कामुक चर्चा ने उभारा जलन भी चुत को

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नमस्कार दोस्तों,

मेरा नाम शिवम खुखोरिया है और मैं आज तक बहुत सी लड़कियों की चुत खोक्ली कर चूका हूँ जोकि मेरे लंड सवार ही की गयी है | आज मैं आपको इसी बहाने अपने प्रेमिका की सहेली वहिमा के साथ अपनी करतूतों को खुलकर बताने जा रहा हूँ | दस्तों मैं अपनी प्रेमिका के साथ लगभग हर तरह की क्रिया कर चूका हूँ जोकि एक पति - पत्नी के बीच होती है और च्यूंकि वहिमा मेरी प्रेमिका की बहुत ही करीबी सहेली है इसीलिए उसे हामरे बारे में सब कुछ पता है | मैं जानता था की वहिमा का कोई प्रेमी नहीं है इसीलिए उसे मेरे और मेरी प्रेमिका के यौन - संबंधों के बारे में सुन उत्तेजना तो जगती ही होगी और इसी सोच के आधार पर मैं उसकी चुत भी अपने काबू में ले सकता था |

मेरी प्रेमिका कुछ महीने पहले किसी बहरी काम के कारण दूसरे शहर को गयी हुई थी और यही मौका था जब मुझसे बाज़ी मार लेनी थी | अब मैंने किसिस ना किसी बहाने वहिमा से मिल लिया करता था और जा - बुझा कर अपने यौन - संबंधों के बारे में चर्चा उससे किया करता था जिससे उसका मुंह हमेशा उदास हो जाया करता जिसपर मैंने एक दिन जा उससे कारण पूछा तो उसने कहा की उसे भी किसी मर्दाने शरीर के आभास को महसूस करना है ज्सिपर मैंने मौका मारते हुए उसके हाथ को थाम लिया और कहा की जब उसके सामने इतना मर्दाना उसकी दोस्त का प्रेमी बैठा है तो उसे इस विषय में चिन्ता करने की कोई जल्दी नहीं होनी चाहिए |

मैं उसे साथ ही चूमने और सहलाने लगा जिसपर अपनी आँखें बंद कर लीं और दम से जब वो सहम गयी कि मैं उसकी सांसे अच्छी दोस्त का प्रेमी हूँ तो मैंने उसे बड़े प्यार से समझाया कि यह शारीरक ज़रूरतें किसी भी मर्द के साथ पूरी कि जा सकती हैं | मेरा इतने कहने पर ही वो मान गयी क्यूंकि उसके अंदर तो वासना का जैसे ज्वाला मुखी पनप रहा था | मैं अब उसे चूमता हुआ सुके होंठों तक पहुँच गया और उन्हें चूसता हुआ उसकी चुचियाँ भींच रहा था | मैंने कुछ पल बाद ही उस घास के मैदान पर उसे लिटाया और उसके उप्पर खुद भी लेटकर मस्त में उसके होठों को चूसते हुए उसके ज्वाल मुखी को बहार निकालने लगा |

अब वो भी उत्तेजना में आती हुई मुझसे कसकर लिपट गयी जिसपर मैंने उसके सभी कपड़ों को उतार दिया उसको चुचों को भींचते हुए शान्ति में पीने लगा | मैंने उसकी सांवली चुत में अपनी उँगलियाँ देने चल कर दिया जोकि कुछ ही देर में उसकी चुत गीली हो गयी तभी मैंने अपने तने हुए टोप्पे को उसकी चुत में टिकाते हुए हलके - हलके धक्कों से अंदर को घुसाने लगा | कुछ देर बाद उसकी दर्द भरी सिकारियां निकलने लगीं जिससे मुझे मज़बुरन मुझे उसका मुंह बंद करना पड़ा और मैं कुत्ते कि तरह बस उसे चोदे जा रहा था |

वहिमा की पहले दर्द के मार कई चींखें निकली जोकि समय के साथ उसकी कम होती जा रही थी और अब वो भी अब अपनी चुत को मसलती हुई मज़े लेने लगी | मेरी रफ़्तार अब खूब तेज़ी से बढ़ने लगी थी और मैं बस कुत्ते की तरह उसे लिपटा हुआ उसकी चुत से पानी प्यास भुजाता चला गया जिसके कुछ देर बाद मैं तहक हार कर दुकी चुत के उप्पर ही झड भी गया और शान्ति से वहीँ हंसी लेता हुआ लेट गया | मेरी यह भी मनोकामना पूरी हो चली और अपनी प्रेमिका के आने तक तो मैं रोज ही वहीँ चुत मारा करता था |
 
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