दो अलग अलग रस के मिलन

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नमस्ते दोस्तों,

आज मई आपको प्रिया राना के साथ अपने शारीरिक संधों के बारे में खुलकर बताने जा रहाहूँ जिसका मैं किसी भी गैर के सामने कभी भी ज़िक्र नहीं करता | दोस्तों वो कोई और नहीं बल्कि मेरे ही प्रेमिका थी जिकी मैंने चुत एक खाली कमरे में चोदी जोकि मेरा अपना ही कमरा था | दोस्तों वो तो बहुत बड़ी कामिनी थी क्यूंकि कभी - भी मेरे लंड को पकडकर उसे मसलने लगा जाती वो भी मरे पैंट को उप्पर से ही | मैं जब उसकी इन हरकतों से पगलाने लगता और उसे अपने करीब खींचता तो वो मुझे अपने से दूर करने लगती और आखिर में भाग ही जाती | वो मेरे घर अक्सर आया कटी जिससे अब तो मेरे - बाप को भी हल्का - हल्का मेरे संबंधों के बारे में पता चल जाता | वो तो मेरी माँ के सामने भी मुझे हल्का सा लिपट जाती जिससे मैं पानी - पानी हो जाया करता |

वो एक रोज शाम को मेरे घर ये हुई थी और उसी वक्त मेरे माँ - बाप खरीददारी के लिए नीचे भी निकल रहे थे | मेरे बाप ने उसे देखकर पहले तो कुछ नहीं बोला फिर आखिर में हल्की - फुल्की दांत सुनकर खुद नीचे चले गए | आज पहली बार मुझे उसके साथ अकेले में मौका मिल रहा था | वो भी जानती थी की वो मुझे बहुत तड़पा चुकी है तो मैं अकेले मैं आज उसे छोड़ने नहीं वाला था तो वो भी जाने लगी जिसपर अब मैंने उसे अपनी और खींच लिया और अपने दोनों होंठ उसके होंठों पर टिका दिया | वो भी अब मुझे रोक नहीं पाई और इतने में ही मेरा एक हाथ उसके नीचे की सलवार को खोल उतारने लगा | वो शर्मा कर अंदर को चली गयी और मैं जाकर देखा की वो अंदर अब अपने आप की अपने सारे कपड़ों को उतारने लगी |

मैं अब उसके चुचों पर हाथ फेरने लगा जिससे उसके पुरे तन में गर्माहट भर गयी और वो मुझे मेरे करीब और ही खींचने लगी | मैं उसके बाजु में लेटकर चुचों को पिने लगा जिसपर वो मस्त वाली सिसकियाँ लेती हुई कूदकने लगी | मैंने उसके होठों को चूसना नहीं छोड़ा और तभी उसकी पैंटी को भी झट से अलग फेंकते हुए अपनी उँगलियों को उसकी चुत में देना शुरू कर दिया | उसकी बढती सिसकियों मेरे हौंसले और कुम्ता को बढ़ावा दिए जा रही थी और मैंने अब उसकी टांगों को खोल झट से अपने लंड के टोप्पे को उसकी चुत पर टिका दिया | अब मैंने कुछ ना सोचा बस वासना की आग के लिए सोचा और अपने उसकी गांड को मसलते हुए उसकी चुत में ज़ोरदार भारी - भारी झटके देने लगा |

उसे मेरी इतनी भारी और तेज रफ़्तार सही नहीं जा रही थी और उसे जो दर्द होने लगा उसपर वो चींखते - चिल्लाते कैसे भी मुझे रोकना चाहती थी | अब यहं उसकी चाह और में चाह में काफी अंतर था और इसीलिए मैंने आज अपने मन की सुनते हुए अपने लंड को पूरी तरह से बारी - बारी उसकी चुत में अंदर बाहर किये जा रहा था | ममेर लंड के घिसने से उसे अजब सा सुकून और अंदर से अजब सा दर्द भी काठ रहा था जिसपर पहले उसकी चुत से कुछ चिप - चिपा पानी निकला फिर उसका पूरा रस छूट पड़ा और उसके बाद मैं अपने लंड को हाथ से मसलने लगा और अपने रस को भी उसके चुत के रस को उप्पर छोड़ अपनी ऊँगली से मिलाने लगा और हम दोनों की हंसी भी छूट पड़ी |
 
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