जिंदगी में कुछ अजीब सा

sexstories

Administrator
Staff member
Anatrvasna, kamukta दोस्तों कभी कभी जिंदगी में कुछ अजीब सा घट जाता है जिसकी कल्पना ना तो आपने की होती है और ना ही कभी आपने इसके बारे में कुछ सोचा होता है | बस मैं ही अकेला नहीं हूँ सब के साथ ऐसा कुछ न कुछ हो जाता है और ये एक अटल सत्य है | जी हाँ दोस्तों मैं हूँ सुनील काची और मैं लालमती के प्रेम सागर में रहता हूँ | पेशे से मैं एक ऑटो चालक हूँ और अभी एक एजेंसी में काम करता हूँ | पर पहले जब मैं खुद की ऑटो चलाता था तब की बात है ये | और मुझे न जाने क्यूँ हर बार ये याद आ जाती है | आज मैं आपके समक्ष आया हूँ क्यूंकि मैं चाहता हूँ आप भी इस कहानी को जाने और इससे मेरे मन का एक बोझ भी हल्का हो जाएगा जो मेरे मन में ना जाने कब से है | ये कहानी काल्पनिक नहीं है पर आप में से ई लोग इस्पे यकीन भी नहीं कर पाएंगे पर मैं जानता हूँ कि ये सच है और इसे मैंने झेला है | चलिए अब मैं आपको विस्तार से बताता हूँ कि आखिर में हुआ क्या था मेरे साथ |

तो दोस्तों आज से पांच साल पहले मैंने अपने एक दोस्त की मदद करने के लिए उससे एक ऑटो खरीदा था | उसने मुझसे कहा था मुझसे बीस हज़ार रुपये की ज़रुरत है तू मुझे दे दे और तीन महीने बाद मैं ये ऑटो उठा लूँगा | मैंने उसकी मदद की थी पर वो पैसे दे नहीं पाया तो ऑटो मेरा हो गया | अब मेरे पास भी कोई काम धंदा नहीं था तो मैंने सोचा क्यूँ ना मैं ऑटो चलके ही अपने परिवार का भरण पोषण कर दूँ | मेरा ये निर्णय बिलकुल सही साबित हुआ क्यूंकि मैं जिस दिन से बाज़ार में उतरा उस दिन से मुझे काफी सवारी मिलना शुरू हो गयी | दोस्तों पहले दिन ही मैं २०० रुए कमी लेकर घर आया था जिसमे से खर्चा कट चुका था | ये एक बड़ी बात होती है है किसी गरीब इंसान के लिए | मुझे ये धंदा जम गया पर पहले मैं सिर्फ लोकल चलाया करता था क्यूंकि यहीं से मेरा चल जाता था | पर उसके बाद खर्चे बढ़ गए तो मैंने सोचा ठीक है मैं अब बाहर भी जाऊँगा बुकिंग पर | मेरा ये निर्णय भी बहुत अच्छा रहा क्यूंकि मुझे काफी बुकिंग मिल जाती थी |

मुझे ज़्यादातर कत्निओर मंडला की बुकिंग मिलती थी पर मंडला जाने में खतरा रहता था | ये वो जगह है जहा भयंकर जादू टोना होता है और भूत पिशाच का भी डर रहता है | पर पैसे के लिए जाना पड़ता है | मैंने तीन महीने मस्त कमी की और उसके बाद मेरे पास इतने पैसे आ गए कि मैं एक नया ऑटो ले सकता था | मैंने वही किया और क़िस्त पर एक नया ऑटो ले लिए और ये वाला एक ड्राईवर लगाके लोकल सवारी के लिए रख दिया | काफी अच्छा धंदा चलने लगा मेरा रोज़ के १००० से १५०० रुपये कमाने लगा था मैं | मेरी बीवी बच्चे सब खुश थे मुझसे और सब बिलकुल मस्त चल रहा था | पर दोस्तों कहते हैं ना अगर ज़रूरत से ज्यादा ख़ुशी इंसान को मिल जाए तो वो थोडा बिगड़ जाता है | मेरे साथ यही हो रहा था क्यूंकि मैं दारु पीने लगा था | मैं रोज़ एक क्वार्टर मार्के घर जाता था और मेरी बीवी को ये बिलकुल अच्छा नहीं लगता था | मैंने अपनी गाडी की पूजा करना भी बंद कर दिया था | मतलब एक तरीके से मैं पूरा का पूरा बेपरवाह हो चुका था |

