बीबी बदल - गांड बदल - टेस्ट बदल

sexstories

Administrator
Staff member
बदल लो पत्नी मार लो बदल के गांड!

वो क्या है कि गांड मारने का चस्का तो हमें लग गया था इंटरमीडिएट मे ही जब मैने पहली बार अपने पार्टनर राजू की गांड मारी थी लेकिन सुहागरात में बीबी की गांड मारने के बाद मुझे इसका चस्का लग गया। महिलाओं का पिछ्वाड़ा ज्यादा ही डेलिकेट होता है। बहनचोद एक ही तो बीबी मिलती है हम लोगों को, दूसरी शादी सरकार एलाउ नहीं करती इसलिए मैने सोचा कि क्यों ना आज कुछ तूफानी करते हैं। मैने अपने दोस्त नीतिश को फोन मिलाया कि यार एक ही चूत और गांड मारते मारते मैं बोर हो गया हूं। तो उसने भी यही बात जाहिर की। मैने कहा कि चलो दिल्ली आते हैं और एक होट्ल में आजू बाजू दो कमरे बुक करो। तीन दिनों के लिए आराम से ऐश करते हैं। उसने कहा ओके भाई और नये साल पर मैं अपनी बीबी आभा को लेकर दिल्ली होटल रेजिडेंसी में पहुंच गया। नीतिश भी अपनी बीबी निर्मला को लेकर होटल में था।

हम दोनों की बीबियां हाईली एजुकेटेड थीं और शराब लेना सिगरेट लेना उनके लिए आम बात थी। रात को डिनर हम चारों ने साथ ही किया और हम लोगों ने एक दूसरे की बीबियों से फ्लर्ट करना शुरु कर दिया था। मैने जल्दी ही नीतिश की बीबी को लाईन पर ले लिया और नीतिश मेरी बीबी से पहले से ही चिपका हुआ था। हम दोनों इसे नजर अंदाज कर रहे थे और हमने जल्दी ही यह अपने बीबियों पर जाहिर कर दिया कि हमें कोई दिक्कत नहीं है अगर वे अपने पति बदल लेंगी तो। रात को हम चारों कार्ड्स खेलने लगे एक ही कमरे में। निर्मला मेरे बगल में बैठी थी झीनि नाईटी पहन के, और व्हिस्की टेबल पर खुली पड़ी थी। मैने दो पैग लगा लिये थे और सब ने भी। अब नशा चढ रहा था। मैने देखा नीतिश आभा के पीठ को सहला रहा था, मेरा मन बढा और मैने निर्मला की चोली में हाथ डाल दिया। निर्मला ने कुछ न बोला और बस हम द्दोनों ही मजे मे आने लगे। बीबियों ने एडजस्ट कर लिया था माहोल के अनुसार। नीतिश ने आभा की नाईटी में हाथ डाल कर उ सके बूब्स दाबने शुरु कर दिये थे और मैने एक कदम आगे बढ कर के न्रिर्मला की नाईटी उतार दी। वो साली पूरी नंगी थी।

मैने उसे एक पैग अपने गोद में बिठा कर पिला या और अब निर्मला सोफे के नीचे बैठ कर मेरे पैंट की चेन खोलने लगी। मैंने खुद ही अपनी पैंट उतार दी। नीतिश ने भी अपनी पैंट उतार द्दी और आभा के पीछे से उसकी गांड को चाटने लगा। हम चारों ने तीसरा पैग पेला और मैदान में कूद गये। खेल फर्श पर ही शुरु हो गया, क्योंकि कमरा काफी बड़ा था और फर्स पर कालीन थी। मैने निर्मला की चूत में मुह लगा दिया था और नीतिश आभा की गाँड को बेतहाशा चाटे जा रहा था। अब बारी थी देसी मुखमैथुन करने की तो मैने निर्मला को अपने अंडे चूसने के लिए दिए। वो कमीनी कभी कभी मेरे अंडे में दांत गड़ा दे रही थी और मुजे गुस्सा दिला के चोदने की चुनौती दे रही थी कि आओ मुझे चोद के दिखाओ। मैने उसे सोफे पर पेट के बल लिटा दिया उसका कमर से उपर का हिस्सा सोफे पर था और पैर नीचे लटके हुए थे, गांड् मेरे सामने एक्सपोज्ड थी।

शराब के नशे में गांड का कबाब!

