जलन से तय किया वासना का सफर

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नमस्कार दोस्तों,

मैं आज आपको अपनी प्रेमिका साथ किये शारीरिक खिलवाड़ के बारे मिएँ बताने जा रहा हूँ | दोस्तों मेरी प्रेमिका मुझसे प्यार तो बहुत करती थी पर कुछ महीनो पहले तक मुझे शारीरिक संतुष्ठी नहीं दे पाई | मैंने कई बार उसके होठों को चूसते हुए उसके नीचले बदन तक जाने की कोशिस भी की पर साली ने कभी मुझे कभी कमर से नीचे जाने नहीं दिया और मैं भी पछताकर बस हार - मान कर ही रह जाता | कुछ ही महीनो पहले मेरे दिमाक में एक मस्त वाला प्लान आया जिसके आधार पर ही मैंने अपनी प्रेमिका को पूरी तरह से अपने वश में करा लिया और उसकी चुत को जब चाहे तब मार सकता हूँ |

हुआ यूँ की मैंने अपनी एक दोस्त को इस प्लान में शामिल किया और उससे साथ थोडा - बहुत प्यार नाटक किया जिससे मेरी असली प्रेमिका जल सके | देखते - देखते ही मेरा अपना प्लान काम भी कर रहा था जिसपर मेरी प्रेमिका चुप - चुप अपने प्यार को किसी और का होते देख रोटी भी थी और शायद मुझे अपना बनाने के लिए किसी भी हद्द तक जाने के लिए तैयार भी हो गयी | मैंने उसी प्रकार जाते हुए जब भी अब अपनी प्रेमिका को चूमा करता तो वो मुझे कभी ना रोकती क्यूंकि उसे अब लगने लगा की अगर मैं उसके शारीरिक मज़े लूँगा तो किसी और लड़की तरफ नहीं जाऊंगा |

अब मैं बहुत मज़े में आ चूका था और धीर - धेरे जो चाहता था अपनी वाली से मुझे बेझिझक मिल भी रहा था और ज़ाहिर तौर पर उस माज़ा भी आ रहा था | मैंने एक दिन अब अपनी वाली को अपने खाली कमरे में बुलाया और स बार तो दोस्तों मैं उसकी चुत को पूरी तरह से रंगीन करने के लिए तैयार था | जब मेरी प्रेमिका मेरे घर आई तो पहले मैंने काफी देर उससे इधर - उधर की बातें की और आखिर में उसकी गौद में सर रखकर लेता गया | कुछ देर बाद मैंने उसे झुकाते उसके गीले लबों को चूम रहा था और फिर एक दम से उठते हुए उसके टॉप को भी उतार उसके चुचों को भरकर दबाते हुए पीने लगा |

मैंने अपनी प्रेमिका को कुछ देर में अब तक अधनंगी कर चूका था और अब मैं उसकी पैंट को भी खोलने लगा था जिसपर पहले तो वो शर्माने लगी पर तभी उसे मेरी पुआरनी हरकत याद आई तो फट से मुझे अपने तन पर खुल्ला छोड़ दिया | मैंने अब उसकी पैंट खोल दिया और उसके चुमते हुए उसके जाँघों को सहलान एल्ग | मैंने अब कुछ ही देर में उसे नागी कर दिया और उसकी चिलबिली चुत में अपने लंड के सुपाडे को भी आज़माने लगा | वो बिलकुल डरी हुई थी पर मुझे रोक नहीं सकती थी | मैंने भी अब फटाक से एक जोर का झटका मार दिया जिससे अब उसकी गन्दी वाली चींख निकल पड़ी |

मैं जनता था की मैं रुका तो अब वापस उस इ छोड़ नहीं पाउँगा इसलिए मैंने अब बस उसके हातहों को पकड़ते हुए उसे ज़ोरदार तरीके से चोदना ज़ारी रखा | कुछ देर बाद अब उसका दर्द भी जैस जैसे लगा था और भी भी अब अपने हाथ से मेरे लंड को अपनी चुत का रास्ता धिका रही थी | हमने इसी तरह करीब ४० मिनट तक चुदाई की और आखिर में मैं उसकी चुत पर झड गया और वो भी अपनी चुत का पानी छोड़ते हुए अणि चुत को उप्पर से मसलने लगी | उस दिन के बाद मैंने अपनी प्रेमिका की जलन में जैसे वासना को ढून्ड लिया था |
 
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