प्यार का भुत कहाँ तक ले आया

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नमस्कार दोस्तों,

आज मैं आपको अपनी बड़ी ही प्रिय और यादगार कहानी सुनाने जा रहा हूँ जिसका दिल कभी आपका भी करता होगा | दोस्तों मैं अपने स्कूल के समय से ही निदुरी की प्यार में पड़ गया था और उसके प्यार में तो मैंने जैसे खान - पीना सब ही छोड़ रखा था | उसके ख्याल मेरे दिमाक पर ऐसे छाये हुए थे की मैं अब तो अपनी पढाई भी ढंग से नहीं कर पाता था और हर वक्त किताबों की शक्ल को देखता हुआ उसी के ख्यालों में खो जाया करता था | वो दिखने में बहुत मासूम थी और मुझे इसी बात का डर था की अगर मैं उसके सामने अपने प्यार का प्रस्ताव रखूं तो वो अपने माँ - बाप को मेरी वाता लगवाने के लिए ना बुला लाये | इसके बावजूद मेरे दोस्तों के हौंसला बढाने पर मैंने उसके सामने अपने प्यार का प्रस्ताव रख दिया |

मुझे यकीन ना हुआ पर हुआ पर वो भी मुझे उतना ही चाहती थी जितना की मैं उसे छटा था और शायद कभी ना कह पाती अगर में ना उसे कहता तो | उस समय के बाद से ही हम एक अच्छे जोड़े साबित हुए |हम इस तरह अपने प्यार के पल को व्यतीत करते हुए अपने कॉलेज के समय तक भी पहुँच गए और उन दिनों अब वो कुछ ज्यादा ही परेशान रहने लगी की उसके माँ - बाप उसकी शादी किसी और के सतह अपनी मन - मर्ज़ी से ही करेंगे | उसकी इस बात ने तो मुझे भी बिलकुल हिलकर रख दिया था जिसपर मैंने उसके साथ पहले ही मंदिर में जाकर शादी करने का फैसला किया जिसपर वो भी राज़ी होने से ना चूकी | हमने अगले दिन एक - दूसरे से मंदिर में जाकर शादी भी कर ली जिसके बाद ही मैंने उससे प्यारा भरी मुस्कान देते हुए कहा की अब हमारी सुहागरात का क्या होगा जिसपे वो शर्माने लगी |

मैंने उसी दिन की रात के लिए अपने दोस्त के एक खाली पड़े मकान में अपनी पहली रात बिताने का फैसला किया और शाम को मैं निदुरी को ले भी आया जहाँ हमने शाम साथ - साथ ही रोम्नाटिक बातें की और आखिर में आई असली मौके की बारी | रात काफी ढल चुकी थी रो अमीन उससे लिपटते हुए उसके गाउन को उतार दिया और उसके पहली बार ही ब्रा को चुमते हुए मैंने उतार दिया फिर उसके उप्पर लेटते हुए उसके चुचों को हलके - हलके से पीने लगा जिसपर निदुरी तो मज़े में चूर होती हुई बस सिसकियाँ भरती जा रही थी | मैंने कुछ देर बाद ही निदुरी की पैंटी को भी उतार उसकी चुत मसलते हुए ऊँगली देनी चालू कर दी जिसपर वो मस्त वाली सिकारियां लेती हुई उलट - पुलट होने लगी और मैं अपने लंड को उसकी चूत में डालकर हौले - हौले धक्के देते हुए लंड को उसकी चुत में अंदर देने लगा |

उसकी सिस्कारियां तेज़ी से अब निकलने लगी मैंने भी अब अपनी लंड की रफ़्तार को उसे चुमते हुए बड़ा दिया था | हम एक दूसरे से लिपटे नीचे के अंगों को हिलाते हुए चुदाई किये जा रहे थे और वो मुझे दर्द के मारे नाख़ून भी गाड रही थी | जैसे ही मेरा वीर्य निकला तो मैंने देखा की उसका काफी खून निकल चूका था जिसे मैंने साफ़ कर ज़ल्दी से उसे चाय पिलाई और फिर उसकी गौद में सर रख कर सो गया | अब बदकिस्मती से हमारे माँ - बाप ने हमारी शादी को ना - मंज़ूर करते हुए मेरी शादी कहीं और करा दी है और मैं आपको बता दूँ की मैं ४ बच्चों का आज बाप हूँ |
 
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