दीप्ति से प्यार का इज़हार

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Antarvasna, hindi sex stories: मेरा भी ग्रेजुएशन पूरा हो चुका था और मैं अब नौकरी की तलाश में था मैंने कई कंपनी में इंटरव्यू दिए लेकिन मेरा कहीं भी अभी तक सिलेक्शन नहीं हो पाया था लेकिन जल्द ही मेरा सिलेक्शन एक कंपनी में हो गया। जब वहां पर मेरी जॉब लगी तो कुछ समय के लिए मुझे दिल्ली जाना पड़ा मैं दिल्ली गया और दिल्ली में कुछ दिनों तक मुझे ट्रेनिंग करनी थी। दिल्ली में हम लोग करीब एक हफ्ते तक रहे और उसी बीच मुझे शुभम मिला शुभम से मेरी काफी अच्छी दोस्ती हुई। शुभम और मैं एक ही कंपनी में जॉब करते हैं हम दोनों एक ही शहर के रहने वाले थे इसलिए शुभम और मैं एक दूसरे के साथ काफी बात किया करते। शुभम मेरे ऑफिस में ही जॉब करता है और हम दोनों जयपुर के ही रहने वाले हैं शुभम जिस जगह रहता है वहां पर मेरी मौसी भी रहती थी। मैंने शुभम को इस बारे में बताया कि मेरी मौसी भी तो तुम्हारे पड़ोस में ही रहती है तो वह मुझे कहने लगा कि मैं उन्हें अच्छे से पहचानता हूं और वह लोग भी हमारे घर पर आते जाते हैं हम लोगों का उनसे काफी अच्छा फैमिली रिलेशन है।

मैं काफी दिनों के बाद अपनी मौसी को मिलने के लिए गया था मैं जब अपनी मौसी को मिलने के लिए गया तो वहां पर मुझे शुभम भी मिला शुभम ने मुझे अपने घर पर चलने के लिए कहा तो मुझे भी शुभम के घर पर जाना पड़ा और मैं शुभम के घर चला गया। जब मैं शुभम के घर पर गया तो उस दिन शुभम ने मुझे अपने पापा मम्मी से मिलवाया, शुभम के बड़े भैया जो कि उस दिन घर पर ही थे शुभम ने मुझे उनसे भी मिलवाया। उस दिन मैं शुभम के साथ करीब एक घंटे तक था और उसके बाद मैं अपने घर लौट आया था। मैं जब घर लौटा तो मैंने मां से कहा कि मां मैं आज मौसी से मिला था तो वह कहने लगी कि बेटा लेकिन तुमने तो मुझे कुछ इस बारे में बताया ही नहीं था। मैंने मां से कहा कि मां मैं आज अपने दोस्त को मिलने के लिए भी गया था और मैंने सोचा कि आज मौसी के से भी मुलाकात कर लेता हूं। मां पूछने लगी तुम्हारी मौसी कैसी हैं तो मैंने उनसे कहा कि मौसी तो ठीक है और वह आपको भी याद कर रही थी। मां मुझे कहने लगी कि काफी दिन हो गए हैं तुम्हारी मौसी से भी मैं मिल नहीं पाई हूं घर के कामकाजो में मैं इतनी ज्यादा उलझी रहती हूं कि बिल्कुल भी समय नहीं मिल पाता है।

