बनारसी रांड की बड़ी गांड [भाग 1]

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अस्सी के घाट पर बैठी हुई बड़ी गांड वाली वह महिला मुझे तस्वीर बनाने के लिये प्रेरित कर गयी। दोस्तों मैं आयुष हूं और यूनिवर्सिटी में फ़ाईन आर्ट्स का स्टूडेंट हूं। मेरी कलाकारी बहुत फाईन है और खास तौर से खजुराहो आर्ट्स मतलब कि कामवासना को उकेरने में मेरा कोई सानी नहीं है। उस दिन मैंने पीछे से बैठ कर उसकी पीठ, गर्दन और गोल गोल बड़ी गांड के हर कस बल को अपने ड्राईंग पेपर पर उकेर दिया। अचानक वह पीछे पलटकर देखी, वो एक अधेड़ परिपक्व भारतीय औरत थी, जिसकी जवानी अपने हल्के ढलान पर भी कहर ढाने वाली थी, छत्तीस के चूंचे, बत्तीस की बिना झुर्रियों वाली कमर और छ्त्तीस की ही गांड। वो किसी परी की तरह मुस्कराती हुई मेरे पास आई और मेरे स्केच को देख कर बोली, ये तो गलत बात है, किसी की जवानी को चुपके से उकेरना, मैं तुम्हारी शिकायत कर दूंगी, मेरी अश्लील स्केच बनाने के लिये। सच तो ये है कि अपनी तस्वीर वाली लड़की को सामने देख कर मेरा लंड भी खड़ा हो चुका था। मैने कहा मैम बस मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था।

वो बोली अच्छी तस्वीर बना लेते हो, चलो मैं भी यहीं होटल अशोका में रुकी हूं, वहीं मेरी एक तस्वीर बना देना। मैं चल पड़ा। होटल का कमरा डीलक्स था, एसी आन था, और माहोल एक दम मस्त। मैं वहीं सोफे पर बैठ गया, वो बाथरुम में घुस गयी और जब बाहर आई तो सिर्फ एक टावल लपेटे हुए थी, मैं चकाचौंध रह गया। मैने कहा मैम मैं जाऊं तो वो बोली अरे अरे इसी तरह तुम्हें मेरी पिक बनानी है चलो काम शुरु करो। वह सोफे पर क्रास लेग कर के बैठी, टावल छोटी थी, मुड़ने के चलते उसके आधे नितम्ब और बड़ी गांड अर्ध नग्न थे और भोसड़े का दरवाजा कभी भी दिखाई दे सकता था। साला कलम न चल रही थी मुझसे, उसकी चूंचियां टावल से नब्बे प्रतिशत बाहर थीं और बाकी बदन नंगा। मैं हक्का बक्का था कि उसकी टावल खुल गयी, अब उसका सारा बदन नंगा चमक गया मेरी आंखों के सामने। मैने एक टक घूरता रहा और वो मुस्कराई, बोली बच्चे तुम तो कुछ और देख रहे हो इधर आओ, मैं खुद बखुद उसकी तरफ खींचता चला गया। इस समय उसने वो टावल बड़े ही लापरवाही से अपने शरीर पर चिपका लिया था और कभी भी वो गिर सकता था उसके शरीर पर से। साली अरब की इत्र मार कर सुगंधित कर चुकी थी अपने बदन का कोना कोना। उसने मुझे अपने उपर खींच लिया। मेरी सांस टंग गयी उसने मुझे सोफे पर लिटा दिया और अपनी बड़ी गांड मेरी छाती पर रख कर बैठ गयी। निश्चित तौर पर वह इस सेक्स शो की डाईरेक्टर थी और मैं पिटा हुआ हीरो, मैं समझ नहीं पा रहा था कि क्या करुं, तभी उसने एक और आश्चर्यजनक हरकत कर दी।

उसने अपने पर्स से एक डिल्डो निकाला और अपने मुह में डालने लगी। मैं डर गया, उसके इरादे खतरनाक लग रहे थे, और उसकी बड़ी गांड मेरे सीने को दबाये हुए थी जिससे मैं बाहर आना चाह रहा था लेकिन नहीं आ सकता था। पढिये कहानी के अगले भाग में इस बड़ी गांड वाली महिला के चंगुल से मैं कैसे बाहर निकला और उसने अपने डिल्डो का प्रयोग कैसे किया, क्या मेरे या अपनी गांड में, ये सब राज मैं आपको कहानी के अगले भाग में बताउंगा।
 
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