।"
मैने उससे पूछने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह इसके आगे कुछ नही बोला। फिर मेरे मन मे जानने की इच्छा और बढने लगी थी, लेकिन अब वह जानने का कोई रास्ता भी नजर नही आ रहा था। जैसे तैसे करके शाम हुई, और शाम को हम अपने एक दोस्त के घर गए। उसके घर के सभी सदस्य कहीं बाहर गए हुए थे, इसलिए पार्टी उसी के घर पर रखी थी। सारे दोस्त उसी के घर पर आ गए। अब बस केक आने का इंतजार था, जो लाने के लिए मेरा बेस्ट फ्रेंड गया हुआ था। उसके आते ही मैने केक काटा और फिर केक खाने के बाद सबने मिलकर मेरी आंखों पर पट्टी बांध दी, और मुझे एक कमरे में छोडकर उसका दरवाजा बाहर से बंद कर दिया।
थोडी देर बाद, मेरे पास कोई आया और मेरे आंखों पर बंधी पट्टी को खोलने लगा। जैसे ही मेरी आंखों पर बंधी पट्टी खुली, मेरी नजर उस पर गई, जो मेरी पट्टी खोल रही थी। मै समझ ही नही पाया, कि क्या हो रहा है? मै बस उसकी तरफ देखे जा रहा था। मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि, अब क्या करना है। तभी उसने मुझे मेरे हाथ से पकडकर बिस्तर पर बिठाया, और मुझसे बोली, "आज आपके जन्मदिन पर मै आपका तोहफा हूं।"
यह सुनकर फिर मुझे समझ आया कि, मेरा बेस्ट फ्रेंड किस तोहफे की बात कर रहा था। फिर मैने उससे अधिक सवाल न पूछते हुए उसका हाथ अपने हाथ मे ले लिया। और उससे पूछा, "क्या तुम यह सब करने के लिए तैयार हो?"
उसने मुझे कहा, "मैने इन सबके पैसे लिए है, और हां मै पूरी तरह से तैयार हूं।"
फिर मै उठा और सबसे पहले मैने कमरे के दरवाजे को अंदर से बंद कर दिया। फिर उसके पास आकर उसका नाम पूछने पर उसने हेमा बोला। हेमा एक बहुत ही सुंदर लडकी थी, जिसका जिस्म भरा हुआ था। हर जगह पर जितना भरा हुआ होना चाहिए, ठीक उतना ही भरा हुआ था, ना कहीं कम और ना ही कहीं ज्यादा। भगवान ने उसे पूरी फुर्सत के साथ बनाया होगा, तब जाकर यह इतनी कयामत ढाती है। इसको देखकर तो हर कोई अपना लंड मसल देता है होगा। ऊपर से उसका रंग दूध सा गोरा था, और उसके होंठ के नीचे एक तिल था, जो उसकी खूबसूरती को और बढाए जा रहा था।
अब मै और हेमा दोनों ही बिस्तर पर अगल-बगल में बैठे हुए थे। मुझे समझ नही आ रहा था कि, शुरुआत कहां से करूं। यह मेरे लिए पहली बार था कि, मै सेक्स करने जा रहा था। शायद हेमा मेरी परेशानी समझ गई और उसी ने फिर आगे बढकर मुझे अपने गले से लगा लिया। थोडी देर वैसे ही रहने के बाद, मैने उससे कहा, "मै तुम्हे एक रंडी की तरह नही, बल्कि अपनी प्रेमिका बनाकर चोदना चाहता हूं।"
तो वो बस मेरी तरफ देखकर हल्की सी मुस्कान बिखेर दी, और हां में अपना सर हिला दिया। फिर मैने उसके सर के पीछे अपना एक हाथ ले जाकर उसके बालों को पकडकर उसके मुंह को ऊपर की ओर उठा दिया, और उसके चेहरे पर अपने दूसरे हाथ की एक उंगली को घुमाने लगा। फिर धीरे से मैने अपने सर को उसके ऊपर झुकाकर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। थोडी ही देर में हम एक-दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे थे, कभी मै उसका निचला होंठ चूसता तो कभी वो मेरा। लेकिन हम दोनों ही एक-दूसरे का भरपूर साथ दे रहे थे।
थोडी देर तक हेमा के होंठ चूसने के बाद, मैने अपने होंठ उसके गाल से लेकर के गले पर ला दिए। अब मै उसके गले पर चूमते हुए अपनी जीभ भी वहां फिरा रहा था। तभी हेमा ने उसका हाथ मेरे बदन पर घुमाते हुए मेरे लंड पर लाकर रख दिया। और अब वो मेरे पैंट के बाहर से ही मेरे लंड को सहलाने लगी थी। उसको देखकर मैने भी अपने हाथ उसके शरीर पर घुमाने चालू कर दिए। अब मैने भी अपना एक हाथ उसके स्तनों पर रख दिया और दूसरा उसकी कमर पर। उसके स्तनों पर जो हाथ मैने रखा था, उसे हेमा ने पकडकर अपने स्तन को दबाना चालू कर दिया।
अब मै समझ चुका था, कि वो अपने स्तनों को दबाने को बोल रही थी। तो मैने भी ज्यादा देर न करते हुए, उसके स्तनों को मसलना शुरू कर दिया। जैसे ही मैने उसके स्तनों को पहली बार दबाया उसके मुंह से एक आह निकल गई। अब वो मेरे लंड को सहला रही थी, और मै उसके स्तनों को। धीरे धीरे मैने अब अपना दूसरा हाथ जो उसकी कमर पर रखा था, उसे हेमा के टॉप के अंदर घुसाना शुरू कर दिया। अब मेरा हाथ हेमा के टॉप के अंदर जाकर उसकी ब्रा के नीचे घुसने की कोशिश करने लगा था। लेकिन अंदर घुस नही पाया। थोडी देर बाद मैने उसके टॉप को ऊपर उठाना शुरू किया, और उसने भी टॉप उतारने के लिए मेरी सहायता की।
टॉप उतारने के बाद, अब वो मेरा शर्ट भी उतारने लगी थी, लेकिन वह मेरे शर्ट के बटन को अच्छे से नही खोल पा रही थी। तो मैने खुद ही अपनी शर्ट उतार दी, और ऊपर से नंगा हो गया। ब्रा के ऊपर से भी हेमा के चुचे बहुत बडे और सख्त लग रहे थे। मैने ब्रा के ऊपर से ही एक-दो बार उन्हें मसलकर देखा, तो बहुत ही मुलायम से लगे। फिर मैने अपने हाथ पीछे ले जाकर उसकी ब्रा के हूक को भी खोल दिया, जिससे उसके चुचे अब नंगे होकर मेरे सामने आ गए।

