मौहल्ले की रांड की कहानी

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आज मैं आपको साक्षी की बेताबी की कहानी सुनाने जा रहा हूँ | दोस्तों वो मेरे मौहल्ले की सबसे बड़ी रांड के नाम से जानी जाती थी और न जाने आज तलक कितने घाट - घाट का पानी पी चुकी थी | हाँ, उन में से में दावे के साथ कह सकता हूँ की उसने मेरे घाटका कुछ ज्यादा की पानी पी रखा था | दोस्तों उसके मस्ताने नयन मुझे हमेशा उसकी और आकर्षित करते थे | बहली ही सभी उसे कितनी ही बड़ी रांड क्यूँ न कहे पर वो ओर लड़कियों के मुकाबले कुछ ज्यादा ही सेक्सी लगती थी जोकि हमेशा मेरे सपनों में आकार मुझे सताया करा करती थी | मेरे साथ बिलकुल अब तक हिंदी फिल्मों का दीवानापन छा चूका था बिलकुल किसी फिल्म के हीरो की तरह |

एक दिन मैंने उसे जाकर अपने दिल की बात साक्षी को बता ही दी और शायद उन दिनों उसके लिए नए लंड की कड़की भी चल रही थी और उसने बड़े ही रसीले अंदाज़ में मेरी शर्ट के कोल्लर को पकड़ते हुए मुझे शाम को महोल्ले के पिछवाड़े में मिलने को कहा | मैं अंदर से उत्तेजित होकर खुलकर उस दिन की शाम को साक्षी का इन्तेज़ार करने लगा और जैसे ही मैंने उसे अपनी और आते हुए देखा तो फट से उसे अपनी बाहों में लेकर पूरी गर्दन को चूमने लगा | मैं अब उसके होठों को चूम मज़े ले रहा था जिसपर उसने भी मेरा सहयोग करते हुए मुझे चूमना शुर कर दिया और साथ ही हम एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे |

मेरे अंदर का शैतानी रूप उभरने में ज्यादा समय न लगा और मैंने गरम होते हुए उसकी कुर्ती को उतार दिया | मैंने साक्षी से लिपट कर उसके चुचों के पीने लगा जिसपर उसने भी मेरे उसने भी मेरी पैंट में से लंड को निकाल थाम लिया | अब एक तरफ मैंने उसके चुचों को चूसने का मज़ा ले रहा था साथ ही खड़े - खड़े वो मेरे लंड को अपनी हथेली में शेला भी रही थी | क्या . . ! ! काम्दीन एहसास था . .दोस्तों . . ! ! मैंने भी उसकी पैंटी को नीचे कर उसकी चुत की फांकों में अपनी उँगलियों को देनी शुरू कर दी | बढती गति के साथ हमारे आपस में सिकुड़ते हुए मुंह खुलते जा रहा था | साथ ही अब साक्षी की चुत गीली होने में समय ना लगा |

साक्षी अब मुझे कामुक मुस्कान देती कहने लगी, साले . . ! ! तू तो बहुत प्यासा मालुम होता है. . आज तुझसे चुदने का मज़ा ही कुछ और होगा | मैंने भी कहा, जानेमन बस देखती जा . . मैं क्या चीज़ हूँ | उसके इन तेवर को देख मैंने आगे बढने के लिए मजबूर हो चला | मैंने अपने लंड के सुपाडे को साक्षी की चुत पर रगड़ते हुए जोर के धक्के से घुसा दिया जिससे उसकी गर्म सिसकियाँ निकलने लगी | पहली बार के इस मज़े का लुप्त उठाते हुए मैंने उसे लिटा दिया और उसकी चुत में लंड को घुसेड़ते हुए अपनी ऊँगलीयां को भी प्रवेश करा रहा था | मैंने धीरे - धीरे उसे चोदने की रफ़्तार बढ़ा दी जिससे मेरा बड़ा लंड उसकी चुत में तेज़ी से चोदे जा रहा था | उस चुदाई के दौरान मैं शीग्रस्खलित तो हो गया पर अगले एक साल तक साक्षी ने केवल मेरे साथ की चुत की चुदाई का मज़ा लिया |
 
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