मैंने मां से कहा कि मां हम लोग अगले हफ्ते मौसी के घर चलते हैं मेरी उस दिन छुट्टी होगी तो मैं आपको मौसी के घर ले चलूंगा मां कहने लगी ठीक है बेटा अगले हफ्ते हम लोग तुम्हारी मौसी के घर हो आते हैं। अगले हफ्ते हम लोग मेरी मौसी के घर चले गए जब हम लोग मौसी के घर गए तो मैं कुछ देर तक मौसी के साथ ही था और उसके बाद मैं शुभम के घर पर चला गया। जब मैं शुभम के घर गया तो शुभम भी घर पर ही था लेकिन शुभम और उसकी फैमिली को कहीं जाना था तो मैंने शुभम को कहा कि अभी मैं चलता हूं और फिर मैं मौसी के घर पर लौट आया। मैं जब मौसी के घर पर आया तो काफी ज्यादा देर भी हो चुकी थी तो मैंने मां से कहा कि मां अब हम लोग चलते हैं मां कहने लगी ठीक है बेटा। उसके बाद हम लोग घर लौट आए थे जब हम लोग घर लौट रहे थे तो रास्ते में मेरी बाइक अचानक से बंद हो गई तो मैंने थोड़ी देर बाइक को रोक कर रखा और फिर बाइक स्टार्ट हो गई उसके बाद हम लोग घर लौट आए थे। जब हम घर लौटे तो पापा भी घर आ चुके थे और वह मुझे कहने लगे कि आकाश आज तुम कहां चले गए थे तो मां ने कहा कि हम लोग आज मेरी छोटी बहन के घर चले गए थे। मैंने मां से कहा कि मां मैं अपने कमरे में जा रहा हूं और मैं अपने रूम में चला आया और अपने रूम में ही मैं कुछ देर आराम कर रहा था फिर मैंने सोचा कि क्यों ना अपने फेसबुक पर अपने फ्रेंडों से बात कर लूँ।

मैंने भी अपने फ्रेंड से फेसबुक पर बात की और जब उस दिन फेसबुक पर मेरी बात दीप्ति के साथ हुई तो मुझे उस दिन बहुत अच्छा लगा। दीप्ति ने पहली बार ही मुझसे इतनी बातें की थी इससे पहले दीप्ति और मेरे बीच इतनी बातें नहीं होती थी। दीप्ति ने मुझसे काफी बातें की और उस दिन हम लोगों ने करीब एक घंटे तक चैटिंग पर बात की। मैंने उस दिन दीप्ति का नंबर ले लिया था दीप्ति मेरे साथ ही पढ़ा करती थी लेकिन कॉलेज के दौरान हम दोनों की ज्यादा बातें नहीं होती थी हम लोग सिर्फ हाय हेलो तक ही सीमित थे लेकिन अब हम लोगों की काफी बातें होने लगी थी। मैंने तो कभी सोचा भी नहीं था कि दीप्ति और मैं इतनी बातें करने लगेंगे दीप्ति और मेरे बीच की बातें काफी ज्यादा बढ़ने लगी थी इसलिए और मैं दीप्ति एक दूसरे से मिलना चाहते थे। हम दोनों जब एक दूसरे को मिले तो मुझे दीप्ति से मिलकर काफी अच्छा लगा दीप्ति के अंदर काफी बदलाव आ चुका था वह बहुत बदल चुकी थी इसलिए मुझे दीप्ति के साथ बात करना अच्छा लग रहा था। दीप्ति मुझसे मिलकर बहुत खुश थी उसके बाद तो हम दोनों की मुलाकातों का सिलसिला बढ़ता ही चला गया और हम दोनों एक दूसरे को अक्सर मिलने लगे।

जब भी हम दोनों एक दूसरे को मिलते तो मुझे और दीप्ति को बहुत ही अच्छा लगता और फिर दीप्ति से मैंने भी अपने प्यार का इजहार कर दिया था। जब दीप्ति से मैंने अपने प्यार का इजहार किया तो दीप्ति बहुत खुश थी वह भी मेरे प्यार को एक्सेप्ट कर चुकी थी और अब हम दोनों रिलेशन में थे। हम दोनों का रिलेशन अच्छे से चल रहा था और हम दोनों को बहुत खुशी थी कि हम दोनों एक दूसरे के साथ रिलेशन में है। मेरे और दीप्ति के बीच प्यार दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा था और हम दोनों एक दूसरे के बिना बिल्कुल भी रह नहीं पाते थे। जब भी मेरी मुलाकात दीप्ति से नहीं होती तो मुझे ऐसा लगता जैसे कि मेरा दिन अधूरा है और मैं अपने आपको काफी ज्यादा अकेला महसूस किया करता।हम दोनो का रिलेशन तो चल रहा था। एक दिन मैने दीप्ति को घर पर बुला लिया दीप्ति घर पर आ गई। मैं और दीप्ति ज्यादा से ज्यादा समय साथ में बिताने की कोशिश किया करते थे। उस दिन जब मैने दीप्ति के नरम होठो को चूमा तो वह अपने अंदर की जवानी को रोक ना सकी।