उसके चूचों को देखकर मै अपने आप को रोक नही पाया, और उन्हें अपने मुंह मे भरकर चूसने लगा। तभी उसने मेरी पैंट को खोलना चालू कर दिया, और अगले दो मिनट में ही उसने मुझे पूरी तरह से नंगा कर दिया। तो मैने भी अब देर न करते हुए उसकी स्कर्ट को उतार दिया। स्कर्ट उतारने के बाद वो अब सिर्फ पैंटी में थी, जो कि चुत के उपर के हिस्से पर गीली हो चुकी थी।

एक झटके में मैने उसकी पैंटी भी खींचकर उतार दी, और अब उसकी चुत को अपनी हथेली में भरकर भींच दिया, जिस वजह से उसके मुंह से एक सीत्कार निकल गई।

अगले ही पल मैने उसके चुत पर अपना मुंह लगा दिया, और उसकी चुत का रसपान करने लगा। तो उसने भी मुझे 69 की पोजिशन में आने को कहा, और अब हम दोनों ही एक-दूसरे के गुप्तांगों को चूस रहे थे। थोडी देर ऐसे ही चूसने-चाटने के बाद, मैने उससे कहा, "अब असली चुदाई शुरू करते है।"
उसने भी हामी भर दी। तो मै उठकर उसके दोनों पैरों को फैला दिया, और उसकी कमर के नीचे तकिया रख दिया। अब अपने लंड को उसकी चुत के द्वारा का निशाना साधकर एक हल्का धक्का मार दिया लेकिन लंड अंदर जाने की बजाय बाहर ही निकल आया। तो हेमा ने अपने हाथ से मेरे लंड को पकडकर अपनी चुत का रास्ता दिखाया।

फिर एक ही धक्के में मेरा आधे से ज्यादा लंड उसकी चुत में चला गया। फिर मैने धकमपेल चुदाई शुरू कर दी। हेमा भी मेरा पूरा साथ दे रही थी, बीच बीच मे वो मुझे बता भी रही थी, कि आगे क्या करना है।

उस दिन मैने हेमा को और दो बार चोदा, और जितनी बार मेरा वीर्य निकला मैने सब उसकी चुत में ही छोड दिया। हर बार अलग अलग पोजिशन में हमने यह चुदाई का खेल खेला। हम दोनों कमरे से तभी बाहर आए, जब सारे दोस्त मिलकर दरवाजा बजा रहे थे।

तो दोस्तों यह थी मेरे जन्मदिन के तोहफे की कहानी। आपको कैसी लगी, हमे कमेंट करके बताइए। धन्यवाद।
 
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