sexstories

Administrator
Staff member
(Pregnent Aunty KI Chudai)

हल्लो दोस्तो, आप लोग मजे में होंगे यह आशा रखता हूँ.आज मैं आपको मेरे पड़ोस में रहेती देसी आंटी कला के साथ मैंने की हुई चुदाई की बात बताऊंगा, यह चुदाई मेरे लिए एक अलग अनुभव था क्यूंकि यह देसी आंटी की चूत में जब मेने अपना लंड दिया उस समय वह 5 महीने की गर्भवती थी और इस लिए यह चुदाई मुझे आज तक पल पल याद है..! मैं और फ़िरोज़ वही अंगने में बैठे केरम-बोर्ड खेल रहे थे, तभी मैंने देखा की कला आंटी के घर का पर्दा हटा और उसने बहार आके कूड़ा डालने के बहाने मुझे इशारा कर दिया..! में इस देसी आंटी को तब पिछले एकाद साल से चोद रहा था, उसका पति गुंजन एक शराबी था और कला आंटी कभी कभी रात को उसे नींद की गोली दे कर मेरे साथ रात गुजार लेती थी | मैंने फिरोज को बहाना बताया और केरम बंद किया | में गली के पिछवाड़े से कला आंटी के घर के रसोईघर से होते हुए अंदर घुसा, यह रास्ता सही था क्यूंकि इस से मुझे कोई अंदर दाखिल होते हुए देख नहीं पाता था | अंदर जाते ही कला आंटी ने मुझे बाहों में भर लियाऔर वोह मेरे होंठो से अपने होठ लगाके चूमने लगी, कला आंटी के मस्त गुलाबी होंठो को मैंने भी मस्त चूसने को लिए और उसकी जबान तक चूस डाली..! मैंने जैसे उसे छोड़ा, उसने अपने कपडे उतारने का शरु किया..उसके गर्भवती होने के कारण उसका पेट बहार आया था.मुझे लगा की शायद वोह प्रेग्नेंट है इस लिए चुदाई नहीं करवाएगी लेकिन शायद यह आंटी के कुछ और ही इरादे थे..!

आंटी ने अपने कपडे उतार कर मुझे वही सोफे पर बैठा दिया और वह मेरी पेंट को खींचने को उतारू थी, मैंने पेंटकी बटन खोलते ही उसने उसे खिंच कर मेरेलंड के दर्शन अंडरवेर के अंदर ही कर लिए, मेरा तना हुआ लंड अंडरवेर को ऊँची किए था और देसी आंटी की चूत शायद यह देख कर गीली हो चली थी | कला आंटीने मेरी अंडरवेर खिंच के लंड को बहार किया और खुद भी सम्पूर्ण नग्न हो गई, मेरा लंड अब काले नाग की तरह फूंफांने लगा और देसी आंटी उसे हाथ में लेकर जैसे की उसका नाप ले रही थी.लंड तना था और आंटी के हाथ का स्पर्श मुझे अलग ही रोमांच दे रहा था | आंटी अब वही बेड पे आके आराम से लेट गई | मैंने आंटी को कमर पर हाथ से मलना शरु किया, मुझे पता था की उसे मसाज करवाना अच्छा लगता है.! मैंने उसकी कमर से लेकर उसकी गांड तक के हिस्से को हाथ से मसाज करना शरू कर दिया, और आंटी अपनी आँखे बंध किये पड़ी रही | में उसकी गांड के मटके जैसे कूलो पर भी हाथ फेरता था और बिच बिच में उसकी गांड को दोनों हाथो से फेलाता था.उसकी गांड का काला छेद लंड को तडपा रहा था.!

मैंने उसकी गांड और कमर की कुछ पांच मिनिट मसाज की होगी और उसके बाद कला आंटी उठ बैठी, उसके हाथ अब मेरे लंड पर चलने लगे और वोह उसे मस्त मलने लगी, यकायक उसने अपना मुहं आगे किया और लंड को गोलों तक मुहं में भर लिया, मेरे मन में शांति की एक शीतल लहर दौड़ गई और मैंने अपने हाथ इस देसी आंटी के माथे पर रख दिए, आंटी मुहं को अच्छी तरह चलाने लगी और मुझे संतृप्तता देती गई, उसके लंड चूसने की यह पहली घटना नहीं थी पर आज उसकी चुसाई में कुछ ज्यादा ही प्रेम उभरा हुआ था.शायद यह प्रेग्नेंट होने की वजह से निकलते होर्मोन की कमाल थी | उसका प्रत्येक स्ट्रोक लंड को गोलों तक अंदर लेता था और फिर वह लंड को अग्रभाग तक बहार निकाल देती थी.यह चुसाई का सिलसिला 2 मिनट ही चला होगा की मुझे लगा की अगर यह चुसाई और चली तो लंड अपना पानी छोड़ देगा..!

कला अब अपनी दोनों टांगे फेला के लेट गई, मुझ से रहा नहीं गया और मैंने उसे पूछा, "आंटी, इस अवस्था में सेक्स कर सकते है.!" वोह हंस पड़ी औ बोली, "सेक्स कर सकते है लेकिन आराम वाला, इस लिए में कहूँ उस से ज्यादा जोर से झटके मत देना.." मैंने हकार में मुंडी हिला दी | आंटी ने अपनी टाँगे फेलाए हुए ही मेरे लंड को हाथ में लिया और अपने चूत के उपर उसे रगड़ने लगी | देसी आंटी की चूत मस्त गीली थी और मेरे लंड के अग्रभाग से भी चिकना प्रवाही निकला हुआ था, आंटीने 4-5 बार लंड को रगड़ने के बाद चूत के काने में लंड अंदर कर दिया, लंड उसकी चिकनी योनी में बिना कोई रुकावट के घुस गया और आंटी ने मुझे इशारे से आगे पीछे होने को कहा.मैंने लंड को अब उसकी चिकनी चूत में अंदर बहार करना शरू किया और मुझे आज चुदाई में अलग ही मजा आ रहा था | आंटी ने तभी मुझे कहा, "बस यही गति रखना, इस से ज्यादा जोर मत लगाना"

मैं अपना लंड आंटी की चूत में मस्त हिलाता रहा और आंटी मेरे झांघो पर हाथ रखे मेरी गति का नियमन कर रही थी, मेरे लंड पर देसी आंटी की चूत की चिकनाहट मस्त चिपक रही थी और मेरे बदन में एक अलग ही उत्तेजना दौड़ रही थी, मैंने अपने हाथ कला आंटीके चुन्चो पर रख के उन्हें दबा दिए, तभी इस आंटी ने अपनी चूत को भींच दे दी, मेरा लंड उसकी चूत में कस गया और एकाद दो बार अन्दर बहार करते ही मेरे लंड से वीर्य की मलाई निकल गई..मेरे बदन में एक अलग ही शांति व्याप गई और मैंने आंटी के होंठो को चूम लिया..मैंने लंड बहार निकाला और आंटी ने खड़े होकर कपडे पहन लिए.मैं भी वही रसोईघर के दरवाजे से चुपके से बहार निकल गया.
 
Back
Top