वह मुझे कहने लगी उस से अब रहा नहीं जाएगा। मैंने उसे बिस्तर पर लेटा दिया। जब वह बिस्तर पर लेट गई तो मैंने अपनी लंड को बाहर निकाला। मेरा लंड दीप्ति की चूत के अंदर जाने के लिए तड़प रहा था। मैंने अपने लंड को हिलाना शुरू किया। जब मैंने अपने लंड को हिलाना शुरू किया तो मुझे मजा आने लगा। दीप्ति ने मेरे लंड को अपने मुंह में ले लिया उसने मेरे लंड को अपने मुंह के अंदर समा लिया था वह उसे बड़े अच्छे तरीके से चूस रही थी। वह जिस प्रकार से मेरे लंड को चूस रही थी उससे मुझे मज़ा आ रहा था और उसको भी बहुत ज्यादा मजा आ रहा था। मैंने दीप्ति को कहा तुम मेरे लंड को ऐसे ही चूसती रहो।

हम दोनो एक दूसरे के साथ बड़े अच्छे तरीके से सेक्स के मजे लेना चाहते थे। मैंने दीप्ति के स्तनों का रसपान करना शुरू कर दिया मैं उसके स्तनों को चूस रहा था मुझे मजा आने लगा था। दीप्ति और मै एक दूसरे के लिए इतना ज्यादा गरम हो चुके थे मैं अब एक पल के लिए भी रह नहीं पा रहा था। मैंने दीप्ति को कहा मैं तुम्हारी योनि में अब लंड डालना चाहता हूं। मैंने दीप्ति की चूत को चाटना शुरू किया। दीप्ति की चूत को चाटकर मुझे अच्छा लग रहा था उसकी योनि से निकलता हुआ पानी बहुत ज्यादा बढ़ चुका था। उसकी चूत का पानी बाहर आ चुका था। मैंने उसकी योनि पर अपने लंड को लगाया। मैंने अपने लंड को उसकी योनि पर लगाया और अंदर की तरफ डाला। जब मैंने उसकी चूत मे अपने मोटे लंड को घुसाया तो मुझे मजा आने लगा और दीप्ति को भी मजा आने लगा। मैं और दीप्ति एक दूसरे के साथ जमकर सेक्स का मजा ले रहे थे। मैंने दीप्ति के दोनों पैरों को खोल लिया था दीप्ति मुझे कहने लगी मुझे बहुत ही ज्यादा अच्छा लग रहा है। मैंने दीप्ति के दोनों पैरों को अपने कंधों पर रख लिया था और दीप्ति को मैं तेज गति से चोदने लगा।

मैं उसे जिस तेज गति से धक्के मार रहा था उससे वह बहुत ही ज्यादा मजे मे आ गई थी वह मुझे कहने लगी मेरे अंदर की गर्मी को तुमने पूरी तरीके से बढा कर रख दिया है। मैंने दीप्ति की चूत में अपने माल को गिरा दिया था। दीप्ति खुश हो चुकी थी और दीप्ति चाहती थी हम दोनों एक बार और शारीरिक संबंध बनाए। मैंने अपने लंड को दीप्ति की चूत मे दोबारा से घुसा दिया मेरा लंड दीप्ति की चूत में घुस चुका था। मैं उसकी चूत बड़े ही अच्छे तरीके से मार रहा था मै जिस प्रकार से दीप्ति की चूत के अंदर बाहर अपने लंड को कर रहा था उससे मुझे मजा आने लगा था। दीप्ति को भी बड़ा मजा आ रहा था अब हम दोनों एक दूसरे के साथ जमकर सेक्स के मजे ले रहे थे। मैंने दीप्ति के दोनों पैरों को खोला हुआ था वह जोर से चिल्ला रही थी। वह मुझे कहती मुझे बहुत ज्यादा अच्छा लग रहा है हम दोनों एक दूसरे के साथ जमकर सेक्स के मजे ले रहे थे और मैं दीप्ति की योनि के अंदर अपने माल को गिरा चुका था।
 
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