दो महीने ही बीते होंगे कि मेरी पुरानी गाडी का इंजन खराब हो गया और उसमे मुझे ७००० का खर्चा हो गया | आर मुझे समझ नहीं आया और मैं बिलकुल निश्चिंत सा हो गया | पर अगले ही दिन मेरी गाडी एक नाले में गिर गयी और ड्राईवर को भी चोट आई | वो एक ट्रक की गलती थी पर कुछ भी नहीं हो सकता था क्यूंकि वो वहां से निकल चुका था | मैंने पहले ड्राईवर का इलाज करवाया और उसके बाद अपनी गाडी को निकलवाया पर मेरी गाडी पूरी बर्बाद हो चुकी थी | जितने में गाडी बनती उतने में नयी आ जाती | इसलिए मैंने सोचा इसे कबाड़ के भाव से बेचना ही सही है | वो गाडी बिक गयी और उस रात जब मैं पी रहा था तो मेरा दोस्त रोहित मेरे पास आया और उसके साथ अतुल भी था | उन लोगों ने कहा बावा आज खर्चा करले यार | मैंने कहा ठीक है सफ़ेद के तीन क्वार्टर ले आओ और चखना तुम झेलना | उन लोगों ने कहा ठीक है और हम तीनो बैठ के पीने लगे | तब रोहित ने बताया बावा तुम बहेक गए थे पैसे के नशे में इसलिए तुमको ये सब सहना पड़ा नहीं तो तुम अभी तक मस्त कम रहे होते |

मैंने कहा हाँ यार रोहित तू कह तो सही रहा है | पर अब क्या फायदा पछताने से अब तो जो होना था हो गया | ये सुनके अतुल बोला हाँ हो तो गया पर आगे न हो इसलिए अब संभल जा | मैंने कहा दारु की वजह से हुआ है ये सब | तो वो दोनों बोले दारु को कुछ मत बोल तेरे अन्दर अकड़ आ गयी थी | फिर उन्होंने कहा अब भी समय है फिर से मेहनत कर और एक नहीं दो नयी गाड़ियाँ खरीद लेना | मैंने कहा हाँ यार सही कह रहे हो तुम लोग | मैं अगले दिन से फिर बाज़ार में उतर गया और लोकल सवारी के साथ साथ बाहर की बुकिंग भी लेने लगा | जब जहाँ जैसा मौका मिलता मैं निकल जाता | मेरे सारे दोस्त मेरे साथ थे और मुझे हर संभव मदद देते | जैसे ही किसीके के पास मेरे लायक कुछ काम आता मुझे बता देते | मुझे भी अच्छा लग्न्हे लगा क्यूंकि मैं पहले जैसे ही कमाई करने लगा था |

फिर एक दिन रोहित का फोन आया और उसने कहा बावा एक काम है करोगे क्या ? मैंने कहा हां बता न भाई क्या काम है ? उसने बुकिंग आई है तीन दिन के लिए एक शादी वाला घर है मंडला जाना है तीन दिन के लिए | मैंने कहा पैसा कितना मिलेगा तो उसने बताया १५००० रुपये मिलेगा | मैंने कहा मंडला में ही रहना पड़ेगा या फिर जबलपुर से मंडला हर दिन जाना पड़ेगा | उसने कहा नहीं हर दिन तुझे यहाँ से मंडला जाना पड़ेगा | मैंने कहा ठीक है भाई एडवांस दिलवा देना तो उसने कहा ठीक है 5 मिनट में मिल जाएगा वो तेरे घर पहुँचने वाला है | मेरे घर में दस्तक हुई और वो बाँदा आ गया जिससे पैसे लेने थे पर मुझे वो कुछ अजीब सा लगा | पर पैसे के लिए मैंने हामी भर दी ओर्निकल गया शाम को मंडला के लिए सवारी लेके | जाते समय मेरे मन में कुछ सवाल थे पर मैं कुछ कर नहीं सकता था | एक तो जितने लोग मेरी गाड़ी में बैठे थे किसीके चेहरे पर ख़ुशी नहीं थी और सब अजीब सी हरकत कर रहे थे |