उधर नीतिश ने आभा को अपने लंड पर बिठा कर सैर करानी शुरु कर दी थी। आभा को नितिश का छोटा लंड कुछ खास रास तो नहीं आ रहा था पर फिर भी, वो मजे में थी। कुछ तो चेंज आ ही गया था सेक्स लाईफ में। उसने मुझे देख कर मुस्कराना शूरु कर दिया था। मैने इधर निर्मला की गाँड पर हल्के थपथपाते हुए उसमें उंगली मारनी शूर की। वो कहने लगी, कमान फक मी मदरफकर, यू आर ए कोवार्ड, कमान फक योर माम्स ऐस्स्। मैने आव देखा ना ताव अपना आठ इंच का लंड लेकर उसके चूत मे रगड़कर लिसलिसे पदार्थ को अपने लंड के टोपे में लगा गांड पर मल दिया। अब उसकी गांड चिकनी और फिसलनदार हो गयी। निशाना भेंड कर एक ही धक्के में उसकी गांड की चहारदीवारी को तोड़ते हुए लंड को अंदर पेल कर मैने उसको जन्नत में पहुंचा दिया। वो चिल्ल्लाने लगी कमीने मेरी गांड़ को फाड़ेगा क्या बे। आह्ह आह्ह्ह दुख रही है प्लीज निकाल लो बाहर।

मैने उसके बाल खींचते हुए पिछवाडा चोदन जारी रखा। उधर आभा ने अपना पिछवाड़ा नीतिश के मुह पर रख कर चटवाना शुरु कर दिया था, अमूमन मैं अपनी बीबी का पिछवाड़ा नहीं चाटता पर नीतिश ने ये काम बखूबी जारी रखा। वो मारे उत्तेजना के उसके सीने पर ही मूतने लगी। माहोल पेशाब का बन चुका था और नीतिश को गरमा गरम पेशाब से और भी उत्तेजना हुई, उसने आभा को कुतिया बना कर गांड मारनी शुरु कर दी। वो चिल्ला रही थी और मजे में थी। ये देख मै दोहरे उत्तेजना में था और मैने निर्मला की गांड को पेलते हुए उसकी चूत में उंगली भी करनी शुरु कर दी।

तीन उंगलियां फिर चार उंगलियां और फिर पूरा पंजा। साली का भोसड़ा था जो कि सिर्फ नीतिश के छोटे लंड के पेलने से इतना बड़ा नहीं हो सकता था या तो दारु पीने से उसे दर्द नहीं हो रहा था और मैं कुछ ज्यादा ही बेरहम हो गया था। अब निर्मला झड़ने वाली थी गाँड में लंड की रगड़ से और चूत में लगातार हाथ के घुसने से वो उत्तेजित होकर छल्चल्ला के झड़ गयी और उसी उत्तेजना में उसने पेशाब भी कर दिया। दारु के नशे में पेशाब दोनों ही हसीनाओं से रुक नहीं पाया था। साली ने मूतते हुए हमें भिगो दिया। उसके बाद हम दोनों दोस्तों ने दोनों को लिटा कर उनके उपर मूता और अपना पेशाब पिलाया। दारु के दौर और काकटेल के बीच ये पार्टी पूरी रात चलती रही और हम दोनों ने एक एक औरत को मिल के पेला। जो भी मिला उसे उनके छेद में घुसा के उनको अभूतपूर्व चुदाई का पूरा आनंद दिया। आज भी हर साल बीबी बदल और गांड बदल का ये खेल खेलते हैं हम दोनों ही दोस्त। क्लिक करें यहां सजीव चैट हेतु
 
Back
Top