डायन की चूत : मन का वहम या सच

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डाक बंगले में चोदी एक स्वप्न सुंदरी की चूत!

हेलो दोस्तों आये दिन आप लोग डायन और जादूगरनी की कहानियां सुनते रहते होंगे, पर क्या आपने कभी डायन की चूत मारी है? अमेजिंग कल्पना है ना ये, सोचिये और सोचते जाईये।

खूबसूरत सफेद कपड़ों में लिपटी डायन, मस्त मस्त सुगंध बिखेरती डायन, अपने हुस्न के जलवों से अपने पीछे आत्माओं को समेटती डायन, आह्ह!! खतरनाक है ना, पर उतना ही रोमांचक है। यह कहानी आपको सुना रहा हूं अपने निजी अनुभव से।

हमारे गांव के बाहर एक डाक बंगला है जहां कि हम दोस्त पिकनिक मनाया करते हैं। एक शाम हम सब ने जम के दारु पी ली और मैने कुछ ज्यादा ही ढकेल लिया। दारू का दौर खतम होने के बाद जब सारे दोस्त चलने लगे तो मैं वहीं रह गया, मैने कहा यार मुझे छोड़ दो मैं बाद में आउंगा।

कमीने दोस्त सब मुझे वहीं छोड़कर चले गये, मैं वहीं बंगले के छत पर चढ कर लुढक कर आसमां को घूरने लगा। अचानक, मुझे हवा में एक अजीब सी मोहक सुगंध तिरती हुई प्रतीत हुई।

मैने अपना सर इधर उधर घुमाया तो मुझे कुछ भी दिखाई नहीं दिया। फिर मैने गहरी सांसें लेते हुए अपने चारों तरफ बिखरी हुई खुश्बू को अंदर लिया। उस खूश्बू का अजीब सा असर मेरे उपर हो रहा था। न चाहते हुए भी मेरे पैंट के अंदर तनाव सा उत्पन्न हो रहा था। मैने अपने लंड को देखा, वो कड़ा होता जा रहा था।

मैने उसे पकड़ा और पैंट की चेन खोल कर हथियार को बाहर खींचा। मोटा लंड आसमान की तरफ तन गया, ऐसे जैसे कि कोई चूत की तलाश कर रहा हो। जैसे ही मैने लंड को बाहर निकाला, एक और बदलाव आसपास के माहोल में हुआ। मुझे पायलों की छन छन सुनाई देने लगी। पायलों की छन छन और फिर एक नारी कंठ की मधुर ध्वनि,.... मांझी है मेरा प्यार, मैना मांगू कंगन हार, मुझे ले चल तू उस पार... एक दम सेक्सी आवाज जैसे कोई अप्सरा गा रही हो।

मैं मुग्ध होता जा रहा था। तभी मेरे सामने बड़े से छत के एक कोने पर एक सफेद कपड़े पहने महिला जिसके बाल नीचे घुटनों तक थे, मैं किसी चुम्बक की तरह खड़ा होकर उसकी तरफ बढ़ने लगा। पास जाते हुए खुश्बू और तेज और आवाज और मधुर होती जा रही थी। मैं जैसे ही उसके पास गया, वो ....

पलटी और तेजी से अपने बालों को झटक दिया। उसके बालों की लट मेरे चेहरे से टकराई और मुझे मदहोश करती चली गयी। इससे पहले कि मैं उस हसीना को देखता वो मुझ पर हावी थी। फुर्ती से उसने मुझे नीचे गिरा दिया और खुद मेरे उपर सवार हो गयी।

उसकी मदहोशी में मैं इतना ज्यादा डूब चुका था कि मैने अपने जिप को बंद करना भूल चुका था। उसने मेरे लंड के ठीक उपर अपनी चूत रख दी थी। हालांकि कपड़े खोले न थे पर उसके शरीर का आभास फूलों से भी हल्का था। उसकी चूत कपड़े के उपर से भी मेरे लंड के कड़े सुपाड़े को महसूस हो रही थी।

अब मैने उसका चेहरा देखा, एकदम दमकता, चांद सा, कजरारी मधुबाला सी आंखें, मीना कुमारी की कातिल अदाएं और नरगिस सी मासूमियत। हाये ये ख्वाब था या सच्चाई, पर मैने इसको जानने की जरुरत न समझी। मैं तो बस बहता चला गया वासना के दरिया में