खैर अपने को क्या लेना देना था अपना पहुंचे मंडला और उनको मैंने जिस जगह बताया था वहां पर उतार दिया था | मैंने देखा जिस जगह पर वो उतरे वहां दूर दूर तक देखा तो बस जंगल था | मैंने उनमे से एक से पूछा भैया आप यहाँ शादी में कहाँ जाओगे | तो उसने मुझे फिर से ५००० रुपये दिए और कहा पैसे से मतलब रख मैंने भी कहा ठीक है भैया | जैसे ही मैं गाडी मोड़ रहा था तो मेरी आईने पर नज़र पड़ी तो पीछे कोई भी नहीं दिखा | जैसे ही मैंने पीछे मुड के देखा तो वो सब वहीँ खड़े मुझे देख रहे थे | मुझे पता चल गया ये साले कोई इंसान नहीं हैं | मैं वहां से भागने लगा तो पता नहीं कहाँ से एक बन्दा ऑटो में अपने आप आ गया | उसने कहा तो तुझे पता चल ही गया तो मैंने कहा आप कौन हो ? उसने कहा तू पैसे और काम से मतलब रख और हमारा काम करदे तुझे कुछ भी नहीं होगा ये हमारा वादा है | अगर तू भागा तो तू बचेगा नहीं | मैंने कहा ठीक है मैं किसी से कुछ कहूँगा नहीं और आपका काम पूरा करूँगा | वो खुश हुआ और उसने कहा कभी भी दिक्कत हो बस एक बार मन में "दासा" बोलना हम लोग आ जाएँगे |

मैंने कहा ठीक है आपको मेरी तरफ से कोई दिक्कत नहीं आएगी और मैं मन लगाके आपके लिए मेहनत करूँगा | दो दिन बीत गए तीसरे दिन मैंने आखरी बार उनको उनके बताये हुए पते पर छोड़ा और वापस आने लगा तो सबने मुझे गले लगाया और ५०० रुपये ज्यादा दिए और कहा बस दासा याद रखना | मैंने कहा ठीक है और आप भी मुझे कभी नहीं भूलना और वो हस्ते हुए चले गए | अब रात हो चली थी तो मैंने सोचा यहीं खाना खा लेता हूँ ढाबे में और सीधा घर निकल जाऊँगा | मैंने एक ढाबे पर गाडी लगायी और खाना खाके जैसे ही निकल रहा था तो एक आदमी ने कहा बाबु ज़रा थाम के जाना | मैंने कहा चल जा बे क्यूंकि मैंने दारु भी पी ली थी | अब मैं निकल पड़ा और पूरे जंगल से होते हुए घर जा रहा था नशे में और मज़ा आ रहा था | अब एक औरत मिली जिसने मुझे रोका और कहा चलो जबलपुर तक मैंने भी सोचा गाड़ी खली है थोड़े पैसे बन जाएंगे | मैंने उसको बैठा लिया और चल पड़ा |

अब वो पीछे से कहीं मेरी गांड में हाथ लगाये कहीं मेरे लंड पर | मुझे भी जोश आने लगा तो मैंने सोचा आज इसको चोद के ही जाऊँगा | मैंने उससे कहा उतरो और वो उतर गयी और मैं उसको वहीँ जंगल में ले गया और उसकी साड़ी खोल के पूरा नंगा कर दिया | मैं भी नंगा हो गया और उससे कहा ले मादरचोद लंड चूस मेरा | उसने जम के मेरा लंड चूसा और मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था | उसके बाद मैंने उसके मुंह पे ही मुट्ठ मार दिया | फिर मैंने उसको लिटाया और उसकी चूत में अपना लंड दाल दिया और दे भका भक चोदने लगा पर साला चुदाई के बीच में मैंने देखा उसके पैर तो उलटे हैं | मेरी गांड फटी पर मैं उसको छोड़ते जा रहा था और वो सिसकियाँ ले रही थीं | फिर मैंने उसको घोड़ी बनाया और उसकी गांड में एक बार में लंड पेल दिया और दे लंड पे लंड की मार मारी | वो चीख रही थी पर मुझे पता था साली चुड़ैल है | करीब 20 मिनट चोदने के बाद जैसे ही मेरा माल उसकी गांड में गिरा मैंने मन में दासा कहा और ना जाने क्या हुआ सब ठीक हो गया | फिर मैउन वहां से निकल आया |
 
Back
Top