उस कमनीय हसीना से मैने न नाम पूछने की जहमत उठाई न उसने मुझसे हाल खबर किया। बस अपने गीले लब, जो कि गरम थे किसी उबलते अंडे की तरह, मेरे होटों पर रख दिये। प्यार की खिचड़ी पकनी शुरु हो गयी थी। मेरे हाथ उसके स्तनों पर चले गये। उसका सफेद गाउन, जो कि किसी शादी के जोड़े की तरह लग रहा था, एक दम से खिसका और उसके दो छत्तीस साईज के चूंचे बाहर आजाद हो गये।

मैने दोनों हाथों से उनको पकड़ लिया। उसके होट मेरे होट पर, जीभ जीभ से उलझी हुई, मेरे हाथ उसके चूंचे पर और उसके हाथ मेरे सीने पर उगे गहन बालों के जंगल में।

उस कामिनी की सुन्दर काया और फूल सरीखी चूत उफ्फ!!

मदमस्त, अलमस्त अल्हड़ हसीना की जवानी के बारे में सोचना और उसे सच होते देखना, आह्ह!! उसने मेरे होटों पर अमृत घोल दिया था और उसका असर मेरे मोटे और खंजर सरीखे तन चुके लँड पर पड़ रहा था। ऐसा लग रहा था कि मेरा लंड आज दो इंच ज्यादा लंबा और कहीं कई गुना ज्यादा लोहे की राड की तरह कड़ा हो गया था।

मैने उसके स्तन को चूसना प्रारंभ कर दिया। मस्त दबा के जैसे मैं उनको चूसता, कुछ मीठी शराब सी मेरे गले में चली जाती और प्यास बढती चली जाती। मैने दोनों ही चूंचों से पिया। और अब मैं और भी ज्यादानशे में था।

अब मेरी बारी थी आक्रामक होने की और मैने ऐसा ही किया मैने उसके गले में हाथ डाला और करवट बदल के उसके उपर सवार हो गया। उसके गाउन को उपर चढाया, जालीदार चड्ढी खींच के फाड़ी और लंड को उसके चूत में डालने लगा।

वो किसी कुंवारी लड़की की तरह डकारने लगी। सच इतना ज्यादा तो मेरी बीबी भी सुहागरात को न चिल्लाई थी। आह्ह्ह!! उफ्फ्फ!! प्लीज धीरे से करो, मर जाउंगी। नहीं..मम्मी।

और मैने अपना लंड ढकेल दिया अंदर की तरफ, उस कामिनी हसीना की आंखों में बिजली सी कौंध गयी और अब वो मुस्करा के अपनी कमर नचाने लगी। आह्ह मैं सिर्फ उपर था लंड घुसाके और वो नीचे से कमर हिला हिला कर खुद ही चूत के हरेक हिस्से में मेरे लंड को ले रही थी। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरा लंड कोई तलवार है और उसकी चूत गुलाबों का ढेर जिसमें वो चला जा रहा है और चला जा रहा है।

अब उसने करवट बदली, और मेरे लंड पर टंग गयी, अपने पैरों को उठाते हुए उसने रिवर्स काउगर्ल स्टाइल में मुझे चोदना शुरु किया। मैं उसकी गोरी नंगी पीठ गाउन के अंदर हाथ डाल के सहला रहा था और फिर उसकी गांड में पीछे से उंगली करने लगा। कैसी सुन्दर गांड थी उसमें पेलने पर चूत से भी ज्यादा मजा आता। वो खुद ही मेरा इशारा समझ गयी। उसने अपनी गांड पर अपना वैसलीन सा चिकना थूक लगाया और मेरे लंड पर बैठ गयी। मेरा लंड धंसता चला गया।

उसने एकसौबीस की स्पीड पकड़ी, मेरा लंड ऐसे हिलने लगा जैसे कि केला शेक बनाने वाली मशीन में फंसा केला। जल्द ही मेरे लंड की पिचकारी उसकी गांड को भर चुकी थी। मैं बस आह्ह आह्ह करता रहा और जब मेरी आंख खुली तो मैं जमीन पर पड़ा अपना लंड हाथों में लेके सहलाता पाया गया। मैने चारों तरफ आंख दौड़ाई पर वो हसीना कहीं न थी। तो क्या ये मेरे मन का वहम था या कोई वो डायन या चुड़ैल थी। जो भी थी, अच्छी थी और बेहतरीन थी, आज भी मैं कभी कभी उसके मिलने की उम्मीद में उस छत पर दारु पीकर सो जाता हूं। उसके चूत की वो नरमी, उसकी गांड की वो गरमी उसके होटों की वो मधुरता और उसके चूंचे से पी हुई शराब मुझे ज्यों कि त्यों आज भी याद है।
 
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